अगस्त, 19, 2017
#डॉ. रामविलास वेदांतीजी, लोकसभा के पूर्व सदस्य ने बताया कि अखाड़ा परिषद में जिन संतों की चर्चा की है उसमें से कुछ ऐसे संत हैं जैसे स्वामी #असीमानंदजी वनवासी, आदिवासी, #दलितों के #उत्थान के #कार्य कर रहे थे, जिन हिन्दुओं को ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण करके ईसाई बना रही थी उनको #पुनः #हिन्दू धर्म में #लाने का #कार्य किया ।
ठीक उसी प्रकार #आशारामजी बापू जिनके आचरण में , स्वभाव में किसी प्रकार का गलत नही हुआ है, हमारे विश्व हिंदू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय माननीय श्री अशोक सिंघल जी जब उनको स्वयं जोधपुर जेल में मिलने गये थे तब पत्रकारों ने उनको पूछा तो अशोक सिंघल ने बताया कि #कांग्रेस सरकार ने #जानबूझकर #झूठा #आरोप लगाकर संत आशारामजी बापू को #जेल भेजा जिससे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर साधु-संतों की निंदा की जाये । संत आशारामजी बापू स्वाभाविक धर्म और #हिन्दू संस्कृति के लिए काम कर रहे थे, बापूजी ने #मातृ-पितृ पूजन #कार्यक्रम किया, अशोक सिंघल जी और मैं भी गया था, ऐसे महापुरुष बापूजी के लिए और स्वामी असीमानंद के लिए जो अखाड़ा परिषद ने शब्द प्रयोग किया वो गलत है।
मीडिया ने जिस ढंग से साधु या बाबा शब्द को प्रदूषित किया है वो बिलकुल गलत है, मै साफ शब्दों में कहता हूँ कि संत #आशारामजी बापू समाज के हित में देश के हित में #हिन्दुओं के #हित में लगे थे, धार्मिक कार्यों में लगे थे उनको अचानक कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर पकड़कर आरोप लगाकर जेल में बंद किया, वो आरोप भी गलत था ।
अखाड़ा परिषद ने जो संत आशारामजी बापू का और स्वामी असीमानंद का नाम लिया वो गलत है,
मैं इसकी घोर निंदा करता हूँ, अखाड़ा परिषद को ये दोनों नाम वापिस लेना चाहिए।*
जो संत आशारामजी बापू के भक्त हैं उनको कहना चाहता हूँ कि #अखाड़ा परिषद के #कुकृत्य को उजागर करें, जिनका नाम लेना चाहिए उनका नाम नही लिया और जिनका नाम नही लेना चाहिए उनका नाम लिया ये बहुत गलत है।
भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि संत आशारामजी बापू जेल से जल्दी से जल्दी छूटे और फिर से हिन्दू संस्कृति का प्रचार देश और विदेश में घूम-घूमकर करें।
अखाड़ा परिषद की बैठेक में बैठे प्रयागराज इलाहाबाद से पधारे महंत गजानंददास ने भी नरेद्र गिरी को खूब लताड़ा । *उन्होंने कहा कि संत आशारामजी बापू एक आत्म साक्षात्कारी ब्रह्मनिष्ठ संत हैं उनका नाम फर्जी बाबाओं में लिखना वो बिलकुल गलत है, अखाड़ा परिषद में बैठे हुए कई संतों ने उस समय विरोध भी किया कि संत आशारामजी बापू का नाम नहीं डालो लेकिन #नरेद्र गिरी ने #दबाव और #लालच में आकर #संत आशारामजी बापू का नाम #सूची में डाला, वो #बिलकुल #गलत है ।*
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