12 मई 2021
azaadbharat.org
सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य सम्पादक श्री सुरेश चव्हाणके ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि व्यवस्था करना नेता का काम है संस्कार देना संत का काम है। आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा प्रताड़ित अगर किसी को किया गया है तो संत आशाराम बापू को किया गया है। मैं उनके लिए कल भी आवाज़ उठाता था आज भी उठा रहा हूँ और कल भी उठाता रहूंगा।
समाज को उनके ऊपर हुए षडयंत्र समझना चाहिए। मैं आज भी भाषण में कहा न्यायपालिका के भी धर्म के ऊपर कैसे आक्रमण किया जा सकता है। इसके सैकड़ो उदारण है। मैं अपनी चैनल के माध्यम से कई बार कह चुका हूं। सत्य केवल न्यायपालिका से ही आता है ऐसा नहीं है। हम तो ईश्वर को माननेवाले व्यक्ति है। सत्य को देखने का नजरिया केवल न्यायपालिका से नहीं ईश्वर की दृष्टि से मिलता है उसको ध्यान देना चाहीये।
बापू आशारामजी पर षड्यंत्र यानी समस्त हिन्दू संतों पर षड्यंत्र है।
मैं एक बात कई बार कह चुका हूं और आज इस भूमि पर दौहराना चाहूंगा। कोई घटनाएं क्यों होती है वो हमको पता नहीं होता। हमें पुरुषार्थ के साथ उनको बदलना चाहीये लेकिन बापूजी के साथ इस शताब्दि के सबसे बड़ा प्रताड़ना का जो विषय हुआ ये केवल एक व्यक्ति और एक संत का नहीं है। ये समस्त हिन्दू संतों का है। क्योंकि जिस गति से जिस लेवल से जिस रुट लेवल पर बापूजी काम कर रहें थे तो ये होना था। ये ऐसा धर्म की रक्षा करनेवालों पर अटेक होना ही है। हम पे भी हुआ है। और वो भगवान ने बचा लिया है। और बचाता जाएगा।
बापू आशारामजी पर षड्यंत्र से करोड़ो हिन्दू संस्कृति के कार्यकर्ता बन गए।
मैं बापू आशारामजी के बारे में एक बात हमेशा बोलता हूं साधकों के बारे में कि हिन्दुस्तान में खास करके धर्म रक्षा के विषय में कट्टर कार्यकर्ता तैयार होने में बहुत टाइम लगता है एक एक कार्यकर्ता तैयार होने में संविनय भी देखिए शाखा में जाता है फिर शिविरों में जाता है फिर भाषण सुनता है कार्यो में जॉइन होता है आंदोलनों में जाता है तब जाके कहि कार्य करता है। राजनीति कार्य तो इतना पुख्ता नहीं होता लेकिन जो सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी जो कार्य करता है उसमें तैयार होने में बहुत लंबा टाइम लगता है।
मैं भारत की नहीं पूरे विश्व की बात कर रहा हूँ। पूरे विश्व में एक ऐसी घटना है बापूजी की गिरफ्तारी जिसके बाद लोग भले ही आकड़े पर कम-ज्यादा हो लेकिन कम से कम एक दिन में एक करोड़ लोग हिन्दू कार्यकर्ता बन गए ऐसी ये घटना है। इसलिए मैं कम से कम आंकड़ा कह रहा हूँ क्योंकि लोग कहेंगे इतने तो 6 करोड़ नही हो सकते है। एक से तो कोई असहमत हो ही नहीं सकता। हमारा शत्रु भी नही हो सकता। तो एकदम से वो activate बन गए जो खुद केवल गुरु और भगवान इस लिंक में थे।
आध्यात्मिक व्यक्ति ज्यादा इधर उधर देखता नहीं समाज में क्या हो रहा है। लेकिन एकदम से वो अपने गुरु के न्याय के लिए संघर्ष करने लगा। तो उसको पता चला कि न्यायपालिका कितनी भ्रष्ट है। तो उसको पता चला कि पुलिस प्रशासन, सरकार, राजनैतिक दल सामान्य कार्य कर्ता तथाकथित हिन्दू संगठन अन्य साधु-संत ये बिखरे हुए होना कमजोर होना ये हमारे लिए निंदा का नहीं चिंता का विषय है। हम इसलिए उनका उल्लेख कर रहें है इसलिए ये घटना पता चली और उससे जो कार्यकर्ता बना है।
अब मैं जिस जगत से हूँ मीडिया जगत से हमारे क्षेत्र के भी कई लोग अब ये मानने लगे है कि ये ठीक है कि FIR हुआ जो भी हुआ लेकिन ये अधिक हो गया। ये अब लोग मानने लगे है यहाँ तक कि जो गैर धर्मी है वो भी अब ये कहने लगे कि हाँ अब ये ज्यादा हो गया। तो इसका मतलब है कि हिंदुस्तान को जिस मुद्दे को लेकर आपने जितने तमाम महापुरुषों के नाम लिए वो जिस मुद्दे को लेकर जगाने निकले थे। वो सारे जगाने का परिपत क्या होता है ये बापूजी की घटना ना केवल इस दशक में बल्कि आने वाले शतकों तक बताती रहेगी और मैं मानता हूं कि हिन्दू को जगाने संगठित करने और प्रेरित करने की सबसे बड़ी घटना भी रहेगी।
जनता की भी मांग है कि हिन्दू संत आशारामजी बापू को शीघ्र रिहा करना चाहिए।
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