12 नवंबर 2020
हिन्दू त्यौहार में मिठाईयां खूब खाई जाती हैं, उसमें भी मेहमानों को आकर्षित करने के लिए चांदी के वर्क वाली मिठाईयां ख़रीद के खाई जाती हैं और खिलाई जाती हैं।
देशभर में दीपावली की धूम मची है, उसमे भी वर्क वाली मिठाईयों का खूब उपयोग किया जा रहा है, लेकिन ये मिठाई खाने जैसी है कि नहीं, क्या भगवान को वर्क वाली मिठाई का भोग लगाना उचित है या नहीं, ये जानना बेहद जरूरी है।
कुछ लोग खूबसूरती के लिए ये मिठाईयां घर लाते हैं तो कुछ लोग सेहत के लिए फायदेमंद समझकर खरीदते हैं।
मिठाईयों पर लगे चाँदी के वर्क का सच जानने के बाद आप मिठाई खाने से पहले सौ बार सोचेंगे। हो सकता है खाना ही छोड़ दें। क्या आपको पता है कि आपको वर्क के नाम पर मांसाहारी मिठाई परोसी जा रही है ?
चांदी के वर्क वाली मिठाई दिखने में जितनी सुंदर है। उसी चांदी के वर्क के बनने की कहानी बेहद ही घिनौनी है। सालों से लोग वर्क लगी मिठाई को शाकाहारी समझ कर खा रहे हैं, लेकिन सजावट के लिए लगाया जाने वाला चांदी का वर्क असलियत में जानवर की खाल से बनता है।
बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि यह वर्क गाय-बैल की आंतों से तैयार किया जाता है ।
जिस चांदी के वर्क लगी मिठाई को शाकाहारी समझ कर आप बरसों से खा रहे हैं, वो दरअसल शाकाहारी नहीं है जानवर के अंश का इस्तेमाल करके चांदी का वर्क बनाया जाता है ।
बता दें कि देश में चांदी के वर्क की सालाना मांग करीब 275 टन की है । चांदी के वर्क का कारोबार फिलहाल भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में है जो कि पूरी तरह असंगठित क्षेत्र के हाथ में है । यही वजह है कि इसके कारोबार का सही-सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है ।
चांदी का बाजार !!
परंपरागत रूप से देश में चांदी का वर्क बूचड़खानों से ली गई जानवरों की खालों और उनकी आंतों को हथौड़ों से पीटकर तैयार किया जाता है ।
इसके अलावा विदेशी मशीनों से भी चांदी का वर्क तैयार होता है, इसमें एक स्पेशल पेपर और पॉलिएस्टर कोटेड शीट के बीच चांदी को रखकर उसके वर्क का पत्ता तैयार होता है । इसमें जानवर के अंश का इस्तेमाल नहीं किया जाता । चूंकि ये मशीनें महंगी हैं और देश में गिनी चुनी कंपनियों के पास ही हैं, ऐसे में इनका चांदी का वर्क महंगा भी पड़ता है और कम भी । एक अनुमान के मुताबिक भारत में अधिकतर चांदी का वर्क पुराने तरीके से, जानवरों के अंश का इस्तेमाल करके बनता है।
सरकारी आदेश का असर !!
सरकार ने कुछ साल पहले चांदी के वर्क को बनाने में जानवर के अंश का इस्तेमाल नहीं करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है । फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य और फूड एक्सपर्ट बिजॉन मिश्रा का भी कहना है कि चांदी के वर्क बेचते समय बताना चाहिए कि ये मांसाहारी है या शाकाहारी । इसके पैकेट पर हरा और लाल निशान होना चाहिए ।
आपको बता दें कि पैकेट पर हरा निशान मतलब की शाकाहारी है और लाल निशान मतलब की वो वस्तु मांसाहारी है ।
दो साल पहले मेनका गांधी ने मीडिया को बताया कि मिठाई व पान ही नहीं सेब जैसे फल को आकर्षक बनाने के लिए उनके ऊपर जो चांदी का वर्क लगाया जाता है वह मांसाहार की श्रेणी में आता है।
उनका कहना है कि यह वर्क जिंदा बैलों का कत्ल कर उनकी आंत के सहारे तैयार किया जाता है । वर्क लगी मिठाइयों के बढ़ते आकर्षण के कारण प्रति वर्ष हजारों गौवंशीय पशुओं की हत्या की जाती है।
उन्होंने बताया कि गौवंशीय पशु की आंत से बनी वर्क में चांदी, एल्यूमिनियम अथवा उस जैसी धातु का बड़ा टुकड़ा डाला जाता है । फिर उसे लकड़ी के हथौड़े से पीट कर पतला करके आकार दिया जाता है ।
बैल की आंत पीटते रहने से फटती नहीं है । चांदी के वर्क के चक्कर में कुछ लोग एल्यूमिनियम भी बेच देते हैं।
मेनका गाँधी का कहना है कि इस कारोबार से जुड़े लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पशु हत्या, गाय की हत्या में भी संलिप्त कहे जा सकते हैं । 'पांच साल पहले इंडियन एयरलाइंस ने यह महसूस किया कि चांदी वर्क मांसाहार है, और अपने कैटरर को विमान में परोसी जाने वाली मिठाइयों पर वर्क न लगाने के निर्देश दिए थे । साथ ही पत्र भेज कर बैल की आंतों के सहारे तैयार कराए जाने वाले वर्क पर रोक लगाने को कहा था ।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कराई गई जांच में भी वर्क के मांसाहार होने की पुष्टि हुई ।
केंद्र अब कानून के जरिये इस पर प्रतिबंध की तैयारी में है ।
इस आशय का 19 अप्रैल 2016 को राजपत्र भी आम राय के लिए वेबसाइट पर डाला था ।
आप गाय के दूध से बनी घरेलू मिठाई ही खायें और बैल के वर्क से बनी मिठाइयों, सुपारी, लडडू, इलायची आदि से सावधान रहें ।
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