Showing posts with label ऋषि-मुनियों. Show all posts
Showing posts with label ऋषि-मुनियों. Show all posts

Tuesday, May 12, 2020

विश्व को सर्जरी करना सिखाया भारत के ऋषि-मुनियों ने, जानिए दिव्य इतिहास!

12 मई 2020

🚩भारत की संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति हैं और विश्व को सब कुछ भारत ने ही सिखाया है लेकिन हमें इतिहास सही नही पढ़ाया जा रहा है जिसके कारण हम हमारी संस्कृति की महानता नही समझ पा रहे हैं।

🚩आयुर्वेद के नियम हजारों साल पहले आयुर्वेद चिकित्सा के ऋषि-मुनियों ने बनाये हुए हैं। हमारी आयुर्वेद चिकित्सा में एक महापुरुष हुए, जिनका नाम था महर्षि चरक। इन्होने सबसे ज्यादा रिसर्च इस बात पर किया कि जड़ी बूटियों से क्या क्या बीमारियाँ ठीक होती हैं या पेड़ पोधों से कौन सी बीमारियाँ ठीक होती है। पेड़ों के पत्तों से कौन सी बीमारियाँ ठीक होती हैं, उस पर उन्होंने सबसे ज्यादा रिसर्च किया।

🚩आपको जानकर आश्चर्य होगा और ख़ुशी भी होगी कि सर्जरी का अविष्कार इसी देश में हुआ। यानी भारत में हुआ, सारी दुनिया ने सर्जरी भारत से सीखी। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी ने यहीं से सर्जरी सीखी, अमेरिका में तो बहुत बाद में आयी सर्जरी और ब्रिटेन ने भारत से लगभग 400 साल पूर्व ही सर्जरी सीखी। ब्रिटेन के डॉक्टर यहाँ आते थे और सर्जरी सीख कर वापिस जाते थे।

🚩 महर्षि सुश्रुत शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखे गऐ ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में बहुत अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है।

🚩जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे।

🚩आपको शायद सुनकर आश्चर्य होगा कि आज से 400 साल पहले भारत में सर्जरी के बहुत बड़े विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) चला करते थें। हिमाचल प्रदेश में एक जगह है कांगड़ा, यहाँ सर्जरी का सबसे बड़ा कॉलेज था।  एक ओर जगह है भरमौर, हिमाचल प्रदेश में ही, वहां एक दूसरा बड़ा केंद्र था सर्जरी का। ऐसे ही एक तीसरी जगह है, कुल्लू, वहां भी एक बहुत बड़ा केंद्र था। अकेले हिमाचल प्रदेश में 18 ऐसे केंद्र थें। फिर उसके बाद गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा सम्पूर्ण भारत में सर्जरी के एक हजार दो सौ के आसपास केंद्र थें, यहाँ अंग्रेज आकर सीखते थें। 

🚩आपको बता दे कि लंदन में एक बहुत बड़ी संस्था है जिसका नाम है फेलो ऑफ़ द रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लंदन (FRS), इस संस्था की स्थापना उन डॉक्टरों ने की थी जो भारत से सर्जरी सीख कर गये थें और उनमें से कई डॉक्टर्स ने मेमुआर्ट्स लिखे हैं।  मेमुआर्ट्स माने अपने मन की बात।  तो उन मेमुआर्ट्स को अगर पढ़े तो इतनी ऊँची तकनीक के आधार पर सर्जरी होती थी ये आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि 400 साल पहले इस देश में रहिनोप्लास्टिक होती थी रहिनोप्लास्टिक मतलब शरीर के किसी अंग से कुछ भी काट कर नाक के आसपास के किसी भी हिस्से में उसको जोड़ देना और पता भी नही चलता।

🚩एक कर्नल कूट अंग्रेज की डायरी में लिखा हुआ कि उसका 1799 में कर्नाटक में हैदर अली के साथ युद्ध हुआ।  हैदर अली ने उसको युद्ध में पराजित कर दिया।  हारने के बाद हैदर अली ने उसकी नाक काट दी। हमारे देश में नाक काटना सबसे बड़ा अपमान है। तो हैदर अली ने उसको मारा नही चाहे तो उसकी गर्दन काट सकता था। हराने के बाद उसकी नाक काट दी और कहा कि तुम अब जाओ कटी हुई नाक लेकर।

🚩कर्नल कूट कटी हुई नाक लेकर घोड़े पर भागा, तो हैदर अली की सीमा के बाहर उसको किसी ने देखा कि उसकी नाक से खून निकल रहा है, नाक कटी हुई है हाथ में थी। तो जब उससे पूछा कि ये क्या हो गया तो उसने सच नही बताया। तो उसने कहा कि चोट लग गयी है। तो व्यक्ति ने कहा कि ये चोट नही है तलवार से काटी हुयी है। तो कर्नल कूट मान गया की हाँ तलवार से कटी है।

🚩उस व्यक्ति ने कर्नल कूट से कहा कि तुम अगर चाहो तो हम तुम्हारी नाक जोड़ सकते है। तो कर्नल कूट ने कहा की ये तो पुरे इंग्लैंड में कोई नही कर सकता तुम कैसे कर दोगे। तो उसने कहा कि हम बहुत आसानी से कर सकते है। तो बेलगाँव में कर्नल कूट के नाक को जोड़ने का ऑपरेशन हुआ। उसका करीब तीन साढ़े तीन घंटे ऑपरेशन चला। वो नाक जोड़ी गयी फिर उसपर लेप लगाया गया। 15 दिन उसको वहां रखा गया।

🚩15 दिन बाद उसकी छूट्टी हुई, 3 महीने बाद वो लंदन पहुंचा तो लंदन वाले हैरान थे कि तुम्हारी नाक तो कहीं से कटी हुई नही दिखती। तब उसने लिखा कि ये भारतीय सर्जरी का कमाल है। तो ये जो सर्जरी हमारे देश में विकसित हुई इसके लिए महर्षि सुश्रुत ने बहुत प्रयास किये तब जाकर ये सर्जरी भारत में फैली।

🚩यहाँ तो आपको भारत के ऋषि-मुनियों की केवल एक ही खोज बताई है बाकी तो विश्व मे जितनी भी आज खोजे हो रही है वे पहले हमारे ऋषि-मुनि कर चुकें हैं बस हमे जरूरत है तो सिर्फ सही इतिहास पढ़ाने और उसके अनुसार चलने की।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJW