05 October 2018
*अपनी विवादास्पद भारत-यात्रा के दौरान तत्कालीन पोप ने नई दिल्ली में घोषणा की थी कि ‘‘जिस तरह पहली सहस्राब्दी में क्रॉस को यूरोप की भूमि में दृढ़ता से स्थापित किया गया, दूसरी में अमेरिका तथा अफ्रीका में किया गया, उसी प्रकार तीसरी ईसाई सहस्राब्दी इस बड़े और महत्त्वपूर्ण महाद्वीप (एशिया) में धार्मिक निष्ठा की बड़ी फसल की कटाई की गवाह बनेगी ।’’ यह घोषणा पोप ने नवम्बर 1999 में की थी ।*
The surprising surprises of the Church will be read in front, and will be surprised |
*कैथोलिक चर्च तथा उसके मिशनरी लगातार एशिया विशेषकर भारत में ईसाईयत फैलाने तथा धर्म-परिवर्तन करने का प्रयास करते रहे । पोप जॉन पॉल ने तो अपने लोगों से कहा था कि ‘‘एशिया में जाओ और इस महाद्वीप को जीसस (ईसा) के लिए जीतकर लाओ ।’’ मदर टेरेसा ने एक इंटरव्यू में माना था कि ‘‘मैं समाज-सेविका नहीं हूँ, मैं जीसस की सेवा में हूँ और मेरा काम ईसाईयत को दुनिया में बढ़ाना और दुनिया को इसके घेरे में लाना है ।’’*
*इस प्रयास में विभिन्न पोप, कैथोलिक चर्च तथा मदर टेरेसा जैसे लोग पूरे सफल नहीं हो सके । अब तो उनका लक्ष्य और भी दूर होता जा रहा है । एक बड़ा कारण, विशेष तौर पर एशिया के बारे में यह है कि एशिया के भारत तथा चीन जैसे देशों के अपने धर्म तथा संस्कृति इतने समृद्ध और मजबूत हैं कि उन्हें कहीं और से आयात करने की जरूरत नहीं । और खासकर भारत देश जहाँ पर संतों का सदा मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है उस देश में तो किसी भी अन्य की संस्कृति की बिल्कुल ही आवश्यकता नहीं है ।*
*जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में भारत की संस्कृति के बारे में लिखा है : ‘मैं समझता हूँ कि जिसके पास कई सौ पीढ़ियों को ढालने की क्षमता है, उसके पास ऊर्जा तथा शक्ति का गहरा स्रोत होगा, जिसके द्वारा हर युग में इस ऊर्जा को नवीन किया जाता रहा है ।’*
*एशिया को बदलने के चर्च के प्रयास तथा उसकी असफलता पर सबसे तल्ख (कड़वी) पर सटीक टिप्पणी सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री ली क्वान यू ने की है । उनका कहना था कि आप (चर्चवाले) चाहे कितनी कोशिश कर लो, आप भारत तथा चीन जैसी प्राचीन सभ्यताओं को बदल नहीं सकते । यहाँ आपके लिए जगह नहीं है । उन्होंने यह भी कहा कि अगर गणेश की पूजा से हजारों सालों से लोगों को राहत मिलती है तो आप सवाल उठानेवाले कौन हो ?*
* ईसाईयत के प्रसार में असफलता का एक और बड़ा कारण पश्चिम में कैथोलिक चर्च की बदनामी है । जो समाचार अब लगातार बाहर आ रहे हैं उनसे तो यह आभास होता है कि इसमें बलात्कारी, व्यभिचारी और अपराधी भरे हुए हैं ।*
*जब पोप ने भारत में ईसाईयत के प्रसार का आह्वान किया था तब भी कहा गया कि वे पश्चिम में कैथोलिक ईसाइयों की सिकुड़ रही संख्या की भारत तथा एशिया में भरपाई करना चाहते हैं ।*
*पश्चिम, जो चर्च की कर्मभूमि रही है, में तो यह हालत है कि लंदन, पेरिस, बर्लिन जैसे बड़े शहरों में चर्च बिक रहे हैं क्योंकि वहाँ इतनी कम उपस्थिति है कि रख-रखाव का खर्चा नहीं चलता । कई तम्बोला खेलने के हॉल, कई लाइब्रेरी तो कुछ बार (bar) या नाइट क्लब में परिवर्तित हो चुके हैं ।*
*अपने देश में जालंधर क्षेत्र के पूर्व बिशप (वरिष्ठ पादरी) फ्रैंको मुलक्कल पर एक नन द्वारा 13 बार बलात्कार के आरोप लगाने के लगभग तीन महीने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है । इस सारे मामले में कैथोलिक चर्च तथा केरल की कम्युनिस्ट सरकार का रवैया अति आपत्तिजनक रहा । शुरू में बिना जाँच-पड़ताल के नन के आरोपों को साजिश बताया गया । बाद में लोगों के दबाव में फ्रैंको को गिरफ्तार कर लिया गया पर पहले तो उसका पूरा बचाव किया गया ।*
*केरल का यह साईरो-मालाबार चर्च देश का सबसे समृद्ध तथा ताकतवर चर्च है लेकिन दुनिया का सुधार करने का दम भरनेवाले ये कथित धार्मिक लोग अपनी पीड़ित नन, जिन्हें ‘सिस्टर’ कहा जाता है, की रक्षा के लिए एक कदम उठाने को तैयार नहीं थे । बिशप पर कार्यवाही करने की जगह नन को बदनाम करने का प्रयास किया गया । क्योंकि चर्च दूसरों के लिए बंद संस्था है इसलिए पता नहीं चलता कि इसके अंदर क्या हो रहा है ।*
*1992 में सिस्टर अभया की हत्या के बाद चर्च भारत में सुर्खियों में आया था । सिस्टर मैरी चांदी तथा सिस्टर जैसमे ने आपबीती पर किताबें लिखीं । मैरी चांदी ने गर्भवती नन तथा पथभ्रष्ट ‘फादर्स’ के बारे में बहुत कुछ बतलाया । जैसमे ने एक कॉन्वेंट में बंद जिंदगी का पर्दाफाश किया और बताया कि किस तरह उसका शोषण हुआ था । दोनों की किताबें बहुत लोगों ने पढ़ीं लेकिन चर्च की सेहत पर कोई असर नहीं हुआ ।*
*केरल महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा ने बताया कि जो नन समर्पण के लिए तैयार नहीं, उन पर इतना दबाव डाला जाता है कि कई बार उन्हें मनोरोग-संबंधी इलाज करवाना पड़ता है ।*
*पश्चिम में चर्च के अंदर लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ आ गयी लगती है । हजारों मामले बाहर आ रहे हैं । मामला इतना संगीन बन गया कि आयरलैंड की अपनी यात्रा, जिस दौरान उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए, से पहले वर्तमान पोप फ्रांसिस ने एक खुला पत्र लिखा कि ‘शर्म और प्रायश्चित के साथ हम स्वीकार करते हैं... कि इसके चलते कितनी सारी जिंदगियों को नुकसान पहुँचा ।’ लेकिन पोप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस बात की ‘शर्म’ और किस बात का ‘प्रायश्चित’ और न ही बताया कि चर्च के पदाधिकारी, जिन पर आरोप लगे हैं, उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी ? जिन पर आरोप लगे हैं वे केवल पादरी या बिशप ही नहीं बल्कि कार्डिनल (कैथोलिक चर्च का विशिष्ट पदाधिकारी) भी हैं । कई तो विभिन्न पोप के नजदीकी रहे हैं ।*
*चर्च का संकट इतना गहरा और फैला हुआ है कि बचाव नहीं हो रहा । न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले महीने यह रिपोर्ट प्रकाशित की कि अमेरिका में पेनसिलवेनिया में पिछले 70 वर्षों में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।*
*बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’*
*अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है ।*
*अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त रहा है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे ।*
*नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है ।*
*हर महाद्वीप - एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च के अंदर दशकों से बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने पहले यह समाचार दबाने का प्रयास किया ।*
*जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।*
*चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है । भारतीय मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?*
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