Tuesday, February 28, 2017

शिवरात्रि पर भगवान शिव को कैसे करें प्रसन्न..?

🚩शिवरात्रि क्यों मनाते हैं..? 

🚩शिवरात्रि पर भगवान शिव को कैसे करें प्रसन्न..??

🚩आइये जाने #शिवरात्रि का प्राचीन इतिहास..!!

🚩तीनों लोकों के मालिक #भगवान #शिव का सबसे बड़ा त्यौहार #महाशिवरात्रि है। #महाशिवरात्रि #भारत के साथ कई अन्य देशों में भी धूम-धाम से मनाई जाती है।  

🚩‘स्कंद पुराण के ब्रह्मोत्तर खंड में शिवरात्रि के #उपवास तथा #जागरण की महिमा का वर्णन है : 
‘‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है । उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और भी दुर्लभ है । लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वशिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं । इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है।

🚩शिवलिंग का प्रागट्य!!
शिवरात्रि पर भगवान शिव को कैसे करें प्रसन्न..

🚩पुराणों में आता है कि ब्रह्मा जी जब सृष्टि का निर्माण करने के बाद घूमते हुए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान विष्णु आराम कर रहे हैं। ब्रह्मा जी को यह अपमान लगा ‘संसार का स्वामी कौन?’ इस बात पर दोनों में युद्ध की स्थिति बन गई तो देवताओं ने इसकी जानकारी देवाधिदेव #भगवान #शंकर को दी।

🚩भगवान शिव युद्ध रोकने के लिए दोनों के बीच प्रकाशमान #शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। दोनों ने उस #शिवलिंग की पूजा की। यह विराट शिवलिंग ब्रह्मा जी की विनती पर बारह ज्योतिलिंगो में विभक्त हुआ। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को  शिवलिंग का पृथ्वी पर प्राकट्य दिवस महाशिवरात्रि कहलाया।

🚩बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केंद्र हैं। वे स्वयम्भू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है "स्वयं उत्पन्न"। 

🚩1. #सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।

🚩2. #श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है।

🚩3. #महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।

🚩4. #ॐकारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदान देने हेतु यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।

🚩5. #नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।

🚩6. #बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।

🚩7. #भीमाशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।

🚩8. #त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।

🚩9. #घुश्मेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग।

🚩10. #केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।

🚩11. #काशी विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।

🚩12. #रामेश्वरम्‌ त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।

🚩दूसरी पुराणों में ये कथा आती है कि सागर मंथन के समय कालकेतु विष निकला था उस समय भगवान शिव ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा करने के लिये स्वयं ही सारा विषपान कर लिया था। विष पीने से #भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ के नाम से पुकारे जाने लगे। पुराणों के अनुसार विषपान के दिन को ही महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा। 

🚩कई जगहों पर ऐसा भी वर्णन आता है कि #शिव पार्वती का उस दिन #विवाह हुआ था इसलिए भी इस दिन को #शिवरात्रि  के रूप में मनाने की परंपरा रही है। 

🚩पुराणों अनुसार ये भी माना जाता है कि #सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन #मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।

🚩शिवरात्रि वैसे तो प्रत्येक मास की चतुर्दशी (कृष्ण पक्ष) को होती है परन्तु फाल्गुन (कृष्ण पक्ष) की शिवरात्रि (महाशिवरात्रि) नाम से ही प्रसिद्ध है।


🚩महाशिवरात्रि से संबधित पौराणिक कथा!!

🚩एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?' 

🚩उत्तर में #शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- 'एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था  । पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।'

🚩शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। #चतुर्दशी को उसने #शिवरात्रि व्रत की #कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला।

🚩पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरी। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और #शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुंची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।

🚩कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।

🚩शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।

🚩मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।

🚩मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी #रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें #विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।' उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गया। भगवान शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।

🚩थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार #शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए'।

🚩परंपरा के अनुसार, #इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है। इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गयी है ।


🚩शिवरात्री व्रत की महिमा!!

🚩इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह #व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है ।


🚩महाशिवरात्री व्रत की विधि!!

🚩इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है. प्रत्येक पहर की पूजा में "ॐ नम: शिवाय" व " शिवाय नम:" का जप करते रहना चाहिए।#अगर शिव #मंदिर में यह जप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता हैं ।चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जपों से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में #रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।

🚩फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी अर्थात् #महाशिवरात्रि पृथ्वी पर #शिवलिंग के #प्राकट्य का दिवस है और प्राकृतिक नियम के अनुसार जीव-शिव के एकत्व में मदद करनेवाले ग्रह-नक्षत्रों के योग का दिवस है ।  इस  दिन रात्रि-जागरण  कर  ईश्वर  की आराधना-उपासना की जाती है । 
‘शिव से तात्पर्य है ‘कल्याणङ्क अर्थात् यह रात्रि बडी कल्याणकारी रात्रि है ।

🚩महाशिवरात्रि का पर्व अपने अहं को मिटाकर लोकेश्वर से मिलने के लिए है । #आत्मकल्याण के लिए पांडवों ने भी शिवरात्रि #महोत्सव का आयोजन किया था, जिसमें सम्मिलित होने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका से हस्तिनापुर आये थे । जिन्हें संसार से सुख-वैभव लेने की इच्छा होती है वे भी शिवजी की आराधना करते हैं और जिन्हें सद्गति प्राप्त करनी होती है अथवा आत्मकल्याण में रुचि है वे भी शिवजी की आराधना करते हैं ।

🚩शिवपूजा में वस्तु का मूल्य नहीं, भाव का मूल्य है । भावो हि विद्यते देवः ।
आराधना का एक तरीका यह है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाये । दूसरा तरीका यह है कि #मानसिक पूजा की जाये ।

🚩 हम #मन-ही-मन भावना करें :                           
ज्योतिर्मात्रस्वरूपाय  निर्मलज्ञानचक्षुषे । नमः शिवाय शान्ताय ब्रह्मणे लिंगमूर्तये ।।
‘ज्योतिमात्र (ज्ञानज्योति अर्थात् सच्चिदानंद, साक्षी) जिनका स्वरूप है, निर्मल ज्ञान ही जिनके नेत्र है, जो लिंगस्वरूप ब्रह्म हैं, उन परम शांत कल्याणमय भगवान शिव को नमस्कार है । 

🚩‘ईशान संहिता में भगवान शिव पार्वतीजी से कहते हैं : 
फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथिः स्याच्चतुर्दशी । तस्या या तामसी रात्रि सोच्यते शिवरात्रिका ।।
तत्रोपवासं कुर्वाणः प्रसादयति मां ध्रुवम् । न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया ।
तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः ।।

🚩‘फाल्गुन के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंधकारमयी रात्रि का उदय होता है, उसीको  ‘शिवरात्रि' कहते हैं । उस दिन जो #उपवास करता है वह निश्चय ही मुझे संतुष्ट करता है । उस दिन उपवास करने पर मैं जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान कराने से तथा वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता ।

🚩शिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है और यह योग एवं मोक्ष की प्रधानतावाला व्रत है । 

🚩महाशिवरात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है । #इस रात्रि में किये जानेवाले जप, तप और व्रत हजारों गुणा पुण्य प्रदान करते हैं ।

🚩#स्कंद पुराण में आता है : ‘शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढकर श्रेष्ठ कुछ नहीं है । जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है । 

🚩यदि आज  ‘बं बीजमंत्र का सवा लाख जप किया जाय तो जोडों के दर्द एवं वायु-सम्बंधी रोगों में विशेष लाभ होता है ।

🚩#व्रत में #श्रद्धा, उपवास एवं प्रार्थना की प्रधानता होती है । व्रत नास्तिक को आस्तिक, भोगी को योगी, स्वार्थी को परमार्थी, कृपण को उदार, अधीर को धीर, असहिष्णु को सहिष्णु बनाता है । #जिनके जीवन में व्रत और नियमनिष्ठा है, उनके जीवन में निखार आ जाता है ।

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अंग्रेज भारत आकर आयुर्वेद का इलाज कराते हैं और हम : अक्षय कुमार

अंग्रेज भारत आकर आयुर्वेद का इलाज कराते हैं और हम... : - अक्षय कुमार

सेना और मार्शल आर्ट जैसे गंभीर मुद्दों पर बोलने वाले अक्षय कुमार ने एक वीडियो द्वारा आयुर्वेदिक इलाज के फायदे बताये हैं । दरअसल अक्षय कुमार ने 14 दिन केरल के एक आयुर्वेदिक आश्रम में बिताए । 

ये इस दौरान मिले अनुभव का हिस्सा हैं । आइये 10 पॉइंट्स द्वारा जाने कि अक्षय कुमार ने क्या कहा !!
          अंग्रेज भारत आकर आयुर्वेद का इलाज कराते हैं और हम.- अक्षय कुमार


1). आप लोगों से सीधे बात करके मजा आ रहा है । आज मैं आपको दुःख या गुस्सा नहीं, बल्कि मुस्कान शेयर करना चाहता हूँ, पिछले कुछ दिन मैंने केरल में एक शांत आश्रम में बिताए ।

2). इस बार मेरा जो अनुभव रहा वो कमाल का था । मैंने आयुर्वेदिक के बारे में जाना ।

3). इस आश्रम में मेरे पास न टीवी था, न फोन, न ब्रांडेड कपड़े सिर्फ सादा कुर्ता- पायजामा व सादा खाना था ।

4). बहुत कम लोगों को पता है कि मैं पिछले 25 सालों से आयुर्वेदिक को अपना रहा हूँ । आयुर्वेदिक में हर बीमारी का इलाज संभव है । लेकिन लोग इसे भूलते जा रहें हैं।

5). जैसे आप कभी कभी अपनी बाइक और कार की सर्विसिंग करते हैं । ठीक उसी तरह मैंने भी अपनी बॉडी की सर्विसिंग कराई ।  वह आनंददायी रही ।

6). लोगो को अंदाजा ही नहीं कि आयुर्वेद के रूप में भगवान ने हमारे देश को कितना बड़ा खजाना दिया है । अंग्रेज हमारे यहां विदेश से आयुर्वेदिक इलाज कराने आते हैं और हम इससे दूर भागते हैं । दिलचस्प बात यह है कि केरल के उस आश्रम में मैं एकमात्र भारतीय था बाकि सभी विदेशी लोग थे ।

7). हमारी सरकार में एक आयुष मंत्रालय भी है । मैंने कहीं पढ़ा था यदि आप रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक सेंटर पर इलाज करते हैं तो आपको इंश्योरेंस आदि की सुविधा भी मिलेगी ।

8) . मुझे एलोपैथी से कोई तकलीफ नहीं है  , लेकिन हम अपनी भारतीय चिकित्सा पद्धति को भूल रहें हैं । यह उचित नही है । इससे तकलीफ होती है । हमारे साथ दीया तले अँधेरा जैसी स्थिति है ।

9). मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मैं किसी आयुर्वेदिक कंपनी के ब्रैंड के प्रचारक के तौर पर यह सब नही कह रहा हूँ । मैंने यह सब खुद महसूस किया है ।

10). केरल से आने के बाद मैं हल्का और शांत महसूस कर रहा हैं । ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं मिला ।


आयुर्वेद निर्दोष एवं उत्कृष्ट चिकित्सा-पद्धति

आयुर्वेद एक निर्दोष चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा पद्धति से रोगों का पूर्ण उन्मूलन होता है और इसकी कोई भी औषध दुष्प्रभाव (साईड इफेक्ट) उत्पन्न नहीं करती। आयुर्वेद में अंतरात्मा में बैठकर समाधिदशा में खोजी हुई स्वास्थ्य की कुंजियाँ हैं। एलोपैथी में रोग की खोज के विकसित साधन तो उपलब्ध हैं लेकिन दवाइयों की प्रतिक्रिया (रिएक्शन) तथा दुष्प्रभाव (साईड इफेक्टस) बहुत हैं। अर्थात् दवाइयाँ निर्दोष नहीं हैं क्योंकि वे दवाइयाँ बाह्य प्रयोगों एवं बहिरंग साधनों द्वारा खोजी गई हैं। आयुर्वेद में अर्थाभाव, रूचि का अभाव तथा वर्षों की गुलामी के कारण भारतीय खोजों और शास्त्रों के प्रति उपेक्षा और हीन दृष्टि के कारण चरक जैसे ऋषियों और भगवान अग्निवेष जैसे महापुरुषों की खोजों का फायदा उठाने वाले उन्नत मस्तिष्कवाले वैद्य भी उतने नहीं रहे और तत्परता से फायदा उठाने वाले लोग भी कम होते गये। इसका परिणाम अभी दिखायी दे रहा है।

हम अपने दिव्य और सम्पूर्ण निर्दोष औषधीय उपचारों की उपेक्षा करके अपने साथ अन्याय कर रहे हैं। सभी भारतवासियों को चाहिए कि आयुर्वेद को विशेष महत्त्व दें और उसके अध्ययन में सुयोग्य रूचि लें। आप विश्वभर के डॉक्टरों का सर्वे करके देखें तो एलोपैथी का शायद ही कोई ऐसा डॉक्टर मिले जो 80 साल की उम्र में पूर्ण स्वस्थ, प्रसन्न, निर्लोभी हो। लेकिन आयुर्वेद के कई वैद्य 80 साल की उम्र में भी निःशुल्क उपचार करके दरिद्रनारायणों की सेवा करने वाले, भारतीय संस्कृति की सेवा करने वाले स्वस्थ सपूत हैं।

(एक जानकारी के अनुसार 2000 से भी अधिक दवाइयाँ, ज्यादा हानिकारक होने के कारण अमेरिका और जापान में जिनकी बिक्री पर रोक लगायी जाती है, अब भारत में बिक रही हैं। तटस्थ नेता स्वर्गीय मोरारजी देसाई उन दवाइयों की बिक्री पर बंदिश लगाना चाहते थे और बिक्री योग्य दवाइयों पर उनके दुष्प्रभाव हिन्दी में छपवाना चाहते थे। मगर अंधे स्वार्थ व धन के लोभ के कारण मानव-स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले दवाई बनाने वाली कंपनियों के संगठन ने उन पर रोक नहीं लगने दी। ऐसा हमने-आपने सुना है।)

अतः हे भारतवासियों! हानिकारक रसायनों से और कई विकृतियों से भरी हुई एलोपैथी दवाइयों को अपने शरीर में डालकर अपने भविष्य को अंधकारमय न बनायें।

Monday, February 27, 2017

भ्रष्ट मीडिया से लोहा ले रहे है ट्रंप!!

भ्रष्ट मीडिया से लोहा ले रहे है ट्रंप!!

उनका कहना है कि "लोगों की दुश्मन है मीडिया"!!

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की भले ही कुछ लोग आलोचना करते हो लेकिन वे दुनिया में पहले ऐसे बहादुर शख्स हैं जो राष्ट्रपति पद पर होते हुए भी मीडिया की बेईमानी के खिलाफ लोहा ले रहे हैं ।
​RealDonaldTrump is first President of America, is such a Brave man who is constantly Fighting Against #Unscrupulous and #CorruptMedia420
उन्होंने राष्ट्रपति पद ग्रहण करते ही मीडिया की बेईमानी पर बोलना चालू किया था ।
उनके शपथ ग्रहण समारोह के समय दर्शकों की संख्‍या कम बताने पर उन्होंने मीडिया को चेतावनी देकर कहा गया था कि गलत रिपोर्टिंग के लिए भुगतना पड़ेगा खामियाजा ।

उनका कहना था कि करीब एक मिलियन या डेढ़ मिलियन लोग उनके शपथ ग्रहण समारोह में आए थे पर चैनल वालों ने वह जगह न दिखाकर जो जगह एकदम खाली थी वो दिखाई जहां पर शायद कोई नहीं था । मीडिया को इस झूठ की कीमत चुकानी होगी।

ट्रंप ने सीआईए के हेडक्‍वार्टर में कहा कि, 'मीडिया के लोग धरती पर मानव जाति में सबसे बेईमान हैं।' 


रैली में मीडिया पर जमकर बरसे ट्रंप!!

फ्लोरिडा में एक रैली के दौरान ट्रंप ने मीडिया पर जमकर निशाना साधा और कहा कि मीडिया फर्जी और बेईमान है। 

ट्रंप ने मेलबर्न में शनिवार को करीब 9000 लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया अपनी खबरों में सच बताना नहीं चाहता।

ट्रंप ने मीडिया को समस्याओं और भ्रष्ट प्रणाली का हिस्सा बताया।  उन्होंने कहा कि,‘मीडिया का अपना खुद का एजेंडा है और उनका एजेंडा आपका एजेंडा नहीं है। 

 व्हाइट हाउस में बहुत सुचारु रूप से काम चल रहा है। यह बेईमान मीडिया एक के बाद एक झूठी और फर्जी खबर प्रकाशित करती है, बिना किसी सूत्र के। यहां तक कि वे कहते हैं कि उनके पास सूत्र हैं।’


मीडिया लोगों का दुश्मन है!!

ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘‘Fake News’ मीडिया (नाकाम हो रहे एनवाईटाइम्स, एनबीसीन्यूज, एबीसी, सीबीएस, सीएनएन) मेरा दुश्मन नहीं है, वह अमेरिकी लोगों का दुश्मन है ।’’
 
उन्होंने अपने उस बयान के एक दिन बाद यह तीखा हमला किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका प्रशासन अच्छी तरह काम कर रहा है और व्हाइट हाउस के भीतर कोई ‘अव्यवस्था’ नहीं है जैसा कि मीडिया की ‘झूठी’ रिपोर्टों में बताया जा रहा है । 

ट्रंप ने मीडिया की आलोचना करते हुए जो यह ट्वीट की है वह कुछ ही घंटों में वायरल हो गई। इस ट्वीट को 28,000 लोगों ने रीट्वीट और 85,000 ने लाइक किया है । इस बीच ‘फॉक्स न्यूज’ ने एक ओपिनियन पोल में कहा कि 42 के मुकाबले 45 प्रतिशत मतदाताओं का यह कहना है कि व्हाइट हाउस मीडिया की तुलना में ज्यादा सच्चा है ।

व्हाइट हाउस की प्रेसवार्ता से बीबीसी, न्यूयार्क टाइम्स बाहर!!

कंजरवेटिव पॉलिटिकल एक्शन कांग्रेस (सीपीएसी) में दिए अपने संबोधन में पहले तेरह मिनट तक वो मीडिया की आलोचना करते रहे ।

मैरीलैंड में हुए ट्रंप के भाषण के कुछ घंटे बाद ही मीडिया और ट्रंप के रिश्तों में नया टकराव देखने को मिला ।

व्हाइट हाउस में ट्रंप के प्रवक्ता शॉन स्पाइसर की प्रेस वार्ता में बीबीसी, द न्यूयॉर्क टाइम्स, और सीएनएन जैसे संस्थानों के पत्रकारों को शामिल ही नहीं होने दिया गया ।


पत्रकारों के वार्षिक समारोह से दूर रहेंगे ट्रंप!!

पत्रकारों का वार्षिक समारोह अमेरिका में 1920 से चला आ रहा है इस बार 29 अप्रैल को व्हाइट हाउस में आयोजित होने वाला है उसमें ट्रंप ने शामिल नहीं होने की घोषणा की है। ट्रंप कई दशकों में व्हाइट हाउस करेस्पोंडेंट्स एसोसिएशन के सालाना डिनर में नहीं जाने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे। ट्रंप ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा कि, मैं व्हाइट हाउस करेस्पोंडेंट्स एसोसिएशन के डिनर में इस साल भाग नहीं लूंगा। 


अभी तक तो आम जनता एवं सुप्रसिद्ध हस्तियों द्वारा मीडिया के खिलाफ आवाज उठाई गई थी लेकिन अब राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी ट्रंप ने मीडिया की बेईमानी से लोहा लेना शुरू कर दिया है ।

अब मीडिया वालों की दोगली एवं कपट भरी रणनीति का चेहरा दुनिया के सामने आ चुका है!!

मीडिया टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट ) और पैसे की लालच में अंधाधुन खबरें छापते हैं। हर गांव में हर मौहल्ले में दिन भर में कुछ न कुछ तो खबर होती है लेकिन उसको नही दिखाते है उनको जिस खबर का पैसा मिलता हो या टीआरपी मिलती हो उसी खबर को ही छापते और दिखाते हैं ।

भारतीय मीडिया भी हमेशा से हिंदू विरोधी न्यूज दिखाकर समाज को गुमराह करती आ रही है शायद इस एजेंडे के पीछे का मकसद भारत में रहकर भारत की संस्कृति को बर्बाद कर देना ही है ।

अतः बेईमान, भ्रष्ट मीडिया की खबरों से सावधान रहें!!
वो समय और था जब पत्रकारिता समाज तक सच्चाई पहुँचाने का साधन थी आज मीडिया बन चुकी है ब्लैकमेलिंग का धंधा!!

Sunday, February 26, 2017

चन्द्रशेखर आजाद बलिदान दिवस - 27 फरवरी

चन्द्रशेखर आजाद बलिदान दिवस - 27 फरवरी

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को एक आदिवासी ग्राम भाबरा में हुआ था।
काकोरी ट्रेन डकैती और साण्डर्स की हत्या में सम्मिलित निर्भीक महान देशभक्त व क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अहम स्थान रखता है।

ऐतिहासिक दृष्टि से वे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। 
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सन् 1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् 1927 में 'बिस्मिल' के साथ 4 प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।


चंद्रशेखर आजाद का आत्म-बलिदान!!

साण्डर्स-वध और दिल्ली एसेम्बली बम काण्ड में फाँसी की सजा पाये तीन अभियुक्तों- भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव ने अपील करने से साफ मना कर ही दिया था। अन्य सजायाफ्ता अभियुक्तों में से सिर्फ 3 ने ही प्रिवी कौन्सिल में अपील की। 11 फरवरी 1931 को लन्दन की प्रिवी कौन्सिल में अपील की सुनवाई हुई। इन अभियुक्तों की ओर से एडवोकेट प्रिन्ट ने बहस की अनुमति माँगी थी किन्तु उन्हें अनुमति नहीं मिली और बहस सुने बिना ही अपील खारिज कर दी गयी। चन्द्रशेखर आजाद ने मृत्यु दण्ड पाये तीनों प्रमुख क्रान्तिकारियों की सजा कम कराने का काफी प्रयास किया। वे उत्तर प्रदेश की हरदोई जेल में जाकर गणेशशंकर विद्यार्थी से मिले। विद्यार्थी ने उन्हें इलाहाबाद जाकर जवाहर लाल नेहरू से मिलने को कहा। चंद्रशेखर आजाद जब नेहरू से मिलने आनंद भवन गए तो उन्होंने चंद्रशेखर की बात सुनने से भी इन्कार कर दिया। गुस्से में वहाँ से निकलकर चंद्रशेखर आजाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ एल्फ्रेड पार्क चले गए। किसी मुखबिर ने पुलिस को यह सूचना दी कि चन्द्रशेखर आजाद  'अल्फ़्रेड पार्क' में अपने एक साथी के साथ बैठे हुए हैं। वह 27 फरवरी 1931 का दिन था। चन्द्रशेखर आजाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे। मुखबिर की सूचना पर पुलिस अधीक्षक 'नाटबाबर' ने आजाद को इलाहाबाद के अल्फ़्रेड पार्क में घेर लिया। "तुम कौन हो" कहने के साथ ही उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना नाटबाबर ने अपनी गोली आजाद पर छोड़ दी। नाटबाबर की गोली चन्द्रशेखर आजाद की जाँघ में जा लगी। आजाद ने घिसटकर एक जामुन के वृक्ष की ओट लेकर अपनी गोली दूसरे वृक्ष की ओट में छिपे हुए नाटबाबर के ऊपर दाग दी। आजाद का निशाना सही लगा और उनकी गोली ने नाटबाबर की कलाई तोड़ दी। एक घनी झाड़ी के पीछे सी.आई.डी. इंस्पेक्टर विश्वेश्वर सिंह छिपा हुआ था, उसने स्वयं को सुरक्षित समझकर आजाद को एक गाली दे दी। गाली को सुनकर आजाद को क्रोध आया। जिस दिशा से गाली की आवाज आई थी, उस दिशा में आजाद ने अपनी गोली छोड़ दी। निशाना इतना सही लगा कि आजाद की गोली ने विश्वेश्वरसिंह का जबड़ा तोड़ दिया।


शहादत!!

बहुत देर तक आजाद ने जमकर अकेले ही मुकाबला किया। उन्होंने अपने साथी सुखदेवराज को पहले ही भगा दिया था। आखिर पुलिस की कई गोलियाँ आजाद के शरीर में समा गई थी । उनके माउजर में केवल एक आखिरी गोली बची थी तो उन्हें पुलिस का सामना करना मुश्किल लगा। चंद्रशेखर आजाद ने  यह प्रण लिया हुआ था कि वह कभी भी जीवित पुलिस के हाथ नहीं आएंगे। इसी प्रण को निभाते हुए एल्फ्रेड पार्क में 27 फरवरी 1931 को उन्होंने वह बची हुई गोली स्वयं पर दाग के आत्म-बलिदान कर लिया।

 पुलिस के अंदर चंद्रशेखर आजाद का भय इतना था कि किसी को भी उनके मृत शरीर के पास जाने तक की हिम्मत नहीं थी। उनके मृत शरीर पर गोलियाँ चलाकर पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही चंद्रशेखर की मृत्यु की पुष्टि की गई।

 
पुलिस ने बिना किसी को इसकी सूचना दिये चन्द्रशेखर आजाद का अन्तिम संस्कार कर दिया था। जैसे ही आजाद के बलिदान की खबर जनता को लगी सारा इलाहाबाद अलफ्रेड पार्क में उमड़ पड़ा । जिस वृक्ष के नीचे आजाद शहीद हुए थे लोग उस वृक्ष की पूजा करने लगे। वृक्ष के तने के इर्द-गिर्द झण्डियाँ बाँध दी गयी। लोग उस स्थान की माटी को कपडों में शीशियों में भरकर ले जाने लगे। समूचे शहर में आजाद की बलिदान की खबर से जब‍रदस्त तनाव हो गया। शाम होते-होते सरकारी प्रतिष्ठानों प‍र हमले होने लगे। लोग सड़को पर आ गये।

आजाद के बलिदान की खबर जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू को मिली तो उन्होंने तमाम काँग्रेसी नेताओं व अन्य देशभक्तों को इसकी सूचना दी। बाद में शाम के वक्त लोगों का हुजूम पुरुषोत्तम दास टंडन के नेतृत्व में इलाहाबाद के रसूलाबाद शमशान घाट पर कमला नेहरू को साथ लेकर पहुँचा। अगले दिन आजाद की अस्थियाँ चुनकर युवकों का एक जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में इतनी ज्यादा भीड़ थी कि इलाहाबाद की मुख्य सड़को पर जाम लग गया। ऐसा लग रहा था जैसे इलाहाबाद की जनता के रूप में सारा हिन्दुस्तान अपने इस सपूत को अंतिम विदाई देने उमड़ पड़ा हो। जुलूस के बाद सभा हुई। सभा को शचीन्द्रनाथ सान्याल की पत्नी प्रतिभा सान्याल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जैसे बंगाल में खुदीराम बोस के बलिदान के बाद उनकी राख को लोगों ने घर में रखकर सम्मानित किया वैसे ही आजाद को भी सम्मान मिलेगा। सभा को कमला नेहरू तथा पुरुषोत्तम दास टंडन ने भी सम्बोधित किया। इससे कुछ ही दिन पूर्व 6 फरवरी 1927 को पण्डित मोतीलाल नेहरू के देहान्त के बाद आजाद भेष बदलकर उनकी शवयात्रा में शामिल हुए थे।

व्यक्तिगत जीवन!!

चंद्रशेखर आजाद को वेष बदलना बहुत अच्छी तरह आता था।वह रूसी क्रान्तिकारी की कहानियों से बहुत प्रभावित थे। उनके पास हिन्दी में लेनिन की लिखी पुस्तक भी थी। किंतु उनको स्वयं पढ़ने से अधिक दूसरों को पढ़कर सुनाने में अधिक आनंद आता था।चंद्रशेखर आजाद सदैव सत्य बोलते थे।चंद्रशेखर आजाद ने साहस की नई कहानी लिखी। उनके बलिदान से स्वतंत्रता के लिए आंदोलन तेज हो गया। हजारों युवक स्‍वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।आजाद के शहीद होने के सोलह वर्षों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को भारत की आजादी का उनका सपना पूरा हुआ।

बाद में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात जिस पार्क में उनका निधन हुआ था उसका नाम परिवर्तित कर चंद्रशेखर आजाद पार्क और मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका धिमारपुरा नाम बदलकर आजादपुरा रखा गया।

यह देश का दुर्भाग्य है कि आज हमें चॉक्लेट डे, वेलेंटाइन डे, फ्रेंडशिप डे जैसे विदेशी दिवस तो याद रहते हैं लेकिन जिन देशभक्तों ने अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरो से बंधे देश को छुड़ाने के लिए बलिदान दिया वो किसी को याद नही ।

जरा विचार कीजिये कि देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देनेवाले इन वीर शहीदों के सपने को हम कहाँ तक साकार कर सके हैं..???

हमने उनके बलिदानों का कितना आदर किया है...???

वास्तव में, हमने उन अमर शहीदों के बलिदानों को कोई सम्मान ही नहीं दिया है । तभी तो स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारा देश पश्चिमी संस्कृति की गुलामी में जकड़ा हुआ है।

इन महापुरुषों की सच्ची पुण्यतिथि तो तभी मनाई जाएगी, जब प्रत्येक भारतवासी उनके जीवन को अपना आदर्श बनायेंगे, उनके सपनों को साकार करेंगे तथा जैसे भारत का निर्माण वे महापुरुष करना चाहते थे, वैसा ही हम करके दिखायें । 
यही उनका बलिदान दिवस मनाना है ।

Wednesday, February 22, 2017

पब्लिक जो मीडिया दिखाती हैं उसको ही सच मान बैठती है : श्री गुरुमाँ कंचनगीरीजी

पब्लिक जो मीडिया दिखाती हैं उसको ही सच मान बैठती है : श्री गुरुमाँ कंचनगीरीजी 

जूना अखाड़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महाकाल मानव सेवा संस्थान की श्री गुरुमाँ कंचनगीरीजी ने एक निजी चैनल में अपना इंटरव्यू देते हुए कहा कि देखिए! आज की डेट में सभी साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है। कारण बस यही है कि हमारे हिन्दू धर्म में कोई भी बलपूर्वक कभी सामने नहीं आते हैं ।
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अगर कोई संत फंस जाते हैं तो बाकी सब चुप बैठ जाते हैं । संत संस्कृति का प्रचार करते हैं, जगह-जगह जाकर प्रवचन के द्वारा लोगों में हिन्दू संस्कृति का ज्ञान देना ये बहुत बड़ा कार्य है जो हिन्दू संतों द्वारा किया जा रहा है इसलिए उन्हें टारगेट किया जा रहा है जिससे हिंदुत्व खत्म किया जा सके । लेकिन हम सब को आगे आना पड़ेगा, उसके लिए प्रयास करना पड़ेगा । 

कुछ मीडिया भी कारण बन रही है । जब भी किसी संत को टारगेट किया गया है तो उतना ही ज्यादा उनके बारे में मीडिया द्वारा गलत दिखाया जाता है और पब्लिक की सोच भी ऐसी हो गई है कि जैसा मीडिया दिखाती है उसको ही सच मान बैठती हैं । 

मीडिया जो है वो असत्य को आगे लाके दिखाती है, और हम सत्य को सामने लाने की कोशिश करते हैं तो हमारे पीछे प्रशासन मीडिया सभी पड़ते हैं । 


तो अपनी सोच को बदलना पड़ेगा, पब्लिक को अपने आपको बदलना पड़ेगा । अपने आप से विवेक अंदर रखना पड़ेगा।

जैसे संत आसारामजी बापू हैं कि इस ऐज (80 वर्ष की उम्र) में वो इस प्रकार का कार्य कर ही नहीं सकते हैं । उनके उपर इल्जाम लगे हैं, आरोप प्रति आरोप लगे हैं । 

तो मैं ये कहना चाहूंगी लोगों को, खुद ही एकांत में सोचे कि क्या ये अवस्था ये करने की है..?? 

तो यही अपील करना चाहूंगी लोगों से कि आप कम से कम सच को जानने की कोशिश करें। जो संत (आसारामजी बापू जैसे) हैं हजार संतों के बराबर हैं ।

आज जिस परिस्थिति में संत आसारामजी बापू जेल में हैं । वो अपने दुःख का विषय है। तो हम सबको आगे आना चाहिए । 

मैंने संतो के लिए मुहीम भी छेड़ दी है महाकाल मानव सेवा की तरफ से । अभी हम साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के लिए भी कुछ न कुछ कार्य करेगें और संत आसारामजी बापू के लिए हमने पहले से ही मुहीम छेड़ी हुई है। बहुत जल्द ही आप हमारी टी.वी चैनल पर  देखेगें गुरुमाँ की धर्म धारा जितने भी संत हैं जिन पर आरोप लगाया गया है उनको उस अदालत में बुलाया जाएगा ।

गौरतलब है कि साध्वी प्रज्ञा 9 साल से और संत आसारामजी बापू 40 महीने से जेल में बंद है जबकि उनपर अभीतक एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ है यहाँ तक कि उनको क्लीनचिट भी मिल चुकी है लेकिन उनको अभीतक जमानत नही मिलने पर गुरु माँ कंचनगिरी ने उनकी शीघ्र रिहाई के लिए मुहीम छेड़ दी है ।

आपको बता दें कि इस तरह से पहले भी साधु-संत एवं कई हिन्दू संगठन साध्वी प्रज्ञा और बापू आसारामजी की शीघ्र रिहाई के लिये कई आंदोलन कर चुके हैं और सरकार से मांग भी की है कि साध्वी प्रज्ञा और बापू आसारामजी को षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है जिसके कई प्रमाण भी  मिले हैं पर उनको जमानत जैसे मौलिक अधिकार से भी दूर रखा जा रहा है।
आखिर क्यों..???