Saturday, December 22, 2018

रिपोर्ट में खुलासा : 700 पादरियों पर यौन शोषण का आरोप

22 दिसंबर 2018

🚩पश्चिमी देशों में चर्च में लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ सी आ गयी है, ऐसा लगता है । ऐसे हजारों मामले अब दुनिया के सामने आ रहे हैं ।
हर महाद्वीप - एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च में दशकों से बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने इस समाचार को छिपाने का प्रयास किया ।
Reports reveal: 700 priests accused of sexual abuse

🚩चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है ।

🚩अभी अमेरिका के इलिनोइस राज्य में 700 पादरियों पर बच्चों के साथ चर्च में यौन शोषण का मामला सामने आया है । अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से जारी बयान में शोषण के आरोपों से निपटने में चर्च की असमर्थता की आलोचना की गई है ।

🚩अमेरिका के इलिनोइस राज्य में करीब 700 पादरियों पर बच्चों के यौन शोषण का आरोप है, जो इससे पहले कैथॉलिक चर्च की ओर से बताई गई संख्या से कहीं ज्यादा है । अमेरिका के मध्य पश्चिमी राज्य के शीर्ष अभियोजक ने यह खुलासा किया है । इलिनोइस की अटॉर्नी जनरल लीसा मैडिगन ने बुधवार को कहा कि चर्च ने ऐसे पादरियों की संख्या 185 बताई थी, लेकिन उनके कार्यालय की जांच में यह संख्या काफी कम पाई गई है ।

🚩अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से जारी बयान में शोषण के आरोपों से निपटने में चर्च की असमर्थता की आलोचना की गई है । कार्यालय का कहना है कि आरोपों की जांच अधूरी रही और कई मामलों में कानून का पालन नहीं किया गया । उन्होंने यह भी कहा कि बाल कल्याण संस्थाओं को सूचना भी नहीं दी गई ।

🚩मैडिगन ने कहा ‘इस जांच के शुरूआती चरणों से पहले ही साफ हो चुका है कि कैथोलिक चर्च अपनी निगरानी नहीं कर सकता ।’ इसी साल अक्टूबर में पहली बार यौन शोषण के मामलों की जांच शुरू हुई थी ।

🚩न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में अनुसार अमेरिका में पेनसिलवेनिया में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और भी मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं है या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।

🚩अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है । अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त हो चुका है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे । 

🚩बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’ 

🚩नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें से सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है ।

🚩जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।

🚩पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने वाली भारतीय मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?

यदि किसी साधु-संत पर झूठे आरोप भी कोई लगा दे तो मीडिया डिबेट बैठाती है और सेकुलर भी छाती पीटने लगते हैं, लेकिन जब हजारों छोटे-छोटे बच्चे पीड़ित हो रहे हैं तो सबके सब दुबक कर बैठ गये हैं इसपर कुछ भी किसीकी को बोलने की हिम्मत नहीं हो पा रही है ।

🚩देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो धर्म पर हो रहे आक्रमण का विरोध करें ।

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Friday, December 21, 2018

जानिए 25 दिसम्बर क्रिसमस और संता क्‍लॉज का वास्तविक इतिहास

19 दिसंबर 2018
www.azaadbharat.org
🚩 यूरोप, अमेरिका आदि ईसाई देशों में इस समय #क्रिसमस डे की धूम है, लेकिन अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है ।
🚩 भारत में भी कुछ भोले-भाले हिन्दू क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको भी नहीं पता है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है ।
Know the actual history of Christmas and Santa Claus 25 December

🚩कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत #यीशु मसीह का जन्मदिन होता है पर #सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है । #एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था ।
🚩 वास्तव में #पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘#मकर संक्रांति' पर्व आता था और #यूरोप-अमेरिका आदि देश धूम-धाम से इस दिन #सूर्य उपासना करते थे । #सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण #मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।
🚩सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है । #सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है । जिसके अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है । #इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे ।
🚩विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार #सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से #क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया ।
🚩ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख #पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई ।
🚩पूरे #यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए । उसी में #निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को #सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक #भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी । इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था । और बाद में #पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया ।
🚩आपको बता दें कि #यीशु ने #भारत के कश्मीर में ऋषि मुनियों से साधना सीखकर 17 साल तक #योग किया था बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की #प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इतर से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।
🚩बाद में #यीशु के अधिक लोक संपर्क से #योगबल खत्म हो गया और उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ने से दुःखी थे ।
🚩क्या है #क्रिसमस और संता क्‍लॉज का कनेक्शन ?
क्या आप जानते हैं कि #जिंगल बेल गाते हुए और लाल रंग की ड्रेस पहने संता क्‍लॉज का क्रिसमस से क्या रिश्ता है..?
🚩संता क्‍लॉज का #क्रिसमस से कोई संबंध नहीं!!
आपको जानकर हैरत होगी कि #संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं है ।
🚩ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि #तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप #संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्‍चों को तोहफे दिया करते थे।
🚩#अब न यीशु का क्रिसमस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से ।
फिर भी #भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब #भारतीय #संस्कृति को खत्म करके #ईसाईकरण करने के लिए #भारत में  #क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप #सावधान रहें ।
🚩ध्यान रहे हिन्दुओं का #नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है ।
हिन्दू महान #भारतीय #संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की #संतानें हैं इसलिये दारू पीने वाला-मांस खाने वाला #अंग्रेजो का #नववर्ष मनाये ये भारतीयों को शोभा नहीं देता है ।

🚩क्या अंग्रेज भारतीय #नव वर्ष मनाते है ?
नहीं!!
फिर भारतीय क्यों उनका #नववर्ष मनाएं..???
🚩भारत में जितने #सरकारी कार्य है वो 31 मार्च को बन्द होकर 2 अप्रैल से नये तरीके से शुरू होते हैं क्योंकि भारतीय नववर्ष उसी समय आता है ।
🚩 हिन्दू #संतों ने हमें सदा भारत की दिव्य #संस्कृति से परिचित कराया है और आज भी #हिन्दू #संत #हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे हैं। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है ।
🚩अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन #मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू #संत #आसाराम #बापू ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में शुरू करवाया, भारतवासी भी 25 दिसम्बर #तुलसी पूजन करके मनाये ।
🚩तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है,मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है।
🚩 मरने के बाद भी #मोक्ष देनेवाली #तुलसी पूजन की महत्ता बताकर जन-मानस को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि विज्ञान से परिचित कराया हिन्दू संतों ने ।
🚩धन्य है ऐसे #संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर #संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।
🚩 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।
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Thursday, December 20, 2018

बलात्कार केस में 10 साल काटी जेल, मौत के 10 माह बाद कोर्ट ने माना निर्दोष

20 दिसंबर 2018

🚩महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावना से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है । 

🚩न्यायालय भी ऐसा हो चुका है कि निर्दोषों को न्याय उनको मरणोपरांत मिल रहा है ये भी एक अन्याय ही है । अभी एक हाल में ऐसा ही मामला सामने आया है ।
10 years in rape case, 10 years after death

🚩बेटी ने बलात्कार का आरोप लगाया तो बाप को दस साल जेल की सजा काटनी पड़ी । सीने पर इस आरोप का बोझ ढोते-ढोते बाप की मौत हो गई, अब जाकर मौत के दस महीने बाद कोर्ट ने बाप को निर्दोष माना है । निचली अदालत के गलत फैसले के चलते निर्दोष पिता को दस साल तक जेल में रहना पड़ा । कोर्ट ने माना कि निचली अदालत के एक गलत दृष्टिकोण के कारण नाबालिग बेटी से कथित बलात्कार के मामले में व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ, जबकि व्यक्ति अपने साथ अन्याय होने की बात शुरुआत से कह रहा था । दिल्ली उच्च न्यायालय ने आखिरकार बरी कर दिया, निचली अदालत द्वारा व्यक्ति को दोषी ठहराये जाने और 10 साल जेल की सजा सुनाये जाने के 17 साल बाद यह फैसला सामने आया है ।

🚩उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि इस मामले में ना तो जांच सही से हुई और ना ही सुनवाई । यह मामला व्यक्ति की बेटी की शिकायत पर दर्ज कराया गया था । न्यायमूर्ति आर.के. गाबा ने कहा कि व्यक्ति पहले दिन से ही मामले में अनुचित होने की बात कहता रहा और दावा करता रहा कि किसी लड़के ने उसकी बेटी को अगवा कर लिया और उसे बहकाया । जनवरी 1996 में जब बलात्कार की प्राथमिकी दर्ज की गई उस समय लड़की गर्भवती मिली थी । हालांकि जांच एजेंसी और निचली अदालत ने उसकी दलीलों पर कोई ध्यान नहीं दिया । उच्च न्यायालय ने कहा कि पिता ने उस लड़के के नमूने लेकर भ्रूण के डीएनए का मिलान करने को कहा था, लेकिन पुलिस ने कोई बात नहीं सुनी और निचली अदालत ने इस तरह की जांच का कोई आदेश नहीं दिया । अदालत ने कहा कि जांच स्पष्ट रूप से एकतरफा थी । इस समय यह अदालत केवल सभी संबंधित पक्षों की ओर से बरती गयी निष्क्रियता की निंदा कर सकती है ।

🚩लड़की ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि सेना की इंजीनियरिंग सेवा में इलेक्ट्रीशियन उसके पिता ने 1991 में उसके साथ पहली बार दुष्कर्म किया था जब वे जम्मू कश्मीर के उधमपुर में रहते थे । निचली अदालत में लड़की द्वारा रखे गये तथ्यों का जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि लड़की पर मामले की जानकारी देने पर कोई रोक नहीं थी और जैसा कि उसने कहा कि 1991 में उसके साथ बलात्कार का सिलसिला शुरू हुआ तो उसे इस बारे में उसकी मां, भाई-बहनों या परिवार के अन्य किसी बुजुर्ग को बताने से किसी नहीं रोका था । उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि लड़के और लड़की के बीच शारीरिक संबंधों की संभावना की भी गहन जांच होनी चाहिए थी । दुर्भाग्य से नहीं हुई । उच्च न्यायालय ने 22 पन्नों के फैसले में कहा, ‘‘पिछले तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर यह अदालत निचली अदालत के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं है ।" ( स्त्रोत : एन डी टीवी)

🚩निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नए कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।

🚩न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि रेप के केस 90% झूठे पाए जाते हैं ।

न्यायालय भी ऐसा बन चुका है कि समझ से परे है, एक न्यायालय सजा देता है और दूसरा न्यायालय निर्दोष बरी कर देता है ।

🚩जनता न्यायालयों को न्याय का मंदिर तथा न्यायधीशों को न्याय का देवता मानती थी और उन्हें सर्वाधिक आदर भी देती थी लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया लोगों के हृदय में न्यायालयों की छवि धूमिल होती गयी और इस छवि के धूमिल होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण जो था, वो था न्यायालयों के द्वारा दिए गए फैसले ।

🚩आजकल न्यायालयों द्वारा फैसले दिए नहीं बल्कि बेचे जाने लगे हैं और अगर आप पिछले कुछ वर्षों पर गौर करेंगे तो आपको देखने को मिलेगा कि न्यायालय द्वारा एक-एक करके सिर्फ हिन्दू संस्कृति, हिन्दू साधु-संतों तथा हिन्दू त्यौहारों पर कुठाराघात किया जा रहा है, सबरीमाला मंदिर और राम मंदिर का ज्वलंत उदाहरण आप सबके सामने है ।

🚩ये वही देश है जहां जब कसाब जैसे आतंकियों को फैसला सुनाना होता है तब तो कोर्ट रात को 2:30 बजे भी खुलते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर बड़े दुःख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि इसी देश में वर्षों तक निर्दोष संतों, निर्दोष व्यक्तियों, निर्दोष हिंदुत्वादी कार्यकर्ताओं को सालों बीत जाते हैं जेल में सिर्फ न्याय की आस में ।

🚩अभी हाल ही में पादरी फ्रैंको मुल्लकल जैसे आरोपी, जिस पर अत्यंत संगीन आरोप लगे फिर भी उसे 21 दिनों में ही बेल मिल गई जबकि दूसरी ओर बापू आसारामजी जिन्हें एक झूठे आरोप में 5 वर्षों से भी अधिक समय तक जेल में रखा फिर आजीवन कारावास की सज़ा सुना दी गई ।

🚩न्यायव्यवस्था के दोगलेपन पर जनता आक्रोश में है साफ-सुथरी न्यायप्रणाली की मांग कर रही है ।

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