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Sunday, August 20, 2017

जानिए क्या है सोमवती अमावस्या का महत्व, कैसे करें दरिद्रता का नाश

अगस्त 20, 2017

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। वैसे तो साल में हर महीने अमावस्या आती है लेकिन सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है।
somwati amavasya

इस बार 21 अगस्त 2017 को सुबह सूर्योदय से लेकर रात्रि 1 बजे तक सोमवती अमावस्या है ।
अमावस्या सोमवार को हो और उस दिन सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के एक ही सीध में हों तो बहुत ही शुभ योग होता है। सोमवार को अमावस्या बड़े भाग्य से ही पड़ती है, पांडव पूरे जीवन में सोमवती अमावस्या के लिए तरसते रहे लेकिन कभी उनके जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई।
अमावस्या के दिन सोमवार का योग होने पर उस दिन देवताओं को भी दुर्लभ हो ऐसा पुण्यकाल होता है क्योंकि गंगा, पुष्कर एवं दिव्य अंतरिक्ष और भूमि के जो सब तीर्थ हैं, वे ‘सोमवती (दर्श) अमावस्या के दिन जप, ध्यान, पूजन करने पर विशेष धर्मलाभ प्रदान करते हैं ।
सोमवार चंद्रमा का दिन हैं। इस दिन (प्रत्येक अमावस्या को) सूर्य तथा चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं। इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है।  सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है।
महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त होगा ।
ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है।
शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और कुछ अन्य परम्पराओं में भँवरी देने का भी विधान होता है। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधिपूर्वक तुलसी के पेड़ को चढ़ाया जाता है।
इस दिन नदियों, तालाबों, तीर्थों में स्नान और दान आदि का विशेष महत्व होता है।
विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है।
सोमवती अमावस्या स्नान, दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस पर्व पर स्नान करने लोग दूर-दूर से आते हैं।
इस दिन यमुनादि नदियों, मथुरा आदि तीर्थों में स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है। यही कारण है कि गंगा और अन्य पवित्र नदियों के तटों पर इतने श्रद्धालु एकत्रित हो जाते हैं कि वहां मेले ही लग जाते हैं।
निर्णय सिंधु व्यास के वचनानुसार इस दिन मौन रहकर स्नान करने से सहस्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है।
इस दिन यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात:काल किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें। यदि यह भी संभव नही हो तो घर में ही पवित्र नदियों का स्मरण करके भगवन्नाम लेते हुए स्नान करें ।
सोमवती अमावस्या में किया गया स्नान, दान व श्राद्ध अक्षय होता है ।
सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन दान देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जो हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं का दान देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश की पूजा करें तो उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्याः दरिद्रता निवारण
पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है, इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है।
जिनके घर धन-धान्य बढ़ाना है तो सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करें इससे दरिद्रता मिटती है और घर में सुख-संपत्ति आती है।