Saturday, September 30, 2023

पत्थरबाजी सोची-समझी जिहादी रणनीति, मुस्लिमों द्वारा गणेश उत्सव पर देशभर में पत्थर बाजी

 30 September, 2023


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🚩पहले गुड़ी पड़वा फिर रामनवमी , हनुमान जयंती और अब... गणेशोत्सव पर देशभर में कई जगहों पर इस्लामी कट्टर पंथियों ने जमकर पत्थर बाजी की !


🚩गज़वा-ए-हिंद को साकार करने के लिए कट्टरपंथी जेहादियों द्वारा, हिन्दुओं और हिन्दू त्यौहार के खिलाफ़ हिंसा की वारदातें दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही हैं !


🚩आज समय की मांग है कि सभी सनातनियों को आपस में मिल-जुलकर एकजुट होकर आगे आना ही होगा !


🚩पत्थरबाजी एक बहुत सोची-समझी जिहादी रणनीति है। एक खास तरह के पत्थरों को इकट्ठा करना, उन्हें फेंकने का प्रशिक्षण देना, उसका नियंत्रित इस्तेमाल करना, यह सब संगबाजी जिहाद का हिस्सा हैं। बिना पूर्व योजना के संगबाजी हो ही नहीं सकती। संगबाजी का सबसे बड़ा फायदा है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह सुरक्षाबलों की बंदूकों को निष्क्रिय कर देती है। अगर सुरक्षाबल गोली से जवाब दें, तो यह उनके दुष्प्रचार और मुसलमानों के एकत्रीकरण के लिए बहुत लाभदायक होता है। संगबाजी के कई स्वरूप होते हैं। पहला, जो कश्मीर में देखने को मिला। दूसरा, जो रामनवमी शोभायात्राओं में दिखा और तीसरा, जो हाल के

गणेश उत्सव में देखने को मिला।


 🚩गणेश उत्सव पर देशभर में अनेक जगह पर पत्थर बाजी


🚩मध्य प्रदेश के धार जिले के कुक्षी में गुरुवार रात को अनंत चतुर्दशी के मौके पर निकाले जा रहे श्री गणेशजी की यात्रा पर इस्लामी कत्थरपंथियो ने जमाकर पथराव किया गया।


🚩राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर के बस स्टैंड के पास तालाब में गुरुवार देर शाम गणपति जी का विसर्जन किया जा रहा था, ऐसे में बड़ी संख्या में महिलाएं-पुरुष और बच्चे नाचते गाते तालाब की ओर बढ़ रहे थे। तभी कट्टरपंथियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी।


🚩झारखंड के कतरास शहर में गणेश पूजा की धूम के दौरान रानी बाजार गणेश पूजा समिति के द्वारा गणेश प्रतिमा के विसर्जन के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगो ने पत्थरबाजी की । जिसमें पांच लोग घायल हो गए। थाना पहुंच कर पुलिस से शिकायत की है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की छानबीन शुरु कर दी है।


🚩गुजरात के वडोदरा में गणेश यात्रा के दौरान हिंसा हुई है। वहां सोमवार रात जिस वक्त गणेश यात्रा एक निकल रही थी उसपर मुसलमान के कुछ लोगो ने पत्थरबाजी किया। पुलिस ने मामले में 13 लोगों को हिरासत में लिया है।


🚩गुजरात के नर्मदा जिले में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया है। यहां लांबा इलाके में बजरंग दल की शौर्य यात्रा पर जमकर पत्थरबाजी और आगजनी की गई। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को मौके से हटा दिया है। बड़ी संख्या में पुलिसफोर्स की तैनाती की गई है।


🚩विशेश्वरगंज(बहराइच)। बारावफात जुलूस की तैयारियों के दौरान विशेश्वरगंज थाना क्षेत्र में मंगलवार को उस समय तनाव फैल गया जब समुदाय विशेष के युवकों ने दूसरे समुदाय के लोगों के मकानों पर हरा झंडा लगा दिया। जब विरोध हुआ तो मुस्लिम समुदाय के युवकों ने लगभग 200 की संख्या में पहुंचकर झंडा उतारने वाले लोगों पर हमला कर दिया।


🚩इस दौरान मुस्लिम जिहादियों ने जमकर पत्थरबाजी की जिसमें एक किशोर अनुराग पुत्र शिवकुमार जायसवाल घायल हो गया। पुलिस ने 14 नामजद व 10 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। एसपी ने बताया कि चार लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। गंगवल बाजार क्षेत्र में पुलिस बल तैनात किया गया है।


🚩पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन पर गुरुवार (28 सितंबर 2023) को निकले बारावफात जुलूस में कई जगहों पर उपद्रव देखने को मिला। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जुलूस में शामिल लोगों ने पत्थरबाजी की। सुल्तानपुर में तिरंगे के अपमान का मामला सामने आया है। बदायूं में का एक वीडियो वायरल है, जहाँ मुस्लिम भीड़ ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाती दिख रही है।


🚩कुशीनगर में पत्थरबाजी


🚩कुशीनगर में बारावफात जुलूस के दौरान पत्थरबाजी हुई। नवीन सब्जी मंडी के नौका टोला से बारावफात का जुलूस नगर भ्रमण के लिए निकला। इसमें एक ट्राली पर नाबालिग हाथ में तख्ती लिए था, जिस पर लिखा हुआ था- 15 मिनट याद आया। उसी ट्राली पर हैदराबाद के विवादित मुस्लिम नेता अकबरूद्दीन ओवैसी की हेट स्पीच का ऑडियो भी बज रहा था।


🚩ये जुलूस वापस जब गोला बाजार पहुँचा तो ओवैसी के ऑडियो पर हिंदू युवकों ने आपत्ति की, इसके बाद जुलूस में शामिल मुस्लिम युवकों ने राम जानकी मंदिर के पास पथराव किया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया। भारी पुलिस बल और पीएसी की तैनाती करनी पड़ी।


🚩पथराव में राम जानकी नगर की मुस्कान और रितेश घायल हो गए। इस मामले में पुलिस ने पथराव करने वाले 37 ज्ञात और कुछ अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर 6 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।


🚩सबसे बड़ा सवाल


🚩अब सबसे बड़ा सवाल यह उत्पन्न होता है कि हिंदू त्यौहार की यात्रा पर हिंसा से लाभ किसको मिलता है। इसके उत्तर के लिए हमें गजवा-ए-हिंद के इस्लामिक सिद्धांत पर गौर करना होगा। सभी भारतीय मुसलमान इस सिद्धांत से मजहबी रूप से बंधे हुए हैं। इसकी निंदा या इसके बहिष्कार की सजा शरियत के मुताबिक मौत है। गजवा-ए-हिंद इस्लामिक कट्टरपंथ और ध्रुवीकरण के बिना संभव नहीं है। दारुल हरब से दारुल इस्लाम की यात्रा ध्रुवीकरण के बिना संभव नहीं है। इसके लिए हिंदुओं के खिलाफ समय-समय पर हिंसा अत्यंत आवश्यक है। भारत में मुसलमानों में यह डर हमेशा रहा है कि उनके मजहब के लोग कहीं अतीत की रास्ते पर न चल पड़ें। कहीं हिंदू वातावरण में दोबारा सम्मिलित न हो जाएं। देवबंद की स्थापना भी इसीलिए हुई थी, क्योंकि 1857 के युद्ध के बाद मौलवियों की यही मान्यता थी कि वह मुगल राज पुन: स्थापित करने में इसलिए नाकामयाब हुए, क्योंकि भारत के मुसलमानों पर हिंदू धर्म का असर काफी बढ़ गया था और एक साझा संस्कृति बनती जा रही थी। अहल-ए-हदीस आंदोलन का भी यही कारण था।


🚩डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने अपनी किताब ‘थॉट्स आन पाकिस्तान’ में लिखा है कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि एक गुजराती मुसलमान और एक गुजराती हिंदू या एक कश्मीरी हिंदू और एक कश्मीरी मुसलमान, सांस्कृतिक रूप से एक हैं। उनका कहना है कि यह केवल एक मुसलमान की सोच में अस्थाई समझौता है। उनका मानना है कि किन्हीं कारणों से इस्लामीकरण रुक गया था, जो कभी न कभी पूरा होगा। अगर डॉ. आंबेडकर का विश्लेषण गलत रहा होता, तो बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल एक राज्य होते। बांग्लादेश से हिंदुओं का पलायन नहीं होता और कोलकाता में हिंदू त्यौहार की शोभायात्रा पर बंगाली मुसलमान पत्थरबाजी न करते।


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