17 जून 2021
azaadbharat.org
हिरन पूरे दिन घास खाने में लगा रहता है, घास को प्रोटीन में बदलने में ही लगा रहता है। दूसरी तरफ माँसाहारी जानवरों को जब तक भूख नहीं लगती बस आराम से पड़े रहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनके लिए प्रोटीन का इंतजाम करने के लिए हिरण जो लगा हुआ है।
जब तक हिरण जिंदा है, जंगल में खूंखार जानवर मस्त सोते हैं पर हिरण जब कम होने लगते हैं तो ये भूखे-खूंखार नए जंगल की तलाश करते हैं।
हिन्दू रूपी हिरणों ने बड़ी मेहनत से सोना, चांदी, हीरे, ज्ञान-विज्ञान इकट्ठा किया था, क्या हुआ ?
एक खूंखार नस्ल साफ कर गई सब!!
ईरान लिया, अफगानिस्तान लिया, पाकिस्तान लील गये, कश्मीर लिया, बांग्लादेश लिया, केरल, बंगाल और असम भी गया ही समझो।
उस नस्ल ने सिर्फ शिकारी के गुण विकसित किये हैं...
अब पाकिस्तान और बांग्लादेश में खाने पीने की भयंकर कमी आ रही है क्योंकि हिन्दू, पंजाबी, सिंधी जैसे हिरण कम हो चुके हैं जिनकी वजह से इकोनॉमी चल रही थी। शेष कार्य सिर्फ शरीयत को 100 प्रतिशत लागू करना है, जिसकी वजह से धीरे धीरे पाकिस्तान, बांग्लादेश में हिरण खत्म हो रहे हैं और खूंखार नरभक्षी बढ़ रहे हैं। अब उन नरभक्षियों की नजर नए जंगलों पर हैं... वो है भारत। इसे ही वो 'गज़वा-ए-हिन्द' कहते हैं और उनकी मजहबी किताबों में हजारों साल पहले इसका जिक्र हो चुका है, हर शांतिप्रिय भेड़िये के मन में वो ऐसे बैठा हुआ है जैसे हमारे लिए राष्ट्रगीत।
इस आखरी जंग में सेना ज्यादा कुछ नहीं कर पायेगी क्योंकि ये जंग अंदर से शुरू होगी फिर बाहर से...
जितनी तेजी से पाक-बांग्लादेश से हिरण रूपी हिंदू कम हो रहे हैं उतनी ही जल्दी इसकी संभावना बढ़ रही है और ये जंग अचानक नहीं होगी..., हम पहले से ही हैं इस जंग में !! विश्वास न हो तो असम, त्रिपुरा, नागालैंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल आदि राज्यों के उनके बाहुल्य इलाके में घूम के आओ, वहाँ से हिंदू रूपी हिरणों ने घर और संपत्ति बेचकर कहीं और बसेरा बना लिया है।
हमारे यहाँ के हिरण कहाँ जाने की सोच रहे हैं ?
समझ लो ...
जब किसी मोहल्ले या कालोनी में हिन्दू 20% रह जाते हैं तब एक साइलेंट उत्पीड़न का दौर शुरू होता है ....
कछ इस प्रकार
◆1 - आप ... आपका परिवार रात को बेधड़क सो रहा होता है तभी आपका पड़ोसी सलमान अपनी दीवार (जो कि आपकी दीवार के साथ मिली होती है) में रात के 11 बजे कील ठोंकना शुरू कर देता है ।
◆2- मुर्गे बेचने वाला अब्दुल हजार मुसलमानों का घर छोड़ के सिर्फ आपके सामने वाले सलीम के चबूतरे पर बैठ के मुर्गे काटना शुरू कर देता है ।
◆3- कल रात अब्दुल के घर आई मीट की, खाली काली पन्नी सुबह आपके दरवाजे पर फड़फड़ाती मिलेगी ।
◆4 - रज़िया का बच्चा रोज आपके चबूतरे पर लैट्रिन कर जाएगा। कभी रज़िया आकर साफ करेगी, कभी कह देगी मेरे बच्चे ने नहीं किया है । मजबूरन आपको साफ करना पड़ेगा ।
◆5- आपके घर में जवान बहु-बेटी हैं तो आपसे तीन मकान छोड़ के रहने वाले गफूर मियां के यहां दिन भर अवारागर्दों का अड्डा जमा रहेगा। वो आवारा गाहे बगाहे बिना जरूरत ही आप के घर के सामने से बार बार निकलेंगे आपस में गन्दी-भद्दी गालियों भरी भाषा आपकी ही बहन-बेटियों को सुनाते हुए।
◆6- नामाज के टाइम आप से चौथे मकान वाले शराफत मियां आपका tv बंद कराना कभी नहीं भूलते ।
◆7 - होली के रंग से इस्लाम खतरे में पड़ जाता है और दीवाली के पटाखे से बकरियों को परेशानी होती है ।
◆7- बकरीद पर तो महीनों तलक आप को गंदगी और बदबू से निज़ात नहीं मिलने वाली ।
◆8 - आप कितने भी शरीफ हों ... महीने में तीन चार बार आप से लड़ाई का बहाना वो ढूंढ ही लेते हैं ।
◆9 - पुलिस प्रशासन से शिकायत करें तो आप अकेले पड़ जायँगे और उनकी तरफ से हजार लोग आपको ही झगड़ालू और साम्प्रदायिक बताने लग जायँगे ।
य सब उत्पीड़न के तौर तरीक़े साबित करना आपके बस की बात नहीं ।
आपके शुभचिंतक आपको वहाँ से पलायन की सलाह देंगे और प्रशासन इसे आपका निजी मामला बताएगा !!
बाकी करना क्या है आप खुद समझदार हैं, दिमाग़ में आया.... सोचा बता दें, नहीं विश्वास तो अपने बाप दादा या किसी बुजुर्ग से पूछ लेना जिन्होंने भारत-पाकिस्तान का विभाजन अपनी आंखों से देखा है और कश्मीरी पंडितों को वो सब बता देंगे। - नारायण चौधरी
आपको बता दें कि भारत के ही 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं और देश के जिन इलाकों में हिंदू कम हैं, वहाँ से पलायन कर रहे हैं।अभी भी जाति-पाति में बंटते रहे, हिंदुत्ववादी नेताओं को वोट नहीं दिया और साधु-संतों की बात नहीं मानी, राष्ट्रवादी पत्रकारों को नहीं सुना तो फिर कश्मीरी पंडितों की तरह तैयार रहना।
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