24 दिसंबर 2020
तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान है, अत्यंत उपयोगी औषधि है, मात्र इतना ही नहीं, यह तो मानव जीवन के लिए अमृत है ! यह केवल शरीर स्वास्थ्य की दृष्टि से ही नहीं, अपितु धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यावरणीय एवं वैज्ञानिक आदि विभिन्न दृष्टियों से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।
तुलसी पूजन दिवस 25 दिसम्बर को क्यों मनायें ?
इन दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से इन दिनों में यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होगा।
कवि ने क्या बताया?
प्लास्टिक के पेड़ के नीचे मोमबत्ती जलाना, ये कैसी आधुनिकता है।
सांता क्लॉज आएंगे उपहार देने, ये कैसी मानसिकता है।।
25 दिसम्बर को यीशु मसीह जन्में, ये भी कहीं नहीं लिखा।
बाईबल के पन्ने भी पलटे, पर उसमें भी नहीं दिखा।।
फिर क्यों व्यर्थ में क्रिसमस के प्रचलन को बढ़ावा दिया गया।
यीशु, सांता क्लॉज का नाम जोड़कर, क्यों दिखावा किया गया।।
प्लास्टिक से बना पेड़, भयंकर बीमारियों को आमंत्रण है।
मोमबत्ती जलने से निकली कार्बन डाइऑक्साइड, फैलाती प्रदूषण है।
क्रिसमस मनाने से आजतक बस, युवावर्ग का ह्रास हुआ।
नशे की तरफ आकर्षित हुए, नैतिकता का सर्वनाश हुआ।।
इसे देख आशारामजी बापू ने ठाना, समाज को बचाना है।
युवावर्ग है देश की नींव, उनको सही मार्ग दिखाना है।।
25 दिसम्बर को करें तुलसी पूजन, यह सुंदर शुरुआत की।
स्वच्छ हो पर्यावरण, संस्कारी हो समाज, सबके भले की बात की।।
तुलसी माता है हरि की प्रिय, तुलसी असाध्य रोग हर लेती है।
वातावरण से प्रदूषक है सोखती, 24 घण्टे ऑक्सिजन देती है।।
जाग मानव! आडम्बर और दिखावे वाली आधुनिकता में मत फंस।
आशाराम बापूजी की सत्प्रेरणा से, 25 दिसम्बर को मनाओ तुलसी पूजन दिवस।। - कवि सुरेन्द्र भाई
क्रिसमिस के दिन शराब आदि नशीले पदार्थ का जमकर सेवन करते है, अश्लीलता भरे गाने गाये जाते हैं, पार्टी करते हैं, महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं जिसके कारण वातावरण अशुद्ध होता है, स्वास्थ्य खराब होता है, पैसे और समय की बर्बादी होती है और आत्महत्याएं बढ़ती है इन सबको रोकने के लिए क्रिसमिस की जगह तुलसी पूजन दिसव मनाना अत्यंत आवश्यक है।
★ फ्रेच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है- "तुलसी एक अदभुत औषधि (Wonder Drug) है।
★ इजरायल में धार्मिक, सामाजिक, वैवाहिक और अन्य मांगलिक अवसरों पर तुलसी द्वारा पूजन कार्य सम्पन्न होते रहे हैं, यहाँ तक कि अंत्येष्टि क्रिया में भी।
विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा
मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।
पद्म पुराण के अनुसार
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी।
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी।।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता।
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।।
जो दर्शन करने पर सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है। (पद्म पुराणः उ.खं. 56.22)
तुलसी माता की अनंत महिमा जानकर आप भी अपने घर आंगन में तुलसी के पौधे जरूर लगाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें और हाँ एक बात ध्यान रखें 25 दिसंबर को क्रिसमस नहीं तुलसी पूजन दिवस मनाएं।
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