Thursday, June 20, 2024
सुबह जल्दी उठने से क्या फायदा होगा और जल्दी नही उठने से क्या क्या नुकसान होगा?
सुबह जल्दी उठने से क्या फायदा होगा और जल्दी नही उठने से क्या क्या नुकसान होगा?
22 June 2024
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🚩रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है। ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।
🚩“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।
🚩अर्थात - ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।
सिख धर्म में इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है--"अमृत वेला", जिसके द्वारा इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईवर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।
🚩पौराणिक महत्व
🚩वाल्मीकि रामायण के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्रीहनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद व यज्ञ के ज्ञाताओं के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनी।
शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है--
🚩वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥
🚩अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।
🚩ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति
🚩ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।
🚩इसलिए मिलती है सफलता व समृद्धि
🚩आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
🚩ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।
🚩ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है, क्यों? क्योंकि जल्दी उठने से दिनभर के कार्यों और योजनाओं को बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए न केवल जीवन सफल होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने वाला हर व्यक्ति सुखी और समृद्ध हो सकता है। कारण वह जो काम करता है उसमें उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल रहता है। जॉब (नौकरी) करने वाले से बॉस खुश रहता है। बिजनेसमैन अच्छी कमाई कर सकता है। बीमार आदमी की आय तो प्रभावित होती ही है, उल्टे खर्च बढऩे लगता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो समय का सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे। अत: स्वस्थ और सफल रहना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।
🚩प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥ - ऋग्वेद-1/125/1
🚩अर्थात- सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
🚩यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा।
सुवाति सविता भग:॥ - सामवेद-35
🚩अर्थात- व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
🚩उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।
अथर्ववेद- 7/16/2
🚩अर्थात- सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है।
🚩व्यावहारिक महत्व
🚩व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।
🚩जैविक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या के अनुसार प्रातः 3 से 5 – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से फेफड़ों में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना। इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है।
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Tuesday, June 18, 2024
पश्चिम बंगाल और केरल में हिन्दुओं का अस्तित्व संकट में हैं?
पश्चिम बंगाल और केरल में हिन्दुओं का अस्तित्व संकट में हैं?
19 June 2024
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🚩पश्चिम बंगाल और केरल भारत के दो ऐसे राज्य है जहां वामपंथ का पिछले 60 वर्षों से वर्चस्व रहा है। यहां पहले ईसाई मिशनरियों के चलते हिन्दू आबादी में बढ़े पैमाने पर सेंधमारी हुई जिसके बाद मुस्लिम-वामपंथी गठजोड़ ने राज्य में हिन्दुओं के अस्तित्व को संकट में डाल दिया। हिन्दू संगठन और धार्मिक संस्थानों पर लगातर हमलों का इन राज्यों में लंबा इतिहास रहा है। आधुनिक भारत में इस तरह के सामाजिक परिवर्तन और राजनीतिक स्वार्थ के चलते हिन्दुओं में तनाव का बढ़ना चिंता का विषय है।
🚩पश्चिम बंगाल में हिन्दू :
🚩भारत में ईसाइयों की आबादी लगभग 2.78 करोड़ हो चली है, जो कि कुल जनसंख्या का 2.3 फ़ीसद है। जहां ईसाई मिशनरी सक्रिय है उन राज्यों में पश्चिम बंगाल, केरल, उड़ीसा, पूर्वोत्तर के राज्य, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़, तमिनाडु, बिहार और झारखंड का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आने वाले समय में नागालैंड, मेघालय और मिजोरम की तरह और भी राज्यों में हिन्दू आबादी का विघटन होगा। जहां तक पश्चिम बंगाल का सवाल है यह ईसाई धर्म का अंग्रेज काल से ही केंद्र रहा है। हालांकि यह ईसाई धर्म यहां इतना सफल नहीं हो पाया जितना की केरल, मिजोरम और नगालैंड में।
🚩बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल को मिलाकर पहले हिन्दू बहुसंख्यक हुआ करता था। अब बंगाल का एक बहुत बड़ा हिस्सा बांग्लादेश बन गया है, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक है और अब जहां हिन्दू मात्र 6 प्रतिशत बचे हैं। इधर पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी 2001 में 25 प्रतिशत थी, जो 2011 में बढ़कर 27 प्रतिशत हो गई। वर्तमान में भारत-बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों से कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं को मार-मारकर भगाया जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बांग्लादेश की सीमा से सटे प. बंगाल, बिहार और असम के अधिकतर क्षेत्रों का राजनीतिक व सांस्कृतिक परिदृश्य बदल गया है?
🚩40 वर्षों से अधिक वामपंथी वर्चस्व के राज्य में हिन्दुओं की आबादी कुछ क्षेत्रों में लगातार घटती गई जहां से हिन्दुओं को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया गया। 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बिरभूम, मालदा आदि ऐसे कई उदाहरण सामने हैं। हालात तब ज्यादा बिगड़ने लगे हैं जबकि बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थी भी राज्य में डेरा जमाए हुए हैं। राज्य में हिन्दू आबादी का संतुलन बिगाड़ने की साजिश लगातार जारी है। हिन्दुओं का ईसाईकरण करने से भी राज्य की आबादी का संतुलन बिगड़ा है।
🚩2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की आबादी में 1.94 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी में 0.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि सिर्फ बंगाल में मुसलमानों की आबादी 1.77 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं दुगनी दर से बढ़ी है। इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में क्या चल रहा है? 2013 में बंगाल में हुए सुनियोजित दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूटे गए। साथ ही कई मंदिरों को तोड़ दिया गया था इस पर अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
🚩बंगाल के 3 जिले ऐसे हैं, जहां पर मुस्लिमों ने हिन्दुओं की जनसंख्या को फसाद और दंगे के माध्यम से पलायन के लिए मजबूर किया। वर्तमान में मुर्शिदाबाद में 47 लाख मुस्लिम और 23 लाख हिन्दू, मालदा में 20 लाख मुस्लिम और 19 लाख हिन्दू और उत्तरी दिनाजपुर में 15 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिन्दू हैं। हिन्दू यहां कभी बहुसंख्यक हुआ करते थे। प. बंगाल के सीमावर्ती उपजिलों की बात करें तो 42 क्षेत्रों में से 3 में मुस्लिम 90 प्रतिशत से अधिक, 7 में 80-90 प्रतिशत के बीच, 11 में 70-80 प्रतिशत तक, 8 में 60-70 प्रतिशत और 13 क्षेत्रों में मुस्लिमों की जनसंख्या 50-60 प्रतिशत तक हो चुकी है।
🚩प. बंगाल की 9.5 करोड़ की आबादी में 2.5 करोड़ से अधिक मुसलमान हैं। 1951 की जनगणना में प. बंगाल की कुल जनसंख्या 2.63 करोड़ में मुसलमानों की आबादी लगभग 50 लाख थी, जो 2011 की जनगणना में बढ़कर 2.50 करोड़ हो गई। प. बंगाल में 2011 में हिन्दुओं की 10.8 प्रतिशत दशकीय वृद्धि दर की तुलना में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर दोगुनी यानी 21.8 प्रतिशत है।
🚩केरल में हिन्दू :
केरल एक ऐसा राज्य है जहां देश में सबसे पहले ईसाई धर्म और बाद में मुस्लिम धर्म ने दस्तक दी। देश का पहला चर्च और पहली मस्जिद केरल में ही है। दोनों ही धर्मों के बीच हिन्दू आबादी को धर्मान्तरित करने का लक्ष्य था, जो अब तक जारी है। केरल में हिन्दू आबादी के विघटन के बाद यहा मिलिझुली संस्कृति निर्मित हो गई। इसके चलते ही इस भारतीय राज्य में वामपंथी वर्चस्व बढ़ गया। केरल को भारत का सबसे गरीब लेकिन सबसे शिक्षित राज्य माना जाता रहा है।
🚩केरल में 300 वर्ष पहले तक 99 प्रतिशत हिन्दू रहते थे। वर्तमान में केरल की कुल 3.50 करोड़ आबादी का 54.7 प्रतिशत भाग ही हिन्दू हैं जबकि 26.6 फीसदी मुस्लिम और 18.4 प्रतिशत ईसाई हैं। केरल में आबादी का संतुलन खासकर ईसाई मिशनरियों ने बिगाड़ा। हिन्दुओं का धर्मांतरण कर वहां की आबादी में कट्टरपंथी मुस्लिमों और वामपंथियों को वर्चस्व की भूमिका में ला खड़ा किया। 2011 की धार्मिक जनगणना के आंकड़ों अनुसार हिन्दुओं की आबादी 16.76 प्रतिशत की दर से तो मुस्लिमों की आबादी 24.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी। पहली बार हिन्दुओं की आबादी वहां 80 प्रतिशत से नीचे आ गई। 2001 में हिन्दू 80.5 प्रतिशत थे, जो घटकर 79.8 प्रशिशत रह गए जबकि मुस्लिमों की आबादी 13.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो गई।
🚩एक छोटा-सा गुट कट्टर सुन्नी इस्लाम को मानता है जिसे सलफी मुस्लिम कहते हैं, लेकिन इसकी गतिविधि ने राज्य के अन्य धर्मों के लोगों की जिंदगी मुश्किल में डाल दी है। इस राज्य में राज्य सरकार की नीति के तहत अरब और खाड़ी देशों का दखल ज्यादा है। बाहरी दखल के चलते केरल के शांतिप्रिय मुस्लिम भी अब कट्टरता की राह पर चल पड़े हैं। वर्तमान में केरल के मल्लापुरम, कासरगोड, कन्नूर और पलक्कड़ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां मुस्लिमों का जोर चलता है। यहां हिन्दू और ईसाई दबाव में रहते हैं।
🚩आंकड़ों के मुताबिक राज्य में साल 2015 में जन्मे कुल 5,16,013 जिंदा बच्चों में से 42.87 प्रतिशत हिन्दू समुदाय से, 41.45% मुस्लिम समुदाय और ईसाई समुदाय से 15.42% थे। साल 2006 में मुसलमानों की जन्म दर 35 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में बढ़कर 41.45 हो गई। 2006 में हिन्दू समुदाय ने 46 प्रतिशत की जन्म दर दर्ज की, जो 10 वर्षों में घटकर 42.87 प्रतिशत रह गई। ईसाई जन्म दर, जो हमेशा 20 प्रतिशत से नीचे थी, 2006 में 17 प्रतिशत से 2015 में 15.42 प्रतिशत हो गई। 9 साल की अवधि के दौरान मुस्लिम जन्म दर में केवल 2 बार गिरावट आई है। 2007 में यह 35 प्रतिशत (2006) से 33.71% तक फिसल गई। - स्त्रोत : वेब दुनिया
🚩अभी भी हिंदुओं को संभलने का मौका है, बाद में तो क्या हाल होगा उसकी कल्पना करना भी मुश्किल होगा...।
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Monday, June 17, 2024
राजस्थान की राजधानी में हिंदुओं का बुरा हाल, पलायन रोकने को लगे पोस्टर
राजस्थान की राजधानी में हिंदुओं का बुरा हाल, पलायन रोकने को लगे पोस्टर
18 June 2024
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🚩राजस्थान की राजधानी जयपुर एक बार फिर से पलायन के पोस्टरों के कारण चर्चा में है। हालाँकि इस बार ‘सर्व हिन्दू समाज’ के नाम से यह पोस्टर लगाते हुए हिंदुओं से अपील की गई है कि वो अपने घरों को छोड़कर न जाएँ। ऐसे पोस्टर दीवारों पर बुधवार (12 जून 2024) को इसलिए सामने आए क्योंकि कई रिपोर्ट्स के अनुसार जयपुर के शास्त्री नगर इलाके के हिन्दू, इलाके में रहने वाले मुस्लिमों से तंग आकर अपना घर छोड़ने का मन बना रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है। इलाके में चोरी और लड़कियों से छेड़खानी आम बात हो गई है इसलिए यहाँ उनका रहना मुश्किल है।
https://x.com/MrSinha_/status/1800949861845696844?t=6x0P-3l6aEm3QPTli63Eow&s=19
🚩मामला जयपुर के शास्त्री नगर इलाके का है। यहाँ के कई मकानों पर बुधवार (12 जून) को एक पोस्टर लगा दिखा। पोस्टर में जारीकर्ता के तौर पर सर्व हिन्दू समाज लिखा हुआ है। शुरुआत में सनातनियों से अपील की गई है। इसके बाद पोस्टर में ‘पलायन को रोको’ लिखा गया है। इसे जारी करने वाले ने आगे लिखा, “सभी सनातन भाइयों बहनों से निवेदन है कि अपना मकान गैर हिन्दुओं को न बेचें।” इस पोस्टर को शास्त्री के कई मकानों पर चिपका देखा गया।
🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पोस्टर शास्त्री नगर के शिवाजी नगर में लगाए गए हैं। यहाँ के कई निवासियों ने खुद को इलाके के मुस्लिम समुदाय के लोगों की प्रताड़ना से तंग बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि शिवाजी नगर इलाके में उनकी बहन-बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं। स्थानीय निवासियों का यह भी दावा है कि मुस्लिम तबके के कई लोग उनकी जमीनों पर अवैध तरीके से कब्ज़ा कर रहे हैं। इन सभी ने यह भी कहा कि कई बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन उनकी तकलीफ सुनने को तैयार नहीं है।
🚩स्थानीय हिन्दू निवासियों ने बताया कि रात को उनके घरों के दरवाजे पीटे जाते हैं। उन पर घर को बेचकर कहीं और चले जाने का दबाव बनाया जाता है। कभी-कभार घरों पर पत्थर भी चलते हैं। टाइम्स नाऊ नवभारत की वायरल होती एक वीडियो में एक महिला ने मीडिया को बताया, “यहाँ आ कर इतना ज्यादा उधम मचाते हैं कि आपको क्या बताऊँ। बच्चियाँ बाहर नहीं खड़ी होतीं। सीटियाँ बजाते हैं यहीं पर। हर रात को चोरियाँ हो रहीं हैं। सरकारी स्कूल में जब बच्चियों की छुट्टियाँ होती हैं तो वहाँ कई गाड़ियाँ खड़ी कर दी जाती हैं।” इसी दौरान पीछे से बोल रहे एक व्यक्ति ने मुस्लिम तबके के युवाओं पर रात में 2-2 बजे तक नशा कर के घूमने का आरोप लगाया।
🚩स्थानीय निवासियों ने यह भी बताया कि उनके मोहल्ले में बकरों की मंडी खोलने की तैयारी चल रही है। वीडियो में कुछ लोग बकरों को लेकर खड़े भी दिखे। एक अन्य महिला ने कहा, “हमारे मंदिर के पास मीट की दुकानें खोली जा रहीं हैं।” वहीं टाइम्स नाउ के पत्रकार ने जब इलाके में घूम रही पुलिस की गाड़ी में मौजूद जवानों से बात करनी चाही तो उन्होंने ‘मुझे जानकारी नहीं है’ कह कर पल्ला झाड़ लिया। हालाँकि जयपुर पुलिस ने आधिकारिक तौर पर बताया है कि मामले को संज्ञान में ले कर स्थानीय थाना प्रभारी को कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
🚩बता दें कि मामले से संबंधित खबर की वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। टाइम्स नाऊ नवभारत की ग्राउंड रिपोर्ट में ताजा पोस्टरों के बारे में खुलासा हुआ है।
🚩हिंदू हर जगह से भागता ही जा रहा है, पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान से भागकर भारत मे आ रहा है पर भारत मे भी 8 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक बन चुके हैं और उत्तरप्रदेश में भीकई इलाकों से ऐसी खबर आ रही है कि हिंदू पलायन कर रहे है, एक तरफ ईसाई मिशनरियां हिंदुओं का पुरजोर से धर्मांतरण करवा रहे है दूसरी तरफ लव जिहाद, लैंड जिहाद और बलजबरी सेकुछ मुसलमान हिन्दुओं को भगा रहे है। अब हिंदू भाग-भाग कर कहाँ तक जाएगा?
🚩सबसे पहले तो हिंदुओं को चाहिए कि जाति-पाती छोड़कर एक हो जाये दूसरा की हर हिंदू कमसे कम 4 बच्चें पैदा करें और कही भी किसी भी हिंदु पर अत्याचार या षडयंत्र हो रहा हो तो सभीहिंदू तन-मन-धन से उसको सहयोग करें जिससे किसी की भी हिम्मत न चले कोई हिंदू को परेशान करने की, अपने धर्म या धर्मगुरुओं पर एवं हिंदुनिष्ठ नेताओं पर भी जो षड्यंत्र हो रहे है उसको रोकने के लिए भी एक होकर मुहतोड़ जवाब देना चाहिए तभी हिंदुओं का अस्तित्व बचेगा नही तो फिर हर जगह से भागता ही रहेगा और कही भागने की जगह नही मिलेगी।
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Sunday, June 16, 2024
वजन घटाने में दवा की तरह काम करते हैं फाइबर से भरपूर ये 5 फूड्स, आज से ही शुरू करें खाना
🚩वजन घटाने में दवा की तरह काम करते हैं फाइबर से भरपूर ये 5 फूड्स, आज से ही शुरू करें खाना*
16 June 2024
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🚩वजन कम करने के लिए बिना स्टार्च वाली सब्जियों का सेवन करें। फलियां जैसे बीन्स, चने और दाल में अधिक मात्रा में फाइबर और प्रोटीन होता है जिसकी वजह से बार-बार भूख नहीं लगती है।
🚩आजकल हर कोई हेल्दी और फिट रहना चाहता है लेकिन आज के समय में बहुत से लोग मोटापे से परेशान हैं । उनके लिए वजन घटाना किसी चुनौती से कम नहीं है ।
🚩चलिए जानते हैं वजन घटाने के लिए कौन सी ऐसी 5 चीजें हैं जिसे आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं
🚩सब्जियां :
वजन कम करने के लिए बिना स्टार्च वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली, पालक, गाजर, केल और स्प्राउट्स का सेवन करें । इन सब्जियों में कैलोरी की मात्रा कम होती है और फाइबर भरपूर होने के कारण यह जल्दी वजन घटाने में मददगार होती है
🚩फल :
भागदौड़ भरी जिन्दगी में लोग अक्सर फल खाने के बजाय जल्दी में जूस पीकर निकल जाते हैं । फल में जूस के मुकाबले ज्यादा मात्रा में फाइबर होता है इसलिए जूस के बजाय फल का ही सेवन करना चाहिए । जैसे कि- सेब, नाशपाती, जामुन और संतरे ।
🚩फलियां :
फलियां जैसे बीन्स, चने और दाल में अधिक मात्रा में फाइबर और प्रोटीन होता है, जिसकी वजह से बार-बार भूख नहीं लगती है। इसका सेवन करने से बॅाडी में एनर्जी आती है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है।
🚩साबुत अनाज :
साबुत अनाज सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है जैसे कि ओट्स, जौ, क्विनोआ और वीट ब्रेड साबुत अनाज में रिफाइंड अनाज की तुलना में अधिक मात्रा में फाइबर और पोषक तत्व होते हैं जो कि वजन को कम करने में मदद करते हैं ।
🚩नट्स और सीड्स :
नट्स और सीड्स जैसे अलसी के बीज, बादाम, चिया सीड्स और कद्दू के बीज । इन सब में सिर्फ फाइबर ही नहीं बल्कि अधिक मात्रा में हेल्दी फेट और प्रोटीन भी होता है जो कि हेल्थ के लिए काफी सेहतमंद माना जाता है । इसको रोजाना की दिनचर्या में शामिल करने से यह वजन को भी कम करने में मदद करता है ।
🚩एवोकाडो :
एवोकाडो एकमात्र ऐसा फल है जो कि सिर्फ खाने में ही स्वादिष्ट नहीं होता बल्कि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर और हेल्दी फैट होता है । यह सेहत, स्वास्थ्य और त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है । इसलिए इसको सुपरफूड भी कहा जाता है
🚩बस आपको अपने खाने पीने और लाइफ स्टाइल में थोड़ा सा फेरबदल करना होगा औऱ फिर आप भी फैट से फिट तक के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकेंगे।
🚩1. भरपूर पानी पिएं :
पानी हमारे जीवन के लिए ही नहीं बल्कि हमारे शरीर की मशीनरी को सुचारू रूप से नियंत्रित रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। वज़न कम करने का पहला पड़ाव है कि अपने पानी के इनटेक को सुधारें । दिन भर में कम से कम चार लीटर पानी पीना आवश्यक है। इससे आपके शरीर की गंदगी बाहर निकलेगी। वाटर रिटेंशन की समस्या खत्म होगी और पाचन क्रिया सुधरेगी। वास्तव में इस दावे में सच्चाई है कि पानी पीने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है।जानकार मानते हैं कि अधिक पानी पीने से आपकी कैलोरी बर्न करने की क्षमता भी बढ़ जाती है । इसलिए जल ही जीवन है को मंत्र को आत्मसात कर लें।
🚩2. चीनी से दूरी बनाएं :
आपका वज़न बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ चीनी का होता है। दिन भर में चाय कॉफी , कोल्ड ड्रिंक्स के सहारे आप काम निपटाते रहते हैं। इसके बाद लंच औऱ डिनर के बाद मीठा खाकर मन को संतुष्ट करते हैं। पर वज़न कम करना है तो इस रुटीन को छोड़ना होगा। अगर आप चाय औऱ कॉफी में चीनी बंद नहीं कर सकते तो इसे धीरे धीरे कम करना शुरु करें। खाने के बाद मीठा खाने का मन हो तो कोई फल खा लें। चीनी न केवल खाली कैलोरी में अधिक होती है, बल्कि आपके मेटाबालिज़्म को भी धीमा कर देती है। इससे मोटापा और दिल से जुड़ी समस्याएं होती हैं।
🚩3. प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं :
वजन कम करने के लिए उच्च प्रोटीन आहार को एक सफल रणनीति के रूप में देखा जा सकता है । हाई प्रोटीन आहार लेने से आपके मेटाबालिज़्म में सुधार होता है,पेट भरा होने का एहसास देर तक बना रहता है और शरीर को भरपूर ऊर्जा भी मिलती है।प्रोटीन के सेवन से ट्राइग्लिसराइड्स, रक्तचाप नियंत्रित रहता है और मोटापा तेज़ी से कम होता है। यदि आपके खाने में प्रोटीन का मात्रा कम है तो इसे सुधारें। अपने आहार में अधिक प्रोटीन शामिल करें। रोजाना दाल, पनीर और सोया उत्पादों का सेवन करें। इससे आप वज़न घटाने कि दिशा में एक कदम औऱ बढ़ सकते हैं।
🚩4. वॉक करना शुरु करें :
वज़न घटाने के लिए आहार के साथ शरिर का सक्रिय रहना भी ज़रूरी है। काउच पर बड़े रहकर वज़न कम करने का सपना बस सपना बनकर ही रह जाता हरै। इसलिए खुद को पुश करें और घर के आसपास किसी खुली जगह में वॉक करने का नियम बना लें। वजन घटाने के लिए आदर्श रूप से आपको रोजाना कम से कम 45 मिनट के लिए तेजी से चलना चाहिए। लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो सुबह और शाम आधा घंटा टहलने की कोशिश करें। आप शुरुआत 10 मिनट की वॉक से भी कर सकते हैं। धीरे धीरे अपने शरीर सहनशक्ति के हिसाब से इस समय को बढ़ाते जाइए। जानकार मानते हैं कि पैदल चलने से आंतरिक अंगों की मालिश होती है और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद मिलती है। हर भोजन के बाद 1000 कदम चलने की कोशिश करें। अगर आप जल्दी वजन कम करना चाहते हैं तो यह सबसे अच्छा मंत्र है।
🚩5. खाने में फाइबर का मात्रा बढ़ाएं :
तला भुना ,मसालेदार खाना सबके मन को भाता है। खासकर मैदे से बनी चीज़ें तो हमारे खानपान का हिस्सा बन चुकी हैं। पर वज़न घटाने के लिए इन चीजों से दूरी बनानी पड़ेगी। अपने आहार में मैदा हटाकर फाइबर युक्त चीज़ें शामिल करें। फाइबर न केवल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, बल्कि आंत को साफ रखता है और आपको लंबे समय तक तृप्त भी रखता है। जब कोई वजन कम करना चाहता है तो रेशेदार खाना खाना बहुत जरूरी है। अगर आप जल्दी वजन कम करना चाहते हैं तो अपने आहार में साइलियम भूसी, चिया बीज, फल और हरी सब्जियां शामिल करें।
🚩6. खाने में तेल पर रखें लगाम :
भारतीय घरों में पराठा पूड़ी औऱ मसालेदार वाली चीज़ें अधिक खाई जाती हैं । ऐसी अधिकतर डिशों में तेल की एक परत ऊपर से ही तैरती हुई दिख जाती है। यही तेल आपके वज़न कम करने के सपने की राह में अड़चन है। आदर्श रूप से, आपके पास एक महीने में 900 ग्राम से अधिक तेल नहीं होना चाहिए। आप कितना तेल खा रहे हैं, इस पर नज़र रखें और इसका आपके वजन पर स्पष्ट प्रभाव पड़ेगा। कोशिश करें की सब्ज़ियों में तेल नाम मात्र ही डालें। औऱ पूड़ी पराठे के मोह को भी त्याग दें तभी आपकी फिट होने की कोशिश रंग ला सकेगी।
🚩7. खाने को धीरे-धीरे चबाएं :
कई शोधों में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर हम अपना खाना धीरे-धीरे देर तक चबाकर खाते हें तो में ही पेट भरा होने का एहसास होता है। जानकार मानते हैं कि आप अपने खाने के दौरान प्रत्येक निवाले का स्वाद लें और जानबूझकर इसे देर तक चबाते रहें । खाना तभी निगलें जब खाना पूरी तरह से चबा लिया जाए । दरअसल धीरे-धीरे भोजन करने से न केवल हम अपने भोजन का अधिक आनंद लेते हैं बल्कि हमें तृप्ति के बेहतर संकेत भी मिलते हैं।
🚩8. खाना छोड़ें नहीं :
वज़न घटाने की चाह में कई बार लोग खाना स्किप करने लगते हैं । खुद को लम्बे समय तक भूखा रखकर कैलोरी नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।पर ये तरीका ठीक नहीं हैं। शरीर को काम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए अपनी भूख का सम्मान करें और अपने शरीर को यह सोचने की अनुमति न दें कि यह भूखा है। जानकार मानते हैं कि दिन में चार बार खाएं पर थोड़ा थोड़ा कर के खाएं। दिन भर में एक बार ज़रूरत से ज्यादा खाने से आपका मकसद हल नहीं होने वाला।
🚩9. खाने के समय और पोर्शन को अनुशासित करें :
दिनभर में आप जो कुछ भी खा रहे हैं उसका समय सुनिश्चित करें। साथ ही कोशिश करें की सुबह का नाश्ता भरपूर हो पर लंच उससे कुछ छोटा हो और डिनर में बहुत हल्का खाना लें। जो अपना वजन कम करना चाहते हैं और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते हैं वे इस नियम का पालन करेंगे तो उन्हें अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि शाम सात बजे के बाद कुछ नहीं खाना चाहिए।आप अपना डिनर 7 बजे तक कर लें औऱ फिर अगले सुबह अच्छा औप पौष्टिक नाश्ता लें। ऐसा करने से आपके शरीर को भोजन पचाने का पूरा समय मिल सकेगा औऱ आप करा वज़न नियंत्रित होगा।
🚩10. चीट मील के बाद कैलोरी का संतुलन बनाएं :
कोई भी व्यक्ति हमेशा खाने को लेकर पूरी तरह अनुशासित नहीं रह सकता । कई बार शादी ,पार्टियों या किसी त्यौहार के मौके पर हम तेल मसालों से भरपूर खाना खा ही लेते हैं। पर आप इस खाने से मिली एक्सट्रा कैलोरीज़ को आने वाले दिनों में कैसे नियंत्रित करते हैं ये महत्वपूर्ण है। बिंज ईटिंग के बाद अगले दो तीन दिनों तक हल्का खाना खाएं। पानी अधिक पिएं और खीरे ,छाछ औऱ तरबूज जैसी चीज़ों का सेवन करें जिससे आपके शरीर में अतिरिक्त कैलोरी को संतुलित किया जा सके।ऐसा कर के आप अपने वज़न घटाने के मिशन को दाबारा ट्रैक पर ला सकते हैं।
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Saturday, June 15, 2024
PK और ‘हमारे बारह’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दोहरा रवैया क्या कहता है ?
PK और ‘हमारे बारह’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दोहरा रवैया क्या कहता है ?
16 June 2024
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🚩एक फिल्म आ रही है – ‘हमारे बारह’। जनसंख्या नियंत्रण की समस्या और इस्लाम में महिलाओं के अपमान पर बन रही अन्नू कपूर अभिनीत इस फिल्म की रिलीज पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने ब्रेक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी स्क्रीनिंग पर रोक लगाते हुए कहा कि उन्होंने इसका ट्रेलर देखा तो काफी आपत्तिजनक है। इसके डायलॉग्स पर भी आपत्ति जताई गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक चीजें भरी पड़ी हैं। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
🚩‘हमारे बारह’: मुस्लिम महिलाओं की व्यथा दिखाना जुर्म?
🚩सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उच्च न्यायालय को ये आदेश देना चाहिए था कि CBFC (सेंसर बोर्ड) एक समिति बना कर इस मामले की जाँच करे। अज़हर बाशा तम्बोली ने जहाँ इस फिल्म के पक्ष में याचिका दायर की थी, वहीं जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की वैकेशन बेंच ने इस पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से फौजिया शकील बतौर अधिवक्ता पेश हुईं। कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार पहले ही ‘हमारे बारह’ को प्रतिबंधित कर चुकी है।
🚩आखिर ‘हमारे बारह’ में ऐसा क्या दिखाया गया है जो सुप्रीम कोर्ट को सब कुछ आपत्तिजनक ही लग रहा है। ट्रेलर में मौलवी का किरदार निभाने वाले अभिमन्यु सिंह कहते हैं, “औरतें सलवार के नाड़े की तरह होनी चाहिए। जब तक अंदर रहेंगी, बेहतर रहेंगी। तुम्हारी औरतें तुम्हारी खेती हैं, अपनी मर्जी से खेती करो।” ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे मुस्लिम महिलाओं को मुल्ले-मौलवियों की इस सोच के कारण समस्या का सामना करना पड़ता है, प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।
🚩क्या इस्लाम में महिलाओं को बुर्के और हिजाब में रहने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है? उन्हें भी तो आखिर स्वच्छंद हवा में साँस लेने का अधिकार है। ‘हलाला’ जैसी कुप्रथा के तहत शादीशुदा महिलाओं के साथ रात गुजारने के लिए ये मौलवी हजारों-लाखों रुपए वसूल करते हैं। ये मौलवी खुद एक से अधिक महिलाओं से निकाह करते हैं, फिर दूसरी महिलाओं से ‘हलाला’ भी करते हैं। मौलवियों का दाम तय है। ‘हलाला’ के बहाने मदरसों के लिए फंडिंग भी ले ली जाती है।
🚩क्या ये मौलवी जन्नत की ’72 हूरों’ का विवरण देते समय महिलाओं का अपमान नहीं करते? इस समस्या को दिखा देने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़ हो जाता है। कोई मौलाना इन हूरों के ‘बड़े-बड़े स्तन’ होने के दावे करते है तो कोई पत्नियों को ‘मैली-कुचली’ कह कर संबोधित करता है। इसी समस्या को तो दिखाया गया है ‘हमारे बारह’ फिल्म में। हूरों का ‘दबा कर इस्तेमाल करना’, ‘पेट भरना’ और ‘कपड़ों में गूदा नज़र आना’ जैसी चीजें आपत्तिजनक हैं, इन पर सवाल उठाना नहीं।
🚩PK फिल्म पर क्या बोला था सुप्रीम कोर्ट
फिर सुप्रीम कोर्ट ऐसी फिल्म को आपत्तिजनक क्यों बता रहा है, जिसमें इस्लाम की कुरीति पर बात की गई है। वहीं फिल्म में जब हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक बनाया जाता है तो यही सुप्रीम कोर्ट ऐसी कोई कार्यवाही नहीं करता। आज से एक दशक पीछे चलते हैं, आमिर खान की फिल्म PK आपको याद होगी। दिसंबर 2014 में आई इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था, लेकिन चूँकि पीड़ित पक्ष हिन्दू थे इसीलिए उन्हें हर जगह झटका ही मिला।
🚩इस फिल्म को भगवान शिव को सड़क पर भागते हुए और बाथरूम में छिपते हुए दिखाया गया था, पाकिस्तानी सरफ़राज़ को हिन्दू लड़की को गर्लफ्रेंड बनाते हुए दिखाया गया था, हिन्दू संत को लोगों को झाँसा देते हुए दिखाया गया था। और हाँ, ‘सरफ़राज़ धोखा देगा’ वाला बयान एक हिन्दू संत से कहलवा कर अंत में दिखाया गया था कि वो एक ‘सच्चा पाकिस्तानी मुस्लिम’ है। फिल्म में हिन्दुओं को अंधविश्वासी दिखाया गया था। आपको वो दृश्य भी याद होगा जब आमिर खान मंदिर में भगवान शिव की वेशभूषा वाले कलाकार को खदेड़ते हैं। महादेव को कॉमेडी का विषय बना दिया गया था।
🚩“अगर आपको पसंद नहीं है तो मत देखिए” – PK को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका पहुँची थी तो कुछ ऐसी ही टिप्पणी देश की सर्वोच्च न्यायालय से सुनने को मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे कला और मनोरंजन बताते हुए कहा था कि आपको नहीं पसंद है तो मत देखिए, दूसरों को तो देखने दीजिए। 3 जजों (RM लोढ़ा, कुरियन जोसेफ, RF नरीमन) की बेंच ने ‘ह्यूमन राइट्स एन्ड सोशल जस्टिस’ नामक NGO से ऐसा कहा था। पूछा गया था कि आपका संवैधानिक या कानूनी अधिकार इससे कैसे बाधित होते हैं, क्या इसे सेंसर बोर्ड ने पास नहीं किया?
🚩सुप्रीम कोर्ट ने तब आजकल के युवाओं को बहुत स्मार्ट बताते हुए पूछा था कि आप क्या-क्या छिपाओगे, ये इंटरनेट का ज़माना है। क्या अब ये सब चीजें सुप्रीम कोर्ट भूल चुका है? 10 वर्ष बाद इंटरनेट का और भी तेज़ी से प्रसार हुआ है और युवा तो और अधिक स्मार्ट हुए होंगे न। फिर जो चीजें PK पर लागू होती हैं वही ‘हमारे बारह’ पर क्यों नहीं? क्या मुस्लिम महिलाओं की व्यथा दिखाना पाप है? और अन्नू कपूर तो खुद को नास्तिक भी बताते हैं। फिल्म की टीम को ‘सर तन से जुदा’ की धमकियाँ भी मिल रही हैं।
🚩‘सेक्सी दुर्गा’ से लेकर ‘सेक्सी राधा’ तक
इसी तरह जानबूझकर 2017 में एक मलयालम हॉरर फिल्म का नाम ‘सेक्सी दुर्गा’ रखा गया। विवाद हुआ तो इसे ‘S दुर्गा’ कर दिया गया। भारत में माँ दुर्गा का क्या महत्व है, ये बताने की ज़रूरत नहीं है। उन्हें ईश्वर की ऊर्जा कहा गया है, साल में 4 बार नवरात्रि आती है। शक्ति संप्रदाय भी हिन्दू धर्म का एक अंग है। केरल के हाईकोर्ट ने इसे गोवा में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल तक में दिखाने का आदेश दिया, जबकि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण ने इसे सूची से हटा दिया था।
🚩इसी तरह ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ (2012) में राधा के लिए ‘सेक्सी’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, लेकिन कोर्ट को कोई आपत्ति नहीं होती। भगवान श्रीकृष्ण को मानने वाला हर एक व्यक्ति राधा को माँ कहता है और सम्मान की दृष्टि से देखता है। उनकी भावनाओं का क्या? वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ (2020) में मंदिर प्रांगण में ब्राह्मण को मांस खाते हुए और गंदी गालियाँ बकते हुए दिखाया जाता है। इसी तरह ‘मिर्जापुर’ (2018) वेब सीरीज में ‘मुन्ना भैया’ को एक पंडित को डाँटते हुए दिखाया जाता है।
🚩सैफ अली खान वाली सीरीज ‘तांडव’ (2021) में हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक बनाया गया। ऐसा एक बार नहीं, कई बार, बार-बार हो चुका है। इसे इतना सामान्य बना दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट तो दूर की बात, स्थानीय प्रशासन तक हिन्दुओं की आपत्तियाँ नहीं सुनता। जबकि बात जब इस्लाम या ईसाइयत की आती है तो पूछिए मत। बाइबिल के एक शब्द का मजाक बनाने पर फराह खान, रवीना टंडन और भारती सिंह जैसी बॉलीवुड की हस्तियों को वेटिकन सिटी के प्रतिनिधि पादरी से मिल कर हस्तलिखित माफीनामा सौंपना पड़ा था।
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Thursday, June 13, 2024
आज की माता अपने बच्चों के प्रति कर्तव्य विहीन हो रही है? मां कैसी होनी चाहिए?
आज की माता अपने बच्चों के प्रति कर्तव्य विहीन हो रही है? मां कैसी होनी चाहिए?
13 June 2024
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🚩माता ही अपने बच्चे का निर्माण करनेवाली होती है। इतिहास में सबसे सुन्दर उदाहरण मदालसा देवी का है। मदालसा के तीन पुत्र हुए। उनके नाम रखे गये―विक्रान्त, सुबाहु और अरिदमन। माता उन्हें लोरी देती हुई कहती―
🚩शुद्धोऽसि बुद्धोऽसि निरञ्जनोऽसि
संसारमायापरिवर्जितोऽसि ।
संसारमायां त्यज मोहनिद्रां
मदालसोल्लपमुवाच पुत्रम्।।*
*भावार्थ*— _हे पुत्र ! तू शुद्ध है, बुद्ध है, निरंजन=निर्दोष है, संसार की माया से रहित है। इस संसार की माया को त्याग दे। उठ, खड़ा हो, मोह को परे हटा। इस प्रकार मदालसा ने अपने पुत्र से कहा।
🚩शुद्धोऽसि रे तात न तेऽस्ति नाम
कृतम् हि यत् कल्पनयाधुनैव।
🚩भावार्थ: हे प्रिय पुत्र! तू शुद्ध स्वरूप आत्मा है परन्तु तेरा नाम (विक्रांत, सुबाहु, अरिमर्दन) शुद्ध नहीं है बल्कि ये आजकल की कल्पनाओं के आधार पर रखा गया है।
🚩इस शिक्षा का परिणाम क्या हुआ? तीनों पुत्र राज-पाट का मोह त्यागकर वनों को चले गये। यह स्थिति देख महाराज ने कहा―देवी! राज-पाट कौन सम्भालेगा, क्या सबको सन्यासी बना देगी? जब चौथा पुत्र उत्पन्न हुआ तब मदालसा ने उसका नाम रखा―अलर्क। माता ने उसे राजनीति का उपदेश दिया। उसे लोरी देते हुए माता कहती थी―
🚩धन्योऽसि रे यो वसुधामशत्रु-
रेकश्चिरं पालयिताऽसि पुत्र !
तत्पालनादस्तु सुखोपभोगो
धर्मात् फलं प्राप्स्यसि चामरत्वम् ।।
―मार्कण्डेयपुराण २६।३५
🚩_हे पुत्र! तू धन्य है जो अकेला ही शत्रुओं से रहित होकर इस पृथ्वी का पालन कर रहा है। धर्मपूर्वक प्रजापालन से तुझे इस लोक में सुख और मरने पर मोक्ष की प्राप्ति होगी।_
राज्य की उत्तम व्यवस्था का उपदेश देते हुए वह कहती―
राज्यं कुर्वन् सुहृदो नन्दयेथाः
साधून् रक्षंस्तात ! यज्ञैर्यजेथाः ।
दुष्टान्निघ्नन् वैरिणश्चाजिमध्ये
गोविप्रार्थे वत्स ! मृत्युं व्रजेथाः ।।
―मा० पु० २६।४१
🚩_हे पुत्र ! तू राज्य करते हुए अपने मित्रों को आनन्दित करना, साधुओं=श्रेष्ठ पुरुषों की रक्षा करते हुए खूब यज्ञ करना। गौ और ब्राह्मणों की रक्षा के लिए संग्राम-भूमि में शत्रुओं को मौत के घाट उतारता हुआ तू स्वयं भी मृत्यु को प्राप्त हो जाना।_
🚩आज माताएँ अपने कर्त्तव्य को भूल चुकी हैं। आज माता और पिताओं को बच्चे को गोद लेने में शर्म आती है। बच्चे नौकरानी अथवा 'आया' की गोद में पलते हैं। परिणामस्वरूप बालकों का सुनिर्माण नहीं हो पाता।
🚩बालकों पर घर के वातावरण, रहन-सहन और आचार-विचार का भी गहरा प्रभाव पड़ता है। जो माता-पिता आदि स्वयं किसी को 'नमस्ते' नहीं करते। जिन परिवारों में माता-पिता देर से उठते हैं वहाँ बच्चे भी देर से उठते हैं। जो पिता बीड़ी, सिगरेट, मद्य-मांस आदि का सेवन करते हैं उनके बच्चे भी इन दुर्गुणों से बच नहीं सकते। इसके विपरीत जिन परिवारों में सन्ध्या,यज्ञ , आसन और प्राणायाम का अभ्यास होता है उन परिवारों के बच्चों में भी वेसे ही गुण विकसित हो जाते हैं। यदि माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे श्रेष्ठ, सदाचारी और आदर्श नागरिक बनें तो माता-पिता को स्वयं अपने जीवन में परिवर्तन लाना होगा। माता-पिता को अपने आचरण के द्वारा उन्हें शिक्षा देनी होगी।
🚩अपने बच्चों को सदाचारी, सभ्य और श्रेष्ठ बच्चों की संगति में रखना चाहिए, दुराचारी, असभ्य और गुणहीन बच्चों की संगति से अपने बच्चों को दूर रखें।
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Wednesday, June 12, 2024
मात्र 23 साल में देश के लिए बलिदान देने वाली खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी...
मात्र 23 साल में देश के लिए बलिदान देने वाली खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी...
13 June 2024
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🚩भारत में अंग्रेजी सत्ता के आने के साथ ही गाँव-गाँव में उनके विरुद्ध विद्रोह होने लगा; पर व्यक्तिगत या बहुत छोटे स्तर पर होने के कारण इन संघर्षों को सफलता नहीं मिली। अंग्रेजों के विरुद्ध पहला संगठित संग्राम 1857 में हुआ। इसमें जिन वीरों ने अपने साहस से अंग्रेजी सेनानायकों के दाँत खट्टे किये, उनमें झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम प्रमुख है।
🚩19 नवम्बर, 1835 को वाराणसी में जन्मी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मनु था। प्यार से लोग उसे मणिकर्णिका तथा छबीली भी कहते थे। इनके पिता श्री मोरोपन्त ताँबे तथा माँ श्रीमती भागीरथी बाई थीं। गुड़ियों से खेलने की अवस्था से ही उसे घुड़सवारी, तीरन्दाजी, तलवार चलाना, युद्ध करना जैसे पुरुषोचित कामों में बहुत आनन्द आता था। नाना साहब पेशवा उसके बचपन के साथियों में थे।
🚩उन दिनों बाल विवाह का प्रचलन था।अतः 7 वर्ष की अवस्था में ही मनु का विवाह झाँसी के महाराजा गंगाधरराव से हो गया। विवाह के बाद वह लक्ष्मीबाई कहलायीं। उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा। जब वह 18 वर्ष की ही थीं, तब राजा का देहान्त हो गया। दुःख की बात यह भी थी कि वे तब तक निःसन्तान थे। युवावस्था के सुख देखने से पूर्व ही रानी विधवा हो गयीं। उन दिनों अंग्रेज शासक ऐसी बिना वारिस की जागीरों तथा राज्यों को अपने कब्जे में कर लेते थे। इसी भय से राजा ने मृत्यु से पूर्व ब्रिटिश शासन तथा अपने राज्य के प्रमुख लोगों के सम्मुख दामोदर राव को दत्तक पुत्र स्वीकार कर लिया था; पर उनके परलोक सिधारते ही अंग्रेजों की लार टपकने लगी। उन्होंने दामोदर राव को मान्यता देने से मनाकर झाँसी राज्य को ब्रिटिश शासन में मिलाने की घोषणा कर दी। यह सुनते ही लक्ष्मीबाई सिंहनी के समान गरज उठी - मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी।
🚩अंग्रेजों ने रानी के ही एक सरदार सदाशिव को आगे कर विद्रोह करा दिया। उसने झाँसी से 50 कि.मी दूर स्थित करोरा किले पर अधिकार कर लिया; पर रानी ने उसे परास्त कर दिया। इसी बीच ओरछा का दीवान नत्थे खाँ झाँसी पर चढ़ आया। उसके पास साठ हजार सेना थी; पर रानी ने अपने शौर्य व पराक्रम से उसे भी दिन में तारे दिखा दिये।
🚩इधर देश में जगह-जगह सेना में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गये। झाँसी में स्थित सेना में कार्यरत भारतीय सैनिकों ने भी चुन-चुनकर अंग्रेज अधिकारियों को मारना शुरू कर दिया। रानी ने अब राज्य की बागडोर पूरी तरह अपने हाथ में ले ली; पर अंग्रेज उधर नयी गोटियाँ बैठा रहे थे।
🚩जनरल ह्यू रोज ने एक बड़ी सेना लेकर झाँसी पर हमला कर दिया। रानी दामोदर राव को पीठ पर बाँधकर 22 मार्च, 1858 को युद्धक्षेत्र में उतर गयी।आठ दिन तक युद्ध चलता रहा; पर अंग्रेज आगे नहीं बढ़ सके। नौवें दिन अपने बीस हजार सैनिकों के साथ तात्या टोपे रानी की सहायता को आ गये; पर अंग्रेजों ने भी नयी कुमुक मँगा ली। रानी पीछे हटकर कालपी जा पहुँची। कालपी से वह ग्वालियर आयीं। वहाँ 17 जून, 1858 को ब्रिगेडियर स्मिथ के साथ हुए युद्ध में उन्होंने वीरगति पायी। रानी के विश्वासपात्र बाबा गंगादास ने उनका शव अपनी झोंपड़ी में रखकर आग लगा दी। रानी केवल 22 वर्ष और सात महीने ही जीवित रहीं। पर ‘‘खूब लड़ी मरदानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी.....’’ गाकर उन्हें सदा याद किया जाता है।
🚩ब्राह्मण कुल में जन्मी और महलों में पलने वाली भारत माता की सिंहनी ” वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ” ने अपनी वीरता, साहस, संयम, धैर्य तथा देशभक्ति के कारण सन् 1857 के महान क्रांतिकारियों की शृृंखला में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा दिया ।
🚩भारतीय नारी ने समग्र विश्व में अपनी एक विशेष पहचान बनायी है । अपने श्रेष्ठ चरित्र, वीरता तथा बुद्धिमत्ता के बल पर उसने मात्र भारत ही नहीं अपितु समस्त नारी जाति को गौरवान्वित किया है । उनका संयम, साहस व वीरता आज भी प्रशंसनीय है । भारत के इतिहास में ऐसी अनेक नारियों का वर्णन पढ़ने-सुनने को मिलता है ।
🚩झाँसी कि रानी लक्ष्मीबाई का नाम भी ऐसी ही महान नारियों में आता है । रानी लक्ष्मीबाई का जीवन बड़े-बड़े विघ्नों में भी अपने धर्म को बनाये रखने तथा परोपकार के लिए बड़ी-से-बड़ी सुविधाओं को भी तृण कि भाँति त्याग देने की प्रेरणा देता है ।
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