Saturday, October 6, 2018

जाने सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध क्यों करना चाहिए, नहीं करने से क्या होगी हानि ?

06 October 2018

🚩 हिन्दू #धर्म में एक अत्यंत सुरभित पुष्प है कृतज्ञता की भावना, जो कि बालक में अपने माता-पिता के प्रति स्पष्ट परिलक्षित होती है । हिन्दू धर्म का व्यक्ति अपने जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके #देहावसान के बाद भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है । 'श्राद्ध-विधि' इसी भावना पर आधारित है ।
इस साल सर्वपितृ अमावस्या 8 अक्टूबर को है ।
Why should Shraddha be known on the day
 of the Omnipresent, what will be the loss?


🚩राजा रोहिताश्व ने मार्कण्डेयजी से प्रार्थना की : ‘‘भगवन् ! मैं श्राद्धकल्प का यथार्थरूप से श्रवण करना चाहता हूँ ।

🚩मार्कण्डेयजी ने कहा : ‘‘राजन् ! इसी विषय में आनर्त-नरेश ने भर्तृयज्ञ से पूछा था । तब भर्तृयज्ञ ने कहा था : ‘राजन् ! विद्वान पुरुष को #अमावस्या  के दिन #श्राद्ध अवश्य करना चाहिए । क्षुधा से क्षीण हुए #पितर श्राद्धान्न की आशा से अमावस्या तिथि आने की प्रतीक्षा करते रहते हैं । जो अमावस्या को जल या शाक से भी #श्राद्ध करता है, उसके #पितर #तृप्त होते हैं और उसके समस्त #पातकों का नाश हो जाता है ।

🚩आनर्त-नरेश बोले : ‘ब्रह्मन् ! मरे हुए जीव तो अपने कर्मानुसार शुभाशुभ गति को प्राप्त होते हैं, फिर श्राद्धकाल में वे अपने पुत्र के घर कैसे पहुँच पाते हैं ?

🚩भर्तृयज्ञ : ‘राजन् ! जो लोग यहाँ मरते हैं उनमें से कितने ही इस लोक में जन्म लेते हैं, कितने ही पुण्यात्मा स्वर्गलोक में स्थित होते हैं और कितने ही पापात्मा जीव यमलोक के निवासी हो जाते हैं । कुछ जीव भोगानुकूल शरीर धारण करके अपने किये हुए शुभ या अशुभ कर्म का उपभोग करते हैं ।

राजन् ! यमलोक या स्वर्गलोक में रहनेवाले पितरों को भी तब तक भूख-प्यास अधिक होती है, जब तक कि वे माता या पिता से तीन पीढ़ी के अंतर्गत रहते हैं । जब तक वे मातामह, प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह और पिता, पितामह या प्रपितामह पद पर रहते हैं, तब तक श्राद्धभाग लेने के लिए उनमें भूख-प्यास की अधिकता होती है । 

🚩#पितृलोक या देवलोक के पितर श्राद्धकाल में सूक्ष्म शरीर से #श्राद्धीय ब्राह्मणों के शरीर में स्थित होकर #श्राद्धभाग से #तृप्त होते हैं, परंतु जो पितर कहीं शुभाशुभ भोग हेतु स्थित हैं या जन्म ले चुके हैं, उनका भाग दिव्य पितर लेते हैं और जीव जहाँ जिस शरीर में होता है, वहाँ तदनुकूल भोगों की प्राप्ति कराकर उसे तृप्ति पहुँचाते हैं । 

🚩ये दिव्य पितर नित्य और सर्वज्ञ होते हैं । पितरों के उद्देश्य से शक्ति के अनुसार सदा ही अन्न और जल का दान करते रहना चाहिए । जो नीच मानव पितरों के लिए अन्न और जल न देकर आप ही भोजन करता है या जल पीता है, वह पितरों का द्रोही है । उसके पितर स्वर्ग में अन्न और जल नहीं पाते हैं । श्राद्ध द्वारा #तृप्त किये हुए #पितर मनुष्य को #मनोवांछित भोग प्रदान करते हैं ।

🚩आनर्त-नरेश : ‘ब्रह्मन् ! श्राद्ध के लिए और भी तो नाना प्रकार के पवित्रतम काल हैं, फिर अमावस्या को ही विशेषरूप से श्राद्ध करने की बात क्यों कही गयी है ?

🚩भर्तृयज्ञ : ‘राजन् ! यह सत्य है कि श्राद्ध के योग्य और भी बहुत-से समय हैं । मन्वादि तिथि, #युगादि तिथि, #संक्रांतिकाल, #व्यतीपात, #चंद्रग्रहण तथा #सूर्यग्रहण - इन सभी समयों में पितरों की तृप्ति के लिए #श्राद्ध करना चाहिए । पुण्य-तीर्थ, पुण्य-मंदिर, श्राद्धयोग्य ब्राह्मण तथा श्राद्धयोग्य उत्तम पदार्थ प्राप्त होने पर बुद्धिमान पुरुषों को बिना पर्व के भी श्राद्ध करना चाहिए । अमावस्या को विशेषरूप से श्राद्ध करने का आदेश दिया गया है, इसका कारण है कि सूर्य की सहस्रों किरणों में जो सबसे प्रमुख है उसका नाम ''अमा'' है । उस "अमा'' नामक प्रधान किरण के तेज से ही सूर्यदेव तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं । उसी "अमा" में तिथि विशेष को चंद्रदेव  निवास  करते  हैं,  इसलिए  उसका  नाम अमावस्या है । यही कारण है कि अमावस्या प्रत्येक धर्मकार्य के लिए अक्षय फल देनेवाली बतायी गयी है । श्राद्धकर्म में तो इसका विशेष महत्त्व है ही ।

🚩श्राद्ध की महिमा बताते हुए ब्रह्माजी ने कहा है : ‘यदि मनुष्य पिता, पितामह और प्रपितामह 

के  उद्देश्य  से  तथा  #मातामह,  #प्रमातामह  और वृद्धप्रमातामह के उद्देश्य से #श्राद्ध-तर्पण करेंगे तो उतने से ही उनके पिता और माता से लेकर मुझ तक सभी पितर तृप्त हो जायेंगे ।

🚩जिस अन्न से मनुष्य अपने पितरों की तुष्टि के लिए श्रेष्ठ ब्राह्मणों को तृप्त करेगा और उसीसे भक्तिपूर्वक पितरों के निमित्त पिंडदान भी देगा, उससे पितरों को सनातन तृप्ति प्राप्त होगी ।

🚩पितृपक्ष में शाक के द्वारा भी जो पितरों का श्राद्ध नहीं करेगा, वह धनहीन चाण्डाल होगा । ऐसे व्यक्ति से जो बैठना, सोना, खाना, पीना, छूना-छुआना अथवा वार्तालाप आदि व्यवहार करेंगे, वे भी महापापी माने जाएंगे । उनके यहाँ संतान की वृद्धि नहीं होगी । किसी प्रकार भी उन्हें सुख और धन-धान्य की प्राप्ति नहीं होगी ।

🚩यदि श्राद्ध करने की क्षमता, शक्ति, रुपया-पैसा नहीं है तो श्राद्ध के दिन पानी का लोटा भरकर रखें फिर भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ करें और 1 माला द्वादश मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" और एक माला "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा" की करें और लोटे में भरे हुए पानी से सूर्यं भगवान को अर्घ्य दे फिर 11.36  से 12.24 के बीच के समय (कुतप वेला) में #गाय को #चारा खिला दें । चारा खरीदने का भी पैसा नहीं है, ऐसी कोई समस्या है तो उस समय दोनों भुजाएँ ऊँची कर लें, आँखें बंद करके सूर्यनारायण का ध्यान करें : ‘हमारे पिता को, दादा को, फलाने को आप तृप्त करें, उन्हें आप सुख दें, आप समर्थ हैं । मेरे पास धन नहीं है, सामग्री नहीं है, विधि का ज्ञान नहीं है, घर में कोई करने-करानेवाला नहीं है, मैं असमर्थ हूँ लेकिन आपके लिए मेरा सद्भाव है, श्रद्धा है । इससे भी आप तृप्त हो सकते हैं । इससे आपको मंगलमय लाभ होगा ।

🚩श्राद्ध कैसे करें, लिंक क्लिक करके देखिये👇

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Friday, October 5, 2018

चर्च के चौंका देनेवाले तथ्य आये सामने, पढ़कर रह जाएंगे हैरान

05 October 2018

*🚩अपनी विवादास्पद भारत-यात्रा के दौरान तत्कालीन पोप ने नई दिल्ली में घोषणा की थी कि ‘‘जिस तरह पहली सहस्राब्दी में क्रॉस को यूरोप की भूमि में दृढ़ता से स्थापित किया गया, दूसरी में अमेरिका तथा अफ्रीका में किया गया, उसी प्रकार तीसरी ईसाई सहस्राब्दी इस बड़े और महत्त्वपूर्ण महाद्वीप (एशिया) में धार्मिक निष्ठा की बड़ी फसल की कटाई की गवाह बनेगी ।’’ यह घोषणा पोप ने नवम्बर 1999 में की थी ।*
The surprising surprises of the Church will
 be read in front, and will be surprised

*🚩कैथोलिक चर्च तथा उसके मिशनरी लगातार एशिया विशेषकर भारत में ईसाईयत फैलाने तथा धर्म-परिवर्तन करने का प्रयास करते रहे । पोप जॉन पॉल ने तो अपने लोगों से कहा था कि ‘‘एशिया में जाओ और इस महाद्वीप को जीसस (ईसा) के लिए जीतकर लाओ ।’’ मदर टेरेसा ने एक इंटरव्यू में माना था कि ‘‘मैं समाज-सेविका नहीं हूँ, मैं जीसस की सेवा में हूँ और मेरा काम ईसाईयत को दुनिया में बढ़ाना और दुनिया को इसके घेरे में लाना है ।’’* 

*🚩इस प्रयास में विभिन्न पोप, कैथोलिक चर्च तथा मदर टेरेसा जैसे लोग पूरे सफल नहीं हो सके । अब तो उनका लक्ष्य और भी दूर होता जा रहा है । एक बड़ा कारण, विशेष तौर पर एशिया के बारे में यह है कि एशिया के भारत तथा चीन जैसे देशों के अपने धर्म तथा संस्कृति इतने समृद्ध और मजबूत हैं कि उन्हें कहीं और से आयात करने की जरूरत नहीं । और खासकर भारत देश जहाँ पर संतों का सदा मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है उस देश में तो किसी भी अन्य की संस्कृति की बिल्कुल ही आवश्यकता नहीं है ।*

*🚩जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में भारत की संस्कृति के बारे में लिखा है : ‘मैं समझता हूँ कि जिसके पास कई सौ पीढ़ियों को ढालने की क्षमता है, उसके पास ऊर्जा तथा शक्ति का गहरा स्रोत होगा, जिसके द्वारा हर युग में इस ऊर्जा को नवीन किया जाता रहा है ।’*

*🚩एशिया को बदलने के चर्च के प्रयास तथा उसकी असफलता पर सबसे तल्ख (कड़वी) पर सटीक टिप्पणी सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री ली क्वान यू ने की है । उनका कहना था कि आप (चर्चवाले) चाहे कितनी कोशिश कर लो, आप भारत तथा चीन जैसी प्राचीन सभ्यताओं को बदल नहीं सकते । यहाँ आपके लिए जगह नहीं है । उन्होंने यह भी कहा कि अगर गणेश की पूजा से हजारों सालों से लोगों को राहत मिलती है तो आप सवाल उठानेवाले कौन हो ?*

*🚩 ईसाईयत के प्रसार में असफलता का एक और बड़ा कारण पश्चिम में कैथोलिक चर्च की बदनामी है । जो समाचार अब लगातार बाहर आ रहे हैं उनसे तो यह आभास होता है कि इसमें बलात्कारी, व्यभिचारी और अपराधी भरे हुए हैं ।*

*🚩जब पोप ने भारत में ईसाईयत के प्रसार का आह्वान किया था तब भी कहा गया कि वे पश्चिम में कैथोलिक ईसाइयों की सिकुड़ रही संख्या की भारत तथा एशिया में भरपाई करना चाहते हैं ।*

*🚩पश्चिम, जो चर्च की कर्मभूमि रही है, में तो यह हालत है कि लंदन, पेरिस, बर्लिन जैसे बड़े शहरों में चर्च बिक रहे हैं क्योंकि वहाँ इतनी कम उपस्थिति है कि रख-रखाव का खर्चा नहीं चलता । कई तम्बोला खेलने के हॉल, कई लाइब्रेरी तो कुछ बार (bar) या नाइट क्लब में परिवर्तित हो चुके हैं ।*

*🚩अपने देश में जालंधर क्षेत्र के पूर्व बिशप (वरिष्ठ पादरी) फ्रैंको मुलक्कल पर एक नन द्वारा 13 बार बलात्कार के आरोप लगाने के लगभग तीन महीने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है । इस सारे मामले में कैथोलिक चर्च तथा केरल की कम्युनिस्ट सरकार का रवैया अति आपत्तिजनक रहा । शुरू में बिना जाँच-पड़ताल के नन के आरोपों को साजिश बताया गया । बाद में लोगों के दबाव में फ्रैंको को गिरफ्तार कर लिया गया पर पहले तो उसका पूरा बचाव किया गया ।*

*🚩केरल का यह साईरो-मालाबार चर्च देश का सबसे समृद्ध तथा ताकतवर चर्च है लेकिन दुनिया का सुधार करने का दम भरनेवाले ये कथित धार्मिक लोग अपनी पीड़ित नन, जिन्हें ‘सिस्टर’ कहा जाता है, की रक्षा के लिए एक कदम उठाने को तैयार नहीं थे । बिशप पर कार्यवाही करने की जगह नन को बदनाम करने का प्रयास किया गया । क्योंकि चर्च दूसरों के लिए बंद संस्था है इसलिए पता नहीं चलता कि इसके अंदर क्या हो रहा है ।*

*🚩1992 में सिस्टर अभया की हत्या के बाद चर्च भारत में सुर्खियों में आया था । सिस्टर मैरी चांदी तथा सिस्टर जैसमे ने आपबीती पर किताबें लिखीं । मैरी चांदी ने गर्भवती नन तथा पथभ्रष्ट ‘फादर्स’ के बारे में बहुत कुछ बतलाया । जैसमे ने एक कॉन्वेंट में बंद जिंदगी का पर्दाफाश किया और बताया कि किस तरह उसका शोषण हुआ था । दोनों की किताबें बहुत लोगों ने पढ़ीं लेकिन चर्च की सेहत पर कोई असर नहीं हुआ ।*

*🚩केरल महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा ने बताया कि जो नन समर्पण के लिए तैयार नहीं, उन पर इतना दबाव डाला जाता है कि कई बार उन्हें मनोरोग-संबंधी इलाज करवाना पड़ता है ।*

*🚩पश्चिम में चर्च के अंदर लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ आ गयी लगती है । हजारों मामले बाहर आ रहे हैं । मामला इतना संगीन बन गया कि आयरलैंड की अपनी यात्रा, जिस दौरान उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए, से पहले वर्तमान पोप फ्रांसिस ने एक खुला पत्र लिखा कि ‘शर्म और प्रायश्चित के साथ हम स्वीकार करते हैं... कि इसके चलते कितनी सारी जिंदगियों को नुकसान पहुँचा ।’ लेकिन पोप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस बात की ‘शर्म’ और किस बात का ‘प्रायश्चित’ और न ही बताया कि चर्च के पदाधिकारी, जिन पर आरोप लगे हैं, उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी ? जिन पर आरोप लगे हैं वे केवल पादरी या बिशप ही नहीं बल्कि कार्डिनल (कैथोलिक चर्च का विशिष्ट पदाधिकारी) भी हैं । कई तो विभिन्न पोप के नजदीकी रहे हैं ।*

*🚩चर्च का संकट इतना गहरा और फैला हुआ है कि बचाव नहीं हो रहा । न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले महीने यह रिपोर्ट प्रकाशित की कि अमेरिका में पेनसिलवेनिया में पिछले 70 वर्षों में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।*

*🚩बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’* 

*🚩अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है ।*

*🚩अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त रहा है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे ।* 

*🚩नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है ।*

*🚩हर महाद्वीप - एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च के अंदर दशकों से बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने पहले यह समाचार दबाने का प्रयास किया ।*

*🚩जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।*

*🚩चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है । भारतीय मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?*

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Thursday, October 4, 2018

आतंकवादियों ने 1 साल में ही लगभग एक लाख निर्दोषों का किया क़त्ल...

04 October 2018
http://azaadbharat.org
🚩आतंकवाद को धर्म या मजहब से नहीं जोड़ा जा सकता, आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता | ये थ्योरी हिन्दुस्तान सहित कई देशों में अक्सर दोहराई जाती है, लेकिन हिंदुस्तान में इसकी अहमियत काफी ज्यादा है | हालाँकि दुनिया में ऐसे भी देश हैं जो खुलकर आतंकवाद का धर्म बताते हैं, लेकिन मुख्य रूप से यही धारणा प्रचलित है कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता है |

Terrorists have killed nearly one lakh innocent people in 1 year ...
🚩आतंक का कोई धर्म न होने वाली धारणा के बीच इस्लामिक जिहादी बर्बरता के जो नये आंकड़े आए हैं, वो न सिर्फ हैरान करने वाले हैं, बल्कि काफी भयावह भी हैं |  इस्लामिक जिहादी बर्बरता का नया आंकड़ा कुछ इस प्रकार है कि 2017 में दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवादियों ने 84 हजार से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं, हजारों अव्यवस्क लड़कियों की इज्जत लूटी हैं, हजारों अव्यस्क लड़कियों को सेक्स स्लेव यानी गुलाम बना कर रखा, कोई एक नहीं बल्कि 66 देशों में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिंसा की खतरनाक साजिश रची है और हिंसा को साजिशपूर्ण ढंग से अंजाम देने का कार्य भी किया है |
🚩इस्लामिक जिहादी बर्बरता के यह आकंडे और यह निष्कर्ष ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था ‘इस्टीट्यूट फॉर ग्लोबर चेज’ ने दिए हैं । ये आंकडे कोई हवा-हवाई नहीं हैं. बल्कि ये आकंडे चाकचौबंद हैं, यह निष्कर्ष भी चाकचौबंद हैं |
🚩इस्लामिक बर्बरता के नए आंकड़ों ने दुनिया को शर्मसार कर दिया है, दुनिया को चिंता में डाल दिया है, दुनिया को फिर से यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि आखिर इस इस्लामिक बर्बरता के रोकने के सिद्धांत और नीति क्या हैं, अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं वे सबके सब नकाफी साबित हुए हैं, बेअसर साबित हुए हैं | इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े घृणा और हिंसा का दायरा दिनों-दिन बढ़ता ही चला जा रहा है, सिर्फ बर्बर सामाजिक व्यवस्था वाले देशों की ही बात नहीं है बल्कि सभ्यताशील और विकसित सामाजिक व्यवस्था वाले देशों में भी इस्लामिक घृणा और इस्लामिक हिंसा ने अपने पैर पसारे हैं |
🚩अब यहां यह प्रश्न उठता है कि इस्लामिक बर्बरता के इन घृणित आंकडों से भी दुनिया कोई सबक लेगी और इस्लामिक बर्बरता के खिलाफ कोई चाकचौबंद अभियान चलेगा ?
🚩इन आंकड़ों में बताया गया है कि 121 देशों में इस्लामिक आतंकवादी सक्रिय हैं जहां पर उनका नेटवर्क गंभीर रूप से सक्रिय हैं और इस नेटवर्क को सुरक्षा एजेंसियां भी समाप्त करने में विफल रही हैं | सर्वाधिक खतरा उन देशों से पर बढ़ा है जहां पर इस्लामिक राज नहीं है पर इस्लामिक राज के लिए किसी न किसी प्रकार का मजहबी हिंसक अभियान जारी है, इस्लामिक आतंकवादी सरेआम कहते हैं कि दुनिया को कुरान का शासन मानना ही होगा अन्यथा हिंसा का शिकार होना होगा, हम तलवार के बल पर पूरी दुनिया में कुरान का शासन लागू करेंगे |
🚩कुछ समय पूर्व तक दुनिया भी खुशफहमी की शिकार हो गई थी कि इस्लामिक जिहाद कोई समस्या नहीं है |
🚩अब यहां यह प्रश्न है कि आखिर दुनिया खुशफहमी की शिकार क्यों हो गई थी ?
दुनिया इसलिए खुशफहमी की शिकार हो गई थी कि उसने इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े अवधारणा की चाकचौबंद समझ विकसित नहीं कर पाई थी | इराक में आईएस की पराजय के बाद दुनिया यह समझ लिया था कि इस्लामिक आतंकवाद और इस्लामिक घृणा पर विजय मिल चुकी है और अब दुनिया इस्लामिक आतंकवाद, इस्लामिक घृणा से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगी, इस्लामिक आतंकवादियों का जो 121 देशों में नेटवर्क कायम है, वह नेटवर्क अब आसानी से समाप्त कर दिया जाएगा |
🚩ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था ‘इस्टीट्यूट फॉर ग्लोबर चेज’ के नए आंकड़ों और नए निष्कर्षों ने यह साबित कर दिया है कि दुनिया की वह समझ झूठी और सतही थी | इराक में आईएस की पराजय जरूर हुई है, आईएस पर इराकी सुरक्षा बलों ने विजयी हासिल जरूर की है पर इराक के अंदर भी आईएस पूरी तरह से जमींदोज हो गया है, यह कहना मुश्किल है, खबर तो यह है कि इराक के अंदर आज भी आईएस अप्रत्यक्ष तौर पर सक्रिय है और खासकर सुन्नी मुस्लिम समुदाय के अंदर में आज भी आईएस को लेकर सहानुभूति है, संरक्षण की नीति है |
🚩यहाँ यह जानना जरूरी है कि इराक के अंदर में शिया मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक हैं और सुन्नी मुस्लिम समुदाय की संख्या कम है | आईएस सुन्नी आतंकवादी संगठन है, सबसे बड़ी बात यह है कि किसी समय में इराक और सीरिया में ही आईएस सक्रिय था, जहां पर दुनिया भर के मुस्लिम युवक-युवतियां आईएस की ओर से लड़ने के लिए गए थे, लेकिन अब आईएस ने इराक और सीरिया से बाहर निकल कर पूरी दुनिया भर में अपना पैर पसार लिया है, अपना नेटवर्क कायम कर लिया है |
🚩 इस्लाम के नाम पर दुनिया भर से जो मुस्लिम लड़के-लड़कियां आईएस में शामिल हुए थे और आईएस के लिए लड़ रहे थे, वे पराजय के बाद अपने-अपने देश लौट चुके हैं और अपने-अपने देश में इस्लाम के शासन के लिए जेहाद कर रहे हैं |
🚩दुनिया में एक मात्र आईएस ही खूंखार, हिंसक या फिर मानवता को शर्मसार करने वाला आतंकवादी संगठन नहीं है, बल्कि दुनिया में दो सौ से अधिक मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं जो सीधे तौर पर इस्लाम की मान्यताओं को लेकर जेहादी हैं | सिर्फ  इतना ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर दुनिया में हजारों और लाखों मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं |
🚩स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन भी कम खतरनाक नहीं होता है । स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन बड़े आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करता है, आतंकवादी मानसिकताओं का प्रचार-प्रसार करता है, आतंकवाद का बीजारोपण करता है। बड़े  आतंकवादी संगठन पर कार्यवाही तो आसान होता है पर स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर कार्यवाही बड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इनकी पहचान अति गोपनीय होती है और मुस्लिम समुदाय ऐसे संगठनों की पहचान जाहिर करना इस्लाम विरोधी मान लेते हैं |
🚩यही कारण है कि खूंखार आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करने वाले स्थानीय स्तर के आतंकवादी संगठनों पर कार्यवाही नहीं हो पाती है | खासकर अफ्रीका महाद्वीप के अंदर में इस्लामिक हिंसा ने कुछ ज्यादा ही मुश्किल पैदा की है और खासकर महिलाओं की जिंदगी हिंसाग्रस्त बना डाली है | अफ्रीका महाद्वीप का कोई एक देश नहीं, बल्कि कई देश इस्लामिक आतंकवाद की चपेट में है |
🚩सूडान, नाइजीरिया, सोमालिया, सेनगल, इथोपिया जैसे दर्जनों ऐसे देश हैं, जहां पर इस्लाम के शासन के लिए गृहयुद्ध जारी है |
🚩“बोको हरम” नामक इस्लामिक संगठन आईएस से भी खतरनाक है | बोको हरम ने ईसाईयत को समाप्त करने की कसम खाई है और उसके निशाने पर ईसाईयत ही है | अफ्रीका में ईसाईयत और इस्लाम के बीच में मार-काट मची है और प्रभुत्व के लिए हिंसा भी चरम पर है |
🚩ईसाई जहां आत्मसुरक्षा के लिए सक्रिय हैं वहीं इस्लाम के मानने वाले लोग इस्लाम के शासन कायम करने के लिए जेहादी बने हुए हैं | बोको हरम ने अफ्रीका में कोई एक-दो सौ नहीं बल्कि कई हजार ईसाई लड़कियों का अपहरण कर सेक्स गुलाम बना डाला | सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि सेक्स गुलाम बनाई गई लड़कियों को अरब के शेखों के हाथों बेचने जैसे घृणित कार्य भी किए हैं ।
🚩ये सारे आंकड़े इस बात का साफ़ संकेत हैं कि आपको आतंक को धर्म से नहीं जोड़ना है तो मत जोड़िए, लेकिन इस्लामिक जिहाद के नाम पर हो रही बर्बरता, नरसंहार के खिलाफ दुनिया को एकजुट होकर खड़ा होना ही होगा अन्यथा, आगे की स्थिति काफी  भयावह होने वाली है ।
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