25 September 2018
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केरल की नन के साथ बलात्कार की घटना जैसी हजारों घटनाएं सामने चुकी हैं और बच्चों की तस्करी व धर्मान्तरण आदि के अनेक मामले सामने आ चुके हैं, इसकी वजह से जनता का पादरियों के प्रति विश्वास उठ गया है ।
केरल की रहने वाली गीता शाजन तीन दिनों से माला जप रही हैं और ईसा मसीह से अपनी बेटी को सुरक्षित रखने की प्रार्थना कर रही हैं ।
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यही इकलौता तरीक़ा है जिससे उनका डर कुछ कम होता है । उनकी छोटी बेटी नन बनने के लिए पढ़ाई कर रही है ।
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Now the public does not trust pastors |
मंगलवार को गीता और उनके पति शाजन वर्गीस कोच्चि स्थित वांची स्क्वायर गए थे । वहां नन और ईसाई समाज के कुछ लोग एक नन से बलात्कार के अभियुक्त बिशप की गिरफ़्तारी की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं ।
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इस विरोध प्रदर्शन में तीसरी बार शामिल होने पहुंचीं गीता ने बीबीसी से कहा, "एक मां के तौर पर मैं अपनी बेटी के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हूं । इसे सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, लेकिन लगता है कि यह सुरक्षित नहीं है ।"
मां का डर:-
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शाजन वर्गीस याद करते हैं, "उनकी (नन की) कहानी सुनते ही मेरी पत्नी रोने लगी । वो चाहती थी कि हमारी दूसरी बेटी नन वाली पढ़ाई छोड़ दे और वहां से अलग हो जाए।"
गीता की आंखों में फिर आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "मैं ईसा मसीह में भरोसा करती हूं। मैंने माला जपनी शुरू कर दी और फिर तय किया कि अगर आप सच्चे श्रद्धालु हैं तो आपको डरना नहीं चाहिए, लेकिन मुझे अब भी इन ननों के लिए डर लगता है जो यहां विरोध प्रदर्शन कर रही हैं ।"
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गीता को डर इसलिए भी है क्योंकि उनकी 26 साल की बेटी को मई 2019 में पढ़ाई पूरी करने तक परिवार से संपर्क करने की इजाज़त नहीं है।
वांची स्क्वायर पर पांच नन बीते तेरह दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं । उनकी मांग है कि नन से बलात्कार के अभियुक्त जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल की तुरंत गिरफ्तारी की जाए ।
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अभूतपूर्व प्रदर्शन:-
नन और पादरी इससे पहले सरकारी कार्यवाही या ढिलाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन चर्च के अंदरूनी मामले पर उन्हें कभी इस तरह प्रदर्शन करते नहीं देखा गया ।
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क़रीब छह दशकों से केरल के समाज और राजनीति पर नज़र रख रहे वरिष्ठ पत्रकार बीआरपी भास्कर कहते हैं, चर्च आज इस स्थिति का सामना इसलिए कर रहा है क्योंकि उसने नन की शिकायत के बाद बिशप के ख़िलाफ़ कार्यवाही नहीं की ।"
यहां प्रदर्शन कर रही पांच ननों में से एक सिस्टर सिल्वी (बदला हुआ नाम) भी हैं । वह बिशप पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन की सगी बहन हैं । उनकी एक और बहन तीन दिन के अनशन के बाद अस्पताल में भर्ती हैं ।
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सिस्टर सिल्वी ने बीबीसी से कहा, "हमने कार्डिनल और दूसरे बिशपों से भी शिकायत की । हमने मदर जनरल से शिकायत की । उन्होंने कहा कि वो 'हिज एक्सीलेंसी' (बिशप फ्रैंको मुलक्कल) के ख़िलाफ़ कार्यवाही कैसे कर सकती हैं, क्योंकि वे उनके अधीन हैं।"
उन्होंने बताया, "चर्च ने हमें ख़ारिज़ कर दिया, तब हमने पुलिस को शिकायत दी । हमने सोचा कि अगर हम अंदर बैठे रहेंगे तो वे हमें बाहर निकाल फेंकेंगे, तो हमने बाहर आने का फैसला किया क्योंकि अगर लोग हमारे साथ आएंगे तो सरकार और चर्च पर दबाव बनेगा ।"
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चर्च और विवाद:-
बीते वर्षों के दौरान केरल के चर्च में इस तरह के कुछ विवादों में रहे हैं । कुछ पादरियों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। इनमें दो नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं जो गर्भवती हो गई थीं । चर्च जाने वाले लोग सिस्टर अभया का अनसुलझा मामला भी नहीं भूले हैं ।
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कुछ ही महीने पहले एक गृहिणी ने आरोप लगाया कि जब वो नाबालिग थी तो चार पादरियों ने उनके साथ बलात्कार किया था । उन पादरियों को इस मामले में ज़मानत लेने के लिए पहले हाई कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा ।
क्या ऐसे मामलों के सामने आने का मतलब ये समझा जाए कि ईसा मसीह के प्रतिनिधि समझे जाने वाले पादरियों और जन साधारण के बीच भरोसे की लकीर धुंधली हो रही है ?
हैदराबाद विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में प्रोफेसर डॉ. वीजे वर्गीस कहते हैं, "इसमें शक नहीं है कि पादरियों की छवि धूमिल हो रही है । चर्च एक संस्थान के तौर पर ऐसे पादरियों को खुले या छिपे तौर पर जो समर्थन देता है, उससे हालात और ख़राब हुए हैं ।"
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काले शीशे की कार:-
नन से बलात्कार के ताज़ा मामले में मिशनरीज़ ऑफ जीसस समुदाय ने प्रदर्शन कर रही ननों के ख़िलाफ़ और अभियुक्त बिशप के पक्ष में बयान भी जारी किया है । ये बयान बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन की तस्वीर के साथ जारी किया गया था, जिसके बाद समुदाय के प्रवक्ता के ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज किया गया ।
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लेकिन जब बिशप फ्रैंको मुलक्कल जांच टीम के बुलाने पर पूछताछ के लिए त्रिपुनितुरा पहुंचे तो उनकी कार पर काले शीशे चढ़े थे ।
इस पर एक टीवी पत्रकार ने कहा था, "अजीब है कि चर्च ने बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन की तस्वीर सार्वजनिक कर दी, जबकि अभियुक्त बिशप को उनकी कार में भी देखना मुश्किल है ।"
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इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे सेव आवर सिस्टर्स (एसओएस) एक्शन कमेटी के प्रवक्ता फादर ऑगस्टिन पैटोली कहते हैं कि इस तरह के मामलों पर एक्शन न लेने के चलते चर्च के भीतर ही विरोध की आवाज़ें उठी हैं और यह खीझ और विरोध का मिज़ाज अचानक पैदा नहीं हुआ है ।
केरल में अब जब भी चर्च से जुड़ा कोई विवाद पैदा होता है तो पारदर्शिता और सुधारों के पक्ष में एक नया समूह या संगठन अस्तित्व में आ जाता है।
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चर्च पर भरोसा ?
मलयालम लेखक और उपन्यासकार पॉल जखारिया कहते हैं कि ताज़ा मामले में कुछ भी नया नहीं है और ऐसी कहानियां वो पांच दशकों से सुनते रहे हैं । उनके मुताबिक, "यह चर्च, समाज और सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वे आत्ममंथन करें कि नन को ऐसा क़दम क्यों उठाना पड़ा और उसे क्यों पुलिस के पास जाना पड़ा ।" स्त्रोत : बीबीसी
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कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी । ’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है ।
हिन्दुस्तानिओं को अपने संस्कृति और पवित्र साधु-संतों पर विश्वास रखकर चलना चाहिए ऐसे ईसाई पादरियों से बचना चाहिए, धर्मान्तरण व बलात्कार करने वाले पादरियों को समाज मे खुला करना चाहिए । जिससे भारत की भोली जनता उनके चंगुल में न आये ।
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