09 October 2018
ईसाई पादरीयों के बारे में कई बार सुना होगा कि वो बच्चें, बच्चियां, नन के साथ दुष्कर्म करते हैं, धर्म की आड़ में वे लोगो को अच्छी राह दिखाने बदले स्वयं ही दुष्कर्म करने लगते हैं इससे ज्यादा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? अभी आप यहाँ एक ऐसी दर्दनाशक कहानी सुनेंगे कि आपके मन में ईसाई पादरियों का नाम सुनकर ही नफरत पैदा होने लगेगी ।
चिली में 100 से ज़्यादा कैथोलिक पादरियों पर यौन उत्पीड़न करने या उन्हें छिपाने के आरोप लगे हैं | इन मामलों की वजह से वैटिकन के पोप फ़्रांसिस पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं | साथ ही चिली में मौजूद तमाम चर्चों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है |
लेकिन चर्च में पादरियों के ज़रिए यौन उत्पीड़न किया जाना कोई नई बात नहीं है, दरअसल यह सब दशकों पहले से होता आ रहा है |
माना जाता है कि इसकी शुरुआत सालों पहले सैंटिएगो के एक चर्च के पादरी फ़ादर फ़र्नेंडो कारादिमा ने की थी | वे चिली के सबसे कुख्यात यौन उत्पीड़क के तौर पर जाने जाते हैं |
तानाशाही और पादरी के पास शरण :-
50 साल के हो चुके डॉक्टर जेम्स हेमिल्टन एक सर्जन हैं. वे याद करते हुए बताते हैं, ''वो हमें ईश्वर की नज़र से दुनिया दिखाने की बात करते थे, वो हमें एक अलग ही संसार दिखाते थे | वो हमेशा कहते थे कि उनके पास एक जादुई उपहार है जिससे अगर ईश्वर ने चाहा तो वो हर युवा के भीतर तक देख सकते हैं | वे किसी संत के जैसे लगते थे |''
वह 1980 के दशक का शुरुआती दौर था | चिली में जनरल ऑगस्टो पिनोशे का शासन था | वह एक तानाशाह थे, उस दौरान चिली में बहुत सी हत्याएं हुई थीं | उस समय किशोर उम्र के जेम्स हैमिल्टन को फ़ादर फ़र्नेंडो कारादिमा ने अपने यहां शरण दी थी | दरअसल जनरल पिनोशे के अत्याचारों से लोगों को बचाने के लिए सैंटिएगो के चर्च में लोगों को शरण दी जाती थी |
जेम्स बताते हैं, ''एक युवा आदमी के लिए वह शरण मिलना ऐसा था जैसे मधुमक्खी को शहद मिल गया हो. जिस वक़्त आप अपने परिवार के साथ संघर्ष कर रहे हों तब कोई आपकी मदद करे तो वह दुनिया का सबसे बेहतरीन इंसान लगता है |''
जेम्स के पिता अपना घर और परिवार छोड़कर जा चुके थे, उस छोटी सी उम्र में जेम्स के पास दो ही रास्ते थे या तो वे पिनोशे के ख़िलाफ़ चल रहे संघर्ष में शामिल हो जाते या फिर कैथोलिक चर्च के दिखाए रास्ते पर चल पड़ते |
जेम्स बताते हैं कि वे डॉक्टर बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने हिंसा की जगह शांति का रास्ता चुना |
जब शुरू हुआ यौन उत्पीड़न :-
एक ओर जहां चर्च की तरफ से पिनोशे की तानाशाही से त्रस्त लोगों को बचाने के प्रयास किए जा रहे थे, वहीं दूसरी ओर कुछ पादरी ऐसे भी थे जिन्हें लगता था कि पिनोशे चिली के उद्धारक और तारणहार हैं., इन्हीं पादरियों में से एक थे फ़ादर कारादिमा...
जेम्स हैमिल्टन को कुछ विशेष युवाओं के तौर पर कैथोलिक कार्यक्रम के लिए चुना गया था | इन युवाओं को एल बोस्क़ शहर में आयोजित फ़ादर कारादिमा के संबोधन में शामिल होना था |
इस विशेष कार्यक्रम के लिए चुने जाने पर जेम्स को बहुत खुशी हो रही थी उन्हें लग रहा था कि वे अलग हैं, विशेष हैं |
लेकिन फिर शुरू हुआ यौन उत्पीड़न का सिलसिला...
जेम्स को आज भी उन सब बातों पर यकीन नहीं होता, जो कुछ भी उनके साथ हुआ उसके लिए कहीं न कहीं वे खुद को ही दोषी मानते हैं |
जेम्स कहते हैं, ''जो कुछ भी हो रहा था उस पर यकीन करना मुश्किल था, वह सब बहुत ही परेशान और हैरान करने वाला था | ऐसा कैसे हो सकता था कि उनके जैसा संत आदमी अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए यह सब करेगा, ऐसा नहीं हो सकता था |''
दरअसल जेम्स खुद को इसलिए भी दोषी मानते हैं क्योंकि जिस तरह से कारादिमा उनका यौन शोषण कर रहे थे, वे उनके शरीर के साथ-साथ उनके मन-मस्तिष्क के साथ भी खेल रहे थे |
चर्च में कारादिमा के सहयोगी :-
जेम्स याद करते हैं, ''जब कभी भी वो मेरा उत्पीड़न करते तो उसके बाद वो मुझे दूसरे पादरी के पास भेजते कि मैं अपने ग़ुनाह को कन्फ़ेस करूं, इससे मुझे लगता कि ये सबकुछ जो हो रहा है वह मेरी गलती है और मैं हमेशा आत्मग्लानि से भरा रहता |''
''इतना ही नहीं वह दूसरा पादरी जिन्हें कि इस बारे में सबकुछ पता था, वे हमेशा चुप रहते | वे मुझसे बस इतना कहते कि धैर्य रखो, चिंता मत करो |''
एल बोस्क़ के चर्च में कारादिमा ने अपने आस-पास ऐसे लोगों को जुटा लिया था जो हमेशा उनकी गलत हरकतों को छिपाने का काम किया करते |
उन्होंने दर्ज़नों युवाओं को पादरी बनने के लिए तैयार किया और उनके ज़रिए तैयार चार पादरी आगे चलकर बिशप बने |
कारादिमा ने जेम्स हैमिल्टन का यौन उत्पीड़न लगभग दो दशक तक किया, वे तब भी नहीं रुके जबकि जेम्स डॉक्टर बन गए उनकी शादी हो गई और यहां तक कि उनके बच्चे भी हो गए |
जेम्स पिछले 14 साल से साइकोथेरेपी की मदद ले रहे हैं. वे हफ़्ते में तीन बार साइकोथेरेपी करवाते हैं | इसके ज़रिए वे यह समझने की कोशिश करते हैं कि जो उत्पीड़न उनके साथ हुआ उसका असर कितना गहरा है |
बच्चों पर महसूस हुआ ख़तरा :-
एक युवा आदमी के तौर पर जेम्स को लगता था कि वे बेहद मजबूर हैं, जब कभी वो अपनी पत्नी के साथ एल बोस्क़ में डिनर के लिए जाते तो कारादिमा किसी मेडिकल उपचार की बात कहकर उन्हें डिनर टेबल से उठाकर अपने साथ ऊपर के कमरे में ले जाते |
जेम्स बताते हैं, ''मैंने कई बार कारादिमा से दूर रहने की कोशिश की, लेकिन जब कभी मैं ऐसी कोशिश करता तो फ़ादर मुझे दो-तीन बिशप या पादरियों के सामने पेश कर देते और फिर वो मुझे एक कमरे में ले जाकर कहते कि मेरे भीतर कोई प्रेत घुस गया है ।''
आखिरकार साल 2004 में जेम्स ने कारादिमा के ख़िलाफ़ अपनी चुप्पी तोड़ ही दी. इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि उन्हें अपने बच्चों पर ख़तरा महसूस होने लगा था, खासतौर पर अपने बेटे पर |
जेम्स ने कारादिमा की शिकायत चर्च के अधिकारियों से की, उस वक़्त उन्हें यह नहीं मालूम था कि पिछले दो साल में वे दूसरे शख़्स हैं जो एल बोस्क़ के किसी पादरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा रहे हैं |
लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी कैथोलिक चर्च ने चुप्पी साधे रखी, उनकी तरफ से तब तक कोई जांच नहीं करवाई गई जब तक कि कारादिमा के ख़िलाफ़ बहुत ज़्यादा पुख्ता सबूत नहीं मिल गए |
साल 2009 में जेम्स की शादी टूट गई, तलाक़ की अपनी अर्ज़ी में जेम्स ने कारादिमा के जरिए किए गए उनके यौन उत्पीड़न को शादी टूटने का मुख्य कारण बताया |
इसके बाद चर्च ने जेम्स पर दबाव बनाया और पादरी ने उनसे तलाक़ ना लेने की गुज़ारिश की.
जेम्स बताते हैं, ''उन्होंने मुझसे कहा कि मैं एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर दूं जिसमें लिखा था कि जब मैं कारादिमा से मिला तब मैं नाबालिग नहीं था और उनके और मेरे बीच जो संबंध था वह पुरुषों के बीच होने वाला संबंध था.''
लेकिन जेम्स ने ऐसे किसी भी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए, उन्होंने तलाक़ ले लिया |
कारादिमा के ख़िलाफ़ केस:-
इसके बाद जब उनके तलाक़ की जानकारियां लीक हुईं तब चर्च को फ़र्नेंडो कारादिमा के ख़िलाफ़ जांच करनी पड़ी |
इस बीच जेम्स की मुलाक़ात कुछ अन्य लोगों से हुई जिनके साथ भी कारादिमा ने यौन उत्पीड़न किया था |
साल 2010 में इन सभी लोगों ने मिलकर कारादिमा के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए केस दायर कर दिया |
वे सभी जानते थे कि चिली के क़ानून के अनुसार पादरी को जेल तो नहीं हो पाएगी, लेकिन वे चुप भी नहीं रहना चाहते थे |
जेम्स बताते हैं, ''हमारे नाम मीडिया में आ चुके थे, हमें बेहद बुरी नज़रों से देखा जा रहा था, मुझे ऐसा लगता था कि कोई मेरा कत्ल कर देगा, कोई मेरी कार के नीचे बम रख देगा या मेरी गाड़ी के ब्रेक फ़ेल कर देगा, पिनोशे की तानाशाही में इसी तरह की चीज़ें होती थीं और कारादिमा तो पिनोशे को पसंद करते थे |''
पोप के ख़िलाफ़ गुस्सा :-
फ़र्नेंडो कारादिमा अब 88 साल के हैं, वो सैंटिएगो शहर में स्थित एक मठ में रहते हैं, साल 2011 में वैटिकन ने उन्हें नाबालिगों का यौन उत्पीड़न करने का दोषी पाया |
उन्हें जीवन भर प्रायश्चित और प्रार्थना करने का आदेश सुनाया गया | साथ ही उन्हें किसी भी पूर्व पादरी या चर्च के व्यक्ति से संपर्क करने से रोक दिया गया, उन्हें चर्च के किसी भी कार्य में शामिल न होने का आदेश सुनाया गया |
कारादिमा का मामला सामने आने के बाद चिलीवासी हैरान रह गए | इसकी वजह से साल 2015 तक कैथोलिक चर्च को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा, इसके बाद जब पोप फ़्रांसिस ने जुआन बारोस को बिशप के तौर पर नियुक्त किया तो लोगों ने अपने गुस्से का खुलकर इज़हार किया |
दरअसल जुआन बारोस वही पादरी थे जिन पर कारादिमा को बचाने के आरोप लगे थे |
जनवरी 2018 मे जब पोप चिली के दौरे पर आए तो उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, सैंटिएगो से लौटने के बाद पोप फ़्रांसिस ने अपने दो दूतों को चिली में यौन अपराधों की जांच करने के लिए भेजा |
इन जांचकर्ताओं ने 2300 पन्नों की एक रिपोर्ट पेश की जिसके आधार पर पोप ने चिली में होने वाले यौन अपराध की बात को सही पाया गया | जांच के बाद चिली के पांच बिशप को अपने पद छोड़ना पड़ा, इनमें जुआन बारोस भी शामिल थे |
खुद पादरी भी पीड़ित:-
फिलहाल चिली में चर्च से जुड़े कुल 119 यौन अपराधों की जांच चल रही है | इनमें से 178 मामलों में पीड़ित की पहचान की जा चुकी है और इनमे से लगभग आधे मामलों में पीड़ित व्यक्ति के साथ जब यौन उत्पीड़न हुआ तब वे नाबालिग थे |
पीड़ित लोगों में चर्च के कुछ पादरी भी शामिल हैं | पिछले महीने फ़ादर फ़्रांसिस्को जेवियर ओसा फ़िगुएरोआ ने अपने बयान में बताया कि उनके साथ 1980 के दौरान एल बोस्क़ में क्या-क्या हुआ था |
उन्होंने बताया, ''वह सब दोबारा याद करना बहुत मुश्किल और कष्टभरा है, लेकिन मैं जानता हूं कि इससे दूसरे लोगों को मदद मिलेगी | हमें बहादुर बनने की ज़रूरत है, सिर्फ इसलिए नहीं कि मैं एक पादरी हूं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि एक इंसान के तौर पर मुझे नुकसान पहुंचाया गया | यह सब बताकर ऐसा महसूस होता है कि मेरे ऊपर से कोई भारी वजन उठा लिया गया हो, मुझे महसूस होता है कि मैं अकेला नहीं हूं |''
फ़ादर फ़्रांसिस्को को इस साल पोप की तरफ से रोम में आमंत्रित किया गया था ताकि वे पोप के सामने अपने अनुभव बता सकें |
इसके अलावा जेम्स हैमिल्टन और उनके साथ साल 2011 में कारादिमा की सच्चाई सबके सामने लाने वाले दो अन्य लोग जोस आंद्रेस मुरिलो और जुआन कार्लोस क्रुज़ को भी वैटिकन आने का निमंत्रण मिला |
पोप फ़्रांसिस ने इन सभी के सामने स्वीकार किया कि उनकी तरफ से चिली में हुई इन तमाम घटनाओं के सिलसिले में बड़ी भूल हुई |
फ़ादर फ़्रांसिस्को जेवियर ओसा फ़िगुएरोआ के साथ भी कारादिमा ने यौन उत्पीड़न किया था |
हालांकि जेम्स पोप के इस बयान से बहुत अधिक प्रभावित नहीं हैं |
वे कहते हैं, ''पोप ने हमसे कुछ भी नहीं कहा, उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि वे आगे क्या करने जा रहे हैं | उन्होंने बस हमसे कहा कि हम प्रार्थना करें |''
डॉक्टर जेम्स हैमिल्टन ने सालों साइकोथेरेपी की जिसकी मदद से अब वे अपने दुख और पीड़ा से उबर सके हैं, लेकिन इन सबके बीच उन्होंने बहुत कुछ गवां भी दिया है |
वे यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर या मुख्य सर्जन के तौर पर अपना करियर बरकरार नहीं रख सके |
जेम्स चाहते हैं चिली के कैथोलिक चर्च में बैठे तमाम पदाधिकारी अपने कर्मों की ज़िम्मेदारी लें |
वे कहते हैं, ''उन्होंने मेरे दिल मेरी आत्मा का क़त्ल कर दिया...जब आप किसी की आत्मा को मार देते हैं, तो आप उसे पूरी तरह खत्म कर देते हैं और एक सर्जन होने के नाते मैं यह बात पुख्ता तौर पर कह सकता हूं. जिन बच्चों का यौन शोषण हुआ उनका जीवन 20 साल कम हो गया, तो बताइए हम उन गुनहगारों को क्या बुलाएं? वो अपराधी ही तो हैं |''
आपने पूरी कहानी पढ़ी इससे तो साफ पता चलता है कि ईसाई पादरियों का कार्य है कि लोगो को सच्चाई और धर्म के मार्ग पर ले चले लेकिन यही पादरी दुष्कर्म करना शुरू कर देते है तब तो भगवान ही रक्षा करें ।
दुष्कर्म करने वाले पादरी भारत मे धर्मान्तरण करवा रहे है, मानव तस्करी कर रहे है और चोला धर्म का पहना हुआ होता है । हिन्दुस्तानी ऐसे दुष्कर्मी लोगो से सावधान रहें अपने धर्म पर विश्वास रखे पवित्र साधू-संत व शास्त्रों का सहारा लेकर अपना जीवन धन्य करें, ऐसे पादरियों के चक्कर मे आकर अपना महान धर्म का त्याग नही करे ।
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