Friday, August 9, 2024

नाग पंचमी: एक सांस्कृतिक, धार्मिक, और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से विश्लेषण

 10 August 2024

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🚩भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में नाग पंचमी का एक विशेष स्थान है। यह पर्व नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें सनातन धर्म में जीवन रक्षक और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इस वर्ष नाग पंचमी 9 अगस्त को पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है।                                                   

🚩पौराणिक कथाओं से जुड़ी नाग पंचमी की शुरुआत                                                                                                                                                                        🚩1- नाग पंचमी की पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों में अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने नागों से बदला लेने और उनके वंश के विनाश के लिए एक यज्ञ किया। वह नागों से अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सांप के काटने की वजह होने का बदला लेना चाहते थे।उनके इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था और नागों की रक्षा की थी। यह तिथि सावन की पंचमी मानी जाती है। सांपों को शीतलता देने के लिए उन्होंने उनके शरीर पर दूध की धार डाली थी। तब नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी उनकी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है।  

                  

🚩2- प्राचीन कथा के अनुसार, एक सेठजी के सात पुत्र थे और सबसे छोटे पुत्र की पत्नी एक दयालु और सुशील महिला थी, परंतु उसके पास कोई भाई नहीं था। एक दिन, जब बड़ी बहू ने मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को भेजा, छोटी बहू ने एक सांप की जान बचाई। सांप ने इसे देखकर उसे अपनी बहन मान लिया और मनुष्य का रूप धारण कर उसकी मदद की। छोटी बहू को समृद्धि और आभूषण प्राप्त हुए, जिससे बड़ी बहू ईर्ष्या करने लगी। बड़ी बहू ने और धन की मांग की, और सांप ने उसकी सभी इच्छाएँ पूरी कीं। जब रानी ने छोटी बहू के हार को प्राप्त करने की इच्छा जताई, सांप ने उसे सजा दी। रानी हार पहनते ही सांप में बदल गई। इसके बाद, राजा ने छोटी बहू को सम्मानित किया और सांप देवता की कृपा के लिए आभार व्यक्त किया।


🚩3- एक अन्य महत्वपूर्ण पौराणिक कथा के अनुसार, अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए एक नाग यज्ञ किया। वह नागों से बदला लेना चाहते थे क्योंकि उनके पिता की मृत्यु तक्षक नामक सांप के काटने से हुई थी। जब यज्ञ के कारण नागों का विनाश होने लगा, तो ऋषि आस्तिक ने यज्ञ को रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस घटना के बाद नाग पंचमी का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।          

                                                                                                                                                                    🚩4-समुद्र मंथन कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, नाग देवताओं का उद्भव समुद्र मंथन के समय हुआ था। इस घटना में वासुकि नाग को मंदराचल पर्वत के चारों ओर लपेटा गया था, जो मंथन के लिए उपयोग किया गया था। वासुकि नाग के महत्व को देखते हुए उनकी पूजा नाग पंचमी के दिन की जाती है।


🚩5- कालिया नाग की कथा:

एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण बाल्यावस्था में थे, तो उन्होंने यमुना नदी में कालिया नाग को हराया था। कालिया नाग ने यमुना के जल को विषैला बना दिया था, जिससे वहां का जल पीना मुश्किल हो गया था। श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर उसके सिर पर नृत्य किया और उसे नदी से बाहर निकाल दिया। इस कथा के आधार पर, नाग पंचमी के दिन श्रीकृष्ण और नागों की पूजा का विशेष महत्व है।


🚩शेषनाग का महत्त्व:

शेषनाग, जो कि अनंत नाग के नाम से भी जाने जाते हैं, विष्णु भगवान के शयन स्थान के रूप में प्रसिद्ध हैं। वे समस्त नागों के राजा माने जाते हैं और उन्हें सनातन धर्म में अत्यधिक पूजनीय माना जाता है। नाग पंचमी के दिन शेषनाग की भी विशेष पूजा होती है।           

                                                                                                                                                                      🚩नाग पंचमी की पूजा विधि और परंपराएँ:

🚩पूजा विधि:

नाग पंचमी के दिन घरों में नाग देवता की मिट्टी, लकड़ी या चांदी की मूर्ति बनाई जाती है। लोग नाग देवता की मूर्ति को स्नान कराकर उन्हें दूध, दूब घास, हल्दी, चावल, और फूल अर्पित करके आरती करते हैं।

🚩दूध का महत्व:

इस दिन नागों को दूध पिलाने की प्रथा है। इस पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

🚩चित्रांकन:

कुछ क्षेत्रों में लोग अपने घरों की दीवारों पर या दरवाजे के ऊपर नाग देवता की आकृतियाँ बनाते हैं और उन्हें हल्दी, कुमकुम और दूध चढ़ाते हैं।

🚩व्रत और उपवास:

नाग पंचमी के दिन कुछ लोग उपवास रखते हैं।

🚩सर्पदंश से रक्षा:

नाग पंचमी की पूजा करने से सर्पदंश का भय दूर होता है और नाग देवता की कृपा से व्यक्ति सुरक्षित रहता है। जो जीवन में शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।

🚩नाग पंचमी का सामाजिक और पर्यावरणीय महत्त्व:

🚩पर्यावरणीय संतुलन:

नाग पंचमी का त्योहार प्रकृति और पर्यावरण के साथ हमारे संबंध को भी दर्शाता है। नागों की पूजा से यह संदेश मिलता है कि हमें पर्यावरण और वन्यजीवों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

🚩कृषि का संबध                                                                                                                                                                                                                                                                                                                   नाग पंचमी का त्योहार कृषि से भी जुड़ा है। किसान इस दिन नाग देवता की पूजा करके अच्छी फसल और बारिश की प्रार्थना करते हैं। यह माना जाता है कि नागों की पूजा से खेतों में कीड़े-मकोड़ों का आतंक समाप्त हो जाता है और फसल अच्छी होती है।

🚩निष्कर्ष: नाग पंचमी हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो नाग देवताओं की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास की पंचमी तिथि को, जुलाई या अगस्त में, विशेष रूप से उत्तर भारत, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति श्रद्धा और जिम्मेदारी की याद दिलाता है, और सुख-समृद्धि की प्रार्थना का अवसर भी है।

                                                                                                                                                                      🔺 Follow on


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