12 दिसंबर 2019
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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिक संशोधन विधेयक (CAB) पास हो गया इससे बांग्लादेश से आए 5 लाख से ज्यादा बंगाली हिंदू जिन्हें एनआरसी की अंतिम सूची में जगह नहीं मिल पाई थी, उन्हें नागरिकता मिल जाएगी। और पाकिस्तान से प्रताड़ित किये गए हिंदू जो भारत मे रह रहे है उनको भी नागरिकता मिल जाएगी।*
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अब बात आती है कि क्या इन विधेयक द्वारा भारतीय मुसलमानों को प्रताड़ित किया जायेगा? जानिए सच्चाई क्या है?*
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इस देश के आम मुसलमान को क्यों बहकाया जा रहा है कि उन्हें देश-निकाला मिलने वाला है, या उन्हें भगाया जाएगा? ऐसा करने वाले लोग उसी लॉबी से हैं जो हर बात में हिन्दू-मुसलमान करते हैं। ये वही दोगले हैं जिन्हें तबरेज दिखता है, लेकिन भरत यादव जैसे दसियों हिन्दुओं की मुसलमानों के हाथ हुई भीड़ हत्या नहीं दिखती। ये लोग मुसलमानों पर अत्याचार की खबरें गढ़ते हैं और पकड़े जाने पर माफी तक नहीं माँगते। याद ही होगा कि ‘जय श्री राम’ के नाम पर कितनी फर्जी खबरें फैलाई गईं थीं, और झूठ पकड़े जाने पर क्या हुआ।*
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दो कारणों से मुसलमानों को भड़काने की कोशिश हो रही है। पहला है कि ओवैसी जैसों को मुसलमानों का नेता बनने की फ़िक्र है और उसे मुद्दे मिल नहीं रहे। इसलिए वो हर तरह की नौटंकी कर रहा है। उसे हिन्दू-मुसलमान अगर नहीं मिलेगा, तो वो ऐसे मौके बनाएगा जहाँ लगे कि मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। कुछ मुसलमान भी पगलाए हुए उसकी बात को मान रहे हैं।*
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एक मुद्दा NRC, या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, का है जिसमें पहली बार इस देश के नागरिकों का लेखा-जोखा तैयार होगा। भारत अपने आप में उन विचित्र देशों में होगा जहाँ सरकार के पास उसके नागरिकों का कोई एक रजिस्टर नहीं है जहाँ से पता किया जा सके कि कौन किस जगह से है, क्या करता है, कब आया आदि। इसकी जरूरत इसलिए हुई क्योंकि कॉन्ग्रेस और टीएमसी समेत कई पार्टियों ने अपने राज्यों में मुसलमान वोटबैंक बढ़ा कर, चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए इस देश की सीमा और स्थानीय जनसंख्या के साथ खिलवाड़ किया। मुसलमान बाहर से ला कर बसाए गए, उन मुसलमानों ने खरगोशों की तरह बच्चे पैदा किए और आज स्थिति यह है कि बांग्लादेश उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं, और भारत इन दीमकों को यहाँ रख नहीं सकता।*
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इस कारण चर्चा शुरू हुई कि इन्हें अलग किया जाए। इस कारण सरकार ने असम में एनआरसी के लिए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, नागिरकों और घुसपैठियों को अलग करने की प्रक्रिया शुरू की। इससे कुछ पार्टियों का वोटबैंक गायब हो जाएगा क्योंकि उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाए या नहीं, ये तो आगे की बात है, पर उनके मताधिकार तो तय रूप से छीने लिए जाएँगे। बस यही कारण है कि ये लोग चिल्ला रहे हैं कि मुसलमानों का भविष्य खतरे में है।*
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मुसलमान तो यहाँ हर तरह से सुरक्षित है। कम से कम शिया-सुन्नी के दंगे, मस्जिदों में बम ब्लास्ट, घटिया शिक्षा और बेहतरी के अवसर से परे, भारत का मुसलमान न सिर्फ अल्पसंख्यक होने के कारण विभिन्न योजनाओं का लाभार्थी है, बल्कि उसे मुसलमान होने का वैचारिक लाभ भी हमेशा मिलता रहा है जब उनके खिलाफ हुए अपराधों पर पूरा देश उनके साथ खड़ा हो जाता है जिसमें हिन्दुओं की बहुतायत है। इसे ही गंगा-जमुनी तहजीब कहते हैं इस देश में। हालाँकि, मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर जब अपराध होते हैं, तब मुसलमानों को तो साँप सूँघ ही जाता है, गंगा-जमुनी तहजीब का भी अदरक-लहसुन हो जाता है।*
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खैर, एनआरसी के जरिए इन दीमक मुसलमानों को, जो भारत के नहीं हैं, बाहर करना आवश्यक है क्योंकि वो भारत के मुसलमानों का हक छीन रहे हैं। किसी के वोटबैंक में इस तरह की सेंध लग जाए, और जो पहले से ही जनाधार खोते जा रहे हों, जिनके राज्यों में विकास और राष्ट्रवाद की बात करने वाली पार्टी लगातार बेहतर कर रही हो, वो आखिर इसका विरोध नहीं करेगी, मुसलमानों को नहीं उकसाएगी, तो करेगी भी क्या!*
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आम मुसलमान जनता भीड़ बना कर या सोशल मीडिया पर संविधान की दुहाई देते हुए भावुक हो रही है कि मजहब के आधार पर किसी को भारत आने से रोकना नहीं चाहिए। ये लोग बहकाए गए हैं, या फिर जानबूझकर दंगे की स्थिति बना रहे हैं। ये इन्हें इकट्ठा कर के क़ानून व्यवस्था बिगाड़ने की फिराक में हैं जो कि चिंतनीय है। हाल ही में राम मंदिर पर आया फैसला ओवैसी जैसों के पैरों तले की जमीन खींच चुका है जो कि कई साल अपनी राजनीति हिन्दुओं के खिलाफ यही सब कह-कह कर चलाते रहे कि मुसलमानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।*
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जबकि सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हुआ है? कहाँ के मुसलमान को वो नहीं मिल रहा जो हिन्दुओं को मिल रहा है? क्या कोई ऐसी योजना है, छात्रवृत्ति है, कोई कार्ड है, सिलिंडर है, बिजली है, बैंक अकाउंट है, बल्ब है, बीमा है, हॉस्पिटल है, स्कूल है, कॉलेज है, यूनिवर्सिटी है जहाँ सरकार ने कहा हो कि इसमें भारतीय मुसलमानों को नहीं रखा गया है? जहाँ तक सच्चाई की बात करें तो, पूरे देश में मुसलमानों को ले कर विशेष प्रावधान ही हैं कि जो सबको मिल रहा है, वो तो उन्हें मिले ही, उसके अलावा उनके लिए विशेष स्कूल हों, कॉलेज हों, छात्रवृत्ति हो, यूनिवर्सिटी हो, तमाम कल्याणकारी योजनाएँ हों। फिर मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हो रहा है जिसकी बात ओवैसी या वामपंथी गीदड़ करते हैं?*
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सत्य यही है कि बिना मुसलमानों को भड़काए कि देखो तुम्हें भगाने की तैयारी हो रही है, इनकी राजनीति चलेगी नहीं। साथ ही, इस तरह की बातें करके, कॉलेज में जाने वाले नए विद्यार्थियों को, जो कि पहली बार वोट देंगे, उन्हें यह बताया जा रहा है कि वर्तमान सरकार मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। टिकटॉक पर विडियो बनाने वाली और फेसबुक पर सेल्फी लगा कर वैचारिक क्रांति में चे ग्वेरा का टीशर्ट पहन कर रेबेल होने वाली यह कॉलेजिया जनता वास्तविकता से बहुत दूर सोशल मीडिया पर सुनी-सुनाई बात लिखने लगती है। इसकी परिणति ध्रुव राठी जैसे गटरछाप लड़के के ट्वीट पर होती है कि भारत के विभाजन की बात सावरकर ने सबसे पहले की थी। न सिर्फ वो बात गलत है, बल्कि यह सोचना भी कि अगर सावरकर ने बात कह भी दी हो, तो क्या गाँधी और नेहरू ने सावरकर की बात मान कर विभाजन स्वीकारा?*
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रामचंद्र गुहा से ले कर सारे लोग, इतिहास को बर्बाद करने के बाद अब विभाजन का जिम्मा भी दक्षिणपंथियों के माथे डालना चाह रहे हैं। बताया जा रहा है कि विभाजन मजहबी कारणों से नहीं हुआ। आप इनकी दोगलई देखिए कि ये किस स्तर पर चले जाते हैं। और ये इसलिए वहाँ जाते हैं क्योंकि हमने और आपने इनके झूठों पर सच्चाई का तमाचा मारना शुरू तक नहीं किया है।*
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संविधान और सेकुलर शब्द की दुहाई देने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए, सत्तर के दशक में जबरन घुसाए इस शब्द की संविधान निर्माताओं ने आवश्यकता नहीं समझी थी। ये किसकी शह पर घुसाया गया था? इसकी जरूरत क्या थी? जरूरत इसलिए थी कि इसे आधार बना कर हिन्दुओं को लगातार अत्याचारी के रूप में दिखाया जाए और जैसे ही कोई कुछ बोले, ‘सेकुलर’ तमाचा लगा दिया जाए। सेकुलर का अर्थ तब भी वही था, आज भी वही है: हिन्दुओं से घृणा करने वाला। हिन्दूविरोधी मानसिकता वालों ने इस शब्द का हर दिन मोलेस्टेशन किया है, इसके कपड़े उतारे हैं और दिन के उजाले में इस शब्द का मानमर्दन हुआ है।*
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हिन्दू तो स्वभाविक तौर पर सेकुलर होता है इसलिए मूल रूप में संविधान में उसे रखने की जरूरत नहीं पड़ी। आपको क्या लगता है कि इतनी बड़ी मुस्लिम आबादी के यहाँ ठहरने के बाद भी राजेन्द्र प्रसाद या अंबेडकर समेत तमाम बुद्धिजीवियों और राजनेताओं को इसका विचार नहीं आया होगा कि हिन्दू बहुल देश में इतने भिन्न मतों के लोग अल्पसंख्यक हैं, तो उनके लिए अलग शब्द जोड़ा जाए? न तो भारत का संविधान उसे हिन्दू राष्ट्र लिख पाया, न ही सेकुलर।*
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वो इसलिए क्योंकि इसकी राजनीति से परे, हिन्दुओं के मूलभूत स्वभाव, सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वसमावेशी होने की हजारों सालों की परंपरा के लिए यह अकल्पनीय है कि यह जनसंख्या कभी भी, किसी को भी प्रताड़ित करेगी या अपने बहुसंख्यक होने का लाभ उठाएगी। एक देश ऐसा हो जहाँ हिन्दुओं ने हमला बोल कर, पूरी आबादी को हिन्दू बनाया हो? एक उदाहरण ले आइए जहाँ तेरह साल की गैरहिन्दू बच्ची को किडनैप करके, जबरन हिन्दू बना कर, उससे शादी की जाती हो? लेकिन मुसलमान देशों में हिन्दुओं के साथ ऐसा होना आम है।*
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किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में किसी भी तरह का अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है, वहीं भारत जैसे हिन्दू-बहुल राष्ट्र में अपने हर त्योहार पर, अपने आराध्य की जन्मभूमि को ले कर, अपनी देवियों के प्रतिमा विसर्जन पर, अपने जयकारे और अभिवादन के शब्दों पर, अपने मंदिरों पर हर दिन, कहीं न कहीं मुसलमानों का अत्याचार झेलना पड़ रहा है। मुहर्रम है तो बंगाल में दुर्गा विसर्जन की तारीख अलग कर दी जाती है! बाबरी मस्जिद टूटने पर चिल्लाते हैं कि अरे तुमने हमारे मस्जिद में मूर्ति रख दी, लेकिन कितनी आसानी से भूल जाते हैं कि उन्होंने तो पूरी की पूरी मस्जिद ही मंदिर के ऊपर रख दी! हर दुर्गा पूजा में मुसलमानों द्वारा मूर्तियाँ तोड़ने और विसर्जन पर पत्थरबाजी की खबरें आम हैं।*
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इसलिए, मुसलमान कहीं सताया जा रहा है, यह मानना बेमानी है। मुसलमान किसी मुसलमान राष्ट्र में प्रताड़ित किया जा रहा है, यह सुनना हास्यास्पद है। मुसलमानों के लिए विश्व के आधे राष्ट्र के दरवाजे खुले हुए हैं। जब सारी आस्था एक ही दिशा में जाकर परिपूर्ण हो रही है, तो फिर नागरिकता के लिए ऐसे देश में क्यों आना जहाँ के मुसलमान कह रहे हैं कि यहाँ हिन्दू सता रहे हैं! कायदे से इमरान खान को अपने यहाँ भी एक विधेयक लाना चाहिए जहाँ भारत के मुसलमानों के पास ऐसा विकल्प हो कि अगर उन्हें यहाँ प्रताड़ित किया जा रहा है तो वो पाकिस्तान आ सकते हैं। साथ ही, परेशान हिन्दुओं के लिए भी इमरान खान को प्रावधान करना चाहिए कि वो भी पाकिस्तान आ सकते हैं। और हाँ, इमरान को सबसे पहले पाकिस्तान को सेकुलर घोषित कर देना चाहिए ताकि हमारे वामपंथी कीड़े रेंगते हुए वहाँ पहुँच सकें।*
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CAB या NRC से नही भारतीय किसी मुसलमान को नुकसान है या नही उनकी अधिकार कम किये जायेंगे बस दुनियाभर में प्रताड़ित हिंदू नागरिकता ले सकेंगे और घुसपैठ करके देश को तोड़ना चाहते है उनको भगाया जायेगा।*
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