10 नवंबर 2020
दीप आनंद का प्रतीक है। व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का जीवन आनंदमय हो, साथ ही सभी का जीवन आनंद से परिपूर्ण हो जाए। इसलिए हम आकाशदीप लगाते हैं । दीप लगाने से अंधकार का नाश होता है। ‘दीपावली के त्योहार द्वारा अन्यों को आनंद प्राप्त हो, क्या ऐसे कार्य हम करते हैं’, हमें इसका चिंतन करना चाहिए । दुर्भाग्यवश इसका उत्तर ‘नहीं’ ही है । दीपावली के निमित्त हमारे किसी कृत्य द्वारा अन्यों को दुःख होगा, तो हम पाप के भागी होंगे। अतएव ये सब रोक कर देवता की कृपा संपादन करें ।
पटाखों के माध्यम से होनेवाला देवता का अनादर रोकने का निश्चय करें !
दीपावली में कुछ लोग देवताओं के छायाचित्र वाले पटाखे फोडते हैं । देवता का छायाचित्र प्रत्यक्ष देवता ही हैं । जिस समय हम पटाखे फोडते हैं, उस समय उस छायाचित्र के टुकडे होते हैं, अर्थात हम उस देवता का अनादर ही करते हैं । श्रीलक्ष्मी के छायाचित्र वाले, साथ ही राष्ट्रभक्तों के छायाचित्र वाले पटाखे फोडना, इससे हमें पाप लगता है । इस दीपावली को हम ऐसे पटाखे खरीदेंगे ही नहीं। साथ ही ऐसे पटाखे खरीदने वालों का प्रतिरोध कर उनका प्रबोधन करेंगे, वास्तव में यह देवता की भक्ति है । ऐसा करने से हम पर देवता की कृपा होगी । बच्चो, क्या हमारे माता-पिता के छायाचित्र वाले पटाखे हम फोडेंगे ? नहीं न ! देवता हम सभी की रक्षा करते हैं । हमें शक्ति एवं बुद्धि प्रदान करते हैं। अतएव इस दीपावली को हम यह अनादर रोकने का निश्चय करें।
चीनी पटाखों के कारण होने वाला वायुप्रदूषण एवं भारत के पैसे चीन में नही जाए और चीन की घुसपैठ को ध्यान में लेकर प्रशासन को स्वयं ही इन पटाखों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए !
बता दें कि दीवाली को पटाखे फोडने के पीछे कोई भी शास्त्रीय आधार नहीं है । यह एक अनुचित किंतु प्रचलित प्रथा है । इसके विषय में हम चिंतन करेंगे । क्या पटाखे फोडने से अन्यों को आनंद की प्राप्ति होती है ? ऐसा बिल्कुल नहीं । तो ऐसी प्रथाओं का हम अनुकरण क्यों करें ? इसके विपरीत ऐसी प्रथाओं के कारण लोग अपने त्योहारों से त्रस्त हो गए हैं तथा त्योहार के विषय में भ्रांत धारणा बन गई है । उसे दूर करना, वास्तव में यही खरी दीपावली है । इसी कारण लोगों को धर्मशिक्षा प्रदान करनी चाहिए ।
चित्रविचित्र रंगोली बनाने की अपेक्षा शास्त्रानुसार रंगोली बनाएं !
दीपावली में हम घरों के सामने रंगोली बनाते हैं । रंगोली के माध्यम से हम देवता का आवाहन करते हैं । शास्त्रानुसार रंगोली किस प्रकार बना सकते हैं, यह सनातन के `सात्त्विक रंगोलियां’ नामक ग्रंथ में उल्लेखित है । हम शास्त्र से अपरिचित हैं, अतएव आधुनिक प्रथा अथवा परिवर्तित रूप में लडकियां चित्रविचित्र रंगोली बनाती हैं, इसे हमें रोकना ही चाहिए । लडकियों, हम इस दीपावली में शास्त्रानुसार रंगोली बनाने का निश्चय करेंगे ।
दीपावली में बिजली का प्रकाश अथवा तमोगुणी मोमबत्ती का उपयोग करने की अपेक्षा तेल के दिये का उपयोग करेंगे !
दीपावली में वातावरण में ईश्वरीय चैतन्य अधिक मात्रा में होता है । तेल के दीए के माध्यम से हमारे घरों में उस चैतन्य का प्रक्षेपण होता है एवं हमारे घर का वातावरण आनंदी होता है । तेल का दीया रज-तम का नाश करता है एवं सत्त्वगुण की वृद्धि करता है, तो बिजली के प्रकाश एवं मोमबत्ती द्वारा वातावरण में रज-तम की वृद्धि होती है । ऐसा नहीं हो। अतः बच्चो, दीवाली में तेल का दीया जलाएं तथा बिजली के प्रकाश से घर को प्रकाशित ना करें !
भैयादूज के दिन बहन को हिंदु संस्कृतिनुसार वस्त्रालंकार प्रदान करें !
भैयादूज के दिन बहन भाई का औक्षण करती है, तब बहन को वस्त्रालंकार प्रदान करते समय भाई जीन्स पैंट एवं टी-शर्ट ऐसे ईसाईयों की वेशभूषावाले वस्त्र देते हैं । ऐसी भेंट देना, अर्थात अपनी बहन को हिंदु संस्कृति से दूर लेकर जाने के समान ही है । अतः हम अपनी बहन को घाघरा-चोली(परकर पोलके), सलवार-कमीज, साडी जैसे सात्त्विक वस्त्र प्रदान कर हिंदु संस्कृति की रक्षा करेंगे !
मित्रो, अब हमें हर त्योहार के पीछे क्या शास्त्र है, यह ज्ञात करना आवश्यक है । हमें प्रत्येक त्योहार शास्त्रानुसार मनाना चाहिए । साथ ही हम धर्म एवं संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त कर राष्ट्र एवं संस्कृति की रक्षा हेतु तत्पर रहें ! – श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल
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