वेटिकन के विश्व प्रमुख काडर्निल जॉर्ज पेल पर बाल यौन अपराध के आरोप तय
जून 30, 2017
सिडनी
: पोप के सहायक वेटिकन के विश्व प्रमुख काडर्निल जॉर्ज पेल पर ऑस्ट्रेलिया
में कई बाल यौन अपराधों के कारण आज (29 जून 2017) आरोप तय किए गए । देश के
सबसे वरिष्ठ कैथोलिक धर्मगुरू पेल से गत वर्ष अक्तूबर में आस्ट्रेलियाई
पुलिस ने रोम में पूछताछ की थी ।
उपायुक्त शेन पैट्टन ने संवाददाताओं से कहा,
विक्टोरिया
पुलिस ने यौन हमलों के अपराधों को लेकर काडर्निल जॉर्ज पेल पर कई आरोप तय
किए हैं जो ऐतिहासिक है । इन आरोपों से संबंधित कई शिकायतें थी। पेट्टन ने
कहा कि 76 वर्षीय काडर्निल को 18 जुलाई को सुनवाई के लिए मेलबोर्न की
मजिस्ट्रेट न्यायालय में पेश होना होगा ।
पेल
को 1971 में ऑस्ट्रेलिया लौटने से पहले 1966 में रोम में पादरी बनाया गया
था और देश के शीर्ष कैथोलिक अधिकारी बनाया गया था । पोप फ्रांसिस द्वारा
चर्च के वित्तीय मामलों को और अधिक पारदर्शी तरीके से संभालने के लिए चुने
जाने के बाद वह 2014 में वेटिकन रवाना हुआ ।
स्त्रोत : जी न्यूज
आपको
बता दें कि पिछले साल ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु ‘पोप’ जान पॉल के ‘लव
लेटर्स’ भी सामने आये थे जिन्होंने एक शादीशुदा अमेरिकी विचारक महिला
अन्ना-टेरेसा ताइमेनिका से रिश्ता रखा हुआ था ।
ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु स्वयं ही छोटे-छोटे बच्चों का यौन शोषण करते हैं वो दूसरों का क्या भला करेंगे?
सबसे
बड़ी आश्चर्य की बात तो ये है कि जब भी किसी निर्दोष हिन्दू संत पर कोई भी
छोटा सा झूठा आरोप लगता है तो मीडिया दिन-रात ब्रेकिंग न्यूज बनाकर उसमें
मिर्च-मसाला डाल कर दिखाती है । लेकिन ईसाई धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु पर
बच्चों के साथ किये दुष्कर्म का आरोप साबित भी हो गया है फिर भी मीडिया चुप
क्यों है..???
क्या मीडिया को वेटिकन चर्च से फंडिग आती है?
सुदर्शन
न्यूज चैनल के मालिक श्री सुरेश चव्हाणके की बात यहाँ सही निकलती है कि
भारत की मीडिया को अधिकतर फंडिग वेटिकन सिटी जो ईसाई धर्म का बड़ा स्थान है
वहाँ से आता है इसलिए मीडिया केवल हिन्दू धर्म के साधु-संतों को बदनाम करती
है और ईसाई पादरियों के दुष्कर्म को छुपाती है ।
अब आपके मन मे प्रश्न होता होगा कि उनको इससे क्या फायदा होगा?
आपको बता दें कि भारतीय मीडिया को हिन्दू संतों को बदनाम करने के लिए और पादरियों के दुष्कर्म छुपाने के लिए पैसा मिलता है ।
अगर हिन्दू साधु-संतों के प्रति देशवासियों की आस्था बनी रही तो भारत में धर्मांतरण का कार्य आसानी से नहीं होगा।
अब सवाल है कि धर्मांतरण करवाने से उनको क्या फायदा मिलेगा..??
भारतीय
संस्कृति वो उत्तम और पवित्र संस्कृति है जो हमें कम सुविधाओं में भी सुखी
स्वस्थ और सम्मानित जीवन जीने की शैली देती है । पश्चिमी संस्कृति में भोग
की प्रधानता है जबकि भारतीय संस्कृति में योग की प्रधानता है । ये वो
संस्कृति है जो मानव को महेश्वर तक की यात्रा कराने में सक्षम है और दूसरी
ओर पाश्चात्य संस्कृति बाहरी चकाचौंध वाले जीवन को ही सर्वस्व समझती है।
अब
अगर भारत पर राज्य करना है तो सबसे पहले भारतवासियों का नैतिक व चारित्रिक
पतन कराना होगा व इनके आस्था के केंद्रों को तोड़ना होगा ।
यही काम मीडिया द्वारा मिशनरियाँ करा रही हैं हिन्दू साधु संतों के प्रति समाज के मन में नफरत पैदा करके ।
अतः हिन्दू सावधान !!
जो
भी दुष्कर्मी पादरी आपको धर्म परिवर्तन करने को बोले या आपके आसपास कहीं
भी धर्म परिवर्तन हो रहा हो तो उसका पुरजोर विरोध करें और उनको पुलिस के
हवाले करें ।
जो भी मीडिया
आपको सच्चाई से अवगत न कराए पर अनर्गल खबरें बना-बनाकर हिन्दू साधू-संतों
और हिन्दू कार्यकर्ताओं के विरुद्ध ही खबरें दिखाए तो
समझ जाना कि ये विदेश फंडिग मीडिया है जो देश को तोड़ने का काम कर रही है ।
जागो हिन्दू !!