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अन्नदाताओं' ने पिया पेशाब, आगे मल खाने की धमकी, कब होगी किसानों की सुनवाई?
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तमिलनाडु
में भारी सूखे की मार और कर्ज के बोझ के तले दबे करीब 100 किसान दिल्ली
में जंतर मंतर पर 38 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, इसमें #महिलाएं भी शामिल
हैं। और सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिये प्रदर्शनकारी विरोध प्रदर्शन
के अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं । विरोध प्रदर्शन करते रहे तमिलनाडु के
किसानों का धैर्य शायद अब जवाब दे चुका है।
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curruption farmer dying |
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सबसे पहले किसानों ने नर खोपड़ियों के साथ प्रदर्शन किया। उनके दावे के अनुसार, ये खोपड़ियाँ #आत्महत्या करने वाले किसानों की हैं ।
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किसानों का दावा है कि पिछले साल तमिलनाडु में कर्ज के बोझ तले दबे 400 किसानों ने #आत्महत्याएँ की ।
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सूखे के कारण पूरे राज्य में खेती पर बहुत असर पड़ा है । जिन किसानों ने ऋण लिए उनके लिए इसे चुका पाना भारी पड़ रहा है ।
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किसानों
ने शनिवार को अपना विरोध जताने के लिए #पेशाब पिया। किसान जंतर-मंतर में
प्लास्टिक की बोतलों में एकत्रित मूत्र के साथ सामने आए। #किसानों ने अब
रविवार को मानव मल खाकर प्रदर्शन की चेतावनी दी है। गौरतलब है, तमिलनाडु के
किसान केंद्र से कर्जमाफी और वित्तीय सहायता की माँग के साथ धरने पर बैठे
हैं। सूखे के कारण उनकी फसल मारी गई है। इन किसानों की माँग है कि सरकार
उनके लिए #सूखा राहत पैकेज जारी करे।
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नैशनल
साउथ इंडियन रिवर लिंकिंग फॉर्मर्स असोसिएशन के राज्य अध्यक्ष पी
अय्याकनकु ने कहा, 'तमिलनाडु में पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा और
#प्रधानमंत्री मोदी हमारी प्यास को अनदेखा कर रहे हैं।' ऐसा लगता है कि
मोदी सरकार हमें #इंसान ही नहीं समझती है। सरकार और प्रशासन का ध्यान अपनी
बदहाली की ओर खींचने के लिए गले में मानव खोपड़ी पहनने से लेकर सड़क पर
#सांम्भर-चावल और मरे हुए सांप-चूहे खाकर इन किसानों ने अपना विरोध जाहिर
किया। ये किसान निर्वस्त्र भी हो चुके हैं। किसानों ने साउथ ब्लॉक में
प्रधानमंत्री दफ्तर के सामने सड़क पर न्यूड होकर भी प्रदर्शन किया था।
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यह
है मामला : #तमिलनाडु के #किसान 38 दिनों से दिल्ली के जंतर - मंतर पर
प्रदर्शन कर रहे हैं। ये किसान #केंद्र से अपने लोन की माँफी की मांग कर
रहे हैं। उन किसानों का कहना है कि उनकी फसल कई बार आए सूखे और चक्रवात में
बर्बाद हो चुकी है। किसानों ने उन लोगों को मिलने वाले राहत पैकेज पर भी
पुनर्विचार करने के लिए कहा है। किसानों की यह भी मांग है कि उनको अगली साल
के लिए बीज खरीदने दिए जाएं और हुए नुकसान की भरपाई की जाए।
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किसान अपने अनोखे विरोध प्रदर्शनों से चर्चा में तो आ गए, लेकिन केंद्र #सरकार से किसी तरह का कोई #आश्वासन नहीं हासिल कर पाए हैं ।
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#केंद्र सरकार की ओर से ऋण माँफी की इन किसानों की माँगों को लेकर अभी तक
कोई आश्वासन नहीं दिया गया है । किसानों का कहना है कि ज्यादातर #ऋण 50
हजार से लेकर 1 लाख तक रुपये के हैं ।
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आपको
बता दे कि सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट ने #तमिलनाडु में किसानों की
आत्महत्या को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई है । कोर्ट ने कहा है कि
किसानों की हालत वाकई बेहद चिंताजनक है और राज्य सरकार इस मानवीय त्रासदी
पर शांत नही बैठ सकती । #सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे परिस्थितियों में
सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों का ख्याल रखे ।
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चुनाव
के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले नेताओं को जब वोट मिल जाता है तब जनता का
ख्याल ही नही रहता है, कितने किसान #आत्महत्या कर रहे हैं उस पर सरकार का
ध्यान क्यो नही जाता है?
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जो
नेता बोलते रहते हैं कि हमे कानून पर पूरा भरोसा है आज वही #सुप्रीम कोर्ट
के आदेश के बाद भी किसानों की बात क्यो नही सुनी जा रही है?
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एनसीआरबी के ताजा सर्वे में #चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं!!!
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एनसीआरबी
के #आँकड़ों के मुताबिक देश-भर में कर्ज न चुका पाने के कारण खुदकुशी करने
वाले किसानों में से 80 फीसदी ने बैंकों से कर्ज लिया था ।
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एनसीआरबी
के #आँकड़ों के मुताबिक 2014 की तुलना में 2015 में किसानों के आत्महत्या
करने की दर में 41.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। 1995 से 31 मार्च 2013 तक के
आँकड़े बताते हैं कि अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है ।
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सरकारी सूत्रों के अनुसार 2014 में 5650 और 2015 में 8000 से अधिक मामले सामने आए।
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2014
में देश की जनता ने केंद्र में भाजपा को बहुमत देकर देश की सत्ता सौंपी तो
#देश के किसानों और #मजदूरों ने सोचा था कि उनके अच्छे दिन आ सकते हैं।
लेकिन आत्महत्या के आँकड़े देखकर तो लगता है कि सरकार से किसानो को कोई
राहत नही मिल पा रही है ।
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बैंकों से लिए कर्ज के कारण मरने को मजबूर हो जाता है किसान..!!
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गरीब
#किसान बैंकों से कर्ज लेकर खेती करता है और जब बेमौसम बरसात, ओले और तेज
हवाओ और सूखे से उसकी #फसल नष्ट हो जाती है तो वो कर्ज नहीं चुका पाता है
तो बैंक उनसे कर्ज वसूलने के लिए उसके खेतों को नीलाम करके अपना कर्ज
वसूलती है। जिसकी वजह से वो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है।
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एक
तरफ #जहाँ #बैंक अमीर डिफाल्टरों के हजारों करोड़ यूँ ही माफ कर देता है और
दूसरी तरफ गरीब #किसानों का उतना कर्ज भी माफ नहीं कर पा रही है जो इन
डिफाल्टरों का 20 फीसदी भी नहीं होगा।
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किसान
दिन-रात मेहनत करता है जब फसल लेकर मंडी में आता है तो उसको निराश होना
पड़ता है क्योंकि #सिंचाई के पानी, खाद्य, बीज, #कीटनाशक #दवाइयों आदि का
पैसा भी फसल की बिक्री से नही निकल पाता है । जो किसान ने कड़ी मेहनत की
उसको तो वो गिनता ही नही।
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पूर्व
सरकार से ही #किसानों का बहुत शोषण होता रहा है । किसानों के बढ़ते संकट
का निवारण करने के लिए केंद्र और #राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए।
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अब
राज्य और #केंद्र सरकार को अन्नदाता किसानों को कर्ज से मुक्त कर देना
चाहिए और उनके लिए पानी, #बिजली, बीज, खाद्य, दवाइयाँ आदि सस्ते भाव देकर
उनको राहत देनी चाहिये जिससे किसान भी अपना जीवन परिवार के साथ खुशहाली से
जी सके ।
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