Showing posts with label धर्मांतरण. Show all posts
Showing posts with label धर्मांतरण. Show all posts

Monday, July 24, 2023

मूताबिक खालिद बोला हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराने के बदले में मिलते हैं पैसे...


24 July 2023

http://azaadbharat.org


🚩सोशल मीडिया में लव जिहाद की भयंकर घटनाओं को देखकर जागरूकता आई और लव जिहाद में हिंदू युवतियां फसने में कमी आने लगी अब मुस्लिम लड़के अपना नाम हिंदू बताकर हिंदू युवतियों को लव जिहाद में फसाने लगे है। इसलिए हिन्दू युवतियों को सावधान रहना चाहिए अपने माता पिता के अनुसार ही शादी करके अपना सुखमय जीवन बिताए नही तो समाज में झूठे प्रेमजाल में फसाने के लिए कई गिद्ध बैठे , प्रेम में फसाने के बाद ये गिद्ध आपकी जिंदगी नरकमय बना देंगे फिर आपकी समाज में कोई इज्जत नही रहेगी आपके माता पिता सर ऊंचा करके नही बोल पाएंगे और आपका कैरियर भी नही बन पाएगा इसलिए सावधान रहे।


🚩गाजीबाद की घटना से सबक लेना चाहिए 


🚩गाजियाबाद अब धर्मांतरण के खेल का अड्डा जैसा बन गया है। कविनगर और खोड़ा में धर्मांतरण कराने वाले गिरोहों के खुलासे के बाद अब विजयनगर में एक युवती के धर्मांतरण का मामला सामने आया है। युवती का आरोप है कि खालिद चौधरी ने न सिर्फ उसे दिल्ली की मस्जिद में ले जाकर उसका धर्मांतरण कराया, बल्कि उसे गोमांस खाने के लिए भी मजबूर किया था। विजयनगर पुलिस ने आरोपी खालिद चौधरी के खिलाफ धर्मांतरण, रेप, और ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


🚩दिल्ली की रहने वाली पीड़ित युवती ने बताया कि वर्ष 2020 में फेसबुक पर दीपक चौधरी नाम के एक युवक से उसकी मुलाकात और दोस्ती हुई थी, और फिर दोनों एक दूसरे से मोबाइल पर बातें करने लगे। दीपक ने अपना परिचय पत्रकार के रूप में दिया था। युवती के मुताबिक, दीपक चौधरी ने उसे प्रेम जाल में फंसाकर उसके साथ रेप किया और इस दौरान उसकी अश्लील वीडियो बनाने के साथ और फोटो भी खींच लिए। कुछ समय बाद जब युवती को पता चला कि दीपक का असली नाम खालिद चौधरी है और वह मुसलमान है, तो दूसरे धर्म का होने के चलते युवती ने उसे संबंध खत्म करना चाहा। इस पर खालिद चौधरी ने युवती के अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल करने लगा और खुद के पत्रकार होने का रौब झाड़ते हुए उस अंजाम भुगतने की धमकी देने लगा।


🚩प्रेग्नेंसी में बार-बार जबरन शारीरिक संबंध बनाकर किया गर्भपात

पीड़िता का कहना है कि खालिद चौधरी विजय नगर थाना क्षेत्र के मिर्जापुर का रहने वाला है। आरोपी के साथ रिलेशन से जब वह गर्भवती हो गई तो खालिद चौधरी उस पर गर्भपात कराने का दबाव डाला। आरोप है कि युवती द्वारा गर्भपात से इनकार करने पर खालिद चौधरी ने उसके साथ बार-बार लगातार शारीरिक संबंध बनाए, जिससे उसका गर्भपात हो गया। युवती के मुताबिक, खालिद चौधरी ने उसके शरीर पर अपने नाम का टैटू भी गुदवा दिया था।


🚩दिल्ली की मस्जिद में ले जाकर धर्मांतरण कराया 

युवती का कहना है कि उसने खालिद चौधरी के परिजनों को इस बारे में बताया तो उन्होंने भी उस पर धर्मांतरण का दबाव डाला। इसके बाद खालिद उसे निजामुद्दीन की एक मस्जिद में ले गया और वहां जबरन उसका धर्मांतरण करा दिया। इसके बाद खालिद ने उसे गोमांस खाने के लिए भी मजबूर किया।


🚩आरोपी बोला -हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराने के बदले में मिलते हैं पैसे

युवती के मुताबिक, खालिद चौधरी ने उसका नाम बदलकर मुस्लिम नाम रखवा दिया था। इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराने के लिए उन्हें ऊपर से हुक्म दिया जाता है और इसके बदले में उन्हें पैसे भी मिलते हैं। खालिद चौधरी का सच सामने आने पर युवती ने पुलिस अधिकारियों से मदद और इंसाफ की गुहार लगाई है, जिसके बाद विजयनगर थाना पुलिस ने उसके खिलाफ धर्मांतरण, रेप और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। डीसीपी सिटी निपुण अग्रवाल का कहना है कि केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जा रही है।


🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेकुलरिज्म के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुल्तान देशभक्त आदि पढ़ा-पढ़ा कर इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया। अब भी कुछ बचा था तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया और लव जिहाद जैसे में फसकर अपना जीवन बर्बाद कर लेते है।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg

Saturday, November 28, 2020

जानिए धर्मांतरण रोकने के लिए देर से बने कानून कितने दुरुस्त?

28 नवंबर 2020


बराबरी का अधिकार संविधान ही छीन लेता है। जब अनुच्छेद 25(1) में कहा जाता है कि “सभी लोग”, ध्यान दीजिये, सभी लोग, सिर्फ “भारतीय नागरिक” नहीं, कोई भी अपने पंथ को मानने, उसका अभ्यास करने और उसके प्रचार के लिए स्वतंत्र है तो ये भारत में बाहर कहीं से आकर धर्म प्रचार करने वाले प्रचारकों को अनैतिक छूट देना ही है।




विश्व में जहाँ कोई भी हिन्दुओं का, ईरान से भगाए गए विस्थापितों का, बहाई समुदाय का, सिखों का, जैनियों का कोई देश है ही नहीं, वहाँ ऐसी छूट का मतलब क्या है ? सीधी सी बात है विदेशी प्रचारकों के पास जहाँ कई-कई देशों का खुला समर्थन है वो बेहतर स्थिति में आ जाएँगे और भारत में बसने वाले कई दबे-कुचले समुदाय हाशिए पर धकेल दिए जाएँगे। प्रचारकों के पास देशों की अर्थव्यवस्था का समर्थन होगा और हाशिए पर के इन समुदायों के पास सिर्फ आत्मरक्षा की नैतिक जिम्मेदारी। हमलावरों के खिलाफ ये लड़ाई कभी बराबर की तो थी ही नहीं!

केंद्र में ज्यादातर कांग्रेस का शासन रहा है, कई राज्य भी लगातार कांग्रेस शासित रहे हैं। धर्म परिवर्तन पर चर्चा तो काफी पहले, संविधान बनते समय ही शुरू हो गई थी, मगर जबरन धर्म परिवर्तन पर कांग्रेस ने नियम-कानून आश्चर्यजनक रूप से पचास साल तक नहीं बनाए थे। धर्म और रिलिजन पर संविधान सभा की बैठकों में इस परिवर्तन के बाबत चर्चाएँ हो रही थी (6 दिसम्बर, 1949)। इस दिन चर्चा करते हुए पंडित लक्ष्मी कान्त मिश्रा ने कहा था कि भारत में अभी रिलिजन ज्यादा से ज्यादा अज्ञान, गरीबी और महत्वाकांक्षा को कट्टरपंथ के झंडे तले भुनाने का तरीका है। उनकी सलाह थी कि अपनी रिलीजियस-मजहबी आबादी को बढ़ा कर उसका राजनैतिक लाभ उठाने का मौका किसी को नहीं दिया जाना चाहिए।

ध्यान रहे कि ये दिसंबर 1949 की चर्चा है। उनके तुरंत बाद बोलते हुए एच.वी. कामथ ने कहा था कि सरकार किसी रिलिजन को अनैतिक लाभ ना दे, लेकिन उसके काम से किसी के अपने धर्म के प्रचार-प्रसार और अभ्यास में दिक्कत भी नहीं आनी चाहिए। उन्होंने “रिलिजन” के “वास्तविक अर्थ” की बात करते हुए ये बताने की कोशिश की थी कि कैसे “धर्म” वास्तविक अर्थों में धार्मिकता की सही परिभाषा देता है। धर्म परिवर्तन के मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में रहे ग्राहम स्टेंस नाम के मिशनरी की हत्या का मामला देखें तो भी इस सम्बन्ध में कई बातें खुलेंगी। इस मामले का फैसला सुनाते हुए जस्टिस पी.सदाशिवम लिखते हैं, “ये निर्विवाद सत्य है कि किसी और की आस्थाओं में दखलंदाजी, किसी भी किस्म का बल प्रयोग, उकसावे, लालच, या इस वहम में कि उसका मजहब, दूसरे के मजहब से बेहतर है, सरासर गलत है।” इसके अलावा यही बात चीफ़ जस्टिस ए.एन.रे भी रेवरेंड स्टेनिस्लौस बनाम मध्य प्रदेश सरकार के मुक़दमे में कर चुके हैं। इस मुक़दमे में 1960 के दौर के दो कानूनों, मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम और ओडिशा फ्रीडम ऑफ़ रिलिजन एक्ट को संवैधानिक माना गया था, जिसे इसाई मिशनरी अपने काम में एक बड़ी बाधा मानते हैं।

अदालतों ने बार-बार ये स्पष्ट किया है कि आपको अपने पंथ-मजहब के प्रचार का अधिकार तो है, लेकिन किसी भी तरह से धर्म परिवर्तन करवाने को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता। राज्यों के स्थानीय नियम देखें तो जबरन धर्म परिवर्तन को भारतीय दंड संहिता की धारा 295A और 298 में संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इन प्रावधानों की वजह से इस धूर्ततापूर्ण और जान-बूझकर दूसरों की भावना को ठेस पहुँचाने वाली हरकत को दंडात्मक अपराध माना गया है।

आजादी के पहले बनाए गए, राजाओं के ज़माने के कानून देखें तो रायगढ़ स्टेट कन्वर्शन एक्ट (1936), पटना फ्रीडम ऑफ़ रिलिजन एक्ट (1942), सरगुजा स्टेट अपोस्टेसी एक्ट (1945) या उदयपुर स्टेट एंटी कन्वर्शन एक्ट (1946) वगैरह में धोखे से या लालच देकर ईसाई बनाए जाने के खिलाफ कम और ईसाइयों के प्रति होने वाली हिंसा के कानून ज्यादा हैं।

पक्षपातपूर्ण रवैए से काफी नुकसान होने के बाद जब हिन्दुओं ने आवाज उठानी शुरू की तब, आजादी के कई साल बाद, धार्मिक आजादी से सम्बंधित विधेयकों को जगह मिली है । अरुणाचल प्रदेश में 1978 में धार्मिक स्वतंत्रता सम्बन्धी विधेयक आया और गुजरात में ये 2003 में आया ।

हिमाचल प्रदेश फ्रीडम ऑफ़ रिलिजन एक्ट (2006) के साथ हिमाचल प्रदेश जबरन धर्म परिवर्तन रोकने का प्रयास करने वाला पहला कॉन्ग्रेस शासित राज्य बना।छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी नियमों में संशोधन कर के 2006 में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास तीस दिनों में धर्म परिवर्तन की सूचना देने का नियम लागू किया गया। https://twitter.com/OpIndia_in/status/1332489387104407553?s=19

मगर इतने दिनों की देर के बाद अब पहला सवाल तो ये है कि जिस विषय में संविधान निर्माताओं को 1949 से पता था, उस पर कानून बनाने में नेताओं ने इतनी देर आखिर की क्यों? फिर सवाल ये भी है कि अब जब ये नियम बनने शुरू भी हुए हैं तो क्या ये काफी हैं, या हमें बहुत देर से और बहुत थोड़ा देकर बहलाया जा रहा है?

गांधीजी कहते थे कि "हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है।

जनता की मांग है कि पूरे देश में धर्मांतरण पर रोक लगनी चाहिए।

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, September 9, 2020

धर्मांतरण कराने वालें 13 NGO का FCRA लाइसेंस किया रद्द, अब नही कर पायेंगे धर्मान्तरण।

08 सितंबर 2020


खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट (2016) में बताया था कि कई NGOs भारत देश में धर्मान्तरण के काम में लगे हुए हैं और इनमें से कई ऐसे हैं जो बहुत ही छोटी - मोटी घटनाओं को मजहबी रंग देने की साजिश रचते हैं ।




रिपोर्ट के अनुसार विदेशी डोनर्स की पहचान हुई हैं जो भारत में NGOs को फ़ण्डिंग करते हैं ताकि हिंदुओं का धर्मान्तरण करवाया जा सकें । इन विदेशी डोनर्स में अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोप शामिल हैं ।

आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। मंत्रालय ने यह निर्णय पिछड़े इलाकों में आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनके धर्मांतरण कराए जाने की रिपोर्ट के बाद लिया है।

जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया गया है, उनके बैंक अकाउंट भी फ्रिज कर लिए गए हैं। कुछ राज्यों के पिछड़े इलाकें खासकर झारखंड से आई इंटेलिजेंस रिपोर्ट की मानें तो ये संस्था आदिवासियों को लोभ-लालच देकर उनका धर्मांतरण कर उन्हें ईसाई बना रहे थे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया है, उन्हें पहले ‘कारण-बताओ’ नोटिस भेजा था। लेकिन तय समय-सीमा के भीतर किसी ने भी जवाब नहीं दिया। अभी तक सिर्फ एक संगठन की ओर से जवाब आया है, वो भी तय समय-सीमा के बाद। मंत्रालय के अनुसार भेजा गया जवाब संतुष्टि के लायक नहीं है।

दो दिन पहले भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 4 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया था। जिन चार ईसाई समूहों का FCRA सस्पेंड किया गया है, उनमें झारखंड का Ecreosoculis North Western Gossner Evangelical, मणिपुर का Evangelical Churches Association (ECA), झारखंड का Northern Evangelical Lutheran Church और मुंबई स्थित New Life Fellowship Association (NLFA) शामिल हैं।

क्या है विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) :: किसी भी संगठन के लिए विदेश से चंदा प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से FCRA की मँजूरी होना अनिवार्य है। इस लाइसेंस के नहीं होने से संस्थान या संगठन विदेश से चंदा या वित्तीय योगदान मँगाने में कानूनी रूप से सक्षम नहीं होता है।

विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) 2010 के प्रावधानों के अनुसार प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गैर-कानूनी है। इस अधिनियम के सेक्शन 12(4) के अनुसार सक्षम अधिकारी किसी NGO या संगठन को धार्मिक गतिविधियों से परे लोभ-लालच-प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने की स्थिति में उसका लाइसेंस सस्पेंड कर सकते हैं।

भारत में बहुत सारे NGO's धर्म परिवर्तन के काम में लगे हुए हैं। विदेशी पैसों से चलने वालें NGO's धर्मपरिवर्तन ही करा रहे हैं ऐसा ही नहीं है बल्कि छोटी-छोटी घटनाओं को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश करके भारत देश का माहोल भी खराब कर रहें हैं। 2016 की रिपोर्ट में दो तरीके की बातें हैं, एक तो धर्म परिवर्तन करने वाले NGO's की पहचान हुई है और भारत को बदनाम करने के लिए कैसे साजिश रची जा रही है, इसके लिए काफी ज्यादा मात्रा में विदेशों से NGO's को पैसे मिलते हैं ।

उसमें छत्तीसगढ़, झारखण्ड, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि कई राज्यों में गरीब आदिवासियों में धर्म परिवर्तन कराने के लिए बड़े पैमाने पर इस पैसों का उपयोग हो रहा है।
 
गैर कानूनी कामों में लिप्त विदेशी फंड से चलने वाली NGO's की इन्क्वाइरी में पता चला की इसके पैसे विदेश से इसलिए आते थे की वो बच्चों की शिक्षा में उपयोग करें।

लेकिन ये NGO's देश में जगह-जगह दँगा फैलाने का काम करते हैं। भारत देश को तोड़ने के लिए कई जगहों पर इन्होने दंगे भी करवाये थे। इसलिए गृह मंत्रालय ने इनका लाइसेंस रद्द कर दिया है।

अब ये बड़ी चौंकाने वाली रिपोर्ट है। लेकिन ये बात स्वर्गीय VHP के श्री अशोक सिंघल जी ने पहले ही बता दी थी। लेकिन इस बात पर कोई ध्यान नही दें रहा था। भारत को तोड़ने के लिए एक नहीं, दो नहीं कई हजारों NGO's लगे हैं जो आज से नहीं चल रहे हैं कई सालों से चल रहे हैं।

इनका उद्देश्य केवल यही है कि भारत देश को फिर से गुलाम बनाया जाये। उसके लिए ये NGO's दिन रात काम कर रहें हैं और उनको इसके लिए विदेश से अरबों-खरबों रूपए भेजे जातें हैं। इनसे सावधान रहें।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, July 24, 2017

विश्वमें अबतक हुए युद्धोंमें जितना रक्तपात नहीं हुआ होगा जितना धर्म-परिवर्तन के कारण हुआ



धर्म-परिवर्तनकी समस्या अर्थात् हिंदुस्थान एवं हिंदु धर्मपर अनेक सदियोंसे परधर्मियोंद्वारा होनेवाला धार्मिक आक्रमण ! इतिहासमें अरबीयोंसे लेकर अंग्रेजोंतक अनेक विदेशियोंने हिंदुस्थानपर आक्रमण किए । साम्राज्य विस्तारके साथ ही स्वधर्मका प्रसार, यही इन सभी आक्रमणोंका सारांश था । आज भी इन विदेशियोंके वंशज यही ध्येय सामने रखकर हिंदुस्तानमें नियोजनबद्धरूपसे कार्यरत हैं । 

प्रस्तूत लेख द्वारा हम ‘धर्म-परिवर्तन’ के दुष्परिणाम समझ लेंगे ।
genocide for conversion

*सामाजिक दुष्परिणाम*

1 ‘धर्मांतरितोंके रहन-सहनमें विलक्षण परिवर्तन दिखाई देनेके कारण कंधमलमें (उडीसामें) ईसाई  बनी जनजातियां और वहांके परंपरागत समाजमें दूरियां बढ गई हैं ।’

2. नागभूमिमें (नागालैंडमें) ईसाइयोंके धार्मिक दिवस रविवारके दिन अन्य कार्यक्रम प्रतिबंधित हैं । उस दिन बसें भी बंद रहती हैं । कृषक अपने खेतोंमें रविवारको काम नहीं कर सकते । यदि वे करें, तो उन्हें 5 हजार रुपए दंड भरना पडता है एवं 25 कोडे खाने पडते हैं ।

3 . ‘मेघालय राज्यमें केंद्रशासनके नियमानुसार रविवारको छुट्टी रहती है । किंतु , इस विषयमें मेघालय शासनके ग्रामीण विकास विभागकी अप्पर सचिव श्रीमती एम्. मणीने एक लिखित उत्तरमें कहा, ‘हमारा राज्य ईसाई होनेके कारण रविवारको यहां सबकी छुट्टी रहती है ।’ ’

*सांस्कृतिक दुष्परिणाम*

1 ‘नागभूमिमें (नागालैंडमें) बाप्तिस्त मिशनरियोंने स्थानीय नाग लोगोंको ईसाई पंथकी दीक्षा देकर उनका नाग संस्कृतिसे संबंध तोडा । उनका लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोककथा और धार्मिक परंपराओंका, दूसरे शब्दोंमें उनकी संस्कृतिका विनाश भी इन मिशनरियोंने किया । उन्होंने नाग लोगोंको पूर्णतः पश्चिमी मानसिकताके रंगमें रंग दिया ।’ 

2 . मिजोरममें, मिजो राजाके ढोल जैसा परंपरागत वाद्य बजानेपर वहांके ईसाई संगठनोंने प्रतिबंध लगा दिया है । वहांके ईसाइयोंने धमकी दी है, ‘यदि राजाने यह परंपरा जारी रखी, तो इसके परिणाम गंभीर होंगे’ ।

3. ‘धर्मांतरित हिंदु ‘हिंदुस्थान’को नहीं, अपितु ‘रोम’को पुण्यभूमि मान, हिंदुस्थानकी पवित्र नदियां, पर्वत, नागरिक, राष्ट्रभाषा, वेशभूषा और संस्कृतिका तिरस्कार करने लगे हैं ।’ – ईसाई स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर

4. धर्म-परिवर्तनके कारण सांस्कृतिक जीवनसे संबंधित संकल्पना भी परिवर्तित होती है, यह नियम व्यक्तियोंपर ही नहीं, नगरोंपर भी लागू होता है । इस्लामी आक्रमणकारियोंने ‘औरंगाबाद’, ‘हैदराबाद’, ‘इलाहाबाद’, ‘फैजाबाद’ जैसे अनेक स्थानोंके हिंदुओंके साथ ही उन नगरोंके नामोंका भी इस्लामीकरण कर उनका सांस्कृतिक परिचय नष्ट कर दिया ।


*संस्कृति पूर्णतः नष्ट होना*

1. आग्निपूजक पारसी लोगोंके मूल स्थान ईरानमें इस्लामी आक्रमणकारियोंने उनपर अत्याचार कर उन्हें धर्म-परिवर्तनके लिए बाध्य किया तथा जिन्होंने ऐसा नहीं किया, उन्हें वहांसे भगा दिया । उन पारसियोंको हिंदुस्थानने आश्रय दिया । आज ईरानमें पारसी संस्कृतिका एक भी चिह्न शेष नहीं है ।

2. ईसाईकृत धर्मांतरणके कारण ही रोम और ग्रीक संस्कृतियां नष्ट हुर्इं ।

3. अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और रूसकी आदिवासी (मूल) संस्कृतियां नष्ट होना : ईसाई धर्मप्रचारकोंने अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और रूसके करोडों भोले-भाले आदिवासियोंका धर्म-परिवर्तन कर उनके चरित्र, जीवन-शैली, जीवन-मूल्य एवं उनकी संस्कृति और संस्थाओंका सर्वनाश कर दिया ।
*राष्ट्रीय दुष्परिणाम*

1. ‘अनेक व्यक्ति, जिनका धर्म-परिवर्तन हो चुका है, अब वे मानसिकता राष्ट्रविरोधी हो गए हैं ।’ – ईसाई स्वतंत्रता सेनानी, राजकुमारी अमृत कौर

2. ‘आज मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुरका पर्वतीय भाग एवं अरुणाचल प्रदेशके कुछ भागोंमें धर्मांतरित जनजातियोंमें राष्ट्रविरोधी भावना तीव्र है ।’ 

धर्म-परिवर्तनसे राष्ट्र परिवर्तन

स्वातंत्र्यवीर सावरकरने अनेक वर्ष जनजाग्रति करते समय चेतावनी दी, ‘धर्म-परिवर्तन राष्ट्र परिवर्तन है ।’ उनकी यह चेतावनी कितनी अचूक थी, यह आगे दिए हुए सूत्रोंसे और स्पष्ट हो जाएगी ।

*नागालैंड*
‘हिंदुस्थान स्वतंत्र होनेके पश्चात् तुरंत ही ईसाई धर्ममें धर्मांतरित विद्रोहियोें ‘अंगामी जापो फीजो’ नामक ईसाईके नेतृत्वमें नाग विद्रोहियोंने भारतके विरुद्ध सशस्त्र विद्रोहकी घोषणा कर दी । ‘नागालैंड फॉर क्राईस्ट’, यह उनकी धर्मांध युद्धघोषणा थी । इन नाग विद्रोहियोंको शस्त्रोंकी और अन्य प्रकारकी सहायताका दुष्कर्म माइकल स्कॉट नामक ईसाई मिशनरीने किया । बौप्टस्ट मिशनरियोंके दबावमें आकर धर्मनिरपेक्ष शासनने इन फुटीर पृथकतावादियोंकी सर्व मांगें मान लीं और नागालैंड राज्यका निर्माण हुआ ।’
– श्री. विराग श्रीकृष्ण पाचपोर

४‘नागालैंडमें ‘Nagaland belongs to Jesus Christ ! Bloody Indian dogs get lost !’ !’ अर्थात् ‘नागालैंड ईसा मसीहकी भूमि है ।
मूर्ख भारतीय कुत्तों, यहांसे निकल जाओ !’ इस प्रकारकी घोषणाएं जगह-जगहपर लिखी हुई मिलती हैं ।’

‘स्वतंत्र ईसाई राज्य मिलनेके पश्चात् फुटीरतावादी ईसाइयोंने स्वतंत्र नागालैंड राष्ट्रकी मांग करनेके लिए देशके विरुद्ध सशस्त्र विद्रोहकी घोषणा की ।’

*कश्मीर*
हिंदुस्थानको स्वतंत्रता-प्रााप्तके पश्चात् कश्मीरमें बहुसंख्यक मुसलमानोंने कश्मीरके लिए पृथक संविधान एवं दंडविधान (कानून) बनानेका अधिकार प्राप्त कर लिया । कश्मीरके प्रथम मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्लाका ध्येय था, ‘स्वतंत्र कश्मीर राष्ट्र’ । इसके लिए उन्होंने राष्ट्रविरोधी कृत्य कर पाकसे साठगांठ की । फलस्वरूप कश्मीरी मुसलमानोंमें फुटीरतावादी मानसिकता दृढ हुई । फुटीरतावादी ‘हुरियत कॉन्फ्रेंस’ संगठनने ‘आजाद कश्मीर’का प्रचार आरंभ किया । स्वतंत्र कश्मीर राष्ट्रकी स्थापना हेतु, ‘जम्मू कश्मीर मुक्त मोर्चा’ (जेकेएल्एफ्) आदि आतंकवादी संगठनोंका जन्म हुआ । इस कारण, आज वहां राष्ट्रीय त्यौहारोंके दिन राष्ट्रध्वज फहराना भी कठिन हो गया है ।

*धार्मिक दुष्परिणाम*
1. ‘हिंदु समाजका एक व्यक्ति मुसलमान अथवा ईसाई बनता है, तो इसका अर्थ इतना ही नहीं होता कि एक हिंदु घट गया; इसके विपरीत हिंदु समाजका एक शत्रु और बढ जाता है ।’ – स्वामी विवेकानंद

2. तमिलनाडु राज्यमें धर्मांतरित हिंदुओंद्वारा ईसाई बने मछुआरे समाजने स्वामी विवेकानंदका स्मारक बनानेका विरोध किया ।

3. कालडी (केरल) नामक आदिगुरु शंकराचार्यके इस गांवमें उनके नामसे अभ्यास केंद्र बनानेका ईसाई बने वहांके ग्रामीणोंने विरोध किया है ।

4. इस्लामी आक्रमणोंके समय प्राणभयसे अथवा धनके लोभसे धर्मांतरण करनेवाले धर्मभ्रष्ट हिंदुओंने ही आगे कट्टरतापूर्वक हिंदुओंका नरसंहार किया और असंख्य हिंदुओंको मुसलमान बनाया । अलाउद्दीन खिलजीका सेनापति मलिक कपूर, जहांगीरका सेनापति महाबत खां, फिरोजशाहका वजीर मकबूल खां, अहमदाबादका सुलतान मुजफ्फरशाह और बंगालका काला पहाड मूलतः हिंदु थे । उन्होंने मुसलमान बननेके पश्चात् हिंदु धर्मपर कठोर आघात और हिंदुओंपर निर्मम अत्याचार किए ।

5. ‘मोहनदास गांधीके पुत्र हरिलालने मुसलमान बननेके पश्चात् अनेक हिंदुओंको मुसलमान बनाया । उसने यह प्रतिज्ञा की थी, ‘पिता मोहनदास और मां कस्तूरबाको भी मुसलमान बनाऊंगा ।’

6. इस्लामी आक्रमणकारियोंकी मार-काटमें अधिकांश कश्मीर घाटी हिन्दुओं से मुसलमान धर्मांतरित हुई । इन धर्मांतरित मुसलमानोंकी आगामी पीढियोंने वर्ष 1989 में हिंदुओंको चेतावनी दी, ‘धर्मांतरित हों अथवा कश्मीर छोडो ।’ फलस्वरूप साढेचार लाख हिंदुओंने कश्मीर छोडा, तथा 1 लाख हिंदु जिहादियोंद्वारा मारे गए । आज कश्मीरमें हिंदु पूर्णतः समाप्त होनेके मार्गपर हैं ।

*हिंदुओंका वंशनाश होनेका संकट* !

‘हिंदुओंका धर्मांतरण इसी गति से चलता रहा, तो जिस प्रकार 100 वर्षोंके पश्चात् आज हम कहते हैं, ‘किसी काल में पारसी पंथ था’, उसी प्रकार यह भी कहना पडेगा, ‘हिंदु धर्म था’; क्योंकि धर्मपरिवर्तनके कारण देशमें जब हिंदु अल्पसंख्यक हो जाएंगे, उस समय उन्हें ‘काफिर’ कहकर मार डाला जाएगा ।’ – डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था.

*वैश्विक अशांति*

1. ‘अनेक प्रकारके संघर्ष, जिनसे हम बच सकते हैं, धर्म-परिवर्तनके कारण ही उत्पन्न होते हैं ।’ – गांधीजी

2. ‘धर्म-परिवर्तन ही विश्वमें संघर्षका मूल कारण है । यदि विश्वमें धर्म-परिवर्तन न हो, तो निश्चित ही संघर्ष भी नहीं होगा ।’
– श्री. एम्.एस्.एन्. मेनन 

3. ‘मध्ययुगके अनेक युद्ध धर्म-परिवर्तनके कारण ही हुए हैं ।’ – (पत्रिका ‘हिन्दू-जागृति से संस्कृति रक्षा’)

4. ‘विश्वमें अबतक हुए युद्धोंमें जितना रक्तपात नहीं हुआ होगा, उससे कहीं अधिक रक्तपात ईसाई और मुसलमान इन दो धर्मियोंद्वारा किए गए धर्म-परिवर्तनके कारण हुआ ।’ – श्री. अरविंद विठ्ठल कुळकर्णी, ज्येष्ठ पत्रकार, मुंबई. स्त्रोत : हिंदु जनजागृति समिती

भारत में शीघ्र ही धर्मपरिवर्तन रोकना होगा नही तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा ।


🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

   🚩🇮🇳🚩 आज़ाद भारत🚩🇮🇳🚩