Wednesday, February 23, 2022

हिंदू से मुस्लिम में धर्मांतरण जोरों पर, ATS ने पकड़े मौलाना, विदेश से फंडिग

21 जून 2021

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भारत में हिंदुओं की जनसंख्या कम करने का षड्यंत्र बड़े पैमाने पर चल रहा है, इसमें लालच देकर ब्रेनवॉश करके धर्मांतरण कराने का कार्य पुरजोर से चल रहा है; सालों से ईसाई मिशनरी तो इसमें लगी हुई है, अब मुस्लिम समुदाय के मौलाना भी धर्मांतरण करते पकड़े गए। इसके पीछे का मुख्य कारण है- वोटबैंक बढ़ाकर सत्ता हासिल करना, इसलिए सभी देशवासी इनसे सावधान रहना। अगर आपके आसपास ऐसा कोई करता है तो कानून के जरिये उनको रोकें।



यपी ATS ने किया भांडाफोड़


यूपी ATS ने मूकबधिर छात्रों व कमजोर आय वर्ग के गरीबों-असहायों को धन, नौकरी व शादी करवाने का प्रलोभन देकर धर्मांतरण करानेवाले एक बड़े गिरोह के दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर अब तक करीब 1000 मूकबधिर महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। यही नहीं, इस मामले में यूपी पुलिस ने आईएसआई से जुड़े होने और विदेशी फंडिंग होने का शक भी जताया है।


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये इस्लामी गिरोह ब्रेनवाश के जरिए हिंदुओं का धर्मांतरण कराते थे। एडीजी (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार के मुताबिक मजहबी धर्मांतरण करके लोगों को रेडिकलाइज कराया जा रहा था।


रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपित मौलानाओं की पहचान मुफ्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी पुत्र ताहिर अख्तर निवासी ग्राम जोगाबाई, जामिया नगर, नई दिल्ली व मोहम्मद उमर गौतम पुत्र धनराज सिंह गौतम निवासी बाटला हाउस, जामिया नगर, नई दिल्ली के रूप में हुई है। मोहम्मद उमर गौतम का खुद इस्लामीकरण हुआ था।


गौरतलब है कि पुलिस महानिदेशक यूपी के निर्देशन में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) द्वारा चलाए जा रहे एक बड़े अभियान के दौरान यूपी एटीएस को पिछले काफी समय से यह सूचना प्राप्त हो रही थी कि कुछ देशविरोधी व असामाजिक तत्व, मजहबी इस्लामी संगठन या सिंडिकेट पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई व विदेशी संस्थाओं के निर्देश व उनसे प्राप्त फंडिंग के आधार पर गरीब असहाय हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।


इतना ही नहीं ये लोग उनके मूल हिन्दू धर्म के प्रति नफरत फैलाकर उन्हें संगठित अपराध के लिए भड़का रहे थे। इस सूचना पर यूपी एटीएस ने कार्रवाई करते हुए दोनों मौलानाओं को गिरफ्तार किया है। 


फिलहाल यूपी एटीएस की टीम करीब चार दिन से इनसे पूछताछ करके सबूत जुटा रही थी। पकड़े गए मौलाना जहाँगीर और उमर गौतम के लखनऊ के बड़े मुस्लिम संस्थानों से जुड़े होने की बात भी सामने आई है। 


इस मामले में एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई अहम खुलासे किए हैं। एडीजी ने बताया कि पहले विपुल विजयवर्गीय और कासिफ की गिरफ्तारी हुई थी जिनसे पूछताछ में सूचना मिली कि एक बड़ा गैंग है जो प्रलोभन देकर लोगों का धर्म परिवर्तन कराता है। पूछताछ में उमर गौतम का नाम आया, जो बाटला हाउस, जामियानगर का रहने वाला है। इसने भी अपना धर्म परिवर्तन किया है। इन्हें तीसरी बार पूछताछ के बाद रविवार को गिरफ्तार किया गया।


उन्होंने बताया कि पूछताछ में लगभग 1000 लोगों की लिस्ट सामने आई है जिनको प्रलोभन और पैसे देकर धर्मांतरित किया गया। एडीजी ने कहा कि विदेशी फंडिंग के जरिए देश के सौहार्द को बिगाड़ने का काम किया जा रहा है। इन्होंने नोएडा, कानपुर, मथुरा, वाराणसी वगैरह जिलों के गरीबों को निशाना बनाया।


एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार के अनुसार, उमर गौतम खुद धर्मान्तरण कर हिंदू से मुस्लिम बना है जिसने यूपी के अन्य जनपदों के गैर मुस्लिम मूकबधिर महिलाओं और बच्चों का सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराया है। उमर और उसके सहयोगी जामियानगर से एक संस्था चलाते हैं जिसका मुख्य उद्देश्य गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराना है। इस कार्य के लिए बैंक खातों और अन्य माध्यमों से भारी पैसे उपलब्ध कराए जाते हैं।


मकबधिर बच्चों को निशाना बनाने पर एडीजी ने बताया, “डेफ सोसाइटी नोएडा सेंटर 117, मूक बधिर का रेजिडेंशियल स्कूल है। यहाँ छात्रों को नौकरी व शादी का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है। छात्र के परिजनों को इसकी जानकारी नहीं होती है। ऐसे ही एक बच्चे आदित्य गुप्ता के माता-पिता से हमने पूछताछ की तो कई खुलासे हुए हैं।


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे के परिजनों ने यूपी पुलिस को बताया कि पहले उन्होंने अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट कराई थी जिसे बाद में 364 में परिवर्तित कर दिया गया था। यह भी बताया कि उनका बेटा मूकबधिर है। धर्म परिवर्तन कराकर साउथ के किसी राज्य में ले जाया गया है। इसके बारे में उनके मूकबधिर बच्चे ने वीडियो कॉल से बताया। इसी तरह गुड़गाँव का भी एक केस सामने आया। जिन बच्चों ने धर्म परिवर्तन किया वो इतने डरे हुए हैं कि आगे आकर कुछ बता नहीं पा रहे हैं।


https://r.com/OpIndia_in/status/1406903259403534338?s=19


समय रहते जग जाना चाहिए और आपस में संगठित होकर धर्मांतरण करनेवालों पर रोक लगानी चाहिए। अपने बच्चों एवं आसपास के लोगों को सनातन धर्म की महिमा बताकर जागरूक करना चाहिए, तभी देश व आनेवाली पीढ़ी की सुरक्षा होगी।


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मोदीजी से टी राजा सिंह ने की अपील- छोड़ दीजिये आशाराम बापू को

20 जून 2021

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गौरक्षा के प्रति एवं धर्मसेवा के प्रति कई वर्षों से मेरी रुचि रही है, कई वर्षों से मैं लगातार कार्य करता आ रहा हूँ। हमारी जो हिन्दू संस्कृति है उसका सर्वनाश करने के लिए एक तरफ से इस्लामी लोग व एक तरफ से ईसाई लोग प्रयास कर रहे हैं- इन दोनों ओर से हमारी संस्कृति का सर्वनाश किया जा रहा है और उसके ज्यादातर जिम्मेदार हम लोग भी हैं क्योंकि अगर हम हमारी संस्कृति को बचाने के लिए कार्य करेंगे तो ही हमारी संस्कृति बचेगी।- यह बात तेलंगाना राज्य के गोशामहल निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक श्री टी. राजासिंह ने कही।



https://youtu.be/ey9TN4UYwvk


उन्होंने आगे कहा कि मैं तो संत आशारामजी बापू के चरणों को प्रणाम करता हूँ  क्योंकि बापूजी ने हमारी संस्कृति की रक्षा के लिए कई गुरुकुलों व स्कूलों का निर्माण किया है। मैं तो मेरे सारे हिन्दू भाई-बंधुओं को यही प्रार्थना करूँगा कि अगर आप चाहते हो- धर्म की रक्षा हो, अगर आप चाहते हो- संस्कृति की रक्षा हो तो कोई अपने बच्चों को क्रिश्चियन स्कूल में ना डाले, किसी कान्वेंट स्कूल में न डाले। जहाँ पर हमारी हिन्दू संस्कृति के विषय में बताया जाता है वहाँ अपने बच्चों को डाले।

ये मैं सबसे प्रार्थना करना चाहता हूँ और साथ ही आज बड़े दु:ख के साथ मुझे ये कहना पड़ रहा है कि धर्म की रक्षा के लिए एवं धर्मातरण को रोकने के लिए संत आशाराम बापूजी ने कार्य किये हैं। कांग्रेस की सरकार के समय पर सोनिया गांधी एवं उनके सभी सहयोगी गणों ने एक षड्यंत्र रचा क्योंकि लोग हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे थे पर जहाँ-जहाँ संत आशारामजी बापू गए वहाँ लाखों की संख्या में ईसाई बने हिंदुओं की पूर्ण रूप से  घरवापसी कराई और हिन्दू धर्म की महिमा बताई।


उन्होंने आगे बताया कि यह सब सोनिया गांधी से देखा न गया कि जो हिन्दु पूरी तरह से कन्वर्ट हो चुके थे, धर्मांतरित हो चुके थे, उन्होंने संत आशारामजी बापू के सत्संग से फिर से हिन्दू धर्म अपना लिया। इससे उसकी सीट खतरे में आ गई और कांग्रेस की मिलीभगत ने संत आशारामजी बापू को इस गंदे केस में फंसाया। जिससे उन्हें कुछ लेना देना नहीं, ऐसे केस में आशारामजी बापू को फंसाया गया।


टी राजा सिंहजी ने आगे बताया कि  आशारामजी बापू जेल में हैं। ठीक है, उस समय कांग्रेस की सरकार थी। सोनिया गांधी की सरकार थी। उन्होंने षड्यंत्र करके फंसाया। लेकिन अभी तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। और मैं भारतीय जनता पार्टी का विधायक होने से पहले एक हिन्दू हूँ। मेरा संकल्प है- साधु संतों की रक्षा करना, हिन्दू संतों का मान सम्मान करना; अगर साधु संतों को किसी प्रकार की कठिनाई आये तो यथाशक्ति मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा। सबसे पहले हमारा यही कर्तव्य है।


टी राजा सिंहजी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- मैं हमारे नरेन्द्र मोदीजी से यही निवेदन करना चाहता हूँ कि संत आशारामजी बापू और उनके बेटे, जो उस केस में इंवॉल्व नहीं हैं वो आज जेल में हैं। हमारे साधु संत जेल में हैं। केस में कुछ दम नहीं है, सिर्फ केस को लंबा खीचना, बापूजी का मनोबल तोड़ना- ऐसा षड्यंत्र रचा जा रहा है। मुझे विश्वास है कि निर्दोष आएंगे हमारे आशारामजी बापू।


🚩राजा सिंह जी का अनुयायियों को संदेश :-


संत आशारामजी बापू के भक्तों को मैं एक निवेदन करना चाहता हूँ, प्रणाम करना चाहता हूँ उनके चरणों को, आप बस संतुलन न खोइये, संगठित रहिये, बुरा समय बस खत्म हो चुका है, अच्छा समय अब आने वाला है।


जिस प्रकार से साध्वी प्रज्ञा सिंह बिना किसी केस के, बिना किसी आरोप के, 9.5 साल बाद जेल से रिहा हो चुकी हैं उसी प्रकार से हमारे आशारामजी बापू निर्दोष साबित होंगे और फिर से वो हमारे बीच आएंगे, सबको आशीर्वाद देंगे।


भगवान से प्रार्थना कीजिए। भक्ति में बहुत शक्ति होती है, साधना में बहुत शक्ति होती है, भगवान से बस प्रार्थना कीजिए कि संत आशारामजी बापू जल्द से जल्द जेल से छूट जाएं।


https://youtu.be/2M-_SKDpB4U


गौरतलब है कि इससे पहले मीडिया से बातचीत करते समय राजा सिंह ने कहा था कि आज हमारे नरेन्द्र मोदीजी की हिंदुत्ववादी सरकार है, लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि हमारी सरकार आने के बाद भी आज संत आसारामजी बापू अंदर हैं। अब बहुत हो चुका संत आसारामजी बापू को जेल से बाहर लाने की आवश्यकता है। देश को ऐसे संत के मार्गदर्शन की आवश्यकता है।


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भारत के इतिहास में 21वीं सदी का सबसे बड़ा अन्याय इससे बढ़कर नहीं होगा

19 जून 2021

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इस देश में न्यायपालिकाएं बिकती हैं, प्रभावित होती हैं- यह मैं पहले भी कह चुका हूँ, आगे भी कहता हूँ, कैमरे पे कहता हूँ; क्योंकि मुझे ये कहने में डर नहीं है। खुद न्यायपालिका के अंदर के ही सिस्टम के अंदर के जज से लेकर मजिस्ट्रेट, वकील इस बात को दोहरा चुके हैं इसलिए इन व्यवस्थाओं से बहुत ज्यादा भरोसा करने की जरूरत नहीं है- यह बात किसी साधारण व्यक्ति ने नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी चैनल सुदर्शन न्यूज़ के मुख्य संपादक ने ये बात कही है।



भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया था कि आशाराम बापू का केस बोगस है, उनकी जमानत लगातार खारिज करना न्यायपालिका की 21वीं सदी की सबसे बड़ी चूक है।


https://twitter.com/Swamy39/status/766258483054321664?s=19


आपको बता दें कि हिंदू धर्मगुरु आशाराम बापू 8 साल से जोधपुर जेल में बंद हैं। उनकी उम्र 85 वर्ष की है। जोधपुर जेल में कई कैदी कोरोना संक्रमित हुए थे, इसके कारण वे भी संक्रमित हुए और अस्पताल में भर्ती किये गए, उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है, उन्होंने जीवनभर आयुर्वेद का प्रचार किया और उसीका उपचार लिया है पर आज उनकी उम्र इतनी होते हुए भी एलोपैथी दवाई दी जा रही है, आयुर्वेदिक चिकित्सा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है, वे न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं, जोधपुर कोर्ट बोलती है- सुप्रीम कोर्ट जाओ और सुप्रीम कोर्ट बोलती है- हाईकोर्ट जाओ और कोर्ट में गहलोत सरकार विरोध करती है कि इलाज जोधपुर में ही करवाया जाएगा हम दूसरी जगह आयुर्वेदिक इलाज के लिए नहीं भेजेगें।


कया आशारामजी बापू कोई आतंकवादी हैं, जो उनको अपना इलाज करने के लिए भी अनुमति नहीं दी जा रही है? जबकि एक आतंकवादी को बचाने के लिए आधी रात को कोर्ट खोली जाती है, आतंकवादी को उसका मनपसंद भोजन बिरयानी दी जा रही थी लेकिन राष्ट्र व धर्म की सेवा करनेवाले हिंदू संत आशाराम बापू को भारतीय पद्धति से इलाज कराने के लिए अनुमति नहीं दी जा रही है? वे अपने घर नहीं जाना चाहते हैं, अपने परिवार से नहीं मिलना चाहते हैं, अपने आश्रमों में नहीं जाना चाहते, अपने शिष्यों को नहीं मिलना चाहते, वे सत्संग नहीं करना चाहते, वे केवल बस इतनी उम्र में स्वास्थ्य खराब होने पर केवल अपना आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज कराना चाहते हैं उसमें भी तारीख पर तारीख दी जा रही है। ये कहां तक उचित है? क्या कोर्ट किसीके दबाव में कार्य कर रही है कि उनका हीमोग्लोबिन 3.7 होने पर भी जमानत नहीं दे रही है?


आपको बता दें कि जिस लड़की ने आशाराम बापू पर आरोप लगाया है उस लड़की ने ये भी बताया था कि आशाराम बापू के सेवक शिवा ने उसे जोधपुर बुलाया था और प्रकाश सेवक अंदर ले गया था, पर जब कोर्ट का फैसला आता है उसमें साफ लिखा है कि शिवा ने बुलाया ही नहीं था और वो जोधपुर में नहीं था, ट्रेन में था उस समय उसकी टिकट भी मिली थी, दूसरी ओर प्रकाश सेवक को भी बरी कर दिया कि ये लड़की को अंदर कुटिया में लेकर गया ही नहीं था। अब इतना बड़ा सच सामने है फिर भी बापू आशारामजी को सजा देना ये कोई साजिश तो नहीं है?


आपको बता देते हैं कि जिस समय लड़की ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उस समय तो वो अपने मित्र से कॉल पर बात कर रही थी और बापू आशारामजी किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे, वहाँ पर 50-60 लोग भी थे, उन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है, लड़की का कॉल डिटेल भी दिया गया है।


आपको बता दें कि आरोप लगानेवाली लड़की ने रेप का आरोप नहीं लगाया है, बल्कि लिखाया है कि मेरे साथ छेड़छाड़ हुई है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि लड़की को टच भी नहीं किया गया है। इससे साफ होता है कि लड़की के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।

वीडियो में यह देख सकते हैं।

https://youtu.be/V0sr9yHj1Go


इन सब पुख्ता सबूतों के होते हुए भी उनको आजीवन कारावास की सजा देना और आजतक जमानत नहीं देना- ये हिंदू धर्मगुरु को खत्म करने का कोई बड़ा षड्यंत्र तो नहीं है? 


बापू आशारामजी की तरफ से निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका डाली गई है। कल को अगर हाईकोर्ट में आशारामजी बापू निर्दोष साबित होते हैं तो सरकार, मीडिया और न्यायालय अपनी गलती मानेंगे?? और मान भी लें तो इंसानियत का तो गला आपने घोंट ही दिया, बाद में माफी मांगने से क्या फायदा? इतना उनका समय, पैसा, इज्जत और स्वास्थ्य गया उसका जिम्मेदार कौन होगा?


सत आशाराम बापू ने करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बनाया। लाखों लोगो की घर वापसी करवाई,  आदिवासियों को धर्मांतरित होने से बचाया। विदेशों में भी सनातन धर्म का परचम लहराया।


करोड़ों लोगो के व्यसन छुड़वाए, एलोपैथी से देशवासियों को आयुर्वेद पर लेकर आये।


वदिक गुरुकुल और बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को सनातन संस्कृति के दिव्य संस्कार दिए।ाने जाती हजारों गायों को बचाकर गौशालाएं खोल दी।


वलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन और क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस शुरू करवाया।


कया राष्ट्र और सनातन धर्म की सेवा करने का परिणामस्वरूप उनको षड्यंत्र करके जेल भिजवाया? अब हिंदुओं को सोचना होगा कि अगर कोई अन्य धर्म के गुरु होते तो आज देश में आग लग जाती लेकिन हिन्दू सहिष्णुता के नाम पलायनवादी हो गए हैं जिसके कारण आज हिन्दू धर्मगुरु जेल में हैं।


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अंग्रेज भी जिनके नाम से पसीने छोड़ देते थे उन महारानी लक्ष्मीबाई का जानिए इतिहास

18 जून 2021

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भारतीय नारी ने समग्र विश्व में अपनी एक विशेष पहचान बनायी है । अपने श्रेष्ठ चरित्र, वीरता तथा बुद्धिमत्ता के बल पर उसने मात्र भारत ही नहीं अपितु समस्त नारी जाति को गौरवान्वित किया है । उनका संयम, साहस व वीरता आज भी प्रशंसनीय है । भारत के इतिहास में ऐसी अनेक नारियों का वर्णन पढ़ने-सुनने को मिलता है ।



झाँसी कि रानी लक्ष्मीबाई का नाम भी ऐसी ही महान नारियों में आता है । रानी लक्ष्मीबाई का जीवन बड़े-बड़े विघ्नों में भी अपने धर्म को बनाये रखने तथा परोपकार के लिए बड़ी-से-बड़ी सुविधाओं को भी तृण कि भाँति त्याग देने की प्रेरणा देता है ।


सन् 1835 में महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण कुल में जन्मी "मनुबाई" जिसे लोग प्यार से ‘छबीली’ भी कहते थे अपनी वीरता एवं बुद्धिमत्ता के प्रभाव से झाँसी की रानी बनी । झाँसी के राजा गंगाधर राव से विवाह के पश्चात् वे ‘रानी लक्ष्मीबाई’ के नाम से पुकारी जाने लगीं ।


गगाधर राव वृद्ध तथा निःसन्तान थे । उनकी पहली पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी । राज्य का उत्तराधिकारी न होने के कारण उन्होंने वृद्धावस्था में भी विवाह किया । अपने धर्म को निभाते हुए लक्ष्मीबाई ने पति कि सेवा के साथ-साथ राजनीति में भी रुचि दिखाना प्रारम्भ कर दिया ।

समय पाकर गंगाधर राव को पुत्ररत्न कि प्राप्ति हुई परंतु एक गंभीर बीमारी ने राजकुमार के प्राण ले लिए । गंगाधर राव पर मानो वज्रपात हो गया और उन्होंने चारपाई पकड़ ली । श्वास फूलने लगा । रोगाधीन हो गए । उस समय देश में ब्रिटिश शासन था । सभी राज्य अंग्रेजी सरकार के नियमों के अनुसार ही चलते थे । राजा नाममात्र का शासक होता था । महाराज गंगाधर राव ने ब्रिटिश सरकार को इस आशय का एक पत्र लिखा : ‘‘रानी को अपने परिवार से किसी पुत्र को गोद लेने कि अनुमति दी जाय तथा भविष्य में उसी दत्तक पुत्र को झाँसी का शासक बनाया जाय ।’’


बरिटिश सरकार ने गंगाधर राव के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया । उसने आदेश पारित किया कि : ‘‘यदि रानी को कोई संतान नहीं है तो झाँसी राज्य को सरकार के आधीन कर लिया जाय ।’’ फिर झाँसी को अंग्रेजों ने हस्तगत कर लिया । गंगाधर राव को एक और चोट लगी और उनकी मृत्यु हो गई । एकलौते पुत्र के बाद अपने पति की मृत्यु तथा अंग्रेजों के प्रतिबन्धों के बावजूद भी भारत की इस वीरांगना ने अपना धैर्य नहीं खोया । उसने राज्य के शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली तथा अपने पति की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए दामोदर राव को अपना दत्तक पुत्र बना लिया ।


रानी का यह साहसिक कदम अंग्रेजों कि चिंता का विषय बन गया । उन्हें लक्ष्मीबाई के रूप में सुलगती क्रांति कि चिंगारी साफ-साफ दिखाई देने लगी । अंग्रेजी सरकार ने झाँसी के राज्य को तुरंत अपने अधीन कर लिया तथा गंगाधर राव के नाम पर रानी को मिलनेवाली पेन्शन भी बन्द कर दी । इसके साथ ही सरकार ने झाँसी में गोवध को बंद करने के रानी के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया । चारों ओर से विपरीत परिस्थितियों से घिरे होने तथा सैन्य-शक्ति न होने के बावजूद भी रानी लक्ष्मीबाई के मन मेे झाँसी को स्वतंत्र कराने के ही विचार आते थे ।

इसी समय भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों द्वारा कारतूस में गाय तथा सूअर कि चर्बी मिलाये जाने कि घटना के कारण अनेक स्थानों पर विद्रोह कर दिया । वीर मंगल पाण्डेय के बलिदान ने देशभर में क्रांति की आग फैला दी तथा 10 मई, सन् 1857 को इस विद्रोह ने भयंकर रूप ले लिया । देशभर में विद्रोह कि आँधी चल पड़ी जिससे अंग्रेजों को अपने प्राण बचाने भारी पड़ गये ।


झाँसी में क्रांति कि आग न लगे इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी कूटनीति का सहारा लिया । सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई से प्रार्थना की कि : ‘‘जगह-जगह युद्ध छिड़ रहे हैं और इसके पहले कि झाँसी भी इसकी चपेट में आये, आप राज्य कि रक्षा का दायित्व अपने हाथ में ले लें और हम सबकी रक्षा करें । झाँसी कि जनता आपसे अत्यधिक प्रेम करती है अतः आपकी इच्छा के विपरीत वह विद्रोह नहीं करेगी ।’’


रानी के लिए राज्य-प्राप्ति का यह एक सुंदर अवसर था जब अंग्रेज स्वयं उन्हें झाँसी राज्य का शासन सौंप रहे थे । रानी के एक ओर झाँसी का सिंहासन था तथा दूसरी ओर स्वतंत्रता कि वह क्रांति जो देशभर में फैल रही थी । रानी चाहती तो सरकार कि सहायता करके तथा झाँसी की क्रांति को रोककर अपने खोये हुए राज्य को प्राप्त कर सकती थी । परंतु धन्य है भारत की यह निर्भीक वीरांगना जिसने देश कि स्वतंत्रता के लिए सिंहासन को भी ठुकरा दिया । रानी ने स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे देशभक्तों कि सहायता करने का निश्चय किया । उन्होंने सरकार को जवाब देते हुए कहा : ‘‘जब मेरे सामने राज्य-प्राप्ति कि समस्या थी तब तो मुझे राज्य नहीं दिया गया । आज आप लोगों के हाथों से वही राज्य छिन जाने का समय आ गया तो राज्य की रक्षा का दायित्व मुझे दे रहे हैं ।’’


रानी के ये शब्द अंग्रेजी सरकार को तीर की भाँति चुभे । रानी ने अंग्रेजी सेना को अपने यहाँ शरण नहीं दी अतः उन्हें निराश होकर जाना पड़ा । सैनिक विद्रोह ने जोर पकड़ा तथा झाँसी में भी क्रांति की लहर चल पड़ी । अंग्रेजों की छावनियाँ तहस-नहस कर दी गईं तथा अंग्रेजों को झाँसी छोड़कर भागना पड़ा । झाँसी का राज्य क्रांतिकारियों के हाथों में आ गया । वहाँ उन्होंने लक्ष्मीबाई को रानी के रूप में स्वीकार कर लिया ।


रानी ने झाँसी में लगभग एक वर्ष तक शांतिपूर्वक शासन किया परंतु कुछ समय बाद झाँसी के राज्य पर फिर से अंग्रेजों कि काली दृष्टि पड़ी । जनरल ह्यू रोज के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया ।


रानी लक्ष्मीबाई के पास सैन्य-शक्ति अधिक नहीं थी । उधर उनकी सहायता के लिए आ रहे नाना साहब तथा तात्या टोपे की सेना को अंग्रेजों कि विशाल सेना ने रास्ते में ही रोक लिया । रानी के कई वफादार एवं वीर सिपाही युद्ध में शहीद हो गये । ऐसी परिस्थिति में भी लक्ष्मीबाई के साहस में कोई कमी नहीं आयी तथा परतंत्रता के जीवन कि अपेक्षा स्वतंत्रता के लिए मर-मिट जाना उन्हें अधिक अच्छा लगा । उन्होंने मर्दों की पोशाक पहनी तथा अपने दत्तक पुत्र को अपनी पीठ पर बाँध लिया । महलों में पलनेवाली रानी लक्ष्मीबाई हाथ में चमकती हुई तलवार लिये घोड़े पर सवार होकर रण के मैदान में उतर पड़ीं ।


मशर नदी के किनारे रानी लक्ष्मीबाई एवं जनरल ह्यू रोज कि सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ तथा रानी कि लपलपाती तलवार अंग्रेजी सेना को गाजर-मूली कि तरह काटने लगी । रानी कि छोटी-सी सेना अंग्रेजों कि विशाल सेना के आगे अधिक देर तक नहीं टिक सकी । दुर्भाग्यवश रानी के मार्ग में एक नाला आ गया जिसे उनका घोड़ा पार नहीं कर सका । फलतः चारों ओर से ब्रिटिश सेना ने उन्हें घेर लिया । अंततः अपने देश कि स्वतंत्रता के लिए लड़ते-लड़ते रानी वीरगति को प्राप्त हुईं जिसकी गाथा सुनकर आज भी उनके प्रति मन में अहोभाव उभर आता है । छोटे-से ब्राह्मण कुल में जन्मी इस बालिका ने अपनी वीरता, साहस, संयम, धैर्य तथा देशभक्ति के कारण सन् 1857 के महान क्रांतिकारियों की शृृखला में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा दिया ।


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धन कमाने में लगे हिंदू इस लेख को पढ़ लें, नहीं तो पछताना पड़ेगा !!

17 जून 2021

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हिरन पूरे दिन घास खाने में लगा रहता है, घास को प्रोटीन में बदलने में ही लगा रहता है। दूसरी तरफ माँसाहारी जानवरों को जब तक भूख नहीं लगती बस आराम से पड़े रहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनके लिए प्रोटीन का इंतजाम करने के लिए हिरण जो लगा हुआ है।



जब तक हिरण जिंदा है, जंगल में खूंखार जानवर मस्त सोते हैं पर हिरण जब कम होने लगते हैं तो ये भूखे-खूंखार नए जंगल की तलाश करते हैं।


हिन्दू रूपी हिरणों ने बड़ी मेहनत से सोना, चांदी, हीरे, ज्ञान-विज्ञान इकट्ठा किया था, क्या हुआ ?

एक खूंखार नस्ल साफ कर गई सब!!


ईरान लिया, अफगानिस्तान लिया, पाकिस्तान लील गये, कश्मीर लिया, बांग्लादेश लिया, केरल, बंगाल और असम भी गया ही समझो।


उस नस्ल ने सिर्फ शिकारी के गुण विकसित किये हैं...


अब पाकिस्तान और बांग्लादेश में खाने पीने की भयंकर कमी आ रही है क्योंकि हिन्दू, पंजाबी, सिंधी जैसे हिरण कम हो चुके हैं जिनकी वजह से इकोनॉमी चल रही थी। शेष कार्य सिर्फ शरीयत को 100 प्रतिशत लागू करना है, जिसकी वजह से धीरे धीरे पाकिस्तान, बांग्लादेश में हिरण खत्म हो रहे हैं और खूंखार नरभक्षी बढ़ रहे हैं। अब उन नरभक्षियों की नजर नए जंगलों पर हैं... वो है भारत। इसे ही वो 'गज़वा-ए-हिन्द' कहते हैं और उनकी मजहबी किताबों में हजारों साल पहले इसका जिक्र हो चुका है, हर शांतिप्रिय भेड़िये के मन में वो ऐसे बैठा हुआ है जैसे हमारे लिए राष्ट्रगीत।


इस आखरी जंग में सेना ज्यादा कुछ नहीं कर पायेगी क्योंकि ये जंग अंदर से शुरू होगी फिर बाहर से...


जितनी तेजी से पाक-बांग्लादेश से हिरण रूपी हिंदू कम हो रहे हैं उतनी ही जल्दी इसकी संभावना बढ़ रही है और ये जंग अचानक नहीं होगी..., हम पहले से ही हैं इस जंग में !! विश्वास न हो तो असम, त्रिपुरा, नागालैंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल आदि राज्यों के उनके बाहुल्य इलाके में घूम के आओ, वहाँ से हिंदू रूपी हिरणों ने घर और संपत्ति बेचकर कहीं और बसेरा बना लिया है।


हमारे यहाँ के हिरण कहाँ जाने की सोच रहे हैं ?


समझ लो ...


जब किसी मोहल्ले या कालोनी में हिन्दू 20% रह जाते हैं तब एक साइलेंट उत्पीड़न का दौर शुरू होता है ....


कछ इस प्रकार


◆1 - आप ... आपका परिवार रात को बेधड़क सो रहा होता है तभी आपका पड़ोसी सलमान अपनी दीवार (जो कि आपकी दीवार के साथ मिली होती है) में रात के 11 बजे कील ठोंकना शुरू कर देता है ।


◆2- मुर्गे बेचने वाला अब्दुल हजार मुसलमानों का घर छोड़ के सिर्फ आपके सामने वाले सलीम के चबूतरे पर बैठ के मुर्गे काटना शुरू कर देता है ।


◆3- कल रात अब्दुल के घर आई मीट की, खाली काली पन्नी सुबह आपके दरवाजे पर फड़फड़ाती मिलेगी ।


◆4 - रज़िया का बच्चा रोज आपके चबूतरे पर लैट्रिन कर जाएगा। कभी रज़िया आकर साफ करेगी, कभी कह देगी मेरे बच्चे ने नहीं किया है । मजबूरन आपको साफ करना पड़ेगा ।


◆5- आपके घर में जवान बहु-बेटी हैं तो आपसे तीन मकान छोड़ के रहने वाले गफूर मियां के यहां दिन भर अवारागर्दों का अड्डा जमा रहेगा। वो आवारा गाहे बगाहे बिना जरूरत ही आप के घर के सामने से बार बार निकलेंगे आपस में गन्दी-भद्दी गालियों भरी भाषा आपकी ही बहन-बेटियों को सुनाते हुए।


◆6- नामाज के टाइम आप से चौथे मकान वाले शराफत मियां आपका tv बंद कराना कभी नहीं भूलते ।


◆7 - होली के रंग से इस्लाम खतरे में पड़ जाता है और दीवाली के पटाखे से बकरियों को परेशानी होती है ।


◆7- बकरीद पर तो महीनों तलक आप को गंदगी और बदबू से निज़ात नहीं मिलने वाली ।


◆8 - आप कितने भी शरीफ हों ... महीने में तीन चार बार आप से लड़ाई का बहाना वो ढूंढ ही लेते हैं ।


◆9 - पुलिस प्रशासन से शिकायत करें तो आप अकेले पड़ जायँगे और उनकी तरफ से हजार लोग आपको ही झगड़ालू और साम्प्रदायिक बताने लग जायँगे ।


य सब उत्पीड़न के तौर तरीक़े साबित करना आपके बस की बात नहीं ।


आपके शुभचिंतक आपको वहाँ से पलायन की सलाह देंगे और प्रशासन इसे आपका निजी मामला बताएगा !!


बाकी करना क्या है आप खुद समझदार हैं, दिमाग़ में आया.... सोचा बता दें, नहीं विश्वास तो अपने बाप दादा या किसी बुजुर्ग से पूछ लेना जिन्होंने भारत-पाकिस्तान का विभाजन अपनी आंखों से देखा है और कश्मीरी पंडितों को वो सब बता देंगे। - नारायण चौधरी


आपको बता दें कि भारत के ही 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं और देश के जिन इलाकों में हिंदू कम हैं, वहाँ से पलायन कर रहे हैं।अभी भी जाति-पाति में बंटते रहे, हिंदुत्ववादी नेताओं को वोट नहीं दिया और साधु-संतों की बात नहीं मानी, राष्ट्रवादी पत्रकारों को नहीं सुना तो फिर कश्मीरी पंडितों की तरह तैयार रहना।


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Tuesday, February 22, 2022

आजादी के बाद सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया गया जिनको वो हैं संत आसाराम बापू

16 जून 2021

azaadbharat.org


राष्ट्रवादी चैनल सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके ने कहा कि आजादी के पहले की स्थिति और मुगलों के समय का तो मुझे पता नहीं लेकिन आजादी के बाद हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा षड्यंत्रपूर्वक जिनको प्रताड़ित किया गया उन संत का नाम है आसाराम बापू जी। सबसे ज्यादा प्रताड़ित..इतनी प्रताड़ना की पराकाष्ठा मैंने कहीं नहीं देखी ।

https://youtu.be/J7MKLGCTxEk



हम सब जानते हैं कि कैसे कानून का दुरुपयोग किया गया है ।


सरेश जी ने आगे कहा कि यात्री भाइयों को बताना चाहता हूँ कि कानून का मिसयूज कैसे किया जाता है मैक्सिमम मतलब उस Max का अंत नहीं इतना सब कुछ। बापू आशारामजी पर आरोप लगाने वाली उस लड़की की उम्र के कारण पॉक्सो एक्ट लगाया गया जबकि वह अल्पायु नहीं है बाकि डॉक्यूमेंट है किसी ने सुने न सुने ।


जो घटना घटी वहां पर मैं खुद गया था और खुद जाकर वह डिस्टेंस कितना है वो सब चेक किया । वाकई में क्या हुआ होगा इतनी देर में और मेरे साथ में मैं और कई पत्रकार और पुलिस अधिकारियों को भी लेकर गया था। ऐसे कई चीजों का विश्लेषण किया और कितनी चीज है जो हमारे (बापू आशारामजी के ) पक्ष में है उसके बावजूद भी किसी चीज को कानून के कटघरे में डाल दो और सालों किसी को जेल में सड़ाओ । मैंने तो ऐसा दूसरा कोई केस देखा नहीं जो बापूजी के बारे में देखा है ।


अत्याचार सहकर भी सेवाकार्य कर रहे हैं


सरेश जी ने आगे बताया कि बापू आशारामजी तो अंदर है लेकिन यह लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी ) जो आज बापू आसारामजी का नाम लेकर इतना बड़ा कार्य चला रहे हैं विभिन्न आपदाओं के बावजूद कितनों को क्या-क्या झेलना नहीं पड़ा होगा पहले कुछ समय तक तो यह मीडिया वालों की गंदी गेम के कारण बापू आसारामजी का नाम लेकर चलने वाले व्यक्ति की तरफ लोग गलत निगाह से देखते थे, कितनी हीन भावना से कैसे कैसे गंदे कॉमेंट्स रहे होंगे, काम करना कितना मुश्किल रहा होगा ।


मित्रों! जो बापू आसारामजी के भक्तों ने झेला है मुझे लगता है कि इस देश में किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता नेता या यहां तक कि बंगाल, केरला में जो राजनीतिक कार्यकर्ता पर अत्याचार होते हैं उससे भी 1000 गुना ज्यादा अत्याचार बापू आसारामजी के भक्तों पर हुए।  कितनी महिलाओं को लाठी डंडे झेलने पड़े कितने लोगों ने मतलब आप में से कई लोगों ने तो अपने घर को स्वाहा किया ।


अनुयायी समाज तक सच्चाई पहुँचा रहे हैं


सरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी के भक्तों का कहना है कि नहीं नहीं हम लड़ेगे क्योंकि पीछे हटेंगे तो पता नहीं यह लड़ाई कमजोर हो जाएगी मैं ऐसे कई लोगों (बापू आसारामजी के भक्तों ) को जानता हूँ जिनकी दुकान तक बंद हो गई, जिनकी नौकरी छूट गई वह फिर भी थैला लेकर प्रूफ लेकर लोगों के पास जा रहे हैं RSS के लोगों को मिलते है,  BJP से मिलते  हैं, सत्ता से जुड़े लोगों को मिलते हैं, पत्रकारों को मिलते हैं, हमारे पास भी आते हैं कितने लोग मतलब वो कोई एक्टिविस्ट नहीं है लेकिन मैं बताऊं जब आप (षडयंत्रकारी) अत्याचार की अति कर देते हो तो उसके बाद सत्य का जो चक्र है ना वह उल्टा परिणाम देने लगता है, और वह चक्र क्या परिणाम दे रहा है यह तमाम वह लोग हैं जो लोग ईश्वर और खुद इसमें कनेक्ट है ।


एक षडयंत्र ने करोड़ो राष्ट्रवादी पैदा किये


आगे बताते हुए सुरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी पर हुए अत्याचार ने इस देश में कई करोड़ हिंदूवादी एक्टिविस्ट पैदा कर दिए । जो (बापू आसारामजी के अनुयायी ) भक्ति भाव और भजन के आगे जाते नहीं थे देश में बाकि क्या चीजें हो रही हैं वह स्वाभाविक से आदमी अलग चीजों में होता है धार्मिक क्षेत्र का, लेकिन आज ज्यादातर लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी) सोशल मीडिया में एक्टिव है, Twitter का ट्रेंड चलाते हैं, मैसेजेस भेजते हैं, भाषण सीख गए हैं। ऐसी ऐसी महिलाएं मुझे नहीं लगता कि वह घूंघट वाली महिलाएं हैं । मैंने दिल्ली में देखी थी वह चौराहे पर खड़े होकर भाषण दे सकती है यह सारा जोश उनके अंदर जो भरा वह इस एक घटना (बापू आसारामजी पर षड्यंत्र) ने भरा! कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि शायद हिंदुत्व का आंदोलन कमजोर पड़ रहा है और उस आंदोलन में एक साथ कई करोड़ कार्यकर्ता की जरूरत थी क्योंकि एक साथ कई कार्यकर्ता तो बड़ी मुश्किल है । आपको तो पता है कि कार्यकर्ता खड़ा करना कितना मुश्किल होता है लेकिन हजारों साल के हिंदुत्ववादी मूमेंट में किसी एक घटना ने अगर करोड़ों कार्यकर्ताओं को खड़ा किया होगा तो बापू आसारामजी की घटना ने किया है यह इतिहास याद रखेगा की एक घटना का परिवर्तन कैसे होता है। हमें इस घटना का आज भी दुःख है ।


नयायपालिका को पछताना पड़ेगा


सरेश जी ने आगे कहा कि मैं दावा करता हूं कि आने वाले दिनों में हिंदुस्तान को और को पछतावा करना पड़ेगा कि दोनों ने जो बापू आसारामजी पर अत्याचार किये वो कितने गलत थे ।


नयापालिका बिकती है 


बापू आसारामजी जी हमारे लिए पवित्र थे हैं और रहेंगे और हम यह केवल मैं आप लोगों के सामने नहीं कहता हूँ बल्कि मैं आप लोगों के सामने कम बोलता हूँ चैनल पर इससे ज्यादा बोलता हूँ। इस देश में न्यायपालिकाएं बिकती हैं प्रभावित होती है यह मैं पहले भी कह चुका हूँ आगे भी कहता हूँ कैमरे पे कहता हूँ क्योंकि मुझे ये कहने में डर नहीं है खुद न्यायपालिका के अंदर के ही सिस्टम के अंदर के जज से लेकर मजिस्ट्रेट वकील इस बात को दोहरा चुके हैं इसलिए इन व्यवस्थाओं से बहुत ज्यादा भरोसा करने की जरूरत नहीं है। 



दिव्य शक्ति की इच्छा से नव हिंदुस्तान का निर्मित


सरेश जी ने बताया कि हम तो दिव्य व्यवस्था के वाहक हैं और इसलिए हमने उस दिव्य व्यवस्था पर अपनी श्रद्धा रखनी चाहिए भाव रखना चाहिए । वही व्यवस्था इन तमाम चीजों को क्योंकि भगवान किस बंदे से क्या करना चाहता है कोई बता नहीं सकता कभी-कभी वह बातें समझने में सौ-सौ साल लग जाते हैं और इसीलिए हम यह माने कि दिव्य शक्ति की इच्छा के आधार पर नव हिंदुस्तान को निर्मित करने की आवश्यकता है । 


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कसी है न्याय-व्यवस्था? निर्दोष संत को जेल, एक्टर को तुंरत बेल !

15 जून 2021

azaadbharat.org


भारत का कानून सभी के लिए समान बोला जाता है पर जब न्याय करने की बारी आती है तब पक्षपात किया जाता है। ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण हैं, पर एक ताजा उदाहरण आपको दे रहे हैं। इससे आपको काफी कुछ समझ में आ जायेगा कि न्यायपालिका कितनी पक्षपाती बन गई है।



उदाहरण: एक्टर और संत 


आपको बता दें कि एक्टर पर्ल वी पुरी को POCSO Act के तहत गिरफ्तार किया गया था और 11 दिन में ही जमानत मिल गई। जबकि हिंदू संत आशाराम बापू पर भी POCSO Act लगा है और 8 साल से इसलिए जमानत नहीं दी जा रही है कि POCSO लगा है जबकि लड़की ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है और तथाकथित घटना के समय वहाँ बापू आशारामजी नहीं थे उसका सबूत भी कोर्ट के रिकॉर्ड में है फिर भी रिहा नहीं किया जा रहा है।


पोक्सो एक्ट क्या है?


पोक्सो एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है।  इसमें 18 साल से कम उम्र के बच्चों को गलत तरीके से स्पर्श करने अथवा देखने पर भी सजा हो सकती है।


पोक्सो कानून अन्य कानूनों से विपरीत है । इसमें किसी ने सच या झूठ जो बयान दे दिया उसीको सच मानकर आरोपी को सजा दी जाती है और आरोपी को ही साबित करना पड़ता है कि मैंने उसके साथ गलत व्यवहार नहीं किया है। इसमें आरोपी को जमानत पाने का अधिकार नहीं है।


गौरतलब है कि हिन्दू संत आशारामजी बापू को भी पोक्सो एक्ट के तहत ही गिरफ्तार किया गया था; 5 साल तक कोर्ट में ट्रायल चला, बापू आशारामजी की तरफ से उनके निर्दोष होने और षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसाने के अनेक सबूत भी दिए गए पर 8 साल से एकबार भी उनको जमानत तक नहीं दी गई।


आपको बता दें कि हिन्दू संत आशारामजी बापू पर जब छेड़छाड़ का आरोप लगा था तब आरोप लगानेवाली शाहजहाँपुर की लडकी की सहेली ने बताया था कि मैंने उससे पूछा कि तूने बापूजी के ऊपर झूठा आरोप क्यों लगाया? 

तो वह बोली: ‘मेरे से जैसा बुलवाते हैं, वैसा मैं बोलती हूँ।' जिसका कवरेज सभी मीडिया चैनल्स ने लिया था पर प्रसारित नहीं किया गया।


इस बात का  स्पष्टीकरण भाजपा नेता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने भी किया। स्वामीजी ने बताया कि मैंने आशारामजी बापू का केस पढ़ा। पूरा केस फर्जी है। जिस समय लड़की बोल रही है कि मेरे साथ संत आशारामजी बापू ने छेड़खानी की, उस समय तो लड़की अपने किसी फ्रेंड से बात कर रही थी फोन पर और संत आशारामजी बापू भी एक कार्यक्रम में व्यस्त थे।

देखें वीडियो

https://youtu.be/rwOJIG3YHEI


मडिकल रिपोर्ट में भी स्पष्ट लिखा है कि लड़की को एक खरोंच भी नहीं आई है और मेडिकल आधार पर बापू आशारामजी को क्लीनचिट भी मिल चुकी है ।


https://youtu.be/V0sr9yHj1Go


आपको ये भी जानना जरूरी है कि लड़की को कुछ साजिश के तहत नाबालिग बताया गया जबकि वो बालिग है; क्योंकि लड़की की LIC Policy जो सुनीता सिंह जो Prosecutrix की Mother है, उसने करवाई है, उसको न्यायालय में पेश करवाया जाए,  इसके अंदर जो Date of Birth है वो 1-7-94 है और प्रथम कक्षा में भी जो Date of Birth लिखी है उससे भी वो बालिग है। इससे साफ पता चलता है कि किसी साजिश के तहत बापूजी के ऊपर मुकदमा चलाया गया है।


https://youtu.be/qS9W6m59Lek 


इन सब तथ्यों को नकारकर लड़की की झूठी कहानी पर उनको आजीवन कारावास दिया गया। 85 वर्ष की उम्र है, स्वास्थ्य खराब है फिर भी 8 साल से जमानत नहीं दी जा रही है।


बता दें कि 2008 में उनके अहमदाबाद आश्रम में एक फैक्स भेजा गया था जिसमें कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वर्ना परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ। हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण तुम जिंदगीभर जेल में रहोगे, कभी बाहर नहीं आ सकोगे।


बापू आशारामजी ने धर्मांतरण के खिलाफ कार्य किया और राष्ट्र व सनातन धर्म के उत्थान के लिए कार्य किया इसलिए उनको फंसाया गया। आज उनकी उम्र 85 वर्ष की है, स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है फिर भी जमानत नहीं दी जा रही है, कैसा आश्चर्य है? न्याय में कितना पक्षपात किया जा रहा है? एक निर्दोष संत को कब रिहा किया जायेगा? ऐसा जनता का सवाल है।


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