महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ के लिए बॉलीवुड जिम्मेदार : मेनका गांधी
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा के लिए बॉलिवुड और क्षेत्रीय सिनेमा को जिम्मेदार ठहराया है।
menka gandhi, |
मेनका गांधी ने कहा कि बॉलिवुड में महिलाओं से जुड़े अशोभनीय दृश्यों के कारण देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और महिलाओं के साथ छेड़छाडी होती है ।
मेनका ने कहा, ‘फिल्मों में रोमांस की शुरुआत छेड़छाड़ से होती है।लगभग सभी फिल्मों में छेड़छाड़ को बढ़ावा दिया जाता है। फिल्मों में रोमांस की शुरुआत ही छेड़छाड़ के साथ शुरू होती है। लड़का और उसके दोस्त लड़की के इर्द-गिर्द घूमते हैं। उसके साथ आते-जाते हैं, उन्हें गाली देते हैं, वह उसे छूता है और आखिरकार लड़की उसके प्यार में पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि इन सारी चीजों को करने के लिए पुरुष फिल्में देखकर प्रेरणा लेते हैं। मेनका गांधी ने फिल्मकारों और विज्ञान बनाने वालों से अपील की कि वे महिलाओं की अच्छी छवि को दिखाएं।
आपको बता दें कि मेनका ने शुक्रवार को गोवा फेस्ट 2017 में ये बात कही। वहीं, आगे कहा कि पिछले 50 सालों से फीचर फिल्मों का इस्तेमाल संदेश देने के लिए किया जा रहा है। इस माध्यम से हिंसा रहती है, हर क्षेत्रीय और हिन्दी फिल्मों में अक्सर ऐसा होता है।
भारत को आखिर बॉलीवुड ने दिया क्या है ?
आइये हम बताते हैं आपको कि कितना कुछ बॉलीवुड ने भारत को दिया है...
1. बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके।
2. विवाह किये बिना लड़का लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।
3. विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना
4. चोरी डकैती करने के तरीके।
5. भारतीय संस्कारों का उपहास उठाना।
6. लड़कियों को छोटे कपड़े पहने की सीख दे उसे फैशन का नाम देना।
7. दारू सिगरेट चरस गांजा कैसे पिया और लाया जाये।
8. गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना।
9. भगवान का मजाक बनाना और अपमानित करना।
10. पूजा पाठ यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है।
11. भारतीयों को अंग्रेज बनाना।
12. भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।
13. माँ बाप को वृध्दाश्रम छोड़ के आना।
14. गाय पालन को मजाक दिखाना और कुत्तों को उनसे श्रेष्ठ बताना और पालना सिखाना।
15. रोटी हरी सब्जी खाना गलत बल्कि रेस्टोरेंट में पिज्जा बर्गर कोल्ड ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है।
16. पंडितों को जोकर के रूप में दिखाना, चोटी रखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है मगर बालों के अजीबों गरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है उससे आप सभ्य लगते है।
17. शुद्ध हिन्दी या संस्कृत बोलना हास्य वाली बात है और उर्दू या अंग्रेजी बोलना सभ्य पढ़ा-लिखा और अमीरी वाली बात।
18.हिन्दू देवी-देवताओं और हिन्दू साधू-संतों का अपमान करने और अल्ला ओर मोलवियों की बढ़ाई करना ।
हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को और उसके अभिनेता और अभिनेत्रियों का अपना आदर्श मानती है.....
अगर यही बॉलीवुड देश की संस्कृति सभ्यता दिखाए ..
तो सत्य मानिये हमारी युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नही भटकेगी...
समझिये ..जानिए औए आगे बढिए...
ये संदेश उन भोले हिन्दू के लिए है
जो फिल्म देखने के बाद
गले में क्रोस मुल्ले जैसी छोटी सी दाड़ी रख कर
खुद को मॉडर्न समझते हैं
हिन्दू युथ के रगो में धीमा जहर भरा जा रह है।
फिल्म जेहाद
सलीम - जाबेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मों को देखे, तो उसमें अक्सर बहुत ही चालाकी से हिन्दू धर्म का मजाक तथा मुस्लिम / ईसाई को महान दिखाया जाता है । इनकी लगभग हर फिल्म में एक महान मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का मजाक तथा संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते है।
फिल्म "शोले" में धर्मेन्द्र भगवान् शिव की आड़ लेकर "हेमामालिनी" को प्रेमजाल में फंसाना चाहता है जो यह साबित करता है कि मंदिर में लोग लडकियाँ छेड़ने जाते है। इसी फिल्म में ए. के. हंगल इतना पक्का नमाजी है कि बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढने चल देता है कि उसे और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए।
"दीवार" का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान् का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला भी बार बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है। "जंजीर" में भी अमिताभ नास्तिक है और जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती है लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है।
फिल्म 'शान" में अमिताभ बच्चन और शशिकपूर साधू के वेश में जनता को ठगते है लेकिन इसी फिल्म में "अब्दुल" जैसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है। फिल्म "क्रान्ति" में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीमखान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है।
अमर-अकबर-एंथनी में तीनों बच्चों का बाप किशनलाल एक खूनी समगलर है लेकिन उसके बच्चे अकबर और एंथनी को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई महान इंसान है।
फिल्म "हाथ की सफाई" में चोरी-ठगी को महिमामंडित करने वाली प्रार्थना भी आपको याद ही होगी।
कुल मिलाकर आपको इनकी फिल्म में हिन्दू नास्तिक मिलेगा या धर्म का उपहास करता हुआ कोई कारनामा दिखेगा और इसके साथ-साथ आपको शेरखान पठान, DSP डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेबिड, आदि जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे।
हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो लेकिन अबकी बार जरा ध्यान से देखना।
केवल सलीम-जावेद की ही नहीं बल्कि कादर खान, कैफी आजमी, महेश भट्ट, आदि की फिल्मों का भी यही हाल है। फिल्म इंडस्ट्री पर दाउद जैसों का नियंत्रण रहा है। इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है और पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कामेडियन आदि ही दिखाया जाता है।
"फरहान अख्तर" की फिल्म "भाग मिल्खा भाग" में "हवन करेंगे" का आखिर क्या मतलब था ?
PK में भगवान् का रोंग नंबर बताने वाले आमिर खान क्या कभी अल्ला के रोंग नंबर पर भी कोई फिल्म बनायेंगे ?
क्या आपको नहीं लगता कि ये महज इत्तेफाक नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश है।
बॉलीवुड द्वारा मीठा जहर दिया जा रहा है जिसमें भारतीय संस्कृति और उनके आधार स्तंभ साधु-संतों और समाज के बीच में खाई खोदने का काम किया जा रहा है।
देश को फिर से गुलामी की जंजीरों में जकड़ने की साजिश राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा देश के अंदर ही चल रही है।
अतः हर हिन्दुस्तानी इस मीठे जहर से सावधान रहें ।
जागो हिन्दू !!