Wednesday, April 3, 2019

चैत्री नूतनवर्ष की विशेषताएं जानकर आप भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेंगे

03 अप्रैल 2019
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🚩 चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पाड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है । इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरम्भ होता है । 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है । इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।
🚩 चैत्रमास की शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि की उत्पति हुई थी और इस दिन कुछ ऐसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है  ।
आइये आपको इस दिन के इतिहास से जुड़ी कुछ घटनाएं बताये...


🚩 इतिहास में इस प्रकार वर्णित है चैत्री वर्ष प्रतिपदा...
1. भगवान ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का सर्जन...
2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक...
3. माँ दुर्गा के नवरात्र व्रत का शुभारम्भ...
4. प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ..
5. उज्जैनी सम्राट विक्रमादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ..
6. शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग) का प्रारंभ...
7. महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्‍थापना दिवस..
8. भगवान झूलेलाल का अवतरण दिन..
9. मत्स्यावतार दिवस..
10 - डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन  ।
🚩 नतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं...!!! इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है ।  चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं ।
🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है । ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है । महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक...दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की थी  ।
🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में #गुड़ीपड़वा की गिनती होती है ।  इसी दिन भगवान #राम ने बालि के अत्याचारी शासन से  प्रजा को मुक्ति दिलाई थी ।
🚩 नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों...???
🚩 भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।
🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यवहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है ।
🚩विक्रमी संवत किसी की संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है । हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं । यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है ।
🚩हमारी गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थों में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है ।
🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है । ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की । यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं ।
🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं । यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है ।  प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है । मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है ।
🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से उज्जैनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की । उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा ।
🚩महाराज विक्रमादित्य ने आज से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की । साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई । उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी  ।
🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की । सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया । इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक अथवा रोहण के रूप में मनाया गया ।
🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है । इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया ।
🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है । यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है । हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं ।
🚩कैसे मनाएं नूतन वर्ष...???
🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी  मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फहराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।
🚩 अब से सभी भारतीय संकल्प लें कि अंग्रेजों द्वारा चलाया गया नववर्ष(1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष) न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष मनाएंगे ।
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Tuesday, April 2, 2019

हमारा नया साल कौनसा है ? कवि ने कविता के माध्यम से बताया

🚩हमारा नया साल कौनसा है ? कवि ने कविता के माध्यम से बताया
02 अप्रैल 2019
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🚩जो भारतवासी अंग्रेजों के नये साल में एक-एक माह पहले ही बधाई देने के लिये लाईन लगाए हुए थे आज से ठीक तीन दिन बाद उन्हीं भारतवासियों का नया साल आ रहा है, लेकिन कोई भी भारतवासी मैसेज नहीं कर रहा है ।

🚩अंग्रेजों ने हमे कैसे मानसिक गुलाम बना लिया है इससे साफ पता चलता है कि आजादी मिले भले 72 साल हो गये हो लेकिन मानसिक गुलामी नहीं गई है क्योंकि भारतवासी खुद का नववर्ष भूल गए है और अंग्रेजो का नववर्ष बड़े हर्षोल्लास से मना रहे हैं ।
🚩कवि ने इसपर कविता लिखी है आप भी पढ़कर समझ जाएंगे कि हमें कौनसा नया साल मनाना है ?
ना पक्षियों की चहक, ना ही सुंदर-सुंदर फूलों की महक।
भयंकर ठिठुरती सर्दी में, जन जीवन भी सामान्य नहीं।।
01 जनवरी को नववर्ष, है ईसाई नववर्ष।
यह नहीं है हिन्दू संस्कृति,यह हमें मान्य नहीं।।
🚩ये नववर्ष हमारे संतों ने नहीं, पॉप ग्रिगोरी 13वें ने चलाया था।
जनवरी महीने का ये नाम, जानूस गॉड के नाम पर बनाया था।
क्यों मनाए हम ऐसा नववर्ष, जिसमें नहीं है कोई उत्कर्ष।
चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिपदा को, आओ मनाए हिन्दू नववर्ष।।
सुंदर मनोरम इस दिन को, वसंत ऋतु का आगमन होता है।
इस दिन वातावरण भी, विशेष सात्विकता संजोता है।।
पेड़ पौधे लहराते है, रंग बिरंगे सुंदर फूल महकते है।
देखकर प्रकृति की अनुपम सुंदरता, पक्षी भी चहकते है।।
🚩ब्रह्माजी ने इस दिन सृष्टि रचना की, सतयुग का आरंभ हुआ।
भगवान राम का राजतिलक हुआ, हिन्दू कालगणना का शुभारंभ हुआ।
करने को सृष्टि की रक्षा, भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ।
भगवान झूलेलाल का अवतरण हुआ, जिससे विश्व का उद्धार हुआ।
महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, पंजाब में इसे बैशाखी बुलाते हैं।
आंध्र, तेलंगाना में उगाडी, असम में बिहू नाम से मनाते हैं।।
06 अप्रैल को नववर्ष स्वागत में, आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ।
रंगोली बनाए, भजन संकीर्तन करें, घर घर भगवा पताका फहराए।।
🚩-कवि सुरेंद्र कुमार जी
🚩हिन्दू संस्कृति के अनुसार इस साल 6 अप्रैल 2019 को नूतन वर्ष आ रहा है । हिन्दू समाज पहले नूतन वर्ष बड़े धूम-धाम से मनाता था लेकिन दुर्भाग्य है कि अंग्रेजों ने अपना कैलेंडर रख दिया और इतिहास से वास्तविक नूतनवर्ष को गायब कर दिया जिसके कारण आज के हिन्दू भारत को गुलाम बनाने वाला नूतनवर्ष मना रहे हैं और अपना नूतनवर्ष भूल गए ।
🚩चैत्रे मासि जगद् ब्रम्हाशसर्ज प्रथमेऽहनि ।
-ब्रम्हपुराण
अर्थात ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी #आरंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।
🚩इस साल सभी भारतीयों को चैत्री शुक्ल प्रतिपदा को धूम-धाम से नववर्ष मनाना चाहिए, सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
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Monday, April 1, 2019

गौरक्षा के लिए सोशल मीडिया पर उठी आवाज, बोले बचालो गौमाता को

01 अप्रैल 2019
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🚩गौमाता देश की रीढ़ की हट्टी है  । हम सभी समझ सकते है कि अगर रीड की हड्डी टूट जाये तो क्या बेहाल होता है, इसलिए देश के जनता की रक्षा करने वाली गौमाता आज संकट में उनकी रक्षा करना जरूरी है ।
🚩आपको बता दें कि गुजरात के बनासकांठा जिला में वाव तहसील में एक गाँव मे सूखा आने के कारण करीब 60 गाये मर गई, सरकार या प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया जिससे जनता का गुस्सा फूटा और ट्विटर हैशटैग #ProtectCowProtectDharma के जरिये सरकार को बताया कि देशभर में  गाय माता की शीघ्र रक्षा करें ।

🚩आइये जानते है क्या लिखा जनता ने...
🚩1. रविकांत ने लिखा कि "गौहत्या करने वालों के खिलाफ तो किसी भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए, लेकिन गौरक्षकों को गोलियों से मरवाया । आज कम से कम प्यासी मरती गौमाता के लिए पानी, चारे का प्रबंध करे, यही सरकार से अनुरोध है ।  #ProtectCowProtectDharma  " https://t.co/plnBAWVzd6
🚩2. जीतू मकानी ने लिखा कि देश के सूखे इलाकों में गर्मी के मौसम में पानी की कमी के चलते देश में हजारों गायें मरती हैं  । सरकार को इस विषय में ठोस कदम उठाने चाहिए  । https://t.co/Q2b7ThG8qA
🚩3. गार्गी पटेल लिखती है कि हमारी आज़ादी के तब तक क्या मायने हैं जबकि हम हमारी गौ माता ही को जल तक न उपलब्ध करवा सकें । गौओं को भी जीने के लिए जल आधार है, अतः सरकार को उन्हें जल सुविधा दिलवाने हेतु ठोस कदम लेने चाहिये ।
https://t.co/119BWP6sIz
🚩4. नंद किशोर ने लिखते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि के बाद पशुपालन पर टिकी हुई हैं ।
कृषि में भी गौवंश का अहम योगदान हैं ।
अगर गाय ही नहीं रहे तो कृषि धंधा चौपट हो जाये ।
इसलिये सरकार के साथ जनसाधारण को भी गाय के चारे पानी की व्यवस्था करनी चाहिये ।
https://t.co/dCE5yW5oNE.
🚩5. प्रशांत सिंह लिखते हैं कि जीवन दायिनी गौमाता आज संकट के दौर से गुजर रही है अगर सरकार ने ठोस कदम नही उठाए तो गाय कहीं विलुप्त न हो जाएं ।
🚩6. नितिन शर्मा लिखते हैं कि देश मे जिस तरह #गौमाता_की_उपेक्षा हो रही है उससे न केवल सनातन संस्कृति का अपमान हो रहा है बल्कि सनातन संस्कृति को अंदर ही अंदर खोखला किया जा रहा है ।साथ ही #गौमाता_की_उपेक्षा करके प्राकृतिक आपदाओं को प्रत्यक्ष रूप से आमंत्रित किया जा रहा है । -@AsaramBapuJi
https://t.co/gE9OfTcQMA
🚩7. रेशु लिखती हैं गौओं प्रदत्त पदार्थों से मनुष्य को जीवन मिलता है । सभी का कर्तव्य है गौओं को जल व चारा सही मात्रा में उपलब्ध कराया जाए । ताकि अति महत्वपूर्ण गौ वंश रक्षित हो सके ।
#ProtectCowProtectDharma
🚩8. भगवाधारी हैंडल से बताया गया कि प्राचीन काल में मनुष्य की समृद्धि की गणना उसके पास गौसंख्या से की जाती थी ।
वर्तमान समय में गाय जल के अभाव में मौत के मुख में जा रही हैं ।
अत्यंत भयावह स्थिति ।
सरकार जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए ।
https://t.co/K12VRpWAyp
🚩9. जय चौधरी ने लिखा कि प्रशासन से निवेदन है कि इस तपती धूप में प्यास से अपने प्राण त्यागती हुई, गौ माता के लिए शहर और गांव के कम से कम एक मुहल्ले में एक पानी का प्याऊं बनवाये ताकि हमारे हिंदू धर्म से बहुत ही नजदीक से जुड़ी गौ माता की रक्षा हो सके । #ProtectCowProtectDharma
🚩10. दुर्दुन्दी हैंडल से लिखा गया है कि सरकार को ध्यान देना चाहिये भारतीय धर्म की रीढ़ गौ माता को जलाभाव या दूषित जल पीने से मृत्यु के मुख में जाना पड़ रहा है । अपनी गौ पूँजी बचाना सरकार का भी धर्म है । गौ माताओं को गर्मियों में पर्याप्त जल सुविधा दिलवाई जानी जरूरी है । https://t.co/47Qt6zLnFJ
🚩इस तरीके से रविवार को हजारों लोग ट्वीट करके गौरक्षा की मांग कर रहे थे, लेकिन मीडिया ने इस खबर को कहीं नहीं दिखाया, ऐसे लगता है कि मीडिया वही खबर दिखाती है जो पहले से उनके एजेंडे के तहत दिखाती है नहीं तो गौमाता की रक्षा के लिए हजारों लोग आवाज उठाएं और खबर न दिखाए ये कैसे हो सकता है?
🚩भारत देश में गाय का बड़ा योगदान रहा है और उसकी महत्ता भी भारी है  । गाय माता के दूध-दही-घी-मूत्र-गोबर से बने पंचगव्य से भयंकर बीमारियां भी ठीक हो जाती है, गाय के अंदर 33 करोड़ देवता का वास होता तभी तो भगवान श्री कृष्ण भी स्वयं गाये चराते थे, यहाँ तक बताया गया है की गाय के गोबर से जहाँ लीपन किया जाता है वहाँ अगर परमाणु बम भी गिरे तो भी उसकी असर नही होती है  । गाय की उपयोगिता के बारे में कितना भी लिखो वो कम है ।
🚩सरकार को चाहिए अब गौरक्षा के लिए गाय को राष्ट्रीय माता घोषित करें और उसकी रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करें ।
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