05 December 2023
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🚩गाय शब्द आते ही बुद्धिजीवियों के एक बड़े वर्ग में बेचैनी आ जाती है, क्योंकि गाय की रक्षा को उन्होंने एक बेहद नए व आयातित शब्द से जोड़ रखा है जिसका नाम मॉब लिंचिंग है। गाय शब्द आते ही सत्ता में भी हलचल मचती है, क्योंकि संसद में गौ-रक्षकों को सज़ा दिलाने के लिए कुछ लोग अपनी सीट तक छोड़ देते हैं और संसद तक नहीं चलने देते हैं। पर गाय हमारी माता है ये हम कैसे और क्यों भूल जाएं...
यह एक अकाट्य सत्य है कि, स्वस्थ्य, सुखी व सम्मानित जीवन जीना है , तो धरती पर गौ माता का रहना अनिवार्य है। गौ रक्षा हम सभी का परम कर्तव्य है।
🚩झारखंड से एक बार फिर गौ तस्करी
🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झारखंड के गिरिडीह में शुक्रवार (1 दिसंबर 2023) को निमियाघाट थाना क्षेत्र के तूरी टोला के नजदीक ये वाहन पकड़े गए। बताया जा रहा है कि इन वाहनों को बंगाल और बांग्लादेश भेजा जा रहा था।
🚩जब पुलिस ने इन वाहनों (2 कंटेनर और 1 पिकअप वैन) को रोककर जाँच करवाई तो देखा तो इनमें टोटल 110 गोवंश ठूँस-ठूँस कर भरे गए थे। तस्कर इन गाड़ियों को बिहार से शेरघाटी होकर बंगाल के कोलकाता ले जा रहे थे। पुलिस ने इस संबंध में 2 ड्राइवरों समेत 8 तस्करों को गिरफ्तार किया।
🚩दैनिक जागरण की रिपोर्ट बताती हैं कि पशुओं को वाहनों के भीतर इतनी क्रूरता से एक के बाद एक डाला गया था कि ये हिल भी नहीं पा रहे थे। पहले कंटेनर में इन्होंने 50 गोवंश भरे थे। दूसरे में 43 गोवंश को लादा गया था। इसके अलावा पिकअप वैन में भी 17 गोवंशी लादे गए थे जिनमें से 8 की मौत हो गई। बताया गया है कि इस घटना के बाद जितने भी गोवंश जिंदा बचे पुलिस ने उन्हें मधुबन गौशाला भेज दिया है।
🚩भारतीय इतिहास में गौहत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं और कई आज भी जारी हैं। लेकिन अभी तक गौहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लग सका है। इसका सबसे बड़ा कारण राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी होना है। आप कल्पना कीजिये- हर रोज जब आप सोकर उठते हैं तब तक हज़ारों गायों के गलों पर छूरी चल चुकी होती है। गौहत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है। इनके दबाव के कारण ही सरकार गौहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से पीछे हट रही है। वरना जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो वहां सरकार गौहत्या रोकने में नाकाम क्यों है?
🚩आज हमारे देश की जनता ने नरेन्द्र मोदीजी की सरकार चुनी है। सेक्युलरवाद और अल्पसंख्यकवाद के नाम पर पिछले अनेक दशकों से बहुसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों का दमन होता आया है। उसी के प्रतिरोध में हिन्दू प्रजा ने संगठित होकर जात-पात से ऊपर उठकर एक सशक्त सरकार को चुना है। इसलिए यह इस सरकार का भी कर्त्तव्य बनता है कि वो बदले में हिन्दुओं की शताब्दियों से चली आ रही गौरक्षा की मांग को पूरा करे और गौहत्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाए।
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