12 दिसंबर 2019
*लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिक संशोधन विधेयक (CAB) पास हो गया इससे बांग्लादेश से आए 5 लाख से ज्यादा बंगाली हिंदू जिन्हें एनआरसी की अंतिम सूची में जगह नहीं मिल पाई थी, उन्हें नागरिकता मिल जाएगी। और पाकिस्तान से प्रताड़ित किये गए हिंदू जो भारत मे रह रहे है उनको भी नागरिकता मिल जाएगी।*
*अब पूरे देश मे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) लागू हो इसके लिए एक विधेयक लाया जाएगा इससे घुसपैठी रोहिंग्या और बांग्लादेशी करोड़ों मुसलमानों को भगाया जाएगा।*
*अब बात आती है कि क्या इन विधेयक द्वारा भारतीय मुसलमानों को प्रताड़ित किया जायेगा? जानिए सच्चाई क्या है?*
*इस देश के आम मुसलमान को क्यों बहकाया जा रहा है कि उन्हें देश-निकाला मिलने वाला है, या उन्हें भगाया जाएगा? ऐसा करने वाले लोग उसी लॉबी से हैं जो हर बात में हिन्दू-मुसलमान करते हैं। ये वही दोगले हैं जिन्हें तबरेज दिखता है, लेकिन भरत यादव जैसे दसियों हिन्दुओं की मुसलमानों के हाथ हुई भीड़ हत्या नहीं दिखती। ये लोग मुसलमानों पर अत्याचार की खबरें गढ़ते हैं और पकड़े जाने पर माफी तक नहीं माँगते। याद ही होगा कि ‘जय श्री राम’ के नाम पर कितनी फर्जी खबरें फैलाई गईं थीं, और झूठ पकड़े जाने पर क्या हुआ।*
*दो कारणों से मुसलमानों को भड़काने की कोशिश हो रही है। पहला है कि ओवैसी जैसों को मुसलमानों का नेता बनने की फ़िक्र है और उसे मुद्दे मिल नहीं रहे। इसलिए वो हर तरह की नौटंकी कर रहा है। उसे हिन्दू-मुसलमान अगर नहीं मिलेगा, तो वो ऐसे मौके बनाएगा जहाँ लगे कि मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। कुछ मुसलमान भी पगलाए हुए उसकी बात को मान रहे हैं।*
*एक मुद्दा NRC, या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, का है जिसमें पहली बार इस देश के नागरिकों का लेखा-जोखा तैयार होगा। भारत अपने आप में उन विचित्र देशों में होगा जहाँ सरकार के पास उसके नागरिकों का कोई एक रजिस्टर नहीं है जहाँ से पता किया जा सके कि कौन किस जगह से है, क्या करता है, कब आया आदि। इसकी जरूरत इसलिए हुई क्योंकि कॉन्ग्रेस और टीएमसी समेत कई पार्टियों ने अपने राज्यों में मुसलमान वोटबैंक बढ़ा कर, चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए इस देश की सीमा और स्थानीय जनसंख्या के साथ खिलवाड़ किया। मुसलमान बाहर से ला कर बसाए गए, उन मुसलमानों ने खरगोशों की तरह बच्चे पैदा किए और आज स्थिति यह है कि बांग्लादेश उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं, और भारत इन दीमकों को यहाँ रख नहीं सकता।*
*इस कारण चर्चा शुरू हुई कि इन्हें अलग किया जाए। इस कारण सरकार ने असम में एनआरसी के लिए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, नागिरकों और घुसपैठियों को अलग करने की प्रक्रिया शुरू की। इससे कुछ पार्टियों का वोटबैंक गायब हो जाएगा क्योंकि उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाए या नहीं, ये तो आगे की बात है, पर उनके मताधिकार तो तय रूप से छीने लिए जाएँगे। बस यही कारण है कि ये लोग चिल्ला रहे हैं कि मुसलमानों का भविष्य खतरे में है।*
*मुसलमान तो यहाँ हर तरह से सुरक्षित है। कम से कम शिया-सुन्नी के दंगे, मस्जिदों में बम ब्लास्ट, घटिया शिक्षा और बेहतरी के अवसर से परे, भारत का मुसलमान न सिर्फ अल्पसंख्यक होने के कारण विभिन्न योजनाओं का लाभार्थी है, बल्कि उसे मुसलमान होने का वैचारिक लाभ भी हमेशा मिलता रहा है जब उनके खिलाफ हुए अपराधों पर पूरा देश उनके साथ खड़ा हो जाता है जिसमें हिन्दुओं की बहुतायत है। इसे ही गंगा-जमुनी तहजीब कहते हैं इस देश में। हालाँकि, मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर जब अपराध होते हैं, तब मुसलमानों को तो साँप सूँघ ही जाता है, गंगा-जमुनी तहजीब का भी अदरक-लहसुन हो जाता है।*
*खैर, एनआरसी के जरिए इन दीमक मुसलमानों को, जो भारत के नहीं हैं, बाहर करना आवश्यक है क्योंकि वो भारत के मुसलमानों का हक छीन रहे हैं। किसी के वोटबैंक में इस तरह की सेंध लग जाए, और जो पहले से ही जनाधार खोते जा रहे हों, जिनके राज्यों में विकास और राष्ट्रवाद की बात करने वाली पार्टी लगातार बेहतर कर रही हो, वो आखिर इसका विरोध नहीं करेगी, मुसलमानों को नहीं उकसाएगी, तो करेगी भी क्या!*
*आम मुसलमान जनता भीड़ बना कर या सोशल मीडिया पर संविधान की दुहाई देते हुए भावुक हो रही है कि मजहब के आधार पर किसी को भारत आने से रोकना नहीं चाहिए। ये लोग बहकाए गए हैं, या फिर जानबूझकर दंगे की स्थिति बना रहे हैं। ये इन्हें इकट्ठा कर के क़ानून व्यवस्था बिगाड़ने की फिराक में हैं जो कि चिंतनीय है। हाल ही में राम मंदिर पर आया फैसला ओवैसी जैसों के पैरों तले की जमीन खींच चुका है जो कि कई साल अपनी राजनीति हिन्दुओं के खिलाफ यही सब कह-कह कर चलाते रहे कि मुसलमानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।*
*जबकि सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हुआ है? कहाँ के मुसलमान को वो नहीं मिल रहा जो हिन्दुओं को मिल रहा है? क्या कोई ऐसी योजना है, छात्रवृत्ति है, कोई कार्ड है, सिलिंडर है, बिजली है, बैंक अकाउंट है, बल्ब है, बीमा है, हॉस्पिटल है, स्कूल है, कॉलेज है, यूनिवर्सिटी है जहाँ सरकार ने कहा हो कि इसमें भारतीय मुसलमानों को नहीं रखा गया है? जहाँ तक सच्चाई की बात करें तो, पूरे देश में मुसलमानों को ले कर विशेष प्रावधान ही हैं कि जो सबको मिल रहा है, वो तो उन्हें मिले ही, उसके अलावा उनके लिए विशेष स्कूल हों, कॉलेज हों, छात्रवृत्ति हो, यूनिवर्सिटी हो, तमाम कल्याणकारी योजनाएँ हों। फिर मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हो रहा है जिसकी बात ओवैसी या वामपंथी गीदड़ करते हैं?*
*सत्य यही है कि बिना मुसलमानों को भड़काए कि देखो तुम्हें भगाने की तैयारी हो रही है, इनकी राजनीति चलेगी नहीं। साथ ही, इस तरह की बातें करके, कॉलेज में जाने वाले नए विद्यार्थियों को, जो कि पहली बार वोट देंगे, उन्हें यह बताया जा रहा है कि वर्तमान सरकार मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। टिकटॉक पर विडियो बनाने वाली और फेसबुक पर सेल्फी लगा कर वैचारिक क्रांति में चे ग्वेरा का टीशर्ट पहन कर रेबेल होने वाली यह कॉलेजिया जनता वास्तविकता से बहुत दूर सोशल मीडिया पर सुनी-सुनाई बात लिखने लगती है। इसकी परिणति ध्रुव राठी जैसे गटरछाप लड़के के ट्वीट पर होती है कि भारत के विभाजन की बात सावरकर ने सबसे पहले की थी। न सिर्फ वो बात गलत है, बल्कि यह सोचना भी कि अगर सावरकर ने बात कह भी दी हो, तो क्या गाँधी और नेहरू ने सावरकर की बात मान कर विभाजन स्वीकारा?*
*रामचंद्र गुहा से ले कर सारे लोग, इतिहास को बर्बाद करने के बाद अब विभाजन का जिम्मा भी दक्षिणपंथियों के माथे डालना चाह रहे हैं। बताया जा रहा है कि विभाजन मजहबी कारणों से नहीं हुआ। आप इनकी दोगलई देखिए कि ये किस स्तर पर चले जाते हैं। और ये इसलिए वहाँ जाते हैं क्योंकि हमने और आपने इनके झूठों पर सच्चाई का तमाचा मारना शुरू तक नहीं किया है।*
*संविधान और सेकुलर शब्द की दुहाई देने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए, सत्तर के दशक में जबरन घुसाए इस शब्द की संविधान निर्माताओं ने आवश्यकता नहीं समझी थी। ये किसकी शह पर घुसाया गया था? इसकी जरूरत क्या थी? जरूरत इसलिए थी कि इसे आधार बना कर हिन्दुओं को लगातार अत्याचारी के रूप में दिखाया जाए और जैसे ही कोई कुछ बोले, ‘सेकुलर’ तमाचा लगा दिया जाए। सेकुलर का अर्थ तब भी वही था, आज भी वही है: हिन्दुओं से घृणा करने वाला। हिन्दूविरोधी मानसिकता वालों ने इस शब्द का हर दिन मोलेस्टेशन किया है, इसके कपड़े उतारे हैं और दिन के उजाले में इस शब्द का मानमर्दन हुआ है।*
*हिन्दू तो स्वभाविक तौर पर सेकुलर होता है इसलिए मूल रूप में संविधान में उसे रखने की जरूरत नहीं पड़ी। आपको क्या लगता है कि इतनी बड़ी मुस्लिम आबादी के यहाँ ठहरने के बाद भी राजेन्द्र प्रसाद या अंबेडकर समेत तमाम बुद्धिजीवियों और राजनेताओं को इसका विचार नहीं आया होगा कि हिन्दू बहुल देश में इतने भिन्न मतों के लोग अल्पसंख्यक हैं, तो उनके लिए अलग शब्द जोड़ा जाए? न तो भारत का संविधान उसे हिन्दू राष्ट्र लिख पाया, न ही सेकुलर।*
*वो इसलिए क्योंकि इसकी राजनीति से परे, हिन्दुओं के मूलभूत स्वभाव, सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वसमावेशी होने की हजारों सालों की परंपरा के लिए यह अकल्पनीय है कि यह जनसंख्या कभी भी, किसी को भी प्रताड़ित करेगी या अपने बहुसंख्यक होने का लाभ उठाएगी। एक देश ऐसा हो जहाँ हिन्दुओं ने हमला बोल कर, पूरी आबादी को हिन्दू बनाया हो? एक उदाहरण ले आइए जहाँ तेरह साल की गैरहिन्दू बच्ची को किडनैप करके, जबरन हिन्दू बना कर, उससे शादी की जाती हो? लेकिन मुसलमान देशों में हिन्दुओं के साथ ऐसा होना आम है।*
*किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में किसी भी तरह का अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है, वहीं भारत जैसे हिन्दू-बहुल राष्ट्र में अपने हर त्योहार पर, अपने आराध्य की जन्मभूमि को ले कर, अपनी देवियों के प्रतिमा विसर्जन पर, अपने जयकारे और अभिवादन के शब्दों पर, अपने मंदिरों पर हर दिन, कहीं न कहीं मुसलमानों का अत्याचार झेलना पड़ रहा है। मुहर्रम है तो बंगाल में दुर्गा विसर्जन की तारीख अलग कर दी जाती है! बाबरी मस्जिद टूटने पर चिल्लाते हैं कि अरे तुमने हमारे मस्जिद में मूर्ति रख दी, लेकिन कितनी आसानी से भूल जाते हैं कि उन्होंने तो पूरी की पूरी मस्जिद ही मंदिर के ऊपर रख दी! हर दुर्गा पूजा में मुसलमानों द्वारा मूर्तियाँ तोड़ने और विसर्जन पर पत्थरबाजी की खबरें आम हैं।*
*इसलिए, मुसलमान कहीं सताया जा रहा है, यह मानना बेमानी है। मुसलमान किसी मुसलमान राष्ट्र में प्रताड़ित किया जा रहा है, यह सुनना हास्यास्पद है। मुसलमानों के लिए विश्व के आधे राष्ट्र के दरवाजे खुले हुए हैं। जब सारी आस्था एक ही दिशा में जाकर परिपूर्ण हो रही है, तो फिर नागरिकता के लिए ऐसे देश में क्यों आना जहाँ के मुसलमान कह रहे हैं कि यहाँ हिन्दू सता रहे हैं! कायदे से इमरान खान को अपने यहाँ भी एक विधेयक लाना चाहिए जहाँ भारत के मुसलमानों के पास ऐसा विकल्प हो कि अगर उन्हें यहाँ प्रताड़ित किया जा रहा है तो वो पाकिस्तान आ सकते हैं। साथ ही, परेशान हिन्दुओं के लिए भी इमरान खान को प्रावधान करना चाहिए कि वो भी पाकिस्तान आ सकते हैं। और हाँ, इमरान को सबसे पहले पाकिस्तान को सेकुलर घोषित कर देना चाहिए ताकि हमारे वामपंथी कीड़े रेंगते हुए वहाँ पहुँच सकें।*
*CAB या NRC से नही भारतीय किसी मुसलमान को नुकसान है या नही उनकी अधिकार कम किये जायेंगे बस दुनियाभर में प्रताड़ित हिंदू नागरिकता ले सकेंगे और घुसपैठ करके देश को तोड़ना चाहते है उनको भगाया जायेगा।*
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11 दिसंबर 2019
*नागरिक संशोधन विधेयक पर बवाल मचाने वालों को इन रिपोर्ट पर भी बोलना चाहिए।*
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नागरिक संशोधन विधेयक |
*पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, भूटान, श्रीलंका अफगानिस्तान में रह रहे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर एक भयंकर रिपोर्ट आई थी।*
*सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति उन देशों में काफी बदतर है जहां वे अल्पसंख्यक हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति दक्षिण एशिया के देशों में रह रहे हिंदुओं की है।*
*दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ फिजी, मलेशिया, त्रिनिदाद-टौबेगो में हाल के वर्षो में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इनमें जबरन मतांतरण, यौन उत्पीड़न, धार्मिक स्थलों पर आक्रमण, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति हड़पना आदि शामिल है। कुछ देशों में राजनीतिक स्तर पर भी हिंदुओं के साथ भेदभाव की अनेक शिकायतें सामने आई हैं ।*
*एक सर्वोच्च हिन्दू अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां उन्हें हिंसा, सामाजिक उत्पीड़न और अलग-थलग होने का सामना करना पड़ रहा है।*
*द हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (एचएएफ) ने दक्षिण एशिया में हिंदुओं और प्रवासियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट (यह रिपोर्ट 2017 की है) में कहा कि, समूचे दक्षिण एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यक विभिन्न स्तरों के वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीड़न के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं।*
*जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हिन्दू महिलाएं खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे देशों में अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों का सामना करती हैं। कुछ देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां राज्यतर लोग भेदभावपूर्ण और अलगाववादी एजेंडा चलाते हैं जिसके पीछे अक्सर सरकारों का मौन या स्पष्ट समर्थन होता है।’’*
*अपनी रिपोर्ट में एचएएफ ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और पाकिस्तान को हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का भीषण उल्लंघनकर्ता माना है। भूटान और श्रीलंका की पहचान गंभीर चिंता वाले देशों के तौर पर की गयी है। रिपोर्ट में भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।*
*बांग्लादेश : आपको बता दें कि बांग्लादेश जब से स्वतंत्र हुआ है, तब से आज तक वहां 15 लाख से अधिक हिन्दुआें की हत्या की गई है । हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर अत्याचार किए जाते हैं । अभी तक बांग्लादेश के 3 हजार 336 मंदिर तोड़े गए हैं । पिछले वर्ष अज्ञात शरारती तत्वों द्वारा 15 मंदिरों और 20 से अधिक मकानों में #तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। इस हमले के बाद कई हिन्दू परिवार अपने मकानों को छोड़कर चले गए और दूसरे क्षेत्रों में शरण ले ली ।*
*बांग्लादेश ने वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न [एमेंडमेंट] बिल 2011 को लागू किया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन पर कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे सरकारी संरक्षण भी मिल रहा है। इसका विरोध करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर भी जुल्म ढाए जाते हैं। इसके अलावा हिंदू इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं। उनके साथ मारपीट, दुष्कर्म, अपहरण, जबरन मतांतरण, मंदिरों में तोड़फोड़ और शारीरिक उत्पीड़न आम बात है। अगर यह जारी रहा तो अगले 25 वर्षों में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी ही समाप्त हो जाएगी।*
*पाकिस्तान : पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है। हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन धर्मतांरण का दबाव डाला जाता है। गरीब हिंदू तबका बंधुआ मजदूर की तरह जीने को मजबूर है। हिंसक हमले भी किये जाते है । अभी कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान में कई नाबालिग हिन्दू लड़की का कथित तौर पर अपहरण करके उसका धर्मांतरण करा दिया गया।*
*अफगानिस्तान : स्थानीय मुसलमानों ने वहां रहने वाले हिन्दू परिवारों का जीना हराम कर रखा है । नेशनल कॉउन्सिल ऑफ़ हिन्दू एंड सिख के चेयरमैन अवतार सिंह के अनुसार 1992 में काबुल सरकार के पतन के दौरान यहाँ लगभग 2,20,000 हिन्दू और सिख परिवार रहते थे जो अब घटकर सिर्फ 220 रह गए हैं । पूरे देश में अब सिर्फ 1350 हिन्दू परिवार बचे हुए हैं । अगर आप मुस्लिम नहीं हैं तो आप इंसान नहीं हैं, ऐसा वहां के मुसलमान मानते हैं । दाह संस्कार करने गए हिन्दू परिवारों और यहाँ तक कि मृतक के शरीर पर भी ये मुसलमान ईंटों और पत्थरों से हमला करते है ।*
*श्रीलंका : श्रीलंका में 30 वर्ष पूर्व वहां हिन्दुआें की संख्या 30 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 15 प्रतिशत हो गई है । वहां गरीब हिन्दुआें को आर्थिक प्रलोभन देकर योजनाबद्ध पद्धति से उनका धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है । सिंहली बहुल श्रीलंका में भी हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। पिछले कई दशकों से हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। हिंसा के कारण उन्हें लगातार पलायन का दंश झेलना पड़ रहा है। हिंदू संस्थानों को सरकारी संरक्षण नहीं मिलता है। सरकारी नौकरियों और अन्य सरकारी सहायता से वंचित है। हिंदू संस्थाओं के साथ और हिंदू त्यौहारों के दौरान हिंसा होती है।*
*भूटान : बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी देश कहे जाने वाले भूटान में भी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहा है। 1990 के दशक में दक्षिण और पूर्वी इलाके से एक लाख हिंदू अल्पसंख्यकों और नियंगमापा बौद्धों को बेदखल कर दिया गया।*
*मलेशिया : मलेशिया में हिन्दू मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों को अक्सर निशाना बनाया जाता है। सरकार मस्जिदों को सरकारी जमीन और मदद मुहैया कराती है, लेकिन हिंदू धार्मिक स्थानों के साथ इस नीति को अमल में नहीं लाती। हिंदू कार्यकर्ताओं पर तरह-तरह के जुल्म किए जाते हैं और उन्हें कानूनी मामलों में जबरन फंसाया जाता है। उन्हें शरीयत अदालतों में पेश किया जाता है। कुछ साल पहले जबरन 7000 हिन्दुओं को धर्मपरिवर्तन करवाके मुस्लिम बनाया गया था ।*
*यह चिंता की बात है कि विदेशों में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन चंद मानवाधिकार संगठनों की बात छोड़ दें तो वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।*
*नागरिक संशोधन विधेयक पर कुछ मीडिया, नेता, वामपंथी, सेक्युलर हल्ला मचा रहे है पर हिंदुओं पर इतना अत्याचार हो रहा है इसपर इनकी जुबान खुलती नही है।*
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10 दिसंबर 2019
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#नागरिकता_संशोधन_विधेयक |
*नागरिक संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हो जाने के बाद पाकिस्तान से आये हिंदू ख़ुशी मना रहे है वही दूसरी और कुछ मीडिया, नेता और सेक्युलर विरोध कर रहे है पर वास्तविकता आप भी जानोंगे तो पता चलेगा कि यह बिल देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है।*
*असम में घुसपैठ के खिलाफ चले आंदोलन के कारण 1981 के बाद घुसपैठिये असम की बजाय पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में जाकर बसने लगे। 1981 से 1991 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम जनसंख्या वृद्धिदर 32.90 प्रतिशत थी पर प. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिला में यह 45.12 प्रतिशत, दार्जिलिंग जिला में 58.55 प्रतिशत, कोलकाता जिला में 53.75 प्रतिशत तथा मेदनीपुर जिला में 53.17 प्रतिशत थी। पश्चिम बंगाल की ही तरह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिला में यह 46.77 प्रतिशत, मुजफ्फरनगर जिला में 50.14 प्रतिशत, गाजियाबाद जिला में 46.68, अलीगढ़ 45.61, बरेली में 50.13 प्रतिशत तथा हरदोई जिला में 40.14 प्रतिशत थी। सबसे आश्चर्यजनक उप्र का सीतापुर जिला, जहां मुस्लिम जनसंख्या प्रतिशत 129.66 प्रतिशत था।*
*दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 1990 तक मुफ़्ती मोहम्मद सईद भारत के गृहमंत्री रहा. उसी के समय में यह काम हुआ. लाखों हिंदूओ को कश्मीर से भागा दिया गया। आज यह भुला दिया गया है. पर इतिहास को भूलना मुर्खता है. कुछ साल पहले महबूबा ने कहा था कि कश्मीरी पंडितों को कबूतरों को बिल्ली के आगे फेंकने की तरह घाटी में वापस नहीं बसाया जा सकता अर्थात पंडितों को कश्मीर घाटी में उनके मूल स्थानों में बसाकर उन्हें आतंकवादियों के रहमोकरम पर नहीं छोड़ा जा सकता।*
*अमरनाथ यात्रा में बहुत से स्थान साल में 9 महीने बर्फ से ढके रहते हैं. एक राज्यपाल ने जब अमरनाथ यात्रिओं को सुविधा देने के लिए एक बड़े मैदान को अमरनाथ यात्रा के शिविर लगाने के लिए निश्चित किया तो काश्मीरी मुस्लिम और मिडिया चिल्लाने लग ये कश्मीर की डेमोग्राफी ( जनसंख्या वितरण) बदलने की साजिश है.क्या हरियाणा, दिल्ली या गुजरात का निवासी वहां 9 महीने बर्फ में रह सकता है?किसी ने नहीं कहा कि हिमाचल के धर्मशाला में तिब्बती बौद्ध वहां की डेमोग्राफी बदल रहे हैं क्योंकि वहां पर मुस्लिम नहीं हिन्दू रहते हैं. कश्मीर में धारा 370 लागू होने के बावजूद म्यामार के रोहिंग्या मुस्लिमों को कश्मीर घाटी में बसाया जा सकता है भारतीयों को नहीं। भारत में मुसलमानों की जनसंख्या 1951 में 9.8 प्रतिशत था ! बढ़ कर वर्ष 2011 जनगणना में 14.23 प्रतिशत हो चुका है ! भारत में हिंदुओं की जनसंख्या वर्ष 1951 में 84.1 प्रतिशत था ! अब घट कर 2011 के जनगणना में 79.80 प्रतिशत हो चुका है।*
*1991 से 2011 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या वृद्धि दर 44.39 प्रतिशत, हिंदू वृद्धि दर 40.51 प्रतिशत तो मुस्लिम जनसंख्या वृद्धिदर 69.53 प्रतिशत थी, पर अरुणाचल में मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर 126.84 प्रतिशत, मेघालय में 112.06, मिजोरम में 226.84, सिक्किम में 156.35, दिल्ली में 142.64, चण्डीगढ़ में 194.36 तथा हरियाणा में 133.22 प्रतिशत थी। मुस्लिम जनसंख्या में हुई यह अप्रत्याशित वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि बांग्लादेश और म्यांमार से मुस्लिम घुसपैठिये भारतीय राज्यों में बस रहे हैं। 1961 में देश की जनसंख्या में मुस्लिम जनसंख्या 10.7 प्रतिशत थी, जो 2011 में बढ़कर 14.22 प्रतिशत हो गई है। यानी 50 वर्ष में मुस्लिम जनसंख्या में 3.52 प्रतिशत की वृद्धि तब हुई है जबकि इसमें घुसपैठियों को भी शामिल किया गया है। इसी दौर में प. बंगाल में मुस्लिम जनसंख्या 20 प्रतिशत से बढ़कर 27.01 प्रतिशत, तो बिहार के पूर्णिया, किशनगंज, अररिया और कटिहार जिला में 37.61 प्रतिशत से बढ़कर 45.93 प्रतिशत हो गई है।*
*जैसे ही यह मुद्दा उठता है। वामदल, तृणमूल कांग्रेस से लेकर शहरी नक्सली आदि यथासंभव शोर मचाने लगते हैं। उन्हें लगता है कि अवैध शरणार्थी उनके वोट बैंक हैं। यह सत्य है कि अनेक नेताओं ने अवैध शरणार्थियों के राशन कार्ड ,आधार कार्ड एवं वोटर कार्ड बनवाकर उन्हें देश में बसाने के लिए पुरजोर प्रयास किया हैं। इन लोगों ने देश को सराय बना डाला हैं क्यूंकि ये लोग केवल तात्कालिक लाभ अपनी कुर्सी के लिए केवल तात्कालिक लाभ देखते है। भविष्य में यही अवैध शरणार्थी एकमुश्त वोट-बैंक बनकर इन्हीं नेताओं की नाक में दम कर देंगे। इससे भी विकट समस्या यह है कि बढ़ती मुस्लिम जनसँख्या भारत के गैर मुसलमानों के भविष्य को लेकर भी एक बड़ी चुनौती उपस्थित करेगी। क्यूंकि इस्लामिक सामाज्यवाद की मुहीम के तहत जनसँख्या समीकरण के साथ मुसलमानों का गैर मुसलमानों के साथ व्यवहार में व्यापक परिवर्तन हो जाता हैं।*
*2005 में समाजशास्त्री डा. पीटर हैमंड ने गहरे शोध के बाद इस्लाम धर्म के मानने वालों की दुनियाभर में प्रवृत्ति पर एक पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक है ‘स्लेवरी, टैररिज्म एंड इस्लाम-द हिस्टोरिकल रूट्स एंड कंटेम्पररी थ्रैट’। इसके साथ ही ‘द हज’के लेखक लियोन यूरिस ने भी इस विषय पर अपनी पुस्तक में विस्तार से प्रकाश डाला है।जो तथ्य निकल करआए हैं, वे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि चिंताजनक हैं ।*
*उपरोक्त शोध ग्रंथों के अनुसार जब तक मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश-प्रदेश क्षेत्र में लगभग 2 प्रतिशत के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसंद अल्पसंख्यक बन कर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते। जैसे अमरीका में वे (0.6 प्रतिशत) हैं, आस्ट्रेलिया में 1.5, कनाडा में 1.9, चीन में 1.8, इटली में 1.5 और नॉर्वे में मुसलमानों की संख्या 1.8 प्रतिशत है। इसलिए यहां मुसलमानों से किसी को कोई परेशानी नहीं है।*
*जब मुसलमानों की जनसंख्या 2 से 5 प्रतिशत के बीच तक पहुंच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलंबियों में अपना धर्मप्रचार शुरू कर देते हैं। जैसा कि डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और थाईलैंड में जहां क्रमश: 2, 3.7, 2.7, 4 और 4.6 प्रतिशत मुसलमान हैं।*
*जब मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश या क्षेत्र में 5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलंबियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिए वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर ‘हलाल’ का मांस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि ‘हलाल’ का मांस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यताएं प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में खाद्य वस्तुओं के बाजार में मुसलमानों की तगड़ी पैठ बन गई है। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्कीट के मालिकों पर दबाव डालकर उनके यहां ‘हलाल’ का मांस रखने को बाध्य किया।दुकानदार भी धंधे को देखते हुए उनका कहा मान लेते हैं।*
*इस तरह अधिक जनसंख्या होने का फैक्टर यहां से मजबूत होना शुरू हो जाता है, जिन देशों में ऐसा हो चुका है, वे फ्रांस, फिलीपींस, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो हैं। इन देशों में मुसलमानों की संख्या क्रमश: 5 से 8 फीसदी तक है। इस स्थिति पर पहुंचकर मुसलमान उन देशों की सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके क्षेत्रों में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाए। दरअसल, उनका अंतिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व शरीयत कानून के हिसाब से चले। जब मुस्लिम जनसंख्या किसी देश में 10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब वे उस देश, प्रदेश, राज्य, क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिए परेशानी पैदा करना शुरू कर देते हैं, शिकायतें करना शुरू कर देते हैं, उनकी ‘आॢथक परिस्थिति’ का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़-फोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ्रांस के दंगे हों डेनमार्क का कार्टून विवाद हो या फिर एम्सटर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवादको समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है। ऐसा गुयाना (मुसलमान 10 प्रतिशत), इसराईल (16 प्रतिशत), केन्या (11 प्रतिशत), रूस (15 प्रतिशत) में हो चुका है। जब किसी क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या 20 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न ‘सैनिक शाखाएं’ जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरू हो जाता है, जैसा इथियोपिया (मुसलमान 32.8 प्रतिशत) और भारत (मुसलमान 22 प्रतिशत) में अक्सर देखा जाता है।*
*मुसलमानों की जनसंख्या के 40 प्रतिशत के स्तर से ऊपर पहुंच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याएं, आतंकवादी कार्रवाइयां आदि चलने लगती हैं। जैसा बोस्निया (मुसलमान 40 प्रतिशत), चाड (मुसलमान 54.2 प्रतिशत) और लेबनान (मुसलमान 59 प्रतिशत) में देखा गया है। शोधकत्र्ता और लेखक डा. पीटर हैमंड बताते हैं कि जब किसी देश में मुसलमानों की जनसंख्या 60 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब अन्य धर्मावलंबियों का ‘जातीय सफाया’ शुरू किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोडऩा, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है जैसे अल्बानिया (मुसलमान 70 प्रतिशत), कतर (मुसलमान 78 प्रतिशत) व सूडान (मुसलमान 75 प्रतिशत) में देखा गया है। किसी देश में जब मुसलमान बाकी आबादी का 80 प्रतिशत हो जाते हैं, तो उस देश में सत्ता या शासन प्रायोजित जातीय सफाई की जाती है। अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर जनसंख्या को 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है। जैसे बंगलादेश (मुसलमान 83 प्रतिशत), मिस्र (90 प्रतिशत), गाजापट्टी (98 प्रतिशत), ईरान (98 प्रतिशत), ईराक (97 प्रतिशत), जोर्डन (93 प्रतिशत), मोरक्को (98 प्रतिशत), पाकिस्तान (97 प्रतिशत), सीरिया (90 प्रतिशत) व संयुक्त अरब अमीरात (96 प्रतिशत) में देखा जा रहा है।*
*भारत मे आगे ऐसे कोई स्थिति पैदा न हो उससे पहले सावधन होना जरूरी है इसलिए नागरिक संशोधन विधेयक पास होना अति आवश्यक है।*
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