Saturday, April 1, 2017

छह साल के बाद स्वामी असीमानंद जी जेल से रिहा, पर मीडिया ने साधी चुप्पी क्यों ???

छह साल के बाद स्वामी असीमानंद जी जेल से रिहा, पर मीडिया ने साधी चुप्पी क्यों ???

स्वामी जी का जेल में बीता समय वापिस कौन लौटा पायेगा ???
swami aseemanand aquited in hydrabad bomb blast case

हैदराबाद की #मक्का_मस्जिद बम विस्फोट में बनाये गये आरोपी स्वामी #असीमानंद जी छह साल से भी ज्यादा समय बाद जमानत पर जेल पर रिहा किए गए। 23 मार्च को मिली जमानत के बाद हैदराबाद की #चंचलगुडा जेल से असीमानंद 31 मार्च को बाहर निकले।

#मेट्रोपॉलिटन सेशन कोर्ट ने स्वामी #असीमानंद को जमानत दी ।

18 मई 2007 को मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में 9 लोग मारे गए थे।

इस घटना में शामिल होने के आरोपों के तहत नवंबर 2010 में स्वामी असीमानंदजी की #गिरफ्तारी हुई थी।

असीमानंद जी अजमेर #बम-ब्लास्ट के मामले में भी फंसे थे लेकिन उनको जयपुर कोर्ट ने उस केस में बरी कर दिया था। इसके बाद मक्का मस्जिद केस में उनको गिरफ्तार कर लिया गया ।

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में उनका नाम था लेकिन वहाँ से भी उनको एनआईए ने क्लीनचिट दे दी थी।

आपको बात दें कि गृहमंत्रालय के #गोपनीय #दस्तावेज से भी बड़ा खुलासा हुआ था कि कांग्रेस सरकार के द्वारा #पाकिस्तानी #आतंकवादियों की जगह #हिन्दू #संगठनों के कार्यकर्ता और हिन्दू साधु-संतो को जेल में #षड़यंत्र के तहत डाला गया । 

सोनिया गांधी ने #हिन्दू #संस्कृति नष्ट करने हेतु हिन्दुओं की बदनामी करवाने के लिए उसे "#भगवा_आतंकवाद" नाम दिया था ।

भगवा आतंकवाद का #लक्ष्य पूरा करने के लिए हिन्दू संतो को जेल में डाल दिया गया ।

देखिये वीडियो
 
जॉइंट इंटेलीजेंस कमेटी के पूर्व प्रमुख और पूर्व उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. एस डी प्रधान ने भी  #मालेगांव और #समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। 

प्रधान ने बताया कि ब्लास्ट होने वाला है वो हमें पहले ही पता चल गया था और हमने #गृह मंत्रालय में भी बता दिया था लेकिन #पी. चिंदबर ने राजनैतिक फायदे के लिए #साध्वी प्रज्ञा, #स्वामी असीमानंद आदि हिन्दू #साधु-संतों को फंसाने के लिए भगवा आतंकवाद नाम देकर उनको जेल भेज दिया था।

स्वामी असीमानंद को अब जमानत तो मिल गई है लेकिन उनको 6 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया, वो उनका कीमती समय क्या कानून लौटा पायेगा ???

मीडिया ने भी उस समय खूब बदनामी की लेकिन जैसे ही उनको कई जगह से निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी कोई हिन्दू साधु-संत पर आरोप लगता है तो मीडिया उनकी समाज में इतनी बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हो । पर जब वही संत निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है। 

विचार कीजिये, क्या सिर्फ हिन्दू संतों को बदनाम करने का मीडिया का एजेंडा है..???


कछुवा छाप चलने वाली हमारी न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर हिन्दू संतों को न्याय नही दे पाती है ।

और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय नही मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या देरी से न्याय मिलना अन्याय नहीं है ???

गौरतलब है कि अब साध्वी प्रज्ञा, #कर्नल पुरोहित, #बापू #आसारामजी, #श्री #नारायण साईं, #धनंजय देसाई आदि को फंसाने के पीछे कई सबूत मिल चुके हैं। लेकिन उनको भी अभीतक जमानत मिल नही पाई है ।

क्या उनको इसलिये जेल में रखा गया है कि वो कट्टर हिंदुत्ववादी हैं..???

 उन्होंने लाखों हिंदुओं की #घरवापसी करवाई है ।

विदेशी प्रोडक्ट पर रोक लगाई है ।

 विदेशी ताकतों ने मीडिया से सांठ-गांठ कर हिन्दू संतों को बदनाम करवाया । जिसका असर न्यायपालिका के फैसलों पर भी पड़ा ।

अतः विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया से भारतीय सावधान रहें ।

अब देखना ये है कि #हिन्दुत्वादी कहलाने वाली #सरकार #कब इन #हिन्दू #संतों को भी #न्याय दिलवाती है..???


कांग्रेस सरकार ने तो षडयंत्र करके हिन्दू सन्तों को जेल भेज दिया था पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली #BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है , ये देखना है ।

कब निर्दोष संतों की जल्द से जल्द सह-सम्मान रिहाई करवाती है उसी पर सभी हिंदुओं की निगाहें टिकी है ।

Friday, March 31, 2017

कानून ही नहीं लोगों की सेहत के लिए भी घातक हैं अवैध बूचड़खाने

कानून ही नहीं लोगों की सेहत के लिए भी घातक हैं अवैध बूचड़खाने

उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर चली कटार को लेकर काफी हल्ला हो रहा है। परंतु सेहत के लिए घातक इन बूचड़खानों की हकीकत सदमे में डाल सकती है। बीमार पशुओं के 60 प्रतिशत रोग उसका मांस खाने वालों में फैलने की आशंका रहती है और विशेषज्ञों का मानना है कि, मनुष्यों में #टीबी व रेबीज समेत कई गंभीर बीमारियों का स्रोत ऐसे मांस ही हैं। ऐसे में अवैध बूचड़खानों के बाद लाइसेंसशुदा बूचड़खाने भी संदेह के घेरे में हैं। उनके यहां पशुओं को काटने की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करने वाली सरकारी प्रणाली भी ध्वस्त है।
Slaughter Houses

देश के मांस निर्यात में उत्तर प्रदेश की कुल हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के आसपास रहती है। पिछले वर्ष सूबे के मीट प्रोसेसिंग केंद्रों ने 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया है। भैंस का मांस बीफ के तौर पर निर्यात किया जाता है। परंतु समुचित निगरानी के अभाव में #प्रतिबंधित होने के बावजूद गायों की कटाई की सूचनाएं भी बाहर आती रही हैं। भाजपा इस मुद्दे को विधानसभा चुनाव में पूरे जोर शोर से उठाती रही हैं। सत्ता में आते ही निगरानी प्रणाली को चुस्त बनाने पर जोर देना होगा।

#भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान के एक वरिष्ठ #वैज्ञानिक ने बताया कि, पशुओं को काटने से पहले स्थानीय निकायों में तैनात पशु चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी पशुओं की पूरी जांच करनी होती है। कटाई के बाद उसके मांस को खाने योग्य घोषित करना होता है। परंतु ढांचागत खामियों के चलते व्यावहारिक रूप में ऐसा होता नहीं है। रोग ग्रसित #पशुओं का मांस खाने वालों को टीबी, #गर्भपात वाले बैक्टीरिया, #फंगस वाले रोग, #सॉलमोनेला व लैप्टोसपिरा जैसे बैक्टीरिया रोगी बना सकते हैं । #रेबीज से प्रभावित पशुओं का मांस खाने वालों में रेबीज पहुंचने की आशंका रहती है।

राज्य सरकार ने जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले बिना अनुज्ञप्तिपत्र (#लाइसेंस) के अवैध बूचड़खाने बंद कराने के सख्त निर्देश दे रखे है। शहरी क्षेत्रों में बूचड़खानों की निगरानी स्थानीय निकायों की होती है, जहां तैनात पशु चिकित्साधिकारी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों को यह दायित्व दिया गया है, जहां पशु चिकित्सालय तक में पशु डॉक्टर नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश में कुल 285 अनुज्ञप्तिपत्र वाले बूचड़खाने चल रहे हैं। पशुओं को काटने के मामले में उत्तर प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। जबकि महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, जहां 316 #बूचड़खाने हैं। #उत्तर प्रदेश के लगभग तीन दर्जन बूचड़खाने केंद्र से मान्यता प्राप्त हैं। इनमें अलीगढ़ में सात, गाजियाबाद में पांच, उन्नाव में चार, #मेरठ में तीन और सहारनपुर में दो हैं। इसके अतिरिक्त बाराबंकी, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, झांसी और लखनऊ में एक-एक हैं।

अवैध बूचड़खाने तो किसी भी जांच की परिधि में होते ही नहीं हैं। लिहाजा उनके मांस को खाना जोखिम को मोल लेने के बराबर है। राज्य की पिछली सरकारों में इन पर पाबंदी नहीं होने अथवा सख्ती के अभाव में ‘सब चलता है’ की तर्ज होता रहा है। इसी पर पाबंदी लगाने की अपनी चुनावी घोषणा को लागू करने उतरी राज्य की योगी सरकार को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।


मांसाहार तथा शराब सेवन ना करें – सत्यपाल सिंह

लोकसभा में भाजपा सांसद #सत्यपाल सिंह ने कहा कि, मन पर अन्न का प्रभाव होने की बात शास्त्रों में भी कही गयी है और इसलिए हमें मांसाहार से तथा शराब सेवन से बचना चाहिए। उन्होने सदन में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि, यदि #मनुष्य मन पर नियंत्रण कर ले तो सबकुछ संभव है। मन पर अन्न का प्रभाव होता है और इसलिए कहा जाता है कि ‘जैसा खाओगे अन्न, वैसा रहेगा मन !’ सिंह ने कहा कि, इसलिए हमें मांसाहार से बचना चाहिए। इसके लिए मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (योगी #आदित्यनाथ) को बधाई देता हूँ । उन्होंने अवैध बूचड़खानों को तो बंद कर दिया। यह मन स्वस्थ होने की दिशा में कारगर होगा !’’

पूर्व पुलिस #अधिकारी सिंह ने कहा कि, शराब सेवन से भी बचना चाहिए। कांग्रेस के इतिहास से संबंधित एक किताब के पहले अध्याय में उल्लेख है कि, #ब्रिटिश काल में #कांग्रेस के संस्थापक ए ओ ह्यूम ने ब्रिटिश सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि, सरकार आबकारी पर एक रुपया कमाती है परंतु उससे निपटने में दो रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

सिंह ने कहा कि, सरकार को #शराब और साइकोट्रोपिक #ड्रग्स के नियंत्रण पर भी ध्यान देना चाहिए। 


देश भर में #गाेहत्या पर लगे रोक, मीट खाना बंद करें मुस्लिम : आजम खान

उत्तर प्रदेश मे अवैध बूचड़खानों पर योगी सरकार की कार्रवाई पर समाजवादी पार्टी (सपा) के #वरिष्ठ नेता #आजम_खान ने सोमवार को देश भर में गायों सहित अन्य जानवरों के काटे जाने पर रोक लगाने की मांग की । सपा नेता ने मुस्लिम समुदाय को मीट न खाने की सलाह भी दी है ।

देश में #कानूनों में समानता पर बल देते हुए खान ने कहा, ‘देश भर में गायों के काटे जाने पर प्रतिबंध होना चाहिए । ऐसा क्यों है कि, यह केरल और #पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कानूनी है और अन्य राज्यों में गैर-कानूनी है ।’

राज्य में वैध बूचड़खानों के चलने की अनुमति दिए जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए खान ने कहा, ‘इसका अर्थ यह है कि, यदि जानवर वैध #कसाईखानों में काटे जाते हैं तो यह ठीक है परंतु यही जानवर यदि अवैध बूचड़खानों में काटे जाते हैं तो यह गलत है ।’

खान ने कहा, ‘यह वैध, #अवैध की चीजें बंद होनी चाहिए । सभी बूचड़खाने बंद होने चाहिए । किसी भी जानवर को नहीं काटा जाना चाहिए ।’ खान ने जैन समुदाय का हवाला भी दिया जो चिकन और बकरे के काटे जाने की भी मनाही करता है । सपा नेता मुस्लिमों को मीट न खाने की सलाह भी दी है । खान ने कहा, ‘#इस्लाम में मीट खाना अनिवार्य नहीं किया गया है । #उलेमाओं को लोगों से अपील करनी चाहिए कि वे मीट न खाएं ।’

अब उत्तर प्रदेश की तरह हर जहग अवैध बूचड़खानों पर तो #प्रतिबन्ध लगना ही चाहिए साथ-साथ में वैध #बूचड़खानों को भी बन्द कर देना चाहिए मांस खाना छोड़कर केवल शाकाहार ही अपनाना चाहिए ।

कई लोग तर्क देते है #मांस में प्रोटीन होता है उन पढ़े लिखे अनजान मूर्खो को पता नही है कि दूध, आँवला आदि में जितना प्रोटीन और विटामिनस् हैं उससे चौथाई भी मांस में नही होता है पहले हमारे वीर #शिवाजी, #महाराणा प्रताप, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद कहाँ मांस खाते थे फिर भी शत्रुओं को धूल चटा देते थे ।

अतः #मांसाहार छोड़ो #शाकाहार अपनावो ।

जय हिंद

Thursday, March 30, 2017

अमेरिका में हिंदू धर्म को गलत दिखाने पर हजारों भारतीयों का विरोध प्रदर्शन

अमेरिका में हिंदू धर्म को गलत दिखाने पर हजारों भारतीयों का विरोध प्रदर्शन 

30 मार्च 2017

हिन्दू संस्कृति सनातन संस्कृति है, मुस्लिम की स्थापना 1450 साल पहले पैंगबर ने की , ईसाई धर्म की स्थापना भी 2017 साल पहले यीशु ने की थी लेकिन हिन्दू धर्म की स्थापना किसी ने नहीं की बल्कि ये सनातन धर्म है,अनादि है । जिसमें भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण आदि कई भगवान एवं ऋषि-मुनियों ने अवतार लिया है ।
sanatan sanskriti is the best culture in world 

इस सनातन संस्कृति को तोड़ने के लिए आसुरी स्वभाव के लोग पुरजोर कोशिश कर रहे हैं ।

इसका ताजा उदाहरण है अमेरिका में सीएनएन न्यूज ने हिन्दू संस्कृति विरोध में एक कार्यक्रम दिखाया है ।


शिकागो स्थित अमेरिकी न्‍यूज चैनल #सीएनएन (#CNN) ऑफिस के बाहर कल हजारों की संख्‍या में भारतीय-अमेरिकी मौजूद थे । वे सभी इस चैनल के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर रहे थे । सीएनएन ने पिछले दिनों एक डॉक्‍यूमेंट्री टेलीकास्‍ट की थी जिसमें उसने हिंदू धर्म को नकारात्‍मक रुप से दिखाया था।

अब तक का सबसे बडा प्रदर्शन..

सीएनएन के विरुद्ध हो रहे विरोध-प्रदर्शन में एक रैली भी निकाली गई जिसमें हजारों की संख्‍या में #भारतीय-अमेरिकी शामिल हुए। ये भारतीय बारिश की परवाह न करते हुए भी इस रैली का हिस्‍सा बने । विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रुप से हुआ। प्रदर्शन में शामिल भरत बराई का आरोप था कि सीएनएन के स्‍पेशल रिपोर्टर रजा असलान ने एक डॉक्‍यूमेंट्री में पांच अघोरी बाबाओं और उनकी पूजा को दिखाया था। बराई शिकोगा में बसे एक प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी हैं। बराई ने कहा कि रजा ने इसी तस्‍वीर को पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के तौर पर दिखाया। यह बात #विरोध #प्रदर्शन से जुड़े एक पर्चे में भी लिखी थी जिसे इस मौके पर लोगों के बीच बांटा गया था।

बराई ने कहा, ‘पांच #अघोरी #बाबाओं का जो विकृत चित्रण किया गया है उसका हिंदू धर्म से कोई लेना नहीं है। वे हिंदू #धर्मग्रंथ या फिर इसमें सिखाई गई बातों का हिस्‍सा नहीं हैं।’ पांच मार्च को #डॉक्‍यूमेंट्री के #टेलीकास्‍ट होने के बाद से अमेरिका में फैले कई हिंदू संगठन अलग-अलग तरीकों से सीएनएन के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिका #न्‍यूयॉर्क, #वॉशिंगटन, ह्यूस्‍टन, अटलांटा, सैन फ्रांसिस्‍को और लॉस एंजिल्‍स में प्रदर्शन जारी हैं। यह अभी तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन बन गया है।

एक और #भारतीय-अमेरिकी वामसी जुलूरी ने सीएनएस के उस शो को अविचारी, नस्‍लभेदी और खतरनाक तौर पर अप्रवासियों के विरुद्ध बताया है। उन्‍होंने शो की कई खामियों का उल्लेख किया और कहा, ‘यह काफी दुख की बात है कि, #अमेरिका में पिछले कई दशकों से कई अप्रवासी बसे हैं और एक सीएनएन जैसे बड़े न्‍यूज चैनल में जब भारत का उल्लेख होता है तो कुछ भी बेहतर नहीं दिखा सकते हैं।’

चंद्रशेखर वाग जो कि इस प्रदर्शन में शामिल हैं, उन्‍होंने कहा कि, ऐसा लगता है कि #रजा, भारत केवल इसलिए गए थे ताकि वह अपनी एक तरफा कल्‍पनाओं को सच साबित कर सकें।


अमेरिकी हिंदू #सांसद तुलसी गबार्ड ने CNN को लगाई फटकार..

#अमेरिकी कांग्रेस की पहली और एकमात्र #हिंदू #सदस्य तुलसी गबार्ड ने #हिंदू धर्म को लेकर ‘सनसनीखेज और गलत’ रिपोर्टिंग को लेकर मशहूर समाचार चैनल सीएनएन की आलोचना की है। हवाई से डेमोक्रेटिक पार्टी की कांग्रेस सदस्य तुलसी ने #फेसबुक पर लिखा, ‘‘रविवार को सीएनएन ने ‘बिलीवर’ :आस्तिक: नामक श्रृंखला का पहला भाग प्रसारित किया। ऐसा लगता है कि इस भाग के लिए एंकर रजा असलान ने हिंदू धर्म के बारे में बताने के लिए सनसनीखेज और बेतुके रुप तलाशने की कोशिश की।’’

इस कार्यक्रम में #अघोरी के बारे में तथ्यों और मान्यताओं के बारे में दिखाया गया। #तुलसी ने आरोप लगाया, ‘‘असलान और सीएनएन ने हैरान करनेवाले दृश्यों के माध्यम से न केवल तपस्वियों के एक पंथ को गलत ढंग से दिखाने की कोशिश की, बल्कि जाति, कर्म और पुनर्जन्म के बारे में गलत धारणाओं को बार बार दोहराया जिनसे हिंदू धर्म के लोग खुद लड़ते आए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सीएनएन जानता है कि #धर्मों के बारे में #सनसनीखेज और गलत रिपोर्टिंग से केवल अज्ञानता को बढ़ावा मिलता है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।’’

कुछ समय पहले #अमेरिकी #न्यूज चैनल सीएनएन ने काशी को ‘#मुर्दों का शहर’ बताया। सीएनएन ने अपने नए शो ‘बिलिवर’ का टीजर अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया है। इस टीजर में #चैनल ने काशी को ‘मुर्दो का शहर’ बताते हुए इस शो के बारे में बताया था। इस छह हिस्सों की सीरिज को धार्मिक स्कॉलर और आध्यात्मिक जिज्ञासु रेजा असलान होस्ट करेंगे। लेकिन सीएनएन के लिए यह ट्वीट गलत दाव पड़ गया। #सीएनएन के इस ट्वीट के विरुद्ध भारतीय समेत दुनिया भर के हिंदू भड़क गए है। तुलसी गबार्ड के अलावा रिपब्लिकन पार्टी जुड़े हिंदुओं ने भी इसका विरोध किया है।


सीएनएन’ समाचार चैनल के विरोध में हस्ताक्षर अभियान..

न्यूयॉर्क : 12 मार्च को अमेरिका की  सीएनएन पर ‘#बिलिव्हर विथ रेजा #अस्लम’ नामक कार्यक्रम का प्रसारण हुआ था । धर्मांध रेजा अस्लम इस कार्यक्रम का प्रमुख सूत्रसंचालक है।  

सीएनएन समाचार वाहिनी से इस कार्यक्रम का प्रसारण न हो, इसलिए इस #समाचार वाहिनी को आग्रह के रूप में #हिन्दू #महासभा, अमेरिका इस संगठन की ओर से #ऑनलाईन हस्ताक्षर अभियान का प्रारंभ किया गया है। 

इस अभियान के समर्थन में लिखे गए #पत्र में इसका उल्लेख किया गया है कि, ‘पाश्‍चात्त्य देशों में धर्म की जो व्याख्या प्रचलित है, उन मापदंडों के अनुसार ‘#हिन्दू धर्म’ है ही नहीं ! हिन्दू धर्म में निहित ‘अध्यात्म’ सर्वव्यापी है तथा उसमें स्थूल एवं सूक्ष्म जगत का ज्ञान उपलब्ध है। हिन्दू धर्म का पालन करनेवालों को साधना की संपूर्ण स्वतंत्रता है तथा केवल किसी एक धर्मग्रंथ में जो विशद किया गया है, केवल उसका ही पालन करने का कोई बंधन नहीं है। इस धर्म में कोई भी #कानून, आदेश (कमांडमेंट), फतवा इनका अस्तित्व ही नहीं है। जिस देश में रहते हो उस देश के कानून का पालन करना पड़ता है। हिन्दू धर्म में धर्मांतरण की तो कोई मान्यता ही नहीं है; क्योंकि वह उस परिप्रेक्ष्य में धर्म ही नहीं है। अतः #₹सीएनएन समाचार वाहिनी उपर्युक्त कार्यक्रम के माध्यम से होनेवाले हिन्दू धर्म के अनादर को टालने हेतु इस कार्यक्रम को ही निरस्त करें, ऐसा अनुरोध किया जाता है !’

हस्ताक्षर अभियान निम्न लिंकपर उपलब्ध है तथा उसपर #धर्माभिमानी अपने #हस्ताक्षर कर रहे हैं . . .  goo.gl/M22sMq  (इस लिंक में कुछ अक्षर कैपिटल हैं, इसे ध्यान में लें ।



सीएनएन के कार्यक्रम का #भारतीयों ने किया विरोध

वॉशिंग्टन : #हिंदुत्व का नकारात्मक चित्रण करनेवाला कार्यक्रम दिखाने को लेकर भारतीय मूल के अमेरिकियों ने सीएनएन की आलोचना की है। ‘#बिलीवर विद रेजा अस्लान’ शीर्षक से छह कड़ियोंवाली #धार्मिक #श्रृंखला का रविवार को प्रीमियर हुआ था। इसमें अघोरी से जुड़े तथ्यों एवं मिथकों के बारे में बताया गया है।

जाने-माने भारतवंशी और #अमेरिकी #राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रबल समर्थक शलभ कुमार ने इसे हिंदुत्व पर घटिया हमला बताया है। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, बड़ी संख्या में #हिंदू अमेरिकियों ने #ट्रंप का समर्थन किया था, इसलिए हिंदुत्व पर हमला किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मैं परिकल्पना पर आधारित कार्यक्रम को प्रसारित करने के लिए रेजा अस्लान और #सीएनएन की निंदा करता हूं। यह हिंदुओं पर घटिया हमला है। कुमार रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन के संस्थापक भी हैं।

साल 2004 में कैलिफोर्निया की पुस्तकों से हिंदुत्व के गलत चित्रण को हटाने के लिए प्रयास शुरू करनेवाले समूह के नेता खांडेराव कंद ने कहा कि ऐसे वक्त में जब अल्पसंख्यकों पर असहिष्णु हमले हो रहे हैं, इस कार्यक्रम से घृणा अपराध और बढ़ सकते हैं। #यूएस इंडिया #पॅालिटिकल एक्शन कमिटी और अमेरिकन हिंदु अगेंस्ट डेफमेशन जैसे संगठनों ने भी कार्यक्रम का प्रसारण रोकने की मांग की है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

#हिन्दू #संस्कृति के कारण ही दुनिया में सुख-शांति है लेकिन कुछ मीडिया, ईसाई मिशनरियां, कुछ #मुस्लिम नेता नही चाहते है कि दुनिया में सुख शांति रहे इसलिए वो हिन्दू संस्कृति को तोड़ने का पुरजोर काम कर रहें है।
अतः हिन्दुस्तानी सावधान रहें ।

Wednesday, March 29, 2017

अप्रैल फूल मनाते है तो हो जाइये सावधान, इतिहास पढ़कर आप भी चौंक जायेंगे...

अप्रैल फूल मनाते है तो हो जाइये सावधान, 
इतिहास पढ़कर आप भी चौंक जायेंगे...

कहीं अप्रैल फूल के नाम पर आप अपनी ही संस्कृति का मजाक तो नही उड़ा रहे...???

"#अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविकता जरुर जान ले...!

इस पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस के रूप में मनाने वाले सावधान....
 Azaad Bharat April Fool

क्या आपको पता है...#अप्रैल फूल का मतलब...???

अथार्त् हिंदुओं का #मूर्खता दिवस...!!! ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है।

दरअसल जब ईसाई अंग्रेजों द्वारा भारतवासियों को 1जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय भी भारतवासी #विक्रमी संवत के अनुसार ही लगभग 1अप्रैल से अपना नया साल मनाते थे, जो आज भी सच्चे #हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है।

आज भी हमारे देश में #बही #खाते और #बैंक 31मार्च को बंद होते हैं और #1अप्रैल से शुरू होते हैं ।

जब भारत गुलाम था तो #ईसाईयत ने #विक्रमी संवत का नाश करने के लिए #साजिश कर 1अप्रैल को #मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता #मूर्खता भरी लगे ।

मतलब जो भी हिन्दुस्तानी विक्रमी संवत के अनुसार नया साल मनाते थे उनको वो मूर्ख बोलते थे और जो उनके अनुसार 1 जनवरी वाला नया साल मनाते थे उनको वे बुद्धिमान समझते थे ।

अब आप स्वयं सोचे कि आपको अप्रैल फूल मनाना चाहिए या अपनी हिन्दू #संस्कृति का आदर करना चाहिए।

आइये जाने अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और त्यौहार...

हिन्दुओं का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है (#शुक्ल प्रतिपदा)
 
भगवान ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी ।

भगवान श्री राम का राजतिलक हुआ था ।

हिंदुओं के रीति -रिवाज सब इस दिन के कलेण्डर के अनुसार बनाये जाते हैं ।

महाराजा #विक्रमादित्य की काल गणना इस दिन से शुरू हुई।

भगवान #श्री_रामजी का जन्म इस महीने में आता है।

 पूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म दिवस भी इसी दिन होता है।

#भगवान #झूलेलाल, भगवान #हनुमानजी, भगवान #महावीर,  भगवान #स्वामीनारायण आदि का #प्रागट्य दिवस भी #अप्रैल में ही आता है।

(नॉट : कालगणना अनुसार तिथि कम ज्यादा आने से कई बार मार्च के आखरी में या अप्रैल के पहले सप्ताह में भारतीय नूतन वर्ष और ये सभी त्यौहार आते हैं ।) 

अंग्रेज ईसाई सदा से हिंदुओं के विरुद्ध थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वे हिन्दू संस्कृति को खत्म करेंगे तो ही भारत पर राज कर पाएंगे इसलिए वो नही चाहते थे कि हिंदुस्तानी ऐसा कोई त्यौहार न मनाये जिससे उनको खतरा हो ।

अंग्रेज चाहते थे कि वो हमारे ही त्यौहार मनाये जैसे नए साल में दारू पीना, दुष्कर्म करना, डांस करना जिससे #भारतवासी अपनी दिव्य संस्कृति भूल जाये और हमारी पतन कराने वाली संस्कृति अपनाए जिससे हम भारत को गुलाम बनाकर ही रखें और #भारत को लूटकर खत्म कर दें ।

इसलिए अंग्रेज #हिंदुओं के त्यौहारों को मूर्खता का दिन कहते थे ।

पर आज भी कुछ ईसाई #मिशनरियों के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़े लिखे हिन्दू बिना सोचे समझे बहुत शान से अप्रैल फूल मना रहे हैं ।

"अप्रैल फूल" किसी को बनाकर गुलाम मानसिकता का सबूत ना दे हिन्दू!"

मार्च आखरी या अप्रैल में प्रथम सप्ताह में आने वाला भारतीय सनातन कैलेंडर,जिसका पूरा विश्व अनुसरण करता है उसको भुलाने और मजाक उड़ाने के लिए अंग्रेजो द्वारा अप्रैल फूल मनाया गया था।

1582 में पोप #ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर अपनाने का फरमान जारी कर दिया था जिसमें 1 जनवरी को नए साल के प्रथम दिन के रूप में बनाया गया।

जब अंग्रेज भारत में आये तो भारतवासियों पर भी वही कैलेंडर थोपने लगे लेकिन जिन भारतवासियों ने इसको मानने से इंकार किया, उनका 1अप्रैल को #मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 1अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय #मूर्ख_दिवस बन गया।

और सबसे बड़ा आश्चर्य!

भारतवासी आज अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए "अप्रैल फूल" डे मना रहे हैं ।

आज मीडिया और ईसाई मिशनरियाँ तो हमारे देश को तोड़ने के लिए लगे ही है लेकिन हम क्यों अपनी महान संस्कृति भूलकर अंग्रेजो की गुलामी वाली प्रथा अपना रहे है।

अब हमें हमारी महान दिव्य सनातन संस्कृति को अपनाना होगा और हमारा पतन कराने वाली पाश्चात्य संस्कृति को भूलना होगा ।

जय हिंद!!

Tuesday, March 28, 2017

आसारामजी बापू पर कोलाहल, फादर रोबिन पर चुप्पी क्यों ?

आसारामजी बापू पर कोलाहल, फादर रोबिन पर चुप्पी क्यों ?

हाल ही में केरल के कोट्टियूर में एक ईसाई पादरी द्वारा नाबालिक से #बलात्कार, फिर उस पीड़िता के एक शिशु को जन्म देने का मामला प्रकाश में आया ।

#पादरी को बचाने का प्रयास न केवल राज्य सरकारी मिशनरी की ओर से किया गया, बल्कि पीड़िता के पिता ने भी प्रारंभ में चर्च की प्रतिष्ठा की रक्षा करने हेतु आरोपी का साथ दिया । 

cry bapu on asaram

उक्त मामले पर #उदारवादी और #मानवाधिकार व स्वयं सेवी #संगठन तो चुप रहे ही, #मीडिया का एक बड़ा भाग भी या तो इस पर #मौन रहा या तो कुछ ने इस घृणित मामले को एक साधारण समाचार के रूप में प्रस्तुत किया । 

इस मामले में उस तरह का हंगामा, समाचार पत्रों के मुख्यपृष्ठों पर सुर्खियां और न्यूज #चैनलों पर लंबी बहस नहीं दिखी, जो आसारामजी बापू पर लगे #यौन -उत्पीड़न के आरोप के बाद नजर आई थी ।

क्या किसी जघन्य अपराध के आरोपी पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए ? 
यदि उसका उत्तर 'हाँ' में है, तो इस मामले में मीडिया और #राजनीतिक दलों की चुप्पी का कारण क्या है ?


#कोट्टियूर में सेंट #सेबास्टियन चर्च के #कैथोलिक पादरी 48 वर्षीय फादर रोबिन उर्फ मैथ्यू वडकनचेरिल को #नाबालिक से बलात्कार के आरोप में 28 फरवरी को तब गिरफ्तार किया गया, जब वह #विदेश भागने की फिराक में था । मामला गत वर्ष मई का है । किन्तु इसका खुलासा 7 फरवरी को तब हुआ, जब इस 16 वर्षीय अविवाहिक लड़की ने कोथुपरमवा के एक निजी #अस्पताल में #शिशु को जन्म दिया । 

नवजात को एक स्थानीय अनाथालय में ले जाया गया, जहां शिशु के जन्म सूचना के बाद भी बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने कोई कार्यवाही नहीं की, #अदालत के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने इस मामले से जुड़े तथ्यों को छिपाने के आरोप में #सीडब्ल्यूसी के पूर्व अध्यक्ष फादर थॉमस जोसेफ थेरकम, समिति के एक पूर्व सदस्य वेट्टी जोस और वायनाड में अनाथालय की अधीक्षक सिस्टम #ओफेलिया को गिरफ्तार किया ।

साथ ही अस्पताल की पांच ननों पर मामला दर्ज किया गया । इन सभी पर पॉक्सो अधिनियम की #गैर-जमानती धाराओं और किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज है । कोट्टियूर की इस घटना का सबसे विभस्त पक्ष यह है कि पीड़िता के पिता ने आरोपी पादरी और चर्च को बदनामी से बचाने के लिए प्रारंभिक जाँच में झूठ बोला और कहा कि उसने ही अपनी बेटी का बलात्कार किया । किन्तु जब उसे इस अपराध के सिद्ध होने पर मिलनेवाली सजा की जानकारी हुई, तब उसने फादर रोबिन के दुष्कर्म का खुलासा पुलिस के समक्ष किया ।

पिता के अनुसार, आरोपी पादरी ने ही निजी अस्पताल के बिल का भुगतान किया और भरोसा दिया कि वह अपने 'पाप' का प्रायश्चित करेगा । किन्तु उसने उन्हें धोखा देने की कोशिश की । पीड़िता के माता-पिता के अनुसार, उनकी बेटी का मासिक धर्म अनियमित रहता था, इसलिए उन्हें अपनी बेटी के गर्भावस्था का बिलकुल भी पता नहीं चला ।

कोट्टियूर में चर्च से संबधित इस तरह का मामला देश में नया नहीं है । बीते कई वर्षो से भारत में विभिन्न कैथोलिक अधिष्ठान, चाहे वह चर्च हो या फिर कॉन्वेंट स्कूल, कई बार इस घृणित अपराध से कलंकित हो चुके है । किन्तु इसके विरोध में स्वघोषित #सेक्युलर-उदारवादी जमात और स्वयंसेवी संस्थाओं ने मुँह तक नहीं खोला ।

कोट्टियूर की घटना से पूर्व, केरल के ही #एर्नाकुलम में एक नाबालिक लड़की से बलात्कार के आरोपी 41 वर्षीय #पादरी एडविन को एक साथ दो-दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी । 

कोच्चि में एक #कॉन्वेंट स्कूल के #प्रिंसिपल फादर कुरियाकोस को #पुलिस न एक लड़के से कुकर्म के आरोप में गिरफ्तार किया था । 

2014 में केरल के ही #त्रिचूर में #सेंटपॉल #चर्च के पादरी पर 9 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने अपना शिकंजा कसा था । 

फरवरी-अप्रैल 2014 में ही केरल में तीन कैथोलिक पादरी बच्चों से #बलात्कार के मामले में कानून की पकड़ में आए थे । 

वर्ष 2016 में #प.बंगाल में भी एक पादरी पर महिला से दुष्कर्म किए जाने का आरोप लगा था । 

इन सभी मामलो में गिरिजाघरों ने शर्मिंदा होने की बजाय केवल अपने पादरियों का ही बचाव किया । देश के #आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में चल रही ईसाई मिशनरियों के दबाव के कारण कैथोलिक संस्थाओं का असली #एजेंडा  सामने नही आ पाता । अधिकतर यौनाचार ईश्वर को खुश करने के नाम पर किये जाते है । 

भारत में कुंठित पादरियों की संख्या बढ़ने का कारण एक यह भी है कि यहाँ बिना किसी जाँच-पड़ताल के विदेशी #संस्थाओं द्वारा पादरी नियुक्त किये जा रहे हैं । यहाँ तक कि विदेशों में यौन शोषण के आरोपियों को भारत में सम्मान पूर्वक किसी चर्च में पादरी बना दिया जाता है ।वर्ष 2015 में #जोसेफ पी. जयापॉल, जिसपर अमेरिका में एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया था और जो भागकर भारत पहुँचा था, उसे भी रोमिन कैथोलिक संस्था वेटिकन ने तमिलनाडु के एक चर्च में पादरी नियुक्त कर दिया ।

यौनचार में लिप्त पादरी अपना शिकार सर्वाधिक प्रबल भक्तों में से ही बनाते हैं । इनके परिवारों को पीढ़ियों से सिखाया जाता रहा है कि कैथोलिक पादरियों पर विश्वास करें और उन्हें पूरा सम्मान दें ।

 चर्च की प्रतिष्ठा को सर्वोपरि मानने वाले बिशप पीड़ित परिवारों के दिमाग में यह बात बैठाते हैं कि सच्चाई सामने आने पर लोगो की आस्था को चोट पहुँचेगी । कोट्टियूर में बलात्कार पीड़िता के पिता का पादरी को बचाने के लिए स्वयं झूठ बोलकर गुनाह कबूलना, उसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

इस कुतिस्त काम में #विदेशी वित पोषित और तथाकथित स्वयंसेवी व मानवाधिकार संस्थाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है । वास्तव में चर्च जिस 'गोपनीयता की संस्कृति' से अपने अनुयायियों को दीक्षित करता है, उससे यौन-शोषण जैसे मामले दबे रह जाते हैं । रोमन कैथोलिक चर्च में जब #कार्डिनल बनाये जाते हैं तब वह पॉप के समक्ष वचन देते हैं कि वे हर उस बात को गुप्त रखेंगे, जिसके प्रकट होने से चर्च की बदनामी होगी या उसे नुकसान पहुंचेगा । यही कारण है कि यौन उत्पीड़न की बात उजागर होने के बाद भी सत्य को छुपाना ही चर्च अपना प्रथम कर्तव्य मानता है ।

कैथोलिक पादरियों से जुड़ी बलात्कार की घटनाओं को लेकर 19 मार्च को ईसाई संगठनों ने 'विशप हॉउस' के बाहर प्रदर्शन किया था । उनका कहना था कि महिलाओं और नाबालिकों को अपराध स्वीकारोक्ति 'कंफेक्शन' की विधि पादरी न करें, क्योंकि पादरी उस दौरान महिलाओं और #लड़कियों से न केवल प्रतिकूल प्रश्न पूछते हैं बल्कि मौके का फायदा उठाकर #यौन-शोषण  भी करते है ।


इस कटु सत्य की पुष्टि 26 वर्ष तक एक कैथोलिक चर्च में नन रही सिस्टर जेसमैं अपनी आत्मकथा - 'अमिन द #ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ इ नन' में भी कर चुकी है ।

सिस्टर जेसमौ लिखती हैं कि जब वह एक दिन कंफेक्शन के लिए गई, तब फादर ने उन्हें 'किस' करने की अनुमति मांगी, जिसके इंकार करने पर फादर ने तर्क दिया कि यह सब पवित्र ग्रंथ बाइबल के अनुरूप है । आज भी जब कोट्टियूर की घटना के बाद ऐसा ही विरोध एक संगठन द्वारा किया जा रहा है, तब भी केरल कैथलिक विशप समिति पवित्र ग्रंथ #बाइबल के सिद्धांतों का सहारा लेकर इस आक्रोश को निरस्त कर रहे हैं । 

बलात्कार या यौन उत्पीड़न या महिलाओं से सम्बंधित कोई भी अपराध #सामाजिक कलंक है । चाहे इसका आरोप किसी भी समुदाय से सम्बंधित क्यों न हो, दोषी सिद्ध होने पर उसे कड़ी सजा देने का प्रावधान भारतीय दंड संहिता में है । 

क्या कारण है कि आसारामजी बापू जैसे हिन्दू साधु-संतों के इस तर्ज घृणित मामले में आने के बाद स्वघोषित सेक्युलरिस्ट, #उदारवादी और मीडिया के बड़े भाग का ध्यान तो इस ओर केंद्रित हो जाता है और बिना किसी सबूत वो उन्हें दिन रात बदनाम भी करते हैं पर दूसरी ओर फादर रोबिन जैसे बलात्कारी आरोपियों पर इस तरह का उग्र #रवैया देखने को नहीं मिलता !!

आखिर क्यों ?

 स्त्रोत: स्वदेश अखबार

Monday, March 27, 2017

भारतीय संस्कृति का चैत्री नूतन वर्ष - 28 मार्च

भारतीय संस्कृति का चैत्री नूतन वर्ष - 28 मार्च

चैत्रे मासि जगद् ब्रम्हाशसर्ज प्रथमेऽहनि ।
– ब्रम्हपुराण

अर्थात ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सत्ययुग का आरंभ हुआ । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी #आरंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है । यह दिन महाराष्ट्र में ‘गुडीपडवा’ के नाम से भी मनाया जाता है । गुडी अर्थात् ध्वजा । पाडवा शब्द में से ‘पाड’ अर्थात पूर्ण; एवं ‘वा’ अर्थात वृद्धिंगत करना, परिपूर्ण करना । इस प्रकार पाडवा इस शब्द का अर्थ है, परिपूर्णता ।
Gudi Padwa - Chetichand

गुड़ी (बाँस की ध्वजा) खड़ी करके उस पर वस्त्र, ताम्र- कलश, नीम की पत्तेदार टहनियाँ तथा शर्करा से बने हार चढाये जाते हैं।

गुड़ी उतारने के बाद उस शर्करा के साथ नीम की पत्तियों का भी प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है, जो जीवन में (विशेषकर वसंत ऋतु में) मधुर रस के साथ कड़वे रस की भी आवश्यकता को दर्शाता है।

वर्षारंभके दिन सगुण #ब्रह्मलोक से प्रजापति, ब्रह्मा एवं सरस्वतीदेवी इनकी सूक्ष्मतम तरंगें प्रक्षेपित होती हैं । 

चैत्र #शुक्ल प्रतिपदा के दिन प्रजापति तरंगें सबसे अधिक मात्रा में पृथ्वी पर आती हैं । इस दिन सत्त्वगुण अत्यधिक मात्रा में #पृथ्वी पर आता है । यह दिन वर्ष के अन्य दिनों की तुलना में सर्वाधिक सात्त्विक होता है ।

प्रजापति #ब्रह्मा द्वारा तरंगे पृथ्वी पर आने से वनस्पति के अंकुरने की भूमि की क्षमता में वृद्धि होती है । तो बुद्धि प्रगल्भ बनती है । कुओं-तालाबों में नए झरने निकलते हैं ।

#चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन #धर्मलोक से धर्मशक्ति की तरंगें पृथ्वी पर अधिक मात्रा में आती हैं और पृथ्वी के पृष्ठभाग पर स्थित धर्मबिंदु के माध्यम से ग्रहण की जाती हैं । तत्पश्चात् आवश्यकता के अनुसार भूलोक के जीवों की दिशा में प्रक्षेपित की जाती हैं ।

इस दिन #भूलोक के वातावरण में रजकणों का प्रभाव अधिक मात्रा में होता है, इस कारण पृथ्वी के जीवों का #क्षात्रभाव भी जागृत रहता है । इस दिन वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों का प्रभाव भी कम रहता है । इस कारण वातावरण अधिक #चैतन्यदायी रहता है ।
भारतीयों के लिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन अत्यंत शुभ होता है । 

साढे तीन मुहूर्तों में से एक #मुहूर्त

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया एवं दशहरा, प्रत्येक का एक एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का आधा, ऐसे साढे तीन मुहूर्त होते हैं । इन साढे तीन #मुहूर्तों की विशेषता यह है कि अन्य दिन शुभकार्य हेतु मुहूर्त देखना पडता है; परंतु इन चार दिनों का प्रत्येक क्षण #शुभमुहूर्त ही होता है ।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक दिवस, मत्स्यावतार दिवस, #वरुणावतार संत #झुलेलालजी का अवतरण दिवस, सिक्खों के द्वितीय गुरु #अंगददेवजी का #जन्मदिवस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्मदिवस, चैत्री नवरात्र प्रारम्भ आदि पर्वोत्सव एवं जयंतियाँ वर्ष-प्रतिपदा से जुड़कर और अधिक महान बन गयी।


चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रकृति सर्वत्र माधुर्य #बिखेरने लगती है।

भारतीय संस्कृति का यह नूतन वर्ष जीवन में नया उत्साह, नयी चेतना व नया आह्लाद जगाता है। वसंत #ऋतु का आगमन होने के साथ वातावरण समशीतोष्ण बन जाता है।

सुप्तावस्था में पड़े जड़-चेतन तत्त्व गतिमान हो जाते हैं । नदियों में #स्वच्छ जल का संचार हो जाता है। आकाश नीले रंग की गहराइयों में चमकने लगता है।

#सूर्य-रश्मियों की प्रखरता से खड़ी फसलें परिपक्व होने लगती हैं ।

किसान नववर्ष एवं नयी फसल के स्वागत में जुट जाते हैं। #पेड़-पौधे नव पल्लव एवं रंग-बिरंगे फूलों के साथ लहराने लगते हैं।

बौराये आम और कटहल नूतन संवत्सर के स्वागत में अपनी सुगन्ध बिखेरने लगते हैं । सुगन्धित वायु के #झकोरों से सारा वातावरण सुरभित हो उठता है ।

कोयल कूकने लगती हैं । चिड़ियाँ चहचहाने लगती हैं । इस सुहावने मौसम में #कृषिक्षेत्र सुंदर, #स्वर्णिम खेती से लहलहा उठता है ।

इस प्रकार #नूतन_वर्ष का प्रारम्भ आनंद-#उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता सुंदर भूमिका बना देती है । इस बाह्य #चैतन्यमय प्राकृतिक वातावरण का लाभ लेकर व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में भी उपवास द्वारा #शारीरिक #स्वास्थ्य-लाभ के साथ-साथ जागरण, नृत्य-कीर्तन आदि द्वारा भावनात्मक एवं आध्यात्मिक जागृति लाने हेतु नूतन वर्ष के प्रथम दिन से ही माँ आद्यशक्ति की उपासना का नवरात्रि महोत्सव शुरू हो जाता है ।

#नूतन वर्ष प्रारंभ की पावन वेला में हम सब एक-दूसरे को सत्संकल्प द्वारा पोषित करें कि ‘सूर्य का तेज, चंद्रमा का अमृत, माँ शारदा का ज्ञान, भगवान #शिवजी की #तपोनिष्ठा, माँ अम्बा का शत्रुदमन-सामर्थ्य व वात्सल्य, दधीचि ऋषि का त्याग, भगवान नारायण की समता, भगवान श्रीरामचंद्रजी की कर्तव्यनिष्ठा व मर्यादा, भगवान श्रीकृष्ण की नीति व #योग, #हनुमानजी का निःस्वार्थ सेवाभाव, नानकजी की #भगवन्नाम-निष्ठा, #पितामह भीष्म एवं महाराणा प्रताप की #प्रतिज्ञा, #गौमाता की सेवा तथा ब्रह्मज्ञानी सद्गुरु का सत्संग-सान्निध्य व कृपावर्षा - यह सब आपको सुलभ हो ।

इस शुभ संकल्प द्वारा ‘#परस्परं #भावयन्तु की सद्भावना दृढ़ होगी और इसी से पारिवारिक व सामाजिक जीवन में #रामराज्य का अवतरण हो सकेगा, इस बात की ओर संकेत करता है यह ‘#राम राज्याभिषेक दिवस।

अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए बधाई-पत्र लिखें, दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहरायें, #सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें, #मंदिरों आदि में #शंखध्वनि करके नववर्ष का स्वागत करें  ।

Sunday, March 26, 2017

भारतीय चैत्री नूतनवर्ष कैसे मनाये ?

भारतीय चैत्री नूतनवर्ष कैसे मनाये ?

28 मार्च

भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है।
Azaad bharat , chetichand , gudipadwa

चैत्र नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं।

अंग्रेजी नूतन वर्ष में शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार करते हैं लेकिन भारतीय नूतन वर्ष संयम, हर्ष, उल्लास से मनाया जाता है । जिससे देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो जाता है ।


28 मार्च को नूतन वर्ष मनाना है, भारतीय संस्कृति की दिव्यता को घर-घर पहुँचाना है ।

हम भारतीय नूतन वर्ष व्यक्तिगतरूप और सामूहिक रूप से भी मना सकते हैं ।

कैसे मनाये ? 

1 - भारतीय नूतनवर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर #स्नान करें । संभव हो तो चर्मरोगों से बचने के लिए तिल का तेल लगाकर स्नान करें ।

2 - नवसंवत्सरारंभ पर पुरुष #धोती-कुर्ता / पजामा, तथा स्त्रियां नौ गज/छह गज की साडी पहनें ।

3 - मस्तक पर #तिलक करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।

4 - सूर्योदय के समय भगवान #सूर्यनारायण को #अर्घ्य देकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।

5 - सुबह सूर्योदय के समय #शंखध्वनि करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।

6 - हिन्दू नववर्षारंभदिन की शुभकामनाएं हस्तांदोलन (हैंडशेक) कर नहीं, नमस्कार कर स्वभाषा में दें ।

7 -  #भारतीय_नूतनवर्ष के प्रथम दिन ऋतु संबंधित रोगों से बचने के लिए नीम, कालीमिर्च, मिश्री या नमक से युक्त चटनी बनाकर खुद खाये और दूसरों को खिलायें ।

8 - #मठ-मंदिरों, #आश्रमों आदि धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, #कॉलेज, सोसायटी, अपने दुकान, कार्यालयों तथा शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भगवा #ध्वजा फेराकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  और बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भारतीय नववर्ष का स्वागत करें । हमारे ऋषि-मुनियों का कहना है कि बंदनवार के नीचे से जो गुजरता है उसकी  ऋतु-परिवर्तन से होनेवाले संबंधित रोगों से रक्षा होती है ।  पहले राजा लोग अपनी प्रजाओं के साथ सामूहिक रूप से गुजरते थे ।

9 - भारतीय नूतन वर्ष के दिन सामूहिक #भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें ।

10 - भारतीय संस्कृति तथा गुरु-ज्ञान से, महापुरुषों के ज्ञान से सभीका जीवन उन्नत हो ।’ – इस प्रकार एक-दूसरे को #बधाई संदेश देकर नववर्ष का स्वागत करें । एस.एम.एस. भी भेजें ।

11 - अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए आप बधाई-पत्र भेज सकते हैं । #दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहरायें । 

12 - #ई-मेल, #ट्विटर, #फेसबुक, #व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर लोगों को प्रोत्साहित करें ।

13 - नूतन वर्ष से जुड़े #ऐतिहासिक प्रसंगों की झाकियाँ, फ्लैक्स भी लगाकर प्रचार कर सकते हैं ।

14  - सभी तरह के #राजनैतिक, #सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनों से संपर्क करके सामूहिक रुप से सभा आदि के द्वारा भी नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं ।

15 - नववर्ष संबंधित #पेम्पेलट #बाँटकर, न्यूज पेपरों में डालकर भी समाज तक संदेश पहुँचा सकते हैं ।

सभी भारतवासियों को प्रार्थना हैं कि रैली के द्वारा #कलेक्टर, #मुख्यमंत्री, #प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को भी भारतीय नववर्ष को सरकार के द्वारा सामूहिकरूप में मनाने हेतु ज्ञापन दें और व्यक्तिगत रूप में भी पत्र लिखें । 


सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वो को बड़ी विशालता से जरूर मनाए ।

‘नववर्षारंभ’ त्यौहार आनंद का, प्रण करें संस्कृतिरक्षा का !

यश, कीर्ति ,विजय, सुख समृद्धि हेतु घर के ऊपर झंडा या ध्वज पताका लगाये

हमारे शास्त्रो में झंडा या पताका लगाने का विधान है । #पताका यश, कीर्ति, विजय , घर में सुख समृद्धि , #शान्ति एवं पराक्रम का प्रतीक है। जिस जगह पताका या झंडा फहरता है उसके वेग से नकरात्मक उर्जा दूर चली जाती है ।

हिन्दू समाज में अगर सभी घरों में स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ #झंडा फहरेगा तो #हिन्दू समाज का यश, कीर्ति, विजय एवं पराक्रम दूर दूर तक फैलेगा ।


इसीलिए पहले के जमाने में जब युद्ध में या किसी अन्य कार्य में विजय प्राप्त होती थी तो #ध्वजा #फहराई जाती थी। ध्वजा का जहां सनातन धर्म में विशेष महत्व एवं आस्था रही है वहीं ध्वज की छत्र छाया में हो रहे पर्यावरण की शुद्धिकरण से सभी को लाभ मिलेगा।  


शास्त्रों में भी ध्वजारोहण का विशेष महत्व बताया गया है #झंडे या #पताका आयताकार या तिकोना होता है ।  जो भवनों, मंदिरों, आदि पर फहराया जाता है ।

घर पर ध्वजा लगाने से #नकारात्मक ऊर्जा का नाश तो होता ही है साथ ही घर को बुरी नजर भी नहीं लगती है। घर पर किसी भी प्रकार की बाहरी हवा नहीं लगती है। घर में भूत ,प्रेत आदि का प्रवेश नहीं होता । ध्वजा पर हनुमान जी का स्थान होता है, स्वयं #हनुमान जी सम्पूर्ण प्रकार से घर की , घर के सम्पूर्ण सदस्यों की रक्षा करते हैं । सभी प्रकार के #अनिष्टों से बचा जा सकता है ।

सभी #हिन्दू घरों में वायव्य कोण यानि उत्तर पश्चिम दिशा में झंडा या #ध्वजा जरूर लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानि वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है। ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर की सुख व समृद्धि बढ़ती है।

अतः सभी हिन्दू घरों में #पीले, #सिंदूरी, #लाल या #केसरिये रंग के कपड़े पर #स्वास्तिक या #ॐ लगा हुआ #झंडा अवश्य लगाना चाहिए । मानसिक रूप से बीमार मंदिर के ऊपर लहराता हुआ झंडा देखे तो कई प्रकार के रोग का शमन हो जाता है ।

अतः भारतीय #नववर्ष मंगलवार 28 मार्च 2017 से पहले अपने घर पर ध्वज पताका अवश्य लगाए ।


आपको नव संवतसर की हार्दिक शुभकामनाएं.!!