Saturday, August 4, 2018

रिपोर्ट : झूठे केस में फंस रहे हैं लोग, हर तीसरा मुकदमा झूठा



Report: People trapped in false
 cases, every third case is false
04 August 2018

🚩अंग्रेजों का बनाया कानून आज भी देश मे चल रहा है और कहावत भी है कि कानून अंधा होता है, सच में ये साबित होता है कि कानून अंधा ही है, वर्तमान में तो एक ऐसा ट्रेंड चल पड़ा है कि बदला लेने या पैसे ऐंठने की भावना से लोग झूठे मुकदमे दर्ज करवाते हैं, सालों भर मुकदमे चलते हैं, फिर न्याय मिलता है, निर्दोष बरी होता है, लेकिन तब तक जिस व्यक्ति पर झूठा केस किया होता है, उसकी इज्जत, पैसे और परिवार की जिंदगी खराब हो जाती है ।

🚩आपको बता दें कि राजस्थान जयपुर के थानों में रोज दर्ज हो रहे मुकदमों में हर तीसरा या चौथा मुकदमा फर्जी है । ऐसे में बड़ी तादाद में, बेकसूर प्रताडऩा झेलने पर मजबूर हैं। दूसरों को फंसाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाले बेखौफ हैं, क्योंकि पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती है। 

🚩2017 में दर्ज 1,70,000 मुकदमों में करीब 48000 मुकदमे झूठे थे । यानी औसत रूप से हर रोज दर्ज 431 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें से 131 फर्जी थे।

🚩इसी तरह इस साल जून तक 87,024 में से 17,585 झूठे मुकदमे सामने आ चुके हैं । इसमें भी हर रोज का आंकड़ा 100  फर्जी मुकदमों का है । सबूत नहीं जुटा पाने, अपराधियों के नहीं पकड़े जाने और अन्य कारणों के चलते 2017 में 28,272 प्रकरणों में एफआर लगाई है । जबकि जून 2018 तक ऐसे ही 12,756 अन्य मामलों में एफआर लगाई है । मई 2018 तक अपहरण के कुल 2555 मामलों में से 1173 झूठे निकले

🚩वर्ष 2017 के आंकड़े :-

🚩केस 1: जयपुर में साजिश, बूंदी के पांच युवकों को फंसाया गया ।

🚩बूंदी के सरकारी स्कूल की शिक्षिका ने अपने प्रेमी संग, जयपुर में साजिश रच, बूंदी के 5 युवकों के खिलाफ गैंग रेप का मामला दर्ज कराया । बाद में मामला झूठा निकला । पांच निर्दोष जेल जाने से बच गए । शिक्षिका ने प्रेमी के खिलाफ मामला दर्ज कराने वालों पर दबाव बनाने के लिए झूठा मामला दर्ज कराया था ।

🚩केस 2: पहले फंसाती, फिर हाईप्रोफाइल लोगों को ठगती ।

🚩कानोता थाना पुलिस ने महिला व उसके साथी को गिरफ्तार किया । महिला हाईप्रोफाइल लोगों से परिचय बनाती फिर झूठे केस में फंसाने की धमकी दे रुपए ऐंठ लेती थी । महिला व उसके साथियों ने टैम्पो चालक के खिलाफ, शिवदासपुरा थाने में झूठा मामला दर्ज करा दिया था । बाद में रुपए ले समझौता कर लिया।

🚩केस 3: एस.ओ.जी. ने तिकड़ी का किया खुलासा |

🚩एस.ओ.जी. ने हाईप्रोफाइल दुष्कर्म केस में फंसाने की धमकी देकर, झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाली गैंग का खुलासा कर, कई युवतियों को गिरफ्तार किया । युवतियां, कुछ परिचित वकील, पुलिसकर्मी और दलालों के जरिए रसूखदार लोगों को फंसाती और झूठे मामले दर्ज करा देती थीं । https://m.patrika.com/jaipur-news/every-third-and-fourth-case-is-false-innocent-torture-3194905/

🚩बता दें कि यह मामला केवल राजस्थान में एक शहर का है, बाकी पूरे देश का क्या हाल होगा जिसमें करोड़ो मुकदमे झूठे दर्ज कराए जाते होंगे ।

🚩इतने झूठे केस मुकदमे दर्ज कराये जाते हैं तो निर्दोष को तो न्याय ही नही मिल पाएगा ।

🚩भारत देश हाल ही में जिस तरह वर्तमान में विकट परिस्थितियों से झुंझ रहा है, उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदार है मैकाले की बनाई हुई शिक्षा पद्धति, जिसके कारण आज व्यक्ति स्वार्थी, ईर्ष्यालु, कामचोर बन गया है, जिसके कारण क्राइम हो रहे हैं | अगर बचपन से ही वैदिक शिक्षा पद्धति से पढ़ाया जाए तो अच्छे संस्कार आएँगे, जिससे न तो कोई क्राइम करेगा ओर ना ही  किसी के प्रति ईर्ष्या, जलन या स्वार्थ के कारण झूठे केस दर्ज करेगा ।

🚩प्राचीन काल में, ऋषि-मुनियों द्वारा गुरुकुल चलाये जाते थे, उसमे सभी मेहनती, संयमी, सदाचारी और परोपकारी बनते थे, जिसके कारण देश मे सुख-शांति रहती थी और लोग स्वस्थ्, सुखी और सम्मानित जीवन जीते थे ।

🚩वर्तमान में कुछ हिंदू साधु-संतों ने ये बीड़ा उठाया था, जिसके तहत उन्होंने वैदिक गुरुकुल खोले ओर बच्चों को महान बनना शुरू किया तो राष्ट्र विरोधी ताकतों ने उनको मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर, झुठे मुकदमें में फंसाकर जेल भिजवाया गया ।

🚩जैसे कि हिन्दू संत आसाराम बापू ने 35 वैदिक गुरुकुल खोले, जिसके कारण लाखो बच्चें होनहार होने लगे, आदिवासियों में जाकर जीवनोंपयोगी वस्तुएं दीं, जिसके कारण धर्मान्तरण रुका, गांव-गांव, नगर-नगर जाकर हिन्दू संस्कृति की महानता को लोगों तक पहुँचाया, जिसके कारण करोड़ों लोग संयमी बनने लगे, व्यसन छोड़ने लगे, विदेशी कंपनियों के प्रोडक्ट की जगह स्वदेशी अपनाने लगे, टीवी-सिनेमा देखना बन्द कर दिया, जिससे विदेशी कम्पनियों को आर्थिक तौर पर भयंकर नुकसान हुआ | कान्वेट स्कूलों में जाना बंद कर दिया, धर्मान्तरण पर रोक लग गई तो उन्हें झूठे मुदकमे में जेल भेज दिया गया ।

🚩आम जनता के अलावा राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के लिए आगे आने वालों  के खिलाफ, राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक, कानूनों का, अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।

🚩इसमे जो खामियां है, उसे दूर करना चाहिए तभी बच पाएँगे नही तो एक के बाद एक निर्दोष फंसते जाएँगे ।

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Friday, August 3, 2018

आखिर रोहिंग्या कौन है और भारत क्यों इन्हें देश से बाहर करना चाहता है ?

03 August 2018


🚩भारत में जिस तरह से घुसपैठियों ने, देश में आकर देश की जनता को मजहब के नाम पर और खुद की संख्या ज्यादा करने के लिए, मारना शुरू किया है, उससे देश में आतंक फैल सकता है, जिससे खून खराबे हो सकते हैं, जो कि किसी भी देश के लिए खतरे की घण्टी है ।

🚩आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या प्रवासी ?
ये भारत कैसे पहुंचे और यहां क्यों आए ? 
रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश क्यों जा रहे हैं ?
इन्हें अब तक म्यांमार में नागरिकता क्यों नहीं मिली ?

🚩नोबेल विजेता आंग सान सू ची, दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रति अपनी मुखर आवाज के लिए जानी जाती हैं । म्यांमार में अब उनकी पार्टी की ही सरकार है, फिर भी वह रखाइन प्रांत में रोहिंग्या लोगों पर हो रहे जुल्म पर चुप क्यों हैं ?

🚩आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ . . .
After all, who is Rohingya and why India
wants to take them out of the country?

🚩रखाइन प्रांत का इतिहास:-

🚩रखाइन म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बांग्लादेश की सीमा पर बसा एक प्रांत है, जो 36 हजार 762 वर्ग किलोमीटर में फैला है । सितवे इसकी राजधानी है । म्यांमार सरकार की 2014 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार रखाइन की कुल जनसंख्या लगभग 21 लाख है, जिसमें से 20 लाख बौद्ध हैं । यहां लगभग 29 हजार मुसलमान रहते हैं ।

🚩रोहिंग्या कौन हैं ?

🚩म्यांमार की बहुसंख्यक जनसंख्या बौद्ध है । रिपोर्ट के अनुसार राज्य की लगभग 10 लाख की जनसंख्या को जनगणना में शामिल नहीं किया गया था । रिपोर्ट में इस 10 लाख की जनसंख्या को मूल रूप से इस्लाम धर्म को माननेवाला बताया गया है । जनगणना में शामिल नहीं की गई जनसंख्या को, रोहिंग्या मुसलमान माना जाता है । इनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं । सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से इंकार कर दिया है । हालांकि वे कई पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं ।

🚩रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है । इस हिंसा में बडी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं । बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आज भी जर्जर कैंपो में रह रहे हैं । रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है । लाखों की संख्या में बिना दस्तावेजवाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं । इन्होंने दशकों पहले म्यांमार छोड़ दिया था ।

🚩रखाइन प्रांत से क्यों भागे रोहिंग्या ?

🚩म्यांमार में मौंगडोव सीमा पर 25 अगस्त 2017 को रोहिंग्या चरमपंथियों ने उत्तरी रखाइन में पुलिस नाके पर हमला कर 12 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया था । और कई बौद्ध समाज के लोगो को भी जिंदा जला दिया था और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करके उठा ले गए थे, इस हमले के बाद सुरक्षा बलों ने मौंगडोव जिला की सीमा को पूरी तरह से बंद कर दिया और बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया और तब से म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन जारी है ।

🚩सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से खदेड़ने के लिए, उनके गांव जला दिए और नागरिकों पर हमले किए । इस हिंसा के बाद से अब तक लगभग चार लाख रोहिंग्या शरणार्थी सीमा पार करके बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं । 

🚩बांग्लादेश ने विरोध जताया:- 
बांग्लादेश ने रोहिंग्या लोगों के अपने देश में घुसने पर कडी आपत्ति जताई और कहा कि परेशान लोग सीमा पार कर सुरक्षित ठिकाने की तलाश में यहां आ रहे हैं । बांग्लादेश ने कहा कि सीमा पर अनुशासन का पालन होना चाहि ए। बांग्लादेश अथॉरिटी की तरफ से सीमा पार करनेवालों को फिर से म्यांमार वापस भेजा गया ।

🚩लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बांग्लादेश के इस कदम की कडी निंदा की और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी के रूप में स्वीकार नहीं करता। रोहिंग्या और शरण चाहनेवाले लोग 1970 के दशक से ही म्यांमार से बांग्लादेश आ रहे हैं ।

🚩आखिर नोबेल विजेता आंग सान सू ची ने क्यों साधी चुप्पी ?

🚩म्यांमार में 25 सालों के बाद 2016 में चुनाव हुआ था । इस चुनाव में नोबेल विजेता आंग सान सू ची की पार्टी, नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली थी । संवैधानिक नियमों के कारण वह चुनाव जीतने के बाद भी राष्ट्रपति नहीं बन पाई थीं । सू ची स्टेट काउंसलर की भूमिका में हैं । माना जाता है कि सत्ता की वास्तविक कमान सू ची के हाथों में ही है । हालांकि देश की सुरक्षा सेना के हाथों में है ।

🚩अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार से सवाल पूछा जा रहा है कि रखाइन प्रांत में पत्रकारों को क्यों नहीं जाने दिया जाता । इस पर म्यांमार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी गलत रिपोर्टिंग की जाती है । यदि सू ची अंतराष्ट्रीय दवाब में झुकती हैं और रखाइन स्टेट को लेकर कोई विश्वसनीय जांच कराती हैं तो उन्हें सेना से टकराव का जोखिम उठाना पड़ सकता है । उनकी सरकार खतरे में आ सकती है ।

🚩आंग सान सू ची पर जब इस मामले में दबाव पड़ा तो उन्होंने कहा था कि रखाइन स्टेट में जो भी हो रहा है वह ‘रूल ऑफ लॉ’ के तहत है । इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आवाज उठ रही है । म्यांमार में रोहिंग्या के प्रति सहानुभूति न के बराबर है क्योंकि रोहिंग्या स्थानीय लोगों को परेशान करते है, विद्रोह करते हैं और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते है, जिसके कारण रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सेना की कार्रवाई का म्यांमार में लोगों ने जमकर समर्थन किया है ।

🚩आपको बता दे कि भारत सरकार ने लोकसभा में बताया कि भारत में रह रहे कुछ रोहिंग्या प्रवासी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं । साथ ही यह भी साफ किया कि रोहिंग्या को ‘शरणार्थी’ का दर्जा नहीं दिया गया है बल्कि वे ‘अवैध प्रवासी’ हैं ।स्त्रोत : अमर उजाला

🚩आपको बता दे कि रोहिंग्या न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहे हैं, अपितु सुरक्षा के लिए भी चुनौती हैं, आतंकवादी गतिविधियां भी पाई गई हैं ।

🚩इनके कारण सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समस्याएं खड़ी होगी।

🚩मानवाधिकार संगठन ऐमनेस्टी इंटरनेशनल का रिपोर्ट :-

🚩बीते साल म्यांमार के रखाइन राज्य में हुई हिंसा के दौरान रोहिंग्या आतंकियों ने गांव में रहने वाले हिंदुओं का कत्लेआम किया । ऐमनेस्टी इंटरनेशनल ने रिपोर्ट में पाया गया है कि यह नरसंहार 25 अगस्त 2017 को हुआ था, जिसमें 99 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया । यह वही दिन था, जिस दिन रोहिंग्या उग्रवादियों ने पुलिस पोस्ट्स पर हमले किए थे और राज्य में संकट शुरू हो गया था ।

🚩उग्रवादियों के हमले के जवाब में म्यांमार कि सेना ने ऑपरेशन चलाया जिसकी वजह से करीब 7 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को इस बौद्ध देश को छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार सेना के ऑपरेशन को रोहिंग्याओं का ‘नस्ली सफाया’ बताया । रोहिंग्या उग्रवादियों पर दुर्व्यवहार के भी आरोप लगे । इसमें रखाइन राज्य के उत्तरी हिस्से में, हिंदुओं के नरसंहार का मामला भी शामिल है । बीते साल सितंबर में सेना मीडिया रिपोर्ट्स को इस इलाके में ले गई जहां सामूहिक कब्र मिली।

🚩रोहिंग्या देश के लिए बहुत खतरनाक हैं, उनका मकसद है, जनसंख्या बढ़ाना और फिर देश पर कब्जा करने का इसलिए प्रतिदिन हजारों बच्चें पैदा कर रहे है, हिंदुस्तानी तो बोलता है "हम दो हमारे दो" इसमे ही रुक गया है पर रोहिंग्या 40-40 बच्चें तक पैदा करते है, इससे साफ जाहिर है कि जनसंख्या बढ़ाकर वोटबैंक खड़ा करके खुद कि सरकार बनाना और भारत पर राज करना है ।

🚩भारत सरकार ने #रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकालने का जो निर्णय लिया है, वह देश कि सुरक्षा के लिए कितना उचित है इसका अंदाजा सभी भारतीय लगा सकते हैं । परंतु फिर भी सेक्युलरिस्ट कार्यकर्ता कुछ राजनेता तथा कर्इ धर्मांध जिहादी इन रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन कर उन्हें भारत में शरण मिलने के लिए भारत सरकार पर दबाव डाल रहे हैं । कुछ #जिहादी धर्मांधों ने तो यह भी धमकिया दी है कि यदि रोहिंग्या मुसलमानों को कोर्इ हाथ भी लगाएगा तो भारत देश तथा हिन्दुआें को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होगे ।

🚩सभी राष्ट्रप्रेमी नागरिकों को अब संगठित होकर भारत सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि रोहिंग्या मुसलमानों और अवैध बांग्लादेशी #घुसपैठियो तथा इन घुसपैठियो
का समर्थन करनेवालों को भी इस देश से बाहर निकाले । नहीं तो यह लोग भविष्य में हमारे #अस्तित्व पर ही संकट ला सकते है इसलिए अभी से सावधान !!

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