14 नवम्बर 2019
*भारत देश में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून है । और ये भी अंग्रेज़ों की "फूट डालो और राज़ करो" की नीति का हिस्सा था जो अब तक चल रहा है । आज़ादी के 71 साल के बाद भी आज तक Uniform Civil Code लागू नहीं हुआ है । लेकिन अब भाजपा सरकार इस कदम उठाने जा रही है इसलिए जनता में एक खुशी की लहर है।*
*समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है ! दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है ! यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है ! देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून ! यानी ये एक तरह का निष्पक्ष कानून होगा ! जब ये कानून बन जाएगा तो हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को एक ही कानून का पालन करना होगा ! यानी मुस्लिम तीन शादियां भी नहीं कर सकेंगे !*
*बेंगलुरु : भारतीय जनता पार्टी ने राम मंदिर निर्माण का जनता से जो वादा किया अब उसे पूरा करने जा रही हैं ! भाजपा की स्थापना के समय पार्टी के तीन प्रमुख एजेंडे थे जिसमें राममंदिर निर्माण और जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करना शामिल था ! भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर वोट मांगा था जिसे मोदी सरकार ने दोबारा सत्ता में आते ही पूरा किया !*
*आज यह पार्टी जो कुछ भी है, इन्हीं मुद्दों की वजह से ही है ! अब भाजपा का एक तीसरा प्रमुख एजेंडा बचा है वो है, कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता ! राममंदिर निर्माण करवाने के साथ ही भाजपा जनता से किया गया यह तीसरा वादा भी वह जल्द पूरा करेगी ! जिसका इशारा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कर दिया है। उन्होंने अयोध्या फैसला आने के बाद इसका समर्थन करते हुए कहा कि, इसकी अब आवश्कता है !*
*न्यायालय जल्द करेगा इस मामले पर सुनवाई*
*गौरतलब हैं कि, देश में समान आचार संहिता लागू करने संबंधी मामला न्यायालय में चल रहा है ! माना जा रहा है कि, देहली उच्च न्यायालय समान आचार संहिता को लागू करने की मांग करनेवाली याचिकाओं पर जल्द ही कार्रवाई कर सकता है ! 15 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की बेंच इस पर सुनवाई करेगी। विगत मई माह में अदालत ने केन्द्र सरकार को इसे लागू करने के संबंध में पीआईएल पर अपना शपथपत्र दायर करने को कहा था !*
*समान नागरिक संहिता क्या है ?*
*समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है ! दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है ! यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है ! देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून ! यानी ये एक तरह का निष्पक्ष कानून होगा ! जब ये कानून बन जाएगा तो हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को एक ही कानून का पालन करना होगा ! यानी मुस्लिम तीन शादियां भी नहीं कर सकेंगे !*
*संविधान में भी है इसका उल्लेख*
*आपको बता दें कि, संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गई है ! राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि, ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा’ ! संविधान में यह भी उल्लिखित है कि, निदेशक तत्व देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में इनको लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा ! संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया ! इसे लेकर एक बड़ी बहस चलती रही है !*
*सर्वोच्च न्यायालय ने यह कानून न लागू करने पर जतायी थी नराजगी*
*पिछले माह ही सर्वोच्च न्यायालय में कॉमन सिविल कोड पर चर्चा उठ चुकी है ! जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने गोवा के एक संपत्ति विवाद के मामले की सुनवाई करते समय इस पर चर्चा की। न्यायालय ने कहा देश के सभी लोगों के लिए एकसमान नागरिक संहिता लागू न होने पर नाराजगी जताई थी। न्यायालय ने कहा कि, हिंदू लॉ 1956 में बनाया गया लेकिन 63 साल बीत जाने के बाद भी पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रयास नहीं किए गए। इस दौरान न्यायालय ने गोवा की मिसाल दी ! दरअसल, गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है !*
*कॉमन सिविल कानून लागू करना क्यों है जरुरी ?*
*सभी के लिए कानून में एक समानता से देश में एकता बढ़ेगी और जिस देश में नागरिकों में एकता होती है, किसी प्रकार भेदभाव नहीं होता है ! इससे देश तेजी से विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेगा ! यही नहीं जो अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून की वजह से न्यायपालिका पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है ! इसके लागू हो जाने से एक तो न्यायपालिका का बोझ कम होगा ऊपर से समय बचने और एक कानून होने की वजह से बहुत से लंबित मामलों का निपटारा भी जल्द हो सकेगा ! वहीं दूसरी ओर, जब हर धर्म का कानून एक सा होगा, तब वास्तव में सभी नागरिकों के अधिकार और कानून एक होने की बात कही जा सकती है ! उस स्थिति में नागरिकों में एकता बढ़ेगी इतना ही नहीं धर्म के नाम पर राजनीति करनेवाले नेताओं की दुकानें बंद हो जाएगी ! चुनाव के दौरान जातियों के आधार पर वोट के ध्रुवीकरण में भी कमी आएगी, जिससे निष्पक्ष चुनाव में मदद मिलेगी ! स्रोत : वन इंडिया*
*देशवासियों को विश्वास है कि मोदी सरकार ने जैसे 370 और राम मंदिर का वादा पूरा किया वैसे ही अब समान नागरिक संहिता लागू करेगी।*
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