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Friday, December 4, 2020

NGT का दोहरा मापदंड : दीपावली पर प्रतिबंध, क्रिसमस पर पटाखे पर छूट

04 दिसंबर 2020


हिंदुस्तान में ही हिंदुओं का दूसरा दर्जा रखा हुआ है, कोई भी हिंदू त्यौहार आये तो उस पर सवाल उठाया जाता है जबकि किसी अन्य समुदाय का त्योहार हो तो तुरंत छूट मिल जाती है, दूसरी तरफ जहाँ अधिकारों की बात आती है वहाँ पर भी सरकारी सुविधाओं पर जितना हक अल्पसंख्यकों का है उतना बहुसंख्यक हिंदुओं को नही मिलता है। विश्व मे भारत ही एक ऐसा देश है जो बहुसंख्यकों को दूसरा दर्जा दिया है।




आपको बता दें कि देश में कोरोना की स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने पटाखों पर लगे बैन को अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया है। एनजीटी ने साफ तौर पर कह दिया है कि दिल्ली-एनसीआर समेत देश के उन सभी हिस्सों में पटाखों पर बैन बरकरार रहेगा जहाँ पर एयर क्वालिटी ख़राब या खतरनाक स्तर पर है। साथ ही एनजीटी ने कहा है कि क्रिसमस और न्यू ईयर के मद्देनजर देश के उन इलाकों में जहाँ एयर क्वालिटी मॉडरेट स्तर पर है, वहाँ पटाखे रात को 11:55 बजे से 12.30 तक यानी 35 मिनट के लिए चलाने की अनुमित होगी।

बता दें कि एनजीटी द्वारा पटाखों पर लगे बैन को आगे बढ़ाने के बाद अब सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी समारोह या शादी में पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा इसकी खरीद-फरोख्त पर लगी रोक भी बरकरार रहेगी।

पिछले महीने दीवाली से पहले एनजीटी ने 9 नवंबर को पटाखों के खरीद-फरोख्त और स्टोरेज पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। एनजीटी की तरफ से यह प्रतिबंध 30 नवंबर तक के लिए लगाया गया था, लेकिन अब एनजीटी ने पाया कि दिल्ली एनसीआर में कोरोना की तीसरी लहर तेज है, इसलिए यह प्रतिबंध आगे भी जारी रहेगा।

दिल्ली में दिवाली से ठीक पहले दिल्ली सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया था। दिल्ली में पटाखों को 9 नवंबर से 30 नवंबर तक पूरी तरह से बैन कर दिया गया। ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई। कहा गया कि दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए इस तरह की पाबंदी लगाई गई।

केजरीवाल सरकार ने पटाखों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए। दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि पटाखे जलाने और पटाखे बेचने वालों पर ₹1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

गोपाल राय ने कहा कि पटाखे बेचने या फोड़ने वाले लोगों पर वायु प्रदूषण (नियंत्रण) अधिनियम (1981) के तहत 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। गोपाल राय ने बताया कि आरोपित के खिलाफ एयर एक्ट के तहत केस बनाया जाएगा, जिसमें 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। अब एनजीटी ने क्रिसमस और न्यू ईयर के अवसर पर रात के 11:55 बजे से 12.30 तक पटाखे चलाने की अनुमति दे दी है।

बीजेपी नेता मेजर सुरेंद्र पुनिया ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है, “शाबाश NGT NGT क्रिसमस/नईसे साल पर 11:50PM से 12:30 AM के बीच में पटाखे चला सकते हैं” क्योंकि उससे प्रदूषण नहीं होगा! दीवाली पर इसी NGT के आदेश पर पटाखे चलाने के जुर्म में 850 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। मी लॉर्ड,आपको इस वैज्ञानिक आविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार क्यों ना मिले?

वहीं एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, अब पटाखे जलाने से प्रदूषण नहीं फैलता? केवल दीपावली पर ही प्रदूषण फैलता है? अब कोविड-19 वायरस का संक्रमण खत्म हो गया है? या कानून का दुरुपयोग हो रहा है सिर्फ हिन्दू के त्यौहार को प्रतिबंधित करने के लिए?

ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है की किसी भी हिंदू त्यौहार आते ही वामपंथी, सेक्युलर, तथाकथित बुद्धजीवी, मीडिया आदि विरोध में खड़े हो जाते हैं पर अन्य समुदायों के लोगो के लिए छूट देने की मांग करते हैं, ये अंग्रेजों वाली नीति है हिंदुओं को संगठित होकर इसको खत्म कर देना चाहिए जब सेक्युलर देश बोला जाता है तो सभी को समानता का हक भी मिलना चाहिए।

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Friday, November 13, 2020

दीपावली का पर्व कबसे मनाया जाता है? इसदिन लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करें?

13 नवम्बर 2020


दीपावली हिन्दू समाज में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। दीपावली को मनाने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति के उस प्राचीन सत्य का आदर करना है, जिसकी महक से आज भी लाखों लोग अपने जीवन को सुवासित कर रहे हैं। दिवाली का उत्सव पर्वों का पुंज है। भारत में इस उत्सव को मनाने की परंपरा कब से चली, इस विषय में बहुत सारे अनुमान किये जाते हैं। 




बताया जाता है कि भगवान श्रीराम जी का राज्याभिषेक इसी अमावस के दिन हुआ था और राज्याभिषेक के उत्सव में दीप जलाये गये थे, घर-बाजार सजाये गये थे, गलियाँ साफ-सुथरी की गयी थीं, मिठाइयाँ बाँटी गयीं थीं, तबसे दिवाली मनायी जा रही है।

यह भी बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण करके राजा बलि से दान में तीन कदम भूमि माँग ली और विराट रूप लेकर तीनों लोक ले लिए तथा सुतल का राज्य बलि को प्रदान किया। सुतल का राज्य जब बलि को मिला और उत्सव हुआ, तबसे दिवाली चली आ रही है।

कही ये भी बताया जाता है कि सागर मंथन के समय क्षीरसागर से महालक्ष्मी उत्पन्न हुईं तथा भगवान नारायण और लक्ष्मी जी का विवाह-प्रसंग था, तबसे यह दिवाली मनायी जा रही है।

यह भी पुराणों में आता है कि श्रीकृष्ण ने आसुरी वृत्ति के नरकासुर का वध कर जनता को भोगवृत्ति, लालसा, अनाचार एवं दुष्टप्रवृत्ति से मुक्त किया एवं प्रभुविचार (दैवी विचार) देकर सुखी किया तबसे ‘दीपावली’ मनाई जाती है।

सिखों का कहना है कि गुरु गोविन्दसिंह इस दिन से विजययात्रा पर निकले थे। तबसे सिक्खों ने इस उत्सव को अपना मानकर प्रेम से मनाना शुरू किया।

जैनी बताते है कि 'महावीर ने अंदर का अँधेरा मिटाकर उजाला किया था। उसकी स्मृति में दिवाली के दिन बाहर दीये जलाते हैं। महावीर ने अपने जीवन में तीर्थंकरत्व को पाया था, अतः उनके आत्म उजाले की स्मृति कराने वाला यह त्यौहार हमारे लिए विशेष आदरणीय है।

इस प्रकार पौराणिक काल में जो भिन्न-भिन्न प्रथाएँ थीं, वे प्रथाएँ देवताओं के साथ जुड़ गयीं और दिवाली का उत्सव बन गया।

यह उत्सव कब से मनाया जा रहा है, इसका कोई ठोस दावा नहीं कर सकता, लेकिन है यह रंग-बिरंगे उत्सवों का गुच्छ..... यह केवल सामाजिक, आर्थिक और नैतिक उत्सव ही नहीं वरन् आत्मप्रकाश की ओर जाने का संकेत करने वाला, आत्मोन्नति कराने वाला उत्सव है।

किसी अंग्रेज ने आज से 900 वर्ष पहले भारत की दिवाली देखकर अपनी यात्रा-संस्मरणों में इसका बड़ा सुन्दर वर्णन किया है तो दिवाली उसके पहले भी होगी।

संसार की सभी जातियाँ अपने-अपने उत्सव मनाती हैं। प्रत्येक समाज के अपने उत्सव होते हैं जो अन्य समाजों से भिन्न होते हैं, परंतु हिंदू पर्वों और उत्सवों में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं, जो किसी अन्य जाति के उत्सवों में नहीं हैं। हम लोग वर्षभर उत्सव मनाते रहते हैं। एक त्यौहार मनाते ही अगला त्यौहार सामने दिखाई देता है। इस प्रकार पूरा वर्ष आनन्द से बीतता है।

 दीपावली टिप्स

1. दिवाली की रात कुबेर भगवान ने लक्ष्मी जी की आराधना की थी जिससे वे धनाढ्यपतियों के भी धनाढ्य कुबेर भंडारी के नाम से प्रसिद्ध हुए , ऐसा इस काल का महत्व है ।

दीपावली की रात का लाख गुना फलदायी होता है । ये सिद्ध रात्रियाँ कहलाती हैं व भाग्य की रेखा बदलने वाली रात्रियाँ हैं । अधिक से अधिक जप करके इन रात्रियों का लाभ उठाना चाहिए ।

दीपावली की रात्रि जप करने योग्य लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र "रात्रि को दीया जलाकर इस सरल मंत्र का यथाशक्ति जप करें : ' ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा"

2. घर के बाहर हल्दी और चावल के मिश्रण या केवल हल्दी से स्वस्तिक अथवा ॐकार बना दें । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । द्वार पर अशोक और नीम के पत्तों का तोरण ( बंदनवार ) बाँध दें | उससे पसार होनेवाले की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी ।


3. लक्ष्मी प्रात्ति हेतु दीपावली की संध्या को तुलसी जी के निकट दीया जलाएँ , इससे लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने में मदद मिलती है ।

4. लक्ष्मी प्राप्ति की साधना :- दीपावली के दिनघर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें । हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख - सम्पति की वृद्धि होगी ।

5. लक्ष्मी प्राप्ति हेतु गुरुदेव के श्रीचित्र पर विशेष तिलक :- दीपावली के दिन लौंग और इलायची को जलाकर राख कर दें और उससे भगवान अथवा गुरुदेव (श्रीचित्र) को तिलक करें । ऐसा करने से लक्ष्मी प्राप्ति में मदद मिलती है और काम - धंधे में बरकत आती है ।

6. आनंद व प्रसन्नतावर्धक नारियल - खीर प्रयोग :- दीपावली के रात्रि को थोड़ी खीर को कटोरी में डालकर और नारियल लेकर घूमना और मन में 'लक्ष्मी-नारायण' जप करना ; स्वीर ऐसी जगह रखना जहाँ किसीका पैर ना पड़े और गाय, कौए आदि स्वा जाएँ । नारियल अपने घर के मुख्य दरवाजे पर फोड़ देना और उसकी प्रसादी बांटना । इससे घर में आनंद और सुख-शांति रहेगी ।

7. परिवार की तीनों तापों से रक्षा के लिए-कपूर :- दीपावली के दिन चाँदी की कटोरी में अगर कपूर को जलाएँ, तो परिवार में तीनों तापों से रक्षा होती है ।

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Tuesday, November 10, 2020

इस दीपावली पर भारतीय इस बात का खास ध्यान रखें...

10 नवंबर 2020


 दीप आनंद का प्रतीक है। व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का जीवन आनंदमय हो, साथ ही सभी का जीवन आनंद से परिपूर्ण हो जाए। इसलिए हम आकाशदीप लगाते हैं । दीप लगाने से अंधकार का नाश होता है। ‘दीपावली के त्योहार द्वारा अन्यों को आनंद प्राप्त हो, क्या ऐसे कार्य हम करते हैं’, हमें इसका चिंतन करना चाहिए । दुर्भाग्यवश इसका उत्तर ‘नहीं’ ही है । दीपावली के निमित्त हमारे किसी कृत्य द्वारा अन्यों को दुःख होगा, तो हम पाप के भागी होंगे। अतएव ये सब रोक कर देवता की कृपा संपादन करें ।




 पटाखों के माध्यम से होनेवाला देवता का अनादर रोकने का निश्चय करें !

दीपावली में कुछ लोग देवताओं के छायाचित्र वाले पटाखे फोडते हैं । देवता का छायाचित्र प्रत्यक्ष देवता ही हैं । जिस समय हम पटाखे फोडते हैं, उस समय उस छायाचित्र के टुकडे होते हैं, अर्थात हम उस देवता का अनादर ही करते हैं । श्रीलक्ष्मी के छायाचित्र वाले, साथ ही राष्ट्रभक्तों के छायाचित्र वाले पटाखे फोडना, इससे हमें पाप लगता है । इस दीपावली को हम ऐसे पटाखे खरीदेंगे ही नहीं। साथ ही ऐसे पटाखे खरीदने वालों का प्रतिरोध कर उनका प्रबोधन करेंगे, वास्तव में यह देवता की भक्ति है । ऐसा करने से हम पर देवता की कृपा होगी । बच्चो, क्या हमारे माता-पिता के छायाचित्र वाले पटाखे हम फोडेंगे ? नहीं न ! देवता हम सभी की रक्षा करते हैं । हमें शक्ति एवं बुद्धि प्रदान करते हैं। अतएव इस दीपावली को हम यह अनादर रोकने का निश्चय करें।

चीनी पटाखों के कारण होने वाला वायुप्रदूषण एवं भारत के पैसे चीन में नही जाए और चीन की घुसपैठ को ध्यान में लेकर प्रशासन को स्वयं ही इन पटाखों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए !

बता दें कि दीवाली को पटाखे फोडने के पीछे कोई भी शास्त्रीय आधार नहीं है । यह एक अनुचित किंतु प्रचलित प्रथा है । इसके विषय में हम चिंतन करेंगे । क्या पटाखे फोडने से अन्यों को आनंद की प्राप्ति होती है ? ऐसा बिल्कुल नहीं । तो ऐसी प्रथाओं का हम अनुकरण क्यों करें ? इसके विपरीत ऐसी प्रथाओं के कारण लोग अपने त्योहारों से त्रस्त हो गए हैं तथा त्योहार के विषय में भ्रांत धारणा बन गई है । उसे दूर करना, वास्तव में यही खरी दीपावली है । इसी कारण लोगों को धर्मशिक्षा प्रदान करनी चाहिए ।

 चित्रविचित्र रंगोली बनाने की अपेक्षा शास्त्रानुसार रंगोली बनाएं !

दीपावली में हम घरों के सामने रंगोली बनाते हैं । रंगोली के माध्यम से हम देवता का आवाहन करते हैं । शास्त्रानुसार रंगोली किस प्रकार बना सकते हैं, यह सनातन के `सात्त्विक रंगोलियां’ नामक ग्रंथ में उल्लेखित है । हम शास्त्र से अपरिचित हैं, अतएव आधुनिक प्रथा अथवा परिवर्तित रूप में लडकियां चित्रविचित्र रंगोली बनाती हैं, इसे हमें रोकना ही चाहिए । लडकियों, हम इस दीपावली में शास्त्रानुसार रंगोली बनाने का निश्चय करेंगे ।

दीपावली में बिजली का प्रकाश अथवा तमोगुणी मोमबत्ती का उपयोग करने की अपेक्षा तेल के दिये का उपयोग करेंगे !

दीपावली में वातावरण में ईश्वरीय चैतन्य अधिक मात्रा में होता है । तेल के दीए के माध्यम से हमारे घरों में उस चैतन्य का प्रक्षेपण होता है एवं हमारे घर का वातावरण आनंदी होता है । तेल का दीया रज-तम का नाश करता है एवं सत्त्वगुण की वृद्धि करता है, तो बिजली के प्रकाश एवं मोमबत्ती द्वारा वातावरण में रज-तम की वृद्धि होती है । ऐसा नहीं हो। अतः बच्चो, दीवाली में तेल का दीया जलाएं तथा बिजली के प्रकाश से घर को प्रकाशित ना करें !

भैयादूज के दिन बहन को हिंदु संस्कृतिनुसार वस्त्रालंकार प्रदान करें !

भैयादूज के दिन बहन भाई का औक्षण करती है, तब बहन को वस्त्रालंकार प्रदान करते समय भाई जीन्स पैंट एवं टी-शर्ट ऐसे ईसाईयों की वेशभूषावाले वस्त्र देते हैं । ऐसी भेंट देना, अर्थात अपनी बहन को हिंदु संस्कृति से दूर लेकर जाने के समान ही है । अतः हम अपनी बहन को घाघरा-चोली(परकर पोलके), सलवार-कमीज, साडी जैसे सात्त्विक वस्त्र प्रदान कर हिंदु संस्कृति की रक्षा करेंगे !

मित्रो, अब हमें हर त्योहार के पीछे क्या शास्त्र है, यह ज्ञात करना आवश्यक है । हमें प्रत्येक त्योहार शास्त्रानुसार मनाना चाहिए । साथ ही हम धर्म एवं संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त कर राष्ट्र एवं संस्कृति की रक्षा हेतु तत्पर रहें ! – श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल

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Saturday, November 7, 2020

दीपावली पर खरीदारी कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखें, इस बारे एक ट्रेंड भी टॉप में चला..

07 नवंबर 2020


उल्लास, आनंद, प्रसन्नता बढ़ाने वाले हमारे पर्वों में पर्वों का पुंज दीपावली अग्रणी स्थान पर है। भारतीय संस्कृति के ऋषि-मुनियों, संतों की यह दूरदृष्टि रही है, जो ऐसे पर्वों के माध्यम से वे समाज को वास्तविक आत्मिक आनंद, शाश्वत सुख के मार्ग पर ले जाते थे।




दीपावली पर हम खुश होते हैं व खुशियां बाँटते हैं, दीपावली पर हम घर में नया सामान, पटाखें, मिठाई आदि की खरीदारी करते है। यह सामान खरीदने में एक सावधानी जरूर रखें शनिवार को इस पर ट्रेंड चला था #हिंदू_दीपावली_हिंदू_सामान जो दिनभर टॉप में रहा और करीब एक लाख से ऊपर ट्वीट हुई थी दूसरा भी शनिवार शाम को टॉप में #चीन_मुक्त_दीपावली ट्रेंड चला।

ट्वीटर पर इस ट्रेंड के माध्यम से जनता बता रही थी कि दीपावली त्योहार हिंदुओ का है इसलिए हिंदुओं की दुकानों से ही सामान खरीदें क्योंकि जो दीपावली मनाते है उन्हीं से ही सामान खरीदें अर्थात हिंदुओं की दुकान से ही सामान खरीदें एवं चीन का भी सामान नहीं खरीदें क्योंकि भारतवासियों के पैसे से ही चीन समृद्ध हो रहा है और भारत के खिलाफ ही साजिश करता है।

ट्वीट के माध्यम से बताया गया था कि विदेशी कंपनियों की हिन्दू धर्म के प्रति कोई आस्था नहीं होती है इसलिए हिन्दुओं के सबसे बड़े त्योहार पर सिर्फ देश के बने हुए सामान और वो भी दिपावली मनाने वालों से ही खरीदने का संकल्प लें।

बताया गया कि हमें चीनी सामान का बहिष्कार करना चाहिए इससे हम उससे बिना लड़े जीत सकते हैं। बिजली का सामान हो या सजावटी सामान हो, या फिर अन्य सामान, राष्ट्र निर्मित ही होना चाहिए। ऐसा देश हित में होगा।

एक यूजर ने बताया कि इस वर्ष की दीपावली देश में निर्मित सामान से ही मनानी है यही सच्ची दिवाली होगी। देश का पैसा देश के कार्यों में लगे ऐसा शुभ संकल्प होना चाहिए। ये दीपावली आपकी आध्यात्मिक दीपावली हो।
#हिन्दू_दीपावली_हिन्दू_सामान #चीन_मुक्त_दीपावली

इस तरीके से अपील करती हुई लाखों ट्वीट हुई जिसके जरिये बताया गया कि हिंदुओ से ही सामान खरीदें एवं चीन का नहीं बल्कि भारतीय स्वदेशी ही सामान खरीदें।

दूसरी बात की दीपावली में कुछ लोग देवी-देवताओं के छायाचित्र वाले पटाखें फोडते हैं । देवता का छायाचित्र प्रत्यक्ष देवता ही हैं। जिस समय हम पटाखें फोडते हैं, उस समय उस छायाचित्र के टुकडे होते हैं, अर्थात हम उस देवता का अनादर ही करते हैं। श्रीलक्ष्मी के छायाचित्र वाले, साथ ही राष्ट्रभक्तों के छायाचित्र वाले पटाखें फोडना, इससे हमें पाप लगता है । इस दीपावली को हम ऐसे पटाखें खरीदेंगे ही नहीं। साथ ही ऐसे पटाखे खरीदने वालों का प्रतिरोध कर उनका प्रबोधन करेंगे, वास्तव में यह देवता की भक्ति है । ऐसा करने से हम पर देवता की कृपा होगी । बच्चो, क्या हमारे माता-पिता के छायाचित्र वाले पटाखे हम फोडेंगे ? नहीं न ! देवता हम सभी की रक्षा करते हैं । हमें शक्ति एवं बुदि्ध प्रदान करते हैं; अतएव इस दीपावली को हम यह अनादर रोकने का निश्चय करें ।

तीसरी बात यह है कि दीपावली पर मिठाई तो खरीदते ही है तो क्यो न इस बार गाय के दूध से बनी मिठाई खरीदे जिससे हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा, गौशालाओं में आमदनी भी अच्छी होगी और गौरक्षा भी होगी इसलिए इस बार जितना हो सके देशी गाय के दूध की मिठाई को खरीदें, खाएं एवं बांटे।

चौथी बात है कि आपके पास कोई हिंदू गरीब परिवार है तो आसपास के सभी हिंदू मिलकर उसकी सहायता जरुर करें जिससे वे भी अपनी दीपावली अच्छे से मना सकें।

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