13 October 2018
दुनिया में हिन्दू कही भी रहता हो उनको मिटाने की कोशिशें की जा रही हैं, कभी लालच देकर तो कभी भय दिखाकर धर्मान्तरण करवाया जा रहा है जिससे दुनिया के नक्शे से हिन्दू जाति को पूर्णतः मिटा दिया जाए ।
Christian missionaries of Hindus are making loud noise in Sri Lanka |
श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन श्रीलंका के हिन्दुत्वनिष्ठ, साथ ही हिन्दू समाज एवं मंदिरों की रक्षा करनेवाला संगठन ‘शिवसेनाई’ के संस्थापक हैं एवं उन्होंने साधना के आध्यात्मिक स्तर को प्राप्त किया है। श्रीलंका में ईसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दुआें के हो रहे धर्मांतरण के विरोध में श्री. सच्चिदानंदन द्वारा किया गया संघर्ष उन्हीं की शब्दों में यहां प्रस्तुत कर रहे हैं . . .
1. विरोध करनेवाले हिन्दुआें पर ईसाई मिशनरियोंद्वारा धर्मांतर का दबाव :-
17 सितंबर 2018 को मैं श्रीलंका के एक दुर्गम क्षेत्र में स्थित कात्तैय्यादम्पण चेत्तीरामामाकन् गांव में कुछ हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ गया था । वहां के एक गिरे हुए मंदिर में वहां के हिन्दू श्रद्धालु भगवान शिवजी का नामजप कर रहे थे । जप समाप्त होने पर वे हमारे पास एकत्रित बैठ कर अपनी व्यथाएं बताने लगें ।
एक वयस्क महिला ने बताया कि उस गांव में ईसाई मिशनरी हिन्दुआें का बलपूर्वक धर्मांतरण कर रहे हैं । गांव के 50 हिन्दू परिवारों में से 15 परिवारों ने ईसाई धर्म का स्वीकार किया है । उन्हें अन्न, कपड़े और घर का लालच दिखाकर उनका धर्मांतरण किया गया; परंतु शेष 36 हिन्दू परिवारों ने ईसाई धर्म में प्रवेश करना अस्वीकार किया, जिसकी वजह से उन पर दबाव डालने के प्रयास चल रहे हैं । उस गांव में ईसाईयों द्वारा एक चर्च भी बनाया गया है । दूसरी ओर वहां के हिन्दुआें के पास इस एकमात्र गिरे हुए मंदिर का पुननिर्माण करने के लिए भी पैसे नहीं हैं । यहां के हिन्दू चाहे दयनीय जीवन जी रहे हैं; परंतु अभी भी उनमें स्वाभिमान जागृत है । इस गांव के हिन्दू पुजारियों को दक्षिणा न मिलने से वे इस मंदिर में नहीं आते ।
2. सरकारी विद्यालयों में ईसाई धर्म की शिक्षा; परंतु हिन्दुआें के धर्माचरण पर प्रतिबंध :-
इस गांव में हिन्दू धर्म की जानकारी देनेवाला कोई ग्रंथ उपलब्ध नहीं हैं । यहां के बच्चे निकट के सरकारी विद्यालय में जाते हैं, जहां ईसाई पंथ की प्रबलता है। वहां लड़कों के विभूति लगाने एवं लड़कियों के कंगन पहनने पर प्रतिबंध है । लड़कों के हाथों में बांधे गए लाल धागे तोड़ दिए जाते हैं । कुछ अभिभावकों ने इसके विरोध में शिक्षाधिकारी के पास फरियाद की जिसके बाद विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने इनके बच्चों को दंडित करना आरंभ कर दिया । सरकारी विद्यालयों में ईसाई पंथ की शिक्षा दी जाती है; परंतु हिन्दू धर्म की शिक्षा कहीं भी नहीं दी जाती ।
3. गांव में हिन्दुआें को धर्म की जानकारी देकर उनके उद्बोधन हेतु किए गए प्रयास :-
मैने वहीं से जर्मनी में रहनेवाले मेरे परिचय के एक व्यक्ति को भ्रमणभाष कर श्रीलंका के कात्तैय्यादम्पण चेत्तीरामामाकन् गांव में हिन्दू धर्म की जानकारी देनेवाली पुस्तकें भेजने का अनुरोध किया और उसने उसे स्वीकार किया । यह सुनते ही वहां उपस्थित हिन्दुआें के मुखकमल आनंदित हो गए । मैने उन्हें एक लघुउद्योग आरंभ कर उससे होनेवाली आय से मंदिर के नवनिर्माण करने की सूचना की, जिसे सभी ने स्वीकार किया, साथ ही मैने उन्हें उनके मन में व्याप्त भय को निकाल देने का भी आवाहन किया और उन्हें ईश्वर उनके साथ हैं, इस बात से उन्हें आश्वस्त किया । उसके पश्चात मैं कार्यकर्ताआें के साथ एक हिन्दू के घर गया । वहां की एक युवती ने धर्मांतरण किया था । हमने उसे समझा कर उसको पुनः हिन्दू धर्म में लिया और घर पर लगाने के लिए एक नंदीध्वज दिया ।
4. श्रीलंका में हिन्दुआें की जनसंख्या में कमी, तो ईसाईयों की जनसंख्या में वृद्धि :-
श्रीलंका में विगत 12 वर्षों में ईसाईयों की जनसंख्या 44 प्रतिशत से बढ़ी, तो हिन्दुआें की जनसंख्या 16 प्रतिशत से न्यून हुई । लगभग 400 वर्ष पूर्व पोर्तुगीजों ने श्रीलंका में मन्नार में कदम रखा और हिन्दुआें का धर्मांतरण प्रारंभ हुआ । तत्कालीन हिन्दू राजा ने 400 धर्मांतरित लोगों का शिरच्छेद किया । आज ही पेसालाई गांव में प्रार्थना कर इन धर्मांतरितों को श्रद्धांजली दी जाती है; परंतु 400 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया गया धर्मांतरण आज भी अन्न, वस्त्र और निवास का लालच दिखाकर चल ही रहा है ।
5. शिवसेनाई संगठन द्वारा धर्मांतरण करनेवाले ईसाईयों का विरोध :-
लिबरेशन टाईगर्स ऑफ तमिल ईलम् (एलटीटीई) के विरोध में चल रहा युद्ध समाप्त होने के पश्चात विगत 7 वर्षों में वहां के हिन्दुआें के धर्मांतरण की घटनाआें की गति अधिक तीव्र हो गई । वर्ष 2016 में हमने इस धर्मांतरण के विरोध में संघर्ष करने के लिए ‘शिवसेनाई’ इस संगठन की स्थापना की । हमारे स्वयंसेवक गांव-गांव घूमने लगे । उन्होंने गांव-गांव में लगाए गए क्रॉस हटा दिए । मंदिरों की ओर जानेवाली सड़कों पर खड़ी की गई बाधाआें को दूर किया । ईसाईयों द्वारा धमकियां दी जाने से बंद किए गए हिन्दू त्योहारों को पुनः मनाना आरंभ किया गया । गांव-गांव में हिन्दुआें के घरों के सामने नंदीध्वज खड़े किए गए । चर्च के पदाधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को लिखे गए पत्रों में शिवसेनाई संगठन के विरोध के कारण नए क्षेत्रों में धर्मांतरण के कार्य में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, इसे अनुमोदित किया ।
इस क्षेत्र में 6 हजार हिन्दू परिवार रहते हैं। उन सभी के सामने धर्मांतरण का संकट है । चर्च के पास युरोप और अमेरिका से आनेवाली प्रचुर धनराशि उपलब्ध है । हिन्दुआें का मनोबल गिराने के लिए इस धनराशि का दुरूपयोग किया जा रहा है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
ईसाई मिशनरियों का एक ही लक्ष्य बन गया है , दुनिया में एक भी हिन्दू नहीं बचना चाहिए, सभी हिदुओं को ईसाई बना दो जिससे बड़ी वोटबैंक बन जाये और हम पूरे विश्व मे अपना राज कर सकें । हिंदुओं आप सभी ईसाई मिशनरियों से सावधान रहें नहीं तो ये लोग लालच देकर आपका धर्मपरिवर्तन करवाकर आपको धर्म से च्युत कर देंगे और फिर से गुलामी की जंजीरो में जकड़ देंगे ।
सभी हिन्दुओं का कर्त्तव्य है कि एक दूसरे की आर्थिक या किसी भी तरह की परेशानी हो तो उनकी मदद करें, जाति-पाति भूलकर एक रहें । धर्मान्तरण करने वालों का संघठित होकर विरोध करें ।
स्वामी विवेकानन्दजी की इस बात को हमेशा याद रखें उन्होंने कहा था कि हिन्दू समाज में से एक मुस्लिम या ईसाई बने, इसका मतलब यह नहीं कि एक हिन्दू कम हुआ बल्कि हिन्दू समाज का एक दुश्मन और बढ़ गया ।
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