आज, जब भी हम 'समाचार पत्र'खोलते है तो हमें महिलाओं पर अत्याचार की हृदय द्रवित करने वाली घटनाएँ पढ़ने को मिलती है। इस से मन बहुत आहत होता है और शायद इसीलिए सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए कड़े कानून बनाए है जैसे कि पॉक्सो। इसकी नितांत आवश्यकता भी है।
हकीकत
पर इस सिक्के का दूसरा पहलू भी है - वर्तमान में पाॅस्को जैसे अन्य महिला संरक्षण कानून के गलत इस्तेमाल से समाज की भारी हानि हो रही है। कुटिल एवम् धूर्त औरतें इसका हथियार की तरह उपयोग करके मनमाना उपयोग कर रही हैं। न्यायालय में फर्जी केसों की बाढ़ लगी है।
फर्जी केसेज़ की बहुतियात
हाल ही में दिल्ली में एक सर्वेक्षण के अनुसार रेप के आधे केस फर्जी होते हैं और बदला लेने की भावना से किए जाते है। जी हाँ, ये सच है जो की मानने के लिए थोड़ा मुश्किल है।
लेकिन आंकडे बताते है कि कुछ मनचलन महिलाएँ पैसा ऐंठने, बदला लेने या सस्ती प्रसिद्धी पाने हेतु बड़ी-बड़ी हस्तियों पर झूठे,घिनौने आरोप मढ़ देती है।
कई जानी मानी हस्तियां जैसे स्वामी नित्यानंदजी, कृपालू जी महाराज पर झुठा यौन शोषण का केस किया गया जो बाद में सुप्रीम कोर्ट में फर्जी साबित हुआ। ऐसे ही शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी पर भी लगाया गया हत्या का मामला झूठा साबित हुआ।
आशय
कहने का तात्पर्य है की सम्मानित व्यक्ति पर भी ख़ुद के फायदे के लिए मनगढ़न्त आरोप लगाए जाते है, जिस में जस्टिस गोगोई को भी नहीं छोड़ा गया। इसी तरह Asaram Bapu को भी फंसाया गया है।
ऐसे ही एक संत ने आत्महत्या कर ली क्यूंकि उन्हें फिरौती ना देने पर रेप केस में फंसाने की धमकी मिली थी। कई निर्दोष आदमी, बदनामी होने के कारण आत्महत्या भी कर लेते है।
जनता का सवाल
तो सवाल ये उठता है क्या हमारे देश में नेक इंसान, संत या सर्वसाधारण आदमी सुरक्षित है?
मैं दोषियों को सजा देने के खिलाफ नहीं पर जो असल में निर्दोष है उन्हें झूठा फंसा कर सजा दिलवाना क्या उचित है?
उपाय
इसीलिए पॉक्सो एवम् रेप लॉ में संशोधन जरूरी है ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति को सजा ना मिले। वाकई में अगर एक सुदृढ़ समाज का निर्माण करना है तो हमें इन सब बातों का ख्याल रखना होगा जो समाज को कमजोर ना कर सके।
रेणुका हरने
पुणे महाराष्ट्र
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