07 October 2018
पुराणों में आता है कि आश्विन(गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) कृष्ण पक्ष की अमावस (पितृमोक्ष अमावस) के दिन सूर्य एवं चन्द्र की युति होती है । सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है । इस दिन हमारे पितर यमलोक से अपना निवास छोड़कर सूक्ष्म रूप से मृत्युलोक (पृथ्वीलोक) में अपने वंशजों के निवास स्थान में रहते हैं । अतः उस दिन उनके लिए विभिन्न श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं ।
गरुड़ पुराण (10.57-59) में आता है कि ‘समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दु:खी नहीं रहता । पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशुधन, सुख, धन और धान्य प्राप्त करता है ।
‘हारीत स्मृति’ में लिखा है :
न तत्र वीरा जायन्ते नारोग्यं न शतायुष: |
न च श्रेयोऽधिगच्छन्ति यंत्र श्राद्धं विवर्जितम ||
People will bid Shraddha, our ancestors will be discharged |
‘जिनके घर में श्राद्ध नहीं होता उनके कुल-खानदान में वीर पुत्र उत्पन्न नहीं होते, कोई निरोग नहीं रहता । किसी की लम्बी आयु नहीं होती और उनका किसी तरह कल्याण नहीं प्राप्त होता ( किसी – न - किसी तरह की झंझट और खटपट बनी रहती है ) ।’
महर्षि सुमन्तु ने कहा : “श्राद्ध जैसा कल्याण - मार्ग गृहस्थी के लिए और क्या हो सकता है । अत: बुद्धिमान मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करना चाहिए ।”
रविवार को सोशल मीडिया पर जनता ने कल ( सर्वपितृ अमावस्या ) पर श्राद्ध करने को कहा ।
आइए जानते हैं क्या कहा जनता ने...
1. विजय हरवानी ने लिखा है कि
अपने पूर्वजों का अनादर कर के श्राद्ध कर्म न करने से दुःख भोगने पड़ते हैं,इसलिए अपना कल्याण चाहनेवालों को पितरों की तृप्ति हेतु श्राद्ध करना आवश्यक है।
#श्राद्ध_AMustDoRitual
2 . रमेश गांधी लिखते हैं कि अमावस्या का श्राद्ध समस्त विषम उत्पन्न होने वालों के लिए अर्थात तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्याएँ हों उनके लिए होता है। जुड़वे उत्पन्न होने वालों के लिए भी इसी दिन श्राद्ध करना चाहिए।
3. अनिता हरवानी कहती हैं कि पितृपक्ष में जो पितरों का श्राद्ध नहीं करता वह धनहीन होता है ऐसे व्यक्ति के साथ जो खाना, पीना या वार्तालाप आदि व्यवहार करते है वे भी महापापी माने जाते हैं, इस जन्म मे उनके संतान की वृद्धि नही होती व किसी प्रकार भी उन्हें सुख और धन-धान्य की प्राप्ति नहीं होती। #श्राद्ध_AMustDoRitual
4. विनय शर्मा ने लिखा है कि पुराणों में आता है कि आश्विन कृष्णपक्ष की अमावस के दिन सूर्य व चन्द्र की युति होने से पितर यमलोक छोड़कर सूक्ष्म रूप से मृत्युलोक मे अपने वंशजो के निवास में आते है अतः उस दिन श्राध्द व तर्पण करने से वे तृप्त होते हैं व सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं!
5. विशाल लिखते हैं कि जो लोग हमारे श्राद्धकर्म को अंधविश्वास समझते है उनको ये देखना चाहिए हॉलीवुड स्टार सिल्वेरस्टर स्टेलोन का बेटा सपने मे आकर बात करता था तो उसकी सद्गति के लिए हरिद्वार मे श्राद्ध किया ।
6. विश्वजीत चव्हाण ने लिखा कि हिन्दू धर्मशास्त्रों में आता है कि, ‘देव, ऋषि और समाज, इन तीन ऋणों के साथ, पितृऋण चुकाना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। पितरों का आदर करना, उनके नाम से दानधर्म करना और उनके लिए संतोषजनक कृत्यों को करना, उनके वंशजों के कर्तव्य हैं। श्राद्ध, धर्मपालन का ही एक भाग है!
7. प्रियू ने लिखा है कि भारतीय संस्कृति की एक बड़ी विशेषता है कि मरने के बाद भी अंंत्येष्टि संस्कार के बाद भी जीव की सद्गति के लिए किये जाने योग्य संस्कारों का निर्माण करता है, उसे श्राद्ध कहते है।
8. दीपक लिखते हैं कि
हमारी संस्कृति में श्राद्ध की महिमा का बखान है|Sant Shri Asaram Bapu Ji ने समाज को यह अवगत कराया कि श्राद्ध द्वारा पितरों को शान्ति और सदगति प्राप्त होती है इसलिए श्राद्ध जरूर करना चाहिए |
इस तरीके से हजारों लोग ट्वीट करके बता रहे थे कि श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :
“हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दें) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ ।” ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगाएं ।
श्राद्ध पक्ष में रोज भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ और 1 माला माला द्वादश मंत्र ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” और एक माला "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा" की करनी चाहिए और उस पाठ एवं माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।
श्राद्ध कैसे करें, लिंक क्लिक करके देखिये
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