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Thursday, December 31, 2020

अंग्रेजों वाला 1 जनवरी नववर्ष मना रहे हैं तो पढ़ लीजिये सच्चाई क्या है?

31 दिसंबर 2020


देश में स्वराज्य की मांग जोर पकड रही थी। अंग्रेज भयभीत थे, इसलिए उन्होंने नया साल 1930 संयुक्त प्रांत की हर सामाजिक एवं धार्मिक संस्था से मनाने का आदेश जारी किया और साथ ही यह भी धमकी दी कि जो संस्था यह नया साल नहीं मनाएगी उसके सदस्यों को जेल भेज दिया जाएगा।




आपको बता दें कि सृष्टि का जिस दिन निर्माण हुआ था उस दिन ही चैत्री शुक्लपक्ष प्रतिपदा थी और सनातन हिंदू धर्म में इसी दिन को नूतन वर्ष मनाया जाता है लेकिन 700 साल मुग़लों और 200 साल अंग्रेजों के गुलाम रहे जिसके कारण हम अपना नूतन वर्ष भूल गए और अंग्रेजों के नूतन वर्ष मनाने लगे, अंग्रेज गये 70 साल से ऊपर हो गए लेकिन उनकी शिक्षा की पढ़ाई करने के कारण मानसिक गुलामी अभी नहीं गई जिसके कारण अपना नूतन वर्ष हमें याद भी नहीं आता है।

जो भारतीय नूतन वर्ष भूल गए हैं और अंग्रेजों वाला नया वर्ष मना रहे हैं उनके लिए कवि ने अपनी व्यथा प्रकट करते हुए एक कविता लिखी है आप भी पढ़ लीजिये...।

ना सुंदर फूल खिलते हैं, ना वातावरण में महकते हैं।
प्रकृति भी निस्तेज सी लगती, ना ही पक्षी चकहते हैं।।

01 जनवरी नववर्ष से हमें क्या मतलब, क्यों मनाये हम हर्ष।
हम हैं सनातन संस्कृति परंपरा से, हम क्यों मनाएं ईसाई नववर्ष।।

सबसे पहले ईसाई नववर्ष, जूलियस सीजर ने मनवाया।
अंग्रेज़ों ने भारत में आकर, इस परंपरा को और चमकाया।।

सनातन संस्कृति से ईसाई नववर्ष का, कोई सरोकार नहीं है।
क्यों हो पाश्चात्य संस्कृति के पीछे अंधे, ये हमारे संस्कार नहीं हैं।।

क्यों हो व्यसनों की तरफ आकर्षित, क्यों पीएं शराब, बियर।
क्यों करें अपना नैतिक पतन, क्यों बोलें हैप्पी न्यू ईयर।।

ईसाई देशों में खूब बम पटाखे फोड़ेंगे, मीडिया वाले कुछ नहीं कहेंगे।
होली दीवाली में प्रदूषण देखने वाले, देखना इस पर मौन रहेंगे।।

वास्तव में ये नववर्ष नहीं है, ये है सनातन संस्कृति पर प्रहार।
समय की मांग है एकत्र हो, करो ईसाई नववर्ष का बहिष्कार।।

चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिपदा को, चलो हम नववर्ष मनाएं।
रंगोली बनाएं, दीप जलाएं, घर घर भगवा पताका फहराए।। - कवि सुरेन्द्र भाई

इस कविता के माध्यम से हमें समझना चाहिए कि अंग्रेजो के द्वारा थोपा गया नूतन वर्ष हमारा सांस्कृतिक, शारिरिक, मानसिक और सामाजिक पतन करता है जो राष्ट्र के लिए भी हानि करता है इसलिए हमें ऐसे त्यौहार से बचना चाहिए और अपने आसपास ऐसा कोई गलती से नया साल मना रहा हो तो उसको भी समझाइये कि भाई ये हमारा त्यौहार नहीं है हमारी संस्कृति सबसे महान है और वे नूतन वर्ष चैत्री शुक्लपक्ष प्रतिपदा को आएगा उस दिन हम सभी मिलकर धूमधाम से मनायेंगे।

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Tuesday, December 29, 2020

भयानक रिपोर्ट : 1 जनवरी को नववर्ष मनाने वाले सावधान हो जाएं

29 दिसंबर 2020


भारत की इतनी दिव्य और महान संस्कृति है कि इसका अनुसरण करने वाला बिना किसी वस्तु, व्यक्ति के यहां तक कि विपरीत परिस्थितियों में भी सुखी रह सकता है, इसके विपरीत विदेशों में भोग सामग्री होते हुए भी वहां के लोग इतने दुःखी व चिंतित हैं कि वहां के आंकड़े देखकर दंग रह जाएंगे आप लोग !!




फिर भी भारत का एक बड़ा वर्ग उनका अंधानुकरण कर, उनका नववर्ष मनाने लगा  और भूल गया अपनी संस्कृति को ।

एक सर्वे के अनुसार...

ईसाई नववर्ष पर तीन गुनी हुई एल्कोहल की खपत:-

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल ( एसोचेम - ASSOCHAM ) के क्रिसमस और ईसाई नववर्ष पर एल्कोहल पर खपत किये गये सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है कि इन अवसरों पर 14 से 19 वर्ष के किशोर भी शराब व मादक पदार्थों का जमकर सेवन करते हैं और यही कारण है कि इस दौरान शराब की खपत तीन गुनी बढ़ जाती है।

इन दिनों में दूसरे मादक पेय पदार्थों की भी खपत बढ़ जाती है । बड़ों के अलावा छोटी उम्रवाले भी बड़ी संख्या में इनका सेवन करते हैं । इससे किशोर-किशोरियों, कोमल वय के लड़के-लड़कियों को शारीरिक नुकसान तो होता ही है, उनका व्यवहार भी बदल जाता है और हरकतें भी जोखिमपूर्ण हो जाती हैं । उसका परिणाम कई बार एचआईवी संक्रमण (एड्स रोग) के तौर पर सामने आता है तो कइयों को टी.बी., लीवर की बीमारी, अल्सर और गले का कैंसर जैसे कई असाध्य रोग भी पैदा हो जाते हैं । करीब 70 प्रतिशत किशोर फेयरवेल पार्टी, क्रिसमस एवं ईसाई नूतन वर्ष पार्टी, वेलेंटाइन डे और बर्थ डे जैसे अवसरों पर शराब का सेवन करते हैं । एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 40 प्रतिशत शराब के कारण होती हैं ।

सूत्रों का कहना है कि क्रिसमस (25 दिसम्बर से 1 जनवरी ) के दिनों में शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, युवाधन की तबाही व आत्महत्याएँ खूब होती हैं ।

भारत से 10 गुणा ज्यादा दवाईयां खर्च होती हैं ।

पाश्चात्य संस्कृति और त्यौहार का अनुसरण करने पर यूरोप, अमेरिका आदि देशों में मानसिक रोग इतने बढ़ गए हैं कि हर दस व्यक्ति में से एक को मानसिक रोग होता है । दुर्वासनाएँ इतनी बढ़ी हैं कि हर छः सेकंड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख से अधिक कन्याएँ विवाह के पूर्व ही गर्भवती हो जाती हैं । वहाँ पर 65% शादियाँ तलाक में बदल जाती हैं । AIDS की बीमारी दिन दुगनी रात चौगुनी फैलती जा रही है | वहाँ के पारिवारिक व सामाजिक जीवन में क्रोध, कलह, असंतोष, संताप, उच्छृंखता, उद्यंडता और शत्रुता का महा भयानक वातावरण छाया रहता है ।

विश्व की लगभग 4% जनसंख्या अमेरिका में है । उसके उपभोग के लिये विश्व की लगभग 40% साधन-सामग्री (जैसे कि कार, टी वी, वातानुकूलित मकान आदि) मौजूद हैं फिर भी वहाँ अपराधवृति इतनी बढ़ी है कि हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, 1 लाख व्यक्तियों में से 425 व्यक्ति कारागार में सजा भोग रहे हैं । इन सबका मुख्य कारण दिव्य संस्कारों की कमी है ।

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर दारू पीते हैं । हंगामा करते हैं, महिलाओं से छेड़खानी करते हैं, रात को दारू पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस व प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता है और 1 जनवरी से आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढ़ती ही रहती हैं ।

जबकि भारतीय नववर्ष नवरात्रों के व्रत से शुरू होता है ।घर-घर में माता रानी की पूजा होती है । शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है । चैत्र प्रतिपदा के दिन से महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध है ।

भोगी देश का अन्धानुकरण न करके युवा पीढ़ी भारत देश की महान संस्कृति को पहचाने ।

1 जनवरी में सिर्फ नया कलैण्डर आता है, लेकिन चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व ,विवाह और अन्य मुहूर्त देखे जाते हैं । इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग ।

स्वयं सोचें कि क्यों मनाएं एक जनवरी को नया वर्ष..???

केवल कैलेंडर बदलें अपनी संस्कृति नहीं...!!!

रावण रूपी पाश्‍चात्य संस्कृति के आक्रमणों को नष्ट कर चैत्र प्रतिपदा के दिन नववर्ष का विजयध्वज अपने घरों व मंदिरों पर फहराएं ।

अंग्रेजी गुलामी तजकर ,अमर स्वाभिमान भर लें भारतवासी । हिन्दू नववर्ष मनाकर खुद में आत्मसम्मान भर लें भारतवासी ।।

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Monday, December 28, 2020

अंग्रेजों का नया साल 1 जनवरी मना रहे हैं तो सावधान, होती है भयंकर हानि

28 दिसंबर 2020


आजकल, 31 दिसंबर की रात्रि में छोटे बालकों से वृद्ध तक सभी एक-दूसरे को शुभकामना संदेश-पत्र अथवा प्रत्यक्ष मिलकर हैप्पी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ।




वास्तविक, भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा(गुड़ीपाडवा) ही हिंदुओं का नववर्ष दिन है । किंतु, आज के हिंदु 31 दिसंबर की रात्रि में नववर्ष दिन मनाकर अपने आपको धन्य मानने लगे हैं । आजकल, भारतीय वर्षारंभ दिन चैत्र प्रतिपदा पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देनेवाले हिंदुओं के दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं ।

चैत्री नूतन वर्ष के फायदें और 31 दिसंबर के नुकसान

हिंदु धर्म के अनुसार शुभ कार्य का आरंभ ब्रह्ममुहूर्त में उठकर, स्नानादि शुद्धिकर्म के पश्‍चात, स्वच्छ वस्त्र एवं अलंकार धारण कर, धार्मिक विधि-विधान से करना चाहिए । इससे व्यक्ति पर वातावरण की सात्विकता का संस्कार होता है ।

31 दिसंबर की रात्रि में किया जानेवाला मद्यपान एवं नाच-गाना, भोगवादी वृत्ति का परिचायक है । इससे हमारा मन भोगी बनेगा । इसी प्रकार, रात्रि का वातावरण तामसिक होने से हमारे भीतर तमोगुण बढ़ेगा । इन बातों का ज्ञान न होने के कारण, अर्थात धर्मशिक्षा न मिलने के कारण, ऐसे दुराचारों में रुचि लेने वाली आज की युवा पीढी भोगवादी एवं विलासी बनती जा रही है । इस संबंध में इनके अभिभावक भी आनेवाले संकट से अनभिज्ञ दिखाई देते हैं ।

ऋण उठाकर 31 दिसंबर मनाते हैं

प्रतिवर्ष दिसंबर माह आरंभ होने पर, मराठी तथा स्वयं भारतीय संस्कृति का झूठा अभिमान अनुभव करने वाले परिवारों में चर्चा आरंभ होती है, `हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढते हैं । 'क्रिसमस’ कैसे मनाना है, यह उन्हें पाठशाला में पढ़ाते हैं, अत: हमारे घर ‘ना ताल’ का त्यौहार मनाना ही पड़ता है, आदि।’ तत्पश्चात वे क्रिसमस ट्री, सजाने का साहित्य, बच्चों को सांताक्लॉज की टोपी, सफेद दाढ़ी मूंछें, विक, मुखौटा, लाल लंबा कोट, घंटा आदि वस्तुएं ऋण उठाकर खरीदते हैं । गोवा में एक प्रसिद्ध आस्थापन ने 25 फीट के अनेक क्रिसमस ट्री प्रत्येक को 1 लाख 50 हजार रुपयों में खरीदे हैं । ये सब करनेवालों को एक ही बात बताने की इच्छा है, कि ऐसा कर हम एक प्रकार से धर्मांतर ही कर रहे हैं । कोई भी तीज-त्यौहार, व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ हो, इस उद्देश्य से मनाया जाता है ! हिंदू धर्म के हर तीज-त्यौहार से उन्हें मनानेवाले, आचार-विचार तथा कृत्यों में कैसे उन्नत होंगे, यही विचार हमारे ऋषि-मुनियों ने किया है । अत: ईश्वरीय चैतन्य, शक्ति एवं आनंद देनेवाले `गुड़ीपाडवा’ के दिन ही नववर्ष का स्वागत करना शुभ एवं हितकारी है ।

अनैतिक तथा कानून द्रोही कृत्य कर नववर्ष का स्वागत !

वर्तमान में पाश्चात्त्य प्रथाओं के बढ़ते अंधानुकरण से तथा उनके नियंत्रण में जाने से अपने भारत में भी नववर्ष ‘गुड़ीपाडवा’ की अपेक्षा बडी मात्रा में 31 दिसंबर की रात 12 बजे मनाने की कुप्रथा बढ़ने लगी है । वास्तव में रात के 12 बजे ना रात समाप्त होती है, ना दिन का आरंभ होता है । अत: नववर्ष भी कैसे आरंभ होगा ? इस समय केवल अंधेरा एवं रज-तम का राज होता है । इस रात को युवकों का मदिरापान, नशीले पदार्थों का सेवन करने की मात्रा में बढोतरी हुई है । युवक-युवतियों का स्वेच्छाचारी आचरण बढ़ा है । तथा मदिरापान कर तेज सवारी चलाने से दुर्घटनाओं में बढोतरी हुई है । कुछ स्थानों पर भार नियमन रहते हुए बिजली की झांकी सजाई जाती है, रातभर बड़ी आवाज में पटाखे जलाकर प्रदूषण बढ़ाया जाता है, तथा कर्ण कर्कश ध्वनिवर्धक लगाकर उनके तालपर अश्लील पद्धति से हाथ-पांव हिलाकर नाच किया जाता है, गंदी गालियां दी जाती हैं तथा लडकियों को छेडने की घटना बढकर कानून एवं सुव्यवस्था के संदर्भ में गंभीर समस्या उत्पन्न होती है । नववर्ष के अवसर पर आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढती ही रहती हैं ! इस ख्रिस्ती नए वर्ष ने युवा पीढ़ी को विलासवाद तथा भोगवाद की खाई में धकेल दिया है ।

राष्ट्र तथा धर्म प्रेमियो, इन कुप्रथाओं को रोकने हेतु आपको ही आगे आने की आवश्यकता है !

31 दिसंबर को होने वाले अपकारों के कारण अनेक नागरिक, स्त्रियों तथा लडकियों का घर से बाहर निकलना असंभव हो जाता है । राष्ट्र की युवा पीढी ध्वस्त होने के मार्ग पर है । इसका महत्त्व जानकर हिंदू जनजागृति समिति इस विषय में जनजागृति कर पुलिस एवं प्रशासन की सहायता से उपक्रम चला रही है । ये गैरप्रकार रोकने हेतु 31 दिसंबर की रात को प्रमुख तीर्थक्षेत्र, पर्यटनस्थल, गढ-किलों जैसे ऐतिहासिक तथा सार्वजनिक स्थान पर मदिरापान-धूम्रपान करना तथा प्रीतिभोज पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है । पुलिस की ओर से गश्तीदल नियुक्त करना, अपकार करनेवाले युवकों को नियंत्रण में लेना, तेज सवारी चलाने वालों पर तुरंत कार्यवाही करना, पटाखों से होनेवाले प्रदूषण के विषय में जनता को जागृत करना, ऐसी कुछ उपाय योजना करने पर इन अपकारों पर निश्चित ही रोक लगेगी । आप भी आगे आकर ये गैरप्रकार रोकने हेतु प्रयास करें । ध्यान रखें, 31 दिसंबर मनाने से आपको उसमें से कुछ भी लाभ तो होता ही नहीं, किंतु सारे ही स्तरों पर, विशेष रूप से अध्यात्मिक स्तर पर बड़ी हानि होती है ।

हिंदू जनजागृति समिति के प्रयासों की सहायता करें !

नए वर्ष का आरंभ मंगलदायी हो, इस हेतु शास्त्र समझकर भारतीय संस्कृतिनुसार ‘चैत्र शुद्ध प्रतिपदा’, अर्थात ‘गुड़ीपाडवा’ को नववर्षारंभ मनाना नैसर्गिक, ऐतिहासिक तथा अध्यात्मिक दृष्टि से सुविधाजनक तथा लाभदायक है । अत: पाश्चात्त्य विकृति का अंधानुकरण करने से होनेवाला भारतीय संस्कृति का अधःपतन रोकना, हम सबका ही आद्यकर्तव्य है । राष्ट्राभिमान का पोषण करने तथा गैरप्रकार रोकने हेतु हिंदू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित उपक्रम को जनता से सहयोग की अपेक्षा है । भारतीयो, गैरप्रकार, अनैतिक तथा धर्मद्रोही कृत्य कर नए वर्ष का स्वागत न करें, यह आपसे विनम्र विनती ! – श्री. शिवाजी वटकर, समन्वयक, हिंदू जनजागृति समिति, मुंबई-ठाणे-रायगढ ।

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