21 August 2024
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🚩जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण का महत्त्व,जीवन और उत्सव
🚩जन्माष्टमी,भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। यह पर्व श्रावण मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में आता है। जन्माष्टमी विशेष रूप से कृष्ण भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में समर्पित होता है।
🚩भगवान श्रीकृष्ण का जीवन और उनके अवतार
🚩भगवान श्रीकृष्ण,विष्णु के आठवें अवतार है। उनका जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन कई अद्भुत लीलाओं और घटनाओं से भरा हुआ है जो उनके दिव्य और अद्वितीय स्वरूप को दर्शाते है।
🚩1. कृष्ण की बाल लीलाएं लाएँ:
भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं अत्यंत प्रसिद्ध है। उनके बचपन में माखन चोरी की घटनाएं, गोपालक की भूमिका निभाना और पूतना,कंस और अन्य राक्षसों का वध करना उनके दिव्य गुणों का परिचायक है। माखन चोरी की लीलाएं उनकी चंचलता और नटखट स्वभाव को दर्शाती है जबकि राक्षसों का वध उनके शौर्य और बल का प्रतीक है।
🚩2. गोवर्धन पूजा:
कृष्ण ने अपनी युवावस्था में गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों को इंद्रदेव के क्रोध से बचाया था। यह घटना उनकी शक्ति और उनके प्रति भक्तों की भक्ति का परिचायक है।गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है।
🚩3. रासलीला:
भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का वर्णन भी बहुत प्रसिद्ध है। रासलीला में कृष्ण ने गोपियों के साथ नृत्य किया जो उनके भक्ति, प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है। रासलीला के माध्यम से कृष्ण ने यह सिखाया कि भक्ति और प्रेम में कोई भेदभाव नहीं होता और यह प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा को उच्चता की ओर ले जाता है।
🚩4. भगवद्गीता:
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्धभूमि में अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया।भगवद्गीता, भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का संग्रह है,धर्म,कर्म,योग और भक्ति की गहराई से भरी हुई है। इस में कृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण उपदेश दिए।
🚩जन्माष्टमी पर होने वाली विशेष पूजा और अनुष्ठान
🚩1. रात्रि जागरण और भजन कीर्तन:
जन्माष्टमी की रात विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। भक्तगण रातभर जागरण करते है।श्रीकृष्ण के भजन और कीर्तन गाते है और भगवान की पूजा करते है। इस रात,भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रूप से रात के 12 बजे की जाती है, जब उनका जन्म हुआ था।
🚩2. बालकृष्ण की झाँकी:
इस दिन, विशेष रूप से छोटे बच्चों को भगवान कृष्ण के रूप में सजाया जाता है। वे बालकृष्ण की भूमिका निभाते है और विभिन्न झाँकियों में हिस्सा लेते है, जिसमें माखन-मिश्री, मिठाई ई. चुराने का खेल भी शामिल होता है।
🚩3. दही हांडी:
जन्माष्टमी के अवसर पर "दही हांडी" का आयोजन विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में किया जाता है। इस में एक बड़े बर्तन में दही,मक्खन और अन्य मिठाइयां भरी जाती है और इसे ऊँचाई पर लटकाया जाता है। फिर, लोग एक मानव पिरामिड बनाकर दही हांडी को तोड़ने का प्रयास करते है। यह आयोजन भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीला को स्मरण करता है।
🚩4. व्रत और उपवास:
इस दिन भक्तगण उपवास रखते है और केवल फलों और दूध का सेवन करते है। रात को पूजा के बाद विशेष प्रसाद का वितरण किया जाता है।
🚩जन्माष्टमी के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू
🚩जन्माष्टमी केवल धार्मिक पूजा तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर रंग-बिरंगी सजावट, नृत्य और नाटकों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों और सामाजिक संगठनों द्वारा भी इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते है,जिनमें कृष्ण के जीवन की लीलाओं का मंथन होता है।
🚩संक्षेप में
🚩जन्माष्टमी,भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी और उनकी शिक्षाओं को मान्यता देने का पर्व है। यह दिन भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है और यह हमें श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन और उनके उपदेशों को अपनाने की प्रेरणा देता है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की अद्भुत लीलाएं और उनके उपदेश जीवन में सुख, समृद्धि और धार्मिक आस्था को बढ़ाते है।
🚩जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप पर बनी रहे और आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन हो।
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