17 July 2023
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🚩भारत में जितने भी मिशनरी स्कूल मैकाले की शिक्षा पद्धति से चल रहे हैं, उन स्कूलों में बच्चे न तो तिलक और न ही मेंहदी लगा सकते हैं, हिन्दू त्यौहार नहीं मना सकते और यहां तक कि हिंदी भी नहीं बोल सकते- मतलब कि बच्चो को कोई स्वतंत्रता नहीं है। ऊपर से धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है।
🚩बिंदी लगाकर सेंट जेवियर्स में पढ़ने गई छात्रा को टॉर्चर करने पर ,छात्रा ने की आत्महत्या
🚩झारखंड के धनबाद के तेतुलमारी का सेंट जेवियर्स स्कूल विवादों में घिर गया है। बिंदी लगाकर आने पर एक छात्रा को शिक्षिका ने सरेआम थप्पड़ मारे। कथित तौर पर उसकी माँ को भी बेइज्जत कर स्कूल से निकाल दिया। इससे आहत छात्रा ने 10 जुलाई 2023 को घर लौटने के बाद फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके पास से सुसाइड नोट भी मिला है।
🚩आत्महत्या करने वाली दलित छात्रा की पहचान उषा कुमारी के तौर पर हुई है। वह 10वीं की छात्रा थी। घटना से नाराज लोगों ने स्कूल के बाहर धरना दिया। इसके बाद 11 जुलाई को स्कूल के प्रिंसिपल और महिला टीचर को गिरफ्तार कर लिया गया। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी मामले का संज्ञान लिया है।
🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मृत छात्र के पिता की काफी समय पहले मौत हो गई थी। 3 भाई-बहनों को उनकी माँ पढ़ा रही थी। मृतका की माँ ने बताया कि उनकी बेटी को सिर्फ बिंदी लगाने के चलते सबके सामने पीटा गया, जबकि उसने मिस (टीचर सिंधु) को देख कर बिंदी उतार भी दी थी। जब छात्रा ने इसकी शिकायत प्रिंसिपल से की तो उन्होंने भी इसे अनदेखा कर दिया। आरोप है कि प्रिंसिपल ने छात्रा को डाँटते हुए कहा, “तुम स्कूल का बैग लो और निकलो यहाँ से।”
🚩मृतका की माँ ने बताया कि उनकी बेटी रोते हुए घर आई तो वह उसके साथ स्कूल गई। प्रिंसिपल से माफी माँगी। लेकिन प्रिंसिपल पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने माँ-बेटी को बाहर निकाल दिया। इसके बाद छात्रा घर लौटी और फाँसी लगा ली। पीड़ित माँ के मुताबिक उनकी बेटी ने सुसाइड नोट लिखकर छोड़ा है, जिसके आधार पर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई है। छात्रा के सुसाइड की खबर मिलते ही स्कूल बंद कर दिया गया। आरोपितों पर कार्रवाई और पीड़ितों को मुआवजा की माँग करते अन्य स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया।
🚩प्रिंसिपल और महिला टीचर गिरफ्तार
🚩पुलिस ने आरोपित प्रिंसिपल आर के सिंह और महिला टीचर सिंधु को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
🚩स्कूल की मान्यता रद्द करने की माँग
🚩झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने स्कूल की मान्यता रद्द करने की माँग की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “पता नहीं ऐसे विद्यालयों को सनातन प्रतीकों से चिढ़ क्यों है? मुख्यमंत्री जी, इस मामले पर संज्ञान लीजिए और स्कूल की मान्यता रद्द करने हेतु संबंधित विभाग को पत्र लिखिए।”
🚩छात्रों को तिलक लगाने पर एंट्री नहीं: चेहरा धुलवाया
🚩मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित एक स्कूल में तिलक लगा कर आने वाले छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इन छात्रों को कहा गया कि उन्हें स्कूल में एंट्री तभी मिलेगी, जब वो अपना चेहरा धो कर आएँगे। इसकी जानकारी मिलते ही कई छात्र-छात्राओं के अभिभावक और हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने वहाँ पहुँच कर विरोध जताया। बड़ी बात ये है कि ये स्कूल सुसनेर के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता वल्लभ भाई अंबावतिया का है।
🚩बताया जा रहा है कि सुबह जब 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों की प्रार्थना सभा चल रही थी, उस समय शिक्षकों ने तिलक लगाए छात्रों को कक्षा में जाने से रोक दिया। कहा गया कि चेहरा धो कर आओ। जिन्होंने तिलक मिटाया, उन्हें ही प्रवेश दिया गया। एक छात्र ने बताया कि उसने जब ऐसा करने से मना कर दिया तो उसे अंदर नहीं जाने दिया गया, फिर घर आकर उसने अपने माता-पिता को इस बारे में बताया। एक अन्य लड़के ने भी बताया कि खुद प्रिंसिपल मैडम ने तिलक मिटा दिया।
🚩घटनास्थल पर विहिप और ‘बजरंग दल’ के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लग गया। स्कूल प्रबंधन से उन्होंने बातचीत की। अंत में लिखित में मिलने के बाद वो माने। किसी पक्ष ने कोई शिकायत अभी दर्ज नहीं कराई है। राहुल गाँधी इसी स्कूल में सभा करने के लिए राजस्थान के लिए रवाना हुए थे। मध्य प्रदेश के इंदौर से भी हाल ही में ऐसा मामला सामने आया है। धार रोड स्थित ‘बाल विज्ञान शिशु विहार हायर सेकेंडरी स्कूल’ में तिलक लगाने पर छात्र को पीट-पीट कर भगा दिया गया।
🚩गौरतलब है कि इसी तरह की घटना 2019 में त्रिपुरा में हुई थी जब ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण का विरोध करने के लिए एक हॉस्टल वार्डन द्वारा बेरहमी से प्रताड़ित किए जाने के बाद एक 15 वर्षीय छात्र की मौत हो गई थी।🚩इस तरह की सैंकड़ों घटनाएं होगी जो खबरे बाहर नही आ रही है।
🚩भारत में आजकल बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने का प्रचलन बहुत चल रहा है; सभी का कहना है कि बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में भेजो, लेकिन वास्तव में उनके माता-पिता कॉन्वेंट स्कूल का सच नहीं जानते है, इसलिए अपने बच्चों को भेजते हैं। कान्वेंट स्कूलों के मामले में एक बात तो साफ तौर पर कही जा सकती है कि “दूर के ढोल सुहावने”।
🚩सभी हिन्दू अभिभावकों से नम्र निवेदन है कि कॉन्वेंट स्कूल में छात्रों पर पड़ने वाले गलत संस्कारों तथा उनके साथ हो रही प्रताड़ना को देखते हुए अपने बच्चों को वहां नहीं भेजना चाहिए। वैदिक गुरुकुलों में अपने बच्चों को भेजना चाहिए।
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