11 नवम्बर 2019
नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये कानून बनाये गये । परंतु दहेज विरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।
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मुंबई के वडाला ट्रक टर्मिनल की घटना है।
अक्टूबर 27 की रात 11 बजे विजय सिंह (working as MR in Pharma Company) जो सायन कोलीवाड़ा का रहने वाला है, अपने दो चचेरे भाईयों के साथ खाने के बाद टहलने के लिए और अपनी होने वाली पत्नी से बात करने के लिए घर से कुछ दूर (वडाला ट्रक टर्मिनल ) आया। जब उसने अपनी बाइक खड़ी की तो सामने एक कपल बैठा हुआ था और उनके ऊपर इसकी बाइक की लाइट चली गयी । लाइट चेहरे पर जाने के बाद कपल में से लड़के ने विजय सिंह को गाली दी और थोड़ी बहस चालू हो गयी । उसने अपने 2 दोस्तों को बुला लिया और बात आगे बढ़ गयी यहाँ तक कि हाथापाई पर आ गयी।
अक्टूबर 27 की रात 11 बजे विजय सिंह (working as MR in Pharma Company) जो सायन कोलीवाड़ा का रहने वाला है, अपने दो चचेरे भाईयों के साथ खाने के बाद टहलने के लिए और अपनी होने वाली पत्नी से बात करने के लिए घर से कुछ दूर (वडाला ट्रक टर्मिनल ) आया। जब उसने अपनी बाइक खड़ी की तो सामने एक कपल बैठा हुआ था और उनके ऊपर इसकी बाइक की लाइट चली गयी । लाइट चेहरे पर जाने के बाद कपल में से लड़के ने विजय सिंह को गाली दी और थोड़ी बहस चालू हो गयी । उसने अपने 2 दोस्तों को बुला लिया और बात आगे बढ़ गयी यहाँ तक कि हाथापाई पर आ गयी।
जब वहा पुलिस पहुँची तो लड़की ने बस ये बोल दिया कि ये तीनो लड़के ( विजय और उसके चचेरे दो भाई ) मुझे छेड़ रहे थे और पुलिस ने बिना किसी पूछताछ के विजय ओर उसके दोस्तों को मारा । यहाँ तक कि उस वक्त भी लड़की और उसके साथ के लड़के ने इन तीनो पर हाथ उठाया ।
पुलिस मारते मारते विजय सिंह और उसके साथ वाले दो भाइयों को पुलिस चौकी ले गयी। तीनों को बिना किसी पूछताछ के अलग अलग लॉकअप में डाल दिया । विजय सिंह को हाथ पैर और छाती पर भी मारा जब कि सामने पक्ष वालो का स्वागत किया । उनमे से एक लड़के ने पुलिस चौकी में ये तक कहा कि तुम लोग को इधर ही खत्म कर दूंगा लेकिन इसपर भी पुलिस ने कोई प्रतिक्रिया नही दी।
रात्रि 2:30 बजे विजय सिंह ने पुलिस स्टाफ से कहा कि मुजे सीने में दर्द हो रहा है और पानी दे दो पीने के लिए लेकिन पुलिस ने पानी नही दिया बल्कि जब विजय की माँ ने पानी देने की कोशिस की तो उसे भी डाटा। विजय का एक छोटा कजिन जब पानी देने गया तो उससे भी बहोत बुरा व्यवहार किया । घरवालो से भी बहोत गाली गलौच की । विजय ने पुलिस स्टाफ से कहा कि अपने बेटे जैसा समझ के पानी पिला दो लेकिन इंसानियत मर चुकी थी इन लोगो में शायद।
विजय ने ये भी कहा कि मुजे घुटन सी हो रही है, पंखा चला सकते है क्या लेकिन फिर वही गली गलौज वाली भाषा । जब वो बेहोश हो गया तो उसे लोकप से बाहर निकाला गया और लिटाया गया । जब उसे घरवालो को सौपा गया तो विजय दम तोड़ चुका था ।
शायद आपको ये जान के और धक्का लगे कांस्टेबल ने ये कहा कि हमारे पास गाड़ी नही है, Ola बुक करके जाओ
विजय के पापा ने एक Ola वाले को रिक्वेस्ट कर के जब गाड़ी रुकवायी तब उस ड्राइवर ने उसकी साँसे चेक कर के कहा कि यर मार चुका है । आप शायद ही उसके बाप की हालत समझ पाएंगे।
विजय के पापा ने एक Ola वाले को रिक्वेस्ट कर के जब गाड़ी रुकवायी तब उस ड्राइवर ने उसकी साँसे चेक कर के कहा कि यर मार चुका है । आप शायद ही उसके बाप की हालत समझ पाएंगे।
सवाल ये है की क्या सिर्फ उस लड़की का ही बयान मायने रखता है? बिना जुर्म साबित हुए पुलिस ने विजय ओर उसके भाइयो को क्यों मारा? पानी पिलाना जुर्म हो गया है क्या? एक बाप को उसके बेटे की लाश दे के ये कहना जरूरी है क्या की ola करके जाओ?
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अगर इसी तरह चलता रहा तो निर्दोष पुरुषों का क्या होगा? कोई भी महिला अपनी रंजिस निकालने के लिए या पैसे एठने के लिए झूठा आरोप लगा दे और बिना सबूत पुलिस जेल में डाल दे और मौत हो जाये तो निर्दोष पुरुषों की हालत क्या होगी?
बलात्कार- निरोधक कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं । कानून का दुरुपयोग करने पर वास्तविकता में जो महिला पीड़ित होती है उसको न्याय भी नही मिला पाता है ।
बलात्कार निरोधक कानूनों की खामियों को दूर करना होगा। तभी समाज के साथ न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे ।
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