13 जुलाई 2020
कुछ भारतीयों को अपने आप को हिन्दू कहने में शर्म आती है, यहां के रीति-रिवाज परम्परा पुराने जमाने के लगते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर विश्व के लाखों-करोड़ों लोग सनातन धर्म में आने को आतुर हैं ।
सनातन धर्म, संस्कृति वास्तव में अत्यंत उन्नत संस्कृति है । यह ऐसा धर्म है जो मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाता है, मुक्ति का मार्ग दिखाता है । सनातन धर्म की जितनी महिमा गाई जाए वह कम है । इस धर्म के ऋषि-मुनि वास्तव में एक वैज्ञानिक थे, उन्होंने अत्यंत उत्तम खोजें की थीं जो आज के वैज्ञानिकों के लिए असम्भव है ।
यहां आपको नीचे कुछ दृष्टांत बताते हैं जिससे आप भी यह मानने पर मजबूर हो जाएंगे कि सनातन हिंदू धर्म जैसा दूसरा धर्म इस पूरे ब्रह्मांड में होना असंभव है एवं यह धर्म पूर्णतः वैज्ञानिक भी है ।l
● महामृत्युंजय मंत्र थेरेपी से बोल पड़ा 'बेजुबान'-
यह बात सुनने में बड़ी ही आश्चर्यजनक लगती है किंतु सत्य है । पेशे से पायलट राजीव जी के जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जब उन्हें एक एक करके बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा । पत्नी से तलाक, व्यापार में नुकसान एवं छोटे भाई की मौत से राजीव इतने अवसाद में चले गए कि उन्हें सिर्फ एक रास्ता दिखा वो था मौत का ।
राजीव ने खुद को खत्म करने के लिए तरह-तरह के तरीके आजमाना शुरू किया । गुटखा, पान-मसाला, तम्बाकू, धूम्रपान की लत लगा ली । नतीजन उन्हें मुँह का कैंसर हो गया । कैंसर के चौथे स्टेज पर पहुंच चुके राजीव को अपने माता पिता का ख्याल आया और जीने की चाह फिर से जागी । कैंसर का ऑपरेशन हुआ, आधी जीभ काटनी पड़ी एवं डॉक्टर्स ने कहा कि 'वो अब कभी नही बोल पाएंगे ।'
उन्होंने आगे कहा कि 'मैं बहुत निराश था । तभी बेंगलुरु के थेरेपिस्ट डॉ. टीवी साईंराम के बारे में पता चला ।' वहाँ गए एवं शुरू हुई महामृत्युंजय मंत्र थेरेपी । इस थेरेपी ने राजीव के जीवन को एक नया मोड़ दिया और वो बोल पड़े ।
दरअसल संस्कृत के मंत्रों का जब हम उच्चारण करते हैं तो हमारी जीभ चारों ओर घूमती है एवं जीभ की सभी मांसपेशियों की कसरत हो जाती है । महामृत्युंजय मंत्र की तरह गायत्री मंत्र का भी प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है ।
● मंत्र जाप का प्रभाव सूक्ष्म और गहरा
जब लक्ष्मणजी ने मंत्र जप कर माता सीताजी की कुटीर के चारों तरफ भूमि पर एक रेखा खींच दी तो लंकाधिपति रावण तक उस लक्ष्मण रेखा को न लाँघ सका। हालाँकि रावण मायावी विद्याओं का जानकार था, किंतु ज्योंहि वह रेखा को लाँघने की इच्छा करता त्योंहि उसके सारे शरीर में जलन होने लगती थी।
मंत्रजप से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती जाती है और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता है।
मंत्रजप से चित्त पावन होने लगता है, रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं, दुःख, चिंता, भय, शोक, रोग आदि निवृत्त होने लगते हैं, सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलने लगती है।
जैसे, ध्वनि-तरंगें दूर-दूर जाती हैं, ऐसे ही मंत्र-जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहरी उतर जाती हैं, पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देती हैं।
इससे हमारे अंदर शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगता है और बुद्धि का विकास होने लगता है। अधिक मंत्र जप से दूरदर्शन, दूरश्रवण आदि सिद्धयाँ आने लगती हैं।
● इस्लाम-ईसाई धर्म में भी मुक्ति का मार्ग नहीं है - एंड्रेयु ब्रिजेन
एंड्रेयु ब्रिजेन जोकि इंग्लैंड के पश्चिमी लेस्टर के सांसद हैं उनका कहना है कि सनातन धर्म में जिस मुक्ति की बात की गई है वह इस्लाम और ईसाई धर्म में भी नहीं है। भगवान शिव एवं माँ दुर्गा के मंत्रों में सचमुच अकल्पनीय शक्ति है ।
सनातन धर्म के बीज मंत्रों से वे रोग और कष्ट भी पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं जिनका पूरी दुनिया के धर्मों और मेडिकल साइंस में भी कोई समाधान नहीं है ।
तो इस तरह से देखा आपने कि सनातन हिंदू धर्म के मंत्रों में कितनी शक्ति है और ये बात तो अब विदेशी भी समझने लगे हैं, भारतीय कब तक अंजान बने रहेंगे ?
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