10 जून 2019
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जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में पठानकोट कोर्ट ने 17 महीने में फैसला दे दिया । सोमवार को 6 में से 3 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने घटनाक्रम में ग्रामप्रधान साजी राम, पुलिस अफसर दीपक खजूरिया, प्रवेश कुमार को उम्रकैम की सजा सुनाई है । इन पर 1-1 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है, जबकि एसपीओ सुरेंद्र वर्मा, एसआई अनंत दत्त, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज को सबूत मिटाने के जुर्म में 5-5 साल की सजा सुनाई गई है । साजी राम के बेटे विशाल को कोर्ट ने बरी कर दिया है ।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की चार्जशीट के अनुसार-
10 जनवरी 2018: साजिश के तहत बच्ची को जंगल की तरफ ले गया । इसके बाद उसे नशीली दवाएं देकर उसे एक देवी स्थान में ले गए, जहां रेप किया ।
11 जनवरी 2018: नाबालिग लड़के ने अपने दोस्त विशाल को कहा कि अगर वह मजे लूटना चाहता है तो आ जाए। परिजनों ने बच्ची की तलाश शुरू की। देवीस्थान भी गए, लेकिन वहां उन्हें साजी राम ने झांसा दे दिया । दोपहर में दीपक खजुरिया और नाबालिग ने मासूम को फिर नशीली दवाएं दीं ।
12 जवनरी 2018: मासूम को फिर नशीली दवाएं देकर किया रेप ।
13 जनवरी 2018: विशाल, साजी राम और नाबालिग ने देवी स्थान पर पूजा-अर्चना की । इसके बाद लड़की के साथ रेप किया और इसके बाद उसका गला घोंटकर मार दिया गया ।
आपको बता दें कि जो देवीस्थान यहां बता रहे हैं वो छोटा सा देवी का मंदिर है उसमें चारो तरफ जाली लगी है, उसका दरवाजा भी जाली का है, बाहर से कोई भी अंदर होने वाली गतिविधियों को देख सकता है और मंदिर में तहखाना भी नहीं है जिसमें बच्ची को छुपाकर रख सकें । फिर 4 दिन बिना जाली वाले मंदिर में कैसे रखा होगा ? जबकि उसके पिताजी भी मंदिर में देखने आए थे और मंदिर में हररोज पूजा होती है और बीच में एक बड़ा भंडार भी हुआ था फिर भी किसी ने बच्ची को नहीं देखा इसको लेकर सोशल मीडिया पर कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि फिर कैसे रेप हुआ होगा ???
बताया गया कि 13 जनवरी को साजी राम और उसके बेटे ने रेप किया जबकि CCTV फुटेज में साफ है कि विशाल उस दिन उत्तरप्रदेश में था तो यहाँ भी सवाल उठ रहे हैं कि जब विशाल ने रेप नहीं किया तो औरों ने कैसे किया होगा ?
इसपर जनार्दन मिश्रा ने लिखा है कि जब मुख्य अभियुक्त सांझी राम खुद अपने नार्को टेस्ट की मांगकर रहा है तो सुप्रीम कोर्ट उसे क्यों ठुकरा रहा.?what is going on ?
https://twitter.com/JBMIS/ status/1138051265793892354?s= 19
https://twitter.com/JBMIS/
दूसरी ट्वीट में बताया कि कठुआ बलात्कार मामले में विशाल जन्गोत्रा बरी ... जो लोग शुरू से विशाल को निरपराध बताते रहे, सबूत देते रहे उनकी धारणा की जीत .... विशाल को अपराधी बनाने पर तुले हुए लिबराण्डुओं ने मुँह की खाई
https://twitter.com/JBMIS/ status/1138051476066975745?s= 19
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तीसरी ट्वीट में बताया गया कि कठुआ केस में विशाल इसलिए बरी हो गए क्योंकि cctv फुटेज में दिख गए यानी अगर वो cctv फुटेज न होती तो उनका भी वही हश्र होता जो बाकी आरोपियों का हुआ
अगर एक आरोपी निर्दोष साबित हुआ तो बाकी बेचारे क्या इसलिए दोषी हो गए कि उनकी कोई सीसीटीवी फुटेज नही
https://twitter.com/JBMIS/ status/1138035316801990656?s= 19
अगर एक आरोपी निर्दोष साबित हुआ तो बाकी बेचारे क्या इसलिए दोषी हो गए कि उनकी कोई सीसीटीवी फुटेज नही
https://twitter.com/JBMIS/
आपको बता दें कि इस केस के लिए CBI जाँच हो इसके लिए भी मांग की थी, जिससे निष्पक्ष फैसला आ सके, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया।
कठुआ कांड की हम निंदा करते हैं तथा कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं । किसी भी बच्ची के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए और ऐसा करने वाले दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए, पर कहीं ऐसा न हो कि असली अपराधी बच जाए और निर्दोष फँस जाए ।
आपको बता दें कि निचली अदालत का फैसला, आखरी फैसला नहीं होता है उसके ऊपर भी हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट होती है, कई केसों में ऐसा हुआ है कि निचली अदालत से चूक हो गई होती है और फिर ऊपरी कोर्ट निर्दोष बरी कर देता है ।
एक नज़र इस घटना पर भी-
फरीदाबाद जिले में एक नाबालिग लड़की ने जय सिंह और शाम सिंह दोनों भाइयों पर रेप का आरोप लगाया ।
ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई । फैसले के खिलाफ आरोपी भाइयों ने हाईकोर्ट में अपील की तो वहां भी निराशा हाथ लगी । हाईकोर्ट ने निचली अदालत की सजा बरकरार रखी ।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील हुई, लेकिन तब तक जय सिंह को जेल में 10 साल और शाम सिंह को 7 साल हो चुके थे । सुप्रीम कोर्ट का फैसला लिखने वाले जस्टिस एम शांतानागोदार ने साफ लिखा है कि अभियोजन की सारी दलीलें और सबूत फिसड्डी और कृत्रिम है क्योंकि ना तो मेडिकल रिपोर्ट से कोई पुष्टि हुई और ना ही बयानों में मेल दिखा । ऐसे में बेंच इस नतीजे पर पहुंची कि अभियोजन ने आरोपियों को जबरन फंसाने के लिए मनगढ़ंत और संदेह के आधार पर कहानियां गढ़ीं।
http://dhunt.in/4xdb4?ss=wsp& s=pa
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तो आपने देखा कि कैसे निचली अदालत सजा सुना देती है फिर ऊपरी कोर्ट निर्दोष बरी करती है, तलवार दंपति के केस में भी यही हुआ था, पहले उम्रकैद फिर निर्दोष बरी हुए । इसलिए अभी हमें धैर्य रखना है यह मामला ऊपरी कोर्ट में जाएगा और सत्य बाहर आएगा । सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित कभी नहीं हो सकता है ।
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