Sunday, September 10, 2023

ऐसे रिश्ते विवाह को नष्ट करने का व्यवस्थित डिजाइन.....

लिव इन रिलेशन को लेकर जज ने कहा – ऐसे रिश्ते विवाह को नष्ट करने का व्यवस्थित डिजाइन.....


10 September 2023


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🚩लिव इन रिलेशनशिप के एक मामले में फैसला सुनाते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट ने टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि भारत जैसे देश में मध्यम वर्ग की नैतिकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिश्तों की आलोचना की और कहा, “लिव इन विवाह की संस्था को नष्ट करने के लिए एक व्यवस्थित डिजाइन है, जो समाज को अस्थिर करता है और हमारे देश की प्रगति में बाधा डालता है।”


🚩लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हालिया घटनाक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मंगलवार (29 अगस्त , 2023) को अपनी लिव-इन पार्टनर से बलात्कार के आरोपित अदनान को जमानत दे दी। इस मामले में अदालत का फैसला भारतीय समाज में लिव-इन रिलेशनशिप की जटिलताओं और विवाह के महत्व पर प्रकाश डालता है।


🚩आरोपित को जमानत देते हुए, इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अपने आदेश में कहा कि “विवाह संस्था किसी व्यक्ति को जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति, प्रगति और स्थिरता प्रदान करती है, वह कभी भी लिव-इन रिलेशनशिप द्वारा प्रदान नहीं की जाती है।”


🚩समाज को अस्थिर करने की योजना


🚩कोर्ट के आदेश में जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा, “ऊपरी तौर पर, लिव-इन का रिश्ता बहुत आकर्षक लगता है और युवाओं को लुभाता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है और मध्यमवर्गीय सामाजिक नैतिकता/मानदंड उनके चेहरे पर नजर आने लगते हैं, ऐसे जोड़े को धीरे-धीरे एहसास होता है कि उनके रिश्ते को कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं है।”


🚩उन्होंने आगे कहा, “लिव-इन रिलेशनशिप को इस देश में विवाह की संस्था के फेल होने के बाद ही सामान्य माना जाएगा, जैसा कि कई तथाकथित विकसित देशों में होता है जहाँ विवाह की संस्था की रक्षा करना उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। हम भविष्य में अपने लिए बड़ी समस्या खड़ी करने की ओर अग्रसर हैं। इस देश में विवाह की संस्था को नष्ट करने और समाज को अस्थिर करने और हमारे देश की प्रगति में बाधा डालने की योजनाबद्ध योजना बनाई गई है।”


🚩टीवी धारावाहिक विवाह संस्था को पहुँचा रहे नुकसान


🚩जज सिद्धार्थ ने यह भी कहा, “आजकल की फिल्में और टीवी धारावाहिक विवाह की संस्था को खत्म करने में योगदान दे रहे हैं। शादीशुदा रिश्ते में पार्टनर से बेवफाई और उन्मुक्त लिव-इन रिलेशनशिप को प्रगतिशील समाज की निशानी के तौर पर दिखाया जा रहा है। युवा ऐसे दर्शन की ओर आकर्षित हो जाते हैं लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणामों से अनजान होते हैं।”


🚩लिव इन के बाद महिला का विवाह के लिए पुरुष साथी ढूँढना मुश्किल


🚩अपने आदेश में उन्होंने यह भी कहा, “जहाँ लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर आने वाले पुरुषों के लिए शादी या किसी अन्य लिव-इन रिलेशनशिप के लिए महिला साथी ढूँढना मुश्किल नहीं है, वहीं महिलाओं को शादी के लिए पुरुष साथी ढूँढना बहुत मुश्किल है।”


🚩अदालत ने अपने आदेश में कहा, “…सामाजिक मध्यवर्गीय मानदंड, महिला साथी के धर्म की परवाह किए बिना, उसकी सामाजिक स्थिति को फिर से हासिल करने के उसके प्रयासों के खिलाफ हैं।”


🚩वहीं लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर आने वाली महिलाओं के बारे में बात करते हुए कोर्ट ने कहा, “अपवादों को छोड़कर, कोई भी परिवार ऐसी महिला को स्वेच्छा से अपने परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं करता है। अदालतों में ऐसे मामलों की कोई कमी नहीं है, जहाँ पूर्व लिव-इन-रिलेशनशिप की महिला साथी सामाजिक बुरे व्यवहार से तंग आकर आत्महत्या कर लेती है।”


🚩गौरतलब है कि लिव इन मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा रेप के आरोपित को जमानत देते हुए की टीवी धारावाहिक , फिल्मों सहित सामाजिक ताने-बाने पर की गई टिप्पणी कई नजीर पेश करती है।


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