Sunday, July 14, 2019

मीडिया की तरह न्यायालय भी हिंदू विरोधी बन रही है?

14 जुलाई 2019
🚩जिस प्रकार से मीडिया का हिंदुओं के विरुद्ध एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाने लगा है ठीक उसी प्रकार अब ऐसा लगता है कि न्यायालय भी हिन्दू विरोधी फैसले देने लगा है और कानून का भी इस्तेमाल हिंदुओं के खिलाफ हथियार की तरह किया जा रहा है और इस हथियार की  चोट ऐसी है जिससे न्यायालयों की अस्मिता खतरे में है ।

🚩हमारा भारत देश एक धर्म प्रधान देश रहा है एक ऐसा देश जो सभी धर्म को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, एक ऐसा देश जहाँ अलग-अलग धर्मों के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं । क्या ये आज के परिवेश में सही है ? नहीं, हिंदुओं ने सदैव भाईचारे का कार्य किया लेकिन बदले में उसे क्या मिला ? उसकी मान्यताओं का गला घोंटा गया, उसकी आस्था पर प्रहार किया गया यहां तक कि अनेक प्रकार की धार्मिक स्वतंत्रता छीन ली गयी । मुस्लिम धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर कितने ही जीवों की हत्या करें, गौ माता को सरेआम काटें कोई कुछ नहीं बोलता, लेकिन जल्लीकट्टू को पशुओं के अधिकारों का हनन कह उसे बैन करते हैं । ईसाई, धर्म प्रचार के नाम पर कुछ भी करें तो कोई बुराई नहीं है, लेकिन हिंदुओं की मान्यताएं अन्धविश्वास कहलाई जाती है ।
🚩हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है और न्यायालय की भी इसमें भूमिका है। अब इस देश का न्यायालय ये तय करेगा कि दही हांडी की ऊँचाई कितनी हो, शिवरात्रि के दिनों में कितना जल चढ़ाया जाए, दीवाली में कब तक आतिशबाजी की जाए, ऐसे फैसले देने के लिए तो न्यायालय तत्पर है लेकिन तकरीबन 150 सालों से अटके हुए राम मंदिर के मुकदमें में कोई कार्यवाही नहीं हो रही ।

🚩अब तो इस देश का बच्चा-बच्चा भी जान गया होगा कि देश में हिन्दू और मुस्लिमों के बीच अयोध्या के जमीन को लेकर विवाद चल रहा है । पूर्व काल से ही उस जमीन पर श्री राम मंदिर था जिसे बाबर ने तोड़ मस्जिद बना दिया, विवाद गहराया कि उस स्थान पर मंदिर बनें या मस्जिद तो इस मामले को कोर्ट में डाला गया, लेकिन हमारी महान सुप्रीम कोर्ट का इस अत्यंत महत्वपूर्ण मामले में ढीलापन देखिए कि 10 साल तक उसे इस मामले में बेंच बनाने का समय भी नहीं मिला । जलीकट्टू के लिए समय है, दही हांडी की ऊंचाई पर फैसले देने का समय है, सबरीमाला पर फैसले देती है, याकूब मेमन जैसे आतंकी के लिए रात को 2 बजे कोर्ट खुलती है, रातों-रात फैसला आ जाता है, लेकिन अयोध्या विवाद के लिए ?
🚩पहली तारीख आयी 29 जनवरी, जिसमें एक जज को ही संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया गया, फिर कहा गया कि अब से दो महीने बाद हम तारीख देंगे कि अगली बेंच कब बनाई जाएगी और एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बीच में ही लटक गया । हद तो तब हो जाती है जब सुप्रीम कोर्ट के तथाकथित बुद्धिमान श्री राम के होने का प्रमाण मांगते हैं । श्रीराम नवमी की छुट्टी मनाने वाले जज ही श्री राम के होने का प्रमाण मांगते हैं ।
🚩दूसरा एक अहम मुद्दा कि जब सबरीमाला पर एक मुस्लिम महिला ने दावा किया कि वहाँ महिलाओं को प्रवेश की अनुमति हो तब आव देखा न ताव सीधा फैसला लिख दिया, लेकिन वहीं दूसरी ओर जब एक हिन्दू ने अर्जी डाली कि मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं को प्रवेश मिले तो न्यायालय कहता है कि जो पीड़ित है उसे सामने लाओ, यही बात क्यों सबरीमाला के समय याद नहीं आयी ?
🚩कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की सुनवाई के लिए याचिका दायर की तो 27 साल पुराना मामला बताकर खारिज कर दिया, लेकिन जो देश के लिए खतरा बने हुए है ऐसे रोहिंग्याओं के लिए याचिका पर सुनवाई करने के लिए कोर्ट स्वीकार कर लेता है ।
🚩न्यायालय की मनमानियों का यहीं अंत नहीं होता है, आगे गौर फरमाइयेगा कि हिन्दू संत जो समाज को जागरूक करते हैं, लोगों के जीवन में नई चेतना लाते हैं,  हिंदुत्ववादी लोग जो धर्म के लिए जीते और मरते हैं उनपर झूठे आरोप लगते हैं, उनके खिलाफ़ कोई सबूत नहीं, ऐसे सबूत जो चीख-चीख कर उन निर्दोषों की निर्दोषता को प्रमाणित करते हैं उन सबका गला घोंट कर नजरअंदाज कर दिया गया और समाज सेवा के बदले, धर्म की सेवा के इनाम में उन निर्दोषों को मिलती है जेल की सलाखें, लेकिन वहीं दूसरी ओर हमारी माननीय न्यायालय उदार हो जाती है उन पादरियों और मौलवियों के लिए जो बलात्कार जैसे घिनौने कार्य को अंजाम देते हैं, समाज में गंदगी फैलाते हैं और उन्हें छूट दे दी जाती है, शायद उनसे माननीय न्यायधीश का कोई पुराना रिश्ता निकल आता होगा ।
🚩हमारे देश में करोड़ों लोगों का विश्वास अब न्यायालय के फैसलों से उठता रहा है । आश्चर्य तो तब होता है जब सच को झूठ और झूठ को सच करार देते हुए, माननीय न्यायधीश के हाथ नहीं काँपते ? क्या इसलिए ही आपने न्याय का चोला पहना है ? अरे जिन न्यायलयों में आज तक अंग्रेजों की पोशाकें पहनी जाती है, उस अंग्रेज की पोशाक पहनने वालों से न्याय की गुंजाइश हो भी कैसे सकती है ।
🚩अब हम सबको एकत्र हो अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी ही होगी वरना वो दिन दूर नहीं जब न्यायालय हिन्दू धर्म को मानने पर ही रोक लगा दे और हिंदुओं का जीना दूभर हो जाए ।
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Saturday, July 13, 2019

राहुल गांधी को 8 दिन में 3 बार जमानत, लालू को जमानत, आसाराम बापू की खारिज

13 जुलाई 2019
🚩हमारे देश में एक कहावत का खूब प्रचलन है कि न्याय सबके लिए बराबर है, लेकिन आजकल के हालातों को देख ऐसा लगता है कि समान न्याय सिर्फ कहने की बात है ।
🚩कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी पर मुंबई, अहमदाबाद और पटना जैसी 3 जगहों पर मानहानि के केस चल रहे हैं, आठ दिन में तीनों न्यायालय में राहुल गांधी पेश हुए और तीनों अदालत ने जमानत दे दी।

🚩नेशनल हेराल्ड केस में 16 सौ करोड़ रुपये के घोटाले में भी सोनिया गांधी व राहुल गांधी को 2015 से जमानत मिली हुई है।
🚩मनी लॉन्ड्रिंग केस में रॉबर्ट वाड्रा को दिल्ली कोर्ट से जमानत मिल गई।
🚩900 करोड़ के चारा घोटाले के अपराधी लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाईकोर्ट से शुक्रवार को जमानत मिल गई, उनको पहले भी जमानत मिलती रही है।
🚩सलमान खान दारू पीकर गरीबों को कुचल देता है, निचली अदालत सजा सुनाती है, ऊपरी कोर्ट से 2 घण्टे में जमानत मिल गई।
🚩पादरी फ्रैंको पर 13 बार बलात्कार करने का आरोप है पर 24 दिन में ही जमानत मिल जाती है।
🚩आतंकवादीयों के हथियार रखने के मामले में संजय दत्त सजा काट रहा था फिर भी बार-बार पैरोल पर छोड़ दिया जाता था।
🚩दिल्ली के इमाम बुखारी पर 65 गैरजमानती वारंट जारी है पर पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाती है और न्यायलय इसपर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।
🚩इन सबको आसानी से जमानत हासिल हो जाती है, पर 85 वर्षीय वृद्ध हिंदू संत आसाराम बापू को जमानत नहीं मिल सकती, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी ।
🚩आपको बता दें कि बापू आसारामजी को उम्रकैद सजा सुनाई है पर मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार तो लड़की के शरीर पर एक खरोंच की भी पुष्टि नहीं होती है और ना ही कोई ऐसा एविडेंस है जो उनके खिलाफ हो, लड़की के कॉल डिटेल के अनुसार तो तथाकथित घटना के समय वह वहाँ थी ही नहीं और बापू आसारामजी भी किसी अन्य कार्यक्रम में व्यस्त थे उसके 50-60 लोग साक्षी भी है फिर भी उम्रकैद सुनाना और जमानत नहीं देना अपने आप में बड़ा आश्चर्य है। जबकि उनसे 50 करोड़ की फिरौती मांगी थी और मांग पूरी न करने पर उन्हें झूठे केस में फँसाने की धमकी भी दी गई, उसका प्रूफ भी है उनके पास।
https://youtu.be/gEjc3Fy5zd4
🚩बापू आसारामजी को जमानत न देने में कहीं उनके ये दोष तो आड़े नहीं आ रहे हैं?
🚩1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री दी, और हिंदू धर्म की महिमा बताई जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया ।
https://youtu.be/_ka7NT9QGkk
🚩2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।
https://youtu.be/Nyp9jwIMprg
🚩3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।
https://youtu.be/fQ7DtN1dc0Q
🚩4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया ।
🚩5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया और बालसंस्कार खुलवाए।
https://www.youtube.com/user/BaalSanskar
🚩6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया  ।
🚩7). वैलेंटाइन डे जगह "मातृ-पितृ पूजन दिवस" का प्रारम्भ करवाया  ।
https://www.youtube.com/playlist?list=PLiOv8vH9OCZn8cmUQCFX4uITvmn4LkxRr
🚩8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय, तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया  ।
https://www.youtube.com/playlist?list=PLiOv8vH9OCZnl4cJ8JrMXSxiWVSX4i4xV
🚩9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया  ।
🚩10). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा करोड़ों लोगों को व्यसन-मुक्त कराया  ।
https://youtu.be/1RXvQ3sK-00
🚩11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए।
https://youtu.be/d3oyaZtDUp4
🚩12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोठी पीठ के "शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी" बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया  ।
https://youtu.be/ph80RJD3kZQ
🚩बता दें कि सिकंदर उर्फ जीवाणु ने दाे मासूम बच्चियाें का बलात्कार किया, हत्या कर दी, कई जगह लूटपाट किया, उम्रकैद सजा मिलने के बाद भी जमानत मिल गई, जमानत मिलते ही फिर से अपराधी सिकन्दर ने मासूम बच्ची का बलात्कार किया।
🚩इतने संगीन जुर्म करने पर भी अपराधियों को जमानत देने वाली न्यायालय आसाराम बापू को जमानत नहीं दे रही है पता है क्यों ? क्योंकि वे हिंदू संत हैं, उनके अनुयायी सड़कों पर नहीं आयेंगे, विदेशी फंडेड बिकाऊ मीडिया उनके विरोध में है । सेक्युलर हिंदू मीडिया की बात मानकर उनकी खिल्ली उड़ायेंगे, कुछ हिंदूनिष्ठ लोग होंगे जो उनके लिए आवाज उठाएंगे पर वो आवाज दबा दी जायेगी ।
🚩अब आप ही देख लो कि समान न्याय अमल में लाया जा रहा है कि केवल बोला ही जा रहा?
🚩लगता है जो देश, धर्म व संस्कृति की रक्षा करते हैं और गरीब लोग हैं उनके लिए अलग न्याय है।
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Friday, July 12, 2019

पाकिस्तान में हिंदुओं पर कहर, 31 लड़कियों को कर लिया अगवा

12 जुलाई 2019
🚩ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 की रिपोर्ट कहती है कि 20 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी हिन्दू गुलामों की जिंदगी बसर कर रहे हैं, इनमें अल्पसंख्यकों की बड़ी तादाद है । जिनसे खेती-बाड़ी से लेकर घर तक के काम कराए जाते हैं । एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल करीब 1000 हिंदू और ईसाई लड़कियों (ज्यादातर नाबालिग) को मुसलमान बनाकर शादी करा दी जाती है ।

🚩पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं । हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं । यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है, श्मशान घाट तक नहीं है, हिन्दुओं की हत्याएं की जाती हैं । हिन्दुओं पर इतना अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है ।
🚩भारत में किसी एक मुस्लिम को थप्पड़ भी मार दिया जाए तो बुद्धिजीवी, मीडिया हल्ला करने लगती है एवं सरकार और न्यायालय तुरंत कार्यवाही करते हैं, पर बड़ी विडंबना है कि पाकिस्तान में लाखों हिन्दू भयंकर अत्याचार से गुजर रहे हैं, पर किसी के पेट का पानी तक नहीं हिल रहा है ।
🚩3 माह में 31 लड़कियां अगवा-
🚩पाकिस्तान में बहुसंख्यकों की ज्यादती अब असहनीय होने लगी है और लोग सड़कों पर उतर आए हैं । हफ्तेभर में तीन प्रदर्शन हो चुके है जिसमें हिन्दू, सिख और ईसाई एक साथ पाकिस्तान प्रेस क्लब के कार्यालय तक गए है और खुलकर आरोप लगाया कि हिन्दुओं का अब यहां रहना मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद घटनाएं थम नहीं रही है। धर्म परिवर्तन का दबाव बढ़ाने के लिए यह बदसलूकियां होने लगी है। तीन महीने में सिंध इलाके में 31 लड़कियों का अपहरण हुआ है। पुलिस तो मामला दर्ज नहीं करती और यह कहकर निरस्त कर देती है कि लड़की ने अपनी मर्जी से मजहब कबूल कर निकाह कर लिया। परेशान हिन्दू परिवार भारत आने लगे है, जैसे ही यह भनक लगती है उनकी संपत्ति को औने-पौने दामों में खरीदने का दबाव बनने लगा है। खबर यह भी है कि संपन्न हिन्दू परिवार भारत में पलायन करने लगे है।
🚩हैदराबाद (पाकिस्तान) में तीन दिन पहले एक डिप्टी (पुलिस ) की पत्नी गुरुद्वारे में घुसी। यहां सिक्खों को पूजा करने से रोका और उनको यह कहा कि उसकी नींद में खलल पड़ रही है। इस दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए महिला पुरुषों को यहां से बाहर निकलने को कहा। पुजारी को प्रताड़ित करने का यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
🚩पिछले हफ्ते सिंध में हिन्दू, सिक्ख और ईसाई संप्रदाय के सैकड़ों लोग एकत्रित हुए। उन्होंने रैली निकाली और सड़कों पर प्रदर्शन किया कि बहुसंख्यक उनके साथ में ज्यादती कर रहे हैं । अपहरण और बलात्कार की घटनाएं बढ़ने का आरोप लगाते हुए कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए है।
🚩थारपाकर इलाके में 37 भील परिवारों का एक साथ धर्म परिवर्तन करवाया गया। यहां एक मौलवी ने इन गरीब परिवारों के लिए शर्त रख दी कि उनको यहां रहना है तो धर्म बदलना होगा। इसको बाद में सावर्जनिक प्रदर्शन भी किया गया। स्त्राेत : पत्रिका
🚩कनाडा में फिर से सिंधियों का प्रदर्शन-
कनाडा में बसे सिंधी समुदाय की आेर से बड़े पैमाने पर पाकिस्‍तान का विरोध किया जा रहा है। कनाडा में बसे सिंधी, पाक में रहने वाली हिन्दु नाबालिग लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ प्रदर्शन करके पाक को लेकर अपना गुस्‍सा जता रहे हैं। तीन माह के अंदर इस मामले में कनाडा में यह दूसरा विरोध प्रदर्शन है और सिंधी समुदाय की ओर से लगातार जबरन धर्मांतरण के मसले पर कार्रवाई की मांग की जा रही है।
🚩लंदन में विरोध प्रदर्शन
पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के विरोध में सिंधी महिलाओं ने लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने प्रदर्शन किया था । यह प्रदर्शन अंतर्राष्ट्रीय सिंधी महिला संगठन (ISWO) के तत्वाधान में आयोजित किया गया था ।
🚩मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 प्रतिशत हिंदू देश छोड़ चुके हैं । धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं । 95 प्रतिशत हिंदू मंदिर नष्ट कर दिए गए हैं । हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं । हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों को जबरदस्ती उठाकर शादी कर लेते हैं और उनका धर्म परिवर्तन करवा देते हैं ।
🚩पाकिस्तान में केवल हिंदू मंदिरों को भी नष्ट कर उनके स्थान पर कारोबारी और अन्य तरह की गतिविधियां बढ़ाई जा रहीं और हिंदुओं पर हमले भी हो रहे हैं !
🚩भारत में मुस्लिमों को इतनी सुविधा मिलने के बाद भी लोग कहते हैं कि मुस्लिमों का शोषण होता है, मीडिया भी इसपर जोरों-शोरों से खबरें दिखाती है । पाकिस्तान के हिंदुओं की हालत नरक से भी बद्तर हो गई है अतः हमें उनके लिए आवाज उठानी चाहिए क्योंकि मीडिया, सेकुलर, वामपंथी इस खबर पर चुप रहेंगे ।
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Thursday, July 11, 2019

मीडिया बिकाऊ व देशद्रोही है, सस्ते में बिक जाती है - कंगना रनौत

11 जुलाई 2019
🚩इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है । मीडिया को लोकतांत्रिक व्यवस्था का चौथा स्तंभ भी कहा गया है क्योंकि इसकी जिम्मेदारी देश और लोगों की समस्याओं को सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर नजर रखना भी है, लेकिन आज पैसे और टीआरपी की अंधी दौड़ में एक तरफा झूठी खबरों को दिखाकर अपनी विश्वसनीयता खो रही है। इसके कारण आज समाज का हर वर्ग मीडिया की आलोचना जरूर करता है।

🚩अभी वर्तमान में अभिनेत्री कंगना रनौत ने मीडिया की खूब आलोचना की है और वह सही भी है और जरूरी है क्योंकि मीडिया की असलियत सामने आनी चाहिए । जो मीडिया की बांतों पर आँखें मूंदकर विश्वास करते हैं उनके लिए यह जानना खास जरूरी है कि मीडिया कितनी बेईमान है ।

🚩भारतीय मीडिया को लेकर अभिनेत्री कंगना ने कहा, "मीडिया का एक सेक्शन ऐसा है जो दीमक की तरह हमारे देश में लगा है और धीरे-धीरे देश की गरिमा, अस्मिता एवं एकता पर आए दिन अटैक करता रहता है..झूठी अफवाहें फैलाता रहता है । गंदे-भद्दे देशद्रोहिता के विचार खुले तौर पर सबके सामने रखता है । इनके खिलाफ हमारे संविधान में किसी भी तरह की न तो कोई पेनाल्टी है और न ही कोई सजा है । इस चीज से मुझे बहुत ज्यादा ठेस लगी और मैंने खुद से निर्धारित कर लिया कि ये जो दोगली मीडिया एवं बिकाऊ मीडिया है जो खुद को लिबरल कहती है सेकुलर कहती है और कुछ भी नहीं है जो दसवीं फेल है... ये लोग सूडो लिबरल हैं और ये लोग बिल्कुल भी सेकुलर नहीं हैं। अगर ये लोग सेकुलर होते तो हमेशा धार्मिक चीजों को लेकर देश की एकता पर प्रहार नहीं करते।"
🚩कंगना ने कहा, "ऐसे ही एक चिंदी से जर्नलिस्ट को मैं एक-दो दिन पहले एक प्रेस कांफ्रेंस में मिली। उसी की तरह बहुत सारे लोग हैं जो हमारे सीरियस इश्यूज को, विश्व पर्यावरण दिवस के दिन मैंने प्लास्टिक बैन को लेकर कैम्पेन किया था जिसमें मैंने प्लास्टिक के खिलाफ काफी कुछ एक्टिविटीज की थी, इस जर्नलिस्ट को मैंने उसकी खिल्ली उड़ाते हुए देखा। फिर मैंने काऊ स्लाटर के अगेंस्ट, एनीमल क्रूलिटी के अगेंस्ट कैम्पेन किया उसका भी ये मजाक उड़ा रहा था। एक शहीद पे मैंने फिल्म बनाई उसके नाम की खिल्ली उड़ा रहा था। और प्लीज आप...ये गौर तलब, इनके पास किसी भी तरह का कोई तर्क वितर्क समीक्षा या विचार नहीं है जो एक पत्रकार का हक़ है। उस तरीके से नहीं गाली गलौज से कुछ करके गंदी बातें लिखके, प्रोफेशनल ट्रोल्स जो हैं...मुफ्त का खाना खाने पहुंच जाते हैं ये हर जगह प्रेस कांफ्रेंस में।"
🚩कंगना ने आगे बताया कि "मेरे पास किसी भी तरह के देश द्रोही के लिए जीरो परसेंट टॉलरेंस है। तो तीन चार लोगों ने मिलकर मेरे खिलाफ एक कोई गिल्ड बनाई जो अभी शायद कल ही बनी है। उसकी कोई मान्यता ही नहीं है। तो उस गिल्ड के चलते लोगों ने मुझे धमकी देना शुरू किया है कि मुझे बैन कर देंगे या मुझे कवर नहीं करेंगे, या मेरा करियर बर्बाद कर देंगे। अरे नालायकों, देशद्रोहियों, बिकाऊ लोगों तुम लोगों को खरीदने के लिए लाखों भी नहीं चाहिए। तुम लोग तो इतने सस्ते हो कि पचास साठ रुपये में बिछ जाते हो ।
जो अपनी देश के साथ गद्दारी करते हैं, जिसमें खाते हैं उसी में छेद करते हैं।
🚩कंगना की बात सहीं है क्योंकि मीडिया पैसे और टीआरपी के लिए जो अंधी दौड़ लगा रही है उससे देश को काफी नुकसान हो रहा हैं, इसके चलते झूठी एवं पक्षपाती खबरे दिखा रही है जिसके कारण आज जनता का मीडिया पर से विश्वास उठता जा रहा है।
🚩मीडिया के कवरेज में काफी बदलाव आया है । कई बार ऐसा लगता है कि मीडिया व्यक्ति-केंद्रित हो चुका है । कुछ  नाटकीयता और अतिरंजना के साथ कार्यक्रम परोस कर दर्शकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है ।
🚩ऐसा लगता है कि मीडिया अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से भाग रहा है । सामाजिक खबरें कम दिखाई देती हैं । आजकल टीवी चैनलों पर नेता ही दिखाई देते हैं ।
🚩टीवी पर नेताओं के भाषणों और बयानों से ही समाचार के वक्त भरे रहते हैं, वहीं अखबारों में विज्ञापन ज्यादा और खबरें कम दिखाई देती हैं ।
🚩देश में बहुत सारी समस्याएं हैं, लेकिन मीडिया को शायद उनसे कोई सरोकार नहीं है । चाहे हम किसानों की आत्महत्या की बात करें या फिर गरीबों पर होने वाले अत्याचारों, मीडिया में ऐसे मामलों को गह देने में या तो कंजूसी दिखाई जाती है या फिर जरूरी संवेदनशीलता नहीं बरती जाती ।
🚩मीडिया सिर्फ शहरों की घटनाओं और समस्याओं को लेकर गंभीर दिखता है ।
शहरों में भी, मध्यवर्ग की समस्याएं ही उसे अधिक परेशान करती हैं । मसलन, बारिश से घंटे-दो घंटे भी यातायात जाम हो जाए तो टीवी चैनलों पर चीख-पुकार शुरू हो जाती है, मगर जिन इलाकों के लोग बरसों से पानी के लिए तरसते रहते हैं उनकी सुध नहीं ली जाती ।
🚩भारत में मीडिया का हमेशा हिंदू विरोधी रवैया रहा है । हमेशा एक तरफा खबर दिखाई है जैसे क़ि ओवैसी या जाकिर हुसैन हिन्दू देवी देवता के लिए बोले या भारत विरोधी बोले अथवा कोई मौलवी या ईसाई पादरी कितने भी बलात्कार करे, कन्हैया देश को तोड़ने की बात करे, लेकिन उस ओर कभी समाज का ध्यान केंद्रित नही करते और अगर करते हुए दिखते भी हैं तो उनके बचाव में । वहीं अगर कोई हिन्दू हिंदुत्व की बात करे तो उसको तोड़-मरोड़ कर विवादित बयान बना कर पेश किया जाता है कि जनता उनके विरुद्ध हो जाये ।
🚩भारतवासी ऐसे बिकाऊ और देशद्रोही मीडिया का बहिष्कार करना ही एकमात्र विकल्प है।
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Wednesday, July 10, 2019

मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश वाली याचिका खारिज, सबरीमाला में प्रवेश क्यों?

10 जुलाई 2019
🚩भारत में गिने-चुने 2-4 मंदिर ऐसे होंगे जिसमें महिलाओं का प्रवेश निषेध होगा क्योंकि मंदिर की ऐसी प्रथा प्राचीनकाल से चली आ रही है, उस पर तथाकथित बुद्धजीवियों को आपत्ति होती है, सेकुलर हिंदू व नेता हो हल्ला मचाने लगते हैं और मीडिया का तो बोलना ही क्या वो तो 24 घण्टे गले फाड़-फाड़कर चिल्लाने लगती है कि महिलाओं को भी मंदिर में प्रवेश मिलना चाहिए, समान अधिकार होना चाहिए, लेकिन जैसे ही पूरे देश में मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की बात आती है तब सब चुप हो जाते हैं । यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट या सरकार भी उसमे हस्तक्षेप नहीं करती है और ना ही मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी तथा सेक्युलरों को तो मानो साँप सूंघ जाता है । क्या मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की चिंता इस दोगली मीडिया को नहीं है ?
🚩आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने मस्जिदों में नमाज के लिये महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के लिये अखिल भारत हिन्दू महासभा की केरल इकाई की याचिका सोमवार को खारिज कर दी ।
🚩प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केरल उच्च न्यायालय के इस आदेश को सहीं ठहराया कि यह जनहित याचिका प्रायोजित है और 'सस्ते प्रचार के लिये इसका इस्तेमाल हो रहा है।
🚩केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील खारिज करते हुये पीठ ने सवाल किया, ''आप कौन हैं? आप कैसे प्रभावित हैं? हमारे सामने प्रभावित लोगों को आने दीजिये।
🚩अखिल भारत हिन्दू महासभा की केरल इकाई के अध्यक्ष स्वामी देतात्रेय साई स्वरूप नाथ ने जब न्यायाधीशों के सवालों का जवाब मलयाली भाषा में देने का प्रयास किया तो पीठ ने न्यायालय कक्ष में उपस्थित एक अधिवक्ता से इसका अनुवाद करने का अनुरोध किया।
🚩अधिवक्ता ने पीठ के लिये अनुवाद करते हुये कहा कि स्वामी याचिकाकर्ता हैं और उन्होंने केरल उच्च न्यायालय के 11 अक्टूबर 2018 के आदेश को चुनौती दी है।
🚩इस पर पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस तथ्य का उल्लेख किया है कि इस याचिका पर सुनवाई होने से पहले ही इसके बारे में मीडिया में खबरें थीं और यह प्रायोजित याचिका लगती है जिसका मकसद सस्ता प्रचार पाना है।
🚩पीठ ने कहा, ''हमें उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नजर नहीं आती है। याचिका खारिज की जाती है।
🚩पर यही सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला पर ये बातें याचिकाकर्ता से नहीं पूछती है सीधा प्रवेश का आदेश दे देती है, जबकि हजारों महिलाओं ने इसका विरोध किया फिर भी उनकी एक भी नहीं सुनी । जलीकट्टू पर भी रोक लगाने की और दही-हांडी पर रोक लगाने पर आदेश दे दिया तब याचिकाकर्ता को नहीं पूछा कि आप कौन हो? प्रभावित लोगों को आने दो ।
🚩भारतीय संविधान के अनुसार भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान हर नागरिक को समान मौलिक अधिकार भी देता है । पर वास्तव में ये सब कागज़ों तक ही सीमित है । बाकी हिंदुओं का कोई अधिकार दिखता ही नहीं है, दुनिया के किसी भी कोने में हिंदू चले जाएँ वहाँ प्रताड़ित ही होंगे ।
🚩महिलाओं का मस्जिद में प्रवेश धार्मिक मामले के अंतर्गत आता है, लेकिन हिन्दू धर्म की प्रथा, नियम, मान्यताओं पर न्यायालय द्वारा चोट किया जाता है । क्या हिंदुओं का अपना कोई धार्मिक अधिकार, स्वतंत्रता नहीं है ? आज ऐसे ही फैसलों के कारण जनता का विश्वास न्यायतंत्र से उठता जा रहा है ।
🚩हिंदुओं के साथ सदा भेदभाव होता आया है । एक तरफ तो भारत देश का संविधान बोलता है कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो क्यों केवल हिंदुओं की भावना और छवि से ही खिलवाड़ क्यों किया जाता है ? विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहे जाने वाले देश भारत में केवल हिंदुओं के साथ ही अन्याय क्यों होता है ? क्या यही लोकतंत्र है कि एक धर्म विशेष का निम्नीकरण होता रहे और बाकी धर्मों को विशेष लाभ एवं विशेष दर्जा मिलता रहे ? और निम्नीकरण भी कानूनी रूप से करना तो बहुत बड़ा अत्याचार है ।
🚩इसमें सबसे ज्यादा गलती हिंदुओं की है जो आपस मे एकता नहीं है, एक दूसरे को सहयोग नहीं करते है, अपने ही धर्मगुरुओं और हिंदू परम्पराओं की खिल्ली उड़ाते है, धर्म की रक्षा के लिए समय नहीं देते हैं, जात-पात में बंटे हैं, अगर हिंदू इसपर ध्यान दें तो हिंदुओं के पक्ष में सरकार, कानून और मीडिया आ जायेंगे, तथाकथित बुद्धजीवी हिंदुओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करेंगे।
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Tuesday, July 9, 2019

जोमैटो पर 55 हजार का जुर्माना, पनीर की जगह दिया चिकन

09 जुलाई 2019
🚩समय के अभाव और स्वाद लोलुपता के कारण आज लोग घर में भोजन कम बनाते हैं और बाजारू चीजें ज्यादा खा रहे हैं, उसमें भी जोमैटो एवं मैकडोनाल्ड जैसी नामी कम्पनियों के नाम से तो कोई भी चीज बिना देखे ले लेते हैं, लेकिन ये आपका ही नुकसान कर सकती है, क्योंकि ये कंपनियां कई बार तो बासी या मांसाहार परोस देते हैं इसलिए अपने घर का शुद्ध खाना ही खाएं । ऐसी कम्पनियों का खाने से आपका स्वास्थ्य भी बिगड़ेगा एवं पैसे की भी बर्बादी होगी।

🚩आपको बता दें कि एक उपभोक्ता अदालत ने फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो और एक होटल पर शाकाहारी व्यंजन की जगह मांसाहारी व्यंजन वितरित करने पर 55 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है । मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता अदालत ने जोमैटो को 45 दिनों के भीतर शहर के वकील षणमुख देशमुख को जुर्माने की राशि देने का निर्देश दिया, जिन्हें न केवल एक बार, बल्कि दो बार मांसाहारी व्यंजन दिया गया था।
🚩उन्होंने पनीर बटर मसाला मंगवाया था, लेकिन उन्हें बटर चिकन भेजा गया।
चूंकि दोनों ग्रेवी वाले व्यंजन होते हैं, उन्हें पता नहीं चला और उन्होंने उसे पनीर समझ कर खा लिया।
🚩होटल ने हालांकि अपनी गलती मान ली।
जोमैटो और होटल को सेवा में चूक के लिए 50 हजार रुपये और मानसिक उत्पीड़न के लिए शेष राशि का भुगतान करने के निर्देश दिया गया है। http://dhunt.in/6uiE9?s=a&ss=wsp
🚩जोमैटो ही नहीं अमेरिकी फास्ट फूड कंपनी मैकडोनाल्ड (McD ) के पिज्जा, #क्रंचीबिट्स और मैकफ्लरी के क्रीमी ओरियो टॉपिंग या फिर चॉकलेटी मैक स्वर्ल का नाम सुनते ही आपके मुंह में भी पानी आ जाता है । अगर आप इसके किचन को देख लें तो शायद आप कभी इन्हें नहीं खाएंगे । आपके ये फेवरेट जंक फूड जिस मशीन में बनते हैं वो इतनी गंदी होती हैं कि इन्हें देखने के बाद आप यहां के खाने की तरफ देखेंगे भी नहीं । इन्हें बनाने वाली मशीनों को देखकर आप इन्हें खाने का ख्याल छोड़ देंगे । पिछले दिनों में एक वर्कर ने ट्वीट करके ये बात बताई भी थी।
🚩बता दें कि मार्च 2017 में कलकत्ता ब्रांच McD के खाने में मरी हुई छिपकली मिली थी तो आप ऐसे होटल में भोजन या ऐसे जंक फूड खाते है तो सावधान रहिए, अपने घर मे बने शुद्ध भोजन ही करिये और स्वस्थ रहिए।
दूसरी और महत्वपूर्ण खबर मोबाइल फ़ोन पर गेम खेलने की लत से जुड़ा हुआ है...
🚩PUBG ना खेल पाने के गम में 17 वर्षीय लड़के ने की आत्महत्या-
पबजी मोबाइल गेम की वजह से एक और लड़के ने आत्महत्या करके अपनी जान दे दी। इस बार यह दुःखद घटना हरियाणा के जींद इलाके की है। हरियाणा के जींद में स्थित शिवपुरी कॉलोनी में शनिवार को ये घटना हुई है। हरियाणा पुलिस में एएसआई सत्यवान का 17 वर्षीय बेटा तरसेम ने पबजी ना खेल पाने के गम में आत्महत्या कर ली।
🚩क्षेत्रीय थाना प्रभारी के मुताबिक मौत की वजह लड़का का आत्महत्या करना ही है। उन्होंने कहा कि लड़के को मोबाइल में पबजी खेलने का नशा इतना ज्यादा हो गया था कि घर वालों के मना करने पर उसने अपनी जान देना ठीक समझा। आपको बता दें कि यह कोई पहली घटना नहीं है जब पबजी ना खेल पाने की वजह से किसी ने आत्महत्या कर ली हो। इससे पहले भी ऐसे कई मामले देशभर से सामने आ रहे हैं।
🚩ड्रग्स जैसा पबजी का लत-
पबजी गेम बच्चों और युवाओं में एक ड्रग्स की लत जैसा रूप लेता जा रहा है। जिस तरह ड्रग्स लेने वालों को ड्रग्स ना मिलने पर वो अपनी जान तक गवां देते हैं ठीक उसी तरह पबजी गेम का नशा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने पर युवा, टीनऐजर्स और बच्चे अपने-आप को मार देना ठीक समझते हैं। यह वाकई में सोचने और विचार करने वाली बात है। अगर आपके घर में भी कोई बच्चा, युवक इस तरह के किसी भी लत का आदी बनता जा रहा है तो उसे ठीक तरीके से समझाएं और उस आदत से बाहर निकालने की कोशिश करें। http://dhunt.in/6uWZa?s=a&ss=wsp
🚩आपको बता दें कि दुनिया के सबसे अमीर शख्सियतों में शुमार बिल गेट्स ने अपने बच्चों को 14 साल की उम्र तक मोबाइल नहीं दिया था ।
🚩इसी तरह एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स ने बताया था कि उन्होंने अपने बच्चों को कभी भी आईपैड इस्तेमाल नहीं करने दिया था । ये दो उदाहरण सिर्फ इसलिए हैं ताकि आप यह जान सकें कि मोबाइल दुनिया की सबसे जरूरी वस्तु नहीं है । आप अपने बच्चों का विकास चाहते हैं तो उनको मोबाइल, टीवी और इंटरनेट से दूर रखें।
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Monday, July 8, 2019

इसबार बजट में मोदी सरकार ने कितना पैसा दिया मुसलमानों को?

08 जुलाई 2019
🚩विश्व में करीब 172 देश ईसाईयों के हैं और 58 देश मुसलमान के हैं पर हिंदुओं का एक भी देश नहीं है । जबकि सृष्टि का उद्गम हुआ तो केवल सनातन (हिंदू) धर्म ही था । पर 2018 साल पुराने ईसाई धर्म ने 172 देश बना लिए और 1400 साल पुराने इस्लाम धर्म ने 58 देश बना लिए, लेकिन सनातन धर्म आज सिकुड़कर रह गया है, एक भी देश हिंदू धर्म को मानने वालों का नहीं है क्योंकि हिंदुओं में एकता नहीं है, दूसरा सेक्युलरवाद, तीसरा सभी अपने-अपने निजी कार्यों में लगे रहते हैं पर धर्म के बारे में नहीं सोचते हैं और ना ही धर्म के लिए कार्य करते हैं, अपने ही धर्मगुरुओं व देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते हैं । इसके कारण आज दुनिया के देशों में और भारत में हिंदुओं की उपेक्षा की जा रही है फिर भले हिंदूवादी सरकार ही क्यों न हो ।

🚩इसबार बजट में भी ऐसा ही कुछ लग रहा है, जिसमें बहुसंख्यक हिंदुओं की अनदेखी हुई लगती है और अल्पसंख्यकों के लिए सुविधाएं दी जा रही है ।
🚩विदित हो कि मुसलमानों का विश्वास जीतने और उनके विकास के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने तमाम वादे किये थे। चुनावों में जीत के बाद मोदी ने अपनी प्राथमिकताओं में अल्पसंख्यकों का नाम लिया। इस बार पेश हुए बजट में मोदी सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को लेकर तमाम चिंताओं का ध्यान रखा गया है और मुस्लिमों के लिए भारी भरकम राशि आबंटित की गई है।
🚩प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत की केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पेश बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के आबंटन में पिछली बार की तरह इस बार भी 4700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है । पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट के अनुसार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए 4700 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है । इससे पहले 2018-19 के आम बजट में मंत्रालय के लिए आबंटन में 505 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी कर 4700 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया था।
🚩वहीं इस बार पेश हुए बजट से ये साबित हुआ है कि नरेंद्र मोदी सरकार ज्यादा मुसलमान IAS और IPS चाहती है । इस बार के बजट में मोदी सरकार में IAS और IPS की परीक्षा देने वाले अल्पसंख्यक छात्रों के लिए बजट में काफी बढ़ोत्तरी की है । मुस्लिम छात्रों को सस्ती कोचिंग उपलब्ध करवाने के लिए पिछली बार मात्र 8 करोड़ रूपये की धनराशि आबंटित की गई थी, लेकिन इस बार यही धनराशि बढ़ा कर 20 करोड़ कर दी गई है । ध्यान देने योग्य है कि IAS और IPS पदों के लिए पिछले 2 वर्षो से 50-50 अल्पसंख्यक छात्र चुने गये हैं जो पहले 30 के आस पास हुआ करते थे। - स्त्रोत: सुदर्शन न्यूज़
🚩आपको बता दें कि भारत में मुसलमानों को अल्पसंख्यक बोला जाता है बल्कि दुनिया में इनके 58 देश हैं । जिसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय की संख्या इंडोनेशिया में है एवं दूसरे नंबर पर भारत में है । फिर अल्पसंख्यक कहाँ से हुए ? दूसरी बात भारत के ही 8 राज्यो में हिंदू अल्पसंख्यक बन गए हैं और उनको अल्पसंख्यक की कोई भी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, ये कैसा भारत में दोगलापन है ?
🚩एक तरफ तो जिन मुस्लिम देशों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं उनको प्रताड़ित किया जाता है, उनके घर-दुकानें जला दिए जाते हैं, प्रोपर्टी हड़प ली जाती है, बेटियों को उठाकर ले जाते हैं, मंदिर तोड़ दिए जाते हैं। यहाँ तक कि श्मशान में मुर्दा जलाने के लिए भी दिक्कतें आती हैं और यहाँ भारत में जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे नंबर पर मुसलमान है जिनको अनेक सुख-सुविधाएं दी जा रही हैं और हिंदुओं की उपेक्षा की जा रही है।
🚩IAS के एग्जाम में अचानक मुसलमानों की बाढ़ क्यों आ गयी है ?
पिछले 4-5 सालों से कश्मीरी मुस्लिम युवक UPSC में बहुत सेलेक्ट हो रहें, इसका कारण जानना चाहा क्योंकि कश्मीरी ही नहीं बल्कि पूरे भारत से मुस्लिम युवक भी बड़ी मात्रा में upsc की बाजी मार रहें पहले इनका चयन % कम था ।।
🚩इससे आप समझने की कोशिश करियेगा
जो मुस्लिम उर्दू साहित्य mains में रखेगा जाहिर है हिन्दू उर्दू नहीं पढ़ते, उन्हें जाँचने वाला भी मुस्लिम ही होगा और वो चाहेगा उसकी कौम का बन्दा अधिकारी बने ताकि बाद में प्रेशर ग्रुप बना सकें पूरी सरकार पे, ये उर्दू के माध्यम से UPSC जैसी परीक्षाओं में मुस्लिम और कश्मीरी युवकों को देश के उच्च पदों पर बैठाने की साज़िश है जिससे जब भी हिन्दू मुस्लिम गृह युद्ध हो ये कट्टर मुल्ले अपनी कौम का साथ दें और ओवैसी जैसे लोग इनको आसानी से अपने कब्जे में कर सके।
🚩सरकार को चाहिए कि UPSC, IAS, IPS जैसी उच्च पद की परीक्षाओं को केवल हिंदी जो कि राष्ट्रभाषा है और english जो कि इंटरनेशनल भाषा और कार्य भी ज्यादातर इसमें ही होता है इसलिए इन्हीं 2 भाषाओं में परीक्षा करवाएं न कि रीजनल भाषा में । जिससे भविष्य के भारत को देश भक्त पदाधिकारी मिले न कि देशद्रोही और सरकार को झुकाने वाले । आखिर इतने ऊँचे पद पर जाने वाले अधिकारियों को कम से कम हिंदी और अंग्रेजी का ज्ञान तो होना ही चाहिए क्यों कि भविष्य में उर्दू में किसी भी आफ़िस में काम नहीं होगा फिर उर्दू की जरूरत क्या है ? ये अधिकारी किसी मदरसे में तो पढ़ाने नहीं जाएंगे । मोदी जी कृपया सोचिये और समय रहते उर्दू भाषा को UPSC exam से बाहर कीजिये और हिंदी भाषा को बढ़ावा दीजिये ।
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