Monday, March 25, 2019

सच्चाई को जानिये सिख पंथ में अलगाववाद कैसे फैलाया गया ?

24 मार्च 2019
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🚩कुछ समय से हिंदूओं को आपस में तोड़ने के लिए दलित, सिख, जैन आदि हिंदू से अलग हैं, ऐसा कहा जा रहा है और कुछ लोग इसको मानने भी लगे हैं । वास्तव में सिख का मतलब होता है "जो गुरु की सिख (आज्ञा) माने" । बाकी सिख तो हिंदू ही होते हैं ।

सिख , हिन्दू नहीं होते हैं, इस फर्ज़ीवाड़े को सबसे पहले गढ़ने वाला मैक्स आर्थर मेकलीफ़ ( Max Arthur Macauliffe) था ।
🚩यह गुरुमुखी का विद्वान भी था जिसने Guru Granth Sahib का English translation भी किया था ।
Max Arthur Macauliffe जिसने सिख पंथ को एक धार्मिक संस्था का रूप दिया था के हिंदूइस्म के विषय में क्या विचार थे जरा ध्यान दें ।
🚩It (Hinduism) is like the boa constrictor of the Indian forests. When a petty enemy appears to worry it, it winds round its opponent, crushes it in its folds, and finally causes it to disappear in its capacious interior....Hinduism has embraced Sikhism in its folds; the still comparatively young religion is making a vigorous struggle for life, but its ultimate destruction is, it is apprehended, inevitable without State support.
🚩【 हिंदी अनुवाद - यह (हिंदू धर्म) भारतीय जंगलों का Boa Constrictor (उष्णकटिबंधीय अमेरिका का एक बड़ा और शक्तिशाली सर्प, कभी-कभी बीस या तीस फुट लंबा ) की तरह है । जब एक छोटा विरोधी इसकी चिंता करता प्रतीत होता है, तो यह अपने प्रतिद्वंद्वी के चारों ओर घूमता है, इसे अपने लपेटे में ले लेता है, और आखिरकार इसे अपने विशालता में गायब कर देता है .... हिंदू धर्म ने सिख धर्म को अपने लपेटे में लिया है; अभी भी तुलनात्मक रूप से यह युवा धर्म जीवन के लिए एक सशक्त संघर्ष कर रहा है, लेकिन इसका अंतिम विनाश यह है कि इसे राज्य समर्थन के बिना अपरिहार्य माना जाता है। 】
Max Arthur Macauliffe 1864 मे इंडियन सिविल सर्विसेज से पंजाब में आया था । 1882 में ये पंजाब का डिप्टी कमीशनर बना ।
🚩मेकलीफ़ वो पहला इंसान था जिसने सिख हिन्दू नहीं है इसकी परिकल्पना की थी । उसने देखा कि सिख एक मार्शल कौम है । इसलिए सिख आर्मी के लिए उपयुक्त है ।
इसलिए इन्होंने पंजाब में आर्मी की नौकरी में सिखों के लिए आरक्षण लागु कर दिया । जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी राम कुमार सरकारी नौकरी नहीं पा सकता था पर वही राम कुमार दाड़ी मूछ और पगड़ी रखकर राम सिंह बनकर नौकरी पा सकता था । उस समय तक इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाता था ।
🚩इसका नतीजा ये हुआ कि पंजाब में सिख population 1881 से 1891 के बीच 8.5% बढ़ी ।
1891 से 1901 के बीच 14% बढ़ी ।
1901 से 1911 के बीच 37% बढ़ी ।
1911 से 1921 के बीच 8% बढ़ी ।
🚩इनके पंजाबी के ट्यूटर थे Kahn Singh Nabha जिन्होंने 1889 मे "हम हिन्दू नहीं" नामक पुस्तक लिखी । जिसको Macauliffe जी ने फंड किया ।
1909 मे खुद Macauliffe साहब ने भी Sikh religion: Its Gurus, Sacred writings, and authors नामक पुस्तक लिखी । जिसकी भूमिका में इन्होंने ये भी बताया है कि किस तरह इन्होंने खालसा पूजा पद्यति आरम्भ की और सिखो के लिए आर्मी में अलग शपथ परम्परा की शुरुआत की ।
🚩इस समय तक गुरूद्वारे ( दरबार) महंतो और साधुओं की देखरेख मे होते थे । गुरूद्वारों के लिए महंतो और हिन्दु पुरोहित की जगह खालसा सिखों की प्रबंधक कमेटी का विचार भी इन्हीं का था । इन गुरूद्वारो से जुड़ी हुई जमीन और सम्पत्ति भी थी ।
1920 के शुरूआत से महंतो से गुरूद्वारो को छीनने का अकाली दल का सिलसिला चालू हुआ । इसके लिए महंतो पर तरह तरह के आरोप लगाकर( महिलाओ से दुष्कर्म, गलत कर्मकांड आदि) उन्हे बदनाम किया गया, जनता मे उनके खिलाफ छवि बनाई गयी ।
🚩सबसे पहले बाबे दी बेर गुरूद्वारा, सियालकोट जो एक महंत की विधवा की देखरेख में था, बलपूर्वक कब्जाया गया ।
फिर हरमंदिर साहिब ( स्वर्ण मंदिर) छीना गया । फिर गुरूद्वारा पंजा साहिब कब्जाया गया । इस कब्जे के विरोध में 5-6 हजार लोगों ने गुरूद्वारा घेर लिया जिन्हे पुलिस ने बलपूर्वक हटाया ।
🚩फिर गुरूद्वारा सच्चा सौदा, गुरूद्वारा तरन तारन साहिब आदि महंतो पर आरोप लगा पुलिस के सहयोग से कब्जाये गये ।
इन कब्जों के लिए महंतो को पीटा गया उनकी हत्या की गई । जिसके लिए बाकायदा बब्बर अकाली नामक दल का गठनकर मूवमेंट चलाया गया ।
🚩ननकाना साहिब गुरूद्वारे पर कब्जे का सबसे अधिक बड़ा खूनी इतिहास है । जिसमें दोनो के कई सैकड़ों लोग तक मारे गये ।
फिर गुरूद्वारा गंजसर नाभा और कई अन्य हिसंक तरीके एवं पुलिस के सहयोग से महंतो से छीने गये ।
🚩1925 में सिख गुरूद्वारा बिल पारित हुआ और कानून बना कर गुरूद्वारों के कब्जे खालसा सिखों को दिये गये । SGPC का गठन हुआ ।
फिर एक रेहता मर्यादा बनाई गई जो तय करती है कि कौन सिख है और कौन नहीं । जिसका पूर्णरूपेण उद्देश्य सिख से हिन्दू विघटन निकाला है ।
SGPC के तत्वावधान मे सिख इतिहास को नये सिरे से लिखा गया। हिन्दू परछाई को सिख मे से जितना हो सके अलग किया गया। नये नये हिन्दू ( खासकर ब्राह्मण) विलेन कैरेक्टर सिख इतिहास में घड़े गए।
🚩पंजाबी मे पारसी भाषा के शब्दो का अधिकधिक प्रयोग किया गया।  गंगू बामन और स्वर्ण मंदिर की नीव मुसलमान के हाथों रखवाना, जिसका इससे पहले कोई प्रमाण और इतिहास नही है, गढ़े गये और इनका प्रचार किया गया ।
गुरू गोविंद सिंह जी की वाणी दशम ग्रंथ मे चंडी दी वार और विचित्र नाटक को इसमे ब्राह्मणी मिलावट घोषित किया गया ।
🚩हकीकत राय, सति दास, मति दास, भाई दयाल आदि के बलिदानों को सिखों के बलिदान बताकर प्रचारित किया गया । जबकि इनके वंशज तो आज की तारीख मे भी हिन्दू है ।
बंदा बहादुर जिसका कि उस समय तक खालसा बनाकर विरोध किया गया और मुग़लों से मिलकर मिलकर उसे पकड़वाया गया था । SGPC आज उसे सिख हीरो के रूप में बताती है ।
🚩निर्मली अखाड़ा जोकि गुरू गोविंद सिंह जी का ही डाला हुआ है और संस्कृत एवं वेदांत के प्रचार प्रसार को समर्पित है हिन्दू विरोध की खातिर इस तक को SGPC ने सिख इतिहास से नकार दिया ।
गुरू नानक के पुत्र थे श्रीचंद जोकि अपने समय कै महानतम और प्रसिद्ध योगी थे ने उदासीन पंथ की स्थापना की थी ।
🚩गुरू राम राय जोकि गुरू हर राय के बड़े पुत्र थे ने देहरादून मे अपनी गद्दी स्थापित की । इनकी जगह इनके छोटे भाई कृष्ण राय ने पिता की गद्दी सम्भाली और अगले सिख गुरू कहलाये ।
ये सभी अखाड़े आज भी महंतो द्वारा संचालित है । समाज सेवा में अर्पित हैं ।
🚩आनंद मैरिज एक्ट पास कर सिखों के लिए अलग से विवाह पद्यति आरम्भ की गई । अन्यथा 1920 से पहले तक तो हिन्दू पुरोहित ही सिख घरों में विवाह आदि वैदिक संस्कार करवाने जाते थे ।
पर Max Arthur Macauliffe की नीति जिससे एक अलग खालसा सिख पंथ की नीव पड़ी की परिणति खालिस्तान आन्दोलन के रूप में सामने आई । बब्बर खालसा उग्रवादियों ने करीब 50000 हजार निरपराध हिन्दुओं की हत्या कर दी । अवसरवादी राजनीति के चलते इन हत्याओं को इस देश ने भुला दिया ।
🚩सिखों का धार्मिक ग्रन्थ है "गुरु ग्रन्थ साहिब" इसको आप उठाकर पढ़ेंगे और देखेंगे तो इसमें "हरी" शब्द 8 हज़ार से भी अधिक बार इस्तेमाल किया गया है, वहीं "राम" शब्द 2500 से अधिक बार, जबकि "वाहेगुरु" शब्द मात्र 17 बार गुरु ग्रन्थ साहिब को ही अब सिखों का गुरु माना जाता है, चूँकि सिख के आखिरी गुरु गोबिंद सिंह ने इसे ही आगे के लिए गुरु घोषित किया था ।
गोविन्द सिंह का तो नाम भी "गोविन्द है" और "सिंह" हिन्दू उपनाम है, जो सिख समूह के बनने से पहले से ही हिन्दू इस्तेमाल करते आये है ।
🚩खालिस्तानी वो लोग हैं जो श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज हिंदुओं की बानी के बावजूद अपने ही धर्म ग्रन्थ को झुठला कर कहते हैं कि "यह वो राम , वो कृष्णा, वो जगदीश " नहीं हैं। अपने ही दसवें गुरु के लिखे चण्डी दी वार " चढ़ मैदान चण्डी महिषासुर नु मारे" को झुठलाते हैं। "देव शिवा वर मोहे इहे" को झुठलाते हैं। लाखों खालिस्तानी है आज, इनका पूरा गैंग सक्रिय है, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों में तो इनका पूरा गैंग ही सक्रिय है, और पाकिस्तान से इनकी बड़ी मित्रता है।
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ये हिन्दुओ को गाली देते है । ये हिन्दुओ की ही संतान, इन सभी के पूर्वज हिन्दू ही थे, स्वयं नानक भी पैदा होते हुए हिन्दू थे ।
उनके पिता का नाम कालू चंद, (कालू, कल्याण मेहता) था ।
और ये खालिस्तानी हिन्दुओं को गाली देते है, इन खालिस्तानियों को औरंगजेब और पाकिस्तान प्यारा है ।
आईये इस अलगाववादी मानसिकता से बचें । एकता में ही शक्ति है । यह सन्देश स्मरण करें ।
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Saturday, March 23, 2019

हिन्दू संस्कृति पर कैसे हो रहा है प्रहार, कवि ने लिखी कविता,जो हमें पढ़नी चाहिए

23 मार्च 2019
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🚩भारतीय संस्कृति अति प्राचीन और महान से भी महान है पर उसको तोड़ने के लिए अनेक दुष्ट शक्तियां लगी हुई हैं । सदियों से चारों तरफ से प्रहार किया जा रहा है । अभी हाल ही में, ईसाई मिशनरियां, विदेशी कंपनियां, इस्लामिक स्टेट, जिहाद, वामपंथी, सेकुलर, राष्ट्र विरोधी ताकतें आदि आदि संस्कृति को नष्ट करने में लगी हुई हैं, उसे रोकने के लिए हिंदू साधु-संत पुरजोर प्रयत्न कर रहे हैं, जनता में जागरूकता पैदा कर रहे हैं, उनके खिलाफ लोहा ले रहे हैं तो उन साधु-संतों के खिलाफ ही षड्यंत्र रचे जा रहे हैं ।

🚩जो भी हिंदू साधु-संत इन षड्यंत्रों के खिलाफ आवाज उठाता है उनको मीडिया द्वारा बदनाम किया जाता है फिर झूठे केस बनाकर जेल भेजा जाता है, कईयों की हत्या कर दी जाती है इससे आहत होकर कवि ने एक कविता लिखी है जो हर हिंदुस्तानी को पढ़नी चाहिए ।
🚩बहुत बन चुके हो मूर्ख, अब और मूर्ख ना बन ए हिन्दू।
संत हैं तो संस्कृति है, संत हैं सनातन धर्म के केंद्र बिन्दु।।
जब-जब किसी संत ने हिन्दुत्व को विख्यात किया।
तब-तब षड़यंत्र कर उन संत पर प्रतिघात किया।।
🚩ऐसी कितनी ही घटनाएँ, इतिहास में भरी पड़ी हैं ।
अब तो सबक लो, आन पड़ी फैसले की घड़ी है।।
संदेह करो तुम संतों पर, यही चाहते हैं षड़यंत्रकारी ।
मत करो संतों का अपमान, यह नहीं  होगी समझदारी।।
🚩महात्मा बुद्ध को जब हुआ आत्मज्ञान, धर्म का प्रचार किया।
स्थापना कर बौद्ध धर्म की, मानवता पर उपकार किया।।
आँख ना भाया जब षड़यंत्रकारियों को ये काम।
वेश्यागमन का इल्ज़ाम लगाकर करना चाहा उन्हें बदनाम।।
🚩ब्रह्मज्ञानी संत कबीरदास, जिनकी रचनाएँ ज्ञान का सागर।
धन्य हो गई मानवता, उनके द्वारा ये ब्रह्मज्ञान पाकर।।
षड़यंत्रकारियों को कैसी भाती, हिन्दू धर्म की ये ऊँचाई।
लगाकर इन पर झूठे इल्ज़ाम, फिर धर्म को क्षति पहुँचाई।।
🚩स्वामी विवेकानन्द ने 1893 में, हिन्दुत्व का डंका बजाया।
विश्व धर्म परिषद में, हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।।
देखकर उन पर अत्याचार प्रताड़ना, धरती माता भी हिली।
अपने गुरू की समाधि के लिए, इन्हें एक गज जगह नहीं मिली।।
🚩1993 में संत आशाराम बापूजी ने, फिर इतिहास को दोहराया।
विश्व धर्म परिषद में, फिर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।।
करोड़ों को आध्यात्मिक ज्ञान दिया, चलाए हजारों बालसंस्कार।
मानवता की निस्वार्थ सेवा की, किया गरीबों का उद्धार।।
🚩धर्मांतरण का विरोध किया, जो ईसाई मिशनरियों को नहीं सुहाया।
तब रचा गहरा षड़यंत्र, उन पर बलात्कार का झूठा आरोप लगवाया।।
निस्वार्थ सेवा करने वाले, संत को भिजवा दिया जेल।
उम्रकैद की सजा दिलवा दी, रचा बहुत ही गहरा खेल।।
🚩पूर्ण ब्रह्मज्ञानी संत है बापूजी, इनके साधक भी परम विवेकी।
कानून का कर रहे सम्मान, न्यायव्यवस्था की नहीं की अनदेखी।।
बापूजी तो जेल में भी कैदियों का पुनः उद्धार कर रहे।
बहाकर अपने ज्ञान की गंगा, जेल को हरिद्वार कर रहे।।
- कवि सुरेंद्र कुमार
🚩कवि की बात सहीं है, सदियों से हिन्दू संस्कृति पर प्रहार हो रहा है और उसको रोकने के लिए जो भी साधु-संत आगे आये उनके ऊपर षड्यंत्र हुआ है, हम सभी को मिलकर उसका सामना करना चाहिए ।
🚩समाज व राष्ट्र में व्याप्त दोषों के मूल को देखा जाये तो सिवाय अज्ञान के उसका अन्य कोई कारण ही नहीं निकलेगा और अज्ञान तब तक बना ही रहता है जब तक कि किसी अनुभवनिष्ठ ज्ञानी महापुरुष का मार्गदर्शन लेकर लोग उसे सच्चाई से आचरण में नहीं उतारते ।
🚩समाज जब ऐसे किसी ज्ञानी संतपुरुष का शरण, सहारा लेने लगता है तब राष्ट्र, धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के कुत्सित कार्यों में संलग्न असामाजिक तत्त्वों को अपने षड्यंत्रों का भंडाफोड़ हो जाने का एवं अपना अस्तित्व खतरे में पड़ने का भय होने लगता है, परिणामस्वरूप अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए वे उस दीये को ही बुझाने के लिए नफरत, निन्दा, कुप्रचार, असत्य, अमर्यादित व अनर्गल आक्षेपों व टीका-टिप्पणियों की आँधियों को अपने हाथों में लेकर दौड़ पड़ते हैं, जो समाज में व्याप्त अज्ञानांधकार को नष्ट करने के लिए महापुरुषों द्वारा प्रज्जवलित हुआ था।
ये असामाजिक तत्त्व अपने विभिन्न षड्यंत्रों द्वारा संतों व महापुरुषों के भक्तों व सेवकों को भी गुमराह करने की कुचेष्टा करते हैं।
🚩एक के बाद एक निर्दोष हिन्दू साधु-संतों को बदनाम किया जा रहा है क्योंकि राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा हिन्दू धर्म खत्म करने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ हिन्दू संतों को टारगेट किया जा रहा है, हिन्दुस्तानी अब इस षड्यंत्र को समझो और उसका विरोध करो तभी हिन्दू संस्कृति बच पाएगी ।
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Friday, March 22, 2019

राष्ट्र विरोधी शक्ति हुई परास्त, हिंदुओं की हुई विजय

21 मार्च 2019
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🚩पूरी दुनिया में हिन्दू ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो कभी किसी का भी बुरा न सोचता है और ना ही करता है, फिर भी कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें अपने देश में बैठे गद्दारों से मिलकर हिंदुत्व पर प्रहार करते रहते हैं ।
🚩आपको बता दें कि जॉइंट इंटेलीजेंसी कमेटी के पूर्व प्रमुख और पूर्व उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. एस.डी. प्रधान ने देश में भगवा आतंक की थ्योरी को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं ।

🚩उन्होंने भी स्पष्ट बताया है कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मालेगाँव ब्लास्ट, इशरतजहाँ मामला का पहले से ही हमें पता था और अमेरिकन खुफिया विभाग ने भी बताया था कि ये सब घटनाएं होने वाली थी और ये पाकिस्तान करवा रहा है और हमने तत्कालीन गृहमंत्री पी.चिदंबरम को बताया भी था, लेकिन उन्होंने राजनैतिक फायदे के लिए तथा भगवा आतंकवाद सिद्ध करने के लिए डी.जी.वंजारा, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानन्द, शंकराचार्य अमृतानन्दजी, कर्नल पुरोहित आदि को जेल भिजवा दिया था ।
🚩बता दें कि हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए फर्जी केस बनाकर हिन्दू संत आसारामजी बापू और उनके बेटे को भी जेल भेजा गया ।
🚩साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जेल से जब बाहर आई तो कहा कि कांग्रेस के तात्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने भगवा आतंकवाद की परिभाषा गढ़ी थी और मुझे फंसाने की साजिश की थी, लेकिन कोर्ट में इतना तो साबित हो गया कि कोई भगवा आतंकवाद नहीं होता । साध्वी ने बताया था कि बापू आसारामजी भी निर्दोष है उनको षड्यंत तहत फँसाया गया है ।
*🚩स्वामी असीमानंद समेत सभी बरी:-
वर्ष 2007 के समझौता ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए पंचकूला की एनआईए कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में स्वामी असीमानंद के अलावा लोकेश शर्मा, कमल चौहान और रजिंदर चौधरी मुख्य आरोपी थे ।
🚩इस मामले पर 14 मार्च को फैसला आना था, हालांकि पाकिस्तानी महिला वकील ने ईमेल के जरिए याचिका दायर की थी कि उनके पास इस मामले के पर्याप्त सबूत हैं । उनके दावे के बाद मामले की सुनवाई को 20 मार्च तक के लिए टाल दिया गया था । न्यायालय ने बुधवार को महिला की याचिका को सीआरसीपीसी की धारा 311 के तहत खारिज कर दिया ।
🚩समझौता एक्सप्रेस विस्फोट एक आतंकवादी घटना थी जिसमें 18 फरवरी 2007 को भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट हुआ था। यह ट्रेन दिल्ली से पाकिस्तान जा रही थी ।
🚩विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग़ थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था । विस्फोट से लगी आग में 68 व्यक्तियों की मौत हो गई थी और 13 अन्य घायल हो गए थे । मारे गए ज्यादातर लोग पाकिस्तानी नागरिक थे ।
🚩समझौता ब्लास्ट केस में इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह ने एक बड़ा खुलासा किया था कि समझौता ब्लास्ट केस को बहाना बनाकर हिन्दू आतंकवाद का जुमला इजाद किया गया । पाकिस्तानियों को बचाने के लिए और हिन्दुस्तानियों को फंसाने के लिए 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट का इस्तेमाल किया गया । इस केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था, लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया । इसके बाद इस केस में स्वामी असीमानंद जी को  फंसाया गया ताकि भगवा आतंकवाद या हिन्दू आतंकवाद को अमली जामा पहनाया जा सके ।
स्वामी असीमानंद जी सहित 4 बरी तो हो गये लेकिन उनको सालों तक बिना सबूत जेल में रखा गया, क्या उनका वो कीमती समय क्या कानून लौटा पायेगा ???
🚩मीडिया ने भी उस समय उनकी खूब बदनामी की, लेकिन जैसे ही उनको कई जगह से निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी किसी हिन्दू साधु-संत पर आरोप लगता है तो मीडिया उनकी समाज में इतनी बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हो । पर जब वही संत निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है ।
विचार कीजिये, क्या सिर्फ हिन्दू संतों को बदनाम करने का मीडिया का एजेंडा है..???
🚩कछुवा छाप चाल चलने वाली हमारी न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर हिन्दू संतों को न्याय नहीं दे पाती है ।
और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय मिलना न मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या देरी से न्याय मिलना अन्याय नहीं है ??? अभी भी कुछ संत जेल में हैं । उनके लिए अब देखना ये है कि हिन्दुत्वादी कहलाने वाली सरकार #कब इन हिन्दू संतों को भी न्याय दिलवाती है..???
🚩कांग्रेस सरकार ने तो षड्यंत्र करके हिन्दू सन्तों को जेल भेज दिया था पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है , ये देखना है ।
निर्दोष संतों की जल्द से जल्द ससम्मान रिहाई कब करवाती है इसी बात पर सभी हिंदुओं की निगाहें टिकी हैं ।
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