Saturday, December 30, 2023

भारतवासी अपने ही नूतन वर्ष को क्यों भूल गए ?

31 दिसंबर को क्या करें ?

31 December 2023

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🚩भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा(गुड़ी पड़वा) ही हिंदुओं के नववर्ष का प्रथम दिन है। किंतु, आज के हिंदू 31 दिसंबर की रात्रि में नववर्ष दिन मनाकर अपने आपको धन्य मानने लगे हैं। आजकल, भारतीय वर्षारंभ दिन चैत्र प्रतिपदा पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देनेवाले हिंदुओं के दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं जबकि 31 दिसंबर की रात्रि में छोटे बालकों से लेकर वृद्ध तक सभी एक-दूसरे को शुभकामना संदेश-पत्र,व्हाट्सएप, टेलीग्राम,इंस्ट्राग्राम, फेसबुक, ट्विटर अथवा प्रत्यक्ष मिलकर हैप्पी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं।


🚩चैत्री नूतन वर्ष (गुड़ी पड़वा) के फायदे और 31 दिसंबर के नुकसान


🚩हिंदु धर्म के अनुसार शुभ कार्य का आरंभ ब्रह्ममुहूर्त में उठकर, स्नानादि शुद्धिकर्म के पश्‍चात, स्वच्छ वस्त्र एवं अलंकार धारण कर, धार्मिक विधि-विधान से करना चाहिए। इससे व्यक्ति पर वातावरण की सात्विकता का संस्कार होता है।


🚩31 दिसंबर की रात्रि में किया जानेवाला मद्यपान एवं नाच-गाना, भोगवादी वृत्ति का परिचायक है। इससे हमारा मन भोगी बनेगा। इसी प्रकार, रात्रि का वातावरण तामसी होने से हमारे भीतर तमोगुण बढ़ेगा। इन बातों का ज्ञान न होने के कारण अर्थात धर्मशिक्षा न मिलने के कारण, ऐसे दुराचारों में रुचि लेने वाली आज की युवा पीढी भोगवादी एवं विलासी बनती जा रही है। इस संबंध में इनके अभिभावक भी आनेवाले संकट से अनभिज्ञ दिखाई देते हैं।


🚩ऋण उठाकर 31 दिसंबर मनाते हैं


🚩प्रतिवर्ष दिसंबर माह आरंभ होने पर मराठी तथा स्वयं भारतीय संस्कृति का झूठा अभिमान अनुभव करने वाले परिवारों में चर्चा आरंभ हो जाती है। हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढते हैं , तो ‘क्रिसमस’ कैसे मनाना है, यह उन्हें पाठशाला में बताया जाता है। अत: हमारे घरों में यह उधारी का त्योहार मनाया जाता है।

इतना ही नहीं स्कूलों में ले जाने के लिए क्रिसमस ट्री सजाने की सामग्री , बच्चों को सांताक्लॉज की टोपी, सफेद दाढ़ी मूंछें, विक, मुखौटा, लाल लंबा कोट, घंटा आदि वस्तुएं बच्चों के गरीब अभिभावक ऋण उठाकर खरीदते हैं।


🚩गोवा में एक प्रसिद्ध आस्थावान ने 25 फीट के अनेक क्रिसमस ट्री को 1 लाख 50 हजार रुपयों में खरीदे हैं। ये सब करनेवालों को एक ही बात बताने की इच्छा है, कि ऐसा कर के हम आंशिक तौर पर धर्मांतित ही तो हो रहे हैं। सनातन धर्म का कोई भी तीज-त्यौहार, व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ हो, इस उद्देश्य से मनाया जाता है! उत्सवों को मनानेवाले, आचार-विचार तथा कृत्यों में कैसे उन्नत हों, यही विचार करके हमारे ऋषि-मुनियों ने सभी व्यवस्थाएं की थीं । अत: सच्चा सुख,शान्ति,समृद्धि ,शक्ति एवं आपसी सौंदर्य बढ़ाने वाले गुड़ीपड़वा’ के दिन ही नववर्ष का स्वागत करना शुभ एवं हितकारी है।


🚩अनैतिक तथा कानून द्रोही कृत्य करके नववर्ष का स्वागत क्यों...!?


🚩वर्तमान में पाश्चात्य प्रथाओं के बढ़ते अंधानुकरण से तथा उनके नियंत्रण में जाने से अपने भारत में भी नववर्ष ‘गुड़ीपड़वा’ की अपेक्षा बडी मात्रा में 31 दिसंबर की रात 12 बजे मनाने की कुप्रथा बढ़ने लगी है। वास्तव में रात के 12 बजे ना रात समाप्त होती है, ना दिन का आरंभ होता है।

अत: विचार कीजिए कि काली अंधेरी आधी रात में नववर्ष भी कैसे आरंभ होगा !? इस समय केवल अंधेरा एवं रज-तम का राज होता है। इस रात को युवकों द्वारा मदिरापान, अन्य नशीले पदार्थों का सेवन व व्यभिचार करने की मात्रा में बढोतरी हुई है।


 🚩युवक-युवतियों का स्वेच्छाचारी आचरण बढ़ा है तथा मदिरापान कर तेज सवारी चलाने से दुर्घटनाओं में बढोतरी हुई है। कुछ स्थानों पर भार नियमन रहते हुए बिजली की झांकी सजाई जाती है, रातभर बड़ी आवाज में पटाखे जला कर प्रदूषण बढ़ाया जाता है तथा कर्ण कर्कश ध्वनिवर्धक लगाकर उनके तालपर अश्लील पद्धति से हाथ-पांव हिलाकर नाच किया जाता है। गंदी गालियां दी जाती हैं तथा लडकियों को छेड़ने की घटना बढ़कर कानून एवं सुव्यवस्था के संदर्भ में गंभीर समस्या उत्पन्न होती है। अंग्रेजी नववर्ष के अवसर पर आरंभ हुई ये घटनाएं फिर सालभर भी बढती ही रहती हैं! इस ख्रिस्ती नए वर्ष ने युवा पीढ़ी को विलासवाद तथा भोगवाद की खाई में धकेल दिया है।


🚩राष्ट्र तथा धर्म प्रेमियों, इन कुप्रथाओं को रोकने हेतु आपको ही आगे आने की आवश्यकता है!


🚩31 दिसंबर को होने वाले अपकारों के कारण अनेक नागरिक, स्त्रियों तथा लड़कियों का घर से बाहर निकलना असंभव हो जाता है। राष्ट्र की युवा पीढी पथभ्रष्ट हो रही है। इसलिए जानकर हिंदू जनजागृति समिति इस विषय में जनजागृति कर पुलिस एवं प्रशासन की सहायता से उपक्रम चला रही है।


🚩ये असामाजिक कार्य रोकने हेतु 31 दिसंबर की रात को प्रमुख तीर्थक्षेत्र, पर्यटनस्थल, गढ़-किलों जैसे ऐतिहासिक तथा सार्वजनिक स्थान पर मदिरापान-धूम्रपान करके पार्टी करने पर प्रतिबंध लगाना अत्यावश्यक है। पुलिस की ओर से गश्तीदल नियुक्त करना, अपकार करनेवाले युवकों को नियंत्रण में लेना, तेज सवारी चलाने वालों पर तुरंत कार्यवाही करना, पटाखों से होनेवाले प्रदूषण के विषय में जनता को जागृत करने जैसे कुछ उपाय करने पर इन अपकारों पर निश्चित ही रोक लगेगी।


🚩अतः आप भी आगे आकर ये अकृत्य रोकने हेतु प्रयास करें। ध्यान रखें, 31 दिसंबर मनाने से आपको उसमें से कुछ भी लाभ तो होता ही नहीं, किंतु सारे ही स्तरों पर, विशेष रूप से अध्यात्मिक स्तर पर बड़ी हानि होती है।


🚩हिंदू जनजागृति समिति के प्रयासों की सहायता करें!


🚩नए वर्ष का आरंभ मंगलदायी हो- इस हेतु शास्त्र-सम्मत भारतीय संस्कृति अनुसार ‘चैत्र शुक्ल प्रतिपदा’ अर्थात ‘गुड़ीपड़वा’ को नववर्षारंभ मनाना नैसर्गिक, ऐतिहासिक तथा अध्यात्मिक दृष्टि से सुविधाजनक तथा लाभदायक है। अत: पाश्चात्य विकृति का अंधानुकरण करने से होनेवाले भारतीय संस्कृति का अधःपतन रोकना, हम सबका ही आद्यकर्तव्य है। राष्ट्राभिमान का पोषण करने तथा अकृत्य रोकने हेतु हिंदू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित उपक्रम को जनता से सहयोग की अपेक्षा है। भारतीयों, असामाजिक, अनैतिक तथा धर्मद्रोही कृत्य करके नए वर्ष का स्वागत न करें, यह आपसे विनम्र विनती !


               – श्री. शिवाजी वटकर, समन्वयक, हिंदू जनजागृति समिति


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Friday, December 29, 2023

जिन्होंने बदला धर्म उनको ST से बाहर करो : राँची में हुआ जुटान...

30 December 2023

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🚩डी लिस्टिंग यानी धर्मांतरण कर ईसाई अथवा मुस्लिम बनने वाले जनजातीय समाज के लोगों को अनुसूचित जनजाति (ST) के दायरे से बाहर करने को लेकर देशव्यापी आंदोलन चल रहा है। फरवरी 2024 में जनजातीय समाज के लोग अपनी माँगों के समर्थन में दिल्ली में जुट सकते हैं। 25 dec ईसाइयों के त्योहार क्रिसमस से ठीक पहले 24 दिसंबर 2023 को झारखंड की राजधानी राँची में इकट्ठे हो कर वो अपना इरादा जता चुके हैं।


🚩अनुसूचित जनजाति के लोगों का यह अभियान जनजाति सुरक्षा मंच (JSM) के बैनर तले चल रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस अभियान को हिंदुवादी संगठनों का भी समर्थन हासिल है। इसी रिपोर्ट में देशभर के जनजातीय समाज के लोगों का दिल्ली में फरवरी में जुटान होने की बात कही गई है। हालाँकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है।


🚩जनजातीय समाज के लोगों का कहना है कि धर्मांतरण करने वाले लोग ST का लाभ उठाकर उनके अधिकार को छीन रहे हैं। उनके अनुसार ईसाई बनने वाले ST बीते 75 साल से अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण लाभ का 80 फीसदी फायदा उठा रहे हैं। जेएसएम का कहना है कि ईसाइयों अथवा मुस्लिमों का एसटी आरक्षण पर अधिकार नहीं हैं। लेकिन वे जनजातीय समाज के लोगों को मिले संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं।


🚩इन्हीं माँगों के समर्थन में जनजातीय समाज के करीब 5000 लोगों का जुटान गत 24 दिसंबर 2023 को राँची के मोरहाबादी मैदान में हुआ। उलगुलान आदिवासी डीलिस्टिंग नामक इस महारैली का आयोजन JSM की ओर से किया गया था। झारखंड के अलग-अलग हिस्सों से आए अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों ने पारंपरिक पोशाकों और तीर-धनुष जैसे पारंपरिक हथियारों के साथ इस रैली में शिरकत की थी।


🚩रैली की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने की। उनके अलावा बीजेपी के लोकसभा सांसद सुदर्शन भगत, राज्यसभा सदस्य समीर ओरांव, जेएसएम के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत भी मौजूद थे। करिया मुंडा ने कहा, “झारखंड में ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों का प्रतिशत लगभग 15-20% होगा, लेकिन अगर हम सरकारी नौकरियों और आईएएस सहित प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को देखें, तो 80-90% वे हैं जो धर्मांतरित हैं।”


🚩जनजातीय समाज के लोगों की डी-लिस्टिंग की डिमांड नई नहीं है। मुंडा ने बताया कि राँची की तरह ही नागपुर, नासिक, मुंबई जैसे कई जगहों पर इन्हीं माँगों को लेकर जनजातीय समाज के लोगों का जुटान हो चुका है। वहीं जेएसएम के राष्ट्रीय सह संयोजक राजकिशोर हांसदा ने कहा , कि भारतीय संविधान के निर्माताओं ने देश के 700 से अधिक जनजातीय समूहों के अधिकारों की रक्षा के लिए बेहतरीन कोशिशें की थीं, लेकिन ये फायदा मुट्ठी भर उन लोगों को मिल रहा है जो धर्म बदल चुके हैं। जिन्हें चर्च का समर्थन हासिल है।


🚩जनता का कहना है,कि सरकार को भी इस विषय पर ध्यान देना चाहिए,क्योंकि महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे...

“यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है। 


🚩इस बात को ध्यान रखते हुए धर्मान्तरण करने वालों को सरकारी सुविधाएं बंद कर देनी चाहिए।


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Thursday, December 28, 2023

जनवरी 1 वाला नया साल मनाने से पहले इस सच को जान लीजिए नही तो होगा पछतावा

29 December 2023

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🚩विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में राज करने के लिए सबसे पहले भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात किया जिससे हम अपनी महान दिव्य संस्कृति भूल जाएं और उनकी पाश्चात्य संस्कृति अपना लें जिसके कारण वे भारत में राज कर सकें।


🚩अपनी संस्कृति का ज्ञान न होने के कारण आज हिन्दू भी 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को हैपी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ।


🚩नववर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 ईस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था । उसके बाद भारतीय नववर्ष के अनुसार छोड़कर ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।


🚩भारत देश में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो भारत की ऋषि-मुनियों की प्राचीन सनातन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।


🚩भारत का प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें भारतीय अपने मूल इतिहास को भूल गये और अंग्रेजों का गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।


🚩हद तो तब हो जाती है जब एक दूसरे को नववर्ष की बधाई भी देने लग जाते हैं। क्या किसी भी ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..??? किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?


🚩इस साल आने वाला नया वर्ष 2024 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।

हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2080 चल रहा है। इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है ।


🚩इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे लाखों वर्ष पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि जबसे पृथ्वी का प्रारम्भ हुआ तबसे सनातन (हिन्दू) धर्म है।


🚩कहाँ करोड़ों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ भारतीय अपनी गरिमा से गिर 2000 साल पुराना नववर्ष मना रहे हैं!


🚩जरा सोचिए….!!!


🚩सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!


🚩जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी द्वारा उसका नामकरण कैलेंडर से नहीं हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सभी व्रत, त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है। मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।


🚩आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं | इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।


🚩सोचिये! आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ?


🚩1 जनवरी को क्या नया हो रहा है..????


🚩न ऋतु बदली… न मौसम…न कक्षा बदली…न सत्र….न फसल बदली…न खेती…..न पेड़ पौधों की रंगत…न सूर्य चाँद सितारों की दिशा…. ना ही नक्षत्र…


🚩हाँ, नए साल के नाम पर करोड़ो /अरबों जीवों की हत्या व करोड़ों /अरबों गैलन शराब का पान व रात पर फूहणता अवश्य होगी।


🚩भारतीय संस्कृति का नव संवत् ही नया साल है…. जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियां, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते हैं जो विज्ञान आधारित है और चैत्र नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण घर, मन्दिर, गली, दुकान सभी जगह पूजा-पाठ व भक्ति का पवित्र वातावरण होता है ।


🚩अतः हिन्दुस्तानी अपनी मानसिकता को बदले, विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने और चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन ही नूतन वर्ष मनाये।


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Wednesday, December 27, 2023

करोड़ो लोगों ने क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस क्यों मनाया !? जानिए


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28 December 2023

🚩अंग्रेजों ने भारत में आकर बड़ी चालाकी से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए अपने आकर्षक और चकाचौंध से भरपूर त्योहारों के सहारे हिन्दू संस्कृति के रीति-रिवाजों और त्योहारों को लगभग हटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपने का कुचक्र रचा। गत वर्षों तक इसका प्रभाव जनमानस पर देखने को मिला, लेकिन आज देश की जनता जागरूक होने लगी है। धीरे-धीरे जनता पश्चिमी संस्कृति को भूल रही है और भारत की दिव्य संस्कृति की तरफ लौट रही है ।


🚩यूरोप आदि देशों में पहले 25 दिसंबर को सूर्यपूजा होती थी लेकिन सूर्यपूजा को खत्म करने के लिए और ईसाईयत का बढ़ावा देने के लिए क्रिसमस- डे शुरू किया।

इस बार पिछली बार से भी दोगुने जोशो-खरोश के साथ देश-विदेश में क्रिसमस की जगह विद्यालयों में, गांवों में, शहरों में, मन्दिरों आदि जगह-जगह पर तुलसी पूजन दिवस मनाया गया ।


🚩आपको बता दें कि केवल भारत में ही नहीं दुबई, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, लंदन आदि कई देशों में भी तुलसी पूजन दिवस मनाया गया। सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, ईसाई, फारसी लोगों ने भी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया ।


🚩बता दें कि केवल जमीनी स्तर पर ही नहीं बल्कि ट्वीटर, फेसबुक,इंस्ट्राग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब आदि सोशल साइट्स पर भी तुलसी पूजन दिवस की धूम मची है ।


🚩गौरतलब है कि 2014 से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन हिंदू संत आसाराम बापू ने शुरू करवाया था और उनके करोड़ो अनुयायियों द्वारा जगह-जगह पर मनाना प्रारंभ किया गया । उसके बाद तो 2015 से इस अभियान ने विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया और इस बार तो देश-विदेश में अनेक जगहों पर हिन्दू मुस्लिम और अन्य धर्मों के भाई-बहनों ने भी उत्साहित होकर इस दिन को एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाया है ।


🚩संत श्री आशारामजी बापू आश्रम द्वारा बताया गया , कि उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा और आम जनता द्वारा विश्वभर के विद्यालयों, महाविद्यालयों और जाहिर जगहों के साथ-साथ करोड़ों घरों में भी तुलसी पूजन त्योहार मनाया जा रहा है ।


🚩ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर तुलसी पूजन दिवस निमित्त देशभर के स्कूल, कॉलेज, गांवों, शहरों में हुए तुलसी पूजन तथा यात्राओं के साथ हुए तुलसी वितरण के फोटोज़ अपलोड हुए हैं ।


🚩25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस की बधाई का ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड करता दिखाई दिया।


🚩आम जनता के साथ राष्ट्रवादी नेताओं, पत्रकारों, डॉक्टरों, वकीलों,सरकारी कर्मचारियों, बिजनेसमैन, आदि ने भी ट्वीट करके इस दिन तुलसी पूजन करने का समर्थन किया।


🚩इस प्रकार से अनेकों ट्वीटस हमें देखने को मिली जिसके जरिये लोगों ने बापू आसाराम जी द्वारा प्रेरित तुलसी पूजन दिवस को सराहा भी और इस दिन को हिन्दू संस्कृति अनुसार मनाने का खुद भी आह्वाहन किया तथा औरों को भी प्रेरित किया ।


🚩बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ अनेक हिन्दू संगठन और देश-विदेश के लोग भी मना रहे थे तुलसी पूजन महापर्व। 


🚩आपको बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल जी और सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके जी और भी कई बड़ी हस्तियां 25दिसंबर को तुलसी पूजन का न सिर्फ समर्थन करते हैं , बल्कि स्वयं भी तुलसी पूजन विशेषरूप से करते हैं।



🚩आज भले आसारामजी अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में हों, लेकिन आज भी उनके द्वारा प्रेरित उनके अनुयायियों ने हमेशा विदेशी अंधानुकरण का विरोध किया है और हिन्दू संस्कृति के उत्थान के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं। इनके आश्रमों व समितियों द्वारा आयोजित राष्ट्रसेवा के कार्यों की सुवास समाज में देखने को मिलती रहती है। जैसे 14 फरवरी को #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस, 25 दिसम्बर तुलसी पूजन दिवस, घर घर गीता पठन,गौ-पूजन, आदिवासी गरीबों में जीवानोपयोगी सामग्री देना व भंडारा, गीता जयंती निमित्त रैलियां, हरि नाम संकीर्तन यात्राएं आदि।


🚩पर मीडिया का कैमरा कभी उस सच्चाई तक नहीं गया। कभी उन सेवाकार्यों तक नहीं गया जिससे समाज का हर वर्ग आज लाभान्वित हो रहा है । अगर आप गौर करेंगे तो मीडिया ने जब भी बापू आशाराम जी के लिए कुछ बोला तो हमेशा समाज में उनकी छवि धूमिल करने का ही प्रयास किया। उनकी ही क्या , हर हिन्दू संत, हर हिन्दू कार्यकर्ता की छवि को धूमिल करने का प्रयास मीडिया द्वारा होता ही आया है !


🚩मीडिया के इस दोगलेपन के पीछे का राज है कि मीडिया विदेशी फंड से चलती है । इसलिए ये समाज को वही दिखाती है जो इसे दिखाने के लिए कहा जाता है । इन्हें सत्य से कुछ लेना-देना नहीं, हर न्यूज के दाम फिक्स होते हैं । ऐसी बिकाऊ मीडिया पर आप यह उम्मीद करेंगे कि वो तुलसी पूजन दिवस समारोह की खबरें दिखाएगी !??

बेशक ! हमारे देश की ( बिकाऊ) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तो क्रिसमस की ही बधाइयाँ देती नज़र आएगी न...


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जिन्होंने आपका अस्तित्व बचाया, उनके बलिदान को भूलकर क्रिसमिस क्यों मनाने लगे ?

27 December 2023

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🚩क्रिसमस भारत का त्यौहार नहीं है बल्कि 200 साल भारत को गुलाम रखने वाले अंग्रेजो और धर्मांतरण कराने वाले ईसाई मिशनरियों का त्यौहार है फिर भी कुछ ना समज लोग क्रिसमस मनाते है, क्रिसमस मनाने से पहले जान ले कि 20 दिसम्बर से 27 दिसंबर तक क्या हुआ था, और हमें क्या करना चाहिए।


🚩भारत पर मुगल साम्राज्य था। मुग़ल शासक औरंगजेब एक कट्टर मुसलमान था और धर्मांध होकर इस्लाम स्वीकार कराने के लिए उसने हिन्दुओं को अनेक प्रकार के कष्ट दिये। वह सम्पूर्ण भारत को इस्लाम का अनुयायी बनाना चाहता था उसके आदेशों पर अनेकों स्थानों पर मंदिरों को तोडकर मस्जिदें बनायी गयीं , हिन्दुओं पर नाना प्रकार के कर लगाये गये , कोई भी हिन्दू शस्त्र धारण नहीं कर सकता था , घोड़े पर सवारी करना भी हिन्दुओं के लिए वर्जित था। औरंगजेब भारतीय संस्कृति तथा धर्म को जड़मूल से समाप्त कर देना चाहता था। हिन्दुओं में आपसी कलह के कारण जुल्मों का विरोध नहीं हो रहा था। इन्हीं जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाई दशम गुरू गोबिन्द सिंह जी ने , जिन्होंने निर्बल हो चुके हिन्दुओं में नया उत्साह और जागृति पैदा करने का मन बना लिया। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए गुरू गोबिन्द सिंह जी ने 1699 को बैसाखी वाले दिन आनन्दपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की।


🚩खालसा पंथ से बौखलाये सरहिंद के सूबेदार वजीर खान और पहाड़ी दोगले हिन्दू राजे एकजुट हो गए और 1704 में गुरू गोबिन्द सिंह जी पर आक्रमण कर दिया। मुगलों ने पहाड़ी नरेशों की सहायता से आनंदपुर के किले को चारों ओर से घेर लिया जहाँ गुरु गोविन्दसिंह जी मौजूद थे, पर मुगल सेना अनेक नरेशों की सहायता से आनंदपुर के किले को चारों ओर से घेर लिया जहाँ गुरु गोविन्दसिंह जी मौजूद थे , पर मुगल सेना अनेक प्रयत्नों के बाद भी किले पर विजय पाने में असफल रही। सिखों ने बड़ी दिलेरी से इनका मुकाबला किया और सात महीने तक आनन्दपुर के किले पर कब्जा नहीं होने दिया हताश होकर औरंगजेब ने गुरुजी को संदेश भेजा और कुरान की कसम खाकर गुरू जी से किला खाली करने के लिए विनती की और कहा कि यदि गुरुगोविन्द सिंह आनंदपुर का किला छोडकर चले जाते हैं तो उनसे युद्ध नहीं किया जायेगा।


🚩गुरुजी को औरंगजेब के कथन पर विश्वास नहीं था, पर फिर भी सिखों से सलाह कर गुरु जी घोडे से सिख – सैनिकों के साथ 20 दिसम्बर 1704 की रात को किला खाली कर बाहर निकले और रोपड़ की और कूच कर गए। जब इस बात का पता मुगलों को लगा तो उन्होंने सारी कसमें तोड़ डाली और गुरू जी पर हमला कर दिया। लड़ते – लड़ते सिख सिरसा नदी पार कर गए और चमकौर की गढ़ी में गुरू जी और उनके दो बड़े साहिबजादों ने मोर्चा संभाला। ये युद्ध अपने आप में खास है क्योंकि 80 हजार मुगलों से केवल 40 सिखों ने मुकाबला किया था। जब सिखों का गोला बारूद खत्म हो गया तो गुरू गोबिन्द सिंह जी ने पांच पांच सिखों का जत्था बनाकर उन्हें मैदाने जंग में भेजा। सिख सैनिक बहुत कम संख्या में थे , फिर भी उन्होंने मुगलों से डटकर मुकाबला किया और मुगल – सेना के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इस लड़ाई में गुरू जी से इजाजत लेकर बड़े साहिबजादे भी शामिल हो गए। लड़ते लड़ते वो सिरसा नदी पार कर गए और वीरता के साथ लडते हुए 18 वर्षीय अजीतसिंह और 15 वर्षीय जुझारसिंह वीरगति को प्राप्त हो गए।


🚩आनंदपुर छोडते समय ही गुरु गोबिंदसिंह जी का परिवार बिखर गया था। गुरुजी के दोनों छोटे पुत्र जोरावरसिंह तथा फतेहसिंह अपनी दादी माता गुजरी के साथ आनंदपुर छोडकर आगे बढे। जंगलों, पहाडों को पार करते हुए वे एक नगर में पहुंचे, जहाँ कम्मो नामक पानी ढोने वाले एक गरीब मजदूर ने गुरुपुत्रों व माता गुजरी की प्रेमपूर्वक सेवा की। इन सभी के साथ में गंगू नामक एक ब्राम्हण, जो कि गुरु गोबिंदसिंह के पास 22 वर्षों से रसोइए का काम कर रहा था, वो भी आया हुआ था। उसने रात में माता जी की सोने की मोहरों वाली गठरी चोरी कर ली। सुबह जब माता जी ने गठरी के बारे में पूछा तो वो न सिर्फ आग बबूला ही हुआ बल्कि उसने धन के लालच में गुरुमाता व बालकों से विश्वासघात किया और एक कमरे में बाहर से दरवाजा बंद कर उन्हें कैद कर लिया तथा मुगल सैनिकों को इसकी सूचना दे दी। मुगलों ने तुरंत आकर गुरुमाता तथा गुरु पुत्रों को पकड़ कर कारावास में डाल दिया। कारावास में रात भर माता गुजरी बालकों को सिख गुरुओं के त्याग तथा बलिदान की कथाएं सुनाती रहीं। दोनों बालकों ने दादी को आश्वासन दिया कि वे अपने पिता के नाम को ऊँचा करेंगे और किसी भी कीमत पर अपना धर्म नहीं छोडेंगे।


🚩बच्चों को बोला तुम अपना धर्म त्यागकर इस्लाम कबूलकर लो।” दोनों बालक एक साथ बोल उठे – ‘ हमें अपना धर्म प्राणों से भी प्यारा है। हम , उसे अंतिम सांस तक नहीं छोड़ सकते।’ दोंनो बच्चों को जिंदा दीवार में चुन लिया, दोनों बच्चों ने अपने देश-धर्म के लिए वीरगति प्राप्त की।


🚩गुरु साहब ने सिर्फ एक सप्ताह के भीतर यानी 22 दिसम्बर से 27 दिसम्बर के बीच अपने 4 बेटे देश-धर्म की खातिर वीरगति प्राप्त हुए थे।


🚩20 दिसम्बर को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला छोड़ा।


🚩21 व 22 दिसंबर को गुरु साहिब अपने दोनों बड़े पुत्रों सहित चमकौर के मैदान में पहुंचे और गुरु साहिब की माता और छोटे दोनों साहिबजादों को गंगू नामक ब्राह्मण जो कभी गुरु घर का रसोइया था उन्हें अपने साथ अपने घर ले आया।


🚩चमकौर की जंग शुरू हुई और दुश्मनों से जूझते हुए गुरु साहिब के बड़े साहिबजादे श्री अजीत सिंह और छोटे साहिबजादे श्री जुझार सिंह अन्य साथियों सहित देश-धर्म की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए।


🚩23 दिसंबर को गुरु साहिब की माता श्री गुजर कौर जी और दोनों छोटे साहिबजादे गंगू ब्राह्मण के द्वारा गहने एवं अन्य सामान चोरी करने के उपरांत तीनों को मुखबरी कर मोरिंडा के चौधरी गनी खान और मनी खान के हाथों गिरफ्तार करवा दिया गया और गुरु साहिब को अन्य साथियों की बात मानते हुए चमकौर छोड़ना पड़ा।


🚩24 दिसंबर को तीनों को सरहिंद पहुंचाया गया और वहां ठंडे बुर्ज में नजरबंद किया गया।


🚩25 और 26 दिसंबर को छोटे साहिबजादों को नवाब वजीर खान की अदालत में पेश किया गया और उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच दिया गया।


🚩27 दिसंबर को साहिबजादा जोरावर सिंह उम्र महज 8 वर्ष और साहिबजादा फतेह सिंह उम्र महज 6 वर्ष को तमाम जुल्म उपरांत जिंदा दीवार में चिनने उपरांत जिबह (गला रेत) कर शहीद किया गया और खबर सुनते ही माता गुजर कौर ने अपने साँस त्याग दिए।


🚩अब निर्णय आप करो कि भारतवासीयों का धर्मांतरण कराने वाले ईसाई मिशनरियों का त्यौहार क्रिसमस मनाना चाहिए कि हमारे गुरु गोविंद सिंह के परिवार के शहिद दिवस मनाना चाहिए जो देश व धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण भी दे दिया, आप देश व धर्म की रक्षा के लिए प्राण नहीं दे सकते हैं तो कम से कम धर्मांतरण का धंधा करने वालों का त्यौहार मनाना और बच्चों को उनके वस्त्र और टोपी पहनाना तो छोड़ ही सकते हैं।


🚩धर्मांतरण करवाने वाले ईसाईयों का क्रिसमस मनाने की जगह बलिदान दिवस और तुलसी पूजन दिवस मनाना चाहिए जिससे भारतीय संस्कृति की गरिमा बनी रहेगी, स्वास्थ्य बढ़ेगा, वातावरण शुद्ध होगा।


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Monday, December 25, 2023

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आशाराम बापू के बारे में क्या कहा था ?

26 December 2023

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🚩देश-विदेश के आम जनता के साथ साथ कई बड़ी बड़ी हस्तियां भी आशाराम बापू के प्रवचन में जाति थी, आशाराम बापू के प्रवचनों में इतनी भीड़ होने का कारण यह था की उनके हृदय में मानवमात्र के लिये करूणा, दया व प्रेम भरा रहता है । जब भी कोई दिन-हीन उनको अपने दुःख-दर्द की करूणा-गाथा सुनाता है, वे तत्क्षण ही उसका समाधान बता देते हैं ।

भारतीय संस्कृति के उच्चादर्शों का स्थायित्व समाज में सदैव बन ही रहे, इस हेतु बापू सतत क्रियाशील बने रहते हैं । भारत के प्रांत-प्रांत और गाँव-गाँव में भारतीय संस्कृति का अनमोल खजाना बाँटने के लिये वे सदैव घूमा ही करते हैं । समाज के दिशाहीन युवाओं को, पथभृष्ट विद्यार्थियों को एवं लक्ष्यविहीन मानव समुदाय को सन्मार्ग पर प्रेरित करने के लिए अनेक कष्टों व विध्नों का सामना करते हुए भी बापू आशारामजी सतत प्रयत्नशील रहते हैं । वे चाहते है कि कैसे भी करके, मेरे देश के लोग सत्यमार्ग का अनुसरण करते हुए अपनी सुषुप्त शक्तियों को जागृत कर महानता के सर्वोत्कृष्ट शिखर पर आसीन हो जाय और भारत फिर से विश्व गुरु पद पर आसीन हो जाए।


🚩आपको बता दे की तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने  संत आशाराम बापू के प्रवचन में जाकर बताया था कि "पूज्य बापूजी के भक्तिरस में डूबे हुए श्रोता भाई-बहनों! मैं यहाँ पर पूज्य बापूजी का अभिनंदन करने आया हूँ.... उनका आशीर्वचन सुनने आया हूँ.... भाषण देने य बकबक करने नहीं आया हूँ। बकबक तो हम करते रहते हैं। बापू जी का जैसा प्रवचन है, कथा-अमृत है, उस तक पहुँचने के लिए बड़ा परिश्रम करना पड़ता है। मैंने पहले उनके दर्शन पानीपत में किये थे। वहाँ पर रात को पानीपत में पुण्य प्रवचन समाप्त होते ही बापूजी कुटीर में जा रहे थे.. तब उन्होंने मुझे बुलाया। मैं भी उनके दर्शन और आशीर्वाद के लिए लालायित था। संत-महात्माओँ के दर्शन तभी होते हैं, उनका सान्निध्य तभी मिलता है जब कोई पुण्य जागृत होता है।


🚩इस जन्म में मैंने कोई पुण्य किया हो इसका मेरे पास कोई हिसाब तो नहीं है किंतु जरुर यह पूर्व जन्म के पुण्यों का फल है जो बापू जी के दर्शन हुए। उस दिन बापूजी ने जो कहा, वह अभी तक मेरे हृदय-पटल पर अंकित हैं। देशभर की परिक्रमा करते हुए जन-जन के मन में अच्छे संस्कार जगाना, यह एक ऐसा परम राष्ट्रीय कर्तव्य है, जिसने हमारे देश को आज तक जीवित रखा है और इसके बल पर हम उज्जवल भविष्य का सपना देख रहे हैं... उस सपने को साकार करने की शक्ति-भक्ति एकत्र कर रहे हैं।


🚩पूज्य बापूजी सारे देश में भ्रमण करके जागरण का शंखनाद कर रहे हैं, सर्वधर्म-समभाव की शिक्षा दे रहे हैं, संस्कार दे रहे हैं तथा अच्छे और बुरे में भेद करना सिखा रहे हैं।


🚩हमारी जो प्राचीन धरोहर थी और हम जिसे लगभग भूलने का पाप कर बैठे थे, बापू जी हमारी आँखों में ज्ञान का अंजन लगाकर उसको फिर से हमारे सामने रख रहे हैं। बापूजी ने कहा कि ईश्वर की कृपा से कण-कण में व्याप्त एक महान शक्ति के प्रभाव से जो कुछ घटित होता है, उसकी छानबीन और उस पर अनुसंधान करना चाहिए।


🚩पूज्य बापूजी ने कहा कि जीवन के व्यापार में से थोड़ा समय निकाल कर सत्संग में आना चाहिए। पूज्य बापूजी उज्जैन में थे तब मेरी जाने की बहुत इच्छा थी लेकिन कहते हैं न, कि दाने-दाने पर खाने वाले की मोहर होती है, वैसे ही संत-दर्शन के लिए भी कोई मुहूर्त होता है। आज यह मुहूर्त आ गया है। यह मेरा क्षेत्र है। पूज्य बापू जी ने चुनाव जीतने का तरीका भी बता दिया है।


🚩आज देश की दशा ठीक नहीं है। बापू जी का प्रवचन सुनकर बड़ा बल मिला है। हाल में हुए लोकसभा अधिवेशन के कारण थोड़ी-बहुत निराशा हुई थी किन्तु रात को लखनऊ में पुण्य प्रवचन सुनते ही वह निराशा भी आज दूर हो गयी। बापू जी ने मानव जीवन के चरम लक्ष्य मुक्ति-शक्ति की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ चतुष्टय, भक्ति के लिए समर्पण की भावना तथा ज्ञान, भक्ति और कर्म तीनों का उल्लेख किया है। भक्ति में अहंकार का कोई स्थान नहीं है। ज्ञान अभिमान पैदा करता है। भक्ति में पूर्ण समर्पण होता है। 13 दिन के शासनकाल के बाद मैंने कहाः "मेरा जो कुछ है, तेरा है।" यह तो बापू जी की कृपा है कि श्रोता को वक्ता बना दिया और वक्ता को नीचे से ऊपर चढ़ा दिया। जहाँ तक ऊपर चढ़ाया है वहाँ तक ऊपर बना रहूँ इसकी चिंता भी बापू जी को करनी पड़ेगी।


🚩राजनीति की राह बड़ी रपटीली है। जब नेता गिरता है तो यह नहीं कहता कि मैं गिर गया बल्कि कहता हैः "हर हर गंगे।" बापू जी का प्रवचन सुनकर बड़ा आनंद आया। मैं लोकसभा का सदस्य होने के नाते अपनी ओर से एवं लखनऊ की जनता की ओर से बापू जी के चरणों में विनम्र होकर नमन करना चाहता हूँ।


🚩उनका आशीर्वाद हमें मिलता रहे, उनके आशीर्वाद से प्रेरणा पाकर बल प्राप्त करके हम कर्तव्य के पथ पर निरन्तर चलते हुए परम वैभव को प्राप्त करें, यही प्रभु से प्रार्थना है।"


🚩आपको बता दे की बापू आशारामजी ने परिवार में सुख-शांति व परस्पर सद्भाव से जीना सिखाया, पारिवारिक झगड़ों से मुक्ति दिलायी, महिलाओं के मार्गदर्शन व सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में ‘महिला उत्थान मंडलों’ की स्थापना की तथा नारी उत्थान हेतु कई अभियान चलाये। बापू आसारामजी ने बाल व युवा पीढ़ी में नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के सिंचन हेतु हजारों बाल संस्कार केन्द्रों, युवा सेवा संघों व गुरुकुलों की स्थापना की, आज की युवापीढ़ी को माता पिता का सम्मान सिखाकर वैलेंटाइन के बदले में मातृ-पितृ पूजन दिवस मानना सिखाया । 25 दिसम्बर को संस्कृति की रक्षा के लिए तुलसी पूजन दिवस अभियान एक नई पहल की। केमिकल रंगों से बचा कर प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की पहल की, जिससे पानी व स्वास्थ्य की रक्षा हो। व्यसन मुक्ति के अभियान चलाकर करोड़ों लोगों को व्यसन मुक्त कराया। बच्चों, युवाओं व महिलाओं में अच्छे संस्कार के लिए ढेरों अभियान चलाये जाते हैं । World's Religions Parliament, शिकागो अमेरिका में 1993 में स्वामी विवेकानन्दजी के बाद यदि कोई दूसरे संत ने प्रतिनिधित्व किया है तो वे बापू आसारामजी, जिन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर सनातन संस्कृति का परचम लहराया। इन सेवाकार्यों से देश-विदेश के करोड़ों लोग किसी भी तरह के धर्म- जाति -मत - पंथ -सम्प्रदाय-राज्य व लिंग के हो भेदभाव के बिना लाभान्वित हो रहे हैं ।

यहां तक कि कांग्रेस की सरकार में कोई हिंदुत्व की बात नही कर रहा था उस समय खुल्लेआम लाखों आदिवासियों की घर वापसी करवाई थी, करोड़ों लोगों में सनातन हिंदू धर्म के प्रति आस्था जगाई थी, स्वदेशी प्रोडक्ट खरीदने की गुहार लगाई थी, करोड़ों लोगों के व्यसन मुक्त किए थे इन सभी के कारण उनपर झूठा आरोप लगाकर जेल भिजवाया गया।


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Sunday, December 24, 2023

दिसम्बर की 25 तारीख आपके लिए खास क्यों हैं ?




क्रिसमस नही❌


 ‘तुलसी पूजन दिवस' मनाए✅


25 December 2023

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🚩भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है, विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में आकर भारतीय दिव्य संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति को थोपना चाहा, लेकिन भारत में आज भी कई हिन्दू साधु-संत एवं हिन्दूनिष्ठ हैं जो भारत में राष्ट्र विरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी समाज उत्थान के लिये भारतीय संस्कृति को बचाने का दिव्य कार्य कर रहे हैं । 


🚩ईसाई धर्म का त्यौहार 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में मनाया जाता है, जिसमें Festival के नाम पर शराब और कबाब का जश्न मनाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना, पशुओं की हत्या करके उसका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना यह सब किया जाता हैं जो कि भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध है । ऐसा करना ऋषि-मुनियों की संतानों को शोभा नहीं देता है।


🚩क्रिसमस दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से इन दिनों में तुलसी पूजन पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होगा।


🚩धनुर्मास में सभी सकाम कर्म वर्जित होते हैं परंतु भगवत्प्रीत्यर्थ कर्म विशेष फलदायी व प्रसन्नता देने वाले होते हैं। 25 दिसम्बर धनुर्मास के बीच का समय होता है।


🚩विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा


🚩मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।


🚩तुलसी पूजन विधि


🚩25 दिसम्बर को स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें। उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढ़ायें-

महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्धिनि।

आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसि त्वां नमोऽस्तुते।।


🚩फिर ‘तुलस्यै नमः’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा कुछ प्रसाद चढ़ायें। दीपक जलाकर आरती करें और तुलसीजी की 7, 11, 21, 51 या 111 परिक्रमा करें। उस शुद्ध वातावरण में शांत होके भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें। तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है।तुलसी पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें।


🚩तुलसी के समीप भजन, कीर्तन कर सकते हैं। तुलसी नामाष्टक का पाठ भी पुण्यकारक है। तुलसी पूजन अपने नजदीकी आश्रम, तुलसी वन में अथवा यथानुकूल किसी भी पवित्र स्थान पर कर सकते हैं।

https://youtu.be/aTT-MIBPhoE


🚩आपको बता दे की संत आशारामजी बापू ने 25 दिसम्बर 2014 को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना प्रारम्भ करवाया । वर्तमान में इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।


🚩पिछले साल भी उनके करोड़ों लोगों द्वारा 25 दिसंबर को देश-विदेश में बड़ी धूम-धाम से तुलसी पूजन मनाया गया था । जिसमें कई हिन्दू संगठनों और आम जनता ने भी लाभ उठाया था ।


🚩ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक महीने से देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर “तुलसी पूजन दिवस” निमित्त घर-घर तुलसी पूजन व वितरण किया जा रहा है ।


🚩हिन्दू संत आशारामजी बापू का कहना है कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।


🚩बापू आशारामजी का कहना है कि तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है । तुलसी को माता कहा गया है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं ।


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क्रिसमिस पर मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग ने जो किया , जनता बोली पूरे देश में लागू हो

24 December 2023

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🚩मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में 25 दिसंबर को आने वाले क्रिसमस त्यौहार से पहले एक नया फरमान पेश कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है कि ईसाई पर्व के अवसर पर छात्रों को सांता क्लॉज बनाने से पहले प्राइवेट स्कूलों को अभिभावकों से लिखित मंजूरी लेनी होगी।


🚩खबरों का कहना है कि क्रिसमस के खास अवसर पर स्कूलों में होने वाले कार्यक्रमों में स्टूडेंट्स हिस्सा लेने के लिए सांता क्लॉज का रूप धारण कर लेते हैं। लेकिन शाजापुर जिला शिक्षा विभाग ने एक पत्र जारी कर सभी अशासकीय संस्थाओं को निर्देशित कर दिया है कि आगामी समय में प्राइवेट स्कूलों को क्रिसमस त्यौहार पर, छात्रों को सांता क्लॉज की वेशभूषा में ढालने से उनके माता-पिता से लिखित में मंजूरी लेना होगी।


🚩बता दें कि जिला शिक्षा अधिकारी विवेक दुबे के नाम से जारी आदेश में बोला गया है कि यदि कोई स्कूल प्रबंधन बिना माता-पिता की अनुमति के किसी भी बच्चे को सांता क्लॉज की वेशभूषा में कार्यक्रम में हिस्सा दिलाता है, तो संबंधित स्कूल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। शिक्षा विभाग का यह पत्र जिले के सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए जारी किया गया है। इस संबंध में शिक्षा विभाग का बोलना है कि आयोजन में त्यौहार विशेष की वेशभूषा पहनाकर बच्चों को जबरदस्ती बनाया जाता है, जिससे अप्रिय स्थिति का माहौल भी बनता है। इसी के चलते यह आदेश जारी किया गया है।


🚩कुछ नासमझ भारतीय अपने बच्चों को विवेकानंदजी, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, चन्द्र शेखर आज़ाद के वस्त्र नही पहनाते लेकिन क्रिसमस पर ‘सांता क्लॉज’ के वस्त्र पहनाकर उसे जोकर बना देते है। ऐसा करके हम अपनी सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं साथ-साथ अपने बच्चे को मानसिक गुलाम भी बना रहे हैं।


🚩भारत को गुलाम बनाने के लिए अंग्रेज ईसाई पर्व लेकर आए थे लेकिन भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का क्रिसमस मनाते हैं ये सब भारतीय संस्कृति को खत्म करके ईसाईकरण करने के लिए भारत में क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये भारतवासी सावधान रहें ।


🚩बता दे की क्रिसमस पर लोग जमकर शराब पीते है, नशीले प्रदार्थ का सेवन करते है, पार्टियां करते है इन दिनों में विदेशी कम्पनियों को अरबो रूपये का मुनाफा होता है। आप भी अपनी संपत्ति, स्वास्थ्य और संस्कृति को बचाना चाहते है तो ऐसे क्रिसमस जैसे त्यौहार का बहिष्कार कर सकते है।


🚩आप अपने बच्चों को धर्मप्रेमी व देशभक्तों के वस्त्र पहनाएं और उसदिन प्लाटिक के पेड़ नही लगाए, क्योंकि वह बीमारियां फैलता है,इसलिए उस दिन 24 घण्टे ऑक्सीजन देनेवाली तुलसी माता का पुजन करें।


🚩आपको बता दे कि वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य एवं शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू संत आसाराम बापू ने 25 दिसम्बर “तुलसी पूजन दिवस” के रूप में मनाना शुरू करवाया था,जो आज विश्वव्यापी हो गया है।


🚩तुलसी माता के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल एवं आरोग्य बल बढ़ता है, मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है ।


🚩आप भी 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।


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Friday, December 22, 2023

25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाने से फायदे ही फायदे

23 December 2023

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🚩तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान है, अत्यंत उपयोगी औषधि है, मात्र इतना ही नहीं, यह तो मानव जीवन के लिए अमृत है ! यह केवल शरीर स्वास्थ्य की दृष्टि से ही नहीं, अपितु धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यावरणीय एवं वैज्ञानिक आदि विभिन्न दृष्टियों से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।


🚩तुलसी पूजन दिवस 25 दिसम्बर को क्यों मनायें ?


🚩इन दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से इन दिनों में यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होगा।


🚩कवि ने क्या बताया?


🚩प्लास्टिक के पेड़ के नीचे मोमबत्ती जलाना, ये कैसी आधुनिकता है।

सांता क्लॉज आएंगे उपहार देने, ये कैसी मानसिकता है।।


🚩25 दिसम्बर को यीशु मसीह जन्में, ये भी कहीं नहीं लिखा।

बाईबल के पन्ने भी पलटे, पर उसमें भी नहीं दिखा।।


🚩फिर क्यों व्यर्थ में क्रिसमस के प्रचलन को बढ़ावा दिया गया।

यीशु, सांता क्लॉज का नाम जोड़कर, क्यों दिखावा किया गया।।


🚩प्लास्टिक से बना पेड़, भयंकर बीमारियों को आमंत्रण है।

मोमबत्ती जलने से निकली कार्बन डाइऑक्साइड, फैलाती प्रदूषण है।


🚩क्रिसमस मनाने से आजतक बस, युवावर्ग का ह्रास हुआ।

नशे की तरफ आकर्षित हुए, नैतिकता का सर्वनाश हुआ।।


🚩इसे देख आशारामजी बापू ने ठाना, समाज को बचाना है।

युवावर्ग है देश की नींव, उनको सही मार्ग दिखाना है।।


🚩25 दिसम्बर को करें तुलसी पूजन, यह सुंदर शुरुआत की।

स्वच्छ हो पर्यावरण, संस्कारी हो समाज, सबके भले की बात की।।


🚩तुलसी माता है हरि की प्रिय, तुलसी असाध्य रोग हर लेती है।

वातावरण से प्रदूषक है सोखती, 24 घण्टे ऑक्सिजन देती है।।


🚩जाग मानव! आडम्बर और दिखावे वाली आधुनिकता में मत फंस।

आशाराम बापूजी की सत्प्रेरणा से, 25 दिसम्बर को मनाओ तुलसी पूजन दिवस।। – कवि सुरेन्द्र भाई


🚩क्रिसमिस के दिन शराब आदि नशीले पदार्थ का जमकर सेवन करते है, अश्लीलता भरे गाने गाये जाते हैं, पार्टी करते हैं, महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं जिसके कारण वातावरण अशुद्ध होता है, स्वास्थ्य खराब होता है, पैसे और समय की बर्बादी होती है और आत्महत्याएं बढ़ती है इन सबको रोकने के लिए क्रिसमिस की जगह तुलसी पूजन दिसव मनाना अत्यंत आवश्यक है।


 🚩फ्रेच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है- “तुलसी एक अदभुत औषधि (Wonder Drug) है।


🚩इजरायल में धार्मिक, सामाजिक, वैवाहिक और अन्य मांगलिक अवसरों पर तुलसी द्वारा पूजन कार्य सम्पन्न होते रहे हैं, यहाँ तक कि अंत्येष्टि क्रिया में भी।


🚩विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा


🚩मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।


🚩पद्म पुराण के अनुसार


या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी।

रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी।।

प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता।

न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।।


🚩जो दर्शन करने पर सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है। (पद्म पुराणः उ.खं. 56.22)


🚩तुलसी माता की अनंत महिमा जानकर आप भी अपने घर आंगन में तुलसी के पौधे जरूर लगाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें और हाँ एक बात ध्यान रखें 25 दिसंबर को क्रिसमस नहीं तुलसी पूजन दिवस मनाएं।


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Thursday, December 21, 2023

केवल श्रीमद्भगवद्गीता की ही जयंती क्यों मनाई जाती हैं ?

22 December 2023

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🚩गीता में ऐसा उत्तम और सर्वव्यापी ज्ञान है कि उसकी रचना हुए हजारों वर्ष बीत गए हैं किन्तु उसके बाद उसके समान किसी भी ग्रंथ की रचना नहीं हुई है। 18 अध्याय एवं 700 श्लोकों में रचित तथा भक्ति, ज्ञान, योग एवं निष्कामता आदि से भरपूर यह गीता ग्रन्थ विश्व में एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसकी जयंती मनायी जाती है।

इस साल श्रीमद्भगवद्गीता जयंती 22 दिसंबर 2023 को है।


🚩श्रीमद्भगवद्गीता ने किसी मत, पंथ की सराहना या निंदा नहीं की, अपितु मनुष्यमात्र की उन्नति की बात कही है। गीता जीवन का दृष्टिकोण उन्नत बनाने की कला सिखाती है और युद्ध जैसे घोर कर्मों में भी निर्लेप रहने की कला सिखाती है। मरने के बाद नहीं, जीते-जी मुक्ति का स्वाद दिलाती है गीता!


🚩‘गीता’ में 18 अध्याय हैं, 700 श्लोक हैं, 94569 शब्द हैं। विश्व की 578 से भी अधिक भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है।


🚩’यह मेरा हृदय है’- ऐसा अगर किसी ग्रंथ के लिए भगवान ने कहा है तो वह गीताजी हैं। ‘गीता मे हृदयं पार्थ।- गीता मेरा हृदय है।’


🚩गीता ने गजब कर दिया- धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे… युद्ध के मैदान को भी धर्मक्षेत्र बना दिया। युद्ध के मैदान में गीता ने योग प्रकटाया। हाथी चिंघाड़ रहे हैं, घोड़े हिनहिना रहे हैं, दोनों सेनाओं के योद्धा प्रतिशोध की आग में तप रहे हैं। किंकर्तव्यविमूढ़ता से उदास बैठे हुए अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ज्ञान का उपदेश दे रहे हैं।


🚩आजादी के समय स्वतंत्रता सेनानियों को जब फाँसी की सजा दी जाती थी, तब ‘गीता’ के ही श्लोक बोलते हुए वे हँसते-हँसते फाँसी पर लटक जाते थे।


🚩श्री वेदव्यास ने महाभारत में गीता का वर्णन करने के उपरान्त कहा हैः

गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः।

या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिःसृता।।


🚩‘गीता सुगीता करने योग्य है अर्थात् श्री गीता को भली प्रकार पढ़कर अर्थ और भाव सहित अंतःकरण में धारण कर लेना मुख्य कर्तव्य है, जो कि स्वयं श्री पद्मनाभ विष्णु भगवान के मुखारविन्द से निकली हुई है, फिर अन्य शास्त्रों के विस्तार से क्या प्रयोजन है?’


🚩विदेशों में श्री गीता जी का महत्व समझकर स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाने लगे हैं, भारत सरकार भी अगर बच्चों एवं देश का भविष्य उज्ज्वल बनाना चाहती है तो सभी स्कूलों, कॉलेजों में गीता अनिवार्य कर देना चाहिए।


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Wednesday, December 20, 2023

निहंग सिखों की घोषणा : ‘हम सनातन के अंग, श्रीराम की आने की खुशी में लगाएँगे लंगर’

21 December 2023

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🚩जनवरी 2024 में अयोध्या में सिख समाज भगवान श्रीराम जी के मंदिर महोत्सव में 2 महीने तक लंगर लगाएगा। इसकी अगुवाई बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर करेंगे। बाबा रसूलपुर बाबा फकीर सिंह खालसा की आठवीं पीढ़ी के हैं। बाबा फकीर सिंह खालसा की अगुवाई में निहंग सिखों ने सबसे पहले अयोध्या में बाबरी ढाँचे पर कब्जा किया था। बाबा ने कहा कि सिख समाज भी सनातन का हिस्सा है और उनके पूर्वजों ने इसकी रक्षा के लिए कुर्बानी दी है।


🚩इस दौरान बाबा हरजीत सिंह ने खालिस्तानियों और हिंदू-सिख के बीच दरार पैदा करने वालों को भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “हम पूरी दुनिया को बताना चाहते हैं कि सिख और सनातन एक हैं। जो हमारा देश है, वह अलग नहीं है। जो हमें तोड़ने की बातें कर रहे हैं, उन्हें इसके माध्यम से एक अच्छा मैसेज देना चाह रहे हैं।” उन्होंने आगे, “इस राम मंदिर को मुस्लिमों से जिन्होंने सबसे पहले कब्जा लिया था, वे हमारे पूर्वज थे।”


🚩“हम भी सनातन का हिस्सा”


🚩अयोध्या में लंगर लगाने का निर्णय लेने वाले निहंग सिखों की अगुवाई करने वाले बाबा रसूलपुर ने कहा कि वह अयोध्या में लंगर लगाकर भगवान राम के प्रति अपने पूर्वजों की भक्ति को आगे बढ़ाएँगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाबा ने कहा, “अब जब 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है तो मैं कैसे पीछे रह सकता हूँ।” उन्होंने कहा कि वह निहंगों के साथ जनवरी 2024 में 2 महीने तक अयोध्या में लंगर चलाएँगे।


🚩मीडिया से बातचीत की शुरुआत बाबा हरजीत सिंह ने ‘वाहे गुरु जी की खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह’ और ‘जय श्रीराम’ के साथ की। उन्होंने कहा, “मैं समाज को गुरु तेग बहादुर सिंह की कुर्बानी को याद दिलाना चाहता हूँ। उन्होंने आज के दिन सनातन को बचाने के लिए बलिदान दिया था। उन्होंने चाँदनी चौक पर सनातन को बचाने के लिए शहादत दी।”


🚩बाबा ने आगे कहा, “मैं पूरी दुनिया को बताना चाहता हूँ कि हम भी सनातन का हिस्सा हैं। यही हमारा धर्म है। हम ही वो हैं, जिन्होंने सनातन को बचाया। अयोध्या में श्री रामलला जी 22 जनवरी को पधार रहे हैं। हम सिख और हिंदू भाई इस खुशी को मिलकर मनाएँगे।”


🚩बाबा रसूलपुर ने कहा, “हमारे बुजुर्ग थे जत्थेदार बाबा फकीर सिंह जी खालसा निहंग सिंह रसूलपुर। मैं उनकी विरासत में आठवीं पीढ़ी से हूँ। हम इसकी खुशी में अयोध्या में लंगर लगाने जा रहे हैं। मैं सबको यही बताने की कोशिश कर रहा हूँ कि हम सब साथ हैं।”


🚩बाबा हरजीत सिंह ने कहा, “मेरा किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है और मैं केवल सनातन परंपराओं का वाहक हूँ। निहंगों और सनातन धर्म के बीच सद्भाव बनाए रखने के दौरान मुझे आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि एक तरफ मैं अमृतधारी सिख हूँ लेकिन दूसरी तरफ मैं अपने गले में रुद्राक्ष की माला पहनता हूँ”।


🚩30 नवंबर 1858 को निहंगों ने किया था बाबरी पर कब्जा


🚩अयोध्या में राम मंदिर से जुड़े इतिहास के पन्नों में 30 नवंबर 1858 का दिन बेहद खास है। इसी दिन बाबा फकीर सिंह खालसा की अगुवाई में 25 सिख निहंगों ने बाबरी ढाँचे पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कई दिनों तक बाबरी पर कब्जा बनाए रखा था और राम नाम का पाठ किया था। उन्होंने बाबरी ढाँचे पर राम नाम भी लिख दिया।


🚩बाबरी पर गैर-मुस्लिमों के कब्जे का पहला प्रमाण यही है। इसको लेकर अवध के थानेदार शीतल दुबे ने बाबरी के अधिकारी की शिकायत पर 25 निहंग सिखों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अवध के थानेदार की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है।


🚩राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी के पेज नंबर 164 पर इस एफआईआर का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि दो दर्जन निहंग सिखों ने बाबा फकीर सिंह खालसा के नेतृत्व में 30 नवंबर 1858 को बाबरी ढाँचे पर कब्जा कर लिया था और हवन यज्ञ करने के साथ ही दीवारों पर राम नाम लिखा था।


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Tuesday, December 19, 2023

जय भीम जय मीम का नारा लगाने वाले, संत रविदास जी को भी समझ लीजिए

20 December 2023

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🚩आज जय भीम, जय मीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग कर रहे हैं। यह मानसिक गुलामी का लक्षण है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में बहकाना भी इसी कड़ी का भाग हैं। आजकल सन्त रविदास जी के अनेक चित्र अंबेडकरवादी संस्थानो मे मिलते हैं। उनपर सन्त रविदास के साथ बोधिसत्व लिखा होता है। अनेक चित्रों मे उन्हे महात्मा बुद्ध के साथ दिखाया गया है। एक स्थान पर दीवार पर महात्मा बुद्ध, और अंबेडकर के मध्य मे सन्त रविदास का चित्र बना कर नीचे लिखा था। 

जिस किताब मे उंच नीच का भेद है,

 उसका नाम वेद है।

जिस किताब मे सब समान हैं,

उसका नाम संविधान है। 


🚩यह एक साजिश है सनातन धर्म के स्तम्भ सन्त रविदास और कबीरदास जैसे महात्माओं को सेक्युलरिज़्म का बुर्का पहनाने की। 


🚩दलित समाज में संत रविदास जी का नाम प्रमुख समाज सुधारकों के रूप में स्मरण किया जाता हैं। आप जाटव या चमार कुल से सम्बंधित माने जाते थे। चमार शब्द चंवर का अपभ्रंश है। 


🚩चर्ममारी राजवंश का उल्लेख महाभारत जैसे प्राचीन भारतीय वांग्मय में मिलता है। प्रसिद्ध विद्वान डॉ विजय सोनकर शास्त्राी ने इस विषय पर गहन शोध कर चर्ममारी राजवंश के इतिहास पर पुस्तक लिखा है। इसी तरह चमार शब्द से मिलते-जुलते शब्द चंवर वंश के क्षत्रियों के बारे में कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक ‘राजस्थान का इतिहास’ में लिखा है। चंवर राजवंश का शासन पश्चिमी भारत पर रहा है। इसकी शाखाएं मेवाड़ के प्रतापी सम्राट महाराज बाप्पा रावल के वंश से मिलती हैं। संत रविदास जी महाराज लम्बे समय तक चित्तौड़ के दुर्ग में महाराणा सांगा के गुरू के रूप में रहे हैं। संत रविदास जी महाराज के महान, प्रभावी व्यक्तित्व के कारण बड़ी संख्या में लोग इनके शिष्य बने। आज भी इस क्षेत्रा में बड़ी संख्या में रविदासी पाये जाते हैं। 


🚩उस काल का मुस्लिम सुल्तान सिकंदर लोधी अन्य किसी भी सामान्य मुस्लिम शासक की तरह भारत के हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की उधेड़बुन में लगा रहता था। इन सभी आक्रमणकारियों की दृष्टि ग़ाज़ी उपाधि पर रहती थी। सुल्तान सिकंदर लोधी ने संत रविदास जी महाराज मुसलमान बनाने की जुगत में अपने मुल्लाओं को लगाया। जनश्रुति है कि वो मुल्ला संत रविदास जी महाराज से प्रभावित हो कर स्वयं उनके शिष्य बन गए और एक तो रामदास नाम रख कर हिन्दू हो गया। सिकंदर लोदी अपने षड्यंत्रा की यह दुर्गति होने पर चिढ़ गया और उसने संत रविदास जी को बंदी बना लिया और उनके अनुयायियों को हिन्दुओं में सदैव से निषिद्ध खाल उतारने, चमड़ा कमाने, जूते बनाने के काम में लगाया। इसी दुष्ट ने चंवर वंश के क्षत्रियों को अपमानित करने के लिये नाम बिगाड़ कर चमार सम्बोधित किया। चमार शब्द का पहला प्रयोग यहीं से शुरू हुआ। संत रविदास जी महाराज की ये पंक्तियाँ सिकंदर लोधी के अत्याचार का वर्णन करती हैं।


🚩वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान

फिर मैं क्यों छोड़ू, इसे पढ़ लू, झूठ क़ुरान

वेद धर्म छोड़ूँ नहीं कोसिस करो हजार

तिल-तिल काटो चाही गोदो अंग कटार

चंवर वंश के क्षत्रिय संत रविदास जी के बंदी बनाने का समाचार मिलने पर दिल्ली पर चढ़ दौड़े और दिल्लीं की नाकाबंदी कर ली। विवश हो कर सुल्तान सिकंदर लोदी को संत रविदास जी को छोड़ना पड़ा । इस झपट का ज़िक्र इतिहास की पुस्तकों में नहीं है मगर संत रविदास जी के ग्रन्थ रविदास रामायण की यह पंक्तियाँ सत्य उद्घाटित करती हैं।

बादशाह ने वचन उचारा । मत प्यारा इसलाम हमारा ।।

खंडन करै उसे रविदासा । उसे करौ प्राण कौ नाशा ।।

जब तक राम नाम रट लावे । दाना पानी यह नहीं पावे ।।

जब इसलाम धर्म स्वीरकारे । मुख से कलमा आप उचारै ।।

पढे नमाज जभी चितलाई । दाना पानी तब यह पाई ।।


🚩जैसे उस काल में इस्लामिक शासक हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहते थे, वैसे ही आज भी कर रहे हैं। उस काल में दलितों के प्रेरणास्रोत्र संत रविदास सरीखे महान चिंतक थे। जिन्हें अपने प्रान न्योछावर करना स्वीकार था मगर वेदों को त्याग कर क़ुरान पढ़ना स्वीकार नहीं था। 

मगर इसे ठीक विपरीत आज के दलित राजनेता अपने तुच्छ लाभ के  लिए अपने पूर्वजों की संस्कृति और तपस्या की अनदेखी कर रहे हैं।  

 दलित समाज के कुछ राजनेता जिनका काम ही समाज के छोटे-छोटे खंड बाँट कर अपनी दुकान चलाना है अपने हित के लिए हिन्दू समाज के टुकड़े-टुकड़े करने का प्रयास कर रहे हैं। 


🚩आईये डॉ अम्बेडकर की सुने जिन्होंने अनेक प्रलोभन के बाद भी इस्लाम और ईसाइयत को स्वीकार करना स्वीकार नहीं किया। 

(हर हिन्दू राष्ट्रवादी इस लेख को शेयर अवश्य करे जिससे हिन्दू समाज को तोड़ने वालों का षड़यंत्र विफल हो जाये) - डॉ विवेक आर्य


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Monday, December 18, 2023

हिंदुस्तानी होकर 1 जनवरी वाला नववर्ष मानकर कही आप तो ये गलती नही कर रहे हो ?

19 December 2023

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🚩देश में स्वराज्य की मांग जोर पकड़ रही थी। अंग्रेज भयभीत थे, इसलिए उन्होंने नया साल 1930 संयुक्त प्रांत की हर सामाजिक एवं धार्मिक संस्था से मनाने का आदेश जारी किया और साथ ही यह भी धमकी दी कि जो संस्था यह नया साल नहीं मनाएगी उसके सदस्यों को जेल भेज दिया जाएगा।


🚩आपको बता दें कि सृष्टि का जिस दिन निर्माण हुआ था, उस दिन ही चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा थी और सनातन हिंदू धर्म में इसी दिन को नूतन वर्ष मनाया जाता है, लेकिन 700 साल तुर्क-मुग़लों और 200 साल अंग्रेजों के गुलाम रहे, जिसके कारण हम अपना नूतन वर्ष भूल गए और अंग्रेजों के नूतन वर्ष मनाने लगे। अंग्रेज गये 76 साल से ऊपर हो गए,लेकिन उनकी शिक्षा की पढ़ाई करने के कारण मानसिक गुलामी अभी नहीं गई, जिसके कारण अपना नूतन वर्ष हमें याद भी नहीं आता है।


🚩जो भारतीय नूतन वर्ष भूल गए हैं और अंग्रेजों वाला नया वर्ष मना रहे हैं, उनके लिए कवि ने अपनी व्यथा प्रकट करते हुए एक कविता लिखी है, आप भी पढ़ लीजिये…



🚩ना सुंदर फूल खिलते हैं, ना वातावरण में महकते हैं।

प्रकृति भी निस्तेज सी लगती, ना ही पक्षी चहकते हैं।।

01 जनवरी नववर्ष से हमें क्या मतलब, क्यों मनायें हम हर्ष ?

हम हैं सनातन संस्कृति परंपरा से, हम क्यों मनाएं ईसाई नववर्ष ?


🚩सबसे पहले ईसाई नववर्ष जूलियस सीजर ने मनवाया।

अंग्रेज़ों ने भारत में आकर इस परंपरा को और चमकाया।।


🚩सनातन संस्कृति से ईसाई नववर्ष का, कोई सरोकार नहीं है।

क्यों हो पाश्चात्य संस्कृति के पीछे अंधे, ये हमारे संस्कार नहीं हैं।।


🚩क्यों हो व्यसनों की तरफ आकर्षित , क्यों पीएं शराब, बियर ?

क्यों करें अपना नैतिक पतन, क्यों बोलें हैप्पी न्यू ईयर ?


🚩ईसाई देशों में खूब बम पटाखे फोड़ेंगे, मीडिया वाले कुछ नहीं कहेंगे।

होली दीवाली में प्रदूषण देखने वाले, देखना इस पर मौन ही रहेंगे।।


🚩वास्तव में ये नववर्ष नहीं है, ये है सनातन संस्कृति पर प्रहार।

समय की मांग है- एकत्र हो, करो ईसाई नववर्ष का बहिष्कार।।


🚩चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिपदा को, चलो हम नववर्ष मनाएं।

रंगोली बनाएं, दीप जलाएं, घर घर भगवा पताका फहराएं।। – कवि सुरेन्द्र भाई


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Sunday, December 17, 2023

ईसाई संगठन का लाइसेंस रद्द, 10,000 करोड़ घोटाले में आया था नाम

18 December 2023

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🚩भारत जो कि एक धर्म परायण देश रहा है उसी देश में धर्म को, यहाँ की संस्कृति को नष्ट करने के लिए भारत देश में विदेश से अत्यधिक मात्रा में फंडिग आ रही है, जिसकी वजह से देश विरोधी और हिन्दू धर्म विरोधी गतिविधियां लगातार चल रही हैं।


🚩केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने देश के बड़े ईसाई संगठन ‘चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया’ (CNI) एनजीओ का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है। अब यह संगठन विदेशी चंदा नहीं ले सकेगा। यह ईसाई संगठन पिछले 50 सालों से भारत में ईसाइयत को फैलाने का काम कर रहा है।


🚩इस ईसाई संगठन को अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा समेत यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों से भी बड़ी मात्रा में चंदा मिलता है। अब इस ‘चर्च ऑफ नार्थ इंडिया’ का विदेशी चंदा लेने का लाइसेंस केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया है, यह खबर अंग्रेजी समाचार वेबसाइट ‘इकॉनोमिक टाइम्स‘ ने दी है। गृह मंत्रालय विदेशी चंदे के नियमों का उल्लंघन करने पर ये कार्रवाई करता है।


🚩‘चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया’ को वर्ष 1970 में 6 अलग-अलग संगठनों को मिलाकर बनाया गया था। इसके अंतर्गत चर्च ऑफ़ इंडिया, पाकिस्तान, बर्मा (म्यांमार), सीलोन (श्रीलंका) के तथा कुछ अन्य ईसाई संगठनों को मिलाकर बनाया गया था। यह उत्तर भारत में चर्च का नियन्त्रण करने वाली संस्था है।


🚩इस संस्था का दावा है कि 22 लाख लोग इसके सदस्य हैं। इसके अलावा यह भारत के 28 क्षेत्रों में अपने बिशप रखता है जो कि वहाँ के चर्च पर नियंत्रण रखते हैं। इसके अलावा ‘चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया’ का दावा है कि इसके पास 2200 से अधिक पादरी हैं और 4500 से अधिक चर्च इसके नियन्त्रण में हैं।


🚩‘चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया’ के अंतर्गत 564 स्कूल और कॉलेज तथा 60 नर्सिंग एवं मेडिकल कॉलेज चलते हैं। ऐसा इसकी वेबसाइट बताती है। देश में प्रसिद्ध लखनऊ का लॉ मार्टिनियर कॉलेज भी इसी के अंतर्गत है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे प्रदेशों में स्थित कई मिशनरी स्कूल भी इसके अंतर्गत आते हैं।


🚩CNI के कुछ पादरियों पर वर्ष 2019 में ₹10,000 करोड़ के जमीन घोटाले का आरोप लगा था। इस मामले में संगठन के कुछ पादरियों ने अपने ही साथियों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कागजों में गड़बड़ी करके सैकड़ों एकड़ जमीन बेच दी। बीते कुछ समय में ऐसे कई NGO के लाइसेंस रद्द किए गए हैं जो कि विदेशों से फंड लेकर यहाँ धर्मान्तरण कर रहे थे। यह NGO विदेशों से लिए गए पैसों का स्पष्ट हिसाब भी नहीं रख रहे थे। इनमें ऑक्सफैम, सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च और राजीव गाँधी फाउंडेशन जैसे कुछ NGO शामिल रहे हैं।


🚩राज्यसभा में दिसम्बर 2022 में दी गई एक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2018 से लेकर वर्ष 2022 के बीच में गृह मंत्रालय ने 6677 NGO के विदेशी चंदा लेने के लाइसेंस खत्म किए हैं। यह सभी विदेशी चंदा लेकर गड़बड़ी करने के दोषी पाए गए थे। 


🚩भारत में ईसाई मिशनरियां विदेशी फडिंग से भारत में धर्मान्तरण का धंधा जोरो शोरो से चला रही हैं, इसके कारण हिंदूओं की जनसंख्या घटती जा रही और मीडिया हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रही है, ये अत्यंत चिंताजनक स्थिति है, इस पर रोक लगाने के लिए विदेश की फंडिग बंद करना जरूरी है ।


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Saturday, December 16, 2023

संता क्‍लॉज कौन हैं ? 25 दिसंबर तुलसी पूजन से क्या फायदा होगा ?

17  December 2023

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🚩कुछ भारतीय अपने बच्चों को विवेकानंदजी, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, चन्द्र शेखर आज़ाद के वस्त्र नही पहनाते लेकिन क्रिसमस पर ‘सांता क्लॉज’ के वस्त्र पहनाकर उसे जोकर बना देते है। ऐसा करके हम अपनी सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं साथ-साथ अपने बच्चे को मानसिक गुलाम भी बना रहे हैं।


🚩सबसे हम आपको बता देते कि ये संता क्लॉज कौन था,आइये आज आपको इन खास तथ्यों से आपको अवगत कराते हैं:-

संता क्‍लॉज का क्रिसमस से रिश्ता


🚩जिंगल बेल के गाने को ईसाई धर्म में क्रिसमस से जोड़ दिया गया है, लेकिन यह सच नहीं है। दरअसल यह क्रिसमस सॉन्ग है ही नहीं। यह थैंक्सगिविंग सॉग्न है जिसे 1850 में जेम्स पियरपॉन्ट ने वन हॉर्स ओपन स्लेई शीर्षक से लिखा था। वे जार्जिया के सवाना में म्यूजिक डायरेक्टर थे। पियरपॉन्ट की मौत से 3 साल पहे यानी 1890 तक यह क्रिसमस का हिट गीत बन गया था।


🚩संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं


🚩सैंटा क्लॉज चौथी शताब्दी में मायरा के निकट एक शहर (जो अब तुर्की के नाम से जाना जाता है) में जन्मे बिशप संत निकोलस का ही रूप है। बिशप निकोलस के पिता एक बहुत बड़े व्यापारी थे।


 🚩संत निकोलस की याद में कुछ जगहों पर हर साल 6 दिसंबर को ‘संत निकोलस दिवस’ भी मनाया जाता है। हालांकि एक धारणा यह भी है कि संत निकोलस की लोकप्रियता से नाराज लोगों ने 6 दिसम्बर के दिन ही उनकी हत्या करवा दी। इन बातों के बाद भी बच्चे 25 दिसंबर को ही सैंटा का इंतजार करते हैं। ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था।


🚩आपको बता दे कि कुछ लोग समझते है कि क्रिसमिस पर ईसा मसीह के जन्मदिन था पर उस दिन उनका जन्मदिन नही हुआ है। वास्तव में 25 दिसंबर को पहले यूरोप में सूर्यपूजा होती थी,इसलिए सूर्य पूजा खत्म करने एवं ईसायत को बढ़ाने के लिए रोमन सम्राट ने ई.स 336 में 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया और पोप जुलियस 25 दिसम्बर को यीशु का जन्मदिन मनाने लगे। जबकि इस दिन ईसा मसीह के जन्म से कोई लेना देना अब न यीशु का क्रिसमस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से । फिर भी भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का क्रिसमस मनाते हैं ये सब भारतीय संस्कृति को खत्म करके ईसाईकरण करने के लिए भारत में क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप सावधान रहें ।


🚩क्रिसमस पर लोग जमकर शराब पीते है, नशीले प्रदार्थ का सेवन करते है, पार्टियां करते है इन दिनों में विदेशी कम्पनियों को अरबो रूपये का मुनाफा होता है। आप भी अपनी संपत्ति, स्वास्थ्य और संस्कृति को बचाना चाहते है तो ऐसे क्रिसमस जैसे त्यौहार का बहिष्कार कर सकते है।


🚩आप अपने बच्चों को धर्मप्रेमी व देशभक्तों के वस्त्र पहनाएं और उसदिन प्लाटिक के पेड़ नही लगाए, क्योंकि वह बीमारियां फैलता है,इसलिए उस दिन 24 घण्टे ऑक्सीजन देनेवाली तुलसी माता का पुजन करें।


🚩आपको बता दे कि वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य एवं शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू संत आसाराम बापू ने 25 दिसम्बर “तुलसी पूजन दिवस” के रूप में शुरू करवाया।


🚩तुलसी माता के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है, मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है ।


🚩आप भी 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।


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Friday, December 15, 2023

लव जिहाद की एक घटना सुनकर आप की भी रूह कांप उठेगी

16 December 2023

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🚩लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फँसाने की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं। बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती हैं,क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नारकीय हो जाती है।धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, लव जिहादियों की अनेक पत्नियां होती हैं। गौमाँस खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चे पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है। यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भेजने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं।


🚩यह घटना आपका दिल दहला देगी


🚩मंडार निवासी गुलाब कंवर की शादी 25 वर्ष पूर्व आबूरोड में एक सम्पन्न परिवार में हुई थी। उसके पास करोड़ों की सम्पत्ति थी। विवाह के बाद उनकी दो पुत्रियां हुई। बड़ी बेटी 21 एवं छोटी 9 वर्ष की है। 7 वर्ष पूर्व पति की मौत के बाद वह बड़ी बेटी को पढ़ाने के लिए जयपुर ले गई थी। यह परिवार उदयपुर घूमने आया था, जहां पर शाकिर नाम के एक लड़के के इनकी साथ जान-पहचान हो गई। उसने सम्पत्ति हड़पने के लिए गुलाब कंवर से निकाह कर लिया और बाद में उसे नशे का आदी बना दिया। 


🚩इस बीच उसने बड़ी पुत्री का उदयपुर में ही किसी मुस्लिम युवक से निकाह करवा दिया। कुछ समय के बाद जब गुलाब कंवर बीमार हुई तो शाकिर ने उसकी सारी सम्पत्ति हड़पते हुए उसे पुत्री सहित घर से निकाल दिया। नशे की आदी हो चुकी गुलाब कंवर अस्पताल परिसर में भीख मांगकर खाने लगी। बाद में पता चलने पर सीडब्ल्यूसी ने बच्ची को मीरा निराश्रित गृह में रखवाते हुए उसका स्कूल में दाखिला करवाया तथा मां को अस्पताल में भर्ती करवाया लेकिन वह सड़कों पर घूमकर भीख मांगते हुए अपना गुजर-बसर करने लगी।


🚩कभी महंगी गाडिय़ां में घूमते हुए,रईस जिंदगी जीने वाली इस महिला ने सडक़ पर भीख मांगते हुए दम तोड़ दिया। स्त्रोत : पत्रिका


🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है,कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेक्युलरिज्म के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुल्तान देशभक्त आदि पढ़ा-पढ़ा कर इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया।

अब भी कुछ बचा था, तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई , जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार व्यक्त करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ, कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया और न जाने कितने ही परिवार लव जिहाद जैसे षड़यंत्रों में फंसकर अपना और अपनो का जीवन बर्बाद कर लेते हैं।


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Thursday, December 14, 2023

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने कौन सी 10 अविश्वसनीय खोजें की ?

15  December 2023

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🚩भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान और विज्ञान का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यहां के वैज्ञानिकों ने कई ऐसी खोजें की हैं जो आज भी विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन खोजों ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


🚩1. शून्य की खोज


🚩प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने शून्य की खोज की, जो गणित की सबसे महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से एक है। आर्यभट्ट ने पहली बार शून्य का उल्लेख अपने ग्रंथ "आर्यभट्टीय" में किया था। उन्होंने शून्य को एक संख्या के रूप में मान्यता दी और इसके गुणधर्मों का वर्णन किया। शून्य की खोज ने गणित के विकास को एक नया आयाम दिया।


🚩2. दशमलव प्रणाली की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने दशमलव प्रणाली की खोज की, जो आज दुनिया भर में उपयोग की जाने वाली सबसे आम संख्या प्रणाली है। इस प्रणाली में संख्याओं को 10 आधार पर व्यक्त किया जाता है। दशमलव प्रणाली की खोज ने गणित और विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


🚩3. बीजगणित की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने बीजगणित की खोज की, जो गणित की एक शाखा है जो समीकरणों और बीजगणितीय कार्यों का अध्ययन करती है। बौधायन, आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त आदि भारतीय वैज्ञानिकों ने बीजगणित के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


🚩4. ज्यामिति की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने ज्यामिति की खोज की, जो गणित की एक शाखा है जो आकृतियों और उनकी विशेषताओं का अध्ययन करती है। शुल्ब सूत्र, आर्यभट्टीय, ब्रह्मस्फुटसिद्धांत आदि भारतीय ग्रंथों में ज्यामिति के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।


🚩5. त्रिकोणमिति की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने त्रिकोणमिति की खोज की, जो ज्यामिति की एक शाखा है जो त्रिभुजों का अध्ययन करती है। आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर आदि भारतीय वैज्ञानिकों ने त्रिकोणमिति के सिद्धांतों का विकास किया।


🚩6. खगोल विज्ञान की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने खगोल विज्ञान की खोज की, जो ब्रह्मांड और उसकी वस्तुओं का अध्ययन करती है। आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर आदि भारतीय वैज्ञानिकों ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


🚩7. आयुर्वेद की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद की खोज की, जो प्राकृतिक चिकित्सा की एक प्रणाली है। चरक, सुश्रुत, वाग्भट्ट आदि भारतीय वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद के सिद्धांतों का विकास किया।


🚩8. योग की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने योग की खोज की, जो एक प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक और शारीरिक अभ्यास प्रणाली है। योग मन, शरीर और आत्मा को एकजुट करने का एक तरीका है।


🚩9. भाषा विज्ञान की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने भाषा विज्ञान की खोज की, जो भाषाओं के अध्ययन से संबंधित है। पाणिनि, यास्क, शाकुंतलम आदि भारतीय ग्रंथों में भाषा विज्ञान के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।


🚩10. संगीत की खोज

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने संगीत की खोज की, जो एक कला रूप है जो ध्वनि के माध्यम से अभिव्यक्ति व्यक्त करता है। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में संगीत के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।


🚩इन खोजों ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये खोजें आज भी प्रासंगिक हैं और इनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।



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Wednesday, December 13, 2023

मजार पर कोई हिंदू महिला जाने से पहले इस घटित घटना के बारे में जरूर जान ले ! कितने बुरा अंजाम भुगतना पड़ा !!

14  December 2023

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🚩हिन्दू सहिष्णु होने के कारण कई बार साजिश के शिकार हो जाते हैं।  ऐसी कई घटनाएं हैं , जिनमे॔ मजारों पर जाने के बाद उनका और परिवार का कैरियर बर्बाद हो जाता है । ऐसी ही एक घटना आज आपके सामने रख रहे हैं।हिन्दू माताएं,बहनें मजार पर जाने से पहले दिल दहलाने वाली इस घटना को जान लें, फिर कभी उस तरफ मुड़कर भी नहीं देखेंगी।


🚩उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में एक हिन्दू परिवार के सामूहिक धर्मान्तरण का मामला सामने आया है। आरोप एक मजार पर रहने वाले मौलवी और उसके परिवार के अन्य सदस्यों पर लगा है। पीड़िता का आरोप है कि आरोपितों ने न सिर्फ उनकी बेटी के साथ रेप किया, बल्कि खुद उसके साथ भी अश्लील हरकतें की।


🚩विरोध करने पर पीड़िता के बाल पकड़ कर पिटाई की गई और थूक भी चटवाया गया। इस दौरान मजार पर न आने पर पीड़िता को जान से मार डालने की धमकी भी दी गई। पुलिस ने इस मामले में मंगलवार ( 5 दिसंबर 2023 ) को FIR दर्ज कर 1 आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।


🚩यह घटना प्रयागराज जिले के कर्नलगंज थाना क्षेत्र की है। यहाँ 3  दिसंबर 2023 को एक पीड़िता ने शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में पीड़िता द्वारा बताया गया कि उनके पिता की प्रयागराज में मिठाई की दुकान है। वहाँ पर काफी पहले से मुश्ताक नाम का मौलवी आता था। मुश्ताक ने खुद को झाड़-फूँक करने वाला बताया। मुश्ताक ने छोटा बघाड़ा स्थित एक मजार का जिक्र करते हुए उसे ‘चमत्कारी’ बताया और वहाँ आ कर चादरपोशी की सलाह दी। ऐसा करने पर मुश्ताक ने तमाम मुसीबतों से छुटकारा पाने का झाँसा दिया।


🚩मुश्ताक की बातों में आकर पीड़िता के पिता ने बघाड़ा की मजार पर जा कर चादर चढ़ाई। वहाँ पर मौलवी मुश्ताक ने मौत का डर दिखा कर उन्हें और पीड़िता को इस्लाम कबूल करवा दिया। थोड़े समय बाद मुश्ताक पीड़िता पर हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा न करने, घर के अंदर मजारनुमा चौकी बनवाने और सिर्फ मजार को पूजने का दबाव बनाने लगा। वह पीड़िता को मजार पर आने के लिए मजबूर करते हुए ऐसा न करने पर पूरे परिवार की बीमारी और मौत का भय दिखाने लगा। उसने कुछ लोगों के नाम भी बताए जिनकी नाफरमानी की वजह से मौत हो चुकी थी।


🚩मौलवी मुश्ताक के दबाव में पीड़िता के पिता (अब स्वर्गीय) ने घर में मजारनुमा चौकी बनवा डाली। थोड़े समय बाद मौलवी मुश्ताक ने पीड़िता की बेटी को मजार पर लाने का दबाव बनाया। वहाँ उसने एक कमरे में बुलाकर पीड़िता की बेटी का बलात्कार किया। बेटी ने जब अपनी माँ को मौलवी मुश्ताक की करतूत बताई तो पीड़िता ने विरोध किया। तब मौलवी ने कहा कि उसने ही जादू टोने से पीड़िता के पिता को मार डाला है और अब वही जादू वो रेप की शिकार उसकी बेटी पर भी करेगा।

28 दिसंबर 2012 को पीड़िता की बेटी की भी मृत्यु हो गई। ऑपइंडिया से बातचीत में पीड़िता ने मृत्यु की वजह दोनों किडनी फेल होना बताया।


🚩मौलवी मुश्ताक ने इस मौत को भी अपना ही कहर बताया और आगे भी मजार पर रुपए चढ़ाते रहने का दबाव बनाया। डर से पीड़िता ऐसा ही करती रही और अपने जेवर तक मजार पर चढ़ा आई। साल 2023 में मौलवी मुश्ताक की मौत हो गई। इस बीच 22 अक्टूबर 2023 को मुश्ताक के 3 बेटे अकरम, जुनैद और फैजान 2 अन्य अज्ञात लोगों को लेकर पीड़िता के घर आ धमके। उन्होंने बताया कि उनके अब्बा का मौत से पहले फरमान था कि अगर पीड़िता मजार पर आना बंद कर दे, तो उसे घसीट कर लाना।


🚩घर आए सभी आरोपितों ने पीड़िता को माँ-बहन की गालियाँ दी और जल्द से जल्द मजार पर आने की धमकी दी। इन धमकियों से डर कर पीड़िता 23 अक्टूबर को शाम 4 बजे बघाड़ा इलाके में मौजूद मजार पर पहुँच गई। कुछ समय पहले मर चुके मौलवी मुश्ताक के 2 बेटों अकरम और जुनैद ने पीड़िता को बाल पकड़ कर पीटा। इसके बाद तीनों ने एक कमरे में पीड़िता को बंधक बना कर उससे थूक चटवाया। साथ ही प्राइवेट पार्ट्स पर बुरी नीयत से हाथ फेरा।


🚩पीड़िता ने अपनी शिकायत में आगे बताया , कि अकरम और जुनैद ने पीड़िता पर दबाव बनाया कि वो अपनी दूसरी बेटी को भी मजार पर लाना शुरू करे। पीड़िता का दावा है कि मजार से जुड़े आरोपितों के चंगुल में उनके अलावा कई अन्य महिलाएँ भी फँसी हैं जो धर्मान्तरण, ठगी और रेप का शिकार हो रही हैं। बकौल पीड़िता अन्य महिलाएँ डर और लाज की वजह से मुँह नहीं खोल पा रहीं हैं। इस साजिश में मौलवी मुश्ताक का पूरा परिवार शामिल बताया गया है, जिसमें नाती-पोते भी शामिल हैं। ऑपइंडिया के पास FIR की कॉपी मौजूद है।


🚩इस मामले में पुलिस कमिश्नर ने जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रयागराज के कर्नलगंज थाना पुलिस ने अकरम, जुनैद और फैज़ान को नामजद करते हुए 2 अन्य अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज की है। मामले में IPC की धारा 147, 323, 506, 504, 342 और 354 (क) के साथ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5 के तहत कार्रवाई की गई है। ऑपइंडिया से बात करते हुए SHO कर्नलगंज ने बताया कि अकरम को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की जाँच जारी है।


🚩मजार कर सिखाते थे चोरी करना

ऑपइंडिया से इसी मामले में बातचीत के दौरान पीड़िता ने बताया, कि मजार पर उसे चोरी करना भी सिखाया जाता था। मौलवी मुश्ताक उनसे कहता था कि भले ही कहीं से पैसे चुरा कर लाओ, पर लेकर आओ। उसके अनुसार मजार के एक कोने में ऐसी जगह है जहाँ कोई महिला चीखे भी तो किसी को सुनाई न दे। पीड़िता का यह भी दावा है, कि उसने मजार पर ज्यादातर विधवा महिलाओं को जाते देखा है।


🚩पहले प्यार से बात, फिर शुरू होता है डर का खेल

पीड़िता ने आरोपितों का एक बहुत बड़ा गैंग बताया है। उसने बताया, कि आरोपित पहले हिन्दुओं की दुकानों या मकान आदि पर भाईचारे की बात कर के आते हैं....

और फिर उनको सब धर्म एक जैसा बता कर एकाध बार चादर चढ़ाने के लिए कहते हैं। बकौल पीड़िता जब कोई उनकी मजार पर थोड़े समय के लिए चला जाता है तब उसको आना बंद करने पर मरने और बीमार कर देने का भय दिखाया जाता है। पीड़िता ने ऑपइंडिया को एक वीडियो भी भेजा जिसमें वो मजार पर पुलिस लेकर पहुँची है। इस दौरान पीड़िता की दूसरे पक्ष से बहस भी हो रही थी।


🚩देवी-देवताओं की पूजा करोगे तो हमें बता देंगे जिन्न

पीड़िता ने ऑपइंडिया को बताया कि मौलवी मुश्ताक और उसके बेटों द्वारा उन्हें जिन्नों का डर दिखाया जाता था। आरोपित कहते थे, कि इस्लाम कबूल करने के बाद अगर पीड़िता के घर में कभी हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा हुई तो जिन्न सारी बात बता देंगे। साथ ही मौलवी ने अपने गुलाम जिन्नों को बहुत ताकतवर और किसी को भी बीमार करने या मार देने में सक्षम बताया था। दावा यह भी है कि आरोपित पहले तो हिन्दू पुरुषों से बात व्यवहार बना कर फिर सीधे घर की महिलाओं तक पहुँच जाते हैं।


🚩2015 में टाल दिया था पुलिस ने, योगी सरकार में हो रही सुनवाई

पीड़िता ने हमें बताया कि उसने इस मजार के खिलाफ साल 2015 में ही आवाज बुलंद की थी। तब पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दी थी और मजार से जुड़े लोगों पर कार्रवाई की माँग की थी।

बकौल पीड़िता तब वो SP सिटी से मिली थीं जिन्होंने उसे थाना कर्नलगंज भेज दिया था। लेकिन कर्नलगंज के तत्कालीन प्रभारी ने आरोपितों पर कोई केस न बनने की बात कह कर पीड़िता को वापस लौटा दिया था।


🚩पीड़िता का यह भी दावा है, कि साल 2015 में कोई एक्शन न होने के बाद मौलवी मुश्ताक और उसके बेटों ने उन्हें धमकी दी थी कि पुलिस और प्रशासन उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकती। हालाँकि पीड़िता ने ऑपइंडिया से आगे बताया, कि अब योगी सरकार में उनकी सुनवाई हो रही है और पुलिस ने भी केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। पीड़िता ने प्रशसन से सभी आरोपितों को जेल भेजने की मांग की है और उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की उम्मीद जताई है ।


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Tuesday, December 12, 2023

जापान ने गाय के गोबर से चलाया रॉकेट इंजन, अब अन्तरिक्ष कार्यक्रम की तैयारी...

13 December 2023

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🚩भगवान ने जिस देश में गौ माता की सेवा की है और जिस देश में सबसे अधिक गाय दी,जहां गाय को माता कहते हैं,वो देश आज गाय का मांस बिकवा रहा है और पड़ोसी देश जापान गाय के गोबर से रॉकेट और गाडियाँ चला रहा है !

सोचिए  अगर भारत सरकार भी गौ हत्या रुकवाकर गौ सेवा को बढ़ावा देकर , गौ उत्पादों से लाभ लेना शुरू करे तो शारीरिक , मानसिक रूप से देश की जनता और आर्थिक रूप से देश कितना सुदृढ़ हो सकता है।

जापान की विधि भी यदि हम  अपनाएं तो अरबों रुपए का जो कच्चा तेल हर वर्ष आयात करना पड़ता वो बच जाएगा और वातावरण भी शुद्ध रहेगा।


🚩आपको बता दे कि जापान की एक कम्पनी ने गाय के गोबर से बने ईंधन से रॉकेट इंजन को चलाने में सफलता पाई है। गोबर से बने ईंधन से चलाया जा रहा रॉकेट टेस्टिंग के दौरान ना केवल चालू हुआ बल्कि इसने जमीन के समानांतर लगभग 15 मीटर की दूरी तक आग की लपटें भी फेंकी। अब इसे विकसित करने वाली कम्पनी और भी बड़ा रॉकेट बनाने जा रही है।


🚩एक वेबसाईट बैरन के अनुसार, जापान के एक अन्तरिक्ष स्टार्टअप इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज़ (Interstellar Technologies) कम्पनी ने यह रॉकेट बनाया है। इसकी प्रायोगिक टेस्टिंग जापान के ताईकी शहर में की गई। इस दौरान रॉकेट के इंजन से तेज नीली-नारंगी आग निकली। आग की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जमीन के समानांतर लगभग 10-15 मीटर (30 से 50 फीट) की दूरी तक इसकी लपटें निकलीं।


🚩रॉकेट की प्रायोगिक टेस्टिंग में जो ईंधन इसमें डाला गया था, वह बायोमीथेन था। इसे पूरी तरह से गाय के गोबर से बनाया गया था। इस गोबर को स्थानीय गायपालकों के पास से खरीदा गया था और फिर उस से गैस बनाई गई, जिससे यह ईंधन विकसित किया गया।


🚩इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज़ के सीईओ ताकाहिरो इनागावा ने इस विषय पर कहा,

“हम यह मात्र इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि यह पर्यावरण को फायदा पहुँचाता है।बल्कि इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर बनाया जा सकता है और सस्ता है साथ शुद्ध है , साफ़ है। हम यह तो नहीं कह सकते कि यह विधि पूरी दुनिया में बड़े स्तर पर अपनाई जाएगी लेकिन हम पहली ऐसी निजी कम्पनी हैं, जो इस ईंधन का उपयोग कर रहे हैं।”


🚩इंटरस्टेलर ने एक अन्य कम्पनी एयरवाटर के साथ एक समझौता किया है। एयरवाटर कम्पनी उन किसानों से बायोगैस एकत्रित करती है, जिनके पास डेयरी फ़ार्म हैं और वह इनमें पाली हुई गायों के गोबर से बायोगैस बनाती है।


🚩इस प्रयोग से जुड़े एक इंजिनियर तोमोहीरो निशिकावा ने कहा, “संसाधन के मामले में कमजोर जापान को पानी और ऊर्जा जरूरतों के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादित कार्बन न्यूट्रल ईंधन अपनाने होंगे। इस क्षेत्र की गायों में काफी पोटेंशियल है। जापान के पास एक ईंधन स्रोत ऐसा होना चाहिए, जिसके लिए वह बाहर के देशों पर निर्भर ना हो।”


🚩रॉकेट तकनीक में गोबर का उपयोग होने से वहाँ के किसान भी प्रसन्न हैं, जिनके पशुफ़ार्म से यह गोबर गैस बनाने हेतु ली गई थी। उनका कहना है कि उनसे ली गई गोबर गैस से रॉकेट को उड़ता देखना सुखद होगा। उन्होंने जापान सरकार से इस विषय में कदम उठाने की अपील की है।


🚩भारत सरकार को भी इस जापानी कम्पनी से प्रेरणा लेकर भारत में गौ हत्या रुकवाकर, गौ माता के  दूध, घी , मूत्र और गोबर का उपयोग करके देश और देशवासियों का भला कर सकती है।


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Monday, December 11, 2023

जिस देश में आज भी राजाओं को ‘राम’ की उपाधि दी जाती है, वहाँ भी बसी है एक ‘अयोध्या’

12 December 2023

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🚩भारत की अयोध्या से करीब 3500 किलोमीटर दूर है, अयुथ्या (Ayutthaya)। इसे थाईलैंड की अयोध्या कहते हैं। थाईलैंड वह देश है, जिसके राजा आज भी ‘राम’ की उपाधि धारण करते हैं।


🚩अयुथ्या थाइलैंड के स्वर्णभूमि एयरपोर्ट से करीब 93 किमी दूर है। इस एयरपोर्ट पर समुद्र मंथन की प्रतिकृति बनी है। इससे ही सटा एक और शहर है, लोकमुरी। यह शहर राम भक्त हनुमान को समर्पित है। यहाँ वानरों की पूजा की जाती है। थाईलैंड की 95 फीसदी जनसंख्या बौद्ध है। और ये लोग विष्णु, गणेश, त्रिदेव और इंद्र को पूजते हैं। इस देश की भाषा का भी संस्कृत से गहरा रिश्ता है।


🚩कहानी ‘अयुथ्या’ की


🚩अयुथ्या शहर सियामी साम्राज्य की दूसरी राजधानी थी। इस साम्राज्य की पहली राजधानी सुखोताई थी। इस ऐतिहासिक शहर को 1350 में बसाया गया था। ये साम्राज्य 14वीं से 18वीं शताब्दी तक फला-फूला, क्योंकि ये एक ऐसे द्वीप पर बना हुआ था जिसके चारों तरफ तीन नदियाँ चाऊफ्रेया, पासक और लोकमुरी थी। ये समुद्र को सीधे इस शहर से जोड़ती थीं। इस तरह की भौगोलिक स्थिति के चलते ये दुश्मन के हमले और बाढ़ के खतरे सुरक्षित था।


🚩इस दौरान रणनीतिक नजरिए से बेहद सुरक्षित यह शहर दुनिया का सबसे बड़ा महानगरीय शहर क्षेत्र होने के साथ ही वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का केंद्र बन गया। आज भी अयुथ्या ऐतिहासिक पार्क में इस पुराने शहर के खंडहर हो चुके हिस्से इसकी भव्यता की गाथा कहते नजर आते है। इसकी स्थापना राजा रामतिबोदी प्रथम ने की थी।


🚩1350 में सिंहासन पर बैठने से पहले उन्हें प्रिंस यूथोंग (गोल्डन क्रैडल) के तौर पर जाना जाता था। यूथोंग के बारे में कई बातें कही जाती हैं। इसमें उनके मंगराई का वंशज होना भी शामिल है। एक प्रसिद्ध किंवदंती में कहा गया है कि रामतिबोदी एक चीनी थे जो चीन से आए थे। कई ऐतिहासिक दस्तावेज उन्हें कंबोडिया के ख्मेर वंश का मानते हैं। ख्मेर कंबुज कंबोडिया का ही प्राचीन नाम है।


🚩थाइलैंड पर ख्मेर वंश ने सन 850 में कब्जा कर लिया था, लेकिन 1767 में बर्मा की सेना ने इसे तबाह कर यहाँ के निवासियों को शहर छोड़ने को मजबूर कर दिया था। बर्मीज ने यहाँ 100 साल तक राज किया। इसका असर अब भी शहर पर दिखता है। हालाँकि इस शहर का पुनर्निर्माण उसी जगह पर कभी नहीं किया गया और इसलिए ये आज भी पुरातात्विक स्थल के तौर पर जाना जाता है।


🚩1976 में इसके ऐतिहासिक पार्क होने का ऐलान किया गया। इसके एक हिस्से को 1991 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया। इसका क्षेत्रफल 289 हेक्टेयर है। मौजूदा वक्त में ये शहर फ्रा नखोन सी अयुथ्या जिले के फ्रा नखोन सी अयुथ्या प्रांत में है।


🚩खंडहर देते हैं भव्यता की गवाही


🚩कभी वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा अयुथ्या, अब एक पुरातात्विक खंडहर है। इसकी खासियत ऊँचे प्रांग (अवशेष टावर) और विशाल बौद्ध मठों के अवशेष हैं। जो इस शहर के अतीत के आकार और इसकी वास्तुकला की भव्यता का अंदाजा देते हैं। अयुथ्या को बेहद व्यवस्थित तरीके से बनाया गया था। इसकी सभी प्रमुख संरचनाओं के आसपास सड़कें, नहरें और खाई शामिल थीं।


🚩नदियों का अधिक से अधिक फायदा उठाने के लिए जल प्रबंधन के लिए एक हाइड्रोलिक प्रणाली थी जो तकनीकी तौर से बेहद उन्नत और दुनिया में अद्वितीय थी। यह शहर सियाम की खाड़ी की ऊँचाई पर था, जो भारत और चीन के बीच समान दूरी पर था और नदी के ठीक ऊपर अरब और यूरोपीय शक्तियों से सुरक्षित था।


🚩आर्थिक गतिविधियों का था केंद्र


🚩कभी अयुथ्या क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अर्थशास्त्र और व्यापार का केंद्र था। वह पूर्व और पश्चिम के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु के तौर पर जाना गया। इससे शाही दरबार ने दूर-दूर तक राजदूतों की अदला-बदली की। इसमें वर्साय के फ्राँसीसी दरबार, दिल्ली के मुगल दरबार के साथ-साथ जापान और चीन के शाही दरबार भी शामिल थे। अयुथ्या में विदेशियों ने सरकारी नौकरियाँ की और शहर में निजी तौर पर भी रहे।


🚩अयुथ्या के रॉयल पैलेस से नीचे की तरफ विदेशी व्यापारियों और मिशनरियों के एन्क्लेव थे। हर इमारत अपनी ही अनूठी स्थापत्य शैली में थी। शहर में विदेशी असर बहुत अधिक था और वो अभी भी जीवित कला और स्थापत्य खंडहरों में देखा जा सकता है। अयुथ्या का स्कूल ऑफ आर्ट वहाँ सभ्यता की सरलता और रचनात्मकता के साथ-साथ कई विदेशी प्रभावों को जज्ब करने की काबिलियत दिखाता है।


🚩यहाँ बने बड़े महल और बौद्ध मठ उदाहरण के लिए वाट महथत और वाट फ्रा सी सेनफेट उनके बनाने वालों की आर्थिक संपन्नता और तकनीकी कौशल के साथ-साथ उनकी अपनाई गई बौद्धिक परंपरा के भी प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। सभी इमारतों को उच्चतम गुणवत्ता के शिल्प और भित्ति चित्रों से सजाया गया था। इसमें सुखोताई की पारंपरिक शैलियों का असर था। ये अंगकोर से विरासत में मिला था जो जापान, चीन, भारत और फारस की 17 वीं और 18 वीं शताब्दी की कला शैलियों से उधार लिया गया था।


🚩वाट फरा में विराजते हैं श्रीराम

यूट्यूबर/पत्रकार मुकेश तिवारी ने कुछ महीनों पहले अयोध्या से अयुथ्या तक की यात्रा की थी। उन्होंने ट्रैवल जुनून नाम के यूट्यूब चैनल पर 18 अप्रैल 2023 को एक वीडियो अपलोड कर इस यात्रा के बारे में बताया है।


🚩वीडियो में मुकेश ने बताया है, कि यहाँ का वाट फरा राम मंदिर हिंदू देवता मर्यादा पुरोषत्तम श्री राम को समर्पित है, जो बताता है कि यहाँ पुराने वक्त से उनका अस्तिव रहा है। इसे अयुथ्या के पहले "राजा रमाथी बोधी" प्रथम के अंत्येष्टि की जगह पर तैयार किया गया था। "राजा बोधी प्रथम" हिंदू और बौद्ध धर्म में बराबर आस्था रखते थे।


🚩उनका धर्म तो बौद्ध था, लेकिन हिंदू धर्म और प्रभु श्रीराम में गहरी आस्था की वजह से ही उनकी अंत्येष्टि की जगह पर ये मंदिर बनाया गया। इसे बनाने की इजाजत उनके बेटे ने दी थी। ये भी कहा जाता है कि "रमाथी बोधी प्रथम" की मौत के बाद बनाया गया ये पहला मंदिर था। इस मंदिर में बड़ा खजाना था, जिसे लंबे वक्त तक लूटा गया।

ये भगवान श्रीराम और हिंदू धर्म से बहुत प्राचीन समय से चला आ रहा थाईलैंड का रिश्ता ही है जो इस देश की राजधनी बैंकॉक में तीसरे वर्ल्ड हिंदू कॉन्ग्रेस में 61 देशों के सैकड़ों हिंदू जुटे थे।


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