Monday, December 23, 2019

भारतवासीयों का संकल्प : क्रिसमस नही तुलसी पूजन दिवस मनायेंगे

23 दिसंबर 2019

🚩 *पश्चिमी देशों में 25 दिसम्बर को क्रिसमस मनाते हैं, उसकी तैयारी पूर्व से होने लगती है। 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक क्रिसमस-डे के त्यौहार के नाम पर दारू पीना, मांस खाना, पार्टी में दुष्कर्म करना, महिलाओं से छेड़छाड़ी करना, लाऊड स्पीकर बजाना आदि सब अप्राकृतिक कार्य किये जाते है जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होता है, स्वास्थ्य खराब होता है, आत्महत्यायें बढ़ती है।*

🚩 *ऐसे पाश्चात्य संस्कृति के त्यौहार को कुछ भोले भारतवासी भी मनाने लगे है पर अब धीरे-धीरे अपनी संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं ।*

 🚩 *पश्चिमी संस्कृति का क्रिसमस-डे मनाने जैसा त्यौहार नही है इसलिए भारत में ज्यादातर लोगों ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए पहले से ही तुलसी पूजन शुरू कर दिया है, भारत ही नही बल्कि कई अन्य देशों में भी इस दिन को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है । 

🚩 *यहाँ पर http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities आप देख सकते हैं ,देश-विदेश में 25 दिसम्बर निमित्त तुलसी पूजन की धूम मची है।*

🚩 *ट्वीटर पर भी रविवार को #25thDecemberTulsiPoojanDiwas हैशटैग के जरिये लगातार ट्वीट्स देखने को मिल रही हैं । ये हैशटैग टॉप ट्रेंड में अपना स्थान बनाये हुए है ।*

🚩 *आइये जानते हैं कि क्या कहना चाह रहे हैं ये लोग ट्वीटर के माध्यम से...*

◆ *श्याम सोनी ने लिखा है कि 25 दिसम्बर को प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जाएगा,इस दिन सार्वजनिक स्थानों,विद्यालयों और महाविद्यालयों में तुलसी की महत्ता बतायी जाती है।*

◆ *सुरेन्द्र ने लिखा है कि The Great Sant Shri Asaram Bapu Ji के संस्कृति रक्षक प्रयासों से आज देश का बच्चा-बच्चा अपनी संस्कृति से जुड़ रहा है, इसकी महानता समझ पा रहा है एवं अपनी संस्कृति का सम्मान कर रहा है।*
#25thDecemberTulsiPoojanDiwas

◆ *बंटी पटेल लिखते है कि दिशा विहीन पश्चिमी संस्कृति की कुरीतियों से भारत को बचाने के लिए Sant Shri Asaram Bapu Ji ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने की पावन प्रेरणा देकर राष्ट्र एवं सनातन संस्कृति की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान की है।*

◆ *कुशु पटेल ने ट्वीट किया है कि तुलसी का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है,बुद्धि बढ़ती है। यदि तुलसी के पत्तो का नियमित सेवन किया जाए तो कैंसर जैसे  रोग कभी नही होगा। अतः #25thDecemberTulsiPoojanDiwas सभी जरूर मनाये।*

◆ *महेश साहनी लिखते है कि तुलसी जीते जी तो हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करती है पर मरने के बाद भी मुक्ति प्रदान करती है। तुलसी के सेवन से अनेक गंभीर बीमारियों में भी फायदा होता है। एसी परम ल्याणकारी तुलसी माता का हमे पूजन अवश्य करना चाहिये। तो आओ मनाए* #25thDecemberTulsiPoojanDiwas

◆ *जय सिंह ने लिखा कि तुलसी पूजन दिवस की शुरुवात Sant Shri Asaram Bapu Ji ने वर्ष 2014 में की थी। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होता है।*

🚩 *इसी प्रकार से हजारों ट्वीटस हमें देखने को मिली । जिसमें सभी लोग क्रिसमस नही बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनाने की बात कहने के साथ-साथ खुद की तुलसी पूजन करके फोटोज अपलोड कर रहे हैं ।*

🚩 *केवल भारत के ही लोग नही बल्कि कैलिफोर्निया, दुबई आदि से भी लोग तुलसी पूजन करके ट्वीटस कर रहे हैं ।*

🚩 *आपको बता दें कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, युवाधन की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं इसलिए देश में सुख, सौहार्द, शांति बढ़े व जन-समाज का जीवन स्वस्थ और मंगलमय हो इस उद्देश्य से हिन्दू संत आसाराम बापू की प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व को जनता ने खूब सराहा और इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।*

🚩 *विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा*

*मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।*

🚩 *विज्ञान ने विभिन्न शोधों के आधार पर माना है कि तुलसी एक बेहतरीन रोगाणुरोधी, तनावरोधी, दर्द-निवारक, मधुमेहरोधी, ज्वरनाशक, कैंसरनाशक, चिंता-निवारक, अवसादरोधी, विकिरण-रक्षक है। तुलसी इतने सारे गुणों से भरपूर है कि इसकी महिमा अवर्णनीय है। पद्म पुराण में भगवान शिव कहते हैं "तुलसी के सम्पूर्ण गुणों का वर्णन तो बहुत अधिक समय लगाने पर भी नहीं हो सकता।"*

🚩 *अपने घर में, आस पड़ोस में अधिक-से-अधिक संख्या में तुलसी के पौधे लगाना-लगवाना माना हजारों-लाखों रूपयों का स्वास्थ्य खर्च बचाना है, पर्यावरण-रक्षा करना है।*

🚩 *अतः विष्णुप्रिया तुलसी मां का पौधा हर घर में होनी चाहिए । आज से हमें संकल्प लेना चाहिए कि 25 दिसम्बर को तुलसी जी की पूजा करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेंगे ।*

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23 दिसंबर 2019

🚩 *पश्चिमी देशों में 25 दिसम्बर को क्रिसमस मनाते हैं, उसकी तैयारी पूर्व से होने लगती है। 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक क्रिसमस-डे के त्यौहार के नाम पर दारू पीना, मांस खाना, पार्टी में दुष्कर्म करना, महिलाओं से छेड़छाड़ी करना, लाऊड स्पीकर बजाना आदि सब अप्राकृतिक कार्य किये जाते है जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होता है, स्वास्थ्य खराब होता है, आत्महत्यायें बढ़ती है।*

🚩 *ऐसे पाश्चात्य संस्कृति के त्यौहार को कुछ भोले भारतवासी भी मनाने लगे है पर अब धीरे-धीरे अपनी संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं ।*

 🚩 *पश्चिमी संस्कृति का क्रिसमस-डे मनाने जैसा त्यौहार नही है इसलिए भारत में ज्यादातर लोगों ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए पहले से ही तुलसी पूजन शुरू कर दिया है, भारत ही नही बल्कि कई अन्य देशों में भी इस दिन को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ।*

🚩 *यहाँ पर http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities आप देख सकते हैं ,देश-विदेश में 25 दिसम्बर निमित्त तुलसी पूजन की धूम मची है।*

🚩 *ट्वीटर पर भी रविवार को #25thDecemberTulsiPoojanDiwas हैशटैग के जरिये लगातार ट्वीट्स देखने को मिल रही हैं । ये हैशटैग टॉप ट्रेंड में अपना स्थान बनाये हुए है ।*

🚩 *आइये जानते हैं कि क्या कहना चाह रहे हैं ये लोग ट्वीटर के माध्यम से...*

◆ *श्याम सोनी ने लिखा है कि 25 दिसम्बर को प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जाएगा,इस दिन सार्वजनिक स्थानों,विद्यालयों और महाविद्यालयों में तुलसी की महत्ता बतायी जाती है।*

◆ *सुरेन्द्र ने लिखा है कि The Great Sant Shri Asaram Bapu Ji के संस्कृति रक्षक प्रयासों से आज देश का बच्चा-बच्चा अपनी संस्कृति से जुड़ रहा है, इसकी महानता समझ पा रहा है एवं अपनी संस्कृति का सम्मान कर रहा है।*
#25thDecemberTulsiPoojanDiwas

◆ *बंटी पटेल लिखते है कि दिशा विहीन पश्चिमी संस्कृति की कुरीतियों से भारत को बचाने के लिए Sant Shri Asaram Bapu Ji ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने की पावन प्रेरणा देकर राष्ट्र एवं सनातन संस्कृति की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान की है।*

◆ *कुशु पटेल ने ट्वीट किया है कि तुलसी का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है,बुद्धि बढ़ती है। यदि तुलसी के पत्तो का नियमित सेवन किया जाए तो कैंसर जैसे  रोग कभी नही होगा। अतः #25thDecemberTulsiPoojanDiwas सभी जरूर मनाये।*

◆ *महेश साहनी लिखते है कि तुलसी जीते जी तो हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करती है पर मरने के बाद भी मुक्ति प्रदान करती है। तुलसी के सेवन से अनेक गंभीर बीमारियों में भी फायदा होता है। एसी परम ल्याणकारी तुलसी माता का हमे पूजन अवश्य करना चाहिये। तो आओ मनाए* #25thDecemberTulsiPoojanDiwas

◆ *जय सिंह ने लिखा कि तुलसी पूजन दिवस की शुरुवात Sant Shri Asaram Bapu Ji ने वर्ष 2014 में की थी। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होता है।*

🚩 *इसी प्रकार से हजारों ट्वीटस हमें देखने को मिली । जिसमें सभी लोग क्रिसमस नही बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनाने की बात कहने के साथ-साथ खुद की तुलसी पूजन करके फोटोज अपलोड कर रहे हैं ।*

🚩 *केवल भारत के ही लोग नही बल्कि कैलिफोर्निया, दुबई आदि से भी लोग तुलसी पूजन करके ट्वीटस कर रहे हैं ।*

🚩 *आपको बता दें कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, युवाधन की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं इसलिए देश में सुख, सौहार्द, शांति बढ़े व जन-समाज का जीवन स्वस्थ और मंगलमय हो इस उद्देश्य से हिन्दू संत आसाराम बापू की प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व को जनता ने खूब सराहा और इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।*

🚩 *विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा*

*मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।*

🚩 *विज्ञान ने विभिन्न शोधों के आधार पर माना है कि तुलसी एक बेहतरीन रोगाणुरोधी, तनावरोधी, दर्द-निवारक, मधुमेहरोधी, ज्वरनाशक, कैंसरनाशक, चिंता-निवारक, अवसादरोधी, विकिरण-रक्षक है। तुलसी इतने सारे गुणों से भरपूर है कि इसकी महिमा अवर्णनीय है। पद्म पुराण में भगवान शिव कहते हैं "तुलसी के सम्पूर्ण गुणों का वर्णन तो बहुत अधिक समय लगाने पर भी नहीं हो सकता।"*

🚩 *अपने घर में, आस पड़ोस में अधिक-से-अधिक संख्या में तुलसी के पौधे लगाना-लगवाना माना हजारों-लाखों रूपयों का स्वास्थ्य खर्च बचाना है, पर्यावरण-रक्षा करना है।*

🚩 *अतः विष्णुप्रिया तुलसी मां का पौधा हर घर में होनी चाहिए । आज से हमें संकल्प लेना चाहिए कि 25 दिसम्बर को तुलसी जी की पूजा करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेंगे ।*

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Sunday, December 22, 2019

संता क्‍लॉज इतिहास जानकर आप अपने बच्चों को जोकर बनाना छोड़ देंगे

22 दिसंबर 2019

🚩 *कुछ भारतीय अपने बच्चों को विवेकानंदजी, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, चन्द्र शेखर आज़ाद के वस्त्र नही पहनाते लेकिन क्रिसमस पर 'सांता क्लॉज' के वस्त्र पहनाकर उसे जोकर बना देते है। ऐसा कर के हम अपनी सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं साथ-साथ अपने बच्चे को मानशिक गुलाम भी बना रहे हैं।*

*सबसे अहम बात तो ये है कि संता क्लॉज कौन था यह हम जानते भी नही है। आइये आज आपको इन तथ्यों से परिचित करवाते हैं।*

🚩 *संता क्‍लॉज का क्रिसमस से रिश्ता*

*जिंगल बेल के गाने को ईसाई धर्म में क्रिसमस से जोड़ दिया गया है, लेकिन यह सच नहीं है। दरअसल यह क्रिसमस सॉन्ग है ही नहीं। यह थैंक्सगिविंग सॉग्न है जिसे 1850 में जेम्स पियरपॉन्ट ने वन हॉर्स ओपन स्लेई शीर्षक से लिखा था। वे जार्जिया के सवाना में म्यूजिक डायरेक्टर थे। पियरपॉन्ट की मौत से 3 साल पहे यानी 1890 तक यह क्रिसमस का हिट गीत बन गया था।*

🚩 *संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं* 

*सैंटा क्लॉज चौथी शताब्दी में मायरा के निकट एक शहर (जो अब तुर्की के नाम से जाना जाता है) में जन्मे बिशप संत निकोलस का ही रूप है। बिशप निकोलस के पिता एक बहुत बड़े व्यापारी थे, जिन्होंने निकोलस को हमेशा दूसरों के प्रति दयाभाव और जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए प्रेरित किया। निकोलस पर इन सब बातों का इतना असर हुआ कि वह हर समय जरूरतमंदों की सहायता करने को तैयार रहता।*
🚩 *बच्चों से उन्हें खास लगाव रहा। अपनी दौलत में से बच्चों के लिए वह खूब सारे खिलौने खरीदते और खिड़कियों से उनके घरों में फेंक देते। संत निकोलस की याद में कुछ जगहों पर हर साल 6 दिसंबर को 'संत निकोलस दिवस' भी मनाया जाता है। हालांकि एक धारणा यह भी है कि संत निकोलस की लोकप्रियता से नाराज लोगों ने 6 दिसंबर के दिन ही उनकी हत्या करवा दी। इन बातों के बाद भी बच्चे 25 दिसंबर को ही सैंटा का इंतजार करते हैं। ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्‍चों को तोहफे दिया करते थे।*

🚩 *आपको बता दे कि कुछ लोग समझते है कि क्रिसमिस पर ईसा मसीह के जन्मदिन था पर उसदिन उनका जन्मदिन  नही हुआ है। वास्तव में 25 दिसंबर को पहले यूरोप में सूर्यपूजा होती थी इसलिए सूर्य पूजा खत्म करने एवं ईसायत को बढ़ाने के लिए रोमन सम्राट ने ई.स 336 में 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया और पोप जुलियस 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन मनाने लगे। जबकि इस दिन ईसा मसीह के जन्म से कोई लेना देना नही है।*

🚩 *अब न यीशु का क्रिसमस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से ।
फिर भी भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का क्रिसमस मनाते हैं ये सब भारतीय संस्कृति को खत्म करके ईसाईकरण करने के लिए भारत में क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप सावधान रहें ।*

🚩 *इन त्यौहार में जमकर शराब पीते है, नशीले प्रदार्थ का सेवन करते है, पार्टियां करते है इन दिनों में विदेशी कम्पनियों को अरबो रूपये का मुनाफा होता है। आप भी अपनी संपत्ति, स्वास्थ्य और संस्कृति को बचाना चाहते है तो ऐसे त्यौहार का बहिष्कार कर सकते है।*

🚩 *आप अपने बच्चों को धर्मप्रेमी व देशभक्तों के वस्त्र पहनाएं और उसदिन प्लाटिक के पेड़ नही लगाए क्योंकि बीमारियां फैलता है उसदिन 24 घण्टे ऑक्सीजन देनेवाली तुलसी माता का पुजन करें।*

🚩 *आपको बता दे कि गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू संत आसाराम बापू ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में शुरू करवाया।*

🚩 *तुलसी माता के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है, मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है ।*

🚩 *आप भी 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।*

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Saturday, December 21, 2019

25 दिसंबर और ईसा मसीह का सच जानकर आप छोड़ देंगे क्रिसमस मनाना

21 दिसंबर 2019

🚩 *यूरोप, अमेरिका आदि ईसाई देशों में इस समय क्रिसमस डे की धूम है, लेकिन अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है !*

🚩 *भारत में भी कुछ भोले-भाले हिन्दू आदि लोग क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको भी नहीं पता है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है ?*

🚩 *कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन यीशु मसीह का जन्मदिन होता है। पर सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है । एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म 7 ई.पू. से 2 ई.पू. के बीच 4 ई.पू. में हुआ था । जीसस के जन्म का वार, तिथि, मास, वर्ष, समय तथा स्थान, सभी बातें अज्ञात है। इसका बाईबल में भी कोई उल्लेख नहीं है। यदि वह इतने प्रसिद्द संत, महात्मा या अवतारी व्यक्ति होते तो सारा ब्यौरा तत्कालीन जनता जानने का यत्न करती ।*
reality of christmas

🚩 *विलियम ड्यूरेंट ने यीशु मसीह का जन्म वर्ष ईसापूर्व चौथा वर्ष लिखा है । यह कितनी असंगत बात है? भला ईसा का ही जन्म ईसा पूर्व में कैसे हो सकता है? कालगणना अगर यीशु मसीह के जन्म से शुरू होती है, जन्म से पूर्व ई.पू. और बाद में ई. में की जाती है तो यीशु मसीह का जन्म 4 ई.पू. में कैसे हुआ?*

🚩 *और एक असंगति देखें । ईसा का जन्म 25 दिसम्बर को मनाया जाता है और नववर्ष का दिन होता है एक जनवरी । तो क्या ईसा का जन्म ईसवीं सन से एक सप्ताह पहले हुआ ? और यदि हुआ तो उसी दिन से वर्ष गणना शुरू क्यों नहीं की गई ?*

🚩 *हाल ही में बीबीसी पर एक रिपोर्ट छपी थी उसके अनुसार यीशु का जन्म कब हुआ, इसे लेकर एकराय नहीं है। कुछ धर्मशास्त्री मानते हैं कि उनका जन्म वसंत में हुआ था, क्योंकि इस बात का जिक्र है कि जब ईसा का जन्म हुआ था, उस समय गड़रिये मैदानों में अपने झुंडों की देखरेख कर रहे थे। अगर उस समय दिसंबर की सर्दियां होतीं, तो वे कहीं शरण लेकर बैठे होते। और अगर गड़रिये मैथुनकाल के दौरान भेड़ों की देखभाल कर रहे होते तो वे उन भेड़ों को झुंड से अलग करने में मशगूल होते, जो समागम कर चुकी होतीं। ऐसा होता तो ये पतझड़ का समय होता। मगर बाईबल में यीशु मसीह के जन्म का कोई दिन नहीं बताया गया है।*

🚩 *वास्तव में पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘मकर संक्रांति' (शीतकालीन संक्रांति) पर्व मनाया जाता था और यूरोप-अमेरिका आदि देश धूमधाम से इस दिन सूर्य उपासना करते थे । सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।*

🚩 *सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है । सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है । जिसके अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है । यूरोप शीतोष्ण कटिबंध में आता है इसलिए यहां सर्दी बहुत पड़ती है। जब सूर्य उत्तर की ओर चलता है, यूरोप उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ता है तो यहां से सर्दी कम होने की शुरुआत होती है, इसलिए 25 दिसंबर को मकर संक्रांति मनाते थे।*

🚩 *विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया ।* 

🚩 *आपको बता दे कि सबसे पहले 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस का त्यौहार ईसाई रोमन सम्राट  (First Christian Roman Emperor) के समय में  336 ईसवी में मनाया गया था। इसके कुछ साल बाद पोप जुलियस (Pop Julius) ने 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाने का ऐलान कर दिया, तब से दुनियाभर में 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है।*

🚩 *आपको बता दें बाईबल में भी जिक्र नहीं है कि यीशु मसीह 13 साल से 29 साल की उम्र के बीच कहाँ रहे? यीशु ने भारत के कश्मीर में ऋषि मुनियों से साधना सीखकर 17 साल तक योग किया था, बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इत्र से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।*

🚩 *बाद में यीशु के अधिक लोक संपर्क से योगबल खत्म हो गया और उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ने से दुःखी थे ।*

🚩 *एक नए शोध के अनुसार यीशु ने उनकी शिष्या मेरी मेग्दलीन से विवाह किया था, जिनसे उनको दो बच्चे भी हुए थे। ब्रिटिश दैनिक 'द इंडिपेंडेंट में प्रकाशित रिपोर्ट में 'द संडे टाइम्स' के हवाले से बताया गया है कि ब्रिटिश लाइब्रेरी में 1500 साल पुराना एक दस्तावेज मिला है, जिसमें एक दावा किया गया है कि ईसा मसीह ने ना सिर्फ मेरी से शादी की थी बल्कि उनके दो बच्चे भी थे।*

🚩 *साहित्यकार और वकील लुईस जेकोलियत (Louis Jacolliot) ने 1869 ई. में अपनी एक पुस्तक 'द बाइबिल इन इंडिया' (The Bible in India, or the Life of Jezeus Christna) में कृष्ण और क्राइस्ट पर एक तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है। 'जीसस' शब्द के विषय में लुईस ने कहा है कि क्राइस्ट को 'जीसस' नाम भी उनके अनुयायियों ने दिया है। इसका संस्कृत में अर्थ होता है 'मूल तत्व'।*
🚩 *इन्होंने अपनी पुस्तक में यह भी कहा है कि 'क्राइस्ट' शब्द कृष्ण का ही रूपांतरण है, हालांकि उन्होंने कृष्ण की जगह 'क्रिसना' शब्द का इस्तेमाल किया। भारत में गांवों में कृष्ण को क्रिसना ही कहा जाता है। यह क्रिसना ही यूरोप में क्राइस्ट और ख्रिस्तान हो गया। बाद में यही क्रिश्चियन हो गया। लुईस के अनुसार ईसा मसीह अपने भारत भ्रमण के दौरान भगवान जगन्नाथ के मंदिर में रुके थे। एक रूसी अन्वेषक निकोलस नोतोविच ने भारत में कुछ वर्ष रहकर प्राचीन हेमिस बौद्ध आश्रम में रखी पुस्तक 'द लाइफ ऑफ संत ईसा' पर आधारित फ्रेंच भाषा में 'द अननोन लाइफ ऑफ जीजस क्राइस्ट' नामक पुस्तक लिखी है। इसमें ईसा मसीह के भारत भ्रमण के बारे में बहुत कुछ लिखा हुआ है।*

🚩 *मॉनेस्ट्री के एक अनुभवी लामा ने एक न्यूज एजेंसी को बताया था कि ईसा मसीह ने भारत में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी और वह बुद्ध के विचार और नियमों से बहुत प्रभावित थे। यह भी कहा जाता है कि जीसस ने कई पवित्र शहरों जैसे जगन्नाथ, राजगृह और बनारस में दीक्षा दी और इसकी वजह से ब्राह्मण नाराज हो गए और उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया। इसके बाद जीसस हिमालय भाग गए और बौद्ध धर्म की दीक्षा लेना जारी रखा। जर्मन विद्वान होल्गर केर्सटन ने जीसस के शुरुआती जीवन के बारे में लिखा था और दावा किया था कि जीसस सिंध प्रांत में आर्यों के साथ जाकर बस गए थे।*

🚩 *"फिफ्त गॉस्पल" फिदा हसनैन और देहन लैबी द्वारा लिखी गई एक किताब है जिसका जिक्र अमृता प्रीतम ने अपनी किताब 'अक्षरों की रासलीला' में विस्तार से किया है। ये किताब जीसस की जिन्दगी के उन पहलुओं की खोज करती है जिसको ईसाई जगत मानने से इन्कार कर सकता है। जैसे मसलन कुँवारी माँ से जन्म और मृत्यु के बाद पुनर्जीवित हो जाने वाले चमत्कारी मसले। किताब का भी यही मानना है कि 13 से 29 वर्ष की उम्र तक ईसा भारत भ्रमण करते रहे।*

🚩 *बीबीसी ने “Jesus Was A Buddhist Monk” नाम से एक डॉक्युमेंट्री बनाई थी जिसमें बताया गया था कि यीशु मसीह को सूली पर नहीं चढ़ाया गया था। जब वह 30 वर्ष के थे तो वह अपनी पसंदीदा जगह वापस चले गए थे। डॉक्युमेंट्री के मुताबिक यीशु मसीह की मौत नहीं हुई थी और वह यहूदियों के साथ अफगानिस्तान चले गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लोगों ने इस बात की पुष्टि की कि यीशु मसीह ने कश्मीर घाटी में कई वर्ष व्यतीत किए थे और 80 की उम्र तक वहीं रहे। अगर यीशु मसीह ने 16 वर्ष किशोरावस्था में और जिंदगी के आखिरी 45 साल व्यतीत किए तो इस हिसाब से वह भारत, तिब्बत और आस-पास के इलाकों में करीब 61 साल रहे। कई स्थानीय लोगों का मानना है कि कश्मीर के श्रीनगर में रोजा बल श्राइन में जीसस की समाधि बनी हुई है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर यह मजार एक मध्यकालीन मुस्लिम उपदेशक यूजा आसफ का मकबरा है। अगर इस बात को सत्य माना जाए तो इसका मतलब है कि यीशु मसीह को कील ठोककर क्रॉस पर लटकाना आदि बातें झूठ है। ईसाई मिशनरियों इसी बात को बोलकर यीशु मसीह को भगवान का बेटा बताती है। इसका मतलब ईसाई मिशनरियां केवल धर्मांतरण के लिए ये सफेद झूठ बोलती है।*

🚩 *यदि यीशु मसीह ने धार्मिक प्रवचन करते अपना जीवन बिताया होता तो उसके प्रवचनों की कोई बड़ी पुस्तक जरूर होती या कम से कम बाइबिल में ही उसके प्रवचन होते । पर बाईबल में तो उनके किसी प्रवचन का जिक्र ही नहीं है? अब प्रश्न ये है कि वे सारे भाषण कहाँ हैं? इसका उत्तर आज तक किसी के पास नहीं है।*

🚩 *25 दिसंबर न यीशु का क्रिसमस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से । फिर भी भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं। ये सब भारतीय संस्कृति को खत्म करने और ईसाईकरण के लिए भारत में क्रिसमस डे मनाया जाता है, इसलिये आप सावधान रहें ।*

🚩 *ध्यान रहे हिन्दुओं का नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है । हिन्दू महान भारतीय संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की संतानें हैं इसलिये दारू पीने वाला, मांस खाने वाला अंग्रेजो का नववर्ष मनाये ये भारतीयों को शोभा नहीं देता है ।*

🚩 *आपको बता दे कि वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो, इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू संत आशाराम बापूजी ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में मनाना शुरू करवाया, समस्त भारतवासी भी 25 दिसम्बर तुलसी पूजन करके ही मनाये ।*

🚩 *तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है, मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है। तुलसी माता पर्यावरण शुद्ध करती है, हवा को साफ करती है और तुलसी के घर में होने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।*

🚩 *उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा में ताजमहल के चारों ओर हजारों तुलसी के पौधा लगाये ताकि ताजमहल को पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।*

🚩 *मरने के बाद भी मोक्ष देनेवाली तुलसी पूजन की महत्ता बताकर जन-मानस को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि विज्ञान से परिचित कराया हिन्दू संतों ने ।*

🚩 *धन्य है ऐसे संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय, अत्याचार को ना देखकर संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।*

🚩 *सभी भारतीय 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।*

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