30 मई 2020
विश्व में कोरोना वायरस की महामारी चल रही है उसके रोकथाम के लिए अभी तक कोई दवाई नही बन पाई है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि पंचगव्य से कोरोना वायरस खत्म किया जा सकता है।
कोरोना के इलाज पर पंचगव्य से ट्रायल चालू हो गया है जो सबसे पहले राजकोट, गुजरात के सिविल अस्पताल में होगा और 15 दिन तक चलेगा।
बता दे कि गाय को पशु नहीं माना जाता है गाय को माता का दर्जा दिया है क्योंकि गाय माता में 33 करोड़ देवता बसते हैं, गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौझरण से असाध्य रोग भी मिट जाते हैं, यह कुछ वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है।
आपको बता दे कि गुजरात जूनागढ़ कृषि यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा अलग-अलग शोध किए जाते हैं। बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सह संशोधक वैज्ञानिक डॉ. रूकमसिंह तोमर, डॉ. श्रद्धाबेन भट्ट, डॉ. कविताबेन जोशी ने गोमूत्र पर महत्वपूर्ण शोध किया है। शोध में गोमूत्र के अर्क में चार प्रकार के कैंसर के कोश को नष्ट करने की क्षमता पाई गई है।
पंचगव्य किससे बनता है?
पंचगव्य स्वस्थ देशी गाय के दूध, दही, घी, गौमूत्र, गोबर से बनता है।
पंचगव्य से क्या लाभ होता है?
पंचगव्य के नियमित सेवन से मानसिक व्याधियाँ पूर्णतः नष्ट हो जाती हैं। विषैली औषधियों के सेवन से तथा लम्बी बीमारी से शरीर में संचित हुए विष का प्रभाव भी निश्चितरूप से नष्ट हो जाता है। गोमाता से प्राप्त होनेवाला, अल्प प्रयास और अल्प खर्च में मानव-जीवन को सुरक्षित बनानेवाला यह अद्भुत रसायन है। पंचगव्य द्वारा शरीर की रोगनिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। आयुर्वेद में पंचगव्य से कैंसर जैसे भयानक रोग तक का निदान किया जाता है। दिल्ली के पश्चिमी पंजाबी बाग स्थित एक चेरिटेबल अस्पताल में पंचगव्य आधारित आयुर्वेदिक कैंसर चिकित्सा के जरिये सैंकड़ों मरीजों को ठीक करने का दावा किया जाता है। कोरोना वायरस भी रोगप्रतिकारक शक्ति कम होने के कारण ही होता है इसलिए पंचगव्य पान करने से रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी तो कोरोना जैसा वायरस हमला नही कर सकता।
आपको बता दे कि देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व गोमूत्र सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए वरदानरूप हैं। दूध स्मरणशक्तिवर्धक, स्फूर्तिवर्धक, विटामिन्स और रोगप्रतिकारक शक्ति से भरपूर है। दही में सुपाच्य प्रोटीन एवं लाभकारी जीवाणु होते हैं जो क्षुधा को बढ़ाने में सहायता करते हैं। घी ओज-तेज प्रदान करता है। इसी प्रकार गोमूत्र कफ व वायु के रोग, पेट व यकृत (लीवर) आदि के रोग, जोड़ों के दर्द, गठिया, चर्मरोग आदि सभी रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है। गाय के गोबर में कृमिनाशक शक्ति है। जिस घर में गोबर का लेपन होता है वहाँ हानिकारक जीवाणु प्रवेश नहीं कर सकते। पंचामृत व पंचगव्य का प्रयोग करके असाध्य रोगों से बचा जा सकता है। ये हमारे पाप-ताप भी दूर करते हैं। गाय से बहुमूल्य गोरोचन की प्राप्ति होती है।
यहाँ तो आपको कम शब्दों में गाय के दूध, घी, दही, गौमूत्र और गोबर की महिमा बताई गई है बाकी इन एक एक चीज का वर्णन करेंगे तो एक एक चीज पर बड़े-बड़े ग्रँथ लिखे जा सकते हैं गौ माता की महिमा आज हम भूल गए और उसका पालन करना छोड़ दिया और गौहत्या करके उसका मांस खाने लगे, गौ आधारित खेती करना छोड़ दिया तभी से देश मे अनेको भयंकर रोग फैलने लगे और अरबो-खबरों रुपये की दवाइयां आज देशवासी खा रहे है हॉस्पिटल में भीड़ लगी रहती हैं अगर अभी भी हम गौमाता की महिमा समझकर उसका पालन करे और उसके दूध-दही-धी आदि का उपयोग करे तो जीवन स्वस्थ्य और सुखी रह सकता हैं। सिर्फ स्वास्थ्य लाभ ही नही बल्कि गाय के दूध-घी-गोबर-गौमूत्र द्वारा आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।
गौ-सेवा से धन-सम्पत्ति, आरोग्य आदि मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं।
केंद्र और राज्य सरकार क सभी कत्लखानों को बंद करके उसमें गौशालाओं खोल देनी चाहिए जिससे देश की आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी एवं लोगो का स्वास्थ्य लाभ होगा और देश मे सुख-शांति बढ़ेगी।
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