24 सितम्बर 2024
https://azaadbharat.org
🔷असम के कानून पर उठे विवाद की सच्चाई
असम में हाल ही में पारित "The Assam Compulsory Registration of Muslim Marriage and Divorce Bill, 2024" को लेकर विवाद चल रहा है। इस बिल का उद्देश्य निकाह और तलाक का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना है, जिसके जरिए बाल विवाह, बिना सहमति के विवाह और बहुविवाह जैसी समस्याओं पर रोक लगाई जा सके।
🔷मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्सों ने इसे भेदभावपूर्ण करार दिया है।लेकिन वास्तविकता यह है कि मुस्लिम समुदाय को पहले ही कई कानूनी लाभ मिले हुए है। उदाहरण के लिए,वर्तमान में निकाह का सर्टिफिकेट काजी द्वारा दिया जाता है जबकि हिंदू विवाह के लिए यह अधिकार पंडित को नहीं है। हिंदुओं को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन सरकारी अधिकारियों के पास कराना पड़ता है जिसका कोई विरोध नहीं होता।
🔷यहां तक कि आर्य समाज मंदिरों में होने वाले विवाह को भी सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया लेकिन काजियों के अधिकार को चुनौती नहीं दी गई। क्यों?
🔷निकाह और अनुबंध (Contract) : मुस्लिम समुदाय का कहना है कि निकाह एक अनुबंध (Contract) है। लेकिन,अनुबंध की शर्तें और पात्रता Indian Contract Act, 1872 में स्पष्ट रूप से परिभाषित है। इसके अनुसार, अनुबंध करने वाले की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए और व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति 21 वर्ष से कम है और उसे कोर्ट द्वारा गार्जियन नियुक्त किया गया तो उसे नाबालिग माना जाएगा और वह अनुबंध नहीं कर सकता।साथ ही, रजिस्ट्रेशन के समय लड़के और लड़की को यह साबित करना होगा कि वे असम के नागरिक है, जिससे अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी) का पर्दाफाश हो सकता है।
🔺Follow on
https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/
🔺Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg
🔺 Twitter:
twitter.com/AzaadBharatOrg
🔺 Telegram:
https://t.me/ojasvihindustan
🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg
🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4
No comments:
Post a Comment