Friday, July 3, 2020

विदेशियों की विवशता और भारतवासियों की महामूर्खता...

03 जुलाई 2020

🚩विश्व की सबसे प्राचीन और महान संस्कृति अगर है तो "भारतीय सनातन संस्कृति" जिसको "हिंदू संस्कृति" भी कहते हैं। 

विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता भारत में ही मिली है। संसार का सबसे पुराना इतिहास भी यहीं पर उपलब्ध है। हमारे ऋषियों ने उच्छृंखल यूरोपियों के जंगली पूर्वजों को मनुष्यत्व एवं सामाजिक परिवेश प्रदान किया, इस बात के लाखों ऐतिहासिक प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं।

🚩यूनान के प्राचीन इतिहास का दावा है कि भारतवासी वहाँ जाकर बसे तथा वहाँ उन्होंने विद्या का खूब प्रचार किया। यूनान के विश्वप्रसिद्ध दर्शनशास्त्र का मूल भारतीय वेदान्त दर्शन ही है।

🚩यूनान के प्रसिद्ध विद्वान एरियन ने लिखा हैः 'जो लोग भारत से आकर यहाँ बसे थे, वे कैसे थे ? वे देवताओं के वंशज थे, उनके पास विपुल सोना था। वे रेशम के दुशाले ओढ़ते थे और बहुमूल्य रत्नों के हार पहनते थे।'

🚩एरियन भारतीयों के ज्ञान, चरित्र एवं उज्ज्वल-तेजस्वी जीवन के कारण उन्हें देवताओं के वंशज कहता है। यहाँ पर उसने भारतीयों के आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास को स्पष्ट किया है।

लेकिन महान भारतीय संस्कृति को छोड़कर भारतीय लोग पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करके कितने मूर्ख बन रहे है वे भी जान लीजिये।


🚩1. आठ महीने ठण्ड पड़ने के कारण कोट पेंट पहनना विदेशियों की विवशता और शादी वाले दिन भरी गर्मी में कोट - पेंट डालकर बारात लेकर जाना हमारी मूर्खता ।

🚩2. ठण्ड में नाक बहते रहने के कारण टाई लगाना विदेशियों की विवशता और दूसरों को प्रभावित करने के लिऐ जून महीने में टाई कसकर घर से निकलना हमारी मूर्खता ।

🚩3. ताजा भोजन उपलब्ध ना होने के कारण सड़े आटे से पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि खाना यूरोप की विवशता और 56 भोग छोड 400/- की सड़ी रोटी (पिज्जा ) खाना हमारी मूर्खता ।

🚩4. ताजे भोजन की कमी के कारण फ्रीज का इस्तेमाल करना यूरोप की विवशता और रोज दो समय ताजी सब्जी बाजार में मिलनें पर भी हफ्ते भर की सब्जी मंडी से लेकर फ्रीज में ठूसकर सड़ा-सड़ा कर खाना हमारी मूर्खता ।

🚩5. जड़ी बूटियों का ज्ञान ना होने के कारण... जीव जंतुओं के हाड़मांस से दवाएं बनाना उनकी विवशता और आयुर्वेद जैसा महान चिकित्सा ग्रंथ होेने के बावजूद हाड़मांस की दवाइयां उपयोग करना हमारी महामूर्खता ।

🚩6. पर्याप्त अनाज ना होने के कारण जानवरों को खाना उनकी विवशता और 1600 किस्मों की फसलें होनें के बाबजूद जीभ के स्वाद के लिए किसी निर्दोष प्राणी को मारकर उसे खाना हमारी मूर्खता ।

🚩7. लस्सी, दूध, जूस आदि ना होने के कारण कोल्ड ड्रिंक को पीना उनकी विवशता और 36 तरह के पेय पदार्थ होते हुए भी कोल्ड ड्रिंक नामक जहर को पीकर खुद को आधुनिक समझ कर इतराना हमारी महा मूर्खता ।

🚩8. टाइट कपड़े पहनने के कारण जमीन की जगह कुर्सी पर बैठ कर भोजन करना उनकी विवशता और हमारी मूर्खता ।

🚩9. न बोल पाने की असमर्थता के कारण उनका संस्कृत ना बोलना और जोड़-तोड़ वाली अंग्रेजी से काम चलाना और दूसरी ओर अपनी महान संस्कृत से विमुख होकर अंग्रेजी बोलने का प्रयास करना हमारी मूर्खता ।

🚩10. असभ्य, लालची और स्वार्थी स्वभाव के कारण अपने माँ बाप से अलग रहना । ये उनका दुर्व्यवहार अपने में लाना हमारी मूर्खता ।

🚩क्या ये भारतीयों को शोभा देता है..???

🚩भारत महान था , महान है ,
किंतु महान तब रहेगा जब देशवासी ऐसी महामूर्खताओं को त्याग कर अपने देश की महानता को समझेंगे ।

🚩15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की बाह्य गुलामी तो दूर हुई लेकिन अंग्रेजी भाषा की, उनके विचारों की गुलामी तो हमारे दिल-दिमाग में घुसी हुई है । अतः अपनी वैदिक संस्कृति, अपने देश की जलवायु और रीति-रिवाजों के अनुसार स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक जीवन और आत्मिक उन्नति करानेवाली भारत की महान संस्कृति का आदर करना चाहिये, लाभ लेना चाहिए । अंग्रेजी कल्चर का दिखावटी जीवन भीतर से खोखला कर देता है । संयमी, सदाचारी और साहसी भारतीय संस्कृति के सपूतों को अपनी मिली हुई आजादी को सावधानी से सँभाले रखना चाहिये ।

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Thursday, July 2, 2020

पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं को किया जा रहा है भयंकर प्रताड़ित...

02 जुलाई 2020

🚩द हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (एचएएफ) ने दक्षिण एशिया में हिंदुओं और प्रवासियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट (यह रिपोर्ट 2017 की है) में कहा कि, समूचे दक्षिण एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यक विभिन्न स्तरों के वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीड़न के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं।

🚩जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हिन्दू महिलाएं खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे देशों में अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों का सामना करती हैं। कुछ देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां ज्यादातर लोग भेदभावपूर्ण और अलगाववादी एजेंडा चलाते हैं जिसके पीछे अक्सर सरकारों का मौन या स्पष्ट समर्थन होता है।’’

🚩अपनी रिपोर्ट में एचएएफ ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और पाकिस्तान को हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का भीषण उल्लंघनकर्ता माना है। भूटान और श्रीलंका की पहचान गंभीर चिंता वाले देशों के तौर पर की गयी है। रिपोर्ट में भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।

🚩बांग्लादेश : 10 मंदिरों पर हुआ हमला

🚩बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले महीने यानी मई 2020 में ही हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाली कई घटनाएं सामने आई हैं, जो सोचने पर मजबूर तो करती ही है, साथ ही वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की दयनीय व्यथा को भी बयां करती है। वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन बांग्लादेश चैप्टर (World Hindu Federation – Bangladesh Chapter) द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार मई 2020 में ही हिंदुओं के 10 मंदिरों को तोड़ दिया गया। मूर्तियों को क्षत-विक्षत कर दिया गया।

🚩प्रेस रिलीज के मुताबिक 3 मई 2020 को दिनाजपुर नगरपालिका क्षेत्र में एक लाख टके का भुगतान न करने पर लोकल क्रिमिनल मामून और उसके गिरोह ने पूर्ण चंद्र रॉय के घर एवं मंदिर पर हमला किया और नष्ट कर दिया।

🚩4 मई 2020 को सुबह के लगभग 3 बजे चटगाँव के लोहगारा में शांति बिहार में 40 हथियारबंद लोगों ने मंदिर पर हमला किया। उपद्रवियों ने मंदिर की खिड़कियाँ, दीवारें और बुद्ध की मूर्ति को तहस नहस कर दिया।

🚩इसके बाद 5 मई 2020 को नेत्रकोना जिले के दुर्गापुर उपजिला के बकलजोरा यूनियन में उपद्रवियों ने कुमुदगंज बाजार काली मंदिर की मूर्ति को खंडित कर दिया।

🚩उपद्रवियों ने 8 मई 2020 को सिराजगंज जिले के बेलकुची चावला में जिधुरी साह पारा मंदिर की मूर्तियों को तहस नहस कर दिया। सिराजगंज जिले डब्ल्यूएचएफ बांग्लादेश चैप्टर के नेताओं ने मंदिर का दौरा किया और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की माँग की।

🚩9 मई 2020 को रात में बदमाशों ने नेत्रकोना जिले के कलमाकंद उपजिला के नागदरा गाँव में 100 साल पुरानी काली मंदिर की मूर्ति के साथ बर्बरता की।

🚩10 मई 2020 को सुनामगंज जिले के छतक नगर पालिका के टाटीकोना गाँव में फेसबुक पर टिप्पणी करने को लेकर आतंकवादियों ने हिंदू परिवारों पर हमला किया और उनके घरों एवं मंदिरों को नष्ट कर दिया। इस हमले में कम से कम 10 लोग घायल हो गए। घायल व्यक्तियों की पहचान तापस दास (30), शिप्लू दास (28), पाब्लू दास (32), पिपलू दास (26), सुमन दास (28), रतुल चौधरी (31), शिमला दास (28) और अन्य के रूप में हुई।

🚩11 मई 2020 को उपद्रवियों ने लालमोनिरहाट जिले के चपरहट इमेंद्रघाट में प्रसिद्ध श्री श्री माँ बिदवेश्वरी मंदिर की मूर्ति के साथ तोड़ फोड़ की।

🚩12 मई 2020 को लगभग 1 बजे, अपराधियों के एक समूह ने निलफामारी सदर अपजिला में दक्षिण हरो राधागोबिंद मंदिर का ताला तोड़ने और मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की। हालाँकि, स्थानीय लोगों ने उनका पीछा किया और उनमें से एक को पकड़ लिया और उसे सदर पुलिस स्टेशन को सौंप दिया।

🚩13 मई 2020 को ही उपद्रवियों ने रंगमती जिले के श्री श्री मगादेश्वरी मंदिर में मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की और मंदिर के दान पेटी से पैसे चुरा लिए।

🚩13 मई को ही चोरों ने पीछे की दीवार को तोड़कर सुइहारी में क्षत्रिय समिति के पर्थ सारथी मंदिर में प्रवेश किया और मंदिर के आभूषण और अन्य कीमती सामान चुरा लिया।


🚩पाकिस्तान में 102 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन

🚩पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक बार फिर से बड़ी संख्या में हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक सिंध प्रांत के बाडिन जिले के अंतर्गत आने वाले गोलेरची में 102 हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया है।

🚩टाइम्स नाऊ के अनुसार, इन 102 हिंदुओं में पुरुष, महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। इतना ही नहीं यहां के स्थानीय मंदिर में रखी गई हिंदू देवताओं की सभी मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया और उसे मस्जिद में बदल दिया गया।

🚩17 मई को सिंध प्रांत में हिंदुओं ने दावा किया था कि तबलीगी जमात के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया, उनके घरों में तोड़फोड़ की और इस्लाम कबूल नहीं करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण भी कर लिया।

🚩तबलीगी जमात के अपहरणकर्ता उक्त लड़के को छोड़ने के लिए रुपए-पैसे की माँग नहीं कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर अपहृत लड़के का परिवार इस्लाम अपना लेता है तो उसे छोड़ दिया जाएगा। लेकिन, परिवार इसके लिए तैयार नहीं था।

🚩पाकिस्तान की हिन्दू महिला को जमीन पर गिर कर रोते हुए देखा जा सकता है, जहां वो अपने बेटे की रिहाई के लिए गुहार लगा रही हैं। महिला के आसपास हिन्दू समाज के अन्य लोग खड़े हैं, जो हाथों में पोस्टर लेकर वहां के मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

🚩एक अन्य वायरल वीडियो में वही महिला कहती दिख रही है कि वो मृत्यु को अंगीकार करेंगी लेकिन कभी इस्लाम नहीं अपनाएगी। महिलाओं और बच्चों ने हाथ में पोस्टर रखा था, जिसमें लिखा था, “हम मरना पसंद करेंगे लेकिन कभी भी इस्लाम में परिवर्तित नहीं होंगे।”

🚩प्रदर्शनकारियों की ओर से बोलते हुए, एक महिला ने कहा कि उनकी पिटाई की गई, उनकी संपत्तियों को जबरन ले लिया गया और घरों को नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर वे अपने घरों को वापस लेना चाहते हैं तो उन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए कहा जा रहा है। पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों से हिंदुओं और ईसाइयों के उत्पीड़न की खबरें लगभग नियमित रूप से आती रहती हैं।

🚩यह चिंता की बात है कि विदेशों में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन  वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

🚩नागरिक संशोधन विधेयक पर कुछ मीडिया, नेता, वामपंथी, सेक्युलर हल्ला मचा रहे है पर इन देशों में हिंदुओं पर इतना अत्याचार हो रहा है इसपर इनकी जुबान खुलती नही है। अब भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र को इसमे हस्तक्षेप करके उनको सुरक्षा प्रदान करना चाहिए।

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Wednesday, July 1, 2020

भारत के इतने महान वैज्ञानिकों को शायद आप भी नहीं जानते होंगे..

01 जुलाई 2020

🚩पाश्चात्य वैज्ञानिकों के बारे में विश्व के अधिकांश लोगों को काफी अच्छी जानकारी है, विद्यालयों में भी बहुत ही जोर-शोर तथा उत्साह के साथ इन वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ाया जाता है, परन्तु बहुत ही खेद की बात है कि भारत के महान वैज्ञानिकों के संसार तो क्या, यहाँ तक की भारत के लोगों को भी जानकारी नहीं होगी ।

🚩ऐसे तो दुनिया की बेहतरीन चीजों के आविष्कारकों के रूप में कई विदेशी वैज्ञानिकों के नाम सुनने में आते हैं, परन्तु यह अटल सत्य है कि इन अविष्कारकों के काफी वर्ष पहले ही हमारे भारतवर्ष के महान ऋषि वैज्ञानिकों ने कई अविष्कार कर दिए थे ।
जैसे :-
🚩(1) आर्यभट्ट :- आर्यभट्ट ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने न्यूटन से कई वर्ष पहले ही गति के 3 नियमों को प्रतिपादित कर दिया था, उनकी ये खोज भले ही आज दुनिया के सामने किसी और के नाम से आ रही हो, किन्तु शून्य की खोज ने उन्हें गणित के इतिहास में अमर बना दिया ।

🚩(2) सुश्रुत :- महर्षि सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक कहे जाते हैं । आचार्य सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता नाम के एक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमें 125 तरह के उपकरण तथा 300 प्रकार के ऑपरेशनों का वर्णन है ।

🚩(3) आचार्य कणाद :- परमाणु संरचना पर प्रकाश डालने वाले सर्वप्रथम वैज्ञानिक, जिन्होनें डाल्टन से भी पहले परमाणु का सिद्धांत प्रस्तुत किया ।

🚩(4) भास्कराचार्य :- गैलिलियो से सैकड़ों वर्ष पहले गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की ।

🚩(5) बौधायन :- ज्यामिति के कई प्रमुख नियमों का प्रतिपादन किया, पाईथागोरस प्रमेय का प्रतिपादन सबसे पहले इन्होने ही किया था, उस समय ज्यामिति को "शाल्व शास्त्र" कहा जाता था ।

🚩ऐसे ही एक महान वैज्ञानिक तथा रसायनज्ञ थे “ नागार्जुन” । आज के विद्यार्थी रसायन शास्त्र तो पढ़ते हैं, किन्तु रसायनशास्त्र के इतने बड़े वैज्ञानिक का नाम शायद ही किसी ने सुना होगा । नागार्जुन भारत के धातुकर्मी तथा रसशास्त्री थे । उन्हें पारा तथा लोहा के निष्कर्षण का ज्ञान था । लोहे को रासायनिक विधियों द्वारा सोने में परिवर्तित करने की विधि का ज्ञान उन्हें था ।

🚩नागार्जुन जी ने “रस रत्नाकर” नामक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमे चांदी, सोना, टिन और ताम्बे की कच्ची धातु निकालने तथा उसे शुद्ध करने के प्रयोगों का वर्णन है । हीरे, धातु और मोती को घोलने के लिए उन्होंने वनस्पति से बने तेजाबों का सुझाव दिया । इस पुस्तक में विस्तारपूर्वक दिया गया है कि अन्य धातुओं को सोने में कैसे बदला जा सकता है ।

🚩ऐसे थे भारत के महान वैज्ञानिक । आश्चर्य है न कि बिना किसी उन्नत साधन के इतनी सरलता से इतने बड़े-बड़े खोज और अविष्कार कैसे कर लेते थे किन्तु यह बात तो यथार्थ सत्य है कि भले उनके पास यंत्रों की स्थूल शक्ति नहीं थी किन्तु उनके पास मन्त्रों की सूक्ष्म शक्ति जरुर थी । आज भी भौतिक जगत में उन्नत व्यक्तियों का आधार आध्यात्म ही है ।

🚩आध्यात्म तो सारी चीजों का, सारी सफलताओं का आधार है । जो आध्यत्मिक जगत में जितना अधिक मजबूत होगा, भौतिक स्तर पर भी उतना ही अधिक उन्नत होगा, इसलिए सदैव अपने आधार की ओर ध्यान रखकर उसे मजबूत बनाने का प्रयास करें ।

🚩पूरे विश्व में आज जो भी है उसकी खोज हमारे ऋषि-मुनियों ने की है, ऋषि-मुनियों ने ध्यान की गहराई में जाकर खोज की है तभी उन्हें अनेक ऐसे रहस्य मिले जिसका आज पूरी दुनिया  लाभ उठा रही है, लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे ऋषि-मुनियों के ग्रन्थ चुराकर विदेशी आक्रांता लेकर चले गए और उसमे से पढ़कर थोड़ा-बहुत ज्ञान पा लिया और दुनिया में बताया कि हमने खोज की है और भारत के इतिहास में भी यही पढ़ाया जा रहा है जो कि एक षडयंत्र है ताकि आने वाली पीढ़ी को पता ही नहीं चले कि वास्तव में ये सारी खोज भारत के ऋषि-मुनियों ने की थी।

🚩भारत के इतिहास को अब बदलना होगा सच्चाई पढ़ानी होगी एवं भारत के लोगो को भी आध्यात्म की तरफ मुड़ना होगा, तभी देश-समाज एवं हर प्राणी का मंगल होगा।

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