अक्टूबर 5, 2017
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है पत्रकार देवेंद्र गांधी का उसमें उन्होंने मीडिया को पूरा नंगा कर दिया है ।
उन्होंने बताया - मीडिया का फंडिग कहाँ से आता है और कौन उसको हैंडल करता है, मीडिया में जो खबरें दिखाई जाती है वे कितनी सच होती है, उन्होंने मीडिया को वेश्या का कोठा बताया ।
आइये जानते है क्या कहा देवेंद्र गांधी ने...
उन्होंने कहा कि नमस्कार दोस्तों मैं हूं देवेंद्र गांधी।
#देवेंद्र गांधी एक नाम है आपके लिए, लेकिन मैं मीडिया से जुड़ा हुआ हूं।
मीडिया की क्या हैसियत है आज की तारीख में , मीडिया का क्या रुतबा है आज की तारीख में , मीडिया को लोग किस तरह से किस नजरिए से देखते हैं आज की तारीख
इस पर बात करूंगा और साथ ही साथ आपको ये भी बताऊंगा कि देश के बड़े-बड़े मीडिया हाउसेस कहां से चल रहे हैं ?
कौन उन्हें चला रहा है और कौन उनका मालिक हैं ?
आप और हम अक्सर ये सोचते होंगे कि मीडिया निष्पक्ष है, मीडिया दबाव में काम नहीं करता लेकिन अगर आप आंकड़े देखेंगे और मीडिया चैनल्स के मालिकों की लिस्ट देखेंगे तो आपको थोड़ा-थोड़ा लगने लगेगा कि मीडिया उतना निष्पक्ष नहीं रहा,मीडिया उतना स्वतंत्र नहीं रहा जितना कि हम सोचते हैं या जितने की हम कामना करते हैं।
यूं तो मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन आज की तारीख में मुझे लगता है कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ तो कतई नहीं है।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पूरी तरह से या तो ढेर हो चुका है, जर्जर हो चुका है या तो ढेर होने के कगार पर है ।
अगर आज हमने खुद को नहीं संभाला, हमको मतलब मीडिया ने खुद को नहीं संभाला तो ये पिल्लर एक दिन पूरी तरह से धराशाई हो जाएगा और इसका इल्जाम भी मीडिया के सिर ही आएगा, क्योंकि हम खुद इसके लिए जिम्मेदार हैं और हमें इसकी जिम्मेदारी लेनी भी होगी ।
आज मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि मीडिया के कौन-कौन से हाउसेस प्रमुख हाउस इस देश में चल रहे हैं,
लेकिन इससे पहले मैं 2 बड़े सवाल उठाता हूं, क्या मीडिया इस समय मंडी बन चुका है ?
क्या #मीडिया #पूंजीवादी व्यवस्था की रखेल हो चुका है ?
क्या #मीडिया कोठे की #वेश्या बन चुका है?
ये सवाल बड़े गंभीर हैं क्योंकि मैं खुद मीडिया से जुड़ा हुआ हूँ इसलिए ये सवाल और भी गंभीर हो जाते हैं, क्योंकि यह सवाल मैं किसी और पर नहीं उठा रहा यह सवाल मैं अपने आप पर ही उठा रहा हूँ एक तरह से।
मैं उतना बड़ा पत्रकार नहीं हूँ कि टेलीविजन चैनल पर खड़ा होकर के इन सब बातों को बोलूं ।
कोई बोलेगा भी नहीं क्योंकि जब मैं आपको लिस्ट बताऊंगा कि चैनलों के मालिक कौन है तो आप भी सोच कर हैरान रहेंगे कि बड़े-बड़े पत्रकारों के नाम टेलीविजन चैनल पर देखते हैं और सोचते हैं कि शायद इन चैनलों की टेलीविजन चैनलों के मालिक भी यही होंगे और यह पत्रकार ही खबरें तय करते होंगे, नहीं ऐसा नही है पत्रकार कभी भी कतई खबरें तय नहीं करते। यह पूरा प्रोसेस होता है, प्रबंधन खबरों को तय करता है कौन सी खबर दिखाई जानी है , कौन सी खबर नहीं दिखाई जानी ।
TRP का तो मामला है ही कि #TRP की अंधी दौड़ चल रही है। इसके अलावा भी और भी बहुत सारे दबाव होते हैं कभी सत्ता पक्ष का तो कभी विपक्ष का और इस समय जो मीडिया की भूमिका है वह इस तरह से है जिस तरह से एक पूंजीवादी आदमी की कोई दूसरी रखेल हो।
मैं आपको बताऊंगा दोस्तों कि मीडिया में आज कौन-कौन से प्रमुख चैनल है व इसके मालिकाना हक किस-किस के पास हैं।
सबसे पहले मैं आपको बताता हूँ आज तक टेलीविजन चैनल के बारे में, ये #इंडिया न्यूज ग्रुप चैनल है जिसके संचालनकर्ता धर्ता जो है वो #अरुण पूरी जी हैं, अरुण पूरी वैसे पेशे से पत्रकार ही हैं।
दूसरा बड़ा चैनल है देश में #ABP न्यूज कुछ समय पहले तक ABP News उसका नाम स्टार न्यूज हुआ करता था तब इसमें ज्यादा हिस्सेदारी थी स्टार न्यूज की, इसका नाम जो है स्टार न्यूज होता था। अरसे बाद कुछ समय पहले ही इस चैनल का नाम एबीपी न्यूज हो गया क्योंकि ABP अनंत बाजार पत्रिका ने इसका मेजर शेयर स्टॉक था, इसने अपने पास रख लिया। इस चैनल को चलाती है #अभिजीत सरकार जो कि पश्चिम बंगाल की पुष्ट भूमि से आते हैं जो टेलीविजन से भी जुड़े रहे है।
तीसरा बड़ा चैनल है देश का #India TV, India TV की स्थापना 20 मई 2004 को हुई थी और जिसको होस्ट करते हैं आज की तारीख में #रजत शर्मा, #ऋतु धवन को तो आप जानते ही हैं , ये भी पेशे से पत्रकार हैं ।
एक चैनल और है News24,
News24 के जो मालिक है उनके बारे में दिलचस्प जानकारी देता हूँ, केंद्रीय मंत्री जो है श्री रवि शंकर प्रसाद जी उनकी बहन है #अनुराधा प्रसाद और #राजीव शुक्ला जो #कांग्रेस के नेता हैं ये दोनों मिलकर के इस चैनल को चलाते हैं ।
क्रिकेट एसोसिएशन से भी, बीसीसीआई से भी जुड़े रहे राजीव शुक्ला जी।
वैसे राजीव शुक्ला जी की पहचान एक पत्रकार के तौर से शुरुआत होती है लेकिन वो कब इतने बड़े ग्रुप के मालिक बन जाते हैं ये अपने आप में एक सवाल है।
तीसरा बड़ा घराना है जो है ZeeNews,
# ZeeNews के जो मालिक है डॉक्टर सुभाष चंद्रा एस्सेल ग्रुप ही Zee News चैनल को चलाता है Zee News के अलावा और भी Zee हिंदुस्तान व और भी कई सारे चैनल है जो एस्सल ग्रुप की तरफ से चलाए जाते हैं और जिनके मालिक है #डॉक्टर सुभाष चंद्रा।
डॉक्टर सुभाष चंद्रा इन दिनों राज्यसभा के मेंबर हैं, सभी जानते हैं कि #हरियाणा से #राज्यसभा मेंबर चुने गए थे वो और भाजपा ने उन्हें समर्थन दिया था।
वैसे वो निर्दलीय तौर पर राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे और ये जो Zee ग्रुप है वो उनका उनके मालिकाना हक वाली कंपनी है।
तीसरी बड़ी कंपनी है #इंडिया न्यूज। इंडिया न्यूज जो है वो है विनोद शर्मा, यानी #मनु शर्मा के जो पिताजी है विनोद शर्मा, हरियाणा के मंत्री भी रहे केंद्र में भी वो मंत्री रहे, कार्तिक शर्मा जो विनोद शर्मा जी का बेटा हे वो इस न्यूज चैनल को चलाता है।
और एक न्यूज चैनल है हमारे देश में न्यूज 18 इस न्यूज चैनल पर जो दबदबा है जो रुतबा है या इस न्यूज का जो मालिकाना हक है वो है रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास। आप चैनल खोलिएगा जब आप टेलीविजन खोलते हैं तो सबसे पहले न्यूज इंडिया TV फिर न्यूज 18 फिर ABP News फिर इस तरह से आप चैनलों की रिमोट पर हाथ रखते रखते चैनल आगे बढ़ते जाते हैं। तो ये जो चैनल है ये कार्तिक शर्मा इसको चला रहे हैं ।
इसके अलावा एक चैनल और है NDTV इंडिया। #NDTV इंडिया की स्थापना 1988 में हुई थी जो कि मैंने नेट से चेक किया है और इसको चलाने वाले हैं #प्रणव राय और उसकी पत्नी #राधिका राय और चेयर पर्सन और उनके मालिक का नाम दिया है विधान सिंह जो कि NDTV इंडिया के बारे में बताया जा रहा है।
आज सवाल यह है कि क्या ये चैनल निष्पक्ष है ??
बड़ा सवाल आपके सामने ये भी उठता होगा कि जब आप टेलीविजन पर रिमोट पर हाथ दबाते होंगे न्यूज चैनल की तरफ तो जब भी आप टेलीविजन खोलते हैं तो आपके मन में ये बड़ा सवाल उठता होगा, क्या ये चैनल वही दिखा रहा है जो आप देखना चाहते हैं ?
या चैनल अपना एजेंडा चला रहे हैं, ये सवाल क्यों उठ रहे हैं ?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि जो कुछ आप देखना चाहते हैं वो ये चैनल दिखाना नहीं चाहते। अगर ऐसा होता तो आपके मन में ये शंका ये सवाल कतई नहीं उठते। इसलिए आज सोशल मीडिया पर सबसे बड़ा जो सवाल है वो मीडिया पर ही उठ रहा है ।
मैं रोज देखता हूँ आप भी देखते होंगे कि मीडिया रोज ये दिखाता है कि वायरल सच। इसका वायरल सच क्या है किसका वायरल सच क्या है। लेकिन मीडिया कभी ये दिखाने की कोशिश नहीं करता कि उनका (मीडिया का) अपना वायरल सच क्या है।
आज #मीडिया को #चोर , #भ्रष्ट #बेईमान न जाने किन किन तरीकों से नवाजा जा रहा है और जब मैं इन चीजों को देखता हूँ तो कई बार व्यथित भी हो जाता हूँ, दुखी भी होता हूँ क्योंकि मैं भी मीडिया से जुड़ा हुआ हूं और ये पीड़ा सहनी पड़ती है कि जब लोग कहते हैं कि मीडिया #बिकाऊ है । मीडिया बिक गया है और ये सवाल मीडिया को सोचना चाहिए।
क्या उनके सामने यह तस्वीर नहीं जाती की उनके बारे में क्या कहा जा रहा है ? और आज देश में जो हालात है मीडिया को लेकर । ये बातें क्यों होती है ? क्योंकि मीडिया में बहुत सारे पूंजीवादी व्यवस्था के हाथों खेल रहे हैं, वो जो ग्रुप है वो जो प्रबंधन है ,वो तय करता है कि आप कौन सी खबर दिखाएंगे कौन सी खबर नहीं दिखाएंगे।
ये आज से नहीं है , ये काफी समय से ऐसा होता आ रहा है, चला आ रहा है कि आज कौन सी खबर कौन तय करेगा।
हम पत्रकार है, मैं बड़ी सच्चाई के साथ बड़ी ईमानदारी के साथ यह कहना चाहता हूँ कि पत्रकार के पास ये अधिकार नहीं है कि क्या खबर चलाई जाए, क्या खबर दिखाई जाए ??
शुक्र है मार्क जुकरबर्ग का जिसने हमें facebook पर एक मंच दे दिया , इसलिए हम कुछ भी बताते हैं , कोई भी वीडियो अपलोड करते हैं , कुछ भी लाइव चला देते हैं। ये स्वतंत्रता थोड़ी बची है जबकि मीडिया की जो स्वतंत्रता टेलीविजन चैनल हो या अखबार हो उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं और यह सवाल हमने खुद ही अपने ऊपर खड़े किए हैं क्योंकि हम उतने निष्पक्ष नहीं है जितने कि लोग सोचते हैं।
लोगों को लगता है कि हमारे सामने महंगाई का मुद्दा उठाया जाएगा लेकिन हम नहीं उठाते। हम क्या मुद्दे उठाते हैं, तीन तलाक ट्रिपल तलाक पर रहता है। तीन चार मौलानाओं को बुला लिया जाता है इधर से बीजेपी के एक लीडर को उधर से कांग्रेस के एक लीडर को इधर से सीपीआई के एक लीडर को उधर से आम आदमी पार्टी के लीडर को यानी व्यवस्था को इस तरह से कर दिया जाता है कि तमाम व्यवस्था को सिर्फ यह पांच सात दस लोग ही चलाने वाले हैं। आम लोगों से इस बारे में कोई राय नहीं ली जाती कोई मशवरा नहीं किया जाता इसलिए भी मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं।
आज कल इन दिनों हिंदू मुसलमान का एक बड़ा फसाद दिखाया जा रहा है और रोहिंग्या मुसलमानों को ले करके भी TRP और अभी थोड़े दिन पहले बाबा राम रहीम का जो प्रकरण हुआ गुरमीत राम रहीम का, उसको लेकर के तो मीडिया की भूख मिट ही नहीं रही। TRP की भूख इस तरह से हासिल है कि जो काम हुआ ही नहीं उसको एकदम से फ़्लैश किया।
यानी आप देखिए इतनी जल्दी थी मीडिया चैनलों को फैसले को लेकर कि मीडिया चैनलों ने अपने आप ही सजा सुना दी 10 साल की। जज ने सजा सुनाई 10+10 की लेकिन मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज आई,सब चैनलों पर एक ही न्यूज थी कि बाबा को सजा 10 साल की..
यानी कोई भी सब्र नहीं करना चाहता की फैक्ट लाया जाए।
हम भी इसमें शामिल हैं हम भी जब मौके पर जाते हैं देखते हैं कि चेन मिसिंग हो गई ये भी पूछने की कोशिश नहीं करते भई चेन सोने की थी, असली थी, नकली थी, हम ये भी कोशिश नहीं करते कि दो लाशें पानी में बह रही है, किसकी है औरत की है,हम फटाफट कोशिश करते हैं आपस में कोई जल्दी से जल्दी खबर को ब्रेक करने की, हमारे अंदर इतनी जल्दी होती है या होड़ होती है कि फटाफट खबर को ब्रेक कर दिया जाए उसके फैक्ट्स बाद में आते रहते हैं तो हम बाद में कॉमेंट्स में या उस पोस्ट में एडिट करके लिखते हैं। ये आज की विडंबना है। असलियत यही है,हकीकत यही है कि मीडिया की वो भूमिका सामने नहीं आ रही जिस भूमिका की लोग हमसे उम्मीद करते हैं।
मैं उसमें शामिल हूँ और सबसे बड़ा कटाक्ष भी मैं आज खुद पर कर रहा हूँ, मैं किसी दूसरे पर उंगली नहीं उठा रहा, अगर कुछ साथियों को लगे कि ये मीडिया पर उंगली उठा रहा है या ये अपने आप को साफ चरित्र का पत्रकार बताने में लगा हुआ है तो दोस्तों ऐसा कतई नहीं है।
आप भी अपने अंदर झांकिए, मैंने तो झांका ही है और मुझे ये लगता है कि मीडिया उतना निष्पक्ष उतना साफ इतना बेदाग नहीं है।
हम कोठे पर एक वेश्या की तरह हैं, हम पूंजीवादी लोगों की रखेल की तरह हैं और इसलिए आज हम पर सबसे बड़े सवाल उठ रहे हैं क्योंकि हमने खुद को मंडी के रूप में तब्दील कर लिया है। किसी की कीमत इतनी किसी की कीमत इतनी।
दोस्तों मीडिया को मंडी होने से बचाइए, हमारा साथ दीजिए इस खबर को दूर-दूर तक पहुंचाइए अगर आप इस खबर को दूर-दूर तक पहुंचाने में सफल रहे, कामयाब रहे तो शायद कारगिल पर में जो जा करके जो सियाचिन में जाकर के अपने देश भक्ति की भावना दिखाते हैं टेलीविजन चैनलों पर छाती ठोक करके अपने आप को राष्ट्रभक्त बताते हैं और कोई ईमानदार बताते हैं ।
कोई सरकार की बखिया उधेड़ रहा है तो कोई सरकार को पॉलिश करने में लगा हुआ है। दोनों ही तरह के लोग हमारे सामने हैं । आपको ही तय करना है कि हमें किसे देखना है किसे नहीं देखना।
मुझे लगता है कहीं मीडिया हाउसेस जो है वो सरकार को चमकाने में लगे हुए हैं और कई मीडिया हाउसेस ऐसे हैं जो बिन देखे ही बिना कोई प्रमाण के सरकार के बखिया उधेड़ने पर लगे हुए हैं। यानी कुछ मीडिया हाउसेस सरकार का समर्थन जुटाने में और कुछ मीडिया हाउसेस यह दिखाने में कि हम सरकार से पावरफुल है।
दोस्तो ऐसा मत कीजिए आप अपने देश के बारे में सोचिए जो सही है उसे सही दिखाइए जो गलत है उसे गलत दिखाइए क्योंकि अगर मीडिया नहीं बचेगा तो मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ लोकतंत्र में कुछ नहीं बचेगा।
हम किसी के पांव की जूती ना बने ,हम किसी पूंजीवादी की रखेल ना बने, हम किसी कोठे की वेश्या ना बने और हम पूंजीवादी चौखट पर घुटने ना टेके, माथा ना रगड़े ।
ये सवाल हमारे सामने है और इसका हल भी हमें ही खोजना है। मेरा आपसे फिर अनुरोध है इस खबर को हो सके तो ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए ।
- पत्रकार देवेंद्र गांधी
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