Sunday, September 17, 2023

भगवान गणेश जी प्रथम पूज्यनीय कैसे बने ? कलंग से बचने व विघ्ननाश के लिए गणेश चतुर्थी को,ये उपाय अवश्य करें....

17 September, 2023

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🚩जिस प्रकार अधिकांश वैदिक मंत्रों के आरम्भ में ‘ॐ’ लगाना आवश्यक माना गया है, वेदपाठ के आरम्भ में ‘हरि ॐ’ का उच्चारण अनिवार्य माना जाता है, उसी प्रकार प्रत्येक शुभ अवसर पर सर्वप्रथम श्री गणपतिजी का पूजन अनिवार्य है।


🚩उपनयन, विवाह आदि सम्पूर्ण मांगलिक कार्यों के आरम्भ में जो श्री गणपतिजी का पूजन करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।


🚩जिस दिन गणेश तरंगें पहली बार पृथ्वी पर आयीं अर्थात जिस दिन गणेशजी अवतरित हुए, वह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन था। उसी दिन से गणपति का चतुर्थी से संबंध स्थापित हुआ।


🚩शिवपुराण के अन्तर्गत रुद्रसंहिता के चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन आता है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पहले अपनी शक्ति से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण भर दिए और उसका नाम ‘गणेश’ रखा।


🚩पार्वतीजी ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूँ, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।


🚩भगवान शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका।


🚩अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे माँ भगवती क्रुद्ध हो उठी और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।


🚩शिवजी के निर्देश अनुसार पर उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया।


🚩माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया।


🚩भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तुम्हारा नाम सर्वोपरि होगा। तुम सबके पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों की अध्यक्षता करोगे।


🚩गणेश्वर! आप भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुये हैं। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी।


🚩सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता


🚩"गणेशजी 'सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता' करके शिव-पार्वती की सात प्रदक्षिणा की, दंडवत् प्रणाम किया तो गणेश जी पर शिवजी और माँ पार्वती ने कृपा बरसायी और गणेशजी प्रथम पूजनीय हुए, दुनिया जानती है । इसलिए हिन्दू संत आसाराम बापू ने  'वेलेंटाइन डे' के कुप्रभावों से बचकर माता-पिता का सत्कार करने को कहा और 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस की शुरुवात की ।"


🚩लक्ष्मी पूजन के साथ गणेश पूजन का विधान इसी कारण रखा गया कि धन जीवन में अहंकार, व्यसन जैसी बुराइयां लेकर न आये अर्थात गलत तरीकों से धन न कमाएं। ईमानदारी से कमाया गया धन ही हमारे लिए सुखकारी होगा, अन्यथा धन पाकर भी कितने लोग हैं जो सुखी नहीं रह पाते हैं।


🚩गणेश चतुर्थी के दिन गणेश उपासना का विशेष महत्त्व है। इस दिन गणेशजी की प्रसन्नता के लिए इस ‘गणेश गायत्री’ मंत्र का जप करना चाहिए:

*महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।


🚩श्रीगणेशजी का अन्य मंत्र, जो समस्त कामनापूर्ति करनेवाला एवं सर्व सिद्धिप्रद है: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मस्वरूपाय चारवे। सर्वसिद्धिप्रदेशाय विघ्नेशाय नमो नमः।।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, गणपति खंड : 13.34)


🚩गणेशजी बुद्धि के देवता हैं। विद्यार्थियों को प्रतिदिन अपना अध्ययन-कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व भगवान गणपति, माँ सरस्वती एवं सद्गुरुदेव का स्मरण करना चाहिए। इससे बुद्धि शुद्ध और निर्मल होती है।


🚩विघ्न निवारण हेतु


🚩गणेश चतुर्थी के दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है।


🚩सावधानी 


🚩गणेश चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए। अगर चंद्रमा को देख लिया तो झूठा कलंक लग जाता है। उसी तरह जिस तरह से श्री कृष्ण को स्यमंतक मणि चुराने का लगा था। लेकिन अगर चंद्रमा को देख ही लिया तो कृष्ण-स्यमंतक कथा को पढ़ने या विद्वानजनों से सुनने पर गणेश जी क्षमा कर देते हैं।


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Saturday, September 16, 2023

पेरियार की कुत्सित व घृणित मानसिकता का परिचय देती है,उसकी लिखी किताब सच्ची रामायण...

16 September, 2023

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🚩तमिलनाडु के दिवंगत नेता पेरियार को इस विघटनकारी मानसिकता का जनक कहा जाये, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पेरियार ने दलित वोट-बैंक को खड़ा करने के लिए ऐसा घृणित कार्य किया था। स्टालिन जैसे लोग भी अपनी राजनीतिक हितों को साधने के लिए उन्हीं का अनुसरण कर रहे है। पेरियार ने अपने आपको सही और श्री राम जी को गलत सिद्ध करने के लिए एक पुस्तक भी लिखी थी जिसका नाम था सच्ची रामायण।


🚩सच्ची रामायण पुस्तक वाल्मीकि रामायण के समान राम जी का कोई जीवन चरित्र नहीं है। बल्कि हम इसे रामायण की आलोचना में लिखी गई एक पुस्तक कह सकते हैं। इस में रामायण के हर पात्र के बारे में अलग अलग लिखा गया है। उनकी यथासंभव आलोचना की गई है। इस में राम ,सीता ,दशरथ हनुमान आदि के बारे में ऐसी ऐसी बाते लिखी गई है। जिनका वर्णन करने में लेखनी भी इंकार कर दे। सब से बड़ी बात सच्ची रामायण में पेरियार ने जबरन कुछ पात्रों को दलित सिद्ध करने का प्रयास किया है। इन ( पेरियार द्वारा घोषित ) दलित पात्रों का पेरियार ने जी भरकर महिमामंडन किया। यहाँ तक की रावण की इस पुस्तक में बहुत प्रशंसा की गई है। यहाँ तक कहा गया है कि राम उसे आसानी से हरा नहीं सकते थे। इसलिए उसे धोखे से मार गया। इसी पुस्तक में लिखा है के सीता अपनी इच्छा से रावण के साथ गयी थीं, क्यों कि उन्हें राम पसंद नहीं थे।


🚩पेरियार श्रीराम के विषय में लिखता है कि तमिलवासियों , भारत के शूद्रों तथा महाशूद्रों के लिये राम का चरित्र शिक्षाप्रद एवं अनुकरणीय नहीं है।


🚩पेरियार के अनुसार...

महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जो चित्रण किया गया है वो राम इस कल्पना के विपरीत हैं । पेरियार की कुत्सित मानसिकता का परिचय देती है उसकी यह दिमागी कचरे के बंडल जैसी किताब सच्ची रामायण, जिसके आगे रामायण शब्द लिखना भी बुरा लगता है।

पेरियार लिखता है कि, राम विश्वासघात, छल, कपट, लालच, कृत्रिमता, हत्या,आमिष-भोज और निर्दोष पर तीर चलाने की साकार मूर्ति थे।


🚩रामायण के प्रमुख पात्र भगवान राम मनुष्यरूप में प्रकट हो कर सभी के लिए आदर्श और मर्यदापुर्षोत्तम हैं। राम के वास्तविक स्वरूप को समझने के लिए वाल्मीकि रामायण पढ़ें । 

 

🚩*एतदिच्छाम्यहं श्रोतु परं कौतूहलं हि मे।महर्षे त्वं समर्थो$सि ज्ञातुमेवं विधं नरम्।।*(बालकांड सर्ग १ श्लोक ५)

आरंभ में वाल्मीकि जी नारदजी से प्रश्न करते है कि “हे महर्षि ! ऐसे सर्वगुणों से युक्त नर रूप में नारायण के संबंध में जानने की मुझे उत्कट इच्छा है,और आप इस प्रकार के मनुष्य को जानने में समर्थ हैं।


🚩महर्षि वाल्मीकि ने श्रीरामचंद्र को *सर्वगुणसंपन्न* कहा है।

*अयोध्याकांड प्रथम सर्ग श्लोक ९-३२ में श्री राम जी के गुणों का वर्णन करते हुए वाल्मीकि जी लिखते है।


*सा हि रूपोपमन्नश्च वीर्यवानसूयकः।भूमावनुपमः सूनुर्गुणैर्दशरथोपमः।९।कदाचिदुपकारेण कृतेतैकेन तुष्यति।न स्मरत्यपकारणा शतमप्यात्यत्तया।११।*

अर्थात्:- श्रीराम बड़े ही रूपवान और पराक्रमी थे।वे किसी में दोष नहीं देखते थे।भूमंडल पर उनके समान कोई न था।वे गुणों में अपने पिता के समान तथा योग्य पुत्र थे।९।।

कभी कोई उपकार करता तो उसे सदा याद रखते तथा उसके अपराधों को याद नहीं करते।।११।।


🚩आगे संक्षेप में इसी सर्ग में वर्णित श्रीराम के गुणों का वर्णन करते हैं।देखिये

*श्लोक १२-३४*।इनमें श्रीराम के निम्नलिखित गुण हैं।

१:-अस्त्र-शस्त्र के ज्ञाता।महापुरुषों से बात कर उनसे शिक्षा लेते।

२:-बुद्धिमान,मधुरभाषी तथा पराक्रमी, पर इन सब गुणों का गर्व न करने वाले।

३:-सत्यवादी,विद्वान, प्रजा के प्रति अनुरक्त , प्रजा भी उनको चाहती थी।

४:-परमदयालु,क्रोध को जीतने वाले,दीनबंधु।

५:-कुलोचित आचार व क्षात्रधर्म के पालक।

६:-शास्त्र विरुद्ध बातें नहीं मानते थे,वाचस्पति के समान तर्कशील।

७:-उनका शरीर निरोग था(आमिष-भोजी का शरीर निरोग नहीं हो सकता), सदैव तरूणावस्था जैसे सुंदर शरीर से सुशोभित थे।

८:-‘सर्वविद्याव्रतस्नातो यथावत् सांगवेदवित’-संपूर्ण विद्याओं में प्रवीण, षडमगवेदपारगामी।बाणविद्या में अपने पिता से भी बढ़कर।

९:-उनको धर्मार्थकाममोक्ष का यथार्थज्ञान था तथा प्रतिभाशाली थे।

१०:-विनयशील,महान गुरुभक्त एवं आलस्य रहित थे।

११:- धनुर्वेद में सब विद्वानों से श्रेष्ठ।

कहां तक वर्णन किया जाये...? वाल्मीकि जी ने तो यहां तक कहा है, कि *लोके पुरुषसारज्ञः साधुरेको विनिर्मितः।*( वही सर्ग श्लोक १८)

अर्थात्:-

*उन्हें देखकर ऐसा जान पड़ता था, कि संसार में विधाता ने समस्त पुरुषों के सारतत्त्व को समझने वाले साधु पुरुष के रूप में एकमात्र श्रीराम को ही प्रकट किया है।*


🚩अब पाठकगण स्वयं निर्णय कर लेंगे कि श्रीराम क्या थे !! लोभी,हत्यारा,मांसभोजी आदि या सदाचारी और श्रेष्ठतमगुणों और मर्यादा की साक्षात् मूर्ति !!!

श्री राम तो रामो विग्रहवान धर्मः अर्थात धर्म के साक्षात् मूर्त रूप हैं।

राम तो राम हैं...हमारा उनके श्रीचरणों में प्रणाम है ।


🚩भारत देश जो आज है उतना ही नहीं है। भारत के कई राजा पूरे पृथ्वी के सम्राट रहे हैं, ऐसा कई हिन्दू धर्म ग्रंथों में वर्णन आता है। लेकिन दुष्ट स्वभाव के ( राक्षस जैसे ) लोग धीरे धीरे विभाजन करते गए और अन्य मत पंथ आते गए और आखिर में भारत एक छोटा देश बन कर रह गया और आज इस भारत  में भी राष्ट्र विरोधी ताकतें लोगों को जात-पात में बांटकर अपनी सत्ता स्थापित करना चाहते है। 


🚩आसानी से समझना है तो यही है , कि जो सनातन विरोधी है... वही राष्ट्र विरोधी है और वे राष्ट्र और संस्कृति को खत्म करके अपनी सत्ता कायम करना चाहते हैं । इसलिए ऐसे दुष्ट स्वभाव के लोगो की पहचान करके देश से उनको उखाड़ फेंकना चाहिए।


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Friday, September 15, 2023

कश्मीर छोड़ कर चले जाओ और अपनी बहू बेटियां हमारे लिए छोड जाओ......

15  September, 2023


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🚩कश्मीर में हिन्दुओं पर हमलों का सिलसिला 1989 में जिहाद के लिए गठित जमात-ए-इस्लामी ने शुरू किया था जिसने कश्मीर में इस्लामिक ड्रेस कोड लागू कर दिया। मुस्लिम आतंकी संगठन का नारा था- ‘हम सब एक, तुम भागो या मरो !’ इसके बाद कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी। करोड़ों के मालिक कश्मीरी पंडित अपनी पुश्तैनी जमीन-जायदाद छोड़कर शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हो गए। हिंसा के प्रारंभिक दौर में 300 से अधिक हिन्दू महिलाओं और पुरुषों की हत्या हुई थी ।

 

🚩मुस्लिम आतंकवादियों ने 14 सितंबर के दिन कश्मीरी हिन्दूओं को धमकी देकर सर्वप्रथम 14 सितम्बर 1989 को श्रीनगर में हिंदुओं की रक्षा करने वाले भाजपा नेता श्री टिकालाल की हत्या की थी। उसके बाद 19 जनवरी 1990 को लाखों कश्मीरी हिंदुओं को सदा के लिए अपनी धरती, अपना घर छोड़ कर अपने ही देश में शरणार्थी होना पड़ा। वे आज भी शरणार्थी हैं। उन्हें वहां से भागने के लिए बाध्य करने वाले भी कहने को भारत के ही नागरिक थे, और आज भी हैं।

कितनी दुःखद बात है कि , उन कश्मीरी इस्लामिक आतंकवादियों को वोट डालने का अधिकार भी है, पर इन हिन्दू शरणार्थियों को वो भी नहीं !

 

🚩वर्ष 1990 के आते आते फारूख अब्दुल्ला की सरकार आत्म-समर्पण कर चुकी थी। हिजबुल मुजाहिद्दीन ने 4 जनवरी 1990 को प्रेस नोट जारी किया, जिसे कश्मीर के उर्दू समाचार पत्रों आफताब’ और अल सफा’ ने छापा । प्रेस नोट में हिंदुओं को कश्मीर छोड़ कर जाने का आदेश दिया गया था । कश्मीरी हिंदुओं की खुले आम हत्याएं आरंभ हो गयी थी । कश्मीर की मस्जिदों के ध्वनि प्रक्षेपक जो अब तक केवल अल्लाह-ओ-अकबर’के स्वर छेड़ते थे, अब भारत की ही धरती पर हिंदुओं को चीख चीख कर कहने लगे कि,

‘कश्मीर छोड़ कर चले जाओ और अपनी बहू बेटियां हमारे लिए छोड जाओ !

कश्मीर में रहना है तो अल्लाह-अकबर कहना है !

असि गाची पाकिस्तान, बताओ रोअस ते बतानेव सन’ (हमें पाकिस्तान चाहिए, हिंदु स्त्रियों के साथ, किंतु पुरुष नहीं’),

...ये नारे मस्जिदों से लगाये जाने वाले कुछ नारों में से थे ।

 

🚩दीवारों पर पोस्टर लगे हुए थे कि कश्मीर में सभी इस्लामी वेशभूषा पहनें, सिनेमा पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया ।  कश्मीरी हिंदुओं की दुकानें, घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान चिह्नित कर दिए गए । यहां तक कि लोगों की घड़ियों का समय भी भारतीय समय से बदल कर पाकिस्तानी समय पर करने के लिए उन्हें बाध्य किया गया ।

24 घंटे में कश्मीर छोड़ दो या फिर मारे जाओ –


🚩कश्मीर में काफिरों का कत्ल करो’ का सन्देश गूंज रहा था । इस्लामिक दमन का एक वीभत्स चेहरा जिसे भारत सदियों तक झेलने के बाद भी मिल-जुल कर रहने के लिए भूल चुका था, वह एक बार पुन: अपने सामने था !

 

🚩आज कश्मीर घाटी में हिन्दू नहीं हैं। जम्मू और दिल्ली में आज भी उनके शरणार्थी शिविर हैं। 33 साल से वे वहां जीने को बाध्य हैं। कश्मीरी पंडितों की संख्या 3 से 7 लाख के लगभग मानी जाती है, जो भागने पर मजबूर किए गए और उनकी एक पूरी पीढ़ी नष्ट हो गयी। कभी धनवान रहे ये हिन्दू, आज सामान्य आवश्यकताओं के लिए भी पराश्रित हो गए हैं।  उनके मन में आज भी उस दिन की प्रतीक्षा है जब वे अपनी धरती पर वापस जा पाएंगे। उन्हें भगाने वाले गिलानी जैसे लोग आज भी जब चाहे दिल्ली आ कर, कश्मीर पर भाषण देकर जाते हैं और उनके साथ अरुंधती रॉय जैसे भारत के तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवी शान से बैठते हैं।

 

🚩कश्यप ऋषि की धरती, भगवान शंकर की भूमि कश्मीर जहां कभी पांडवों की 28 पीढ़ियों ने राज्य किया था । वो कश्मीर जिसे आज भी भारत मां का मुकुट कहा जाता है । 500 साल पूर्व तक यही कश्मीर अपनी शिक्षा के लिए जाना जाता था। औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह कश्मीर के विश्वविद्यालय में संस्कृत पढ़ने गये थे। किंतु कुछ समय पश्चात उन्हें भी औरंगजेब ने इस्लाम से निष्कासित कर भरे दरबार में उनका क़त्ल कर दिया था। भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग और प्रतिनिधि रहे कश्मीर को आज अपना कहने में भी सेना की सहायता लेनी पड़ती है।

"हिंदु घटा तो भारत बंटा" के तर्क की कोई काट उपलब्ध नहीं है। कश्मीर उसी का एक उदाहरण है।


🚩मुस्लिम वोटों की भूखी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों और हिंदु संगठनों को पानी पी पी कर कोसने वाले मिशनरी स्कूलों से निकले अंग्रेजी के पत्रकारों और समाचार चैनलों को उनकी याद भी नहीं आती ! गुजरात दंगों में मरे साढ़े सात सौ मुस्लिमों के लिए जीनोसाईड जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाले सेक्युलर चिंतकों को अल्लाह के नाम पर कत्ल किए गए दसों सहस्र कश्मीरी हिंदुओं का ध्यान स्वप्न में भी नहीं आता ! सरकार कहती है, कि कश्मीरी हिंदु स्वेच्छा से’ कश्मीर छोड़ कर भागे । इस घटना को जनस्मृति से विस्मृत होने देने का षड्यंत्र भी रचा गया है ।


🚩.....जरा सोचिए आज की पीढ़ी में कितने लोग उन विस्थापितों के दुःख को जानते हैं , जो आज भी विस्थापित हैं !?

भोगने वाले भोग रहे हैं । जो जानते हैं, दुःख से उनकी छाती फटती है और याद करके आंखें आंसुओं के समंदर में डूब जाती हैं और सर लज्जा से झुक जाता है ।

रामायण की देवी सीता को शरण देने वाले भारत की धरती से उसके अपने पुत्रों को भागना पडा ! कवि हरि ओम पवार ने इस दशा का वर्णन करते हुए जो लिखा, वही प्रत्येक जानकार की मनोदशा का प्रतिबिम्ब है –

" मन करता है फूल चढा दूं लोकतंत्र की अर्थी पर, भारत के बेटे शरणार्थी हो गए अपनी ही धरती पर ! "

स्त्रोत : IBTL

 

🚩कश्मीरी हिन्दू विश्वभर के जिहादी आतंकवाद के पहली बलि सिद्ध हुए। वर्ष 1990 के विस्थापन के पश्चात विगत 29 वर्ष से विविध राजनीतिक दलों के शासन सत्ता में रहे; परंतु मुसलमानों के तुष्टीकरण की राजनीति के कारण कश्मीर की स्थिति में कुछ भी परिवर्तन नहीं हुआ अत: कश्मीरी हिन्दू अपने घर नहीं लौट सके !

 

🚩अब भाजपा की सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाने से कश्मीरी हिन्दुओं के मन में पुनः घाटी में बसने की उम्मीदें जागी हैं । अब शीघ्र ही सरकार कश्मीरी हिन्दुओं के घाटी में पुनर्वसन की व्यवस्था करेगी , ऐसी ही आशा है।


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Thursday, September 14, 2023

हिंदी विश्व भाषा बनने योग्य है !!

 हिंदी विश्व भाषा बनने योग्य है, क्योंकि हिंदी दुनिया की सबसे उन्नत भाषा होने के साथ-साथ विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।



14 September, 2023

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🚩हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली एवं सबसे उन्नत भाषा है जो राष्ट्र व विश्व भाषा बनने योग्य है

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। सरकारी काम काज हिंदी भाषा में ही होगा।


🚩इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।


🚩हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है लेकिन अभी तक हम इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बना पाए।


🚩हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है। वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारिणी है। हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा में नहीं है।


🚩हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है। हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है।


🚩आज मैकाले शिक्षा पद्धति की छाप की वजह से ही हमने अपनी मानसिक गुलामी बना ली है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता। हमें हिंदी भाषा का महत्व समझकर इसे खूब उपयोग करना चाहिए।


🚩मदन मोहन मालवीयजी ने 1898 में सर एंटोनी मैकडोनेल के सम्मुख हिंदी भाषा की प्रमुखता को बताते हुए कचहरियों में हिन्दी भाषा को प्रवेश दिलाया था।


🚩लोकमान्य तिलकजी ने हिन्दी भाषा को खूब प्रोत्साहित किया


🚩वे कहते थे: ‘‘अंग्रेजी शिक्षा लेने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है। जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते। ऐसी स्थिति विश्व के किसी और देश में नहीं है। ऐसी शिक्षा-प्रणाली किसी भी सभ्य देश में नहीं पायी जाती।’’


🚩जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो तो किसी-न-किसी को तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवां बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा समाज चल पड़ता है।


🚩हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ सम्मान और गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल करनी चाहिए।


🚩एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है। हमें अपने दैनिक जीवन में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अथवा हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए।


🚩राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन बननी चाहिए।


🚩जब कमाल पाशा अरब देश में तुर्की भाषा को लागू करने के लिए अधिकारियों द्वारा मांगी कुछ दिन की मोहलत की अपील ठुकराकर रातोंरात परिवर्तन कर सकते हैं तो हमारे लिए क्या यह असम्भव है ?


🚩आज सारे संसार की आशादृष्टि भारत पर टिकी है। हिन्दी की संस्कृति केवल देशीय नहीं सार्वलौकिक है क्योंकि अनेक राष्ट्र ऐसे हैं,जिनकी भाषा हिन्दी के उतनी करीब है जितनी भारत के अनेक राज्यों की भी नहीं है।


🚩स्वभाषा की महत्ता बताते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू कहते हैं : ‘‘मैं तो जापानियों को धन्यवाद दूँगा। वे अमेरिका में जाते हैं तो वहाँ भी अपनी मातृभाषा में ही बातें करते हैं …और हम भारतवासी! भारत में रहते हैं फिर भी अपनी हिन्दी, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं में अंग्रेजी के शब्द बोलने लगते हैं। आदत जो पड़ गयी है! आजादी मिले 77 वर्ष से भी अधिक समय हो गया, बाहरी गुलामी की जंजीर तो छूटी लेकिन भीतरी गुलामी, दिमागी गुलामी अभी तक नहीं गयी।’’


🚩अंग्रेजी भाषा के दुष्परिणाम


🚩लॉर्ड मैकाले ने कहा था: ‘मैं यहाँ (भारत) की शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ संस्कार डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में भारतवासी अपनी ही संस्कृति से घृणा करेंगे, मंदिर में जाना पसंद नहीं करेंगे, माता-पिता को प्रणाम करने में तौहीन महसूस करेंगे; वे शरीर से तो भारतीय होंगे लेकिन दिलोदिमाग से हमारे ही गुलाम होंगे!


🚩विदेशी शासनकाल के अनेकों दोषों से में देश के नौजवानों पर डाला गया विदेशी भाषा के माध्यम का घातक बोझ इतिहास में एक सबसे बड़ा दोष माना जायेगा। इस माध्यम ने राष्ट्र की शक्ति हर ली है, विद्यार्थियों की आयु घटा दी है, उन्हें आम जनता से दूर कर दिया है और शिक्षण को बिना कारण खर्चीला बना दिया है।


🚩अगर यह प्रक्रिया अब भी जारी रही तो वह राष्ट्र की आत्मा को नष्ट कर देगी। इसलिए शिक्षित भारतीय जितनी जल्दी विदेशी माध्यम के भयंकर वशीकरण से बाहर निकल जायें उतना ही उनका और देश का लाभ होगा।


🚩अपनी मातृभाषा की गरिमा को पहचानें। अपने बच्चों को अंग्रेजी (कन्वेंट स्कूलों) में शिक्षा दिलाकर उनके सर्वांगीण विकास के मार्ग को अवरुद्ध न करें। उन्हें मातृभाषा ( खासकर गुरुकुल शिक्षा पद्धि ) में पढ़ने की स्वतंत्रता देकर उनके चहुमुखी विकास में सहभागी बनें।


🚩हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहिए , क्योंकि हिंदी राष्ट्र का गौरव है। इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है। आओ, इसे सुदृढ़ बनाकर राष्ट्ररूपी भवन की सुरक्षा करें।


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Wednesday, September 13, 2023

अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की होने लगी तैयारियां.....

13 September, 2023


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🚩विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने घोषणा की है कि अयोध्या में भगवान श्री रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले सभी संतो और भक्तों के लिए  भोजन एवं रहने की व्यवस्था करेगी ।


🚩बजरंग दल 30 सितंबर से 15 अक्टूबर तक 2,281 शौर्य यात्राएं निकालेगा और देश के पांच लाख से अधिक गांवों को जोड़ेगा। इन यात्राओं के दौरान यात्रा मार्गों पर धार्मिक सभाओं का भी आयोजन किया जाएगा।


🚩विहिप  के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि युवा शक्ति का यह महान अभियान देश में आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करने के लिए हिंदू समाज में एकता और सामाजिक समन्वय के रूप में संकल्प पैदा करेगा। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठा समारोह के दिन देशभर के मठ-मंदिरों में पूजा, यज्ञ, हवन और आरती की जाएगी। साथ ही हर घर में राम भक्त रात में पांच दीपक जरूर जलाएंगे और करोड़ों भक्तों के बीच प्रसाद भी बांटा जाएगा।


🚩उन्होंने कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का कार्यक्रम प्रत्येक राम भक्त का कार्यक्रम बनना चाहिए, ताकि न केवल देश में रहने वाले लोग बल्कि विदेश में रहने वाले लोग भी इस महान महोत्सव  में भाग ले सकें। कुमार ने कहा कि दिवाली पखवाड़े के दौरान देश के संत भी पद यात्रा करेंगे और गांवों और शहरों में हिंदुओं की बैठक करेंगे। उन्होंने कहा, गांव और युवाओं में मंदिर की प्रतिष्ठा से पहले देश में हिंदू एकता की व्यापक जागृति होगी और समाज एकजुट होगा। सामाजिक समन्वय की संस्था के रूप में इसे युगों-युगों तक याद किया जाएगा।


🚩बैठक में मौजूद सभी विहिप नेताओं ने इस आंदोलन को व्यापक स्वरूप देने का निर्णय लिया है। इससे पहले बैठक में शामिल होने आए प्रतिनिधियों ने राम जन्मभूमि पर चल रहे सघन निर्माण कार्य का अवलोकन किया और रामलला के दर्शन भी किये।


🚩 रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा से पहले सारे काम होंगे पूरे, मंदिर निर्माण समिति की बैठक में हुई बात,

अयोध्या एयरपोर्ट के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में पूरा होगा, साल के अंत तक शुरू होगी उड़ान ।


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Tuesday, September 12, 2023

दीपक चौरसिया समेत 8 पत्रकारों को कोर्ट ने माना अपराधी !!

POCSO के तहत आरोप तय, पर गिरफ़्तारी अब तक नहीं.....

12 September, 2023

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🚩 कैसे आए ये नामी-गिरामी पत्रकार कानून की चपेट में !?

क्यों लगीं इन पर POCSO की धाराएं !?


🚩एक मशहूर लेख़क ने कहा - “मीडिया एक बाज़ार है और हम सब ग्राहक“। यह कथन अपने आप में बहुत कुछ कहता है।

आज TRP और पैसों की लालच के चलते खबरें तो कहीं गुम सी हो गई हैं। तड़कते भड़कते ग्राफ़िक्स को लेकर बनाया गया प्रोमो, एंकर्स के बदलते हाव-भाव और उन सबके बीच एक राई जितनी छोटी ख़बर को अधिकांश न्यूज़ चैनल्स विकृत करके “ब्रेकिंग न्यूज ” बनाकर पेश करते हैं।



🚩 गुरुग्राम केस -

🚩गौरतलब है , कि लगभग 10 साल पहले दीपक चौरसिया समेत 8 पत्रकारों पर एक नाबालिग बच्ची के वीडियो को तोड़-मरोड़ कर , विकृत(अश्लील) करके अपने टीवी चैनल्स पर प्रसारित करने के विरुद्ध FIR दर्ज हुई थी। इस टेम्पर्ड विडियो के चलते एक नाबालिग बच्ची और उसके परिवार के मान-सम्मान को बहुत ठेस पहुँची। इसी केस में 25 अगस्त 2023, को गुरुग्राम कोर्ट ने आठों पत्रकारों पर आरोप तय कर दिए हैं।


🚩दीपक चौरसिया जो INDIA News चैनल में तब पत्रकार था,उसने 12 दिसम्बर 2013 को एक मासूम बच्ची के वीडियो को तोड़-मरोड़कर अश्लील तरीके से इसी चैनल प्रसारित किया था।


🚩वास्तव में वह ओरिजनल वीडियो 02 जुलाई 2013 का था। जिस समय हिन्दू संत श्री आशारामजी बापू गुरुग्राम में थे और गुरुग्राम निवासी ,संजय पटेल नामक व्यक्ति के यहाँ आए थे । वहां बापू आशारामजी ने सब परिवारजनों के बीच उनकी भतीजी को आशीर्वाद दिया। जिसका विडियो परिजनों ने अपने मोबाइल फोन से लिया था।

उसी विडियो में हेर-फेर करके दीपक चौरसिया ने उसे अश्लील ढंग से अपने चैनल पर कई बार प्रसारित किया। जिसके बाद इस परिवार ने चौरसिया के विरुद्ध FIR दर्ज करवाई। 


🚩जिस मोबाइल में वीडियो बना था,उसकी FSL जांच से सिद्ध हो चुका है, कि ओरिजनल वीडियो में कुछ गलत नहीं था और नाबालिग बच्ची के वीडियो को तोड़-मरोड़कर गंदे ढंग से पेश किया गया था, ताकि बापू आशारामजी को बदनाम किया जा सके।


🚩बता दें कि News24 के पूर्व प्रबंध संपादक अजीत अंजुम, आज तक की एंकर चित्रा त्रिपाठी और न्यूज नेशन्स के पूर्व एंकर दीपक चौरसिया के समेत कुल आठ पत्रकारों के खिलाफ 2020 - 2021 में चार्जशीट दाखिल की गयी थी।


🚩ऐसे वीडियो को टेम्पर्ड करके , अश्लील बना कर दिखाने के पीछे इन पत्रकारों का मक़सद था , संत श्री आशारामजी बापू की छवि को धूमिल करना , उनको बदनाम करके समाज, संत और संस्कृति के बीच खाई खोदना !!


🚩TRP और विदेशी फंडिंग के भूखे इन भेड़ियों ने एक मासूम बच्ची को कितनी भयानक त्रासदी दी...

उस बच्ची को समाज में बदनाम किया , उसे कितना अपमान सहना पड़ा होगा !? उसके परिवार की पीड़ाओं का तो कोई अंदाजा भी नहीं नहीं लगा सकता...

संत श्री आशाराम जी बापू को बदनाम करने में भी इन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी , दिन रात डिबेट करके बापूजी के लिए नकारात्मक माहौल बनाया ।


🚩ऐसा करने के पीछे क्या कारण रहा होगा?

जवाब पढ़िए...

जाहिर है कि वो संतजन ही हैं , जो समाज को संस्कृति से जोड़े रखते हैं ।

और फिर संत श्री आशारामजी बापू ने तो अपने सेवाकार्यों और सत्संगों के माध्यम से पूरे विश्व में सनातनधर्म का डंका बजा दिया । फिर ये बात सनातनधर्म विरोधियों को कैसे हजम होती !?


🚩यह विडिओ टेम्परिंग काण्ड भी सनातनधर्म विरोधी गतिविधियों का एक प्रत्यक्ष नमूना है। पर वो कहते हैं न , बुरे काम का बुरा नतीजा !

हुआ भी ऐसा ही...

एक निर्दोष हिन्दू संत के प्रभाव को खत्म करने के लिए , जिन 8 पत्रकारों ने एक मासूम छोटी बच्ची के साथ संत आशाराम जी के वीडियो को तोड़-मरोड़ कर विकृत और अश्लील बनाकर अपने न्यूज चैनल पर प्रसारित किया था।उनके द्वारा किया गया ये काण्ड आज उन्हीं मूर्ख पत्रकारों के गले की फांस बन गया ।


🚩आइए देखते हैं क्या है इस मामले में देशभर के कुछ twitter users की राय... 


1)

जी हां जिन Famous Journalists की news हम सच मानकर पूरा विश्वास करते है, #पर्दे_के_पीछे वे Breaking News के लिए आसाराम जी बापू जैसे बड़े संतो को ब्लैकमेल और बदनाम करने के लिए चलाते है,जनता को गुमराह करते है।

https://twitter.com/isha_panjwani/status/1698195316925960364


2)

Anti Hindu Media 420 is not believable ever before

सच्चाई से इनका कोई लेना देना नहीं है इसलिए तो दिल्ली: गुरुग्राम के पोक्सो जिला सत्र न्यायालय ने Famous Journalists दीपक चौरसिया, ललित सिंह,सुनील दत्त,राशिद,अभिनव राज के विरुद्ध वारंट जारी किये है।

https://twitter.com/UmakantJad73660/status/1698194489276244086


🚩गौरतलब है कि जनता में कौतुहल का माहौल बना है कि क्या होगा इस केस का नतीजा...


1)

जी हां, चौरसिया सहित 

Famous Journalists पर छोटी दामिनी केस में आरोप तय हो चुके हैं पर क्या तय हुए उसके खुलासे नही हुए, जबकि हिंदू संत आसाराम जी बापू को तो फेक केस में भी झट सज़ा दी थी, तो इन भ्रष्टो को भी सख्त सजा मिलेगी क्या?

https://twitter.com/sarojGi57141704/status/1698177875470606557


2)

#पर्दे_के_पीछे की सच्चाई देखनी है कि क्या कानून सबके लिए समान है? आसाराम जी बापू के निर्दोष होने के सभी सबूतों को नजर अंदाज कर सजा दे दी गई। लेकिन अब Famous Journalists की बारी आ गई है।कानून कितनी अपनी गरिमा रखती है । इन पत्रकारों को कब सजा देती है।

https://twitter.com/shyamlalv51/status/1698199462219542545


3)

ऐसे चैनल्स व पत्रकारों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए व इन पर बैन लगना चाहिए

हिंदुओं की आस्था पर प्रहार करने वाले इन Famous Journalists की हकीकत व #पर्दे_के_पीछे का सच जनता जान चुकी है। आसाराम जी बापू को बदनाम करने के लिए ये हिंदुत्त्वविरोधी तत्वों के हाथ के मोहरे बने Breaking News

https://twitter.com/aryvart_hindu/status/1698196985906643050


4)

जी हां अब तो यह देखना है की कानून जिस तरह से झूठे मीडिया वालों की बातों में आकर के आसाराम जी बापू को 10 सालों से जेल में प्रताड़ित कर रहा है। इस तरह से इनकी सच्चाई सामने आने पर इनको भी कड़ी से कड़ी सजा देता है।

https://twitter.com/ShumanSingh1/status/1698284066142122339



🚩कुछ लोगों ने तो अन्य electronic media channels पर भी सवाल दाग दिए...कि वो क्यूँ चुप बैठे हैं अब !


2)

आसाराम जी बापू जैसे निर्दोष हिंदुसंत पर सिर्फ आरोप लगा तो Famous Journalists ऐसी Breaking News दिखाते की वह खुद ही जजसाहब है । और न्यायालय के बाहर मिडिया के कैमरा की लम्बी फौज खड़ी होती, पर जब खुद पॉक्सो में दोषी पाए तो कहा गायब हुए है मिडिया के कैमरे?

https://twitter.com/sakharerp27308/status/1698206585619882204



🚩तो वहीं कुछ twitter users आज यही 👇सवाल पूछते नज़र आए..


1)

Breaking News जिसे कोई चैनल्स नही दिखा रहे 

Famous Journalists दीपक चौरसिया गैंग पर पॉक्सो कोर्ट की मार शुरू है

आसाराम जी बापू को टारगेट किया बदनाम किया, बच्ची का गलत वीडियो बनाया था, 

#पर्दे_के_पीछे का सच हमने बता दिया, इस मीडिया पर भरोसा करेंगे आप अब❓

https://twitter.com/manishaParaswa2/status/1698240889259442327


🚩इस सवाल पर कि क्या अब भी News Channels पर जनता भरोसा करेगी?

आइए देखते हैं कुछ twitter users के जवाब...


1)

बिल्कुल नहीं, मैं तो नही भरोसा करूंगा। 

आसाराम बापू दोषी हैं या नहीं यह मुझे पता नहीं किंतु 

इतने बुजुर्ग बाबा को बदनाम किया गया यह तो तय है।

इसके पीछे का उद्देश्य क्या रहा होगा तो वो ही जाने। 

Famous Journalists की सच्चाई सबके सामने आ गया।

Breaking News यही #पर्दे_के_पीछे का सच।

https://twitter.com/ShivanshJha251/status/1698198200539299869



2)

Anti Hindu Media 420 is not believable ever before

सच्चाई से इनका कोई लेना देना नहीं है इसलिए तो दिल्ली: गुरुग्राम के पोक्सो जिला सत्र न्यायालय ने Famous Journalists दीपक चौरसिया, ललित सिंह,सुनील दत्त,राशिद,अभिनव राज के विरुद्ध वारंट जारी किये है।

https://twitter.com/UmakantJad73660/status/1698194489276244086


3)

आज न्युज चैनलों मे दिखाई जाने वाली अधिकांश खबरें झुठी होती है। गुरुग्राम केस मे भी यही हुआ। आसाराम बापू को एक लड़की के साथ अश्लील तरीके से दिखाया गया। लेकिन विडियो एडिट किया हुआ निकला। मीडिया TRP के लिए #पर्दे_के_पीछे कैसे-कैसे षड्यंत्र रचती है।

https://twitter.com/Sanstani2921/status/1698194879070048365



🚩विचार कीजिए...

ये एक मामला तो आज सामने आ गया और अपराधियों पर आरोप तय होने से न्याय मिलने की उम्मीद भी जगी है।पर ऐसे तो कई मामले होंगे , जो इन भ्रष्ट पत्रकारों ने हमें ब्रेकिंग न्यूज बनाकर दिखाए और हमने भरोसा भी किया इन पर ! उनका क्या...?

और क्या अब भी ये लोग भरोसे के लायक हैं !?


🚩बहरहाल अब 10 साल बाद गुरूग्राम कोर्ट ने इन सभी पर आरोप तय कर दिए हैं।

दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी, अजीत अंजुम समेत 8 लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश),

469, 471 (जालसाजी),

सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी (बच्चे को ऑनलाइन उत्पीड़ित करना) एवं

67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) और

पॉक्सो एक्ट की धारा 23 (मीडिया द्वारा पीड़ित बच्चे की पहचान जाहिर करना) एवं

13सी  (अश्लील प्रयोजनों के लिए बच्चों का उपयोग करने ) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

और वर्तमान में उपरोक्त धाराओं के साथ पोक्सो 14 (1) अश्लील प्रयोजनों के लिए नाबालिग बच्चों का उपयोग करने हेतु दंड) के तहत न्यायालय ने प्रथम दृष्टया इन सभी को अपराधी माना है।


🚩और अब... इनको कड़ी से कड़ी सजा मिले, ये मांग पूरे देश से उठ रही है।


🚩क्या ऐसी मीडिया पर विश्वास करके समाज को अपने संतों से विमुख होना चाहिए !?

ये दोगले पत्रकार - 'जिन पर विश्वास करके संतों से विमुख हो रही है जनता, और आज वो खुद कटघरे में खड़े हैं ' - क्या ये विश्वास के योग्य है !?


🚩आख़िर किसने कहने पर एक हिन्दू संत को बदनाम करने के लिए एक नाबालिग बच्ची की इज्जत को सरेआम उछाला गया !?

किसने की इस पूरे षड़यंत्र के लिए फंडिंग !?


🚩ऐसे और भी कई प्रश्न हैं, जिनका जवाब मिलना अभी बाकी हैं !

क्या ऐसी मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाने के योग्य है !?

जबकि मीडिया का कर्तव्य है, कि वो नागरिकों के अधिकार के लिए निष्पक्ष पत्रकारिता करे।


🚩 क्या अन्य मीडिया चैनल्स को इस पर चुप्पी साधे बैठे रहना उचित है !?

आखिर क्यों अन्य चैनल्स इस खबर को लेकर ब्रेकिंग न्यूज नहीं चला रहे !?

अब तो पर्दे के पीछे की सच्चाई भी सामने आ ही गयी, कि ये अधिकांश news Channels एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं । ये चोर चोर मौसेरा भाई की कहावत यहां बिल्कुल सटीक बैठती है ।


🚩अब क्या होता है इनका हश्र यही देखना है !

जब-जब किन्हीं निरपराध हिन्दू धर्म रक्षक संतों पर झूठे , बेबुनियाद आरोप लगे हैं , उन्हें तो फौरी तौर पर गिरफ्तार किया गया है। ऐसे एक नहीं कई केसेज हम सब ने देखे/सुने हैं।

तो आख़िर कब होगी इन हाई-प्रोफाइल पत्रकारों की गिरफ्तारी...!?

और कब मिलेगी उन्हें सजा व कब मिलेगा छोटी दामिनी को न्याय...!?


🚩अब तो देश भी देखना चाहता है , कि क्या कानून सचमुच सबके लिए समान है !?



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Monday, September 11, 2023

एक पहिये में सब कुछ: विज्ञान और अध्यात्म का मिश्रण

 एक पहिये में सब कुछ: विज्ञान और अध्यात्म का मिश्रण है कोणार्क का चक्र,पूरी पोस्ट अवश्य पढ़ें..........


11 September 2023


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🚩भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित G20 समिट के दौरान जहाँ सभी विदेशी राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया, वहाँ पीछे ओडिशा में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर के चक्र की प्रतिमूर्ति बनी हुई थी। इसने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। असल में G20 के जरिए भारत की संस्कृति का भी प्रचार-प्रसार किया और उसके तहत ही ऐसा किया गया था। एक तरह से अब कोणार्क का चक्र, पहिया, अब वैश्विक हो गया है और इसे एक बड़ी पहचान मिली है, सम्मान मिला है।


🚩ऐसे में, आइए हम कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में जानते हैं। ओडिशा के कोणार्क में स्थित इस मंदिर को पूर्वी गंगवंश के राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी के मध्य में बनवाया था। इसे इसकी संरचना और कलाकृतियों के लिए जाना जाता है। 19वीं शताब्दी के इतिहासकार जेम्स फ़र्ग्यूशन ने कहा था कि जितने मंदिर शेष भारत में हैं, उससे ज़्यादा अकेले ओडिशा में हैं। कोणार्क के सूर्य मंदिर के ऊपरी हिस्सा अब नहीं है, लेकिन फिर भी इसकी भव्यता कम नहीं हुई है।


🚩कोणार्क नाम के पीछे भी एक कारण है। जहाँ ‘अर्क’ का अर्थ सूर्य है, वहीं ‘कोण’ का मतलब अंग्रेजी वाला एंगल। यूरोप से आने वाले यात्रियों ने इस मंदिर को ‘काला पैगोडा’ कहा था। एशिया में बड़ी-बड़ी धार्मिक संरचनाओं को ‘पैगोडा’ कहा जाता था। कोणार्क में भव्य मंदिर भले ही बाद में बना हो, इसका महत्व पुराणों में भी वर्णित है। ब्रह्म पुराण में लिखा है कि कोणादित्य (कोणार्क) उत्कल (ओडिशा) में भगवान सूर्य के भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है। एक और कहानी है सूर्य उपासना की, जो भविष्य पुराण और साम्ब पुराण में वर्णित है।


🚩सूर्य पूजा की पौराणिक कथा, साम्ब और कुष्ठ रोग


🚩भगवान श्रीकृष्ण और जाम्बवती का एक बेटा था – साम्ब। भगवान श्रीकृष्ण की पत्नियाँ जब स्नान कर रही थीं, तब नारद जी के कहने पर साम्ब वहाँ पहुँच गया था। इस कारण श्रीकृष्ण ने उसे कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का श्राप दिया। साम्ब ने स्वयं के निर्दोष होने की बात साबित की, लेकिन श्राप वापस नहीं लिया जा सकता था। अतः, उसे भगवान सूर्य की आराधना करने को कहा गया। सूर्य को चर्मरोग का हरण करने वाला माना जाता है। आज विज्ञान भी मानता है कि सूर्य के प्रकाश से चमड़ी की कई बीमारियों में लाभ हो सकता है।


🚩साम्ब को मित्रवन में चंद्रभागा नदी के तट पर तपस्या करने के लिए कहा गया। 12 वर्षों के बाद सूर्यदेव की कृपा से जब उसकी बीमारी ठीक हुई, तब उसने सूर्य मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। हालाँकि, स्थानीय ब्राह्मणों के इनकार के बाद उसने शकद्वीप (ईरान/पर्शिया) से पारसी पुजारियों को लेकर आना पड़ा, जिसे मागी कहते हैं। भगवान सूर्य की तस्वीर में बूट्स देख सकते हैं आप यहाँ, जो मध्य एशियाई निर्माण कला का प्रभाव है। मध्य एशिया से प्रवासी यहाँ पहली शताब्दी में ही आए थे।


🚩साम्ब की तपस्या का जो स्थल है, उसे साम्बपुर के नाम से जाना गया। ये जगह अभी पाकिस्तान में स्थित मुल्तान में है। चंद्रभागा नदी, चेनाब का ही प्राचीन नाम था। वहीं कोणार्क में समुद्र द्वारा बनाया गया एक झील भी है, जिसे ‘चंद्रभागा’ नाम से जाना गया। जगन्नाथपुरी का इतिहास समेटे ओडिशा के प्राचीन ताड़पत्र वाले दस्तावेज ‘मदल पंजी’ में लिखा है कि राजा पुरंदर केसरी ने कोणार्क मंदिर बनवाया। केसरी वंश को हराने वाले गंग वंश ने भी कोणार्क देवता के सामने अपना सिर झुकाया। नरसिंहदेव (1238-64) ने यहाँ भव्य मंदिर बनवाया।


🚩कोणार्क का सूर्य मंदिर: यूरोपियनों ने कहा – ‘ब्लैक पैगोडा’

उनके वंशज भी कोणार्क में पूजा करते रहे। मुकुंदराजा (1569-68) के निधन के बाद यवनों (इस्लामी आक्रांताओं) ने हमला किया और जब वो मंदिर को ध्वस्त करने में सफल नहीं हुए तो ताम्बे के कलश और पद्म-ध्वजा ले गए। गंग राजवंश के ताम्रपत्रों में लिखा है कि नरसिंहदेव ने उषारश्मि (सूर्य) का मंदिर त्रिकोण के कोने में ‘महत (महान) कुटीर’ बनवाया। नरसिंह देव ने अपने बेटे का नाम भी ‘भानु’ रखा था, जो भगवान सूर्य का नाम है। वो भानुदेव कहलाए। बताया जाता है कि इस्लामी आक्रांताओं को हराने के बाद उन्होंने ये भव्य मंदिर बनवाया था।


🚩16वीं शताब्दी तक इस मंदिर की लोकप्रियता कई सीमाओं को पार कर चुकी थी। बंगाल के वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु भी यहाँ पहुँचे थे। वो पुरी भी तीर्थयात्रा के लिए गए थे। अकबर के दरबारी अबुल फज़ल तक ने लिखा है कि कैसे ये इतना भव्य मंदिर है कि जो देखता है वो बस देखता ही रह जाता है। मंदिर का शिखर कैसे गिरा, इस पर अलग-अलग मत हैं। ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि इस्लामी आक्रांताओं ने मंदिर को जो नुकसान पहुँचाया था, उस कारण ऐसा हुआ।


🚩जेम्स फ़र्ग्यूशन ने शिखर की ऊँचाई 45.72 मीटर होने का अंदाज़ा लगाया था। मुख्य मंदिर की बात करें तो इसे एक विशाल रथ के रूप में बनवाया गया था, जिसमें 12 चक्के हैं। साथ ही इसमें 7 सजे-धजे घोड़ों को दौड़ते हुए दर्शाया गया है। मंदिर में कई कलाकृतियाँ हैं, जिनमें भगवान सूर्य और अन्य देवी-देवताओं के साथ-साथ नृत्यांगनाओं, पक्षियों और जानवरों तक को दिखाया गया है। शेर, हाथी और घोड़ों की मूर्तियाँ हैं दीवारों में। जिराफ, ऊँट, हिरन, बाघ, सूअर, बन्दर और बैल भी हैं।


🚩कोणर्क मंदिर के पहिये/चक्र: क्या है इसका महत्व


🚩साथ ही नाग और नागकन्याओं को दिखाया गया है, आधा मनुष्य और आधा साँप के रूप में। अब बात करें हैं पहियों, यानी चक्र की। वही चक्र, जिसके सामने G20 नेताओं के साथ प्रधानमंत्री ने हाथ मिलाया, उनका स्वागत किया, तस्वीरें क्लिक करवाईं। कोणार्क के मंदिर में ये पहिये इतने अच्छे से बनाए गए हैं कि रथ में पहियों को जोड़ने के लिए जिस कील का इस्तेमाल होता था, उन्हें भी एकदम सटीक जगह पर लगाया गया है। ये एक विशेष प्रकार की कला है, जो इसे खास बनाता है और इस मंदिर की मुख्य विशेषता है।


🚩इस पहिये की पतली वाली तीलियों में 30 दाने (मनके) बने हुए हैं। साथ ही कमल के फूल की पत्तियाँ बनी हुई हैं। वहीं कुछ पहियों में नृत्य करती हुई आकृतियों को एकदम साम्य में दिखाया गया है। इसके केंद्र में कई कन्याओं की आकृतियाँ हैं, कुछ अन्य आकृतियाँ भी हैं। शिव-पार्वती, बाँसुरी बजाते श्रीकृष्ण, और हाथी पर बैठे एक राजा की भी मूर्ति है जिसके सामने एक समूह खड़ा है। आज यही चक्र भारत की शान बन कर दुनिया के सामने हमारे वैभव और हमारे समृद्ध इतिहास का प्रदर्शन कर रहा है।


🚩इन पहियों का बड़ा महत्व है। इस चक्र में 8 बाहरी और 8 भीतरी तीलियाँ हैं। 12 जोड़े पहिये साल के 12 महीनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही 8 तीलियाँ दिन के 8 पहर को दिखाती हैं। सूर्य की स्थिति के हिसाब से समय बताने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता था। इसे ऐसे तैयार किया गया था कि सूर्य का प्रकाश भी इससे पास हो और जो छाया बनती थी, उसका इस्तेमाल समय देखने के रूप में किया जाता था। पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा की गतियों को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया गया था, एक ‘Sundial’ के रूप में।


🚩कई धार्मिक समारोहों के लिए भी समय की गणना इसका इस्तेमाल कर के की जाती थी। इन पहियों का डायमीटर 9 फ़ीट 9 इंच है। भारत के करेंसी नोट्स पर भी आप कोणार्क के इस चक्र को देख सकते हैं। इसकी 24 तीलियाँ दिन-रात के 24 घंटों को दर्शाते हैं। यानी, खगोलीय और वैज्ञानिक गणनाओं को ध्यान में रखा गया था इस पहिये के निर्माण के समय। ऐसा नहीं कि सिर्फ मूर्तिकारों ने इसे बना दिया। विद्वानों की देखरेख में सारा काम किया गया था। इस पहिये में पूरी प्रकृति है – पशु-पक्षी, नदी-पहाड़, देवी-देवता।


🚩अब आप सोच रहे होंगे कि पहिये की परछाई से समय कैसे पता चलेगा? इसके लिए पहियों के बीच में ऊँगली रखी जाती है और उसकी छाया से समय पता चलता है। 12 पहिये 12 राशियों को भी दिखाते हैं। इसे कानून का पहिया भी कहा जाता है। ये जीवन चक्र के लगातार चलायमान होने को भी दर्शाता है। पतली वाली तीलियाँ डेढ़ घंटे (90 मिनट) के समय को बताती हैं। ये कुछ वैसा ही है, जैसे आजकल हम घड़ी देखते हैं। ये अध्यात्म ही नहीं, बल्कि उसके साथ-साथ विज्ञान का भी मिश्रण है।


🚩गंगवंश के नरसिंहदेव, जिन्होंने कोणार्क में बनवाया सूर्य मंदिर


🚩नरसिंहदेव को नरसिंह भी कहा जाता है। उनके बारे में जिक्र मिलता है कि उनका विजय अभियान दक्षिण भारत तक फैला हुआ था। आंध्र प्रदेश के द्राक्षाश्रम में एक शिलालेख में उन्हें गोदावरी का राजा कहा गया है। ‘मदल पंजी’ में यहाँ तक लिखा है कि उन्होंने 12 वर्ष दक्षिण भारत में गुजारे और रामेश्वरम के सेतुबंध तक पहुँचे। उन्होंने जब गद्दी संभाली थी, तो ओडिशा एक तरफ बंगाल के मुस्लिम शासकों और दूसरी तरफ पूर्वी डेक्कन के काकतीया वंश से लड़ाई में जूझ रहा था।


🚩उनके पिता अनंगभीम-III ने भी गंगवंश की सीमाओं को मुस्लिम आक्रांताओं से बचाने के लिए तैयारियाँ की थीं। हालाँकि, नरसिंहदेव ने इस मामले में आक्रामक नीति अपनाई। सन् 1243 में ओडिशा के सैनिकों ने लक्ष्मणावती (अब का मालदा जिला) में घुस कर मामलुक मुस्लिम शासकों को मजा चखाया। कटासिन में भयंकर लड़ाई हुई, जहाँ जहाँ बड़ी संख्या में इस्लामी आक्रांताओं का संहार किया गया। बंगाल के शासक इज्जुद्दीन तुगरिल तुगान खाँ को वहाँ से भागना पड़ा।


🚩सन् 1245 में नरसिंहदेव की सेना फिर से लक्ष्मणावती पहुँची। तुगान खाँ की राजधानी को घेर लिया गया और उसे दिल्ली और अवध से सहायता के लिए गुहार लगानी पड़ी। जब तक मदद के लिए फ़ौज आती, ओडिशा की सेना मॉनसून के महीने में वापस लौट चुकी थी। इस युद्ध का नायक सेनापति सबंतोर (सामंतराय) को माना जाता है। इसके बाद इख़्तियाउद्दीन उज़बक बंगाल का शासक बनाया गया और वो इस हार का बदला लेना चाहता था। जाजनगर के राय के दामाद सामंतराय ने उसे भी हराया।


🚩गंगवंश के ताम्रपत्र में लिखा है कि इस युद्ध में ओडिशा की ऐसी जीत हुई थी कि गंगा नदी का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम महिलाओं के रोने के कारण उनके आँसुओं के साथ कहने वाले काजल से लाल हो गया था। इस्लामी आक्रांताओं से बचा कर राधा और गौड़ परंपरा के संन्यासियों को भी भुवनेश्वर में जगह दी गई। हावड़ा, हुगली और मेदिनीपुर जैसे बंगाली इलाके नरसिंहदेव के साम्राज्य का हिस्सा बन गए थे। इन्हीं विजय अभियानों ने उन्हें कोणार्क में भव्य मंदिर बनवाने के लिए प्रेरित किया।


🚩नरसिंहदेव ने कई मंदिर बनवाए। उन्होंने बालासोर के रमुना में गोपीनाथ मंदिर बनवाया। उन्होंने कपिलास में महादेव के मंदिर बनवाया। सिम्हाचलम के नरसिंह मंदिर में उन्होंने कई निर्माण कार्य करवाए। सिवाई संतरा को कोणार्क में मंदिर बनवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बताया जाता है कि जब वो परेशान थे, तब एक बूढ़ी महिला ने उन्हें बताया था कि मंदिर बनवाने के लिए नदी के बीच में पत्थर फेंकने से कुछ नहीं होगा, किनारे से निर्माण कार्य शुरू करवाना पड़ेगा।


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