Thursday, February 2, 2017

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया सीनियर न्यायाधीश..!!!

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया सीनियर न्यायाधीश..!!!

कानून तो अँधा है लेकिन भ्रष्ट जजों द्वारा कैसे मिल सकता है निर्दोषों को न्याय..???

हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर न्यायालय में कार्यरत सीनियर जज ने रिश्वत लेकर न्यायपालिका को ही शर्मसार कर दिया है ।

बताया जा रहा है कि एन.आई.ए. एक्ट के तहत एक व्यक्ति के लाखों रुपए के विभिन्न मामले उपरोक्त जज के कोर्ट में चल रहे थे, जिन्हें जल्द निपटाने की एवज में जज ने प्रार्थी को अपने चैंबर में बुलाया और उससे 40 हजार रुपए रिश्वत की मांग की और उसे अपना मोबाइल नंबर भी दिया। काफी दिन बीत जाने पर जब प्रार्थी ने जज से सम्पर्क नही किया तो जज ने खुद ही उससे संपर्क कर उसे 2 दिनों के भीतर उसके निवास पर देर शाम 40 हजार रुपए नकदी पहुंचाने की मांग की। 
रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया सीनियर न्यायाधीश..!!!

प्रार्थी ने विजीलैंस को दी मामले की जानकारी..!!

मामला हाई प्रोफाइल व न्यायपालिका से संबंधित होने के चलते शिकायतकर्ता ने शिमला मुख्यालय में तैनात डी.आई.जी. विजीलैंस अरविंद शारदा को पूरे मामले की जानकारी दी, जिन्होंने मंडी रेंज के एस.पी. विजलैंस कपिल शर्मा को कार्रवाई के आदेश दिए, जिस पर डी.एस.पी. अभिमन्यु वर्मा की अगुवाई में एक 14 सदस्यीय टीम गठित की गई, जिसमें टीम ने सभी तथ्यों की गहन छानबीन के बाद जाल बिछाते हुए जज को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए उनके सरकारी आवास से पकड़ा ।

जज को रंगे हाथों 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े जाने के उपरांत हिरासत में भी ले लिया गया है। 

आपको बता दें कि ये कोई पहला मामला नही है जो रिश्वत लेते जज पकड़ा गया हो आंध्र प्रदेश में भी एक कोर्ट का न्यायधीश 2012 में जनार्दन रेड्डी को जमानत देने के लिए 100 करोड़ की रिश्व्त लेते पकड़ा गया था ।

ऐसे ही हाल ही में सीबीआई ने दिल्ली तीस हजारी कोर्ट में सीनियर सिविल महिला जज रचना तिवार के घर पर छापेमारी की थी जहाँ करीब 94 लाख रुपये कैश मिले थे ।

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया सीनियर न्यायाधीश..!!! 



महिला जज रचना तिवारी ने अपनी कोर्ट में लगे एक सिविल केस में विवादित प्रॉपर्टी मामले में शिकायतकर्ता से उसके पक्ष में फैसले के लिए 20 लाख रुपये की रिश्वत माँगी थी ।

महिला जज को भी सीबीआई ने जेल भेजा था ।

ये तो दो-तीन जज रिश्वत लेते पकड़े गए इसलिये उसको गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन ऐसे मामले तो कई हैं । देश के जजों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि अपराधियों को सजा और निर्दोषों को न्याय मिलना ही मुश्किल हो गया है ।

इसकी पुष्टि भी कई जज कर चुके हैं :

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश काटजू ने कहा था कि भारतीय न्याय प्रणाली में 50% जज भ्रष्ट है ।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े भी सवाल उठा चुके है कि ‘धनी और प्रभावशाली’ तुरंत जमानत हासिल कर सकते हैं । गरीबों के लिए कोई न्याय की व्यवस्था नही है ।

कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस के एल मंजूनाथ ने कहा कि यहाँ सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए कोई स्थान नहीं है और इस देश में न्याय के लिए कोई जगह नहीं ।

इसलिये आज न्याय प्रणाली से देश की जनता का भरोसा उठ गया है ।

देश में 2.78 लाख विचाराधीन कैदी है । इनमें से कई ऐसे हैं जो उस अपराध के लिए मुकर्रर सजा से ज्यादा समय जेलों में बिता चुके हैं ।

देश भर की जिला न्यायालयों में 2.8 करोड़ मामले लंबित हैं ।

आरोप साबित होने पर भी कई बड़ी हस्तियाँ बाहर घूम रही है और अभी तक जिन पर आरोप साबित नही हुआ है वो जेल में है । 
क्योंकि या तो न्याय पाने वाले गरीब है या तो कट्टर हिंदूवादी है इसलिए उनको न्याय नही मिल पाता है ।

लालू, तरुण तेजपाल, कन्हैया, सलमान खान,बाबू लाल नागर आदि कई हैं जिनके विरुद्ध पुख्ता सबूत होने पर भी आज बड़े मजे से बाहर घूम रहे हैं ।

लेकिन 9 साल से  साध्वी प्रज्ञा, 7 साल से असीमानंद,  40 महीनों से संत आसारामजी बापू, 2 साल से धनंजय देसाई आदि बिना सबूत जेल में  है । उन पर अभी तक एक भी आरोप सिद्ध नही होते हुए भी वो आज जेल के अंदर है ।

इनका क्या अपराध है कि कोर्ट जमानत तक नही दे पा रही है ??? 

आखिर क्यों बार बार जमानत खारिज कर रही है..???

क्या ये हिन्दू संत है इसलिए..???

क्या इन्होंने रिश्वत नही दी इसलिए..???

या इन्होंने धर्मान्तरण पर रोक लगाई इसलिए..???

क्या इन्होंने पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया इसलिए..???

क्या इन्होंने विदेशी कंपनियों से लोहा लिया इसलिए...???

या इन्होंने हिन्दू संस्कृति के प्रति जनता में जागृति लायी इसलिए..???


जनता के मन में कई सवाल उठ रहे हैं इसलिए न्याय प्रणाली को भ्रष्ट मुक्त होकर निर्णय लेना होगा जिससे निर्दोष बेवजह सजा भुगतने को मजबूर न हो ।

Wednesday, February 1, 2017

क्या क़ानून देशविरोधी ताकतों के हाथों बिक चूका है

🚩कानून दोषी होने का सबूत न होने पर भी देता है सिर्फ तारीख पर तारीख!!
अंत में हो जाती है जमानत अर्जी खारिज!!

🚩कैंसर से पीड़ित साध्वी प्रज्ञा 8 साल से जेल में हैं । जिनको चलने-फिरने में भी मुश्किल हो रही है और उनको मालेगांव ब्लास्ट में NIA ने क्लीनचिट भी दे दी है।

🚩उसके बाद भी उनको बेल नही मिलती है। मिलती है तो केवल तारीख!!

🚩क्लीनचिट मिलने के बाद नवंबर 2015  विशेष एनआईए न्यायालय में साध्वी जी ने अपनी जमानत याचिका रखी थी उसमें उनको तारीख पर तारीख मिलने के बाद 6 जून 2016 को जमानत खारिज कर दी जाती है ।
क्या क़ानून देशविरोधी ताकतों के हाथों बिक चूका है 

🚩उसके बाद उन्होंने मुम्बई हाईकोर्ट में बेल की अर्जी डाली । उसमें भी उनको मिली केवल तारीख ।
31 जनवरी 2017 को उनकी बेल की सुनवाई थी उसमें अब अगली तारीख मिली है 7 फरवरी !!

🚩जैसा कि पहले भी बताया गया है कि साध्वी प्रज्ञा सहित 8 आरोपियों के संघ के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी की 9 दिसम्बर 2007 को हत्या हुई थी । उस मामले में 1 फरवरी 2017 को देवास में एडीजे राजीव एम आप्टे ने साध्वी को सभी धाराओं से बरी कर दिया ।

🚩साध्वी जी को षड्यंत्र के तहत फंसाने के कई पुख्ता सबूत मिले हैं लेकिन फिर भी उनको एक साधारण जमानत तक नही मिल पा रही है बड़ा आश्चर्य है !!

🚩ऐसे ही दूसरा मामला सामने आया है बापू आसारामजी का । जो जोधपुर जेल में 40 महीनों से बंद हैं । उनके ऊपर दो केस चल रहे हैं एक तो शाहजापुर (उत्तरप्रदेश) की बालिग लड़की ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है और दूसरी सूरत की लड़की ने अहमदाबाद में 12 साल पुराना बलात्कार का आरोप लगाया है ।

🚩जोधपुर केस में बापू आसारामजी को भी मेडिकल में क्लीनचिट मिल चुकी है और अहमदाबाद केस में लड़की केस वापिस लेना चाहती है ।

🚩उसने बताया कि मुझे कई लोगों ने प्रेशर किया था बापू आसारामजी के खिलाफ केस करने के लिए पर अब मैं केस वापिस लेना चाहती है पर सरकार उसे केस वापिस नहीं लेने दे रही !!

🚩डॉ.सुब्रमणयम स्वामी ने भी केस पढ़ कर कहा कि ये पूरा केस ही फर्जी है।
 और अब तो कोर्ट में वो कॉल डिटेल भी सम्मिट हो चुकी है जिसके द्वारा पता चल रहा है कि जिस समय की घटना #लड़की बता रही है उस समय तो वो अपने फ्रेंड से फोन पर बात कर रही थी और बापू आसारामजी भी किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे ।

🚩एक #बेबुनियाद केस के आधार पर साढ़े तीन साल से सजा काट रहे हैं निर्दोष संत आसाराम जी बापू !!


🚩बापू आसारामजी को #फंसाने के कई अहम सबूत मिले हैं । उनकी भी कई बार जमानत कोर्ट में रखी गई पर हर बार तारीख पर तारीख मिलने के बाद #खारिज कर दी जाती है ।

🚩जेल में बापू आसारामजी का स्वास्थ्य इतना बिगड़ गया था कि चलना, फिरना मुश्किल था तो सेशन कोर्ट और #हाईकोर्ट में तारीख पर तारीख मिलने के महीनों बाद खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट में कई महीनों पहले बेल एप्लिकेशन डाली गई थी बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एम्स में #चेकअप का बोला उसके बाद सुनवाई करते हुए भी कई महिनों से तारीख पर तारीख मिल रही थी ।

🚩अभी 30 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेडिकल का एक पेपर गलत है और उनको इतनी कोई #बीमारी नही है कि बेल दी जाये इसलिए बेल खारिज कर दी गई।

🚩जबकि सच्चाई यह है कि एक पेपर जेल प्रशासन द्वारा मिला था । जो ओरिजिनल की जगह जेरोक्स था इसको लेकर कोर्ट ने कहा कि ये गलत #पेपर है उस पर #मीडिया दिन-रात डिबेट चला रही है कि बापू आसारामजी ने फर्जी पेपर लगाकर जमानत मांगी थी ।

🚩कोर्ट बोलता है कि इतनी #भयंकर #बीमारियाँ नही हैं पर #मेडिकल में 12 बीमारियाँ इतनी भयंकर आई है जिससे आप नीचे दी गई वीडियो लिंक द्वारा देख सकते हैं ।


🚩यहाँ तक कि उनकी #जमानत के लिए डॉ. #सुब्रमण्यम स्वामी भी कई बार कोर्ट में बहस कर चुके है लेकिन उनको भी कोई सफलता नही मिल पाई ।

🚩ऐसा लगता है कि बापू आसारामजी का मामला तो केवल #मीडिया #ट्रायल से ही चल रहा है । कोर्ट के ऊपर #देशविरोधी ताकतों का भारी दबाव है ।

🚩आज बड़े-बड़े #अपराधियों को अपराध सिद्ध होने के बाद भी तुरन्त #जमानत मिल जाती है लेकिन साध्वी प्रज्ञा और बापू आसारामजी के ऊपर विदेशी #ताकतों का इतना दबाव है कि भयंकर बीमार अवस्था में भी सामान्य जमानत तक नही मिल पा रही है और ऊपर से मीडिया उनको दिन-रात गलत ठहराने में लगी है ।

🚩 #जोशी #हत्या कांड में #साध्वी जी को बरी कर दिया और एन आई ए ने #क्लीनचिट भी दे दी और बापू #आसारामजी को भी क्लीनचिट मिल चुकी है ।।


🚩अब प्रश्न यह उठता है कि #निर्दोष साध्वी जी और बापू आसारामजी जब रिहा होंगे तब उनके बिगड़े स्वास्थ्य व दीर्घकालीन कारागार के अपयश की भरपाई कौन करेगा ???

🚩क्या ये हिन्दू #संतों को बदनाम करने की सोची समझी साजिश नही..??

Tuesday, January 31, 2017

हिन्दू संगठनों ने देश व्यापी आंदोलन करने की चेतावनी..!!!



हिन्दू संगठनों ने देश व्यापी आंदोलन करने की चेतावनी..!!!
कहा - संत श्री आशारामजी बापू की रिहाई के लिए अब हम चुप नही बैठेंगे।


भारत ही नही पूरे विश्व भर में भारतीय संस्कृति का डंका बजाने वाले, गली-गली गांव-गांव में गीता रामायण का ज्ञान पहुँचाने वाले और धर्म परिवर्तन कर चुके लाखों लोगो की हिन्दू धर्म में वापसी करवाने वाले संत श्री आशाराम जी बापू को षड़यंत्र के तहत 3 वर्ष 4 महीने से जोधपुर जेल में बंद किया हुआ है । 
              हिन्दू संगठनों ने देश व्यापी आंदोलन करने की चेतावनी..!!!


आज तक उन पर दोषी होने का एक भी सबूत नही मिल पाया । इस के बावजूद उन को रिहा नही किया जा रहा और तो और कई बार बेल तक खारिज कर दी गयी ।

शर्म की बात तो ये है कि देश में हजारों हिन्दू संगठन और करोड़ों हिन्दू होते हुए भी एक निर्दोष संत को रिहा नही करवा पाए ।


मगर अब इस का बीड़ा उठाने के लिए पंजाब के हिन्दू संगठन मैदान में कूद पड़े हैं । उन्होंने प्रण लिया है कि जब तक बापू जी को रिहा नहीं करवा लेते तब तक हम चैन से नही बैठेंगे । 

इस अभियान को सफल करने के लिए फिलहाल शनिदेव वेलफेयर ट्रस्ट, कट्टर हिन्दू सेना, विश्व् हिन्दू परिषद धर्म प्रसार, हिन्दू सेना, बजरंग दल, युवा सेवा संघ, शिव सेना पंजाब आदि संगठन आगे आए है । 

30 जनवरी 2017 को सभी संगठनों ने मिल कर शनिदेव मंदिर से डी सी दफ्तर लुधियाना तक रैली निकाल कर प्रदर्शन किया है । रैली के बाद मुकेश खुराना, परविंदर भट्टी, अश्वनी शर्मा, सेहजपाल पाली, विमल नय्यर आदि कई लोगों ने डी सी लुधियाना को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और राष्ट्र्पति के नाम ज्ञापन सौंपा ।

 सभी संगठनों ने कहा कि अगर शीघ्र अति शीघ्र बापू जी को रिहा नही किया गया तो हम पहले पंजाब स्तर और फिर देश व्यापी आंदोलन करेंगे । उन्होंने सरकार को 15 दिन का अल्टीमैटम दिया है।


उन्होंने कहा कि देश में कई अपराधियों को न्यायालय बेल दे रहा है । कइयों को रिहा कर दिया है और बापू जी का एक भी दोष साबित नही हुआ फिर भी उन को बेल तक भी नही दी जा रही है । 

ये एक हिन्दू संत के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है । उन्होंने कहा कि अब हम किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठेंगे !

स्त्रोत्र : पंजाब लाइव न्यूज : लुधियाना, अनिल अग्निहोत्री।

गौरतलब है कि बिना अपराध सिद्ध हुए बापू आसारामजी साढ़े तीन साल से जोधपुर जेल में बंद हैं । उनको अभी तक जमानत नही मिल पाने पर अनेक हिन्दू संगठनों ने एवं उनके करोड़ों भक्तों ने देश-भर में कई रैलियां निकाली, धरने पर बैठे । यहाँ तक कि दिल्ली जंतर-मंतर पर तो जब से बापू आसारामजी अंदर गये हैं तब से आज तक वहाँ उनके भक्त और हिन्दू संगठनों द्वारा धरना चल रहा है ।

आज हर आम इंसान ये जान चुका है कि संत आसारामजी बापू को षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है फिर भी कानून क्यों उनको न्याय देने को तैयार नहीं..???

क्या ये कोई सोची समझी साजिश तो नहीं..???

क्यों एक के बाद एक दोषी रिहा हो रहे हैं और संत आसारामजी बापू को जमानत तक नहीं...???

आखिर इन हिन्दू संत के साथ हो रहे अन्याय का जिम्मेदार कौन..???

सोचो हिन्दू !!!
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Monday, January 30, 2017

बॉलीवुड में शुरू हुआ इस्लामीकरण !

बॉलीवुड में शुरू हुआ इस्लामीकरण!

क्या अब शाहरुख खान अब्दुल लतीफ के बाद  ‘ओसामा’ और ‘अफजल’ को भी हीरो बना देगा?


हाल ही में प्रदर्शित हुर्इ शाहरुख खान की फिल्म रईस गुजरात के शराब माफिया और आतंकवादी अब्दुल लतीफ के जीवन पर आधारित है। फिल्म में शाहरुख ने अब्दुल लतीफ की भूमिका निभायी है।
                      बॉलीवुड में शुरू हुआ इस्लामीकरण!

फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया ने इसे भले ही अस्वीकार किया हो, किंतु शाहरुख द्वारा फिल्म में पहने चश्मे का फ्रेम तक अब्दुल लतीफ की रियल लाइफ से लिया गया है, तो निर्देशक साहब का झूठ भी बेपर्दा हो चुका है।

1980 के दशक में अहमदाबाद में कई बार हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। इन दंगों के बीच मुसलमानों को नेता मिला जिसका नाम था अब्दुल लतीफ, व्यवसाय से शराब माफिया, जिसे लेकर आज शाहरुख खान ने फिल्म बनार्इ है। 

असामाजिक गतिविधियों के आरोप में जेल में बंद लतीफ ने इसके बाद ही केवल 5 सीटों पर नगरपालिका चुनाव लड़ा आैर मुसलमानों के एक साथ मजबूत वोट बैंक के आधार पर जीत दर्ज की। इसके बाद गुजरात में हुई ढेरों हिन्दुओं की हत्याओं में वांछित और मुंबई बम धमाकों में अभियुक्त लतीफ 1992 में दुबई के रास्ते पाकिस्तान भाग गया था। किसी घटनाक्रम को अंजाम देने 1995 में वो भारत वापस आ गया। किंतु नवंबर 1995 में गुजरात आतंकवाद निरोधक दल ने लतीफ को पुरानी देहली के एक पीसीओ बूथ से गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद लतीफ करीब दो साल तक साबरमती जेल में रहा। फिर नवंबर 1997 में खबर मिली कि लतीफ ने भागने की कोशिश की और पुलिस मुठभेड में मारा गया। एक शराब माफिया एवं आतंकी अब्दुल लतीफ को पहले भारत के कानून ने चुनाव लड़ने का अधिकार दिया और अब शाहरुख खान जैसे पाकिस्तान परस्त अभिनेता उसे एक नायक की तरह प्रस्तुत कर रहे हैं।

भारत में जहां 20 साल से ज्यादा के परिश्रम से बनी एक संस्कृत फिल्म को साम्प्रदायिक कह कर रोक दिया जाता है, वहीं आतंकी दाउद और अब्दुल लतीफ को नायक के तौर पर दिखाने पर भी किसी को आपत्ति नहीं होती, यह भारत के लिए दुर्देव9 है।

इस सब के बीच भारत के कथित धर्मनिरपेक्षतावादी भी घुटने टेक देते है। तो वो दिन भी दूर नहीं जब ओसामा बिन लादेन को भी एक हीरो के तौर पर बॉलीवुड फिल्म में दिखाए और शाहरुख ही उसमें वो किरदार निभाए!


जब तक गुलशन कुमार थे तब तक हिंदुत्व का खूब बोलबाला था व इस्लामी करण नही हो पा रहा था इसलिए उनकी हत्या करवा दी गई । अब हिन्दू धर्म को अपमानित करने वाली बहुत सारी फिल्में बन रही है और उसके खिलाफ कोई बोलने वाला भी नही है ।
यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है कि सेंसर बोर्ड भी ऐसी फिल्मों को पास करता क्यों है..??


आज तक औरंगजेब, तैमूर, गजनी आदि की असलियत पर फिल्म क्यों नही बनाई जाती है ???

जिस पद्मावती ने स्वाभिमान के लिए जौहर किया उसके इतिहास के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करके फिल्म ‘पद्मावती’ निदेशक संजय लीला भंसाली बना रहा था उससे करणी सेना के कार्यकर्ताआें ने मारपीट की तो भंसाली हिंदुओं को आतंकवादी कहने लगा लेकिन बंगाल में कितने हिन्दुओ के घर तोड़ दिए बहु-बहनो की इज्जत लूटी, मार पीट की तब भंसाली को आतंकवाद क्यों नही दिखाई दिया???

संगठन करणी सेना ने कहा है कि, संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म पद्मावती में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच एक बेहद आपत्तिजनक दृश्य डाला है।। इस दृश्य में अलाउद्दीन खिलजी एक सपना देखता है जिसमें वो रानी पद्मावती के साथ है।। करणी सेना का दावा है कि वास्तव में खिलजी और पद्मावती ने कभी एक दूसरे को आमने सामने देखा तक नहीं और इतिहास के किसी पुस्तक में भी इस तरह के किसी सपने का कोई उल्लेख नहीं है।

करणी सेना का दावा है कि, रानी पद्मावती राजपूत थी और उनकी छवि फिल्म में गलत तरीके से दिखाई गई इसलिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किया।

भारतीय संस्कृति को तोड़ने का बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है ।

 बॉलीवुड में इस्लामी धर्म को बढ़ावा देकर हिन्दू संस्कृति को तोड़ने का कार्य पूरे जोर-शोर से चल रहा है।

हिंदुस्तानी सावधान रहें ।

Sunday, January 29, 2017

पहले की पत्रकारिता और आज की पत्रकारिता में आये भारी बदलाव !!

भारत में पत्रकारिता का इतिहास एवं आज की  पत्रकारिता..!!

1780 को आज के दिन मतलब 29 जनवरी 1780 को भारत में पहला अंग्रेजी अखबार बंगाल गजट छपा था। तब से लेकर अब तक देश में हजारों न्‍यूज पेपर्स, टीवी चैनल्‍स और ऑनलाइन वेबसाइट्स आ चुकी हैं। 

आज प्रतियोगिता की अंधी दौड़ के चक्‍कर में कई बार गलत रिपोर्टिंग के चलते ऐसे हालात भी पैदा हुए हैं जिससे किसी एक को नहीं बल्कि पूरे सिस्‍टम को भी नुकसान उठाना पड़ गया। 

पहले की पत्रकारिता और आज की पत्रकरिता में आये भारी बदलाव !!

विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन् 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था । 

उस समय पत्थर या धातु की पट्टी होती थी, जिस पर समाचार अंकित होते थे ।  

15वीं शताब्दी में अखबार छापने की मशीन का अविष्कार किया गया ।

भारत में पहला अखबार 29 जनवरी 1780 में प्रकाशित हुआ । इसका प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था । यह अखबार कोलकाता से अंग्रेजी में छपता था ।

1819 में बंगाली भारतीय भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ था। ।

1822 में गुजराती और 1826 में हिंदी में प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ ।

अंग्रेजों ने तो देश को तोड़ने के लिए पत्रकारिता शुरू की थी । लेकिन देशभक्तों ने पत्रकारिता इसलिए शुरू की ताकि जनता तक सही खबरें पहुँच सके और समय-समय पर देश की आंतरिक स्थिति से जनता को अवगत कराकर जागरूक किया जा सकें तथा देश में हो रही अन्यायपूर्ण गतिविधियों क खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई जा सकें ।

जिससे देश की संस्कृति सुरक्षित रहें और देश में अमन चमन बना रहें ।

परन्तु समय के हेर-फेर में पत्रकारिता में कुछ स्वार्थी और बेईमान लोग घुस गए, जिन्हें देश की अस्मिता से कुछ लेना-देना नही, बस केवल पैसों और अपने नाम के लिए काम करने लगे ।

ऐसे स्वार्थी लोग आज अन्न भारत देश का खाते हैं और काम विदेशी NGO'S के लिए करते हैं ।

इतिहास में वर्णित है कि हमारी भारतीय संस्कृति को मिटाने का प्रयास तो समय-समय पर होता ही आया है ।

भारत के गौरवपूर्ण इतिहास पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि भारत की गरिमा बढ़ाने वाले यहाँ के साधु-संत हैं। जिन्होंने समाज को सही मार्गदर्शन देकर भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर किया है ।

अब अगर भारतीय संस्कृति को नष्ट करना है तो यहाँ के साधु-संतो के प्रति जनता के मन में नफरत पैदा करनी होगी तभी भारतीय संस्कृति को नष्ट किया जा सकता है ।

इसलिए संत और समाज के बीच विदेशी फंड से चलने वाली भारतीय मीडिया ने खाई का काम किया है ।

आज आप देख सकते हैं कि जितना समाजसेवी सुप्रतिष्ठित हस्तियों और साधु-संतो के खिलाफ मीडिया द्वारा बोला जाता है उतना तो बड़े से बड़े देशद्रोही के खिलाफ भी मीडिया नहीं बोलती!
 पर फिर भी कई भोले-भाले लोग अपनी सूक्ष्म मति का उपयोग न करके मीडिया की मनगढ़ंत बातों को सच मान कर अपने ही धर्म के विरुद्ध बोलने लग जाते हैं । 

कई सालों से देश में हजारों विदेशी NGO'S ने अपना काम शुरू कर दिया है।

1984 में ये विदेशी NGO'S भारत में 
टी.वी. लेकर आये । पहले टी.वी. के माध्यम से भारत की जनता को धार्मिक सीरियल दिखाना चालू किया और DDन्यूज शुरू हुआ । जिससे लोगो में टीवी देखने और न्यूज द्वारा देश की गतिविधियाँ जानने की रूचि बढ़े।

फिर जब जनता को टीवी देखने की आदत पड़ गई तब देश की संस्कृति को तोड़ने के इरादे से धीरे-धीरे प्यार भरी फिल्में चालू की गई । उसके बाद अर्धनग्न अवस्था वाली फिल्में, संस्कृति विरोधी सीरियल और साधु संतों, हिन्दू संगठनों तथा देश की संस्कृति विरोधी न्यूज की शुरूवात कर दी गई ।

ऐसा सब दिखा भारतीय संस्कृति को नीचा और विदेशी संस्कृति को ऊँचा दिखाकर लोगों का ब्रेनवाश किया गया । इसी कारण आज के युवावर्ग में अपनी संस्कृति के प्रति नफरत तथा पाश्चत्य सभ्यता के प्रति आकर्षण बढ़ गया है।

आज समाज में खुलेआम गन्दी फिल्में, भारतीय संस्कृति विरोधी न्यूज दिखाई जाती है क्योंकि 90% भारत न्यूज चैनल के मालिक विदेशी है । उनको भारत की जनता का ब्रेनवाश करने के लिए ईसाई मिशनरियों और मुस्लिम संगठनो द्वारा खूब पैसा मिल रहा है ।

अतः मेरे भारतवासियों सावधान हो जाओ...!!!

अपनी संस्कृति की गरिमा पहचानों...!!!

याद करो वो दिन...जब मुगल और अंग्रजो ने अनेको साल हम पर राज किया था । भारत के मंदिर तोड़े गए, हमारी माँ-बहनों की इज्जत लूटी गई, हमारी देश की सम्पति लूटी गई थी ।

उस समय शिवाजी, महाराणा प्रताप , भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रन्तिकारी आये और देश को आजाद करवाया ।

हे  भारतवासियों ! भारत के लाखों लोगो ने जो देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया है उसको खोने न देना ।

आज जो देश की अस्मिता बनाये रखने में सबसे बड़ी दुश्मन बन कर खड़ी है वो है
विदेशी फंड से चलने वाली भारतीय पत्रकारिता ।

अतः सबसे पहले ऐसी बिकाऊ मीडिया का बहिष्कार कर सिर्फ और सिर्फ देशभक्त चैनल सुदर्शन न्यूज ही देखें जो निष्पक्ष और सच्चाई समाज तक पहुँचाने में आगे आता है ।

जय हिन्द!!
जय भारत!!

Friday, January 27, 2017

लाला लाजपतराय जी जयंती 28 जनवरी !!

लाला लाजपतराय जी जयंती 28 जनवरी..!!

"पंजाब केसरी" के नाम से प्रसिद्ध लाला लाजपत राय जी भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।

जन्म – 28 जनवरी 1865
जन्मस्थान – पंजाब
पिता     – राधाकृष्ण
माता    – गुलाब देवी

लाला लाजपत राय जी हिंदुत्व से बहुत प्रेरित थे, और इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने राजनीति में जाने की सोची। जब वे लाहौर में कानून की पढ़ाई कर रहे थे तभी से वे हिंदुत्व का अभ्यास भी कर रहे थे। वे इस बात को मानते थे कि "हिंदुत्व" राष्ट्र से भी बढ़कर है। वे भारत को एक पूर्ण हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते थे।

लाला लाजपत राय जी ने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की थी । लालाजी, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की थी ।
लाला लाजपतराय जी जयंती 28 जनवरी

1882 में हिन्दी और उर्दू इनमें से किस भाषा को मान्यता मिलनी चाहिये, इस विषय पर बड़ी बहस चल रही थी। लालाजी हिन्दी की तरफ थे। उन्होंने हजारों लोगों की दस्तखत कराकर सरकार को वैसी एक अर्जी भी दी थी ।

1886 में कानून की उपाधि की परीक्षा देकर दक्षिण पंजाब के हिसार में उन्होंने वकील का व्यवसाय शुरु किया।

1886 में लाहौर को आर्य समाज की तरफ से दयानंद अँग्लो-वैदिक कॉलेज बनवाने का सोचा तो उसके लिए लालाजी ने पंजाब में से पाँच लाख रुपये जमा किये। 1 जून 1886 में कॉलेज की स्थापना हुई। लालाजी उसके सचिव बने।
आर्य समाज के अनुयायी बनकर लाल जी अनाथ बच्चों, विधवा स्त्रियों, भूकंपग्रस्त और अकाल से पीड़ित लोगो की मदद में जाते थे।

1904 में ‘द पंजाब’ नाम का अंग्रेजी अखबार उन्होंने शुरु किया। इस अखबार ने पंजाब में राष्ट्रीय आन्दोलन शुरु कर दिया।

1905 में काँग्रेस की ओर से भारत की बात रखने के लिये लालाजी को इंग्लैंड भेजने का निर्णय लिया गया। उसके लिये उनको जो पैसा दिया गया उसका आधा पैसा उन्होंने दयानंद अँग्लो-वैदिक कॉलेज और आधा अनाथ विद्यार्थियों की शिक्षा के लिये दे दिया और अपने खर्चे से वे इंग्लैंड गए।

1907 में लाला लाजपत रॉय किसानों को सरकार के विरुद्ध भड़काते है ये आरोप लगाकर अंग्रेजों ने उन्हें मंडाले के जेल में छ: महीने रखा। तब अपने पीछे लगी सरकार से पीछा छुड़ाने के लिये वो अमेरिका चले गये। वहाँ के भारतीयों के मन में स्वदेश की, स्वातंत्र्य का लालच निर्माण करने के उन्होंने ‘यंग इंडिया’ अखबार निकाला और भारतीय स्वातंत्र्य आंदोलन को गति देने के लिये ‘इंडियन होमरूल लीग’ की स्थापना की।

स्वदेश के विषय में परदेश के लोगों में विशेष जागृति निर्माण करके 1920 में वो अपने देश भारत लौटे। 1920 में कोलकाता में हुए कॉग्रेस के खास अधिवेशन के लिये उन्हें अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उन्होंने असहकार आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए। उसके पहले लालाजी ने लाहौर में ‘तिलक  राजनीति शास्त्र स्कूल' नाम से राष्ट्रीय स्कूल शुरु कर दिया था।

लालाजी ने  "लोग सेवक संघ" (पीपल्स सोसायटी) नाम की समाज सेवक की संस्था भी निकाली थी।

1925 में ‘वंदे मातरम’ नाम के उर्दू दैनिक संपादक बनकर उन्होंने काम किया।

1926 के "अंतर्राष्ट्रीय श्रम संमेलन" में उन्होंने भारत के श्रमिको के प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया।

1928 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में भेजी गयी ‘साइमन कमीशन' का विरोध करने के लिए लालाजी बीमार होते हुए भी लाहौर पहुँचे । इस कारण पुलिस बौखला गई और लोगों पर लाठियाँ बरसाने लगी । मृत्यु के इस ताण्डव में लाला लाजपत राय को विशेष निशाना बनाया गया ।
लालाजी का दुर्बल शरीर क्रूर अँग्रेजों द्वारा निर्दयतापूर्वक बरसायी गयी लाठियों को न सह सका और आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करनेवाले इस वीर का नश्वर शरीर 17 नवम्बर, 1928 को इस देवभूमि से उठ गया ।

अपने अंतिम शब्दों में भी लालाजी ने देश-प्रेम तथा जोश का जो उदाहरण दिया, वह किसी घायल शेर की दहाड से कम नहीं था । लालाजी ने कहा : ‘‘मेरे शरीर पर पडी एक-एक चोट ब्रिटिश-साम्राज्य के कफन की कील बनेगी ।

वास्तव में हुआ भी यही । लालाजी की वीरगति प्राप्ति पर जनता में आक्रोश फैल गया तथा सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद और भगत सिंह जैसे वीरों का प्रादुर्भाव हुआ एवं अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

किंतु जरा विचार कीजिये कि देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देनेवाले इन वीर शहीदों के सपने को हम कहाँ तक साकार कर सके हैं..???

 हमने उनके बलिदानों का कितना आदर किया है...???

वास्तव में, हमने उन अमर शहीदों के बलिदानों को कोई सम्मान ही नहीं दिया है । तभी तो #स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारा देश पश्चिमी संस्कृति की गुलामी में जकड़ा हुआ है।

इन महापुरुषों की सच्ची पुण्यतिथि तो तभी मनाई जाएगी, जब प्रत्येक भारतवासी उनके जीवन को अपना आदर्श बनायेंगे, उनके सपनों को साकार करेंगे तथा जैसे भारत का निर्माण जैसा वे महापुरुष करना चाहते थे, वैसा ही हम करके दिखायें । यही उनकी पुण्यतिथि मनाना है ।

जयहिंद!!
जय भारत!!

Thursday, January 26, 2017

मीडिया कब तक छुपाएगी सच्चाई समाज से..???

मीडिया कब तक छुपाएगी सच्चाई समाज से..???

देश में कई राज्यो में गौ हत्या पर रोक लगी हुई है लेकिन फिर भी गौ तस्कर रुकते नही हैं अलग-अलग तरीकों से गौ माता को कत्लखाने पहुँचा ही देते हैं ।
                            मीडिया कब तक छुपाएगी सच्चाई समाज से..???

ऐसा ही एक मामला सामने आया है लेकिन मीडिया ने अभी तक चुप्पी साधी है ।

आइये हम आपको बताते हैं सच्चाई...

निवाई (राजस्थान) के पास तीन दिन पहले  पुलिस ने सीएलजी सदस्यों के सहयोग से गोवंश से भरे दो ट्रक जब्त किए हैं। 

थाना प्रभारी ओमप्रकाश वर्मा ने बताया कि शनिवार रात सूचना मिली कि दो ट्रकों में बछड़े ठसाठस भरे हुए हैं सोहेला की ओर जा रहे हैं । नाथड़ी जाकर नाकाबंदी करते हुए झिराना की ओर से आने वाले ट्रकों की जांच शुरू की। इस दौरान दो ट्रक उस ओर आने लगे। मगर नाकाबंदी देख चालकाें ने वाहनों को झिराना की ओर मोड़ लिया। 

पुलिस ने ट्रकों का पीछा करते हुए झिराना पुलिस चौकी को सूचना दी। नानेर में सीएलजी सदस्यों के सहयोग से रास्ते में एक ट्रक आड़ा खड़ा करवाकर गोवंश से भरे ट्रकों को रुकवाया। मगर चालक ट्रकों को रास्ते में छोड़कर भाग गए । पीछा करती हुई पहुंची पुलिस ने ट्रकों को जब्त कर लिया। जांचने पर एक ट्रक में 36 तथा दूसरे में 32 बछड़े मिले। इनमें से चार बछड़े मृत मिले। 

पुलिस ने पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ. ए.के पांडे को सूचना मौके पर बुलाया। चिकित्साधिकारी ने मौके पर पहुंचकर घायल बछड़ों का उपचार किया। मृत चारों बछड़ों का पोस्टमार्टम करवाकर जमीन में दफना दिया। शेष बछड़ों को पुलिस ने गोशाला में भिजवाने के लिए पीपलू एसडीएम को सूचना दी। एसडीएम अशोक कुमार सांखला ने सभी 64 बछड़ों को निवाई स्थित संत आशारामजी बापू गौशाला में भेज दिए। 

आपको बता दें कि ये पहली बार नही है जो इन 64 बछडों को ही संत आसारामजी गौशाला में रखा गया हो पहले भी कई बार संत आसारामजी बापू ने कत्लखाने जाती हुई गायों को बचाकर अपने गौशाला में रखा है ।

क्या आपको पता हैं संत आसारामजी बापू के देशभर में बड़ी-बड़ी 9 गौशालाएं हैं ।

संत श्री आशारामजी बापू की गौशालाएँ गौ रक्षा की बनी मिसाल..!!


देश में एक तरफ गौ-माता के कत्लखाने, दूसरी ओर संत आसारामजी गौशालाओं में कत्ल करने के लिए जा रही हजारों गायों को बचाकर  गौशालाओ में रखा है । उन गायों की भी वहां अच्छे से देखभाल की जाती है जो दूध भी नही देती और कई गायें तो बीमार भी रहती हैं उनकी भी वहाँ मौसम अनुसार अच्छी देखभाल की जाती है ।

गरीबों के लिए भी गौशालाएं बनी सहारा..!!!

संत आशारामजी बापू की गौशालाओं द्वारा गौ माता के गौमूत्र, गोबर आदि से धूपबत्ती, खाद, फिनाईल, औषधियाँ आदि का निर्माण कर गौशालाओ को स्वावलम्बी बनाकर अनेक गरीब परिवारों के लिए रोजी-रोटी का द्वार भी खोल दिया ।

गौ माताओं के लिए इतना उत्तम सेवाकार्य किया जा रहा है संत आसारामजी बापू द्वारा लेकिन मीडिया इसको न दिखाकर केवल यही दिखाती है कि कैसे एक हिन्दू संत की छवि को धूमिल कर दिया जाये और करोड़ों ह्रदय में कैसे नफरत भर दी जाये यही इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का काम है ।


 उनके अनुयायियों द्वारा गौ माता को बचाने के लिए ट्वीटर के जरिये भी वे लोग कई बार भारत में टॉप ट्रेंड में रहे हैं ।

गौरतलब है कि आज बापू आसारामजी 40 महीने से बिना सबूत जेल में हैं । पर उनका केस पढ़ने के बाद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय अशोक सिंघल तथा अन्य कई जानी मानी हस्तियों ने कहा है कि उनको अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में भेजा गया है लेकिन फिर भी उनके द्वारा बताये गए सेवाकार्यों में उनके शिष्य हमेशा आगे ही रहते हैं ।


लेकिन मीडिया ने ये सब कभी नही बताया और न ही कभी बताएंगी । पर हर समझदार और बुद्धिजीवी अब इस बात को समझ चुका है कि हिन्दू संत आसारामजी बापू को फंसाने में मिशनरियों व मीडिया की सांठ-गांठ है ।

 अतः हिंदुस्तानी सावधान रहें ।

जय हिन्द!!